ना हुकम मानो, ना हुकम करो - बस ठहर जाओ! जटाजूट रखने के आध्यात्मिक रहस्य! गंगा

 

why saint put long hairs and beard

तीन रास्ते हैंहुकममानना हुकमकरना औरतीसरा ठहरजाना ना हुक्म करना ना हुकममानना ध्यान सेसुनिए हुकम करना सब चाहते हैंहुकम मानना कोई नहींचाहता जबकि इन दोनों का अपने आप में कोईअर्थ नहीं है बड़ी गहरी बातेंहैं लेकिन क्योंकि गहरे प्रवचन चल रहेहैं औरमैं ऐसा समझो कि गीता के 18 अध्याय कीआखिरी कड़ीपर जहां वह कहते हैं सर्व धर्मा पर तजजमाम कम शरणमप्र तीन रास्ते हैं हुकम करना हुकममानना और ठहर जानाहुकम करने में भी तुम नहींठहरते कुछ करतेहो समर्पण करने में भी तुम नहींठहरते कुछ करतेहो तीसरा है ठहरजाना वास्तव में देखा जाएतो उन दोनों का संकल्प औरसमर्पण हुकम करनासंकल्प हुकममाननासमर्पण इन दोनों का तत्व रस हैठहरना क्योंकि हुकम करनाभी झोल है पानी में हिलाना है पानीको हुकम मानना भी झोल है पानीमें कुछ करना है माननाहै औरतीसरा ठहरजाना यह ठहर जाना तुम्हें प्रकृति रो सकतीहै नींद की अवस्थामें और तुम शुद्ध बुध खो देतेहो तुम्हे जरा भी पता नहींचलता कितना वक्त बीतगया कितनी देर से तुम सोए पड़ेहो और उसका रिजल्ट क्या होताहैफ्रेशनेस हुकम मानना सभी चाहते हैं कि मैंहुकम ना मानूहुकमकरना सभी चाहते हैं कि मैं हुकम करूं हाकमबनो दास ना बनो राजाबनो कठपुतली ना बनो कठ पुतलियों को नचानेवालाबनो अब ये तीसरा जो मैंने कहा मेरेदर्शन का वह दर्शन नहीं आपका मगज कपाईका आखिरी अध्याय चल रहाहै ठहरजाना न हुकमकरना संकल्प न हुकम मानना समर्पण बल्किदोनों से पारठहर[संगीत]जाना हुकम करने से भी तुम नहींपहुंचते हुकम मानने से भी तुम नहींपहुंचते अब तुम चकित मतहोना यहआखिरी कणक है तुम्हारी आंखों का जो निकालदूइन दोनों में उथल पुथलहै उन दोनों में तुम हिलतेहो हुकम करते हो तो भी हिलतेहो तानाशाह बन जाते हो हुकम मानते हो तोभी हिलतेहो भक्त बन जाते होमैंने आपको एक नई फिलॉसफी दी है दोनों मेंसे कोईनहीं ठहरजाना यह कैसेहोगा न हुक्म करना न हुक्म मानना ठहर जानायह कैसे होजैसे बुद्ध ने एक मार्ग दिया मध्यमार्ग आपने पेंडुलम देखाहोगा एक छोर पर जाताहै फिर बीच में ठहरता नहीं आगे चला जाताहै दूसरे छोर से पलट के आता है उसकीयात्राशुरू रहती है इस छोर से उस छोरतक इस अति से उस अतितक और इन दोनों ही अति हों में वह गुजरताहै उस बिंदु से जहां ठहरा जा सकताहै जिसे बुद्ध कहते हैं मध्य मार्गमध्य मार्ग क्याहै ना संकल्प करो ना समर्पणकरो कुछ ना करो स्वीकारकरो ठहरजाओ जो होता है व्ट एवर इजहैपनिंग लेट दैट भीहैपन उसे होनेदो तुम बा ना बनो यानी तुम नारहो मुझे लोग कह देते हैं बाबा अगर हम हीनारहे तो मुक्ति का आनंद चखेगाकौन मैं उनसे कहताहूं अभी तक तुम थे तो तुमने पायाक्या महज उत्तेजना का फलपाया सुख भी एकउत्तेजना जिसमें तुम हंसते हो नाचते होदुख भी एकउत्तेजना जिसमें तुम दुखी होते हो शोक मेंआतेहो संतप्त होता है तुम्हारा करता है कलेजाबिंद जाताहै जब तुम होअब अब क्या पा रहेहो इस संतों के पास या तथा कथित संतों केपास इतनी लंबी कतारें क्योंइतनी लंबी कतार क्योंहै यह क्या चाहते हैंलोग क्यों यह सत्य को पाखंड में डाल दियागयाहै यह मान्यताएं पनपीक्यों यह भ्रम अपनाने क्यों पड़े मानवक्यों ज अंधविश्वास थोपने पड़े आदमीको जरा गहरे सेसोचना अगर मानव सुखी हो गयाहोता क्यों जाता कं स्नान कोजब तुम स्वस्थ होतेहो तो दवा लेते हो जब तुम पूर्ण स्वस्थहोते दवा तुम तभी लेते हो जब तुम बीमारहोतेहैं वहबीमार चाहे कोई रोगहो चाहे कोई कमीहो कोई विटामिन की कमी कैल्शियम की कमीकिसी मिनरल कीकमी या तो कोई कमी है डेफिशियेंसीहै या कोई बीमारी है कुछ दुख पच रहा है दोही कारणों से तुम्हें डॉक्टर की आवश्यकतापड़तीहै और गुरु डॉक्टर होतेहैं यह बात छोड़िए नीम हकीम खतरा ए जान भीहोते हैंऔर सही जीवन को बचाने वाले भी होतेहैं यह लंबी कतारें क्यों है मेरा प्रश्नयहै जो थोड़ा सा ढोंग रच लेताहै आड़े तिरछे कपड़े पहन लेताहै आड़ी तिरछी वेष भूषा बना लेता हैआदमीहोकर आदमी का लिया बिगाड़ लेताहै एक काला पला मुंह करना हम राम लीला मेंकिया करतेथे यह मेकअप करना ये क्यों करता हैआदमी आखिर चाहता क्याहै तुम्हें पता ही नहींतुम इनके पास जाते क्योंहो तुम्हें परख हीनहीं अगर परखहोती तो इन मेकअप मेंस के पास जाते क्योंकोई दाढ़ी को पी ले के बैठा है क्या फायदाउसे उम्र ढलते ढलते यह स्वत हो जाएगीपहले काली थी फिर सफेद होगई उम्र के पड़ाव है प्रकृति का खेलहै खुद से क्यों पीलीकी खुद से क्यों यह नाव नवा टोपीपहन य छोटी छोटी उ उ के बच्चे आज क्या कररहेहैं यह आपको गुमराह करने में लगेहैं कोई सपना दिखाके राजनीतिज्ञों को मैं बहुत समझदारव्यक्ति नहींमानता समझदार है कृष्णजो आपको सपना भी दिखाते हैं तो सत्य कादिखाते हैं समजदार अष्टावक्रहै शरीर टेढ़ा मिटा है कोई बातनहीं लेकिन तुम्हें कल्पना करवाते हैंसत्य की यह कल्पना दो प्रकार की हैएक सत्य की कल्पना एक असत्य कीकल्पना राजनीतिज्ञ आपको असत्य की कल्पनादेते हैं हवाईमहल इन महलों में ना तुम रह सकोगे ना कमरेहैं ना स्नान ग्रहै ना इन कमरों में बैठ डल सकेगा ना सोसकोगे आराम कर सकोगे कुछ नहीं कर सकतेकागज के महलों में कभी कोई ठहराहै कबीर भी तुम्हें सपना दिखाते हैं नानकभी मीराभी चैतन्य भी शंकर भी कृष्ण भी महावीर भीबुद्धभी यह भी सपना दिखाते हैं सपनाकौन सपना वो जो तुम्हें आज तक पता ना हो वतुम्हारे लिए सपनाहै तो सपना यह है कि तुम अमीर नहीं होराजनीतिज्ञ कहता है मैं तुम्हें अमीर बनादूंगा और यह सपना झूठा है क्योंकि वह अमीरबना नहींसकता उसका प्रयोजन दूसरा है तुम्हे लूटपाटकरके खुद र होजाना उसका सपना यहहै तुम्हें भ्रमित सपना के जाल में उलझालेताहै एक सपना तुम्हें संत भी दिखाताहै और तुम किस सपने पर विश्वास करतेहो यह तुम्हारी स्वतंत्र चेतना पर निर्भरकरता हैआवश्यकता क्या हैतुम्हें अगर तुम्हें प्यास लगीहै और तुम्हें भोजन की थाली परोस जाए तोतुम कहोगे नहीं पहलेपान गला सूखा जारहा रोमरोम पानी मांग रहे हैं खाना नहीं खाना बादमें पहले पानीदो और अगर तुम्हें भूख लगीहै पेट भूखाहै तो तुम्हें पानी दे दिया जाए तुम कहोगेनहीं पानी तो बहुत पियाहै लगी तो हैभूख राजनीतिज्ञ यही काम करते हैंतुम्हें जिस चीज की जरूरत है वह नहींदेते उसके अलावे कुछ देते हैं क्योंकिसपनाहै एक राजनीतिक सपना है एक आध्यात्मिकसपना है दोनोंसपने इनमें से एक सत्य सपना है एक सत्यसपनाहै कबीर तुम्हें सत्य सपना दिखातेहैं राजनीतिज्ञ कोई भी हो किसी एकराजनीतिज्ञ की बात नहीं कर रहाहूं वह गरीब से गरीब मुल्क का हो या अमीरसे अमीर मुल्क का हो दिखातेसपने और सपने कागजी दिखाते हैं झूठएक बात तय है कि राजनीतिज्ञ संतुष्ट नहींहोता अब इसको कागज परलिखलो और एक बात त है कि आध्यात्मिकसंतुष्ट होताहै हिटलर संतुष्ट नहीं होता कृष्ण संतुष्टहोतेहैं सपने हिटलर भी दिखाएगाऔर कृष्ण जो बोलेंगे लगेगा वह भी आपकोसपना भला ईमानदारी से सोच केबताइए क्या जो कृष्ण कहते हैं वह आपको सपननहींलगता जब कृष्ण कहते हैं वह तत्वऐसा जिसको कोई शस्त्र नहीं काटसकता आग नहीं जला सकती पानी नहीं गला सकतावायु नहीं सुखासकती सच में बता बताना भीतर से सोच केक्या तुम्हें यह सपना नहींलगता लगताहै तो इसे मैं आध्यात्मिक सपना कहताहूं और एक सपना दिखाने वाले राजनीतिज्ञहोतेहैं वो कहते हैं मैं सोने के महल बनादूंगा तुम्हारेतुम्हें अमीर बनादूंगा तुम्हें काम धाम दूंगा आरामदूंगा दोनों ही सपनेहैं बातोंको बड़े आनंद से सुनतेरहिए और इसका स्वाद चखीहै कृष्ण भी सपने दिखातेकबीर भीसपना वह आध्यात्मिक सपनाहै वह राजनीतिक सपना है सपने का अर्थ क्याहै सपने का अर्थ जो तुम अब नहींहो वह होने का नाम सपनाहै राजनीतिज्ञ जो आपको सप ना दिखाते हैंवोह राजनीतिज्ञ खुद तृप्त नहींहोते खुद तलाश में होतेहैं वह खुद उस राह पर हैं कि हम कैसेतृप्त हो जाएं अभी तक तृप्त हुए नहीं वहखुद प्रैक्टिकल कर रहेहैं सुखी नहीं हैराजनीतिक खुद सुखी नहींतो वह अच्छी तरह से समझते हैं कि तुम भीसुखी नहींहो तो फिर वह एक सपना दिखातेहैं कि मैं तुम्हें सुखी बनादूंगा मुझे इस राजगद्दी पर बैठा दो मुझेहाकम बनादो तुम बिठा देतेहो और कुछ वर्षों में परिणाम तुम सामने आजाता है वोह ठीक हो यागलत परिणाम आ ही जाताहै और यह सपनाहै आध्यात्मिक सपना सदा झूठा होताहै मैं सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ रहा हूं और आपसीढ़ी दर सीढ़ी समझने का प्रयासकरो आध्यात्मिक सपना सपना नहींहोता आध्यात्मिक सपना मार्गहै वो सपना जो दिखा रहे हैं कृष्ण वोह भीअभी सपना लगेगातुम्हे वहां बड़ा आनंद है क्या ये सपनानहींवहां शीतल हवाएं बहतीहै वहां सुरों कासंगम चल हंसा उस देश समुद्र जहांमोती य क्या तुम्हें सपना नहींलगता बिल्कुल लगता है लेकिन तुम बोल नहींसकतेदोनों सपनेहैं अभी तो सपनेहैं नाराजनीतिज्ञ तुम्हें खुशहाल कर पाताहै ना आध्यात्मिक व्यक्ति तुम्हें आनंद देपाता हैअभी लेकिन आध्यात्मिक सपना जो दिखाते हैंलोगवो सपना सत्य हो जाता है एकदिन राजनीतिक सपना जो दिखाते हैं लोग वहसत्य कभी नहींहोता तुम कभी अमीर नहीं होपाओगे चौक मतजाना तुम धनाढ्य हो सकते हो धनपति हो सकतेअमीर होना और धनपति होना बिल्कुल अलग बातहै खुशहाल होना और खुश होना यह बिल्कुलअलग बातहै सुनने में तुम्हें यक्ष लगे एक ही बातहैनहीं राजनीतिक जो सपने दिखाएगा अंतत उसेतुम पाओगे झूठे निकले इसलिए राजनीति केसपने सदा ही झूठे होतेहैं वो कुछ भी दिखाएआपको वह राजनीतिज्ञ गरीब से गरीब मुल्कका अमीर से अमीर मुल्क का हो किसी वक्तअमीर मुल्क ब्रिटेनथा जर्ज पंचम उस पर राज करता थादो तिहाई ऑफ दवर्ल्ड उसकी हुकूमत में आते थे किसीवक्त आज ब्रिटेन पिछड़गया धूप छाम का खेलहै कोई वक्त था जब हिंदुस्तान सोने कीचिड़ियाथ आज वक्त हैसोने की चिड़िया अमेरिका है धूप छाम काखेलहै एक दिन आएगा अमेरिका नंग होजाएगा कोई और संपन्न होजाएगा क्योंकि सभी दौड़ रहेहैं और इस मैराथन की दौड़ब कभी कोई आगे निकल जाता है कभी कोई आगेनिकल जाता हैलेकिन यह आगेनिकलना दौड़ में आगेनिकलना महज सपनाहै दौड़ में ना कोई आगे होता है ना कोईपीछे होताहै तीन रास्ते मैंने बताएहुकमकरना हुकममाननाऔर ठहरजाना रास्तों की परिभाषा हों सेदेखो तो संतों के भीतर यह तत्व मिलेगा किठहर जाओतैसे वह आपको ठहराना चाहतेहैं और राजनीतिज्ञ के सपनों में आपसेमिलेगा किदौड़ो वह राजनीतिज्ञ चाहे सर के रूप मेंवह भी दौड़ाएंगे यह सब दौड़है गद्दी नशीन होजाओ तो तुम सीएम पीएम बन जाओ तुम मिनिस्टरवगैरह बन जाओ धनपति हो जाओ मान सम्मानदुनियाकरेगी जो सोचोगे वही मिल जाएगा और दुनियाउसके पीछे हो लेतीहै जो सपना है आध्यात्मिकवह भी सपनाहै माला फेरो पूजा करो नारियलफोड़ो अब यह सावन आया तो पत्थर के ऊपर दूधचढ़ाओ अब हम सार की बातकरें राजनीतिज्ञ सपना वो सपनातुम गद्दी नशीन होजाओ हुकम करने वाले बनजाओ बड़े से ऑफिसर बन जाओ कलेक्टर बनजाओ अध्यक्ष बनजाओ मुख्यमंत्री बन जाओयह जो दौड़ को सिखाने वाले लोग हैं वहचाहे सर हैं चाहे राजनीतिज्ञ है चाहे किसीपार्टी के नेता व पार्टी कोई भी है आज कोईराज करताहै कल बदल जाता है क्योंकि मनुष्य कामन बदलता रहताहै और बदलने की इस प्रक्रिया में बाहर कीसीनरीज को भी बदलता रहताहै थक जाता है उब जाताहै तुम थक जाते हो एक ही पत्नीसे तुम थक जाते हो एक ही पतिसे ये तो तुम्हें ठीक लगेगा क्योंकितुम्हारा अनुभवहै तुम एक ही गद्दी से भी थक जाते हो येतुम्हें अटपटालगेगा यह वही व्यक्ति बोलेगा जिसने गदिहों को भोगाहोगा भोग से दुख मिलता है यह वह व्यक्तिबोलेगा जिसने बहुत भोगाहै अष्टावक्र ही बोलपाएगा जनक को कहते हैं और भोग ले जनक कहतेहैं महाराज भोग लिया भोगों से कुछ नहींपाया दुखपाया और जनक से बोलते हैं अष्टावक्रके हेराजन भोग से दुख मिलताहै और जनक सिर हिला देते हैं क्योंक्योंकि उसने भोगा प्रचुर मात्रा मेंभोगा जनक सिर हिला लेते हैं तुम मत स हिलालेना क्योंकि तुमने अभी भोगानहीं तुम्हें तो अी खाने को 5 किलो आटामिलताहै तुम कैसे तृप्त होपाओगे जनक ने भोग लिया है साम्राज्य भोगलिया है सभी प्रकार के व्यंजन चख लिएहैं जो मन में आया सो कियाअष्टावक्र की बात वही व्यक्ति जान पाएगाऔर हां करेगा जिसने सही भोगदिया तुम तो अगर गर्दन हिलाओ गभी तो वह सिर्फ एक पाखंड मात्रहोगा तुम्हारा कंक्लूजनक्षण के भी हो सकता है फ टा किसी ने आपकोधोखा तो आप कहोगे सभी धोखेबाज होते हैंपुरुष धोखेबाज होतेहैं स्त्रिया बेवफा होती हैं यहक्षणिक कंक्लूजनहै और आप क्षणिक कंजन देते हो क्योंकि एकबार अंतरंग क्षणों मेंतुम्हें सुख तो मिलता है लेकिन फिर तुमदूसरी तरफ दूसरे दिन फिर भागतेहो पा नहीं सकते तो तुम कहते हो हां नहींमिलतासुख लेकिन तुमने पर्याप्त अभी भोगाना एक बार की तुमनेभोगा लेकिन परिपूर्ण रस नहीं निकलापरिपूर्ण रस निकलेगा जनक का जो पूरा भोगलेतेहैं जन का दरबार लगाथा किसी भिक्षु को उसके गुरु ने पहुंचादिया था कि बस ईमानदार गुरु होते थे उसक्षण की बात है जनक कोई आज नहीं हुएअगर कम से कम आखिरी जनक को देख लिया जाएतो वह 8000 साल पुरानाथा भगवान राम का क्षेत्र वक्त 8000 साल केकरीब बैठताहै तब जनक उसके ससुर थे और यह 19 जनकोविकऐसे ही जनं की परंपरा में19 जनकहुए और आखरी जनक देखे गए भगवान राम केससुर कीतरह गुरु कहने लगे मेरे पास जो था मैंनेतुम्हें बता दिया ठीक भीहै प्राइमरी तक जानने वाला टीचर अगर कहेकि बस भाईअब पांचवी तक पढ़ा दिया अब तुम हाई स्कूलजाओ और हाई स्कूल के बाद टीचर अगर ईमानदारहो व कहे कि अब विश्वविद्यालयछ और विश्वविद्यालय के बाद अगर कोईईमानदार है वह कहे अब रिसर्च करो इतना तोखोज लिया गया अब तुम खोजो क्योंकि खोजनेको बहुतइस संसार कीखोजें ना पूरी हुई ना पूरी होंगी कोई भीकाल आ गयाहो कितना ही समृद्ध काल आ हो खोज कभी पूरीनहीं हुई और खोज पूरी कभी नहींहोगी साइंस अधूरा ही रहेगाहमेशा और परमात्मापूर्ण है और पूरा ही रहेगाहमेशा लेकिन तुम्हारा मन नहीं मानतातुम्हारा मन कहता हम खोज लेंगे सब खोजलेंगे और तुम्हारा मन यह भी नहीं मानता किपरमात्मा पूर्ण रहेगा सदा तुम कहोगे नहींहम परमात्मा को भी जीत लेंगे किसीदिन तुम्हारी मति उल्टी हैतो उस गुरु ने कहा कि मेरे पास जो थातुम्हें बतादिया इससे आगे तुम जनक के पासजाओ अच्छा गुरु था उस जमाने का बड़ाविख्यात गुरुथा ऐसा लगता था कि उसके जाने के बाद किसीऔर के पास जाने की कोई जरूरतनहीं लेकिन उस गुरु ने सब कुछ बता दिया औरकहता बस शिष्य के आगे हाथ जोड़कर खड़ा होगया यहां तक मुझेपता आज का गुरु नहींहोगा आज का गुरु कहता है मैं सब जानू मेरेपास बैठजा डेरे मेंही बैठेरहो मैं पचादूंगा ऐसे कुछ तब नहीं होताथा ईमानदार लोग थेईमानदार गुरु होतेथे ग जनक के पास सांझ होगई देखा दरबारलगा शराब डंड रही है महफिल सजीहै जाम खटक रहेहैं तंग नाच रहे हैंऐसा वातावरण तो उसने आंखें मूंद ली अरेराम राम रामराम यह कहां भेजदिया गुरु जी ने कहां भेज दिया यह गुरु जीक्याय गुरु जी है तो गधेहैं यह तो मेरे साथ मजाक करदिया भागा वहां से लेकिन जनक की दृष्टि सेकोई बच सका हैजनक ने पीछे आदमी लगा दिया पकड़ोउसको थोड़ी देर में आयामैं निपटा के महफिल को जनक गए उस भिक्षुके पास कैसे आए थे और आए तो फिर भागेक्यों और इतनी रात गए क्यों भागे कहांजाओगे वो कहता है जी क्या पतामेरे गुरु ने मेरे से मजाक करदिया कहते बस मुझे जितना आता था उतना बतादिया अब जनक के पासजाओ फिर फिर मैंने जो हाल देखा आपको पताहीहै राम राम राधे राधे राधे भागगया कहते कोई बात नहीं भागना ही है सुबहभाग जानालेकिन भागे क्यों यहबताओ देख ही लेते हम क्या कर रही हैंअच्छी तरहसे मैं इसलिए भागा कि आपसे तो मैं अच्छाहूं मेरे पास मात्र दो लंगोटीऔर दो लंगोटी में मैं संतुष्टहूं बस गुजर बशर बढ़िया हो जाता है मांगके खा लेताहूं और तुम्हारे पास सब है लेकिन तुमतृप्त नहींहु इसलिए भागा इससे क्या उम्मीद रखूमैं अब कृष्ण की हालत देखकर कोई क्याउम्मीद रख सकताहै बताइए 16000 108रानि लाखों पुत्र पुत्रियांऐसा श्रृंगार मोरमुकुट टेढ़ी टांग कीय खड़ा है मुरली बजारहाहै अब इससे उसका हुलिया देखकर कोई क्याउम्मीदकरेगा यह लंगोट धारी खास तौर से चड्डीधारी क्या कल्पना करेंगेकृष्ण कृष्ण जो करते हैं सरे आम करतेहैं उनका कोई पहलू तुमसे छुपानहीं सरे आम शिशुपाल का वध करते हैं सरेआमराणि हों के साथ रहते हैं सरेआम बच्चेपैदा करते हैंतुम्हारे में और उसमें क्या फर्क है मुझसेलोग पूछ लेते हैं हम में और गांधी जी मेंक्या फर्कहै गांधी जी अपने दुष्कर्म को लिख देतेहैं बता जातेहैं तुम अपने दुष्कर्म को छिपा लेते होयही फर्कहै और इससे बड़ा फर्क हो भी नहीं सकतातुम सारा मीडिया झोक देते हो कि हम नहींहै वोह और वो सहज बता देते हैं लिख के चलेजाते हैं सत्य के प्रयोग में मैंने ऐसाकुछ कियाभाई वेन माय फादर वाज ऑन द डेथ बेड आई वाजन द कस्तूरबेड बस यही फर्क है इसे तुम फर्क समझो तोतुम्हारे में और कृष्ण में बस यही फर्कहै यही कहने लगा वह भिक्षु तुम्हारे मेंऔर मेरे में क्या फर्कहै मैं दो लंगोटी में संतुष्टहूं और तुम महलों के राज काज में नौलखाहार पहन रखे हैंतुमने भरे पड़े हैं तुम्हारेसेवकसेविका मंत्रीपरिषद तांग है एक से एकसुंदर बली एक से एक बली फौज है तुम्हारेपास हाथी हैं घोड़े हैं सब है तुम उससे भीसंतुष्ट नहींहो फिर भी शाम को यह कंजर खाना करतेहो क्या जरूरत पड़ीजनक ने कहा ठीक कोई बात नहीं तुम आ गए होरात कहांजाओगे अमावस्या की रात है घोर अंधकारहै कहीं कोई रोशनाई की किरण दिखाई नहींपड़ती मौसम भी कुछ भीगा हैतूफान चल रहा है ऐसे में कहांजाओगे मेरे एक दरवाजे को खुलवा देता हूंमैं कमरे में आरामकरलो सुबह होते चले जाना जाना हीहै तो सुबह होते चलेजनाम मैं भी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाताहूं मैं जगा दूंगातुम्ह रात भर कहां भटको गअंधेरा है जंगली क्षेत्रहै सांप बिच्छूहैं डाकूहै वैसे तो तुम्हारे से कोई छीन भी लेगादो लंगोटहै लेकिन फिर भी जान तोहै यह तो बड़ी कीमती है हां यह तो है तोकोई मार ही दे यह जज बात उसके बात तो ठीकहैचाहे दो लंगोट है लेकिन जिंदगी तो बड़ीअमूल्य है ना इसका तो हीरे ज्वारा सेमूल्य तोला नहीं नाजाता बात जच गई और जनक ने पकड़ लिर कृष्ण होते तो वो कहतेनहीं येय जान भी क्या है रदास होते तोकहते नहीं माटी का पुत्रा कैसा नचतहै कैसा जानकृष्ण कहते नहीं वह नहींमरता जिसको यह डाकू मारदेंगे जिसको सांप काटलेगा वह मैं नहींहूं जिसको शस्त्र काट लेगा वह मैंनहीं मैं कहां लूटा जाता हूं मुझे कोईनहीं लूटसकता लेकिन अज्ञानी था भिक्षुक इस बात कोदेह के साथ मोह था कहता यह तो बात ठीक गजबकी की आपने एक चीज तो बड़ी अमूल्य है मेरेपास बा ठीक मैं रात भरठहर सुबह जाऊंगा क्यों जान को जखम मेंडालना रुकगया तुम्हारे में और मेरे में फर्क क्याहै यह पूछा थासुबह उठे जनक ने जगा लिया बड़े मजे सेसोया पिल्लो थे बड़े गदम गदम बड़ी नींद आईकठोर धरती पर सोया था आज प्रथम बार सोनेको मिला और नींद खूब गहरीआई और उठासुबह दरवाजाखोला जनक ने प्रणाम कियाऔरभिक्षुक चुप खड़ारहा जनक ने दोनों हाथों से प्रणामकिया हेप्रभु नमस्कारहै जनक आपको प्रणाम करता हैऔर भिक्षुक ने स्वीकार किया वाक ही जरूरतमैं योग्य हूंइसके दो मात्र लंगोटी है मेरे पास प्रणामकरने तो योग्य हूंही त्यागी लोग इसी बेस के ऊपर अपने आप कोमाननीय मान लेते हैं कि मैं पूजा करने केयोग्य हू इतना त्यागाअभी पीछे खबर आई 4 हजार करोड़ कामालक लात मार के मुंड मुंडा लिए जैन मुनिहो गया मैंने कहा बड़ी हिमतदिखाई कहां परखी जाती है हिम्मत वस्तुओंको छोड़नेसे हिम्मत तो कुछ औरहै वो तो जब हिम्मत की परीक्षा होगी तबपता चलेगातुम्हें कहने को तो बहुत बुद्धिमान होतेहैं नरेंद्र दत्तजैसे विवेकानंदजैसे बड़े धरले से पूछते हैं ईश्वरहै सभी सेपूछा और राम कृष्ण के आड़े आ गए ईश्वरहै राम कृष्ण कहते हैं हां हैदेखनाहै अब पहली बार थर राय इस व्यक्ति कीआंखों में कुछ चमक थी वाणी में कुछ दमकथी बिजली से गंद गए अनमने से बाप से बोलेहां देखना है किसी तरह साहस जुटाया होगाबेचारेने अब ऐसी तो उम्मीद ही नहींथी चला था हरानेमस्तक हो गया ऐसा जवाब मिलेगा उम्मीद हीनहीं उससे लोग पूछ लेते हैं भगवानहै हांहैप्रमाण प्रमाण मैंने देखाहै अगर मैंने ना देखा हो तो कोई प्रमाणकाम नहींकरेगा जैसे तुम तुम्हें कोई प्रणाम कामप्रमाण काम नहीं करताक्योंकि तुमनेदेखा इसलिए तुम प्रमाण मांगतेफते मैंने देखा है बस इतना प्रमाण काफीनहींहै इट इज द ऑथेंटिकप्रूफ जीवन का प्रमाण होना चाहिएचमत्कारों कानहीं चमत्कार तो तुम जिधर देखोगे उधरईश्वर ही ईश्वरहै ईशा वास सर्वम यत किंच जगत याम जगतलेकिन वो आंखें कहां है है तो जर्मचक्षु उस आंख से दिखता हैपरमात्मा चमड़े की आंख से नहींदिखता और कृष्णयही सही प्रमाण को दिखाने केलिए अर्जुन को वो चर्म चक्षु के अलावाज्ञान चक्षु प्रदान करते हैं दिव्य चक्षुजीने कहते हैं अब तू देख इन आंखों सेदिखेगा जैसेदूर दूर कहीं नगन आंखों से नहीं देखे जासकता ब्रह्मांड केपार लेकिन हरबल नहीं तो जेम्स वेव देखलेताहै उन चीजों को जो नगन आंखों से दिखाईनहीं पड़ती आंखों की अपनीएक सामर्थ्य हैदूरबीन की अपनी एक सामर्थ्य है टेलिस्कोपदेख लेगा आंखें नहीं देखसके राम कृष्ण ने कहाहै तुमने देखा हांदेखा तुमने देखना है बस इस इसकी उम्मीदनहीं थी विवेकानंदको अनमन से भाव से सर हिला दिया हां देखनाहैकिसी तरह दृढ़ किया होगा संकल्पको एकदम से सारे प्रश्न भीतर से उठाए मरनापड़ता है सुनाहै सुना है हिलजाओगे तूफानों की तरह उठ जाएगा तुम्हाराअहंकार सारे अचेतन में घुसे हुए वो शब्दबाहर निकल आए और घबरा तोगया लेकिन किसी तरह के कह दिया कि हांहिम्मत जुटा के देखना चाहताहूं नकली नकली जिज्ञासु का यही हसर हुआकरताहै इसलिए मैंने तुमहे बहुत बारकहा ईश्वर की खोज सेपहले ईश्वर की खोज की मुमुक्षा पैदा करलेना तंग आ जाना इस संसार से बाज आए इसमोहब्बत से उठा पान दानअपना भोगों से तंग आजाना फिर उठेगी मुमुक्षा जिसे अष्टावक्रकहते हैं भोग से दुख होगा और दुख सेवैराग्य नहीं है कुछ यह थीम आ गयाएक्स्ट्रेट आ गया संसार का भोग से दुखमिलता है यहजानोगे और दुख से वैराग्य आएगा नहीं हैनहीं है कुछ छोड़ के चले जातेहैंबहुत सर पर हाथ रख दिया लोदेख भीतर ही भीतर जाते गए जब भी मिलेगाभीतर से मिलेगा यादरखना तेरा[संगीत]साहिब है तुझमाही तेरा साहिब[संगीत]है तुझमाहीबाहर नैना क्योंखोले मन मस्तहुआ फिर क्योंबोले मन मस्त हुआ फिर क्याबोल उस काम पर पहुंच गए जहां मैं कहता हूंसाहस की जरूरत पड़तीहै जब मुनि लोग कह देते हैं इतना तो छोड़[संगीत]दिया वह तो छोड़ा चड़ाया था भाई तुम नहींछोड़ोगे तो मोत छुड़वा लेगीतुमसे इसकी फिक्र मत करो जो तुम आज छोड़ाहै वह तो तुम नहीं छोड़ोगे और बढ़ा लोगेया बढ़ाते ही जातेजो एक नंबर के अमीर हो जाते हैं पहलेहिंदुस्तान के फिर वर्ल्ड के हो जातेहैं बढ़ाते जाते हैं उनको एक दिन मृत्युउनसे छुड़ा लेगी क्योंकि झूठा सपनाहै यह सर लोगों नेदिखाया आईएस बना देंगे बड़े सुखी होजाओगे लेकिन सुख इतनी हल्की बात थोड़ीहै सुख बड़ी गहरी बातहै सुख ना संकल्प में है ना समर्पण में हैसुख कहां है हम आगे चले पता लगेगातु वहां जाकर कप है मृत्यु दिखी सामनेतांडव नृत्यकरती वही शंकर जिसकी पूजा करतेथे येमृत्यु के रूप में उसे देख नासके चिल्लाए चीख निकली स्वामी जी मेरेमां-बाप भी हैं भाई बहन भीहैअच्छा तो हाथ उठा लिया फिर तू बाहरआा फिर पुत्र काहे कह रहा थाकि हां देखनाहै इसलिए मैं कहता हूं पहले हिम्मत जुटाकेआओ ऐसे ही फिर कच्चे कच्चे आओगे तो कच्चेकच्चे चले जाओ अब कहां पहुंचेविवेकानंद जख मारते फिर रहे हैं आजभी आखिरी हिम्मत होमिट जानेकी क्षमा के भीतर राख होनेकी य शंकर प्रतीक[संगीत]हैं जो अंग के ऊपर भसम लगाते हैं यहतुम्हें बताते हैं सबसे पहले कि यहतुम्हारा वास्तविक स्वरूप है यह देह इसभस्म में तब्दील हो जाएगा यह भस्म जोमैंने लेपन करयह सिर पर रखे हुए केस यहप्रतीक बाहर की ऊर्जा भीतर प्रवेश नहीं करसकेगीक्योंकि आमतौर पर वातावरण में नेगेटिविटीबहुत ज्यादा भरी पड़ी है जिन्हें हमलासानी तरंगे कहतेहैं तो प्रकृति बड़ी समझदार हैजिसका शरीर ज्यादा सेंसिटिव होता है उसेज्यादा बाल घनीभूत करके दे देताहै स्त्री का शरीर ज्यादा नेगेटिविटी सेभर जाता हैजल्दी इसलिए स्त्री को गनी तुम जुल्फे कहदेतेहो थोड़ थोड़ा सा शेर अर्ज कर दूं याद आगया तेरी जुल्फों के साई के तले आरामकर तेरी जुल्फों के साई के तले आराम कर लूमगर डर लगताहै कि कहीं इसमें जुए नाहो ये जो जटा झूठजो बुद्ध रखतेहैं यह जो जटा जूठ शंकर रखतेहैं यह बाहर की लासानी तरंगों को भीतरजाने से रोकतेहैं और भीतर की आसानी तरंगों को बाहर जानेसे रोकतेहैं स्त्रियां बहुत जल्दी नेगेटिविटी कोखींच लेते हैं बड़ी भावुक होते हैं आंसूतो उनके यहां रखे होतेहैं तुम देखलोथोड़ी सी बात करोगे डलक डलक आंसूपड़ेंगे भावुकहै इसलिए स्त्रियों को सिर पर गने बालदेती है सिर ही है महत्त्वपूर्णसिर ही मांगते हैं परमात्मा कल मैंने कहाना श्यामबाबा तुम श्याम बाबे के कटे हुए सिर कीपूजा करते हो यह मतलब तो नहींथा तुम कहते हो शंकर ने अपने ही पुत्र कासिर काट दिया यह मतलब तो नहींथा ऐसा किया कि उसका अहम टूटगया तुम शरीर नहीं हो यह टूट गया भ्रम टूटगया ऐसा किया भगवान कृष्ण ने और भगवानकृष्ण ना कर पाएंगे तो और कौन कर पाएगाभगवान कृष्ण के सानिध्य में ही अहंकारटूटताहै बहुत जल्दी टूटता है बहुत जल्दी पिघलताहै इसलिए मैं तुम्हें कहता हूं सच्चे संतकी शरण में बैठ जाना बस सिर्फ बैठजाना जरूरी नहीं कि उसके पांव के तले चिपकके बैठ जाना नहीं उसके प्रभाव क्षेत्र मेंबैठजाना संत का प्रभाव क्षेत्र बहुत गहराहोता है5 500 मीटर तक काम करताहै उसके प्रभाव के क्षेत्र में बैठजाना और बर्बरीक कृष्ण के प्रभाव क्षेत्रमें आगए बरबरी कहने लगे मैं देखना चाहता हूं जोसच में होगा बड़ी जिज्ञासा है कौन जीतेगाकौनहारेगा कृष्ण कहने लगे देख लो लेकिन इनचरम चक्षु से नहीं वही बात जो अर्जुन नेकही सच्चाई दिख जाएगी लेकिन चर्म चक्षु सेनहीं मैं तुम्हें दिव्य चक्षु प्रदान करदूंगा वही रबिक सेकहे सिर देना पड़ेगा दिव्य चक्षु लेने केलिए अर्जुन को भी यही कहा अर्जुन तो कपरहा था मरे तो पड़ेतुम ना मारोगे भगवान तो यह विषम पितामहगुरु द्र यह मारदेंगे तुम्हारे हाथों मर जाऊ अच्छा ठीकसमर्पित होगए सर्व धर्मा परत मामे कम शरणम प्र हो गएशरण और दिव्य चक्षु मिल गया ऐसे दिव्यचक्षु नहीं मिलाकरते तो बारी तो मन कीभटकन है जो कहती प्रभु मुझे भी दिव्यचक्षु दे दो योग्य हो जाओ भाई गंदा नालाकहे कि मेरे में घी डाल दो बताओ जरा कोईफायदा है घी भी विकृत होजाएगा होजाएगा तो सिर दे दिया हंकार दे दिया तुमनेसचमुच में सिर काट के वो कटा हुआ सिर कीपूजा हो रही है इन मूर्खों को पता नहींलंबी लंबीकतार दर्शन करने हैं काहे दर्शनकरने दर्शन तुम्हारे भीतर होंगे भाई इससेकुछ सबक लेलो इस कटे सिर से कोई सबक ले लो अगर लेसकते हो पूजा मतकरो तुम पूजा में लग जाते होक्या सबक लेनाहै येतो प्रेममिलन की[संगीत]चा अगर तुझे उस प्रेम से मिलने की चाहहै शीश तलीधर शीश तलीधर शीशतलीधर जतो प्रेम मिलन की[संगीत]चा शीश तलीधर घर मेरेआओ घर में मेआगर मेरेआ येतो प्रेम मिलन की[संगीत]चा उस प्रेम के राजा के पास जाना चाहतेहो ओशन ऑफलव प्रेम का समुद्रतो सबसेपहले शीश को तली पर रख लो काटके यह एक सिंबलथा एब्रिवेशनसिंबॉलिक रिप्रेजेंटेशन जिन्हे तुम प्रतीककहतेहो जैसे ए2 प्रतीक है पानी का एन सी एलप्रतीक है नमकका लेकिन एएल को ब्लैक बोर्ड पर चाटो तोनमकीन नहीं होगाएचट को ब्लैक बोर्ड पर चाटो ग प्यास नहींबजेगी वह प्रतीक है तुम ऐसा ही कर रहेहो कटे हुए सिर की पूजा कर रहेहो फिर तुम कहते हो तुम समझदारहो तुम अंधे हो तुम महा मूर्खहो यह पुजारी पंडे यह मोटे पेटों वालेतुम्हे ठग रहेहैं असली मतलब यह है अहंकार की बलि दे दोवो चाहे हवन था यज्ञ था हमने कुछ भी कियालेकिन उसके मूल में क्या था अहंकार को मारदो अहंकार की बलि दे दो प्रत्येक धर्मोंमें यह चीजबनाई इस्लाम में बनाईबकरी अल्लाह को प्यारी हैकुर्बानी जिसकी कुर्बानी देनी चाहिए वहबरबरी ने देदिया तुम बकरे की मेमने की प्यारे प्यारेबच्चेकी बलि दे देतेहो और कामना करते हो किअल्लाह जब होगी कयामत तो हमें ले जाएगाजन्नत में नहीं लेकर जाएगा तुम ऐसे हीचड़ोगेईसाइयत ने कहाकन्फेशन है हिम्मत कन्फेशन करने कीजिन्होंने कन्फेशन किया उनको तुम गालीनिकालतेहो अजूबा हैना गांधी कहते आई वास ऑन द बेड ऑफकस्तूरबा वेन माय फादर वाज ऑन द डेथब मेरे पिता मृत्यु सया प थे और मैंकस्तूर भा के शयाथा तुम्हारा अहंकार टूटेगा तुम कहोगे नहींतुम तो आज तक नहीं बताते कि तुम चरण चुंबकबने रहे कहे चले गएभाई आजादी का वेला था हजार साल से गुलामथे वेला था बा मुश्किल माहौल बना था साथरल लेते छोटा भाई छोटा भाई होताहै सावरकर 14 साल छोटेथे 69 का उनका जन्म 83 का उनका जन्म 14साल छोटे थे छोटे भाई की तरह थे छोटे भाईकी तरह कामआते लेकिन चरण चुंबक बन गए मैं आजादी नहींहोने दूंगा हिंदुओं के और आज तुम कहते होहिंदू राष्ट्रबनांग हमें शर्म नहींआती अरे हिंदू राष्ट्र बनाओगे तब तुमक्यों तुम चरण चुंबक बनेरहे जो अपने गुनाह लिख गया ईसाइयत कहती हैकन्फेशन ऑफ एरर्स ह्यूमन टू एरर आदमी गलतीका पुतलाहै लेकिन उन गलतियों को स्वीकार कर लो महतआत्मा होती है वो जो अपने गुनाहो कोस्वीकार कर लेतेहै और तुम कहते हो राष्ट्रपितागांधी ने कहा मुझे राष्ट्र राष्ट्रपिताबनाओमहात्मा किसने उपाधि दी महात्माकीबताओ अगर कोई दूसरा उपाधि दे दे तो तुमक्याकरोगे मुझे लोग कुछ संत कह दे तो इसमेंमैं क्या करूं मेरा कोई दोष हैक्या भाई उससे पूछो यह कैसे संत है बहुतसे लोग हैं जो मुझे लफंगा लुचा कहते हैंहैं ऐसे पूछो उनसे जाके वह बड़ी बड़ीकहानियां बताएंगेआपको उनसे पूछोना तुम उनसे क्यों पूछते हो जो मुझे संतकहते हैं तो मेरा कोई कसूर नहीं कहवाले को कहनेदो जिनकी रही भावना जैसे प्रभु मूरत तनेदेखीतसे मैं व विश्वर रूप हूं जो कभी नहींमरता जो कटता नहीं जो सूखता नहीं जो गलतानहीं तुम जो चाहे कहते रहो तुम जिसकी बातकरते हो वह मैं हूं नहीं यह मैंने भी जानादेरे से जानाबहुत देर कर दी मेहरबा आतेआते वक्त लग गया उससे पहले बड़े कतककी सबने किया मैंने भी किया किसने नहींकिया फिर कन्फेशन करने में हर्ज क्याहै कन्फेशन करने में तुम हल्के होते होमैंने पिछले प्रवचनों में कहा कि तुम्हाराकोई परम मित्र होनाचाहिए जिससे तुम हृदय की बात कह सको और वोतुम्हें ब्लैकमेल ना करे मेरे पास तो रोजसे कहते आती है ये पास्ट लाइफ रिग्रेशनवाले हम कुछ कह देते हैं हमें ब्लैकमेलकरतेहैं क्या कोई कन्फेशन करेगा इनकेसामने कन्फेशन करो संत केसामने जो स्वीकार करेके होमन इ टू एरस सभी करते हैं गलती मैंनेभी की तुमने भी की कोई बात नहीं चोर चोरमुसे रेभाई खुश नहीं होते तुम देखकरमुझे मैं तुम्हारे जैसाहूं क्या हो गया थोड़ा सा आज बदल लिया तोहूं मैं तुम्हारे जैसा एक तल पर एक तल परबदलाउस तल पर तुम भी बदल जाओ यही कहताहूं विवेकानंद चीख मारते हैं चिल्ला पड़तेहैं जनक कहने लगे चलो घूम आएथोड़ा थोड़ा घूम आए मिथिलापुरी में आओतुम्हें दर्शन करा दूं बाग बाटिकाके चलो क्या राजा था डरता भी था मसल मैनखड़े थे सामने बालेलिए तलवारेंनंगी कटवा दे का करना माना जबरदस्ती शहरको भी जाना पड़ा निकल गए बड़े दूर निकल गएबड़ी दूरनिकल और भिक्षु कहने लगा अरे कहां तकजाओगे राजा जी मैं तो थक गया हूं चलो वापसचले अरे क्या जल्दी पड़ी है जाना कहांहै पीछे मुड़ केर देखा देखो महलों को आगलगी लगी होगी भाई क्या लेना है तुमने चलेजाओ कहां जाओगेतुम जनक चलते ही जाते हैं भिक्षुक चलतेनहीं जाते रुक जातेहैं भिक्षुक तो भाग पड़ा पीछे कोये जलते हुएमहल कहता यह मेरे हैं जलेंगे तो जलने दोतुम्हारा क्या है भिक्षु कहता मेरी एकलंगोटी पड़ीहै एक लंगोटी वहां पड़ी है एक मैंनेडाल तो जनक ने भाग के पकड़ लिया उसेतुम कहते थे कि तुम में और मेरे में क्याफर्क है यही फर्कहै मेरा सब जलगया और मैं अगर वापस भी नाजाऊंगा तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा तोमैं वापस जाना ही पड़ेगा वो लंगोटी बुलारही है तुम्हें मुझे महल भी वापस ना बुलापाएंगे वह हीरे जहरात जो तुम कहते तोतुम्हारे पास हैं मुझे वो भी ना खीचपाएंगेमुझे वह नृत्य गनाए और मेरा राज काज औरमेरे महल दरबार मेरीरानियां मेरेघोड़े मेरे हाथी मेरी संपदा मुझे वापस नाले जा पाएगीऔर तुम लंगोटी लंगोटी ने खींच लिया बातखींचने कीहै बात द्रव्यों की नहींहै मौत खींच लेती है आखिर में तुम कितनेखींचते हो जीते जी इसे ही कहते हैं मरजवड़ा जीते जी मरे जैसे हो जाओ मरा कभीखींचताहै मरे को गाली निकाल दो या ठुडा मार दोकभी गुस्साकरेगा मृत वत हो जाओ मैं सदा कहता हूंतु जीत जी मर जाओऔर बुध ने ये करकेदिखाया तुम भी कहते हो करके दिखाएंगेलेकिन वो बात कुछ और है तुम तो आईएस बन केदिखाओगे तुम तो लोगों को बताओगे कि मैंबलशाली हूं फिर क्या हो जाएगा किसकोबताओगे जो आज है कल नहींरहेंगे नाम किसके आगे कमाओगे मैं हूं तोमुमकिन है जो आज है और कल नहीं रहेंगे तुमकहते हो नाम रहेगा कितने कितने नाम खाकमें मिलगए जो आए दुर्रथे खाक में मिलगए आज जिनका नामोनिशान नाम लेवा पानी देवा कोई नहीं बचाउनका नाम किसका बचा है और नाम बच भी जाएतो फर्क क्या पड़ताहै हां लोग बुतों को तोड़ देते हैं क्याफर्क पड़ता है यह मानसिक विक्षिप्त केलक्षण है इनका मानसिक उपचार होनाचाहिए इनको डॉक्टर के पास कंसल्ट करनाचाहिए दवा लेनी चाहिएएंटीडिप्रेसेंट यह पागल तरह के लोग है अरेमर गया य तो पत्थर को तोड़ रहेहो रोज देखता हूं कभी अंबेदकरबुत तोड़ देते हैं कभी गांधी को गोली मारदेते हैं अरे भाई मार तो दी गोली और क्याकरोगे वह मर गया फूकदिया अब और गोली मारोगेउसको यह तुम्हारे दिमाग की सड़ांधमिट नहीं चाहिए यही कहता है यहसूत्र और भिक्षु को समझाइए मुझे एक नोटीखच लेकर जा रही है और जनक को राज महलरानियां मुकुट जिन्हें मैं संपदा कहता थाइन्हें संपदा जैसे नहीं लगती यही भगवानशंकर कहते हैं यह शरीर यह जो मैंने लेपनकिया है इसमें बदलजाएगा यह जो त्रिशूलहैत्रिगुण इस माया के भीतर रजोगु सत्व गुण तमोगुण में कैसे अपने बस में रखना है हाथ मेंहैउनके यह तीनों गुण तुम्हारे हाथ में होनेचाहिए यह तुम्हारे मालिक ना बन जाए तुमइनके मालिक होहो सिर के जटा झूठ और सिर से निकलती हुईगंगा की धारा यह बड़ी कमाल की बात है यहतुमसे सर्व ना होपाया तुम त्रिगुणा तीत होजाओ यह तीन गुण से संपन्न प्रकृतितुम्हारे हाथों मेंखेले तुम इंद्रियों के गुलाम ना रहो इंद्रबन जाओ राजा हो जाओ इंद्रियों पर तुम्हाराआधिपत्यहो तुम्हारे हुकम से इंद्रियां काम करेंइंद्रियों के हुकम से तुम काम ना करो तुमतो इंद्र के गुलाम इंद्रिया तुम्हें कहतीहैं इंद्रिया उत्तेजित हो जाती हैं जीवास्वाद मांगतीहै और बाकी इंद्रियां अपना अपना काममांगती हैं बस इतना ही समझ लेना काफी हैबाकी बदा हो जाताहै तुम इंद्रियों केगुला और संत कहते हैं तुम इंद्रियों केगुलाम तुम इंद्र बन जाओ इंद्रियों पर राजकरोतुम्हारे चाहने से होरात तुम्हारे चाहने से हो दिन तुम चाहो तोइंद्रियां काम करें तुम चाहो तो इंद्रियाकाम ना करें क्योंकि तुम मर्ग हो जब तुमनिकल जाते हो तो इन इंद्रियों का क्याहोता है वही पड़ी रह जातीहै समझ तुम्हें फिर भी नहींआती मालिक तुम थे तुम गए तो इंद्रिया शांतहोगई मृत्यु के बेला में भी तुम्हें समझनहीं आती के मालिक तुम थे तुम निकले केइंद्रियां ठहर गई तो जीते जी तुमइंद्रियों पर राज करनेलगो तुम्हारे कहने से दिन निकले तुम्हारेकहने से रातहो तुम इंद्रियों के गुलाम मत बनो तुमइंद्रियों के मालिक होजाओ जटा जूट में से निकलती हुईगंगा जटा टवी गल जल प्रवाह स्थले गलेअवलंब लंबिंग भुजंग तुंग मालिका डम डम डमनिनाद डमर वयम चक चंड तांडव तनो तुना शिवशिवम इसका क्या रहस्यहै आइए तो मैं कुंभ के रहस्य को बता द आजअच्छी तरह सेबताता सभी ग्रहों कापानी पर गहरा प्रभाव पड़ताहै किसी विशेष स्थितियों में चंद्रमासूर्य औरबृहस्पति की विशेष स्थितियोंमें प्रभाव किसी विशेष स्थान पर ज्यादापड़ताहै ऐसा कहलो कि यह तीन ग्रह ग्रह तो सभी डालते हैंअपना अपना असर लेकिन मुख्य यह तीन ग्रह येकिसी विशेष जगह पर कंडेंसेशन प्रवाह डालतेहैंइफेक्टजैसे समुद्र के पानीमें ज्वार आताहै आम दिनों में क्यों नहीं जाता इतनाज्यादाक्यों किसी विशेष तिथि को आता हैपूर्णमासीको और जल के भीतर क्यों आताहै जलबड़ा रिसेप्टिवहै जैसे मैंने तुम्हेंकहा स्त्री का मन रिसेप्टिवहै ऐसे ही जल बड़ा रिसेपखींच लेताहै इसलिए जल के अंदर प्रभाव पड़ता है किसीविशेष दिन पूर्णमासी का दिन ज्वार बाटाआताहै और दिन क्यों नहीं आ जाता इतनाज्यादा हर चीज का साइंटिफिक प्रभाव हैतुमने नहीं खोजा बात अलग है कभी किसी वक्तखोज लिया गया था बाद में लुप्त होगया पुस्तक जला दी गई नालंदामें लेकिन अब तुम यह सवाल मत करना किबचाया क्यों नहीं क्योंकि तुम भी थे उसवक्त तुम यह कह के बच नहींसकते ऊट पटांग सवाल मत किया करो हम तोउसकी कब्र ढेंगे क्यों डोगाभाई वही वक्त तुम कोई नई इन्वेंशन करनेमें क्यों नहीं गुजारतेथे कब्र उधड़ के क्यामिलेगा कुछ नहीं मिलेगा सवाय राजनीति केउच्च पदोंके यह भी पता नहीं कि मिले कि नामिले तो किसी विशेष ग्रह स्थिति में ग्रहकोन से चंद्रमा के विशेष कलाओं से समुद्रका पानी आंदोलित हो जाता है और तुम्हेंपता नहीं चलता तुम्हारे भीतर भी बिल्कुलसमुद्र का पानी है 70 प्रखारा पानी बिल्कुल तुम चकना कभी अगर खूनकहीं से निकल आई चकना बिल्कुल खारा और फिरसमुद्र के पानी को चकना बिल्कुल वैसे हीमिलेगा पूण मासी केदिन जितनी घटनाएं और दुर्घटनाएं और अच्छीघटनाएं होती हैं पूर्णमासी के दिन ज्यादाहोतीहै पूर्ण मासी के दिन प्रेमी और प्रेमिकाकी याद बड़ी आतीहै रात काट नहीं कटती अब ये खुश हो रहेहैंलोग याद मेंतेरी जाग जाग के[संगीत]हमरात भरकरवटबदलते हैंहर घड़ी दिलमें तेरीलफतके धीमेधीमेचिराग जलतेहैं ये पूर्ण मासी की रात को ज्यादादेखोगेतुम प्रेमी प्रेम काए पूर्णमासी की रात कोसो नहीं पाताहंस रहे हैं बड़ा हस रहे खूब खुश कि इनकेकाम की बात होगई मजा आगया अरे भाई गंगा जो निकलती है शंकर केटाव में से उसकी बात कर रहाहूं तुम्हें इस बहाने भी प्रेमिका औरप्रेमी याद आ जाते हैंपानी सबसेज्यादा ग्रहण शल हैरिसेप्टिव बड़ा शानदार यंत्र बनायापरमात्मा ने पांचों तत्व में सबसे ज्यादारिसेप्टिवपानी और गंगा के पानी में कुछ खासियतहै इसलिए चार स्तनों परजहां जहां भी कहानी है ये तो के जयंतइंद्र कापुत्र अमृत का घड़ा लेकर निकला राक्षसपीछे पड़ गए राक्षस तो पीछे पड़े ही रहतेहैं अमर होने केलिए अमर होने का मतलब हमारा नाम रह जाए खोदेंगे कैप्सूल दबाए यह राक्षस ही तो है औरक्या और बीच में अपना नाम लिखेगा इस तरहका एक राजा हुआ करता था बड़ा बलशाली थाऔर डरते फिरतेहैं माटी कापुथरा कैसा नचतहै कैसो नचतहै डरियो फिरतहै माटी काउतरा कैसा नचत है डरियो फिरत है तभी तोसाथसाथ राउंड होती हैं सेफ्टी की मरनाजाऊ क्योंकि यह भ्रम टूटा नहीं कि मैंशरीर गंगा के पानी में एक विशेषताहै और यह गंगा का पानी निकलना भगवान शंकरकी जटाओसे यह गंगा के पानी की विशेषता को बतागंगा का पानीहै विशेषता है उसमें कुछ ऐसा मिश्र होताहै जिन्हे तुम खंगाल नहींसकते जैसे तुम शरीर के भीतर आज तक चक्करनहीं खंगाल पाए कुंडलिनी नहीं खंगालपाए सहसरा ब्रह्मंद तुम नहीं ंगल पाएअभी तक तुम नहीं खंगाल पाए कभी शायद योग्यहोजाओ तुम अभी तक खुशी गमी दर्द इन लम्होंको पहचान नहीं पाए तुम्हारी मशीने नहींपकड़पड़ती कभी वक्त आ जाएगा जब तुम खंगार लोगेइसको खोज होजाएगी और किसी दिन यह कुंभ साइंटिफिक होजाएगा और किसी दिन य कुंभ साइंटिफिकथा मूर्खों ने आकर इस साइंटिफिक व्यवस्थाको नाश करदिया करी कराई संतों की मेहनत बेकार करदी 13वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी नेनालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया आगलगा दिखैर उनके कुछ नियत स्वार्थ वीडियो पहलेबहुत लंबी हो गई आप देख नहीं पाते आपकीएवरेज व्यू ड्यूरेशन कम आ रही बहुत कम आरही क्योंकि 30 मिनट 35 40 मिनट यहकोई एवरेज व ड्यूरेशन नहींहै बहुत से लोग तो चार चार बार सुन लेतेहैं लेकिन बहुत से लोग कुछ मिनट सुनते हैंमैं मानता हूं गहन विषय हैं सिर के ऊपर सेनिकल जाते हैं लेकिन सुना तोकरो रसरी आवत जाते सिल पर पड़त निशानधीरे-धीरे समझ भी आना शुरू होजाएगा तो बख्तियार खिलजी ने इसको जलाडाला अब तुम क्या करोगे राज करने के बहानेके कारण तुम मुसलमानों को काटोगे मजाकउड़ाओ के कहोगे इनको निकालोयह कोई कारण नाहुआ मेरे बाप दादा कोई गुनाह किए उसे मैंगुनाहगार कैसे होगया कोई तर्क बनताहै महत ऋषि पस्त प्लस्ती के बेटे विषर भाय दोनों ऋषिथे और शरभ के कुल में दुष्ट रावण पैदा होगया तो तुम रावण के कारण विशर और उलसत कोगाली निकालना शुरू करदो यह ठीक है उचित है नहीं बिल्कुलगलत क्योंकि अगर रावण हुआ तो भाई वि सर्भभी तोहुआ प्लस ऋक्ष भी तो हुआ हम उनकी पूजाकरते हैंऔर रावण भी किस तरीके से गलतथा खैर बड़ा लंबा प्रसंग हो जाएगा रावणगलतनहीं रावण ठीकथा इसकी बात किसी दिन बादमें रावण पूजनीय है आज भी पूजनीय है तुमजलाते हो और मुझे तो शिकवा इस बात से हैदुष्ट लोग ब्राह्मण रावण को जलातेहैं र यह लंबी बात होजाए गंगा के पानी में कुछ ऐसा है लहर केरूप में जैसे मैं कहता हूं आसानी तरंगेलासानी तरंगे तुम नहीं खोजपाओगे तुम अपने ही तरीके की अल्फा बीटाथामा गामा यह खोज लोगे लेकिन लासानी औरआसानी तरंगे तुम्हारी पकड़ में नहीं आएगीऔर बहुत सुक्ष्म है आत्मा कीतरह परमात्मा की तरह अति सूक्ष्म है उन परयंत्र काम नहीं करेगा वो तो अनुभव मेंआएंगे तो किसी विशेष ग्रहीय स्थिति मेंआकाश मंडलीय ग्रह स्थिति में किसी जगह परइन तीनों की व्यवस्थाओं का समूह कहींकेंद्रित होता है कहीं नासिक में कभीपुष्कर कभी हरिद्वारमें य चार स्थानोंपर इनका पुंज चौथा उज्जैन उज्जैन नासिकहरिद्वारप्रयागराज ये चारस्थान इन चारों स्थानों पर किसी विशेषआकाशीय ग्रह स्थिति में कुछ सूक्ष्मकिरणें धरती के इन चार स्थानों में पड़तीहैं यह एक साइंटिफिक विधि है आज नहीं कलखोज लीजाएगी ये थाकारण लेकिन आज ये मात्र एक रस्म बनकर रहगया जब हवन को कर्मकांड बना दिया जाए उसकोअर्थ कुछ और ले लिया जाए हवन था स्वयं कोआहूत करना तुमने हवन सामग्री को आहत करनाशुरू कर दिया कोई क्याकरे ऐसे ही कुंभ की प्रथा तुमने बिगाड़ लीबड़ा सुंदर था तुमने उन ऋषियों को भी जानेसे मना कर दिया जो जाकर वहां बदल सकतेथे कोई क्या कर सकता है बिगाड़ातुमने गलत प्रचार करनेवाले गलत लोगों को इकठा कर लेते हैं भलापाप तो तुम करो गंगा क्यों धोएगीभाई गंगा ने ठेका ले रखा है तुम्हारे पापकरने का दोनोंक्यों धोएगी कोई तर्क बनताहै गंगा बिचारी ने क्या बिगाड़ा हैतुम्हारा तुम गंगा को दूषित कर देते होगंगा महा दूषित हो जाती है तुम्हारे जानेसे करोड़ों आदमी जब स्नान करेंगे तुम्हारेवर्ल्ड रिकॉर्ड बन सकते हैं लेकिन गंगा नेठेका नहीं लिया तुम्हारे पाप करने को धोएपाप तुम करो धोए गंगा यह कहां की न्यायप्रणाली आ गई यह तो परमात्मा फिर अनाचारकरनेलगा परमात्मा अन्याय होगया कि तुम पाप करके आ जाओ जितने ज्यादालोग स्नान किए बस पापी ज्यादा बढ़ गए इसकामतलब यह और कुछनहीं पाप की भावना भीतर उठेगीतो बड़ा सरल तरीका दुष्ट व्यक्ति सरलतरीका खोजते हैं पाप को धोने का नर झरा कासरल तरीकाक्योंकि पाप तो करदिया अब जल्दी से धुल जाए कोई आके धो देतो कोई आके धो दे तो गंगा बन जाती हैमाध्यम और तुम्हें अच्छा भी लगताहै लेकिन इस गलती में मत रहना कुंभ मेंजाने वालों मेरी बात को ध्यान से समझ लेनादर्द भी होगा बीमारी भी होगी कैंसराइजेशनदुर्घटनाएं भी होंगी सब कुछ होगा और गंगास्नान तुम कराए कुम पे तुम जाए तुम देखनातुम्हारे जीवन में क्या कुछ होता है और नजाते तो भीहोता क्योंकि परमात्मा का अपना एक विधानहै वह अपने विधान से काम करताहै तुम्हारे विधान से काम नहीं करता व तुमदेख लेना जिन्होंने बुलाया उनके ऊपर भीऐसा कुछ होगा और जो जाके आए ज्यादाडुबकियां लगाई उससे कोई फर्क नहींपड़ता ज्यादा गंदा करा कंगाको यह इनको मैं मान्यताएं कहता हूं जोभ्रमित होगए एक सत्य को तुमने कर्म में बदल दिया थासत्य तुमने कर्मकांड में बदलदिया समर्पण संकल्प ये दोनों करनेपते मेरे पास यहां लोग आ जातेहैं कोई सर्फ प्रणाम करता है कोई पांव केहाथ लगा देता है रजाई कोई हाथ लगा देताहै और कोई दंडवत करता है अच्छी तरह सेपूरा शरीर झुक जाता है जब उठते हैं मैंचेहरे मोरे देख लेताहूं मैं नहीं बताता नहींबोलता लेकिन मुझे पता है यह सिर्फ सरकस कीहै इसने सरकस करके दिखाई मुझे उ दंड आसनदंडवत आसन बस दंडवत आसन की और कुछ लोग ऐसेआतेहैं जो परिपूर्ण श्रद्धा से भरे होते हैंमुक्षपुरी के लिए आते हैं कि बाबा गठा लगादे मेरे पाप धो दे ऐसे ही तुम गंगा के पासजाते यू विल हैव टू डूसमथिंग मैं आने वालों के लिए भी कहता हूंकि देखो जाकर आराम से बैठना एक हफ्ता काअवकाश लेकर आना एकांत में बैठ जाना कुछ नाकरना जो आज मैं कह रहा हूंना संकल्प ना समर्पण तो क्या करना स्वीकारकरना यह तीसरी पद्धति ठहर जाना जो जब तुमस्वीकार करते हो तब तुम ठहर जातेहो ना संकल्प में तुम ठहरते हो वहां भीकुछ करते हो गड़बड़ झोल करते हो ना समर्पणमें तुम कुछ करते हो यह देखो आप सफेदवस्त्र वाली समर्पण करनेवाली इनके दिल कैसे डवा डल होते हैंमेरे पास रोज आते हैंमैसेज मैं क्या कहूं बिटिया तुम फस गई मैंक्याकरू य धर्मों के चक्कर में तुम्ह उलझादेते हैंलोग बस सिर्फ एक अहंकार पैदा हो जाता हैहमारा समूह हमारा कम्यून बहुत बड़ा है फिरइससे क्या होता है दुनिया बहुत बड़ी है आठअरब की दुनिया है यह कम्यून नहीं है अगरसमझो तो वसुदेवकुटुंबकम नहीं समझो तो ठीक तुम्हारे अपनेघर वाले भी तुम्हारे नहीं घर में रोजझगड़ा होताहै ना संकल्प करना है ना समर्पण करना हैअब तीसरी चीज मैं तुम्हें दे रहा हूं क्याठहर जानाहै सिर्फ ठहर जाना है तुम्हारे सब करने औरमंत्र हो अनुष्ठान हो हवन हो यज हो जप होतप हो पूजा हो प्रतिष्ठा हो कुछ भीहो सब भागने के उपाय हैं दौड़ने के उपायहै ठहरने का कोईउपाय सब कर्मकांड है और मैंने तुम्हेंतीसरा रास्ता देदिया इसको बुद्ध ने भी कहा मध्यमार्गठहरो ठहरोपेंडुलम की तरह दो एक्सट्रीम पर मत जाओअति सर्वत्र वत एक्सेस एवरीथिंग बैड इधरजाओ तो भी एक्सेस उधर जाओगे तो भी एक्सेसबीच में ठहर जाओ मध्य सिर्फ ठहर जाओ नथिंगटूडू यह करकेदेखो तो मैं कहता हूं क्रिया योग करो तोयह नहीं कि करो उसके लिए तुम्हारा शरीर भीतो चाहिए निरोग हो जाएगा करने से ऑक्सीजनहो जाएगा भीतर कामाहौल जैसे तुम खाना खाते हो खाना नहींखाते तो वैसे ही तुम क्रियायोग कर लो औरभी तो शारीरिक क्रियाए तुम निभाते होस्नान ध्यान वगैरह नहीं करते होफिर क्रियायोग भी कर लोगे तो भीतर का मलसाफ हो जाएगा वायु के द्वारा कार्बनडाइऑक्साइड निकल जाएगी ऑक्सीजन हो जाएगाशरीर तो नहीं होता तो भाई मत करोयह तुम्हें अपने भीतर ले जाने का एकसुगमता प्रदानकरेगा आसान कर देगा तुम्हारी राह को नहींकरना है मत करो ज्यादा करोगे जल्दी आसानहोजाओगे सहजता से चलेजाओगे और ध्यान ध्यान का तो मतलब यही हैसित्र हो जाओ ठहर जाओ ध्यान में जाओ कुछना करो नथिंग टू डूअ रोज मेरे पास आ जाते हैं मैं कृष्ण केपास फरियाद करके रो लेती थी अब बाबा क्याकरूं मैंने कहा अबतुम सिर्फ रो लिया करो क्या फर्क पड़ताहै किसी के सामने रोने से या सिर्फ रोनेसे क्या फर्क पड़ताहै कृष्ण तो गए बेचारे पहले तो झूठ तुमनेकल्पना में बना लिया था अब सिर्फ रो लियाकरो क्योंकि हल्के तो तुम रोने से हो होग कृष्ण के सामने रोते हो या मेरे सामनेरोतेहो या अपने किसी भगवान के सामने रोतेहो बात काम करेगा रोना वह कैथर सस करेगातुम्हारे भीतर के भावों को और तुम्हारेभीतर के भाव ही तुम्हारे ऊपर भाव हैतुम्हारे ऊपर भार है तुम्हारी छाति के ऊपरबार बनकर बैठे हैं यहभाव यह विचारतीसरारास्ता ठहरजाओ ना संकल्प नासमर्पण कुछ नहीं मत्रठहरो आज कामोरल आज कासबएक्स थीम रसठहरजाओ कुछ ना करो ना भक्ति नापूजा नातपस्या ना संकल्प नासमर्पण मात्र ठहरो नथिंग टूडू ठहरने से मिल जाएगा वह जन्मों जन्मोंसे नहीं मिलाजो आज वक्त कम है बहुत ज्यादा हो गई डेढ़घंटे की पौने दो घंटे की वीडियो हो गईकैसे सुनोगे तुम दो पाठ करके सुन लिया करोतीन करके सुन लिया करो सुन लियाकरो आज रामायण को थोड़े से शब्दों में कहदूंआदो राम तपो बनाद[संगीत]गमनम हवामृग कांचनवैदही हरम जटायुमरणम सुग्रीवसमभाषण बाली न क्रहण समुद्रतरण लंका पुरी दाहतपश्चात रावण कुंभ करण आदिहन तदरामायणम बस इतनी सरामायण सारी रामायण आ गई आदो राम तपो बनादगमनम अथवा मृग कांचन व देही हरम जटायुमरणम सुग्रीवसंभाषण भाषण हुआ सुग्रीव केसाथ बाली निग्रह हमम समुद्र तरण लंका पूरीदनम तत्पश्चात रावण कुंभ करण आदि हरम तदरामायणम बस यहीरामायण धन्यवाद


Post a Comment

0 Comments