चकचतीबंधु चार पांच प्रश्न[संगीत]है यक मुश्त इनका जवाबदूंगा क्या परमात्माहै बाबा मैं तुम्हें पूछताहूं क्या परमात्मा है आपने देखा हैक्या हमें हमारी इच्छा केअनुसार चक्र शंख गदा पदम धारण किए हुए औरभगवान दर्शन दे सकतेहैं बुद्ध ने क्यों कहा कि परमात्मा नहींहैउसको पाने के बाद क्या होताहै परमात्माहै तुमने पूछा प्रमाण क्याहै मैंने देखा हैकोईउदाहरण परमात्मा है मैंने देखाहै इसके आगे अगरबोलूंगा तो लड़ाई शब्दों की होग अब तक प्रकटीकरण हुआ अनुभवका आपने मुझसे पूछामैंने जवाब देदिया परमात्माहै मैंने देखाहै इसकाप्रमाण तुम जान लो तुम देख लो तुम्हेंप्रमाण मिल जाएगा शाब्दिक प्रमाण मेरे पासहै तोबहुत लेकिन वो शास्त्रों की लड़ाई हैउनमें से निकलेगा कुछ नहींबस इतना ही जवाब काफीसमझना वह है मैंने देखाहै कोई मानताहै तो उसको प्रणामहै कोई नहीं मानता है उसको भी प्रणामहै कोई दोनों ही नहीं है न्यूट्रल है उसकोभी प्रणाम हैक्या हमारे ढंग केअनुसार चक्रशंखपदम धारण किए हुए हमें भगवान के दर्शन होसकतेहैं बिल्कुल हो सकतेहैं अब छोड़ो उनकोचक्र गता पदम वगैरा कुछोड़ तुम सूंड लगे हाथी की कल्पना भी करलोगे तुम त्रिशूललिए जटा झूठ किए गंगा निकलते हुए हालांकिकिसी के सिर में से गंगानिकले जो भी कल्पनाकरोगे उलू वाहनी गधे के ऊपर शीतला को चढ़दिया जो भी कल्पना करोगे वैसे ही वो दर्शनदेदेगाप्रमाण सातव अध्याय कावाश्लोक गीता केअनुसार मैंने कल के प्रवचन मेंकहा कि मैं दो होनकली में और असलीमें बस यात्रा तो इतनी हीहै नकली में से असली मेंतक तुम्हारे दो स्वरूप हैं एक तुमने खुदबनाया तुम्हारी मान्यताओं के आधार पर औरसारी लड़ाई मान्यताओं कीहै एक जो सत में है आद स जुगा सच है भी सचनानक उससे भीसच वह असली मेंहै वहां कोई झगड़ा नहींहोता कोई आकारनिराकार गुण सगुणनिर्गुण किसी प्रकार का हिंदू मुसलमान वहनहीं होताजहां सब भेद मिटजाए वहां असली मैंहै और उसका लक्षण उसकी पहचान परम आनंद परमखुश इसलिए तो सारा संसार उस खुशी को तलाशरहाहै बस तुम्हें पता नहीं वह मिलेगी कैसेमजे की बात यह है जोअहंकार उस मजे को तलाशहै उस अहंकार के मिटे बिना वह मजा मिलतानहीं यह बात बड़ी गहरीहै अहंकार ही खोजताहै और अहंकार को ही मिटना होताहै क्या हमारे हिसाब से परमात्मा हमेंदर्शन देंगे बिल्कुलदेंगे लीजिए हम सातव अध्याय के 2 श्लोकमेंचलतेकृष्ण सब कुछ है सब विद्याओं के ज्ञाता है64 कलाए संपूर्णहै वह काखा गा भी पढ़ा सकतेहैं और का खागा वालों को उसकी भाषा मेंबातकरेंगे और पीएचडी भी करा सकते हैं उनकोउन्हीं की भाषा में बातकरेंगे इसलिए उन्हें मास्टर ऑफ मास्टर्सनहीं उन्हें मालिक कहा जाताहै सर्व शक्तिमानसर्व कलासंपूर्ण वह नर्सरी को भी पढ़ाते हैं प्रीनर्सरी को भी पढ़ातेहैंबस तुम सीखने वाले होनेचाहिए परमात्मा तोहै लेकिन प्रश्न ऐसा जैसे अंधा पूछे रंगहोतेहैं तुम तो हंसोगए खिली नहीं उड़ानीचाहिए तुम्हारी आंखेंहैं तो देख लो जरा कता है बेचारामजबूर है प्रश्न ऐसे हीकरेगा तुम्हारे प्रश्न करने से मुझे दुखतो होताहै लेकिन दुख इस बात का होता है कि बेचाराआंखेंनहीं मैं खिल्ली नहीं उड़ाताआप बहुत से लोग बेईमानी से धनकमाते गरीबों की खिल्ली उड़ाते हैंयह व्यवहार शुभनहीं अगर कोई पूछता है कि परमात्माहै अगर कोई अंधा पूछता है रंगहै आंखों वाला उस पर तरसखाएगा तुम कहते हो तुम बोलते क्यों होबाबाबसइसीलिए कि तुम पूछते हो रंगहै हमें तरस आ जाताहै तुम पूछते हो खुशीहै या कि ऐसे ही मरजाएंगे हमें तरस आताहै यह मत समझो कि तुम ही रोते होहमारा जीरा भी रोता है तुम्हारे दुखों कोदेखकर लेकिन तुम किसी और काण से रोतेहो तुम्हारी प्रश्नावली बिल्कुल सही हैरंग होते हैं सहीप्रश्न और हमारा भीतर से बाबुक हो जानाहम देखते हैं आंख उठा के बेचारा अंधाहै कैसे इसे आंखें दे दी जाए इस प्रयासमें जुट जाते हैं इसलिए सारेसंत इसी प्रयास में जुट जातेहैं और मैं इन संतों को हृदय से प्रणामकरता हूंजो आपको सत्य का मार्ग दिखातेहैं तो भगवान कृष्ण कहते हैं सातव अध्यायके 21 में श्लोकमें यो यो यामयाम जो जो जिस चस तरहसे तनु भक्त श्रद्ध चतरविगच्छति तसम तस्य अचलाश्रद्धम जो व्यक्ति जिस जिस भावसे मुझे चाहता है मेरी पूजा करताहै मैंउसको उसी भाव में दृढ़ता दे देता हूंश्रद्धा तामे विधा मेंहम अगर तुम अपनी कल्पनाओं में पूछ लगालोगे तो वह पूछ लगा के आजाएगा उसके घर पूछो की कमीनहीं बंदर जैसा बना लोगे बंदर जैसा बनजाएगा सूअर जैसा बना लोगे वरहा अवतार हैसूअर जैसा बनजाएगा कछुए जैसा बना लोगे कछुए जैसा बनजाए बना व्यक्ति बना लोगे बना व्यक्ति बनजाएगा क्रोधी बना लोगे परशुराम बनजाएगा महा सामर्थ्यवान सभी दुखों को जे लेनेवाला सभी प्रकार की आस्थाओंको हालातों में सम रहनेवालापुरुषोत्तम राम की तरहपुकारोगे व धन से उठालेगा और चक्रधारी कृष्ण की तरहपुकार तो वंससब रूप उसकेहैं कोई रूप उससेबाहर किसी भी रूप से आप उसेपुकारो लेकिन एक बात यादरखना श्रद्ध चित एक शब्द बोला हैइसमें उसमें श्रद्धा होनी चाहिएश्रद्धा कामतलब मजाक नहीं होनाचाहिए किसी की गरीबी पर मजाक मतउड़ाओ तुमने उसकी जेब में से निकालीलूटा अपनी जेब में डाला अमीर हो गए फिरतालियां बजा के हंसते हो बड़ी बुरी बातऔर ऐसे लोग परमात्मा की दरगाह में दंडितहोतेहैं तस्य तस्य अचलाश्रद्धा श्रद्धा भी अचल गड़बड़ाजा अगर यह हैतो वह दूरनहीं तस्य तस्य अचला[संगीत]श्रद्धा ताम पविता मेंहम श्रद्धा की आंखहैं तो रंग पहचान में आ जाते हैं श्रद्धाआंखहै तुलसीदास नेलिखा श्रद्धा विश्वासरूपण या ब्याम बिना नपते उसके बिना नहींदिखता प्रश्न करने वाले के भीतर कण कण मेंवहीहै देखि तुम इतने बड़े शरीर के मालिकहो और अगर इस शरीर में आंखें नहीं तो तुमअपने ही शरीर को नहीं देख सकतेदेख सकतेहो बस यही हालात हैतुम्हारे तुम अपने ही स्वरूप को नहीं देखसकते कितना विराट है तुम्हाराआकार बृहदआकार और आंखें नहींहै तुम्हारे इतने बड़े शरीर में छोटी सीआंख नहीं है तो तुम अपने शरीर को नहीं देखपाओगे बस यही सच है परमात्मा के विषयमें संत कहता है अहम ब्रह्मा स्म मैंब्रह्म आप शब्दों से खंडन करने लग जातेहो उसके शब्दआए अनुभव सेदेखने से और आंखें तुम्हारे पास हैनहीं बिना आंखों के सभी बातें बेकार होजाएंगे तुम्हारी सभी गीताएं कुरान पुराण ग्रंथ गीता बेकार हो जातीहैं अगर आंखजैसे अंधे के लिए सभी रंग बेकारहै वह सफेद है वह काला है वह हरा है नीलापीलागुलाबी सब बेकारहै एक आंख केकारण परमात्मा हैमैंने देखाहै इतना काफीहै क्या इसी रूपमें चक्र शंखगदा इस रूप में दिख सकते हैं बिल्कुलसभी रूपों में दिख सकते हैंपाथर में दिख सकतेहैं धन्ना पत्थर में देख लेता है है है तोदेख लेताहै मूर्ति में तुम देख लेते हो किसी भीतरह की मूर्तिहै लेकिन तुम्हारा लगाव होनाचाहिए जिस भी रूप में तुम्हारा लगावहै वह तो समर्थ है उसी रूप में आजाएगा बस तुम में पहचानने की शक्ति होनीचाहिए लेकिन एक शब्द बड़ा प्यारा बोलतेहैंकृष्ण अचल श्रद्धासुबह निरंकारीहैं दोपहर को राधा स्वामी होगए श्याम को ब्रह्म कुमारीहो फिर बीच में नास्तिक होगए सुबह गुरुद्वाराजाए दोपहर को मस्जिद चले गए श्याम मंदिरजाए क्या कहेंगेइसको श्रद्धानहीं जिसको श्रद्धा होतीहै क्षमाकरना ना मंदिर जाता है ना गुरुद्वारा जाताहै क्योंकि जो मन के अंदर मिले जोतुम्हारे अंदर से मिल जाए उसे मंत्र कहतेहैं बाहर के राम मनों से कुछ नहीं होनेवाला कितने बना लो खुदाई करलो जुताई कर लो वो नहींमिलेगा पाथर मिल जाएंगे अवशेष मिलजाएंगे इसलिए लोग मुझे कुछ नहीं कहतेउन्हें पता है कि कुछ नहींमिलेगा पाथर की मूर्तियांमिलेंगी व बुद्ध की मिल जाए शंकर की मिलजाए शिवलिंग की मिल जाए राम की मिल जाएकृष्ण की मिल जाए यही कुछमिलेगा लेकिन मैं तुम्हें कहताहूं के मंदिर के नीचे मस्जिद के नीचेमंदिर को और मस्जिद को तलाशनेवालो क्या तुमने आंख पैदा करली रंग हरा है के नारंगी हैकि सूर्य की तरह तप्त रहा है सुबहके कि गरवा है कि भगवाहै अगर तुम इसके ऊपर से बहस ना करके आंखको पैदा करने में जुटजाओ तो यह रास्ता शुभ हैअगर आंखों की परखचाहिए तुम चाहते हो रंगों कीपहचान तो आंखें पैदा करनीहोगी बिना आंखें पैदाकिया तुम्हारा सब करा धरा बोला सबबेकार जिसके पास आंख नहीं वह जो बोलता हैझूठ बोलताहै रंगों के बारेमें जिसके पास आंखहै वह जो बोलता है सत्य बोलता है रंगों केबारेमें मुझे लोग कहतेहैं लवजी नेकहा जर थस नेकहा कबीर नानक ने कहा पलटू ने कहा मलूक नेकहा वह जो करता है ठीक करताहै हमें समझ नहीं आता फि यह चोरी गद्दारीलाचारीबलात्कारअन्याय क्या ये वो करता हैयह सब साजिश उसकीहै तुम्हें प्रश्न पूछने का ढंग नहींबस लेकिन जिस ढंग से तुम पूछ रहे हो उसढंग से उत्तर दिया जाए तो बिल्कुल वहीकरताहै औरबलात्कार खुद से करताहै हां यह भी समझलेना क्योंकि दूसरा कोई है ही नहीं किससेअपला करकरेगा किसका कत्ल करेगा दूसरा कोई है हीनहीं दूसरा होगा तो कत्ल करेगाना इसलिए जो बहुत गहरे उतर गए उन्होंनेकहा लीला हैखुद से खुद का खेल आपे खेले खेल खिलाड़ीआपे खेलन हाराहो खुद का खुद सेखेल और यह बात ठीक भी है क्योंकि दूसरीकोई हस्ती नहीं है शैतान जैसी कोई हस्तीनहींहै शब्दों का ड़ घोड़ है किसी तरहकर एक बात बताऊतुम्ह ज्ञानियों ने समझदार ने बुद्धिमानों ने फिलोस फर्सने मनोवैज्ञानिकों ने जवाब तोदिया लेकिन वह सभी जवाब गलतहै कक्योंकि शब्दों में जवाब दिया ही नहीं जासकता सच पूछो तो जिसको तुम जानना चाहतेहो वह जाना ही नहीं जासकता और जो जानती हैबुद्धि वह वहां जाकर अशक्त हो जातीहै उसको तो छोड़ना पड़ता हैइसलिए इस एक बात पर सहमत हैं वैज्ञानिक भीऔर अध्यात्मिकसंत इज नॉट ओनलीअननोन वह सिर्फ ऐसा नहीं कि जाना नहीं गयाबड आल्सो अननो एवल वह ऐसा भी है कि कभीजाना नहीं जासकेगा कौन जानेगासंतों ने कहने की चेष्टा तो बहुतकी लेकिन क्यों प्रयास विफल होगया क्योंकि जो ढंगथा कहने का वैतीलैंग्वेज और लैंग्वेज में बातानहीं समझने का जो ढंग थावह है बुद्धि और बुद्धि की पकड़ से बाहरहै मेरे पास रोज कमेंट आते हैंबाबा क्या करें आपकी बातें सिर के ऊपर सेगुजर जातीहैं मैंने कहा बिल्कुलगुजरेंगे क्योंकि जिस बुद्धि से तुम समझनाचाहतेहो उस बुद्धि में इतनी क्षमता कहांजो इस विराट को समझले एक जर्रे तक को तुम नहीं समझसकते तो विराट को कैसेसमझो यही बात कृष्ण कहते हैं अर्जुनको कि तुम इस चर्म चक्षु से नहीं देखपाएगाअतः यही बरबरी कोकहा कि तू देखना चाहता है युद्ध कैसे हुआजंग कैसे हुआ कौन जीता किसने क्याकिया तो पुत्र तू देख नहींपाएगा इन चर्म चक्षुसे जिन आंखों से दिखता है अब मैं तुझेआंखें देदूं वो दिव्य चक्षुहै उन आंखों से तू देखसकेगा यही बात कहते हैं अर्जुन को यही बातकहते हैं बर्पी को ये दो ही लोग थेजिन्होंनेदेखा मुझे लोग पूछ लेते हैं यह गीता काज्ञान वास्तव में किस-किस ने देखावह जो नाम गिनातेहैं उसमें श्याम बाबा का नाम नहींगिनाते मैं माथे पर हाथ मार लेता हूं अरेमूर्ख जिसने सच सच देखा शीश देदिया उसने तो सबसे पहलेदेखा और वह पूजनीय इसलिएहुआ कि उसने सारा दृश्य अपनी आंखों सेदेखा अर्जुन तो खो गया लड़ाईमें लेकिन बर्बरीक तो नहीं खोया बर्बरीकतो सिर्फ साक्षी हीरहा तुम कहते हो बाबा दो घंटे की वीडियोनहीं देखे जाते छोटी बना लिया करो आधेघंटे की वीडियो बना लियाकरो हम बड़े मजे से देख लिया करेंगे सुनलिया करेंगे समझ भी आ जाएगातो लो अब आधे घंटे की हो गईहै यहां बंद करदो देखो शोर मचा र सभी शोर मचा रहे नहींनहीं बाबा आनंद आया अभी तो आनंद आना शुरूहुआ अभी आप बंद कर देंगे बस यह बातहै जब मैं कहताहूं श्री कृष्णगोविंद तब आपकी तृप्ति आ जाती है मन मेंबड़ा मजाआया अब देखो मैं तो आधे घंटे की बोल देताहूं मुझे क्या तराज मुझे कोई बोलने कीबीमारी थोड़ीहै तुम्हारे कारण मैं बोलताहूं जब तुम ऐसे ऐसे प्रश्न कर लेते होबाबा रंग होतेहैं तो मैं रह ना तो और क्या करूंबोलने के लिए बाध्य होना पड़ता है मुझेक्योंकि रंग होते हैं मैंनेदेखे तुम सवाल ही बड़े अटपटे करते हो फिरतुम कहते हो बाबा ब्लॉक कर देते हैंबार-बार अगर तुम कहोगे बाबा होते हैं रंगपक्का होतेहैं मेरे पास क्या ऑप्शनहै फ तुम कहते हो बाबा तुमने पाप कर दियायही कृष्ण कहते हैं अचलश्रद्धा प्रश्न उससेपूछो जिसकी बात के ऊपर विश्वास करसको सुबह दोपहर शाम कभी सफेद साड़ी पहन लीशाम को वही लोग मैं मंदिर में दिखता हूंवही लोग गुरुद्वारा में खंड पाठ करतेप्रसाद छते देख लेताहूं वही लोग मेरे पास आ जातेहैं वही लोग किसी और बाबा के पास चले जातेहैं इसका मतलब क्या है कहीं नहीं मिला इन्यही मतलब है और कोई मतलबनहीं अगर कोई व्यक्ति पूछता फिरे सभी सेरंग होतेहैं इसका अर्थ क्या है तुम खुद ही समझ लोएक मुसलमानफकीर अंधेरी हो तूफान हो बारिश हो ओलेगिरते ठंडी हवाएं हो गर्म लए हो रोजमस्जिद जाता था नमाजपढ़ने हर हाल में वह जाता ही जातामुद्दत बीतगई बर्सों वर्ष बीतगए एक दिन वो नहींआया काफी बूढ़ा हो गयाथा 75 80 साल कीउम्र धीरे धीरे लटिया लेकर आता उससे नहींआया तो मौलवियों ने नमाजपढ़ी और बैठ के कान्फ्रेंस की आज वोह नहींआया पक्का है कि वह मरगया जीवंत होता तो जरूरआता नहीं आया तो एक ही कारण है मर गया तोचलो थोड़ा घर चक के अफसोस तो करापुराना मित्र है 50 साल का संगहै कभी नागा नहीं हम नहीं आए लेकिन वो तोआया मस्जिद को संभालने वाले तीन लोग मर गएउसके होते होते वह रो जाता है आज नहीं आयातो मर गयावो तो चलो नमाज पढ़ने के बाद उसके घरचलेंगे तुम्हारी शंकाएं और तुम्हारेनिर्णय ऐसे ही होतेहैं सिर्फ समझ से आए हुए निर्णय वह नहींआया तो वह मरगया गौर सेदेखना तुम्हारे फैसलेकैसे घर गए व तो नाच रहाहै फिर उनका फिर फैसला बदला एक दूसरे केमुंह की तरफदेख वृद्ध हो गया है पगला गयाआज तक कभी नाचा नहींथा आजनाचा मस्जिद में बैठे थे तो कहते मरगया घर आए वो नाच रहा है बड़े प्रेमसे आंखों मेंआंसू कहते पगलागया और जब आवाज दीतो उसने घूम केदेखा उस सिर्फकुरान वह भाग के दौड़ा गलेलगा बोला आज ईद होगई क्या कहआज दीद होगया आज दीद हो गया तो आज ईद होगई सोचा मूर्ख हो गया पागल हो गया वाकईपागल होगया ना तो आज ईदहै ना आज ईद का चंद्रमानिकला आज तो और ही तिथिआज ईद का सवालनहीं यह कहता है आज ईद हो गई और दीद होगया आंखों में झरझर आंसू बहते हैं प्रेमके सबसे गले मिलताहै और कहता है आज ईद हुई सच में आज ईद हुईठीक कहता हो समझने वाले समझनापाएंगे तुम जिस भाषा में समझते हो वहभाषाएं वहां जाकर खो जातीहैं वहां कोई भाषा शेष नहींरहती वहां अनुभव रहता है सिर्फ प्रेम काआंख से अश्क बहतेहैं ईद हो या के नहो मेरे लिए ईदहुई ईद सभी के लिए एक दिन नहींहोते सभी के लिए अलग-अलग दिन ईद होतीहै तुम तो यग एक दिन ही मना ले देतेहो लेकिन ईद होती वास्तव में सबकी अलग अलगहै कभी बुद्ध को हो गई कभी हजरत को होगई कभी कबीर को हो गई कभी नानक को हो गईमीरा[प्रशंसा]को दिलसुलगनेलगा अश्कबहनेलगे दिलसुलगनेलगा अश्कबहनेलगे जाने क्या क्या हमेंलोगकहनेलगे मगर रोतेरोते हंसी आ गईहै खयालों मेंआके वो जब मुस्कुराएजब यादआए बहुत याद[संगीत]आ गमजिंदगी केअंधेरों में[संगीत]हमने चिरागमोहब्बत जला[संगीत]बुझाए जब यादआए बहुत याद[संगीत]आ अश्क बहनेलगा दिल सुलगने लगा अश्क बहने लगे जानेक्या क्या हमें लोग कहनेलग ऐसा ही हाल होता है प्रेमका मजनू हो हीर हो रांजा हो लैलाहो शीरी हो फरयाद हो सोनी होमहिवाल रोमी हो लटहो प्रेम में ऐसा होताहै वो अज्ञात तत्व दिख जाताहै जिसको भगवानदिव्य चक्षु कहतेहैं उससे होते हैं प्रेम केदर्शन वह दिव्य चक्षु होनाचाहिए दिव्य चक्षु से सत्य दिखताहै और भगवान कृष्ण बरबरी को दिव्य चक्षुदेदिया और अर्जुन तोमस्त हो गया लड़ाई झगड़े में लेकिन बरबरीसिर्फ साक्षी रहा परमात्मा कीतरह य बड़ी प्यारी उदाहरणहै अर्जुन वो ना जान सका जो बरबरी जान गक्यों क्योंकि युद्ध में एंटेंगल नहींहुए दिव्य चक्षु लेने केबाद अर्जुन उलझगया बरबरी नहीं उल बरबरी सिर्फ साक्षी बनारहा सिर्फ देखता रहा और जो सिर्फ साक्षीहै उसे ही परमात्मा कहतेहैं उस दिव्य चक्षु से ही वो निहारा जाताहै प्रेम के पलों में यही दिव्य चक्षुव्यक्ति को मिल जाते हैं पल दो पल के लिएयह कोई मामूली घटना नहींहोती जब हृदय में प्रार्थना उठती है तो पलदो पल के लिए यही दिव्य चक्षु तुम्हें मिलजातेहैं वह ईश्वर तुम पर कृपा कर देता है वर्षजाताहै नजरी मोखद्वार कर्म कर देता है वह तुमपर रहम आ जाता है उसे तुम कहोगे क्यों आजाता हैयह नहींपता यह उसको पताहै हमसे क्या पूछतेहो उसके सवाल हमसे मत पूछाकरो जा करता सृष्ठी को सज आपे जाने सोई हमक्याजाने हम तो खुद ही उसके चरणों की ूरहै हम क्या जाने वो क्या चाहताहै हम उसके आदेश को जरूर सुनतेहैं ऐसा तलहै जहां उसके आदेशों को सुना जा सकता हैऔर उसी को भक्त कहतेहैं लोग मुझे कहते हैं अंध भक्तों के बारेमें आपका क्या ख्याल हैमैंने कहा बड़ा शुभहै अंत भक्त तुमसेऊंचे तो घबरा जाते हैं अरे बाबा तुमसे तोउम्मीद नाथी अंत भक्त तुमसे ऊंचे होतेहैं क्यों क्योंकि वह बुद्धि को छोड़ देतेहैं और जिसने बुद्धि को छोड़ा उसने एकपड़ाव पारकिया तुम कभी नहीं होगे बड़ी मशक्कत करनीपड़ेगी इस बुद्धि को छोड़ने के लिए बड़ेझगड़े तुम तो अदालतों तक पहुंच जातेहो इन बुद्धि के झगड़ों को लेकर अदालतोंमें पहुंच जातेहो अंत भक्त इस बुद्धि को छोड़ देताहै आप उसका उपस उड़ा सकते हो उड़ाते रहिएलेकिन एक कदम ऊंचा है अक् तुमयही इस श्लोक[संगीत]में आखरीप्रश्न बुद्ध ने क्योंकहा ईश्वर नहींहै थोड़ा सा तल को बदल लीजिए तो समझ पाओगेठीकसे गैर बदलने की कलासीखो वो किसी और तल से बोलते हैं बोलतेयही बातहै परमात्मा नहींहै किस रूप में तुम उसे मानतेहो ये कालीपीली शिरों वाली गधे वाली उल्लू वालीय जो तुमने कहा शंखचक्र गदापदम इस रूप में कहा नहीं हैईश्वर और इस रूप में है भीनहीं यह नकली मैं के तुम्हारे सवालहै यह कच्चा कायदा है अ अनार आ आमठीक भीहै और गलत भीहै शुरुआत करने वाले के लिएठीक डॉक्टरेट करने वाले के लिएगलत बुद्ध कहते हैं परमात्मा नहीं है ठीककहतेहैं क्योंकि बुद्ध तुम्हारे मूल तत्व तकजाते हैंबुद्ध देखते हैं तुम्हें चाहिए तो खुशीतुम दुखीहो इसलिए बुद्ध का सिद्धांत यह हो गयाजीवन दुखहै जीवन दुख है तुम्हें जरूरत क्या हैसुख तुम किसकी तलाश में भटक रहे हो दुखीहै तो सुख की तलाश में भटक रहेहो बुद्ध ठीक कहते हैं तुमस् इन शंख चक्र गदापदम इनकी पूजा करने से सुख नहींमिलेगा सुख मिलेगा सब भ्रांतियों को खंडनकरनेमें तुम मुक्त होना चाहते हो बुद्ध कहतेहैं तुम बाहर से मुक्त होजाओ जिस मुक्ति की कामना तुम कुंभ मेंजाकर गंगा स्नान में डुबकी लगाकर करते होवो तो तुम्हें रोगी बनादेगा क्योंकि जहां 50 करोड़ लोगों नेडुबकी लगाई हो और तरह-तरह की व्याधियों सेशारीरिक व्याधियों से और मानसिक व्याधियोंसे ग्रस्त हैं वह वही छोड़ के जाएंगे अपनासब कुछ कूड़ाकचरा और तुम्हें आगोश में लेलगा सुन वेलाहै ग्रह के हिसाब सेहै लेकिन स्वच्छ वेला नहींहै नान के हिसाब से स्नान करना कभी संगममें उस वक्त जाना जब गंगा परम पवित्रहो यमुना गंगासरस्वती परम पवित्रता में हो तबजानो बुद्ध कहते हैं परमात्मा नहीं है जिसरूप में तुम कहते हो परमात्मा है जिस रूपमें तुम पूजा करते हो उस रूप में परमात्मानहींहै जिस रूप में परमात्मा है उस रूप मेंबुद्ध कहते हैं किहै बुद्ध कभी भी पक्के से इंकार नहीं करतेकि परमात्मा नहीं है बुद्ध कहते हैंपरमात्मा नहीं है जिस रूप में तुम मानतेहोनहीं जिस रूप में मैंने जाना वैसाहै क्या रूप हैवोखुश खुशीसुख तुम ढूंढते हो सुखको जरा भीतर जाकर देखो क्या ढूंढते होसुबह से शामतक बताओ मुझे तुम्हें दो मिनट का भक्तदिया सुबह से सांझ तक जो करते हो क्याढूंढते हो यही बुद्ध कहतेहैं बुद्ध कहते हैं परमात्मा नहीं है जिसरूप में तुम मानते हो छोड़ो यह पाखंड हैयह भारहै इस भार से मुक्त होना ही मुक्तिहै तुम इसको सिर पर लाद क्यों फ रहे होये शास्त्रीय शब्द सब वेद पुराण सबकचरा और और नहीं मैंने एक व्यक्ति देखा जोसिर पर पगड़ी बांध था और इतनी बड़ीपगड़ी कहते यह 35 किलो की है मैंने कहादिमाग में फर्क है इतना भार क्यों उठाएरखता किसने दंड दियायह दंडहै यह शान नहींहै पगड़ी शान होनी चाहिए दंड नहीं होनाचाहिए लेकिन मूढ़व्यक्ति अपनी मूता के कारण सत्यों कोविकृत कर लेताहै जो पकड़ी शान बन सकती है तुम्हा ढंगसेपेट कितना सुंदर लगता हैपगड़ी धारी आदमी कितना सुंदर लगताहै और अगर तुम उसे बोझ बना लोगे 35 किलोकी पकड़ी मैंने कहा मजदूरी कर लो इससेज्यादाअच्छी शाम को 5400 घर लेकर आओगे सारे दंडहोते हैं हद होगई तुमने मजाक बना दिया पगड़ी तकका तुमने सब चीजों का मजाक बना दिया धर्मही तुमने मजाक बना दियानमाज में कहां तुम्हारा अहंकार झुकता हैशरीर झुकताहै और शरीर तो सर्कस है वह तो आसन कर लियाकरो सुबह उठक बजरा सन हलासन मतस्य आसनचक्रासन हस्त पादासन यह सब बाबा के पासजाओसिखाओ भले से सिखा देंगे तुम्हेतो तुम्हारी नमाज नमाज नहीं है आसन हैबजरा सनहै नमाज उस दिन होगई जिस दिन तुम भीतर से झुक जाओगे और झुकोगतब जब तुम अपने सभी पापों को स्वीकार करलोगे पापों का बोझ तुम्हें झुकादेगा और तुम उस भक्षण हारे की शरण में झुकजाओगे हे भक्षण हार कृपा कर कर्म कर रहमकर वहां होती है नमाज वहां तुम नमतेहो वहां झुकते हो वहां सिर्फ शरीर नहींझुकता शरीर भी झुकता है शरीर के साथ तुमभी झुकतेहो पापों का बोझ अभी तुम्हें हुआ नहीं औरईसाइयत ने भी यहीकहा पापों के बोझ को परमात्मा केआगे समर्पित कर दो कन्फेशन ऑफएरर सभी धर्मोंने करीब करीब वही बात क घुमा फिरा के अबदेखो चाइनीज अपनी भाषा मेंबोलेगा हिंदू अपनी भाषा में सिख अपनी भाषामें यहूदी अपनी भाषा मेंफ्रेंच है रशियन है इंग्लिशहै सभी भाषाएं हैं उर्दू है पंजाबी है सभीहै अपनी अपनी भाषाओं में सभी बोलतेहैं और अपनी अपनी भाषाओं में तुम्हारेतथाकथित संप्रदाय धर्म अपनी अपनी भाषाओंमें बोलते हैं बात एक ही है उसी की बातकरते हैंपानी को पानी कह दो या वाटर कह दो कोईफर्क नहीं पड़ता जल कह दो नीर कह दो कोईफर्क नहींपड़ता भाषाए अलग है बात एक की ही हो रहीहै ईसाइयत कहता है तुम इतने झुक जाओ कबझुगे जब तुम तुम्हारे पापों के बोझ तले दबजाओगे तुम मानते ही नहीं कि मैंने पापकियादेखिए मुश्किलहै संत कहता है तुमझुको कैसे झुको सत्य को देखकर सत्य क्याहै तुम झूठेहो और अब तो झूठों का रिकॉर्ड होनेलगा अमेरिका का प्रेसिडेंट 100 हज रोज काझूठ बोलताहै तो चलो फिर सभी झूठ बोलो झूठ बोलराजनीतिक मापदंड हो गया है कौन कितनाज्यादाबोलेगा मैराथन की दौड़ जैसा हो गयाहै यही संत कहता है तुम झूठे हो इसकोस्वीकारकरो और उस झूठ से किसकिस को क्षतिहुई जनता लुट गई किसकिसको क्या नुकसान हुआइसे स्वीकारकरो प्रकृति तो तुम्हें दंड देदे लेकिन तुम अगर शांति चाहते हो तो अपनेपापोंको याद करो औरझुको पापों को याद करने से तुम झुक हीजाओगे अकड़े ना रह सकोगे अकड़ा वह आदमी हैजो अपने त्याग को याद करता है जो पापों कोयाद करता है वह अकड़ा नहीं रह सकताको याद करके य तथा कथितमहामुनि इनके देखनागर्दन गर्दन में गुल्ला फसा रहता है हरवक्त क्योंकि त्याग ही इतना किया है 4हजार करोड़ छोड़ केआए अगर अहंकार नामेरा तो कुछ नामरा अहंकार मरने से सब मरता हैतुम समर्पण करते हो अहंकार कहां मरताहै जबकि समर्पण का मतलब ही अहंकार कोमरना तुम ब्रह्म कुमारी बन जाते हो ब्रह्मकुमार बन जाते हो अहंकार कहां मरताहै वही गाली गलोज चलता है बाहर नहीं भीतरचलता हैसभी धर्मों ने अपने अपने ढंग से ने कहाझुको नमनकरो मुसलमान नमाज कहताहै हिंदू कहते है तुम पापको यादकरो कुंभ में तभी जाओगे ना पाप किए हैंतभी जाओगे नामुझे लोग पूछ लेते हैं बाबा तुम क्यों नागए मैंने कहा मैंने पापनहीं जो जितना पाप करेगा वह जाएगा और कईकई बार लोग जाते हैं शक रह जाता है एक बारडुबकी लगानेसे रह गएबाकी और लगा लो जिसने ज्यादा डुबकी लगाईउसके भीतर की भावना कि मैंने ज्यादा किएहैं जो एक आद डुबकी में काम चल जाता है वहसमझता है कि मैंने कमकिया लेकिन जाते हो तुम पाप के बोझ केकारण जिसने पाप नहीं किया उसको कुंभ कभीयाद नहीं आता क्यों करेगावोह क्या जरूरतहै पापी व्यक्ति ही कुंभ नान पर जाते हैंमेरी इस बात को याद रख लेनालेकिन हिंदू हिंदू कहते तुम पापों का बोधतो करो कि हां मैंने पापकिए रहेंगे वैसे केवैसे पापों का बोध नहीं करेंगे गंगा स्नानकराएंगेकोई मतलब ना हुआ तुमने एक अवसर गवा दियायह अवसरथा पापों को स्वीकार करो कि मैंने पापकिया है मैंने गाय के घी में चर्बी मराईसूअर की इसको स्वीकारकरो स्वीकार करने से आपका वह अहंकार जोअकड़ रहा है जिसमें गुल्ला फसा है वहटूटेगा और गंगा स्नान होगया पापों को स्वीकार कर लेना ही गंगास्नानहै गंगा में स्नान करने से पाप नहीं ड़तेगंगा गंगा बेचारे क्योंभुगते पाप तुम करो भुगते गंगा उसने कोईअपराध नहीं किया अपराध तुमनेकिया मसाले में घोड़े की लीज मिला देते होमिर्च में ईटों का गरवा मिला देतेहो नमक में भाठा मिला देते हो कमाल कीबात सब याद करनाहोगा मैं अक्सर एक चुटकला सुनाया करता हूंराम हांजी देसी घी में सूअर की चर्बी मिला दी जीमिला दीठीक है और मिर्च में गर ईटों कामिला मसालों में घोड़े की लीज गधे की लीजमिलाद अरे गाय का गोबर तो नहीं मिला दिया नहींजी नहीं इतना इतना पुण्य थोड़ीकरना और नक में बाटा मिला दिया जी मिलादिया ठीक हो गया सब हो गया चलो चलो फिरगंगा शनकरें ऐसे लोग जाते हैं गंगा स्नान के लिएतुम गए मुझे मत बताना खुद कोबताना पाप बाप नहीं धड़ंग तुम देखनेहॉस्पिटलाइज भी हो ग पेट दर्द भी होगा सिरदर्द भी होगा सब होगा जब अप का ही परिणामहै र से नहीं आता पापों का परिणामहै ले नहीं पाप पाप कैसे लेंगे कन्फेशनर कन्फेशन ऑफसिनस पापों को स्वीकार करलो मैंनेकिया धरने शुरू हो जाएंगे कन्फेशन महाऔषधि है कन्फेशन रसायनहै तुम रिश्वत खाते हो चलो खा लिया रिटायरभी होगए लोगों के घर पट दिए कोई बातनहीं लेकिन अब गरीबों को चढ़ाओ तोमत हीरो पायो गांठकयो अरे जेब उसकी काट लीऔर ताड़ी मार के हसते होतुम कोई अच्छा काम थोड़ी किया तो बाबाकहते हैं संत कहते हैं कि याद करो तुमनेपापकिया जिसकी जेब तुमने काटी पता नहीं उसकेबच्चे भूखे सोएहोंगे कोई बेचारा सुदामा जैसारहा कहीं से भिक्षा भिक्षा मिल गई होगीतुमने उसकी जेब काट लीउसके बच्चे रातों भूखे सोएहोंगे पानी पीकर गुजारा कियाहोगा जैसे तैसे रात लंगाहोगी तुमने उसकी जेब काटली इंतकाल कराने जाते हो पटवारी केपास वो कहते र दो 500 र दो2500 क्यों भाई सरकार तुमको तंखा नहीं देमैं सरकार से पूछता हूंआपने पटवारियों को तंखा देनी बंद कर दी काफिर यह क्यों दमा चौकड़ी में जातेहैं तुम किस लिए चुने गएहो या कि तुम भी ऐसे हीहो बता दो अगर तुम ऐसे हो हम कोई दूसराचुन लेंगे अगलीबार नहीं तो कारवाही करोपापों को स्वीकार कर लेना पापों से मुक्तहोने की तरफ पहला कदमहै तुम पापों को स्वीकार नहीं करते तुमकहते हो नहीं नहीं नहीं तुम्हारा बेटाकत्ल करके आ जाता है बलात्कार करके आ जाताहै छोटी छोटी नन्हे बच्चों से पसको और तुम कहते हो नहीं मेरा मेरा बेटा तोविश्वामित्रहै इसको स्वीकार करो हां सत्य को स्वीकारकरनासीखो पहला स्टेपहोगा मुक्ति की तरफ इनलाइटनमेंट की तरफफर्स्टस्टेप पापों कोस्वीकृत हां मैंने कियायहां से शुरूकरो बुद्ध कहते हैं भगवान नहीं है बिल्कुलठीक कहते हैं किसी और तरक से बोलते हैंजिस ढंग से तुम मानते हो शेरा वाली कोगिदों वालीको उल्लू वाहनी को मौर वाहनी को उस ढंग सेपरमात्मानहीं ठीक बोलते हैंकिस ढंग से परमात्मा है बुद्ध कहते हैंबुद्ध कहते परमात्माहै सुख रूप में और तुम्हारी चाहत है सुखअभी तक तो दो मिनट हो गए होंगे मैंने दोमिनट दिए थे तुम्हे सोचने के लिए तुम क्याचाहते हो सुखचाहते कैसे मिलेगा बुद्ध के हिसाब सेमिलेगा इनको सबको मानना छोड़ो ये तुम्हारेसिर के ऊपर बोझ है पगड़ी शान होनी चाहिएपगड़ी बोझ नहीं होनाचाहिए तुम बना सकते हो बोझ उसको 35 किलोकी पगड़ी बांध लो तो बोझ है किसी ने दंडदिया है क्यातुम्हें बुद्ध कहते हैं परमात्मा नहींहै और बुद्ध कभी इंकार करते परमात्मा काही प्रसार कर रहे हैं किसी और रूप में कररहे हैं क्योंकि अगर उसी रूप में करेंगेतो फिर तुम्हें समझ नहीं आएगा वह क्या बोलरहे हैं फिर तो तुम्हारे बीच ही मिल गए वोकुछ अलग से होनापड़ेगा तो परमात्मा की जगह शब्द इस्तेमालकरते हैंवह सुखखुशीएंजॉयमेंट आनंदउसकी तलाश करो और तुम वास्तव में तलाश भीइसी के हो बिला शक हर एक व्यक्ति हर एकप्राणी सुख की तलाश में हरवक्त फ्राइड से किसी और तरहसे परिभाषित कर देते हैं वह कहते हैं जोव्यक्ति दिन भर में करता है दैट इज फॉरसेक्सओनली उसको आता ही इतना हैउसको सुख का मतलब ही सेक्सहै तो फ्राइड अपने ढंगसे करेगाव्याख्या संत अपने ढंग से करेगा व्याख्याप्रत्येक व्यक्ति अपने ढंग से करेगाव्याख्या बुद्ध कहते हैं परमात्मा नहीं हैठीकहै बुध कहते हैं तुम्हारे सर पर ताओ काबोझहै तु मुक्त होगे कैसे इतना बोझ रख केबैठेहो लाखों लाखों मान्यताएं जो तुम्हें पताभी नहीं इतना बोझ संभाले तुम जी कैसे रहेहो स्वतंत्र जीयो मैं भी तुमसे कहताहूं इसलिए चाहे तुम्हें बुरा लगे मुझेगालियां पड़ती है रोज मारने की धमकी आतीहै क्यों क्योंकि मैं इनके भज को धारण करलेता तुमने मेरे सिर का बल क्यों गिरायामेरी भैंस को डंडा क्योंमारा बुद्ध कहते हैं तुम बंधे हुए होतुम्हारी ही मान्यताओंमें और अगर तुम मान्यताओं में बंधे हुए होशुद्र मान्यता मेंकह दो ना बाबा के विष्णु होते हैं क्या होजाएगा क्या तुम्हें फिर उस कीचड़ में धकेलदू नहीं बाबा ऐसा नहींकरेगा तुम्हारा मन तो बड़ा करता है चिपकेपड़े हो यहां बड़ा मौजहै चिपका हट को तोड़ना क्योंकि चपका हटतुमने जीवन की तरह समझयह चिपकना ही जीवनहै और बुध तुमसे ज्यादा समझदारहै बुधपहलेसुख संपदासिंहासन इन चिपका हट को छोड़ देते हैं भागजाते हैंव छोटी चिपका हैं बाहरके असली परख तो होगीतब जब तुम्हें अंतचपका हट छोड़नीपड़ेगी तब निकलेंगे तुम्हारेबट हां हमारी पंजाबी में कहते बट कट दूंगातेरे एक हिसाब से गुरु तुम्हारे बट कटदेताहै और प्रेस कर देता है तुम्ह सारे बलवगैरह सबखत्म बुद्ध कहते शुरुआत करनी होगी यहां सेनहीं हैपरमात्मा एक एक करके तोड़ो यह लाला फालनावाला सबको तोड़दो यह झंडों के आगे झुकना तोड़ दो छोड़दो सब मान्यताएं तुम्हें डराती है कं पतेहो मैंने कहा जब मैं गौशाला मंत्र जाताथा तो एक व्यक्ति साथ जाता जंड को प्रणामकरता मैं ने कहा य पेड़ है तू क्यों मूर्खहुआ है क्यों प्रणाम करता है देवता हैबाबा तो मैं उसको चपत लगा के आता लेथप्पड़ मार दिया मैंने तेरे जंड को कह देमेरी टांगीतोड़ते ना कोई जंड फंड खेत्रपाल वगैरह कोईनहीं आया40 वर्षों से लगातार गालियां निकाल रहातुम्हारे हिसाब से तोगालिया मेरे हिसाब से पाखंड को दूर करनेकाप्रयास मैं परोपकार कर रहा हूं तुम्हेंआंखें देने की कोशिश ताकि तुम रंगों कोपहचानसको लेकिन तुम इन मान्यताओं से चिपकेहुए और अब आखरी बातबुद्ध कहतेहैं अगर तुम इन शुद्र मानताओ को नहीं तोड़पाने का साहस जुटा सकते तो बड़े से बड़ासाहस जो है क्या कि मैं शरीर नहीं हूं यहकैसे जुटा पाओगे साहस य तो बहुत मुश्किलकामहै और तुम्हारे लिए तो यही असंभवहै रेशादी हो जाती है बच्चा हो जाताहै तुम तो बकरा चढ़ा के आते हो और पामकपड़े लग जातेहैं यह तो माता है कौन सी माता है यह तोगुड़गाव वाली माताहै य बेरी वाली माताहै सभी माताएं ही हैंभाई सभी माते हैं य ब ये माता नहींहै सबसे पहली माता तो येहै तुम इस माता को छोड़ के पत्थर की माताको अच्छी बात थोड़ीहै सारी सरी रात चल जाते हैं इस मां काहाल भी नहीं पूछता लो पानी का गिलास पीलो उस माता को पूजना हैतुम शेरा वाली वहां चले जा पहाड़ों मेंचले जाते पहाड़ों वाली माता अरे भाई सबकीमाता है सब जगह माता है तुम्हारी कितनीमाए हैं गंगा तो माता यमुना तो मातासरस्वती तो और पता नहीं कौन-कौन सी मातातुमने बना रखी शेरों वाली तो गधों वाली तोशीतलामाता उल्लू के ऊपर बैठे लक्ष्मीमाता बुद्ध कहते हैं यह नहीं है परमात्माइन मान्यताओं को छोड़ दो मत ढो इस गंदगीको यह गंदगीहै पहले तुम यह साहस जुटालो इसी से तुम्हारी टांगेकप मैं जब उल्ट पुट बोलता तो मेरे साथवाला आदमी थोड़ा सा दूर हो जाता मैंने कहातुम को दूर हुए कहता बाबा कहेगा घोटना उठाके तो वो तो चलो बोल रहा थातुम क्यों खड़े सुन रहेथे और तुम्हारी बातें सुनक हंसी आती हैक्याकर तो मैंने कहा हंस लिया करो यह ज्यादाबढ़िया है बा मुश्किल तो तुम्हें हंसी आतीहै अन्यथा तुम रोते रहतेहो बुद्ध कहते हैं अगर तुम शुद्र मानताओको नहीं तोड़ पाओगे इतना साहस भी नहींजुटा पाओगे तो वो जो अंतिम बाधा है फ टसमाधि जहां सब जाकर आधि व्याधिखत्म वो है समाधि आधि व्याधि सबखत्म वहां कैसेपहुंचो आखरी साहस कैसे जुटा पाओगे इसलिएबड़े से बड़ा व्यक्ति नास्तिक हो सकताहै ज्ञानी नहीं होसकता इसी मार्कस को कह दिया जाएकि तुम शरीर नहीं हो यहां तक पहुंच केदिखाओ इसकी जान निकलजाएगी इसलिए तो शुरू में ही कह देते है हीनहीं व और जो भी यह कहते हैं किइनलाइटनमेंट नहीं होता बस यह समझो कमजोरआदमी है कमजोर आदमी पीछा छुड़ा लेता हैअपना कैसे ना कैसे बहाने बाजीकर जो बंधनको सहन नहीं कर पाता हालाकि ये कच्चे बंधनहै धागे शादी बवायो के बंधनथोड़ लेकिन पीछा छुड़ाने के लिए ना तो खुदकराते हैं और कितने लोगों की जिंदगीबर्बाद कर देते हैं लिवन में रहो यह कहोवो कहो वो करो वो करो मैं कहता भाई कराओहीमत क्यों कराते हो तुम शादी मत करो बच्चेनाप मजा अकेलेबुध कहते हैं इन शुद्र मान्यताओं कोछोड़ोगे साहस बढ़ेगा और साहस को बढ़ातेजाओ रोज एक कदम आगे रोज एक कदमआगे तो अंध भक्त होना अपने आप में एक साहसका कदम है ऐसे आख मंद के विश्वास कर लेनाथोड़ा मुश्किल होताहै रोज अंध भक्त बनते जाओ अंध भक्त बनतेजाओऔर इतने अंत भक्त बन जाओ आखिर मेंजाकर कुछ तो सीखो अंत भक्ति भी तो अपने आपमें एक साहसहै यह भी साहसी लोग होतेहैं आखिर में तुम इतना साहस जटाओ वही गुरुका माता तुम तुम्हारे पैर लखला जातेहैं अंतिम बाधा है शरीर में क्योंकि शरीरतो तुमने जन्मों जन्मों से माना हुआ हैतुम छिपकली थे तुम सांप थे तुम पेड़ थेतुम पत्थरथे तुम एक कोशी जीव थे तुम बहु कोशी जीवथे तुम चलने वाले प्राणी थे आज तुम मनुष्यहो गए हो लेकिन शरीर तोहो गहरी से गहरी मान्यता है तुम्हारीय इसको तोड़ना सबसे ज्यादा मुश्किल है तोशुरुआत कहां से करनीहोगी ए[संगीत]अनार एअनार सी कैट बीबर्न यहां से शुरूकरने धीरे-धीरे साहस को बढ़ाते जाओ एक दिनतुम डॉक्टरेट होजाओगे आखिरी मुकान पर जाके बड़े से ब अटकजाता है बड़ा मुश्किल है यह बड़ा साहस काकदम है अरे तुम जंड को देवता तक नहींइंकार करसकते तो तुम मैं शरीर नहीं हूं यह कैसेमानोगे वहां तो टूट जाएंगे तुम्हारा सबध्वस्त हो जाएगासब वहां सिर देना पड़ताहै ब की तरह अर्जुन कीतरह फिर दिव्य चक्षु मिलता है फिर होती हैपूजा और तुमने तुमने तो सिर कटे की वहांलगा दी मूर्ति और सिर कटे की मूर्ति तुमकरे हो तुमको इसका अर्थ नहीं पताभीतर शीश देना पड़ता है शीश का दानमहादान तुम उसकी पूरी पिक्चर लगा इसने शीषदान किया सच में शीष दान नहीं किया अहंकारका दान किया उसने अहंकार छोड़ा मैं शरीरहूं इसको छोड़ा और आखिर में यह छोड़नापड़ेगा तैयारहो तैयारहो जो घर बार हैअपना चले हमारेसाथ अगर तैयारहो अपने घर को आग लगाने को राजी हो तोमेरे साथचलो बिना शीश दिए वह मिलता नहीं आखरी काकदम बड़ा मुश्किल होता है तुम कहते होगुरु की जरूरत गुरु की जरूरत देखो पहले तोतुम तोड़ दोगे कोई भी ऐरा गहरा तोड़देगा लेकिन वहां जाकर सबसे बड़ी मुश्किलहो जाती हैवहां बड़ी मुश्किल दरपेश आएगीवहां होगी तुम्हारीभी साहस कीपरीक्षा और गुरु के गुरुता की परीक्षा वहतुम्हें हजार तरह सेसमझाएगा लेकिन तुम छोड़ने को राजी नहींहोगे बहुत बार तो लोग वहां से मुड़ आतेहैं नहीं यह नहीं होगावहां तक तो पहुंचना ही होगा यही बुद्ध नेकहा श्री कृष्णगोविंद हरे[संगीत]मुरारी हे नाथनारायणवासुदेवा श्री कृष्णगोविंद हरे[संगीत]हे नाथनारायण[संगीत]वासुदेव पितु मातस्वामी सखाहमारा हे नाथ[संगीत]नारायण वासुदेवा[संगीत]श्री कृष्णगोविंद हरेमुरारीहे नाथनारायण[संगीत]वासुदेवा तेरे जहा मेनहो नकोई मैं जलख[संगीत]तेन तेरे जहा मेनऔर नाकोई मैं ज लख[संगीत]तेन जे मेरे विचऐब ना होंदेतू बक्श द[संगीत]केनू जे मेरे विचब नाहो तू बक्षदाकेन तू बक्षदा केनरखी चरना देकोल मेरावालेयासाइया रखी चरना दे कोल मेरावालेया साइयामेरावालिया पितु मातस्वामीसखाहमारे हे नाथनारायणवासुदेव पित मातस्वामी सखाहमारे हे नाथनारायनवासुदेवा श्री कृष्णगोविंद हरेमुरारी हे नाथनारायण[संगीत]वासुदेवा हे नाथ नारायणवासुदेवा हे नाथनारायण[संगीत]वासुदेवा धन्यवाद
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