आनंद! कैसे मिलता है वह आनंद? जिसे तुम समझते हो, वह आनंद नहीं है! Japji Sahib Pauri 33rd

 


गुरु नाम सिंह इटली से आप अक्सर जपजी साहब की एक शब्द दोहराते हैं अखन जोर चुपे ना जोर कृपया इस पूड़ी का विस्तार से वर्णन करने का कष्ट करें उससे पहले एक छोटा सा प्रश्न जो रह गया था मोरल 11 अध्याय के 32 33 34 यह तीन श्लोक इनका मोरल क्या है बाबा इनका मोरल य है कि आप उसके हाथों में अपनी नाव की पतवार सौप दो वो सुख दे तो फूल मत जाना वह दुख दे तो रोने मत लग जाना सहज स्वीकृत होना चाहिए आपका जीवन जैसा वो करे ठीक करे व दर्दों में रखे वो खुशियों में रखे मान बताने आज हर चीज से लड़ाई मूल ली है और मानव कहता है कि मैंने जीत लिया ठीक


जीत लिया लेकिन सब कुछ जीत के भी वो नहीं पा सका जिसकी जरूरत है और यही बदनसीबी है तुम मांगते हो खुशियां मिलती हैं बदनसीब तुम होना चाहते हो आनंद के गर्त में गिर जाते हो दुखों के यह हमारी बदनसीबी जो नहीं तो और क्या है कि उसी के हो गए हम जो ना हो सका हमारा कोशिश की थी दुख ना आए और दुख ही आ गया जीवन एक दुख हो गया 11वें अध्याय के 32 33 34 हे अर्जुन यह सब मेरे मारे हुए लोग हैं इनको तू मार दे और उनका शरीर ले ले उल्टे शब्द हैं और भाषा अल्पज्ञ है इसलिए ऐसे बोलने पड़ते हैं कृष्ण भी मजबूर सभी संत भी मजबूर भाषा में जो सता है गागर में जो सता


है वह सागर नहीं होता इसलिए गागर में जो होता है उसी से संतोष करना चाहिए गागर को इन तीन लोको का यही अर्थ मैंने आपको बताया कि करता तो मैं हूं तुम बोझा उठाते हो अपने सर के ऊपर इस बोझे को पटक दो ना तुम कुछ करते हो ना तुम कुछ कर सकते हो संतों का दर्शन संतों का अनुभव यहां आकर ठहर जाता है इसलिए संत हर दशा में राजी होता है संत औरंगजेब के सामने बैठकर उसकी लंबी नंगी तलवार से शीश कटवाना ठीक समझता है जो तुध पावे लेकिन संत फूलों की सेज के ऊपर उसकी रजा के बिना नहीं सोना चाहता संत उसकी रजा में रहना चाहता है और जरा भी उसे तकलीफ नहीं


होती इसमें वह अपनी खुशनसीबी समझता है परमात्मा का हुकम मानना संत के लिए खुशनसीबी है यही है उसके अर्थ एक उदाहरण से मैंने समझाया था कि तुम परीक्षा देते हो परीक्षा के नंबर यह तुम्हारी समझ में आ जाता है वह फल तुम्हें दे देता है लेकिन दूसरा भी समझाया था कि जिसको वह मार देता है वह मारने योग्य है इसलिए मार देता है हिसाब मत मांगो हिसाब मांगोगे तो दुखी रहोगे और सारी दुनिया सारा विश्व सुख चाहता है राह पकड़ ली उसने दुख की इच्छा है उसकी सुख की यह कभी पूरी नहीं होगी प्रश्न पूछते हो के मुक्त होने के बाद भी अगर कोई बूंद


उड़ गई संसार में आ गई संसार से इतना डर लगता है यहां तो बहुत से लोग मैंने देखे जो मुक्त होना चाहते नहीं जब व्यक्ति मौन हो जाता है उसकी एक निशानी है प्रश्न खत्म हो जाते हैं जिस घड़ी तुम परम मोन में उतर जाओगे सबसे पहला लक्षण तुम परम मोन में उतर जाओगे तुम प्रश्न ना पूछोगे मिल क्या सब कुछ जो मिलने जैसा है मिल गया और शेष ना रहा अपने जीवन की बागडोर उसके हाथों में दे दो और तुम निश्चिंत हो जाओ सर्व धर्मा प्रत्य माम कम शरण तुम निश्चिंत हो जाओ अहम तवाम सर्व पापे मोक्ष श्याम मास च तू फिक्र मत कर तो मुझे सौप दे अपने जीवन की


बागडोर जपजी साहब के 33 में पड़ी इटली से पूछा है लेकिन इसका मैं व्याख्यान तो पहले भी कर चुका हूं एक गुजारिश है कि मैं मल्टी डायमेंशन अर्थ दिया करता हूं पहले अर्थों को खंगाल मत लग जाना सत्व वही पाओगे लेकिन परिभाषाएं थोड़ी बदल जाएंगी तो आइए हम 33 पौड़ी में चले जपजी साहब के आखन जोर चुपे ना जोर जोर ना मंग दे ना जोर बाबा नानक जोर किसे कहते हैं जोर की परिभाषा क्या है जपजी साहब में जोर शब्द का अर्थ बाबा नानक करते हैं आनंद से जोर का मतलब आनंद आइए आगे चलते हैं जहां जोर शब्द बोलूं वहां आनंद समझ लेना साधो आनंद गया मन


मोरा आखन जोर चुपे ना जोर जोर ना मंगल देन न जोर तुम जो कहते हो तुम जो चुप्पी करते हो उन दोनों में आनंद नहीं है बाबा कहते हैं तुम्हें आनंद की तलाश है और तुम्हारी चुपी में भी जोर नहीं है ध्यान रखना यह कहते हैं तुम्हारी चुपी जो तुम चुप होते हो और तुम्हारे बोलने में भी आनंद नहीं अखन जोर चुप है ना जोर जोर ना मंग तुम जो मांगते हो उसमें भी आनंद नहीं है तुम तो दुनिया भर की चीजें मांग लेते हो यह भी चाहिए वो भी चाहिए वो भी चाहिए मंग जोर छीनने में भी जोर नहीं है ना मांगने में जोर है ना छीनने में जोर है अखन जोर चुपे ना जोर जोर ना मंग देन ना


जोर दान में भी जोर नहीं मांगने में जोर नहीं दान में जोर नहीं आनंद नहीं तुम दान करते हो आनंद के लिए आनंद के लिए दान नहीं होता तुम्हारी सभी भ्रांतियां तोड़ रहे हैं बाबा मांगने में भी आनंद नहीं दान में भी आनंद नहीं जोर ना जीवन मरण ना चोर तुम जो जीने की कामना करते हो उसमें भी आनंद नहीं है मरने की कामना करते हो उसमें भी आनंद नहीं आखन जोर चुपे ना जोर जोर न मंग देन न जोर जोर न जीवन मर ना जोर तुम्हारे जीवन के भीतर भी कोई आनंद नहीं है बताओ किसीने जीवन में आनंद लिया हो तो जिसको तुम अनंत कहते हो वह सुख होता


है और जिसको तुम सुख कहते हो वो इंद्रियों की स्टिमुलेशन है ध्यान से समझना तुम कोई स्वादिष्ट पदार्थ गाते हो तो तुम्हारे टेस्ट बड्स स्टीमुलेट हो जाते हैं उत्तेजित हो जाते हैं बस उसको तुम कहते हो सुख तुम कहते हो मजा आया बाबा कहते हैं यह मजा जो तुम कहते हो ये सुख आनंद नहीं है आनंद की परिभाषा जितनी गहरी बाबा ने इस पूड़ी में कर दी शायद ही किसी ने की हो जोर ना जीवन मरण ना जोर तुम जीने की इच्छा करते हो या तो मरने की इच्छा करते हो दोनों में आनंद नहीं जीने की कामना से तुम लोगों के के जीवन के पदार्थ छीन लेते हो लेकिन उसमें सुख


नहीं है उसमें आनंद नहीं है या तुम लोगों के जीवन के लिए दान देते हो उसमें भी आनंद नहीं है या तुम मरने की तमन्ना करते हो उसमें भी आनंद नहीं है जो नाराज राज करने में जोर तुम्हारी बड़ी इच्छा होती है मैं दूसरों पर हुकम चलो मेरे कंधों पर स्टार लगे हो फीते लगे हो गने सारे करते हो बाबा कहते उसम आनंद नहीं जोर ना राज राज करने में जोर नहीं है आनंद नहीं है माल धन इकट्ठे माल कहते हैं धन माल में जोर नहीं है धन इकट्ठा कर लो कितना ही इकट्ठा कर लो लोगों को भूखे मार रहे हो पाप कर रहे हो तुम्हारा धन ट्रंक में पड़ा हुआ बैंक


में पड़ा हुआ सड़ जाता है घरों में पड़ा हुआ सोना तुम्हारा किसी काम नहीं लेकिन कोई गरीब भूख मर जाता है उसका पाप तुम्हें लगता है तुम किसी का छीन लेते हो मांगना और बात है छीनना और बात है जोर राज माल मन सोर बड़ा प्यारा शब्द है रोज बोलता तुम्हारे मन के शोरगुल में आनंद नहीं है मौन झील देखी तुमने कभी य सीन साइलेंट लेक क्या होता उसमें कोई तरंग नहीं होती तरंग यानी शौर निस तरंग झील मन होती है उसमें कोई तरंग नहीं होता उसमें कोई शोर नहीं होता झील के साथ कान लगा के देखना जरा भी शोर नहीं मिलेगा समुद्र तो दूरों से ही गर्जना करनी


शुरू कर देता है समुद्र का गर्जन तो तुम्हें दूर से डरा देता है लेकिन झील के साथ कान भी लगाओगे तो भी शोर नहीं मिलेगा जोर ना माल धन इकट्ठा करो [संगीत] राज किसी पर कमांड करने की इच्छा करो हुकम चलाने की व्यवस्था करो मन शोर मन में शोर करो अब ये सोर क्या है सोर मैं जो रोज कहता हूं तुम्हें समझ तुमको मगर नहीं आता सोर सोर है मोन झील में अगर तुम कंकड़ गरा होगे तो भी तरंग उठेगी और ध्यान रखो मन झील में अगर तुम कोहीनूर हीरा रहोगे वो तो कीमती बड़ा है कंकड़ का कोई मूल्य नहीं लेकिन मौन झील में अगर तुम हीरा भी गरा होगे कोहिनूर तो


भी झल तरंग खा जाएग तुम जानबूझ के मर्ख बनते हो यद्यपि किसी को शोर से आनंद आया नहीं इसलिए प्रकृति तुम पर इतनी कृपालु है वह जानती है कि तुम शोर में उत्तेजित होते हो और उत्तेजना को तुम सुख समझते हो उत्तेजना को तुम आनंद समझते हो जबक उत्तेजना आनंद है नहीं तो प्रकृति रोज तुम पर उपकार करती है जो तुम रोज कह देते हो परमात्मा ने हमें क्या दिया प्रकृति ने हमें क्या दिया यह जो रात को तुम आराम की नींद सो जाते हो यह नियामत परमात्मा की है यह प्रकृति की ही नियामत है परमात्मा न्याय कारी है और दयालु भी है दयालु है दिन भर तुम शोर मचाते हो काम


धंधे में किसी को व्यापार का शोर है किसी को ऑफिस का शोर है लेकिन शोर तो शोर है और प्रकृति जानती है शोर हीन अवस्था में तुम जा नहीं सकते उस अवस्था में तो तुम आज भी देखभाल कर रहे हो किस गुरु से मिल जाएगा किस गुरु के पास जाऊं यह मन शोर करना बंद करते मन बड़ा चिल्लाता है भाई चिल्लाएगा शोर मचा मचा के कई जन्मों से इसे संस्कार पड़ गए हैं शोर करने के यह एडिक्टेड हो गया है शोर करने का लत लग गई है मन को शोर करने की और उस लत को ही तुम सुख समझ लेते हो बाबा कहते हैं जोर नाराज हुकुम चलाने में आनंद नहीं है एक एक शब्द को बड़े ध्यान


से गहराई से सुनोगे तो एक शब्द हीत तुम्हे पार ले जाएगा एक शब्द कोई भी उठालो जप जी का एक एक शब्द तुम्हें पार लगा देगा कोई शब्द उठा लो तुम्हारे पास इतनी अतुल संपदा है और तुम भाग रहे हो डेर में शर्म की बात है जहा शोर है जिनको पता ही नहीं उस संत पुरुष के शब्दों को त्याग कर 10 संतों की वाणी को त्याग कर श्री गुरु गोविंद श्री गुरु ग्रंथ साहब श्री गुरु अर्जुन देव इनके शब्दों को त्याग कर तुम डेर के शोरों में उ जाते हो क्यों मैं जानता हूं क्यों क्योंकि तुम्हें शोर की लत है तुम्हें मजा आता है शोर में यह विडंबना नहीं है कि तुम शोर की तरफ


खींच जाते हो तुम देखना तुम सदा उस दुकान पर जाओगे जिस पर ज्यादा ग्राहक है बचपन में मेरि का आदत थी कोई घर का सामान लेने जाता तो जिस दुकान पर रस होता मैं वहां नहीं जाता लोग कहते यहां सस्ती मिलती है मैं उस दुकान पर जाता जो बेचारा इधर के बट्टे उधर रखा बट्टे साफ कर रहा होता कोई गरा नहीं आया उबासी ले रहा होता मुंह में मक्खी घुस जाती है या अपने कंडे तोल तराजू को साफ कर रहा होता और करे का बेचारा उसके पास जाता मैं ले भ ये सामान दे दे हां कितने पैसे बन गए इतने बन गए य बचारे ने उसने भी तो घर चलाना है तुम तो उसके लिए परमात्मा बन के गए वह


तुम्हें कितना आशीर्वाद देगा हम आज हर चीज ऑनलाइन बनाना चाहते हैं हम उन गरीब छोटे व्यापारियों को सोचते ही नहीं जिनका घर आपसे चलता है फिर हम कहते हैं सेठ नहीं होनी चाहिए सेठ तो हम बनाते हैं अगर सभी व्यक्ति थोड़ा सा कष्ट कर ले पर चून के दुकानदारों से सामान लेना शुरू कर दें व सस्ता मिलेगा तुमहे और महंगा भी मिल जाए तो ताजा तो मिलेगा देख पर तो लेकर आओगे और उस गरीब का घर चल जाएगा तुम्हें नहीं पता तुम कितना पुण्य कमा सकते हो गवा देते हो लेकिन पुण्य तुम्हें चाहिए नहीं इसलिए तुम ऑनलाइन मंगा लेते हो आजकल तो खाना भी ऑनलाइन आना शुरू हो


गया है ऐसा रहा तो दुकाने बंद हो जाएंगी यह सारा पाप आपके जिम्मे लगेगा खरीदारी कीजिए कम से कम ग्रोसरी की खरीदारी तो बाजार से कीजिए यह बेचारे तुम्हारे लिए बैठे हैं इनका परिवार चल जाएगा कितने जीवों की बेसरी से इंतजार आपकी है तो मैं सदा उसके पास जाता जिसके पास कोई ग्राहक ना होता दो पैसे ज्यादा लगा लेगा लेकिन इस गरीब का घर तो चल जाएगा सोच उल्टी थी शुरू सेही खोपड़ी उल्टी थी आज भी थोड़ा थोड़ा पागल ज्यादा ही हो गया हू पहले थोड़ा कमती था अब थोड़ा ज्यादा हो गया सोरना राज माल मनसूर हुकम चलाने में यह बार-बार मैं क्यों बोल


रहा हूं मुझे कई बार कमेंट पहले आ जाते थे अब तो लोग समझदार हो गए जोर नाराज हुकम चलाने में आनंद नहीं माल धन इकट्ठा करने में एक एक शब्द का बड़ा गहरा अर्थ है तुम तो पढ़ देते हो 28 मिनट में यह बात अलग है धन इकट्ठा करने में बड़े-बड़े सेठ बनने में क्या करोगे भाई सेठ बन के एक नंबर के सेठ बन के क्या करोगे कितने आए और कितने चले गए इन हीरे मोतियों को लौकर के भीतर जोड़कर क्या करोगे तेरे पास है हीर मो मेरे मन मन दिर में [संगीत] जोत तेरे पास है हीर मोती मेरे मन मन मंदिर में जोती कौन हुआ धनवान रे वनदे कौन हुआ


धनवान रे बंदे झूठी तेरी शान रे मत कर तू [संगीत] अभिमान मत कर तू अभिमान रे बंदे मत कर तू अभिमान तेरे पास है हीरे मोती मेरे मन मंदिर में जोती बड़ा सुंदर सवाल है तो लेखक पूछता है बताओ कौन हुआ धनवान धनवान कौन है बताओ तुम जिसे धन समझते हो बाबा कहते हैं वह धन है नहीं जोर नाराज माल मन सोर हुकम चलाने में गदि में आनंद है नहीं तुम मौज से चलाओ तुम्हें कोई नहीं रोकता झूठ बोलो प्रचार करो पाट के दफ्तर खोलो लोगों को लूटो कोई नहीं रोकता जिसकी लाठी उसी की भैंस लेकिन एक बात बाबा की ध्यान से सुन लेना जिस आनंद की तलाश तुम्हारा अंतस चाहता है वह ना


मिलेगा और वह ना मिलेगा तो फिर कुछ भी ना मिला एक तूना [संगीत] मेरा एक तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या है मेरा दिल ना [संगीत] खिला मेरा दिल ना खिला सारी बगिया खिले भी तो क्या है एक तू ना मिला अगर वो तृप्ति ना मिले आनंद मिला रस ना मिला तो सारी दुनिया फीकी रस के बिना नीरस सारी दुनिया बाबा यही बात तुम्हें समझाने य जप जी को बोलते हैं आनंद नहीं है राज [संगीत] में आनंद नहीं है माल में आनंद नहीं है मन के शोर में तुम भी चाहते हो इस मन के शोर को कैसे विदा कर दे मेरे पास 9 प्रतिशत मरीज इसी रोग के आते हैं बाबा मन शांत


नहीं होता और फिर फिर तुम उन लोगों के पास जाते हो जो नाम दान देते सर है मैंने कहा मौन झील में कंकड़ फेंकू या कोहिन और हीरा लहरें तो उठेंगी वह लहर ही शोर है शोर की परिभाषा को ठीक से समझ लो तो बाबा कहते हैं तुम्हारी चुप्पी में भी कोई जोर नहीं तुम्हारी चुप्पी में आनंद नहीं तुम्हारी चुप्पी बनावटी है बोलने में तो है ही नहीं तुम्हारी चुप्पी में भी आनंद नहीं है जोर नाराज माल मन सोर सारी दुनिया आज इस व्याधि से कसित है मन के शोर से ग्रसित है और तुम्हें पता नहीं तुम भूल जाते हो यहां से सुनक जाओगे दुकान पर जाकर भूल


जाओगे ऑफिस में जाकर भूल जाओगे यह मन का सोर है और अगर मन का सोर मिट जाए तो भरी भीड़ के बाजार में खड़े रहो तुम अलबेले मस्ताने आनंद से भरे पूरे स्थिर खड़े रहोगे तुम्हें कोई चीज विचलित नहीं कर सकती मन का शोर हट जाए मन खुद ही शोर है मन का शोर हट जाए तो भरी भीड़ में भी तुम शांत रह सकते हो यही तो तुम्हें आता नहीं जोर नाराज माल मनसोर एक एक शब्द को सुनना और एक एक शब्द को जिसमें आनंद नहीं उसको त्यागना यह सिर्फ सुनने के लिए नहीं इस पर अमर भी करना होता है तभी मिलेगी वह मंजिल जिसकी तलाश में जपजी लिखी गई बाबा ने पाकी


लिखी और जो पाके लिखता है वही सच्चा संत होता है जो पहले बोल देता है और पता होता नहीं वह तो झूठा होता है इसलिए आज झूठों की कतार लगी है जानता कोई नहीं मैं जानता हूं उनकी तकलीफ दो हर्फ में बोल दूं पापी पेट का सवाल है क्या करें बेचारे परिवार उन्होंने भी पालना है और कोई ऑप्शन बची नहीं तो फिर झूठ बोलो झूठ बोलो जितनी बोल सको उतनी बोलो फिर ही तुम राज कर सकोगे अन्यथा तुम राज नहीं कर सकोगे फिर ही तुम धन जोड़ सकोगे अन्यथा तुम धन नहीं जोड़ सकोगे फिर ही तुम्हारा अगर मीडिया बोलेगा तुम्हारा गुणगान करेगा पांव पूजेंगे लोग आके और तुम शोर


में खुश होते हो जितने ज्यादा फॉलोवर्स उतने तुम प्रसन्न होते हो कहते हैं बाबा हुकम चलाने में आनंद नहीं है हुकम मानने में आनंद है हुकम मानने में आनंद है गौर से सुनना मेरी बात मैं बीच में आपको मन के शोर को हटाने की जुगत भी बता रहा हूं हुक्म अंदर सबको बाहर हुक्म ना कोई यह एक सत्य जीवन का प्रत्यक संत देखता है अपने जीवन के आखिरी छोर पर क्या हुक्म है अंदर सबको तुम कहते हो मैं करता हूं मेरे बिना कैसे कु कोई करेगा बाबा कहते हैं तुम अपनी इच्छा से मर भी तो नहीं सकते बताओ किसकी इच्छा से जन्म हुआ आज एक बाबा बोल रहे


थे जो मां-बाप अपने बच्चों को खुश ना दे सके उनको बच्चे पैदा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए अब इस मूर्ख को यह नहीं पता कि मां-बाप बच्चे तो पैदा कर देते हैं तुम इतने बड़े जो हुए हो कुछ और भी तो उन्होंने किया होगा लेकिन दुनिया ल लल ललल करके उसके पीछे पड़ी है और मैं हैरान इसके दिमाग का उपचार होना चाहिए इसके दिमाग को कसौटी पर कसना चाहिए मेरी दृष्टि से यह व्यक्ति नशेड़ी है मेरी दृष्टि से अन्यथा ऐसी खतरनाक बातें गलत है मां-बाप जीवन देते हैं ठीक है कुछ अपेक्षाएं होती हैं माता की पिता की दे दिया होगा जन्म


लेकिन उसके बाद वह रातें तुम भूल गए जो मां खुद सर्दियों में गीले बिस्तर पर सोई तुम्हें सूखे बिस्तर पर सुलाया तुम भूल गए वह पिता जिसने सारा इंतजाम किया तुम्हारा आज तुम बोलने के योग्य हो गए तो आज तुमने फतिया कसनी शुरू कर दी लोगों को बता ना शुरू कर दिया बड़ा महत उपदेश है बाबा इतना महत उपदेश तो कभी किसी ने किया नहीं था और अच्छा है अगर लोग आपकी बात को मान ले लेकिन कौन मानता है भारत तो वैसे भी जनसंख्या को घटाना चाहता है ये दोगले लोगों से सावधान एक व्यक्ति तीन बच्चे पैदा करें और कहते जनसंख्या घटा नहीं है कैसे घटेगी भाई जनसंख्या हमारे पास


थोड़ा सा एरिया है हमारी जनसंख्या बहुत ज्यादा है तो इन जनसंख्या को जमीन की संख्या के हिसाब से घटाओ बाहर भेजो कुछ करो थोड़ी घटाओ इसको या प्रॉपर्टी लेके आओ जोर नाराज माल मनसोर हुक्म अंदर सबको बाहर हुक्म ना कोई एक सत्य अगर तुमने जिस दिन जान लिया यह सत्य तुमने जिस दिन जान लिया अपनी नगन आंखों से किसी शास्त्र से या व्यक्ति से सुन के नहीं मुझे सुनक नहीं या तुम्हारी किसी गुरु से सुन के नहीं संदेह बना ही रहेगा अगर मेरी बातों पर यकीन करोगे इसलिए मैं कहता हूं यकीन मत करना चल के देखना मैंने बोला ताजमहल है तो कोई ज्यादा दूर


नहीं है यह रहा आगरा बैठो गाड़ी में देखो ताजमहल है फिर यकीन करो यकीन तो हो जाएगा क्योंकि संतों ने अपनी आंखों से देखा और संत झूठ नहीं बोलता बोलेगा भी क्यों उसकी अपनी कोई इच्छा नहीं है झूठ भी काहे बोलेगा बाहर हुकम ना कोई है बाबा कहते हैं हुक्म के बाहर कुछ नहीं और सारे संत कहते हैं करता वही है करतार वही तुम गुस्सा कर सकते हो तर्क कर सकते हो कैसे पूछ सकते हो या जो कल व्यक्ति झारखंड से प्रश्न पूछा ऐसा प्रश्न पूछ सकते हो क्योंकि तुमने इतनी लंबी लाइन छेड़ ली है पागल खानों की उस लाइनों से प्रश्न नहीं उठेंगे और


प्रश्नों में से प्रश्न नहीं उठेंगे तुमने समाधान तो कभी दिया नहीं तुम रुके तो कभी है ही नहीं कहीं तो रुको जाके बुध जाकर रुक गए आत्मा प कि तुम शरीर नहीं तुम मन नहीं यह भी बहुत बड़ा फार्मूला था तुम्हें शांत करने का मन तो शांत हो गया मन तो चुप्पी को धार लेता है और मन की चुप्पी महत् उपलब्धि है मन को अगर तुम चुप कराने में कामयाब हो गए तो यह तुम्हारी महत्व उपलब्धि हो ग हुकम है अंदर सबको इन शब्द को मैं बार-बार आपके भीतर भेजने की कोशिश कर रहा हूं किसी ना किसी तरह यह तुम्हारी खोपड़ी को चीर के तुम्हारे अंत स्थल में उतर


जाए क्योंकि यह सत्य है और आंखों देखी सत्य है इसलिए बार-बार चेष्टा करता हूं कि यह सत्य किसी ना किसी तरह तुम्हारे प्राणों को बध जाए और तुम देखने पर उतारू हो जाओ अभी तो तुम चलते नहीं बातें करते हो चले तो है नहीं नानक हुकम जे बुझे बूझना बूझना का मतलब जो मिल गया जिसने यह सत्य पा लिया क्या कि करता वही है तुम कुछ नहीं करते तुम कुछ नहीं कर सकते यह संत कहता है और संत साथ में यह भी बात कहता है कि तुम मेरी बातों के पीछे मत चल लेना वह शांति तो होगी लेकिन नकली शांति होगी यह बिल्कुल वही फूल होंगे जो राजनीतिक तुम्हें देते हैं लफा जीी के


अच्छे दिन आएंगे यह लफा जीी के फूल है इनमें खुशबू नहीं होती अच्छी दिन कभी नहीं होते मैंने अपने हाथों से 8 तोला सोना खरीदा अपने हाथों से 128 का 10 ग्राम आज क्या भाव है अच्छे दिन तो कब के आ चुके हैं तो कभी नहीं आएंगे सरकार कोई भी आ जाए इसलिए मैं कहता हूं सब लुटेरे हैं मुझे पूछ लेते हैं लोग बाबा आपने वोट डालते मैंने कहा सब लुटे रहे हैं जो बैठे हैं उनको बैठे रहने दो नए ज्यादा लूटेंगे क्योंकि 152 साल से लूट हुई नहीं पेट खाली हो गए खजाने भी खाली हो गए जिन्होंने लूट लि या उनके पेट भर गए वह थोड़ा कम लूटेंगे इनको ही बैठे रहने


दो जो नए आएंगे वह पहले अपना पेट भरेंगे एक राजा के मंत्री ने बहुत बड़ा गपला कर लिया था पकड़ा गया राजा ने उसको बर्खास्त कर दिया उसकी धर्म पत्नी को उसने राजा के पास भेजा कि तू एक प्रार्थना लेकर जा कि तुम्हारा महामंत्री तुम्हारे से एक बार मिलना चाहता है तुम चाहे घर आ जाओ नहीं तो मैं तुम्हारे दरबार में आ जाता हूं राजा कहने लगा ठीक है एक बार उसको दरबार में भेज दो दरबार में चला गया महामंत्री घुटनों के बल बैठ ग हाथ जोड़ के कहता महाराज एक बात कहूं देश हित में है अगर मानो तो कहो गपला तो मैंने किया है पकड़ा भी गया


इंकार भी नहीं करता यह जो मैंने इतनी बिल्डिंग बनाई शीष महल बनाए यह बनाए लोगों का था टैक्स का माल था मैं खा गया लेकिन बात सुनो मैंने अपना कोटा पूरा कर लिया मेरा पेट भर गया डकार आ गई अब मैं संतुष्ट हुआ अब मैं चाहूं भी तो मेरा मन नहीं करता बेईमानी करने को मेरा पेट दब गया मैं राज्य गया मैं तृप्त हुआ अगर कोई नया तुम चुनो ग वह फिर से लूटेगा फिर से अपना पेट भरेगा फिर से धाप पेगा फिर से रजे फिर से तृप्त होगा तो बड़ा नुकसान कर बैठोगे आप देश का इससे अच्छा मेरे को ही रखलो राजा को बात च राजा कहते ठीक बात तो समझ में आई


समझदारी की है ठीक है तुम ही आ जाओ जिन्होंने लूट लिया है बिल्कुल लूट लिया है प्रमाण है तुम्हारे पास 7 हज करोड़ का घपला और अगले दिन वित्त मंत्री बन जाता भाई ठीक है बने रहो चलो तुम दप गए हो और तो नहीं करोगे चलो तुम बने रहो हम तो जनता है पता नहीं तुम्हारी नजर जोगी हम तो लुट गए तेरे प्यार में जाने तुमको हो जाने तुमको खबर कब होगी लूटते जाओ कोई बात हम तो लुटने वाले हैं लुटते ही रहेंगे हम राज करने से रहे हमय गोरख धंधे आते नहीं बेईमानी के मजबूर है हुक्म अंदर सब को बाहर हुक्म न कोई नानक हुक्म जे बुझे बड़ा प्यारा शब्द


है बाबा नानक कहते हैं कि जिसने यह बूझ लिया बूझ लिया का मतलब मान लिया नहीं होता य किशोरिया कहती फिरती है मान लो मानना म यह खतरनाक है यह बाद में लेदर के वो महंगे महंगे एयरपोर्ट पर पकड़ी जाएंगे कहानी सुनाने के लाखों ले लेती हैं कहानी सुनाने के सत्य उनमें होता नहीं और सत्य सुनाने वालों को दंडित करते हो कमेंट करते हो भाई इतने ही पहुंच गए हो तो मत सुना करो नानक हुकम जे बुझे तहु में कहे ना कोय बाबा जड़ पकड़ते हैं मैं इस एक अर्थ पर क्यों खड़ा हूं इतनी देर से इन दो शब्दों के साथ मैं क्यों चिपक गया हूं क्योंकि यह तुम्हारे जीवन मरण का


सवाल यह दो शब्द किसी तरह तुम्हारे अंतस में उतर जाए तुम्हारे प्राणों को बध के तीर की तरह तुम्हारे हृदय को बध के भीतर उतर जाए इसी कोशिश में ठीक किया गुरु नाम ने यह प्रश्न पूछ के बाबा कहते हैं कि अगर तुम अपनी आंखों से देख लो वह ही चलाता है तो तुम्हारा भ्रम खत्म हो जाएगा और तुम भ्रम के कारण ही दुखी हो तुम्हारे दुख का कारण इल्यूजन है भ्रम टूट जाएगा तुम्हारे देखने से सत्य असत्य के भ्रम को तोड़ देता है शब्द को एक एक शब्द को गहरे से समझना तो पार लग जाओगे बड़ा मजा है बड़ा आनंद है वहां हम तुम्हारे लटके चेहरों को देख देख


देख कर रोते हैं कोई वक्त आएगा तुम भी हमारे बच्चे हो कोई वक्त आएगा जब तुम हमारी तरह भीतर से आनंदित हो पुलकित होग अश्रु धाराएं बहंगी विफलता की करुणा के सागर की तरह तुम्हारी आंखें अश्क बहाए कभी ऐसा बला आएगा संत तुमसे कुछ मांगता नहीं वही संत है संत तुम्हें भ्रम से मुक्त करना चाहता है और संत तुम्हारा ब्रम अच्छी तरह से जानता है कि तुम ब्रह्म के कारण दुखी हो ये दो अल्फाज बाबा का कौन सा अल्फाज है जो तुम भ्रम से मुक्त नहीं करता एक एक शब्द की चोट और तुम आनंद में चले जाओगे लेकिन तुम समझते नहीं तुम अक्षरों से चिपट जाते हो


और कई बार तो तुम मेरे अक्षरों को ठीक करने में लग जाते हो बाबा आकाश नहीं आगाश आगाश नहीं आकाश क्या फर्क है तुम व्याकरण को शुद्धि देखने आए थे या आनंद लेने आए थे ऐसे ऐसे श्रावक भी मेरे पास आते हैं हुकम है अंदर सबको फिर सुन लो इसे हृदय में उतार लो मैं बाजि हूं कि किसी तरह यह उतर जाए यह पंक्तियां जप जी की तुम्हारे भीतर उतर जाए और तुम चल पड़ो और देख लो अपनी नगन आंखों से और तुम्हारे सब भ्रम के जाले टूट जाए ये काई हट जाए ब्रह्म की स्वच्छ पानी के निर्मल पानी के दर्शन हो जाए तुम्हारी प्यास हो जाए हुकम अंदर सबको बाहर हुकम ना


कोई ये सत्य की बात है कोई गाने के शब्द नहीं है यह यह वह सत्य जो अंतर तम गहराइयों में झांका गया देखा गया संतों के द्वारा जिन्होंने अपने अहंकार को ध्वस्त किया अग्नि में भसम किया और वहां पहुंचे राख बने पहुंचे और अपनी नगन आंखों से देखा इसलिए कबीर कहते हैं तुम कहते कागद की लेखी और मैं कहता आंखन देखे मैं आंखों देखे कहता हूं तुम्ह आंखों देख लोगे तो लटके हुए चेहरे बड़े आनंद से हो जाएंगे बड़ी खुशहाली है बड़ी मौज मस्ती है झूमो वहां जाकर जरा एक बार बाबा की बात मान लो जिसने माना वह आनंद के गहरे समुद्र के तलों में उतर


गया जिसने नहीं माना वह किनारे पर बैठा बैठा दुखी होता रहा हुक्म है अंदर सबको तुम कहते हो मैं करता हूं बाबा कहता नहीं तुम नहीं करते हो बाबा ने देखा अपनी आंखों से तुम्हें खोपड़ी से तुमने खोपड़ी से अनुमान लगाया अनुमान गलत हुआ दर्शन गलत नहीं होता बाहर हुकम ना कोई कुछ भी नहीं है जो हुकम से बाहर हो मैंने तुम्हें बताई अपनी जिंदगी की बातें और मैंने जिंदगी में अनुभव भी किया कोई परीक्षा की बात नहीं थी यह घटित हुआ उसकी ही कृपा और जिस पर वो कृपा करे सच्चा साहब ज नदर करे ते कागो हंस कर कोवे को हंस बना देता है वो अगर वह कृपा


करे लेकिन वह पानी तो पिला दे तुम अंजलि भी तो बांधो तुम झुको भी तो तुम झुकने को तैयार नहीं होते और चाहते हो प्यास बुझ जाए यह दुविधा है तुम्हारी सभी धर्म तुम्हें झुकना सिखाते हैं वो चाहे नमाज हो वो चाहे प्रणाम हो व चाहे दंडवत प्रणाम सभी धर्म तुम्हें झुकना सिखाते हैं लेकिन तुम झुक नहीं पाते तुम्हारा शरीर झुकता है तुम नहीं झुकते तुम पोचर बना लेते हो शरीर का झुकने का अहंकार तो और मजबूत हो जाता है हम झुके और मजबूत हो जाता है नानक हुकम जे बुझे जिसने नगन आंखों से य सत्य देख लिया कि वही करता है यह चांद तारे यह हवाएं यह


पत्ते यह खुशबूदार फूल यह आनंद की घड़ियां यह प्यार की बारिश सब उसके कहने से होती है वो ना चाहे तो कुछ नहीं होता वो चाहे तो दिन निकलता है व चाहे तो रात होती है उसकी इच्छा के बिना वक ही पता नहीं लता लेकिन तुम्हारी बुद्धि इस बात को मानने को तैयार नहीं इसलिए मैं कहता हूं बुद्धि बड़ी से बड़ी रुकावट है इतना आनंद तुम रने पी सकते थे आनंद के बुद्धि ने तुम्हें मार दिया बुद्धि ने तुम्हारा चैन सब सरूर खुशी सब छीन तुम्हारी बुद्धि सबसे बड़ा रोड़ा है तुम्हारी अपनी ही बुद्धि नानक हुकम जे पूछे देखिए नानक कहते हैं देखना पड़ेगा अपनी आंखों से


मानने मानने से कुछ नहीं होगा मानने से शुरुआत हो सकती है लेकिन शुरुआत मंजिल नहीं होती शुरुआत मार्ग के पहले छोर से करनी होती है और मंजिल मार्ग के अंतिम छोर पर होती है जो बूझ लेता है इस बात को आंखों से देख लेता है हम कहे ना कोई वह फिर नहीं कहेगा कि मैं करता हूं अकता बनने की कोशिश मत करना इस सत्य को देखने की चाहत करना कैसे देख लू मैं भी सत्य संत छुपाता नहीं तुमसे कुछ क्योंकि संत जानता है मैंने जब देखा अपनी आंखों से वही सत्य है और तुम भी देखोगे तो पाओगे सत्य यही है और तुम्हारे भर्म टूट जाएंगे लेकिन देखने के


बाद तो चलने की कोशिश करो सबसे पहले जो चला वो पहुंचा जिसने खोजा उसने पाया जोर ना माल मान जोर ना राज माल मन सोर आनंद नहीं है राज गद्दिया में माल में मन के शोर में मन का शोर मन का सोर होता है वह कुछ भी हो लाउड स्पीकर लगा के जागरण कर लो कोई भी नाम जप लो कोई भी नाम जप लो तुम राधी करने से तर जाओगे मुसलमान अल्लाह करने से तर जाएंगे सिख वह गुरु करने से तर जाएंगे सबकी मान्यताएं हैं लेकिन कोई कुछ कहने से नहीं तरता यह डूबने वाली बेड़ियां हैं नाम कोई जहाज नहीं होता नाम डुबो देता है नाम के जहाज पर भूल के मत बैठ


जाना पार नहीं उतारे यह कागज के यह कागज के जहाज कागज की कश्तियों पर गलती से सवार मत हो जाना डूब जाओगे ऐसे ही बने रहना ज्यादा बेहतर है जोर ना राज माल मन सोर जोर ना सुरती ज्ञान विचार तुम जो सुरति लगाते हो कंसंट्रेशन करते हो उसमें भी कोई आनंद नहीं है एक चीज को एक भ्रांति को पूरे हथोड़े घण मार मार के तोड़ते हैं बाबा जोर ना सुरती तुम सुरती लगाते हो मुझे रोज फोन आ जाता है बाबा ध्यान लगाए किस पर मैंने कहा किसी पर नहीं ध्यान को खुला छोड़ दो यह शक्ति है जहां जाए जाए तो फिर फिर तो ये गलत मार्ग पर ले जाएगी कैसे ले जाएगी तुम इसके पीछे मत चलो


ना गलत मार्ग पे तुम चलोगे तो ले जाएगी ना वासना तो उठेगी सबके उठती हैं लेकिन संत वासनाओं को नचाता है और तुम वासना तुम्हें नचाते हैं इतना ही फर्क होता है अल्फाज उल्ट पल्ट किए जोर ना सुरती तुम कंसंट्रेशन करते हो उसमें आनंद नहीं है बात सुनो आनंद की बात कर रहे हैं बाबा जोर शब्द का अर्थ मैंने बहुत अर्थ पढ़े संतों के जपजी प लेकिन मुझे आनंद शब्द नहीं मिला जोर का बल पावर यहां जोर का मतलब आनंद है जोर नस जोर न सुरती ज्ञान विचार बड़े ज्ञान इकट्ठे किए तुमने बड़े विचार करते हो तुम इस तुक का यह अर्थ है इस तुक का यह


अर्थ है इस तुक का यह ज्ञान है बाबा कहते हैं कोई इसमें आनंद नहीं छोड़ दो इनको जिसमें आनंद नहीं बा कहते उनको छोड़ दो जोर ना सुरती ज्ञान विचार जोर ना जुगती छूटे संसार ये सब जगतिया है आसन लगाओ प्राणायाम करो मत आसन करो चक्रासन करो सब युक्तियां नाचो गाओ झूमो खेलो कुतो सब युक्ति बाबा कहते कोई युक्ति काम नहीं पड़ेगी बाबा सब युक्तियों पर पोचा फेर देते हैं विज्ञान भैरव तंत्र की 112 विधियां जो शंकर ने बनाई शिव ने बताई उन पर पोचा स्वाइप ऑफ कर देते हैं इसमें कोई जोर नहीं आनंद नहीं है इनमें छोड़ दो इनको बड़ी हैरानी की बात है बड़े


क्रांतिकारी शब्द है जोर ना जुक्ति छूटे संसार तुम्हारी किसी भी युक्ति में नाम भी एक युक्ति है सुमर भी एक युक्ति है अखंड पाठ खुराना भी एक युक्ति है तुम इनको बिगाड़ लेते हो शुरुआत इनकी किसी और ढंग से थी स्मरण उसकी याद आए उसको स्मरण में डाल लिया गया ध्यान रखना स्मरण का मतलब उसकी याद आई जैसे प्रेमिका को याद आती है प्रेम की और प्रेम को याद आती है प्रेमिका हीर को रांझा और रांझा को हीर याद आती है ऐसे याद आई वह स्मरण और सुमर जो तुम करो जो हीर बैठ के रांझा रांझा करे जो रांझा बैठ के हीर हीर कर वो तुम करते हो


वो सुमर जो याद आता है स्वतः वह स्मरण स्मरण को बिगाड़ लिया गया बस मनुष्य की यही मूर्ता है मनुष्य हर उसकी कृपा को कर्मों में डाल लेता है तुम क्रियाओं में डाल लेते हो है उसकी कृपा उसकी कृपा से याद आता है वह संत कभी कभी मुझे मेरे घर वाले कहते हैं आप अचानक कैसे कर लेते हो किसको करते हो होता तो कोई है नहीं मैंने कहा वही तो है सब जगह और कौन है उसके सिवा मैं जब ऐसे कर लेता हूं बस उसकी याद आई है तो मैंने प्रणाम कर लिया यही कहा था तुलसी ने सियाराम में सब जग जानी करू प्रणाम जोर जुग [संगीत] पानी राम सियाराम


सियाराम जय जय राम राम सियाराम सियाराम जय जय राम वो याद आता है याद आ रही है तेरी याद आ रही है तुम याद करते हो लेकिन जिस याद की बात बाबा करते हैं वह याद आती है समन को तुमने स्मरण बना लिया तुमने शब्दों का अर्थ का अनर्थ कर दिया इसलिए दुखी हो बाबा कहते हैं तुम दुखी मत हो बाबा से तुम्हारा दुख देखा नहीं जाता छोड़ो क्यों छोड़ो 112 विधिया क्यों छोड़ो यह शिव ने बोली क्योंकि तुम अर्थों का अनर्थ कर दोगे बाबा अच्छी तरह से जानते हैं शिव ने गलत नहीं की लेकिन बाबा अच्छी तरह से जानते हैं कि तुम ऐसे मूर्ख हो कि तुम विधियों को गलत करने


लगोगे विधियां कुछ और कहती होंगी कहती होंगी स्मरण तुम करोगे स्मरण इसलिए बाबा कहते हैं छोड़ दो इनको नहीं है इसमें कुछ बाबा एक बड़ा सुखेला रास्ता बताते हैं तुम्हे बड़ा सुंदर रास्ता है वो सीधा सीधा रास्ता चलो आगे चले जोर ना जुगती छूटे संसार किसी भी युक्ति में कोई जोर नहीं जिस हथ जोर कर वेख सोई बाबा कहते हैं तुम्हारे हाथ में कोई जोर नहीं है जिसके हाथ में जोर है जिसने तुम्हें जो आनंद तुम्हें दे सकता है वह कौन वह कर्ता करतार सर्जन हार वह क्रिएटर जिस हाथ जोर कर खे सोय जो तुम्हें आनंद प्रदान कर सकता है वह तुम्हारे जर्रे जर्रे


में साक्षी की तरह विद्यमान है जिस हथ जोर जो तुम्हें आनंद प्रदान कर सकता है कर विख करतार भी वही है और देखता भी वही है कर विख सोई वही करता भी है और वही देखता भी है अब इसका अर्थ अनर्थ कर लिया क्या करें इसको कुछ और का और ही मिलता है इसका अर्थ बाबा कहते हैं किसी चीज में कोई जोर नहीं जो मैंने पहले बोला तो किसके हाथ में आनंद है जिस हथ जोर जिस जिसके पास आनंद है जो आनंद का समुद्र है कर करता है व वही करता है तुम नहीं विख है वही साक्षी सोई जिसके हाथ में आनंद है जो तुम्हें आनंद दे सकता है वह ही कर और वह ही विख है वही साक्षी


है नानक उत्तम नी चना कोई बाबा कहते हैं वह तुम्हें वहां पहुंचा देगा तुम क्या करो जिससे तुम वहां पहुंच जाओ उसके हाथ में आनंद है किसी पदार्थ में आनंद नहीं ओदे में नहीं मान सम्मान में नहीं किसी युक्ति में नहीं जो तुम्हें आनंद दे सकता है जिस हथ जोर कर वह करता है विख है वह साक्षी है सोई वही साक्षी है और वही करता है नानक उत्तम नीश न कोई वही करता है वही देखता है उसके हाथ में आनंद है वह आनंद दे सकता है और वह आनंद देगा तुम क्या करो तुम अपने जीवन की नैया जो कि तुम्हारी है नहीं वास्तव में लेकिन क्योंकि तुम्हें यह भ्रम हो गया


कि यह मेरा है मैं हूं यह जीवन तो कोई बात नहीं तुम्हारे ही अल्फाज वर्त लेते हैं तुम अपने जीवन की नैया की पदवार उस विराट के हाथ में दे दो जो करता भी है और जो साक्षी भी है फ वो तुम्हें पहुंचा देगा जहां जहां आनंद ही आनंद है नान अगर तुमने अपने जीवन की पतवार उसके हाथ में सौंप दी है तो पहले से ही उसके हाथ में तुम्हें भ्रम है कि मैं चलाता हूं लेकिन बाबा कहते हैं कोई बात नहीं तुम सत्य को नहीं जानते क्षमा योग्य हो कोई अपराध नहीं किया तुमने जितने का अपराध किया है उसका फल तुम्हें मिल रहा है दुख के रूप में यह


लटके हुए चेहरे ये चारों तरफ त्रा ही त्रा है यह दीन दुखियों की पुकार है यह लुटे हुए लोग यह पिटे हुए लोग हर जगह चिल्लाते विदीर्ण स्वरों में चीत्कार करते हुए यह फल मिल तो रहा है तुम्हें उसी बेरुखी का परिणाम ही तो है तुमने एक गलत सत्य को माना जो सत्य नहीं था उसके कारण तुम परेशान हो बाबा कहते हैं अपने जीवन की बागडोर नैया की पतवार उसके हाथों में सौप दो वैसे तो पहले भी पतवार उसके हाथ में है व करता है पहले शब्द में ही बाबा बोलते हैं जप जी के एक ओंकार सतनाम कर्ता पुरख और फिर बार-बार तुम्हें याद कराते हैं कि करता वो है तुम


नहीं जिस हथ जोर जो आनंद तुम्हें दे सकता है कर वह करता है विख है वह साक्षी है सोई वही है जो देखता है जो करता है नानक उत्तम ना कोई उसके हाथों में अपने जीवन की पतवार सौप दो तो वह तुम्हें वहां ले जाएगा जहां सब भेद खत्म हो जाते हैं ना कोई उत्तम रहेगा ना कोई नीचे रहेगा ना कोई छोटा होगा ना कोई बड़ा होगा ना कोई ब्राह्मण होगा ना कोई शूद्र होगा कोई भेद ना होगा जहां जाकर तुम अभ हो जाते हो इसे अद्वैतवाद कहते हैं जहां एक रह जाता है एक ओंकार यहीं से शुरू किया बाबा ने और बार-बार यही ले आते हैं बस बांच नहीं वाला


चाहिए समझ नहीं आती तुम उसके हाथ में सौंप दो अपने पतवार को तुम में इतनी समर्थ नहीं कि तुम एक जर्र बना दो लेकिन फिर भी खुद को तुम क्रिएटर माने बैठे हो यह गलत है तुम यह सारा ढांचा सौप दो उसके हाथ में अपने जीवन की पतवार दे दो उसके हाथ में वह सच्चा साहब तुम पर नदर करेगा और तुम्हें कोए से हंस बना देगा नानक उत नी ना कोय जब तुमने अपनी पतवार उसके हाथ में सौंप दी तो वह तुम्हें अभेद में प्रवेश दे देगा जहां तुम्हारे लिए कोई उत्तम ना होगा और कोई नीच ना होगा भेद दृष्टि खत्म हो जाएगी सब तरफ आनंद ही आनंद होगा आनंद पयो


मेरी माय धन्यवाद खि बल को नहीं ना बाबुल भीर नम औखे वेले को नहीं न बाबल वर नम सबे तका देव दे कोई ना पकड़े [संगीत] बा कोई ना पकड़े व रखी चरना दे कोई ना पकड़े रख चरना दे कोल मेरा वाले वालिया मेरा वालेया मेरा वालेया रखी चरना दे कोल मेरा वालिया साइया साइया रखी चरना दे कोल मेरा वालिया साइया साइया रख चर नंद कोल मेरा [संगीत] वालिया सतनाम श्री वाहेगुरु धन्यवाद


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