कुछ संत पुरुष बिना ज्ञान बांटे ही धरती से क्यों चले जाते हैं? क्या संत भी दुख भोगते हैं?

 


मैं कुंभ स्नान करने नहीं गया लोग मुझे पागल भी समझने लगे हैं बाबा मुझे बहुत से लोग अंध भक्त लगते हैं मैं कुछ कह भी देता हूं बहस बाजी भी हो जाती है लोग मुझे पूछते हैं कि क्यों नहीं गए मैं तर्क देता हूं लेकिन वह तर्कों को काट देते हैं मेरा मजाक उड़ाते हैं मैं पिछले रविवार आपके पास आया था मैंने जाना था कुं सना लेकिन आपके प्यार से नहा लिया कुंभ स्नान नहीं गया मुझे क्या करना चाहिए हंसा पायो मानसरोवर ताल तलैया क्यों डोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले तेरा साहब है तुझ माही बाहर नैना क्यों खोले मन मस्त हुआ तब क्यों बोले कुछ तो लोग कहे ग लोगों का काम है कहना छोड़ो बेकार की बातें कहीं भी तना जाए नैना कहीं बीत ना जाए रहना खुद बदलो पुत्र किसी को बदलने की चेष्टा ना करो क्योंकि खुद बदलने से पहले किसी की किसी को बदलने की चेष्टा पाप है रोज बोलता हूं तुम रोज सुनते हो खुद बदलो खुद बदले बिना दूसरे को बदलने की चेष्टा तानाशाही है और पाप है हंसा [संगीत] पायो मान सरोवर [संगीत] ताल तलैया क्यों [संगीत] डोले मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले तेरा साहब [संगीत] है तुझ [संगीत] माही बाहर नैना क्यों खोले मन मस्त हुआ फिर क्या बोले मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले कितने संत आए चले गए और भी आएंगे चले जाएंगे दुनिया को बदलने की चेष्टा मत करो हंसा पायो मानसरोवर कोशिश यही करनी है किसी तरह तुम पहुंच जाओ उस मान सरोवर की शीतल जल का आनंद ले लो जल क्रीड़ा करो मस्त हो जाओ और तुम्हें एक बात बताऊ जब तुम मस्त हो गए तो लोग कहेंगे बोलो तुम्हारे ओठों से बोला नहीं जाएगा तुम्हारे ओठों में एनर्जी नहीं होगी कि तुम बोलो क्योंकि सारी शक्ति भीतर है चेतना सारी भीतर है आनंद ले रही है उस मानसरोवर में अठ केलिया कर रही है जरा सोचो अगर तुमने व मुका पा लिया जो आनंद से भरा पड़ा है तो क्या तुम लोगों को बदलो ग हां बदल भी सकते हो और चुपचाप खिसक भी सकते हो बहुत से संत होकर यहां से चुपचाप चले गए बुध का बेटा राहुल जैसे ही जानता है छलांग लगा देता है चला जाता है दूसरों को बदलने की चेष्टा ही नहीं होती बैठे हैं पिता श्री बदलने के कबीर आए गुरु तेग बहादुर आए जितने भी संत आए उनकी वाणी समरस है जक सा है सब स्याने एक मत मूर्ख अपनो अपने यह तो मूर्ख है इन मूर्खों से ना झगड़ा करो ना ही इनके पीछे लगो यही मेरा सिद्धांत है ज मैं रोज बोलता हूं नॉन क्लिंग नेस विचार आए या विकार आए तुमने मात्र उसे देखना है चिपकना नहीं है और यह सारी बहस डिस्कशंस [संगीत] दुनिया को बदलने की यह चाहत खुद के बदलने से पहले दुनिया को बदलने की चाहत व्यर्थ है तुम्हारी आवाज में उ छन काहट होगी ना वो गिरधर की मुरलिया बजेगी ना राधा का नृत्य होगा ना निधि वन खेलेगा उस रस के बिना सब बेकार सभी ने कहा वन में क्यों जाते हो तेरा साहब है तुझ माही बाहर नैना क्यों खोले मन मस्त हुआ तब क्या बोले क्यों बोले क्यों बोले कारण है बोलने का बोले तो सिर्फ करुणा के कारण बोले और पहुंचने के बाद लाखों में से कोई एक व्यक्ति बोलने का इच्छुक होता है भीतर आज्ञा ही नहीं देता कि बोले इतनी मस्ती का खुमार तुम्हें कहां निकलने देता है बाहर कोई अंध भक्त है तो रहे यह उसकी स्वतंत्रता है और प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र है वह चाहे तो कुंभ स्नान कर सकता है वह चाहे तो कुंभ स्नान नहीं कर सकता वह चाहे तो कुंभ स्नान की भगदड़ में मोक्ष प्राप्त कर सकता है और कोई ना चाहे तो घर बैठे ही मोक्ष प्राप्त हो जाता है सच तो यह है गंगा स्नान से कभी किसी को मुक्ति मिली नहीं कोई एकाध व्यक्ति होता है लेकिन वह एक्सेप्शनल केस है वह नियम नहीं है एक्सेप्शन सदा नियमों से हटकर होते हैं कोई एकाद व्यक्ति पहुंच गया इससे नियम नहीं बनता घर बैठे तो हजारों पहुंचे लाखों पहुंचे कुंभ स्नान से कितने पहुंचे 12 वर्षों में तो आता है एक बार और 12 वर्ष तप करके महावीर कैवली को प्राप्त हो जाते हैं और ध्यान रखना गंगा स्नान नहीं करते वो व पर्वतों पर जाते हैं बुद्ध मैदानी इलाकों पर जाते हैं शायद ही किसी ने गंगा स्नान किया हो जो पहुंचे और शायद ही कोई पहुंचा हो जिसने गंगा स्नान किया मेरे इन शब्दों को गहरे से ले लेना रदास के पास कुछ ब्राह्मण गए हैं मित्र गए बाबा चले स्नान करना है गंगा रदास तुम्हें सिखाते हैं काम ही पूजा है वर्क इज वशिप रे अपना काम कर रहे हैं जूतिया गाठ रहे चमड़ा छील रहे हैं अरे दास कहते तुम चले हां हम चले तो यह लो यह मेरी भेंट मां गंगा को दे देना उनका कोई झगड़ा भी नहीं है नॉन क्लिंग नेस का मतलब यही ना पीछे लगो ना ही लड़ो डू नॉट क्ल डू नॉट क्रंग झगड़ा भी नहीं और चिपका हट भी नहीं दूर बैठे रहो वही व्यक्ति साक्षी रह पाता है ना चिपट ना झगड़े तुम ससर शांत अकेले आनंद में मगन हो तो दूसरों को बदलने की चाहत खत्म हो जाएगी बस यही कहते हैं हीरा पायो गांठ गठ आयो बार-बार फिर क्यों खोलले मन मस्त हुआ तब क्यों बोले प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का परिणाम भुगतना पड़ता है अगर कोई जाएगा कुंभ स्नान तो उसे उसका परिणाम भोगना पड़ेगा अगर उसे मोक्ष मिलेगा तो मिल जाएगा और अगर उसे मृत्यु मिलेगी तो मिल जाएगी तो मत जाओ क्योंकि सभी संत कहते हैं गंगा तो खुद ही मैली हो जाती है तुम्हारे पापों को गंगा नहीं धो पाती तुम्हारे मैल ही नहीं धो पाती सही पूछो तु मन के मैल धोने तो बहुत दूर गंगा की पहुंच तुम्हारे शरीर तक भी पूरी नहीं होती कोई जाता है उसे जाने दो किसी के मन में तीव्र आवेग है श्रद्धा है वह जाए बहुत से लोग हैं जो परमात्मा को नहीं मार्कस है चार वाक है नि है और आधी दुनिया नास्तिक है और सच पूछो तो पूरी दुनिया नास्तिक है जिसने अभी तक देखा नहीं परमात्मा वह अगर कहे कि परमात्मा है तो गलत है झूठ बोलता है कुछ झूठे आस्तिक होते हैं कुछ सच्चे आस्तिक होते हैं और उन कुछ सच्चे अस्ति कों में कोई ए आद होता है बाकी झूठे होते हैं ऐसे ही नास्तिक होते हैं कुछ सच्चे नास्तिक होते हैं और झूठे नास्तिकता होते ही नहीं जिसने खोजा ही नहीं उसको पता कैसे चलेगा वह नहीं है नास्तिक कभी भी सच्चा नहीं हो सकता नास्तिक झूठा ही होगा अगर सच्चा हो सकता है कोई एकाध तो वह आस्तिक हो सकता है जिसने देख लिया क्योंकि वह है बस संत यही समझाना चाहते तु संतों ने देख लिया ठहर गए और उनके रहन सहन खान पान आना जाना वेश भूषा लक्षणों को देखो कृष्ण कहते हैं तुम्हें समझ आएगा इसे कुछ मिला है जो हमें नहीं मिला इसे कुछ मिला फिर उससे पूछो तुम्हें क्या मिला व कोई संकोच नहीं करेगा वह बताएगा मुझे य मिला हीरो पायो गांठ गठ आयो बार-बार उसे क्यों खोल ले दिखाने का मतलब कई बार ख सियानी बिल्ली खंबा नोचे खिसियानी बिल्ली खंबा न सोने के बंड इठे कर लिए सोने के आभूषण सोने के वस्त्र बना दिया मिला कुछ नहीं वही रूखे के रूखे बल्कि ज्यादा रूखे हो गए क्योंकि गरीब में कहीं ना कहीं एक लालसा होती है एक चाहत होती है व जझ पटता है सोने पर और धन कमाने की फिराक में उस उसकी आंखों में एक अजीब कशिश होती है वो कशिश काहे की होती है तुमने कभी सोचा कशिश होती है का वह मानता है कि पैसे में सोने में आनंद है यह चमक भी खत्म हो जाती है जब वह व्यक्ति अमीर हो जाता है इसलिए बुद्ध सोने के तख तो तास को लात मार के चले जाते हैं लेकिन कुछ तो लात मार के चले जाते हैं उस सत्य की खोज में जो धन आभूषणों से नहीं मिला और कुछ व्यक्ति तुमको चिढ़ाने लग जाते हैं तुम्हारी ही जेबें काटी होती हैं लोगों ने और य खुद को धोखा दे रहे हैं ये तुम्हें अंगूठा गाते हैं कि यह देखो मैंने तो सोने की पोशाक पहने हो और तुम बड़े लालच में आ जाते हो तुम्हारा मन यह चाहता है कि हम इनका गला घूंट दे नहीं नहीं इनका गला मत घटना यह अपने पाप कर्मों को भुगत रहे हैं इनको भोगने दो परमात्मा की कर्म व्यवस्था के भीतर व्यवधान नहीं डालना चाहिए उसके विधान के भीतर व्यवधान नहीं डालना चाहिए इस व्यक्ति की वह कशिश मिट गई और लश्क जो आंखों में थी कुछ पानी की कुछ पानी की बात हित हो गई कुछ नहीं मिला जैसे तुम्हें अंतरंग क्षणों के बाद तुम गर पड़ते हो बस सो जाते हो मिला कुछ नहीं मिला तो संत कहते हैं फिर तुम इधर आ जाओ एक अखंड आनंद की धारा लगातार तुम्हारे भीतर बह रही है चलो मैं तुम्हें वहां ले चलू आओ हजूर आओ [संगीत] सितारों पे ले [संगीत] चलो दिल झूम जाए ऐसी बहारों में ले चलू आओ हजूर आओ संत कहते हैं आओ तुम्हें ले चलूं सितारों पर जो तुम्हारी खोज है संत बखूबी जानता है और संत तुम्हें गलत दिशाओं में भटकते हुए भी देखता है यह भी देखता है कि यह तुम वहां पा ना सकोगे क्योंकि संत लफा के बोल नहीं बोलता सिर्फ संत ने े गलियां छान ली होती हैं संत कहता है जिन गलियों में तुम अब जश्न की रेखाएं ढूंढ रहे हो मैं कब से खंगाल चुका नहीं मिला अगर तुम मेरे अनुभव से लाभ उठाना चाहते हो तो उठा लो मिलेगा नहीं तो नहीं मिलेगा क्योंकि यहां है संत अपना अनुभव बताता है तुम्हे रोकता नहीं संत कहता मिलेगा नहीं इन तिलों में तेल नहीं यह बालू है रेगिस्थान का बालू इसमें तेल नहीं निकलेगा मैंने े खाक छान के देख लिया नहीं मिला तुम्हें भी नहीं मिलेगा क्योंकि होता ही नहीं और फिर भी अगर कोई छाने फिर भी कोई कुंभ जाए स्नान करे तो जाए उसे प्यार से विदा करना जाओ भगवान तुम्हारा भला करे ठीक से लौट आए तो गले मिलेंगे ईद मने अगर मोक्ष को प्राप्त हो गए तो फिर भी ठीक है या तो संत पागल हैं या जी भीड़ पागल है दोनों में से एक पागल बिला शक ना दोनों पागल हैं ना दोनों स्याने हैं सब सयाने एक मत मूर्ख अपनो अपनी भीड़ कहती है मिलेगा तो उसे कहो कि खोज संत कहता है भीतर मिलेगा तो उसके शरण में बैठ जाओ यही कहते हैं कृष्ण भगवान अमा निवम दवम हिंसा शांति राजम आचार्य उपासनगर आचार्य के समीप बैठ जाओ वह तीर्थ है तुम तीर्थ स्नान करने कितनी दूर निकल जाते हो तुम्हें हर चीज बाहर नजर आती है यह तुम्हारा संस्कार बन गया है पदार्थों ने तुम्हें थोड़ा आराम दिया तुमने उसे आनंद समझा स्वादिष्ट पदार्थों ने तुम्हारे टेस्ट वर्ड को स्वाद दिया तुमने उसे आनंद समझा तुम्हारी गुप्त इंद्रियों ने तुम्हें थोड़ी सी देर का आन दिया सुख दिया तुमने उसे आनंद समझा धीरे-धीरे सभी बातें बाहर से तुम कलेक्ट करते हो और तुम अभ्यस्त हो जाते हो इसे ही संस्कार कहते तुम्हारे भीतर एक तह जम जाती है अगर स्वाद बाहर से मिला सुख बाहर से मिला आराम बाहर से मिला तो आनंद भी बाहर से मिल जाएगा बस यही चीज तुम्हें खराब कर देती है यही चीज तुम्हें आनंद तक पहुंचने नहीं देती सब बाहर से मिलेगा तख तो ताज से मिलेगा लोग पाव में झुकेंगे तो मिलेगा लोग पूजा करेंगे तो मिलेगा धन में मिलेगा पदार्थों में मिलेगा सुख साधनों में मिलेगा ज्यादा से मित्र बना लू रिश्तेदारों को इकट्ठा कर लू भीड़ इकट्ठा कर लू बड़ी पार्टी बना लोगे लेकिन पार्टियों में सुख कहां होता है पार्टियों में सुख का दिखावा होता है तुमने देखा पलटूराम कह रहे थे कल अपनी पत्नी से यह जो अटैच की रखी है इसमें क्या है कहते साड़ी और यह जो ट्रंक में रखा इसमें क्या है कहती साड़ी फिर जब एक स्न पर साड़िया रखी जा सकती हैं तो दो ट्रंकोज कुछ सामान बाहर खराब हो रहा है तो पलटूराम के घर वाली बोली जी साड़ी साड़ी में फर्क होता है क्या फर्क होता है यह ट्रंक वाली साड़ी घर में डालने के लिए और ये अटैची वाली साड़ी फंक्शन में डालने के लिए तुम फंक्शन में नए सुंदर सुंदर स सूट पहनते हो लोगों को जलाने के लिए भला यह भावना अच्छी है दूसरों को जलाने की अगर मंशा रखोगे उसकी एवज में क्या मिलेगा एवरी एक्शन देर इ एन इक्वल एंड अपोजिट क्शन अगर दूसरों को जलाने की भावना से अलग से सूट पहनो ग तो उसकी एवज में परमात्मा का विधान तुम्हें जलन ही देगा ईर्ष द्वेष नफरत ऐसे ही पैदा होती है जरूरी है दिन में छह बार सूट बदलना क्या दिखाना चाहते हो मैं सुखी हूं यह दिखाना चाहते हो कबीर गलत कहते हैं तो मैं कबीर कहते हैं जिस दिन मस्त हुए उस दिन परिधान बदलने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी फिर जैसा है टूटा फूटा चलेगा किसको होश रहती है कि कौन सी घर में और कौन सी बाहर में फंक्शन पर होश जाने के बाद किसको होश रहती है और वह मुकाम ऐसा जहां होश गुम हो जाता है जहां तुम होशो हवा शुद्ध खो देते हो बे शुद्धि आकर तुम्हें घर लेती है शुद्ध विसर जाती है और ध्यान रखना जब तुम खुद की शुद्ध विसरा होगे तब उसकी शुद्ध आ जाएगी यह अनिवार्य है शुद्ध एकही रहेगी या तो खुद की शुद्ध ले लो देख लो कपड़े प्रेस किए हैं देख लो बाल ठीक से सवारे हैं ये बालों में मोतिया का गुच्छा ठीक लगा यह कुमकुम ठीक लगी खुद के तिल से खुद ही प्रभावित हो जाती हैं कुछ स्त्री इसे सेल्फ हिप्नोटिज्म कहते हैं आत्म विमुक्त और यह पागलपन है एक तरह का दे शुड बी ट्रीटेड मेंटली इनका मानसिक उपचार होना चाहिए पहले डाका मारा दूसरों की जेब पर अब सोने की पोशाकें पहन के दिखा रहे हो चिड़ा रहे हो लेकिन संत तुम्हारी सब फोकी कार्रवाइयों को जानता है क्योंकि संत तुम तो आज हो अमीर संत राजा भी रह चुके हैं संत अपने अलग-अलग जीवनों में अलग-अलग स्वाद चख लिए होता है जिन मुकाम से तुम आज गुजर रहे हो वह मुकाम उसने पहले बहुत पहले तय कर लिए थे वह अर्क निकाल चुका है कहां क्या है कहां दुख मिलेगा इसलिए बेधड़क हो के अष्टावक्र कहते हैं के भोग कर ले क्यों भोग से दुख है कितना बेद लक निडरता से बोलते हैं भोगों में चला जा भोगों से मिलेगा दुख और दुख तुम चाहते नहीं दुखों से होगा वैराग्य वैराग्य से आय की मुमुक्षा कैसे इन दुख से मुक्त हो जाऊ और जब मुमुक्षा आ जाएगी यानी मुक्ति की चाहत तो मुक्ति का तरीका भी हो जाएगा खोज लोगे मुक्ति का तरीका पहले चाहत को उत्पन्न करो नेसेसिटी जज द मदर ऑफ इन्वेंशन जरूरतों की जननी है आविष्कार जरूरत पैदा करो पहले अभी तो तुम्हें जरूरत ही नहीं पता तुम चाहते क्या हो अभी तो तुम उस फुटबॉल की तरह है जिधर से जिसने किक मार दिया उधर चले गए अपना कोई वजूद नहीं है तुम्हारा संत तुम्हारी असलियत को खोल देता है पहले कदर होती थी नए कपड़ों की बड़े लोगों ने घुटने गि सवाने शुरू कर दिए किसी गरीब को देखा हो कुछ अलमस्त फकीर ऐसे होते हैं अब ध्यान से सुनना यह बात तुम्हारे सुनने जैसी है जिनको इस बात की शुद्ध नहीं होती कि घुटने घिस चुके हैं कपड़ों की फिक्र कौन करता है ऐसा मत करो कपड़े घिस गए हैं कि फट गए हैं यही तो कृष्ण कहते हैं वासांसी जीर नानी ता बिहाय नवानी गणा नरो पराण तथा श्री राण हाय जीना अनन सति नवानी दे शरीर एक वस्त्र की भाति है और आत्मा उस जीर्ण सीर्ण वस्त्रों को छोड़कर जैसे नए वस्त्र ग्रहण कर लेती है वैसे ही होता है जन्म और मरण कुछ व्यक्ति लाजवाब होते हैं उनके परिधानों का तरीका एक प्रश् बन जाता है कोई गरीब व्यक्ति के घुटने फट गए होंगे घिस गए होंगे और अमीर व्यक्ति को अच्छा लगा यहीं भी गलती खा गए अच्छा लगा उसका लावण्य उसके चेहरे का नौर उसके चेहरे से टप हुई आनंद की वो छलका हट उससे हतप्रभ रह गया वह छलका हट वह नूर तो नहीं कमा सकता था उसने अपनी पेंट फड़ ली घुटनों से इसे आइकॉन कहता हूं मैं तुम किसी की नकल करते हो इमिटेटर हो तुम में खुद जैसा कुछ नहीं है यू आर नॉट इंडिपेंडेंट तुम पपेट हो कठ पुतली हो किसी लावण्य युक्त फकीर के घोड़े घिस गए मांगता वो है नहीं क्योंकि मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले क्या जरूरत है बोलने की जब रोवा रोवा आनंद से ग्रसित है मस्ती में झूम रहा है कपड़ों की फिक्र कौन करता है फिर उस मूर्ख अमीर ने अपने घुटने फाड़ लिए नई पेंट ग और उसमें चेपी लगा दी फटे हुए कपड़े के और मूर्खता देखो बिल्कुल नए कपड़े से सलगी पेंट 00 की और घुटनों से फटी हुई पेंट हज के य इस व्यक्ति ने नकल की थी उस फकीर की जिस फकीर के चेहरे से लावण्य छलकता था जिसके चेहरे से टपकता था नूर तुम प्रभावित हुए हत प्रभ हुए उसके नूर से और तुमने अपना लिया उसका वस्त्र ऐसे तुम संतरा बन पाओगे संत बना जाता है भीतर का द्वंद खोकर द्वंदा तीत अवस्था में पहुंच कर अद्वैतवाद में पहुंच कर और वेदांत तुम्हें यही सिखाता है उस अद्वैत में प्रतिष्ठित हो जाओ जो तुम्हारी प्रज्ञा है तुम अपनी खोपड़ी की प्रज्ञा में उलझे रहते हो क्योंकि इस प्रज्ञा के अलावा तुम्हें अपने भीतर की प्रज्ञा का कुछ पता ही नहीं है वह आनंद से सरा बोर है वह प्रज्ञा और तुम्हारी खोपड़ी की प्रज्ञा में कोई आनंद नंद नहीं तर्क की धार है तलवार की पेनी वह जहां जाती है काटती है और काटने पीटने में कोई आनंद नहीं होता काटने पीटने में तो रुलाई दुलाई होती है चीख चीत का होता है भीतर की उस प्रज्ञा में बड़ा गहरा आनंद छिपा है यह वो गुलशन है जिसकी सुगंध कभी जाती नहीं कभी घटती नहीं इसे ही कृष्ण कहते हैं यह कटता नहीं यह गलता [संगीत] नहीं तुम्हारा शरीर जल जाएगा यह नहीं चलेगा इसको हवा तूफान बहा के नहीं ले जाती कोई वर्ड इसको अपने स्थान से हिला नहीं सकते यह अटल है यह अचल है उसी की बात करते हैं सारी गीता में बात तो एक ही कही समझने वाला होना चाहिए दूसरी कोई बात कही ही नहीं कृष्ण ने जिसके आख हो वही जान पाएगा इस बात को द्वंदा तीत व्यक्ति द्वंद की बात कभी नहीं करेगा अद्वैत में स्थित हुआ व्यक्ति द्वैत की बात कभी नहीं करेगा आनंद में गया बेसुधी में खो गया बेसुधी के गुण गाएगा इसे ही भजन कहते हैं तुमने भजन की डेफिनेशन बिगाड़ ली है वह उस अवस्था में गाया गया गीत उसकी सलागा में शब्द सलागा में उसकी स्तुति में भीतर से निकली हुई वह पुकार वो आनंद की लहर जब तुम मस्त हुए फिर बोलना तो होता है लेकिन भजन में बोलना होता है बज राधे गोविंदा गोपाला तेरा प्यारा नाम है भज राधे गोविंद गोपाला तेरा प्यारा नाम है गोपाला तेरा प्यारा नाम है नंदलाला तेरा प्यारा नाम है बज राधे गोविंदा गा गा उस रस से लिपट बढ़ के गा जो भीतर से आती है लहर गोपाला तेरा प्यारा नाम है सभी नाम उसके हैं झगड़ा मत किया करो एक ही की व्याख्या है एक ही की सलागा है एक ही का गुणगान है नाम कोई भी हो तुम झगड़ा मत किया करो प्यार से ईद मनाया करो और प्यार से दिए जलाया करो प्यार से रंग खेला करो और प्यार से अपने अहंकार की बली दिया करो बकरों की बकरों की बलि देने से मासूम जानवरों की बलि देने से तुम्हारा अहंकार बढ़ता है और तुम ज्यादा दुखी हो जाते हो फिर तुम पूछते हो बाबा यह मानवता दुखी क्यों है मूर्खता के कारण मानवता दुखी है अपनी मूर्खता के कारण इस निर्दोष इनोसेंट प्राणी ने क्या बिगाड़ा तुम्हारा तुम क्यों इसको काट देते हो और क्यों तड़पा ड़ के मारते हो क्यों कलमा पढ़ते हो और फिर इसका जीवन छीन लेते हो इसने क्या बगड़ा इस तो बेचारे ने कुछ कहा भी नहीं था तुम्हारा क्या लेता था जहां घूम फिर रहा था तुम्हारा क्या छीन था तुमने क्यों इसको बेकसूर को मार डाला धर्म के नाम पर अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी ये शब्द तो ठीक है लेकिन कुर्बानी बकरों की नहीं मेमनों की नहीं निर्दोषों की नहीं तुम्हारी तुम्हारी कुर्बानी मांगता है वो तुम अपनी कुर्बानी से बचने के लिए हिंदू यज्ञ में नारियल भेंट कर देता है जला देता है अपने अहंकार को बचा देता है मुसलमान मेमने की बलि दे देता है मार देता है खुद के अहंकार को बचा लेता है तुमने तरकीबें खोज ली है प्रत्येक धर्म ने खुद के स्वाद के लिए तुमने देवताओं का नाम प्रयोग करना शुरू कर दिया इच्छा तुम्हारी है तुम्हारी जीव स्वाद मांगती है और तुम उन इच्छाओं की पूर्ति के लिए दूसरों को बलि का बकरा बना देते हो फिर तुम कहते हो मानवता दुखी क्यों है इ निर्दोष हत्याओं का गुनाहगार कौन वह भी है जो बकरे की बलि देता है मेमने की और वह भी है जो रोकता नहीं वह भी कसूरवार है मुझे कोई व्यक्ति कहने लगा आपने पिछले जन्म में यह नहीं किया वह नहीं किया वो नहीं किया मैंने कहा फिर आप भी साथ हो लेते आप क्यों चरण चुंबक बने रहे आपको किसी ने कहा था चरण चुंबक बनने को आप साथ हो लेते दो भाई दो भाई होते हैं बराबर की बाह अगर साथ होती तो फैसला कुछ और भी हो सकता था तुम क्यों नहीं चले साथ इस बात का जवाब पहले तो मन हो गया वो उसके बाद कोई प्रश्न नहीं पूछा उसने ऐसे मूड़ों की कमी नहीं है तुम कहते हो अंध भक्त बहुत हैं कोई बात नहीं जो जलेंगे वह इलाज भी करेंगे जलने का तुम इस आग से परे हट जाओ तुम न चलने की व्यवस्था कर लो बिल्कुल सरेआम कहता हूं कुछ नहीं है कुंभ में मोक्ष लेना है तो वहां चले जाना जिस प्रकार मिलता है दूसरा तो घर बैठे मिलेगा सारे संत पुकारते हैं काहे रे बन खो जन जाए यह वन है क अपने घर से बाहर जाते हो सर्वव्यापी सदा अलेपा सर्वव्यापी सदा अलेपा तोहे संग [संगीत] समा तो है संग सम कहे [संगीत] रे वन खोजन जा कुंभ में मत खोजो वनों में मत खोजो हिमालय की कंदरा में मत खोजो तेरा साहब है त जमाही बाहर नैना क्यों खोले हंसा पाया मान सरोवर हंस पाया मान [संगीत] सरोवर ता ल तलैया क्यों डोले ताल तलैया क्यों डोले मन मस्त हुआ फिर क्यों बोले मन मस्त हुआ नाचो नाचो गाओ कहीं जाने की आवश्यकता नहीं कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं किसी को बदलने की आवश्यकता नहीं खुद को बदलो मैं सदा से यही कहता हूं बिना खुद को जाने जो प्रचार करता है कि तुम आत्मा हो तुम परमात्मा हो तुम शरीर नहीं हो तुम विचार नहीं हो तुम भावनाए नहीं ह वह पाप करता है मैंने जयपुर की व घटना सुनाई थी तो व्यक्ति कहता हैम एन लाइटन तो मैंने खिलौना बंदूक मंगा ली पिस्टल चड्डी धारी था जब आया तो मैंने पिस्टल सामने कर दिया दोनों जगह से गिली हो गई कर कहने की बात कुछ और भीतर से कुछ और ये श्वेत जुल्फों वाले ले दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल मैं क फिर उठाया भी कहां था ये बता दो कहीं उठाया उसने बिल्कुल ठीक है लेकिन ये ठीक है यह शब्द गांधी ने नहीं बनाया यह शब्द तुमने बनाया गांधी तो गए गांधी ने कहां कहा मैंने आजादी ले दी गांधी ने कहा सबके सामूहिक प्रयास से हमें आजादी मिल गई बस काम समाप्त हुआ अब हमें कांग्रेस को अलविदा कह देना चाहिए और ठीक से गांधी या खुद बैठते मैं सदा ही यह बात कहता हूं या खुद बैठते लेकिन अगर खुद बैठने की लालसा होती तो आजादी नहीं दिला सकते थे क्योंकि वह लोभ युक्त आजादी होती है खुद लोभ नहीं था इसलिए रिषी का सूट उतार दिया लंगोटी पहन ली फिर वो मर गया तुम कुछ भी बोले जाओ कोई फर्क पड़ता है कोई फर्क नहीं पड़ता जो चला गया उसे भूल जा तुम आज देखो आज उन लोगों ने क्या किया से भूल जाओ जो अक्रमण होते हैं वह इतिहास को खंगाला करते हैं जो इतिहास बनाने में सक्षम होते हैं वह इतिहास को याद भी नहीं करते सबक लेते हैं सिर्फ जो चला गया उसे भूल जा वो ना सुन सकेगा तेरी सदा जो चला गया उसे भूल जा उसे भूल जा उसे भूल जा लोग गद्दारों की कब्रों के ऊपर जूते मारते हैं मैं कहता हूं क्या फायदा तब जूते मारते जब वह जिंदा था अब कबर को तो फर्क नहीं पड़ता हमारी य कहावत है अपना वही होता है जो मारे और छाव में कराए मैंने कहा नहीं तुम्हारी ये कहावत गलत है मूर्खों की बनाई अपना वो जो मारे ना जलाई बचाने की चेष्टा करे वो अपना जो मार ही दिए भा धूप में गराए या छाव में गराए या फिर आखिर तो लकड़ में गरा देना होना है फिर कहां डरते हो तुम धूप आग तो नहीं है कम से कम फिर मरे हुए प्राणी को तो तुम आग के ह वाले कर देते हो जो मर गया उसको भूल जा उसने जो किया किया अब वह वापस नहीं आएगा वह उस रूप में वापस नहीं आएगा किसी रूप में तो सभी वापस आते हैं यह हिंदू सनातन मान्यता है मुसलमान इसे नहीं मानते ईसाइयत इसे नहीं मानती ईसाइयत कहती है बस सिर्फ एक इस्लाम कहता है बस सिर्फ एक जन्म होता है लेकिन सनातन कहता है एक अनेक जन्म होते हैं खैर धारणाएं हैं सत्य क्या है यह देखकर जानना चाहिए तुम किसी की बातों पर यकीन ना करो ना एक जन्म होता है ना अनेक जन्म होते हैं इन सभी पर विश्वास करने वाले मूर्ख हैं वोह है अंध भक्त तुम जानो खुद जाओ उन गहरे तलों पर और देखो के जन्म एक होते हैं के अनेक होते हैं फिर यू आर ऑथेंटिक तुम प्रामाणिक हो दे देखने से पहले मान लेना मान लेना सहायक तो हो सकता है मैंने कल भी बोला हर यात्रा मानने से ही शुरू होती है कि मंजिल मिल जाएगी लेकिन नहीं मानोगे फिर तो अमन हुए पड़े ही रहोगे अजगर की माती चलना तो पड़ेगा अगर राह नापने है तो चर ती चरे ते चलता चला चल दुख भी मिलेंगे सुख भी मिलेंगे अगर मंजिल पानी है तो सुखड़िया पड़ तेरा कोई साथ ना दे तो तू खुद से पेठ जोड़ ले अकेला ही चलना पड़ता है और अकेला ही पहुंचना होता है दूसरे का सहारा गलत है दूसरे का सहारा कभी कहीं नहीं मिलता सिर्फ एक ब्रम है जन्म भी तुम अकेले लेते मरते भी तुम अकेले पीड़ा भी तुम अकेले ही भोगते हो कर्म भी तुम करते हो अगर कुंभ जाओगे तो मुक्त तुम भी होगे और अगर मोक्ष मिलेगा तो मोक्ष तुम्हें भी मिलेगा तुम ऐसा मत करो तेरा कोई साथ ना दे तो तू खुद से पीठ जोड़ ले बिछोना धरती को करके अरे आकाश ओढ ले बिछोना धरती को करके अरे आकाश ओढ ले है कौन सा वो इंसान यहां पर जिस ने दुख ना झेला बताओ कौन है राम है कि कृष्ण है जिसने दुख नहीं झेला के मोहम्मद है या ईसा है या मंसूर है काट दिया गया अंग अंग या बुद्ध है थूक जाते हैं लोग राजा के ऊपर और वह कुछ नहीं बोलता है नानक को भला बुरा कहते हैं नान कहते हैं बसे रहो बसे रहो अच्छों को कहते हैं उजड़ जाओ तेरा कोई साथ ना दे तो तू खुद से पीठ जोड़ ले अकेला ही चल किसी की कामना ना कर किसी का इंतजार मत कर तुम अकेले ही काफी है फिराक गोरखपुरी ने बहुत बढ़िया बात लिखी है सुना है जिंदगी है चार दिन की सुना है जिंदगी है चार दिन की बहुत होते हैं जार चार दिन भी चार दिन का कम होते हैं चार पल बहुत होते हैं और सच पूछो तो वह घटना एक पल में घट जाती है तुम कह देते हो तुम वही हो ना जिसने यह किया था अरे तब तक तो गंगा का पानी न जाने कितनी बार सागर में विलीन हो चुका चुका वही कहां है रोज बदलता है तुम भी और वह भी सारी सृष्टि रोज बदल जाती है तुम्हें पता भी नहीं चलता तुम सोए सोए रहते हो बिछोना धरती को करके अरे आकाश ढ ले अब पिल्लो उस की डिमांड ना कर धरती को बिछोना बना ले और बढ़िया चादरों की इच्छा मत कर आसमान को उड़ ले है कौन सा वो इंसान जहां पर जिसने दुख ना झेला बताओ कौन 14 वर्ष का वनवास उसे मिला तक्षण सपने में भी नहीं सोचा था गए थे राज तिलक करवाने आदेश हो गया वन गमन का लेकिन वो होते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम एक चिंता की लकीर तक उनके माथे पर नहीं खींचे ठीक माते श्री जो आज्ञा कृष्ण का जीवन कितने दुखों से भरा कृष्ण के ऐश्वर्य के साथ उनके दुख भी साथ वर्णित किए जाने चाहिए ताकि मानवता यह जाने कि दुख भी हैं और दुखों को सहे बिना व्यक्ति महान नहीं होता तुम दूसरा पाठ चूक जाते हो तुम सिर्फ उसकी ऐश्वर्य का गुणगान करते हो और वह तुम्हारे भीतर बस जाती है बात कि कैसे उसके ऐश्वर्य जैसे ऐश्वर्य हम भी भोग पाए तुम भूल जाते हो जरा संत जैसे लोग सारी उमर उसके जान के दुश्मन बने रहे प्रश्न दूसरा भी है लेकिन वक्त नहीं एक घंटा हो गया है कैसे कंस जैसे लोग अपने ही मामा उसका भी वध करने को तत्पर है सभी तारी तरफ जासूस हैं इसे ढूंढो और इसे मार दो बताओ कौन है यहां जिसने दुख ना जेला हो बुआ का बेटा शिशु बुआ कहती है तू मारेगा ऐसे त कुछ तो इसे रिलैक्सेशन दे तो कृष्ण कहते बुआ इसके 100 गुना माफ अगर इससे ज्यादा करेगा 100 गुना बहुत होते हैं तो फिर मैं इसका वध कर दूंगा और शिशुपाल कहने के बावजूद अलर्ट करने के बावजूद बोलता ही चला जाता है तू लफंगा तू लुचा तू बदमाश तू औरतों के वस्त्र हरण करता तू लोगों की स्त्रियों को उठा के ले जाता है स्वयं में से उठा के ले जाता है जरा देखो आज तुम्हें यह बात कोई कहे तो तुम्हारे मन पर क्या गुजरेगी और 100 गालियां निकाले और एक बार में निकाले धर का राज्याभिषेक हो रहा है और शिशुपाल उसको गालिया निकाल रहा है तू चोर लोगों का माखन चुरा के गोपियों के वस्त्र चुरा लेता है तू लफंगा रास का बहाना करता है और छेड़ खानिया करता है बैड टच करता है है कोई ऐसा इंसान ईसा को तो लटका देते हैं और लटकाने से पहले वह सलीप भी उसे ही उठानी पड़ती जिस पहाड़ी पर वह सलीप गाड़ी गई उस पहाड़ी तक ईसा को खुद अपने मोड़ों के ऊपर रख व लीब डोनी पड़ी फिर उसको गाड़ना पड़ा खुद फिर उस पर चढ़ना पड़ा उसके हाथ पाव बन दिए केलो से तुम महान तो बनना चाहते हो लेकिन बिना दुख झेले महान बनना चाहते हो य तुम्हारी तमन्ना कभी पूरी नहीं हो ग महान बनना है तो लफा जियों से महान नहीं होते कुर्बानियों से महान होते हैं दुखों को सहन करने से महान होते हैं ऐसे कभी कोई महान हुआ है कागज के फूलों में खुशबू नहीं होती कागज की लफा जियां महान नहीं बनाती और वो प्रेम का मसीहा कहता गॉड ओ गड फॉरगिव देम उन्हें माफ कर देना बिकॉज दे डोंट नो व देर ड क वह जानते नहीं वो क्या कर रहे हैं तुम हसते हो तुम तमाशा और वह परमात्मा से प्रार्थना करते हैं फिर तुम कहते हो ईसाई गलत है नहीं जिसने कुर्बानी दी उसको आइकॉन बना लेना कहां गलती है तुमने भी तो ऐसा किया राम ने कुर्बानी दी तुम तुमने राम को आइकॉन बना लिया कृष्ण ने कुर्बानी दी तुमने कृष्ण को आइकॉन बना लिया गलत क्या है इसमें ढंग तो वही है कुर्बानी दी हजरत ने कुर्बानी दी ऐसे ही कोई रातों रातों डनलप के पिलोस के ऊपर पड़ा पड़ा महान नहीं हुआ करता महान होता है दुखों को सहन करके पीड़ा को सहन करके उस आग के भीतर से गुजर कर ही सीता अग्नि परीक्षा दे पाती है श्री कृष्ण [संगीत] गोविंद हरे मुरारी [संगीत] हे [संगीत] नाथ नारा वासुदेव श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी [संगीत] हे नाथ नारायण वासुदेव तुध बिन [संगीत] रोग रजाई आध [संगीत] ओढन तुत बिन उसके राह के अगर तुम्हारे मन को तड़पा रही है तो रजाइया अच्छी नहीं लगती तुध बिन रोग रजाया दे ओढन नाग निवासा दे रहना [संगीत] जैसे सांपों के साथ रह रहा हूं मित्र प्यार न कह देना जाके उसे हाल मुरी दाद कहना मित्र प्यारे न मुर्शद से कह र है मैं तड़प रहा हूं मेरे हाल कह देना जाके तुम रोज जाते हो उसके पास मेरा वृतांत भी सुना देना कि कैसे बीत रही है मेरी जिंदगानी यार द सन सथ चंगी तो मिल जाए तो मौत भी मंजूर यार दी सान सर चंगी त मिल जाए तो मौत भी अच्छी पठ खड़ आ देरे लेकिन खेड़ो के महलों में रहना आरामदायक बिछोना प सोना आग की चिता में रहने के समान है मित्र प्यार न हाल मुरीदा देखके [संगीत] तेरे प्यारे न गोपाला तेरा प्यारा नाम है भज राधे गोविंदा गोपाला तेरा प्यारा नाम है गोपाला तेरा प्यारा नाम है नंदलाला तेरा प्यारा नाम है भज राधे गोविंदा गोपाला तेरा प्यारा नाम है बज राधे गोविंदा गोपाला तेरा प्यारा नाम [संगीत] है धन्यवाद


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