SHIV SUTRA जरूरतों और वासनाओं को कम करते जाओ! मानवता के लिए खास उपदेश! How to Live Life?

 

SHIV SUTRA जरूरतों और वासनाओं को कम करते जाओ! मानवता के लिए खास उपदेश! How to Live Life?

आज प्रश्न भी कई हैं और कई प्रकार के प्रश्न भी हैं शुरू करते हैं हम मुख्य प्रश्न से शिव सूत्र 13 का श्लोक 19/5 जरूरतों वासनाओं को कम करते जाओ जरूरतों वासनाओं को कम करते जाओ वहां तक जाओ जहां वासना एं और जरूरतें कम से कम हो जाए और फिर वहां पहुंच जाओ जहां वासना एं और जरूरतें दोनों समाप्त हो जाती हैं बड़ा शानदार प्रश्न है शिव सूत्र का क्रांतिकारी सूत्र उससे पहले छोटे-छोटे एकाद प्रश्न ले लेते हैं किसी मित्र ने पूछा है अमेरिका से बाबा हम क्या करें ट्रंप जीत गए हैं और इन्होंने जो नीतियां बना है अब हमें वापस जाना


पड़ेगा आप इस सारे प्रकरण को थोड़े से शब्दों में हमारे लिए कैसे व्याख्या इत कर सकोगे एक प्रश्न तो यह है साथ-साथ मैं इसका जवाब भी देता रहता हूं फिर मूल श्लोक प्राए पूछा है हम क्या करें तुम वापस आ जाओ क्यों क्योंकि फिर तुम्हें बुलाया जाएगा मतलब मतलब फिर काम आदमियों को करना पड़ेगा हसो मत तुम अपनी जून जानते हो तुम किस तरह वहां रोजी रोटी कमाते हो मैंने एक शब्द बोला कि काम काम आदमियों को करना पड़ेगा तो क्या अब आदमी काम नहीं करते तुम अपने आप को आदमी समझते हो दिन भर रात तुम झूठे रहते हो दूसरे देश की तरक्की के


लिए और वह देश तुम्हें बाहर निकाल देता है निकलो अगर थोड़ी सी भी हया बाकी है ना तो वापस आ इस मूर्ख को पता नहीं के अमेरिका की तरक्की के अंदर सदा से आप जैसे लोगों का योगदान रहा है जब काम करना पड़ा ना आदमियों को तो इनकी अकल ठिकानी आ जाएगा फिर यह आपको बुलाया करेंगे मेहनत कर कर के बुलाया करेंगे जरा ये भी तमाशा देख लो अगर कोई मुल्क किसी मूर्ख को राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री सुन ले तो यह गलती हो जाती है अक्सर हो जाती है मुझे पहले पहले जब ट्रंप की फोटो दिखाई गई मुझे तो पता नहीं था मैं तो एक कमरे की चार दीवारी में


ही अपने आप को कैद कर रखा है कहने लगा बाबा देखना यह कौन है आप इसे पहचानते हैं शान शक्ल से अ फिगर से ओरा से बता देते हो तो जरा देखना ज कौन है मैंने कहा यह व्यक्ति ऐसा लगता है इसकी फिगर से य जा तो या जेल से भागा हुआ है या जेल में जाने की तैयारी कर रहा है तीनों में से कोई बात है अब जरा गौर से इसका मुखड़ा देखना महोदय ट्रंप का समझदारी जैसी कोई बात नहीं लगेगी मैं क्षमा भी नहीं मांगूंगा क्योंकि क्षमा उस चीज के लिए मांगी जाती है जिसमें रत्ती भर भी गुंजाइश होती है गलती की मैं जहां गलत नहीं हू 100% सही हूं यह मूर्ख राष्ट्रपति


है अब देश ने चुन दिया है तो चुन दिया है तुम क्या कर सकते हो तुम वापस आ जाओ जननी और जन्मभूमि तो स्वर्ग से भी महान है अपनी जन्म भूमि में आ जाओ यही आज का सूत्र कहता है जरूरतों और वासनाओं को कम करते जाओ यह आध्यात्मिक सूत्र है शिव सूत्र जरूरतों और वासनाओं को कम करते जाओ कम करते करते इतनी कम कर लो कि बस थोड़ी सी रह जाए और फिर वहां पहुंच जाओ जहां ना तो कोई जरूरत है ना कोई वासना है ये बड़ा गहरा सूत्र है इसकी व्याख्या करते करते मैं आपके प्रश्नों का जवाब जब देता जाऊ हसी खेली दरी ध्यान य बाबा गौरखनाथ का इतना


सुंदर शब्द हंसी वो खेली वो री ध्यान हसेंगे खेलेंगे और ध्यान भी करते जाएंगे जिंदगी इतनी ही मजेदार होनी चाहिए पूछा है मित्र ने धया प्रसाद हम क्या करें बाबा तुम वापस आ जाओ जब आदमियों को काम करना पड़ा मैं तुम्हें आदमी नहीं समझता क्योंकि मुझे यह समझ नहीं आया आज तक और तुम सच कहता हूं मुझे यह समझ नहीं आया कि लोग अमेरिका जाते क्यों है आप जाने के लालायित हो जीभ में से लार गिरती है आप लेकिन मुझे समझ ही नहीं आया कि कोई अमेरिका में जाता क्यों है मेरा सारा परिवार वहां बैठा है लेकिन मुझे आज तक नहीं समझाया कि वहां लोग जाते क्यों


है मैं बताऊं वहां लोग काम करने को जाते हैं यहां पर काम है नहीं जब तुम यहां आ जाओगे तो यहां अपना काम खुद खोज लेना हर जगह काम मिल जाता है खोजने वाला चाहिए इस देश को और ट्रंप कहता है मैं अमेरिका को फिर से महान बनाऊंगा अमेरिका कभी महान था अमेरिका कभी महान था जो कभी गिर गया हो और फिर से तुम महान बनाओ ऐसा कभी नहीं हुआ अमेरिका धनवान तो हुआ री बात को ध्यान से समझ लो लेकिन महान कभी नहीं और भारत हिंदुस्तान धन हीन तो हुआ गरीब तो हुआ लेकिन महान था और कभी महान हो जाएगा तो अगर हमारे उच्चतम लोग उच्च पदवी पर बैठे हुए


लोग इसे विश्व गुरु बनाना चाहते हैं तो सोच गलत नहीं है काम गलत हो यह बात अलग है सोच गलत नहीं है हम विश्व गुरु थे हम सोने की चिड़िया थे कभी किसी देश को हमारे सिवा सोने की चिड़िया का खिताब मिला है इतिहास में नहीं मिला बहुत पुराने मुल्कों में इंडिया है इजिप्ट है ईरान है चाइना है चाइना को नेता ऐसे मिले और लोग ऐसे मिले और जरूरतें थी भुखमरी थी उन लोगों ने मेहनत की और मेहनत का परिणाम है जो आज चाइना 18 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है हिंदुस्तान कहां गच्चा खा गया हिंदुस्तान मूर्खता में मड़ता में गच्चा खा


गया जहां के सीजे आई कागज के गणेश की प्रतिमा की मूर्ति की पूजा कर रहे हैं वहा अकल घास चरने चली गई यह साफ हो जाता है चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट इनके कंधों के ऊपर न्याय करने का भार है दायित्व है और सरे आम लोगों को दिखाते हैं पत्थर की या कागज की गणेश की मूर्ति की आरती उतारते हुए परिवार तो वहां साफ हो जाता है कि इनकी अकल घास चरने गई है और इनको अगर हमने कुर्सी पर बिठाया तो इनमें अकल थी नहीं मुझसे लोग पूछ लेते हैं देश खुशहाल हो जाए सोने की चिड़िया बन जाए सूत्र क्या है आपके पास सूत्र तो मैं बहुत बार बोल चुका


हूं धर्म नाम के इस पछड़ को संविधान में समाप्त कर दो यह धर्म है जिसने लिया बगाड़ दिया इस प्यारे प्यारे भारत का इस धर्म नाम के मल ने हिंदुस्तान का ल बगाड़ दिया और कुछ किताबें ऐसी जिन्होंने मानव और मानव के बीच में खाई पैदा करती मनुस्मृति ऊच तो होता है जैसे स्वस्थ आदमी होता और बीमार होता है पूर्ण अंगों के साथ व्यक्ति पैदा होता है और अपाहिज पैदा होता है वैसे ही कम बुद्धि और कम ज्यादा बुद्धि वाले भी पैदा होते हैं यह समानता असमानता प्रकृति प्रदत है लेकिन मुश्किल वहां पेश आती है जहां स्वस्थ लोगों में बंटवारा हो जाता


है एक कहे मैं श्रेष्ठ हूं और दूसरे को कहे कि तुम श्रेष्ठ नहीं तुम नीच हो तुम पांव में बैठे रहो आदमी उ से कहे कि तुम शुत्र हो जबकि स्त्री के बिना य नहीं चलता भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप दिखना इस बात को इंगित करता है कि ना आदमी के बिना ना स्त्री के बिना संसार नहीं चलेगा दोनों ही जरूरी है और एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को कमजोर और नीच की उपाधि देने में कोई कसर कोर बाकी नहीं छोड़ी व्यक्ति व्यक्ति को पांव की जूती समझ रहा है मैं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश और तुम शुद्र मैं पुरुष और तुम स्त्री इन असमानता ने देखिए मैंने पहले शब्द बोला कि प्रकृति


प्रदत असमानता सहज है उस सहजता का सन्मान होना चाहिए अगर कोई व्यक्ति जन्म जात अपाहिज हुआ तो उसके साथ मृदु होता का व्यवहार होना चाहिए उसका रिजर्वेशन भी होना चाहिए उसको एक्स्ट्रा सुविधाएं भी मिलने चाहिए जो चल नहीं सकता उसके लिए व्हील चेयर तो उपलब्ध करवानी पड़ेगी यह प्रकृति प्रदत असमानता कोई कम बुद्धि वाला जन्म गया तो उसको वैसा ही काम दे दो भाई चपड़ा स लगा दो कोई ज्यादा बुद्धि वाला जन्म गया अल्बर्ट आइन तो उसको वही काम दे दो रिसर्च यह प्रकृति प्रदत चीजें इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं जैसी जैसी बुद्धि और शरीर कईयों के


शरीर कृष्ण होते हैं कईयों के शरीर सुडोल होते हैं तो सुडोल व्यक्तियों को शारीरिक काम दे दो और कृष तनु व्यक्तियों को थोड़ा सा कम प्रश्र का बाला काम दे दो यह थी सही व्यवस्था और कभी अगर ऐसी व्यवस्था आ जाए संसार में तो वो वो होगा रामराज उसको कहना चाहिए रामराज जो प्रकृति का बेचारा मारा हुआ है उसके साथ आम व्यक्ति जैसा व्यवहार गलत स्त्री के साथ पुरुष जैसा व्यवहार गलत क्योंकि स्त्री की शारीरिक संरचना वैसी नहीं है जैसी पुरुष की है स्त्री महीने में सात दिन बीमार रहती है या तो कमजोर रहती है या बीमार रहती लेकिन पुरुष के साथ ऐसा नहीं होता


पुरुष तो पूरा महीना पूरा साल तंदुरुस्त रहता है तो स्त्री की बनावट यह है प्रकृति प्रदाता मेरी बातों को समझाना अच्छी तरह से मैं बड़ा खोल खोल के समझा रहा हूं प्रकृति प्रदत असमानता उनके साथ बर्ताव मृदु होता से होना चाहिए उनको एक्स्ट्रा फैसिलिटी मिलनी चाहिए अब कोई लंगड़ा है नहीं चल सकता उसको बैसाखी देनी पड़ेगी कोई बिल्कुल नहीं चल सकता उसको व्हीलचेयर देनी पड़ेगी स्त्री को उसके ढंग पुरुष को उसके ढंग के काम देने पड़ेंगे बलवान को उसके ढंग के और कमजोर को उसके ढंग के जो शक्तिशाली मस्तिष्क रखता है उसको वही रिसर्च के और जो कमजोर मस्तिष्क रखता


है उसको वही भाई पानी पुनी पिला दो और क्या है लेकिन जीवन यापन सभी का होना चाहिए ऐसी होनी चाहिए व्यवस्था लेकिन व्यवस्था को हमने बिगाड़ दिया अगर प्रकृति प्रदत देखिए इसको ईश्वर प्रदत मत कहिए यहां गच्चा खा गए हम हिंदुस्तानी हमने प्रकृति प्रदत चीजों को ईश्वर प्रदत बना दिया ईश्वर ने पदार्थ की सरचना करके व साक्षी होकर बैठ ग काम चलाते हैं नियम प्रकृति के प्रकृति भी बनाई परमात्मा ने अब समझते जाना इस बात को प्रकृति नियमों के अधीन चलती है और परमात्मा नियमों में नहीं चलता परमात्मा सिर्फ साक्षी है एनर्जी आती है वहीं


से बनाता है वह नियम बनाए उसने पदार्थ बनाया उसने प्रकृति ने निर्माण कर दिया कमजोर का और प्रकृति ने निर्माण कर दिया बलवान का तो पहली बात तो यह समझ लेना कि बलवान व्यक्ति का दायित्व बनता है कि वह निर्बल व्यक्ति की सहायता करे गिर गया है कोई वृद्ध कोई अक्त कोई अपाहिज तो पास से गुजरने वाला बलवान व्यक्ति का दायित्व बनता है बाद में कोई और काम करे पहले उसको उठाए फिर अपने काम पर जाए ऐसा संसार चाहिए था आज क्या हो गया भेद धीरे-धीरे बढ़ते गए धीरे-धीरे बढ़ते गए आज क्या हुआ एक व्यक्ति इतना अमीर हो गया कि वह अपने संदूको को भर के रखता है


संदूक छोड़ो कमरों को भर के रखता है पैसों को कमरे में भर के रखता है और एक इतना कमजोर है अभी जनवरी के पहले सप्ताह की बात है अक्सर मेरी जो टीम है तो थोड़ी सी मृदु कोमल हृदय रख दिया उनको मैंने काम दे रखा है कि तुम बस स्टैंड पर जाओ रेलवे स्टेशन पर जाओ वहां देखो को गरीब आदमी जिसके सिर पर छत नहीं बिना कंबल के सोया पड़ा है उसके ऊपर कंबल डाल के आओ रजाई डाल के आओ जिनके पास है उन्हें काम सौंप देता हूं और मुझे पता है किसके पास है तो वो जाते हैं हर साल यही काम करते हैं सुबह पशुओं को पंछियों को कीड़ों को यथा शक्ति थोड़ा-थोड़ा डालते रहो तुम्हारे


थोड़े से घटता नहीं उनका काम चल जाता है ऐसे चलता है संसार और ऐसे पलती है प्रकृति से प्रेम की व्यवस्था यह सब प्राकृतिक प्राणी है यह बोल नहीं सकते बता नहीं सकते इन्हें भूख लगी है इन्हें प्यास लगी है इशारे जरूर कर सकते हैं जिसका इशारा आप समझो या ना समझो भूख तो सभी को लगती है इनको भोजन भी दो पानी भी दो गर्मियों में तो रात को वो व्यक्ति गए उन्होंने कंबल डाल दिए जिसके पास समर्थ थी रजाई की रजाई महंगी बहुत आती है कमल तो रप का आ जाता है रजाई हजर की आती है तो वो रजाई बांटने लग गए बांटते बांटते बांटते बांटते देर हो गई


सर्दी घनी थी बहुत ठंडी थी उस दिन उन्होंने देखा एक आदमी सड़क के न किनारे पर सोया पड़ा उन्होंने रजाई थी रजाई डल दी और चले गए आगे जिसके पास कंबल था कंबल डाल रहा था रजाई रजई डाल और जब कंबल और जाई बांट के वापस आए फिर उन्हें पता चला कि जिस व्यक्ति के ऊपर रजाई डाली गई वह सर्दी से पहले ही मर चुका था यह हाल है हमारे हिंदुस्तान का और सिर्फ हिंदुस्तान का नहीं अमेरिका जैसे समृद्ध मुल्कों में भी ऐसा होता है तुम यह मत समझना वो समृद्ध है वहां ऐसा कुछ नहीं होता वैसा भी होता है बस सिर्फ खबरें बाहर नहीं आती और वहां


इक्का दुक्का होता है यहां प्रचुर मात्रा में होता है एक व्यक्ति का घर का कमरा भरा पड़ा है एक व्यक्ति भूख से मर रहा है एक व्यक्ति के अलमारी में 50 प्रकार के गर्म कपड़े पड़े हैं और एक आदमी ठंड से मर जाता है यह भेद यह परमात्मा ने नहीं बनाया यह भेद इंसान की पैदाइश है फिर जिन्होंने कमरे भर लिए उन्होंने मीडिया खरीद लिया मीडिया प्रचार करता है कि पिछले जन्म में इसने कोई पाप किया होगा तो ठंड से मर गया कोई पाप नहीं किया पाप किया होगा तो प्रकृति प्रदत कमी आएगी कोई लंगड़ा लूला अंधा यह है प्रकृति प्रदत कोई मंद बुद्धि कोई शरीर से


विकार कोई कमजोरी किसी तरह की यह प्रकृति प्रदत है लेकिन भूख से मरना सर्दी से मरना छत के ना होने से मरना यह प्रकृति प्रदत नहीं है यह मान प्रदत तुमने बांट लिया है लेकिन बराबर नहीं बराबर नहीं बा तुमने किसी को ज्यादा यानी बंटवारा नहीं हुआ छीना छटी हुई है दूसरा दरे शब्दों में मैं कहू अब इस बात पर आ जाओ संत मत के हिसाब से अगर चले यह तो मैंने संसार मत के हिसाब से आपको बताया क्या आप वापस आ जाओ यहां काम कर लो काम ही तो वहां करना है काम ही तो यहां करना है वहां की रोटी कोई विशेषता नहीं रखती बल्कि सच पूछो तो यहां जब अमेरिकन गेहूं आया


था लाल रंग का हमसे चपाया नहीं गया 66 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गए 65 में अनाज की कमी हो गई यह हमारे देश का इतिहास है इसको गौर से सुनना बहुत शॉर्ट शब्द में आपको बताऊंगा ज्यादा वक्त मेरे पास भी नहीं है और ज्यादा वक्त आपका भी नहीं लूंगा और यह मेरा मुद्दा भी नहीं है लेकिन अब पूछ लिया है तो मैं थोड़ा सा इसको बता दूंगा तो 65 में यहां पर अमेरिकन गेहूं आया 64 में 27 मई को मृत्यु हो गई मैं दोपहर को जा रहा था सड़क पर और और तब टेलीविजन थे नहीं थे रेडियो था रेडियो में से खबर आ रही थी के हमारे प्रधानमंत्री जवाहरलाल


नेहरू का निधन हो गया है चलते चलते सड़क के ऊपर मैंने खबर सुनी तो खबर उस दुकानदार ने ऊंची लगा दी थी कि सभी सुन सके उसके बाद शास्त्री जी आए खाने को अनाज नहीं था तब तो देश के पास नहीं था आज देश के पास तो बहुत है व्यक्तियों के पास नहीं है जो भूखे मर जाते हैं अमेरिका से हमें अनाज मंगाना पड़ा और अमेरिका इतना नखरेबाज है उसके अंदर दया धर्म जैसी कोई चीज नहीं है मेरे भाई बहन यहां आते हैं वो एक शब्द बोला करते हैं मेरे से वहां करीब 70 80 मेंबर्स हैं हमारे और यहां जब यहां से गए तो बड़ा प्रेम था उनकी भाषा में यहां लहू लाल


है तो मैं पूछता हूं तो बहने कहते हैं भाई कहते हैं भाई बात यह है अमेरिका में जाकर खून सफेद हो जाता है बस इस दो अक्षरों से मैं समझ जाता हूं खून सफेद हो जाता है प्रेम नहीं रहता यहां खून लाल होता है वहां सफेद हो जाता है इसी बात से मैं सब समझ लेता हूं डडर का क्या करोगे ना तो कोई सदा के लिए यहां रहता है और ना जो कमाया वह साथ लेकर जाता है फिर क्यों यहां नफरत के बीज बोके जाते हो ना तो साथ जाता है तुम्हारे ना तुम सदा के लिए यहां रह पाते हो फिर तुम एक दूसरे की गर्दन काटने पर लगे क्यों फिर सिर्फ महज 10 20 साल 50 साल राज


करने के लिए तुम आपस में लड़ाते क्यों हो लोग कोई धर्म का नाम लेकर कोई जाति का नाम लेकर कोई धन और निर्धनता का नाम लेके अब य यह क्यों कहना पड़ा एक शगुफा था ट्रंप का उसे पता था कमी वहां कोई नहीं मैं फिर से देश को महान बना दूंगा अब जो वोट डालने वाले हैं वोह भी मूर्ख है महान था कब यह यह सदा से ऐसा ही नीच रहा है मेरी दृष्ट होता को क्षमा कीजिएगा मैं सहज लफा बोल रहा हूं किसी प्रकार के आवेश में नहीं अमेरिका सदा स ही धूर्त मुल्क रहा है तुम्हें नहीं पता सब जरूरत की चीजें यह विदेशों से मंगाता है और सब विनाशक संयंत्र खुद बनाता


है जिससे जीवन मिले वह तो हमें दे दो कनक हमें दे दो खाने पने की चीजें हमें दे दो लेकिन हथियार विनाशक यंत्र मैं दूंगा तुम्हें यानी मारने का बंदोबस्त मैं करूंगा दुनिया को ओपेनहाइमर ने परमाणु विस्फोट क्या किया कि उसने दुनिया की रातों की नींद छीन ली किसी को डराकर जीना कोई बहादुरी नहीं होती एक प्रकार से यह कायरता का सबूत होता है या निर्दयता का दोनों में से एक है या तो वो व्यक्ति निर्दय है या कायर अब तुम पूछते हो बाबा मैं क्या करूं मैं तुम्हें कहता हूं तुम वापस आ जाओ मैं जानता हूं तुम कितनी मेहनत करते


हो मैं यहां से गए हुए लोगों को जानता हूं उसमें से मेरा परिवार भी है जी तोड़ हाड़ तोड़ मेहनत करनी पड़ती है व मेरे भाई का पांव गाड़ी में चढ़ते हुए जब उसकी विंडो बंद होने लगी तो उसमें फंस गया तो सूझकर ऐसा हो गया लेकिन उसके बावजूद भी उसे काम पर जाना पड़ा ये कोई जीवन है जो व्यक्ति दुख सुख में भी आराम नहीं कर पाता वो कोई जीवन सम हो तुम उसको तो मैंने यह शब्द तो प्रयोग किए जब तुम काम करने वाले वहां से आ जाओगे तो भूल जाओ के गोरे काम कर सकेंगे यह तुम्हें मैं भीतर की बात बताता हूं गोरे भागकर यहां इन देशों में आ


जाएंगे गोरे मेहनत नहीं कर सकता मेहनत तो अमेरिका से जो बाहर के लोग हैं वो कर सकते और उन्होंने ही अमेरिका को स्टैंड किया उन्होंने ही अमेरिका को समृद्ध किया अब इस मूर्ख को यह नहीं पता कि अमेरिका को जो महान तुम कहते हो बना कैसे महान तो है नहीं वैसे अमीर है सिर्फ धनपति है सुविधाएं हैं तो वह कैसे बना व बाहर के लोगों के परिश्रम से बना बाहर के लोगों ने प्रश्न किया तुम लोगों ने जाकर प्रश्न किया तो अमेरिका आज यहां तुम वापस आ जाओ इनका हाल देखना तुम एक साल में इनकी भूत नहीं भूल जाएगी यह कहते तुम्हें निकालेंगे मैं कहता


हूं तुम कहो कि हम निकलेंगे नौकरियां अमेरिकन को देंगे दो फिर भार भी वो डोंगे काम भी वह करेंगे उन्हें तो आदत है कि सात दिन में वैसे भी वह पांच दिन काम करते हैं दो दिन मौज उड़ाते हैं और जो पांच दिन काम करते हैं वह भी ढाई दिन ही करते हैं वह काम बाम नहीं करते काम के नाम पर वह आराम ही करते हैं काम तो तुम लोग करते हो तुम देखो जरा थोड़ा सा मेरी बातों में सत्यता देखो मैंने अच्छी तरह से अमेरिका को देखा है और उसके भीतर की बात को जान पहचान कर बोल रहा हूं सभी मुल्कों ने मिलकर अमेरिका को संपन्न कर दिया संपन्न हुआ है सिर्फ महान


नहीं हुआ महान बनना तो बहुत और बात होती है महानता क्या होती है इसका स्वाद अमेरिका आज तक नहीं चक सका महानता चख तो कुछ मुल्कों ने चखी महानता चखी हिंदुस्तान ने चख महानता चख चाइना ने चख व समृद्ध भी हुआ और मान भी हुआ ईरान ने चख इजिप्ट ने चख यूनान ने चख ये थे महान यह तो कल के उठे हुए लोग जो आपने ही जाकर आबाद कर दिए उनके प्रयास से अमीर हुए हैं सिर्फ महान नहीं हुए महान तो यह हो भी नहीं सकेंगे क्योंकि जिनकी बेस कमजोर होती है ना उसके ऊपर बहु मंजिला इमारत खड़ी नहीं हो सकती अमेरिका की नीम बहुत कमजोर है उथली


उथली सी है जैसे हम सु मजला इमारत की नीम दो तीन फुट की डाल दे लेकिन इन पुराने मुल्कों की इजिप्ट है ग्रीक है हिंदुस्तान है चाइना है इनकी नीव बड़ी गहरी है बहुत गहरी निम है इनके ऊपर कितनी मंजिले इमारत डालते रहो ढाते रहो डालते रहो महान ये हैं यह हुए हैं इन्होंने महानता का च अमेरिका में कभी आज तक महानता का स्वाद नहीं च बता दो वैज्ञानिक पैदा हुए होंगे महान व्यक्ति कोई पैदा नहीं हुआ महान तुम कहते कैसे हो यह सूत्र महानता की तरफ इशारा करता है इसलिए मुझसे पूछो तो मैं कहता हूं तुम वापस आ जाओ वोह तुम्हें भेजे ना भेजे वोह तुम्हें


डिपोर्ट करें ना करें तुम खुद ही वापस आ जाओ इनके इनकी भूत नहीं बोल जाएगी अब यह शब्द सुन लो इनके अर्थ सुन लो तुम्हें समझ आ जाएगी इस मूर्ख बंदे के पीछे मत चलो ये जानता नहीं मेरी नीव कितनी कमजोर है तो मैं कह रहा था कि जब पहली बार मैंने इसकी फोटो देखी मैंने कहा या तो यह जेल से भाग के आया या यह पागल खाने से भाग गया पागल है या यह पागलखाने या जेल खाने में जाने की तैयारी कर रहा है आप इसके चेहरे को बॉडी लैंग्वेज को और मुख को अच्छी तरह से देख लो अमेरिका वासियों को इसका खौफ हो सकता है हम लोगों को इनका कोई खौफ


नहीं हम वाचाल होकर बोलेंगे हम पूर्ण शक्ति से बोलेंगे और सत्य बोलेंगे अमेरिका में महानता नाम की कोई चीज नहीं हुई आज तक और अगर कभी अमेरिका महान होगा तो तुम लोगों के कारण होगा अब हम सूत्र को ले जरूरतों वासनाओं को कम करते जाओ वहां तक जाओ जहां वासना और जरूरतें कम से कम हो जाए और फिर वहां पहुंच जाओ जहां जरूरतें और वासना दोनों ही ना बचे यह शिव का सूत्र है अत्यंत प्यारा सूत्र है यह है महानता के लक्षण जो व्यक्ति डिपेंड हो जाता है स्वावलंबी जिसकी जरूरतें कम कर ली जिस व्यक्ति ने वासनाओं पर लगाम लगा दी जरूरतों को कम कर लिया जरूरी नहीं है


कि छह बार कपड़े बदलने किस किसने कौन से वैद ने का कि छह बार कपड़े बदलो और उससे व्यक्ति महान हो जाएगा महान होने में छह बार कपड़े बदलना कोई जरूरी नहीं होता सात बार साड़ियां बदलने से कोई महान नहीं होता अमीर हो जाता है यह ठीक फजूल खर्चीला हो जाता है यह ठीक महंगी चीजें खाने से कोई महन नहीं होता महंगी चीजें खाने से यह होता है कि वह पैसे वाला है बस आइए हम सूत्र बोले इस सूत्र को समझने से पहले एक छोटा सा काम करो अपने बचपन में लौट जाओ बचपन में लौटने से क्या होगा बड़ी उम्र के के सभी लोग कहते हैं बचपन बड़ा प्यारा


था क्यों तुम भी कहोगे कभी थोड़ से वृद्ध हो जाओगे तो तुम भी कहोगे बचपन बड़ा प्यारा था बचपन बड़ा प्यारा था उसको इस सूत्र के साथ कनेक्ट कर बचपन में जरूरतें कम थी बचपन में वासना नाम मात्र थी अब तुम्हें जानकर बड़ी हैरानी हो गई कि जरूरतें भी तुमने बढ़ाई वासना भी तुमने बढ़ाई मेरी बातों से आश्चर्य चकत मत हो प्रॉस्पर का सपना देखने और दिखाने वाले लोगों उनमें ऐसे ही लोग होते हैं आई विल मेक अमेरिका ग्रेट अगेन आई विल मेक जर्मनी ग्रेट अगेन हिटलर ने भी यह कहा था यह शब्द होते हैं राजनीतिज्ञों के पावर लेने के लिए सत्ता बटोरने के


लिए यह सच में हो जाएगा यह तुम देखोगे आगे आगे आगे देखिए होता है क्या इबत दए इश्क है रो है क्या देखना अमेरिका कहां जाता है तुम भी [संगीत] देखना हम तो आखरी पड़ाव प हैं शायद देख पाए ना देख पाए ईश्वर की मर्जी है लेकिन तुम जरूर देखोगे कोई महान वाहन नहीं बनेगा गर्क जाएगा यह ठीक क्योंकि आदमी को सदा गर काता है ऊंचा तो उठाता है त्याग ऊंचा तो उठाती है नम्रता मिठ निमी नानका गुण चंग त यह थे महान लोग जो एवरग्रीन शब्द जीवन को जीने के लिए तुम्हें दे गए और तुम इन्हें इस्तेमाल नहीं करते अपने जीवन में तो जब तुम लौटो ग अपने बचपन में तो तुम


पाओगे जरूरतें कम थी और जरूरतों के साथ वासना भी नहीं थी धीरे-धीरे शरीर विकसित होता गया बस नहीं उठती चली गई जरूरतें बढ़ती चली गई प्राकृतिक रूप से कम बढ़ी कृतम रूप से तुमने ज्यादा बढ़ा ली मेरे एक एक शब्द को गौर से समझना अगर एक बार ना समझाए तो फिर कहूंगा बार-बार सुनना प्राकृतिक रूप से कम बढ़े कृत्रिम रूप से तुमने ज्यादा बड़ा वासना भी बढ़ती हैं जरूरत भी बढ़ती है लेकिन इतनी नहीं बढ़ती प्राकृतिक रूप से जितनी तुमने तल दे दी जितनी तुमने बढ़ा द और यह सूत्र वही कहता है समय के साथ शरीर का ढांचा परिवर्तन होने के


साथ प्राकृतिक रूप से कुछ तुम्हारी वासना बदल जाती है इच्छाएं बदल जाती हैं शोक बदल जाते हैं जरूरतें थोड़ी सी ज्यादा हो जाती हैं मैंने शब्द प्रयोग किया थोड़ी सी ज्यादा अगर दो मीटर के अंदर पहले कुर्ता पजामा बन जाता था आज पांच में बनता है वही बात मैंने कब कहा कि आप छह बार कपड़े बदलो आप सात बार साड़िया बदलो और लोगों को चिड़ाओ क्या हमने े सात बार साड़ियां बदली आपके जेब में डाका मार के बदल और कमाल के लोग हैं हम भी हम नहीं सारा सारे मुल्क सब जगह पूंजीवाद ने हाहाकार मचा रखा है एक व्यक्ति पूरे मुल्क को चला रहा है


और तुम्हें पता नहीं वो कौन चला रहा है उसको खो वह कौन व्यक्ति है जो मुल्क को चला रहा है उसको खोजो और उसके पर काट दो ताकि वोट ना सके क्या होगा जब उसके पर घट गए वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ेगा और इतनी संपत्ति है विश्व में अकेले इंडिया के बात नहीं कर रहा शिव का ये सूत्र विश्व व्यापी है इतना धन माल है धरती पे कि ना कोई भूखा सोएगा ना कोई नंगा ना कोई सर्दी गर्मी से ना कोई बिना छत के मरेगा नहीं वासना एं हमने इतनी बढ़ा ली हम सो सकते हैं 10 बा 10 के कमरे में मैं मैं सो रहा हूं मेरी तरफ देखो इंसान हूं तुम्हारे जैसा इंसान हूं


और क्षमा करना तुम सारे दिन दुखड़े भोगते रहते हो और मैं 2400 घंटे मेरे भीतर दिवाली मनती रहती है इसको किसी तंज की तरह मत लेना मैं हकीकत बोल रहा हूं सदा दिवाली साध की और आठों पहर आनंद मुझे कोई परिस्थिति आके विचलित नहीं करती क्यों क्योंकि मैं इस शिव के सूत्र के आखिरी पहरे पर पहुंच गया तुम भी मेरे ही जैसे हो मेरे में कुछ भी भिन्नता नहीं है जो तुम में ना हो ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे में बदला क्या है बदला है सिर्फ जरूरतें वासना वासनाओं को धीरे-धीरे कम करो यह मूर्ख लोगों की बातें हैं कि वासना हमसे चिपट जाती है हम वासनाओं से


नहीं चिपट मैं उल्टी बात कहता वासना तुम्हारा कुछ नहीं बगाड़ सकते आसमान में जाते हुए बादल तुम्हारा क्या लेंगे सिर्फ माहौल को सर्दिया गर्म कर देंगे तुम्हारा कुछ नहीं लेंगे इन वासनाओं को तुम पकड़ते हो यह सहज प्राकृतिक रूप से उठना स्वाभाविक है लेकिन भोगने के लिए पकड़ते हो तुम यू आर रिस्पांसिबल फॉर तुम इन्हें पकड़ते हो तो तुम भोगते हो तुम भोगते हो तो परिणाम आते हैं और तुम्हें नहीं पता एक बार की वासना भोगी हुई उसका फल क्या निकलता है तुम त में आक क्रोध में आकर हत्या कर देते हो अब मिनट तो सारे दो लगे कोली चला द आदमी मर


गया भोगना कितनी देर पड़ेगा पूरी जिंदगी भोगना पड़ेगा काम कितनी देर हुआ सिर्फ दो मिनट का काम था त आया भीतर का क्रोध उबाल और तुमने रिवाल्वर की गोली दाग दी आदमी मर गया भोगा सारी उम्र बस ऐसे ही तुम्हारे कर्म वासना हैं वासनाओं को तुम भोग लेते हो उसके परिणाम नहीं जानते परिणाम बाद में आते हैं जब परिणाम आते हैं तो तुम रोते हो तो मैंने क्या कहा वासनाओं को कम करो यह सूत्र बोल रहा है सूत्र जरूरतों को कम करो कोई आवश्यक नहीं है कि तुम छह बार कपड़े बदलो मैं फिर कहूंगा वही बात कोई आवश्यक नहीं है कि तुम सात बार साड़ियां


बदलो यह तो लोगों को चढ़ाने की बात है यह तो बनावटी सन्मान लेने की बात है जबकि कपड़े बदलने से कभी सन्मान मिलता नहीं चरित्र बदलना होगा मिठ नीमी नानका गुण चंगे त सारे धर्म सिखाते हैं किसी ना किसी ढंग से कि झुकना सीखो मुसलमान नमाज नम नमन नमन से नमाज पढ़ा तुम नमस्ते करते हो तुम मूर्तियों का आगे जोकते हो कोई किसी प्रकार झुकता है कोई किसी प्रकार झुकता है यह सिखाया गया था संत पुरुषों महान पुरुषों ने हमारे कि अगर जिंदगी में मिठास लेके आनी है तो नम्रता को जिंदगी का पर्याय बना लो नम्र होना सीखो नम्रता मीठे फल लेकर आएगी


और असहजता कटुता कड़वे फर लेके आए नमन करना सभी ने सिखाया कोई भी धर्म हो लेकिन तुमने नमर होना सीखने की बजाय तुम अकड़े शरीर झुका तुम नहीं झुके और यह न झुकना अहंकार के बढ़ने का प्रतीक कारण बना और अहंकार का बढ़ना तुम्हारे दुख के बढ़ने का कारण बन गया संत तुम्हें रोज समझाते हैं जो बात सहजता में अगर झुगे तो झुकने से क्या मिलेगा अपने भीतर उतरो ग झुकना अपने भीतर जाना भी तो भीतर उतरना भी तो नमन होता से होता है नमाज पढ़ के हो जाओ दंडवत करके हो जाओ प्रणाम करके हो जाओ निर अहंकारी होकर हो जाओ झुको ग तो फलो ग वृक्ष के भी जब फल लग जाते


हैं और देखना जब ज्यादा फल लग जाते हैं उतना ही ज्यादा झुक जाता है मैंने ऐसे वृक्ष भी देखे हैं जिनकी टहनियां धरती से लग जाती है और मैंने देखा फल इतना लदा हुआ था कि गुच्छे ही गुच्छे नजर आ रहे थे फलों के वह ष झुकता है जिसके मीठे फल जितने अधिक लगते हैं तुम अपने गुणों को ना देखो जिसने गुण देखे उसने छाती फैला ली तुम देखो अवगुणों को जिन्हे दूर करना है गुण तो तुम्हारे में आ गए उनको देख के छाती मत फैलाओ वो आ ग दूर करना है अवगुणों को अवगुणों को दूर करने से फल लगेंगे गुच्छे मीठे फल लगेंगे और जो जब तुम्हारा वृक्ष झुकेगा


टहनिया और तुम्हें जो आनंद आएगा व भोग में नहीं आता नख सा ही बात कोई ना मेरी था ओ गन खे [संगीत] साहिबा ते कोई ना मेरी था जेते रोम शरीर दे तुम बद गुन जेते रोम शरीर दे हो तो वद गुन हो तो वद गुन रखे चरना दे कोल मेरा वालिया वालिया मेरा वालिया वालिया मेरा वालिया साइया रखी चरना दे खल मेरा वालिया [संगीत] साइया जिसको खत्म करना है उसकी तरफ देखो अपने अवगुणों को देखो और परमा से कहता है यह भक्त कि मेरे अवगुण तू ना देख क्योंकि मैंने मेरे अवगुण देख लिए जितने मेरे शरीर के रोम है उससे ज्यादा मैंने गुनाह किया गन विख साही बाते कोई ना मेरी


था मेरा मुकाबला कोई नहीं कर सकता जे तेर शरीर दे हो तो बद गुन जितने शरीर में रोम है मेरे उससे ज्यादा मेरे गुनाह है लेकिन हे परवरदिगार रहम [संगीत] करीम मेरे अवगुणों की तरफ मत देख अपनी रहमतों की तरफ देखो कह दूं साफ हशर में पूछेगा अगर खुदा यह बात कहीं और की थी ढाल कहीं और र कह दूंगा साफ हशर में पूछेगा अगर खदा लाखों गुना कि है तेरी रहमत के जोर पर तोत रहम करीम है और मैं गुनहगार हूं गुना होना स्वभाव है मेरा मनिस्ट एर यह पतला गुनाह से बना इसका रोवा रवा गुनहगार तो गुनाह की तरफ मत देख तू ऐसी काबिलियत पैदा कर कि मैं मेरे


गुनाहों को देखूं तू ना देख त मेरे में काबिलियत पैदा कर कि मैं मेरे गुनाहों को देखू और जब तुम देखोगे अपने गुनाहों को तो तुम पाओगे कि तुमसे बड़ा गुनाहगार और कोई है नहीं बुरा जो खोजन में चला बुरा ना मिले कोई जो दिल खोजा अपन मुझसे बुरा ना कोई तुम पाओगे कि मुझसे बुरा कोई नहीं जब तक तुम देखते नहीं कि मुझसे बुरा कोई नहीं तब तक तुम लोगों को कहते रहोगे उसने फला बुराई की उसने फला बुराई की और ध्यान रखना यह बात कहने वाले कि उन्होने यह बुराई की उसने यह बुराई की उन्होंने खुद का दिल नहीं खंगाला होता जिन्ने खुद को खंगाला होता


है वो तो यह कहते हैं कि मेरे जितना गुनगार कोई भी नहीं जितने रोम है शरीर के उससे ज्यादा है गुनाह लेकिन तू मत देख मेरे गुनाहों की तरफ त मुझे बल सिखा कि मैं अपने गुनाहों को कैसे देखूं और गुनाहों को देखकर पहचान जाऊ कबीर की तरह जो दिन खोजा अपन तो मुझसे बरा ना को जिस दिन तुम ये खोज लोगे तुम्हारी वासना धीरे-धीरे गिरना शुरू हो जाएंगे यह बात एक वासना के लिए नहीं सभी वासनाओं के लिए है धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे-धीरे उनके परिणामों को चक के वासनाओं के परिणाम कभी भी शुभ होता कड़वे फल जीभ को मिठास का स्वाद नहीं दिया करते


उनके टेस्ट वर्स बताएंगे ये कड़वे कड़वे हैं भोग कड़वे हैं खाने से पता चल जाएगा मुझसे लोग पूछ लेते हैं क्या करें बाबा यह तो हमें भोगने भी नहीं देते यही तो मैं कहता हूं तुम्हें इतना तो भोग लो कि शरीर बच जाए वह भोग नहीं है वह जरूरत है और शिव कहते हैं जरूरतों को पूरी करो और कम से कम जरूरतों को पूरी करो जरूरतों को कम कर लो अभ इन दोनों का मैं संबंध बता दूं थोड़ा सा दोनों का संबंध है बड़ा गहरा संबंध है क्योंकि मैं जानता हूं मैंने अनुभव किया है जरूरतों को कम करोगे सबसे बड़ी जरूरत क्या है खाना तुम मरना नहीं चाहते अमर होना चाहते


हो थोड़ा सा कमजोर कपड़ा पहन लोगे लेकिन खाओगे मटन पनीर खाओगे मांस मछली बिरयानी दूसरों को मार के खा जाना पशुओं का स्वभाव तो हो और पशुओं की तो जरूरत है उसका भीतरी ढांचा प्रकृति ने बनाया ऐसा है आपको पता है कि शेर के भीतर का जीआईटीसी सिस्टम आ 10 फीट का होता है सारा कोण मिला और मानव का जी आईटी सिस्टम 25 30 फुट के करीब होता है ये इतना ज्यादा लेंथी क्यों बनाया गया क्योंकि यह मास के लिए नहीं बना बनाया प्रकृति की तरफ देखो प्रकृति ने तुम्हें किस चीज को खाने के लिए तैयार किया शेर की आत यां जी आईटी सिस्टम आ 10 फुट का क्योंकि शेर पचा पचाया


भोजन खाता है मांस वह पहले से पच चुका है किसी और जानवर ने व्यक्ति ने मेहनत कर र उसके सिस्टम ने मास में डाल दिया अब उसको पचाने की कोई आवश्यकता नहीं वो सीधी एनर्जी है लेकिन मनुष्य को या जितनी देखिए आप जी आईटी सिस्टम देख के पहचान सकते हो कि यह शाकाहारी है प्रकृति से मांसाहारी पैदा किया या शाकाहारी पैदा किया जिसका जी आईटीमद ने पैदा किया जिसका जी आईटी सिस्टम लैंग थी वो प्रकृति ने शाकाहारी पैदा किया अब ज्यादा इसमें बहस बाजी की जरूरत ही नहीं होती पर किति की तरफ तुम क्यों नहीं देखते तुम शास्त्रों में उलज जाते हो जते


दण अन्न के जीवा बाज ना कोई किसे किसने कहा तुम्हें इन चीजों पर बहस बाजी करने के लिए तुम जी आईटी सिस्टम देख लो पता चल जाएगा सिंपल सी प्रकृति की प्रक्रिया को देख लो वासनाओं को कम करो जरूरतों को कम करो मैंने अपनी जरूरतें घटा ली मैं अगर कमजोर कपड़ा डालूंगा उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा ठंडी के लिए गर्मी के लिए वैसे ही वस् पहन लूंगा उस परे कोई बहुत खर्चा नहीं होता भोजन को कम से कम खा लूंगा जरूरी नहीं है कि मटन बिरयानी ही खाना है मैं सिंपल तीन बार दूध ले लेता हूं अपनी उदाहरण में इसलिए देता हूं क्योंकि मैं अपने अनुभव से बोलता हूं हर


चीज इसलिए खाने के मामले में भी अपने अनुभव का ही प्रयोग करता हूं जरूरतों को कम से कम कर दिया और मैं कुछ नहीं कता ना बिस्कुट ना स्लाइस पीस रोटी वगैरह तो छोड़ ही दो फल फ्रूट को तो छोड़ ही दो जूस वगैरह को तो छोड़ ही दो पानी पीना पड़ता है वो भी कभी-कभी नहीं तो दूध के अंदर पानी होता है एक शेर भर दूध पी ले सा 800 ग्राम दूध पी लेना ट इ सफिशिएंट फर और बर्सों दर बर्सों से मैं लगातार एक ही तरह का यह खाना खा रहा हूं अभी अभी तो पागल नहीं हुआ हूं अभी ठीक ठाक कल का कोई भरोसा नहीं अभी पागल नहीं हूं अभी अस्वस्थ भी


नहीं और आपको बताऊं मैं जल्दी जल्दी अस्वस्थ होता भी नहीं अस्वस्थ तुम तब होते हो जब तुम इस मेन सिस्टम को बगाड़ देते हो अब इसको थोड़ा सा ढंग से समझ लेना साइंटिफिक भाषा का प्रयोग करूंगा तो तुम्हारे भीतर शरीर को निरोग करने की शक्ति है ऑटोमेटिक प्रकृति ने दी वह तुम्हें निरोग बनाए रखती है इसलिए बंद की उदाहरण मैं तुम दूंगा बंद सुबह सुबह खा लेता है जितना खाता है पेट भर के खा लेता है बस एक एक बार उसके बाद सारा दिन बंदर कुछ नहीं खाता जो बंदर सारा दिन खाते हैं वह बीमार हो जाते हैं जो बंदर अपने प्रकृति के हिसाब से


सुबह सुबह खाता है वह एक बार खाता है बीच में कभी कभार कोई एकाद चीज कोई देगा वो खाले बहुत कम खुराक है बंदर की कभी देखना मनुष्य की खुराक को देखकर तुम हैरान रह जाओगे इतने बड़े-बड़े थाल भरे होते हैं और फिर उतने ही गोगड़ निकल जाते हैं प्रकृति का वह सिस्टम व्यक्ति को पशु को निरोग बनाए रखता है लगातार काम करता है क्या होता है जब तुम जरूर से ज्यादा खा लेते हो वह सिस्टम वह शक्ति जिसने तुम्हें निरोग रखना था वह शक्ति लग जाती है भोजन को पचाने में अगर तुम ज्यादा भोजन ना करते तो वह काम करती तुम्हें निरोग रखने के लिए तुम्हे मैं मूलभूत सूत्र बताता हूं


इस सदगुरु के पीछे मत लग जाना ये डाइट है यह सिर्फ थोड़ी सी बात करके इन्हें मैं दूसरे नंबर के मूर्ख कहता हूं आध्यात्मिक व्यक्ति सारे दिन ऐसी बातें करता र सुबह नीम की गोली खा लो हल्दी की गोली खा लो क्यों खा ले भाई कभी किसी पशु को नीम और हल्दी की टेबलेट सुबह सुबह खाते देखा है क्यों नहीं खाते हो क्योंकि उनके भीतर सिस्टम पेट को साफ कर देता है न वक्त पर और पूरा पेट साफ होता है उनका यह समझा के रहे हैं हमें फिर खुद के जब हेमरेज हो जाता है तो यह हॉस्पिटल में भागते हैं इनका मंतव्य कुछ और है हमारे शरीर के भीतर निरोग करने की जो


क्षमता वह हमें लगातार निरोग बनाए रखती है जब तुम उस शक्ति से भोजन पचाने का काम लोगे तो भोजन पच जाएगा उतनी शक्ति निरोग रखने पर लगती उतनी शक्ति तुमने भोजन बचाने पर और उसकी भोजन की आवश्यकता नहीं आज व्यक्ति इतना हल्का काम करता है और आगे आगे और भी हल्का होता जाएगा बाहर उठाने का काम क्रेनो ने संभाल लिया कंप्यूटर्स ने संभाल लिया आज व्यक्ति कुर्सी पर बैठकर काम करता है कल को वो भी छीन जाएगा सब काम कंप्यूटर करेंगे तुम कुर्सी पर बैठने या लेटने के योग्य रह जाओगे फिर क्या होगा प्रकृति तुम्हें तंदुरुस्त रखने के लिए


निरोग रखने के लिए खुद काम करती है यह प्रकृति का खुद का सिस्टम है कोई चीज ऐसी नहीं जो प्रकृति ने स्वतः तुम्हें ना दी हो मेरी इस बात को फिर सुन लेना कोई सिस्टम ऐसा नहीं जो प्रकृति ने तुम्हें निरोग रहने के लिए नहीं दिया सर्कुलेशन ऑफ ब्लड अपने आप चलता है तुम दिल को धड़का नहीं और मेलाटोनिन साल्ट एक घंटे के बाद व्यक्ति को सुला देता है इसलिए जैनियों में यह प्रथा थी कि सूरज छिपने से पहले पहले खा लो क्योंकि जैसे सूरज छिपा सूरज के छिपने से अंधेरे से एक संबंध है इस हार्मोन के पैदा होने का मेलाटोनिन और मेलाटोनिन तुम्हारी अच्छी नींद के लिए


काम करता है सेरा टोने तुम्ह प्रसन्न नींद के लिए काम करता है ये दोनों पैदा होते हैं सांझ डलते ही सूरज छपते ही सारे इंतजा मात प्रकृति कि तुम क्या करते हो तुम सिर्फ मैं पालते हो मैंने किया करते बरते तुम कुछ नहीं तो शिव का ये सूत्र कहता है दो चीजों को कम करते जाओ य ये नहीं कहता एकदम से छोड़ दो कम करते जाओ जरूरतों को घटा जाओ अगर आज तुम तीन बार खाना खाते हो वैसे तो तुम बकरी की तरह सारे दिन चरते ही रहते हो और फिर तुम्हारे तथाकथित आचार्य इनकी गोगड़ देखना मैंने पहले भी कहा था गोगड़ से आदमी पहचान में आ जाता


है वासना भी इनकी नजर आ जाती हैं विचार भी इनकी नजर आ जाते हैं तंदुरुस्ती भी इनकी नजर आ जाती है य नाचेंगे झूमेंगे लेकिन इनकी गोगड़ दिखेगी साफ बड़े बद्दे लगेंगे जन्म को देखना जितना डिसिप्लिन जैन मुनियों में होना चाहिए जितने अंगली भर वो खाते हैं उस हिसाब से इनका पेट नहीं बढना चाहिए लेकिन आप देखो जरा जन्म पेट बड़े हुए हैं खाते ही जाते हैं बेशुमार खाते जाते हैं क्यों क्योंकि भोजन का काम क्या है इन्होंने जाना नहीं भोजन का काम है तुम्हें शक्ति प्रदान काम करने से जो तंतु टूटते हैं टिशूज टूटते हैं उनकी रिपेयर


करना हार्ट बीट को फेफड़ों की गति को बराबर काम रखना और सारे शरीर की संरचना को चलाई मान रखना भोजन का काम है वह कैलोरीज देते हैं तुम्हे कितना खाना है उसकी एक लिमिटेड जरूरत हो होती है लेकिन तुम उससे कई लोग तो 101 गुना खा जाते हैं ऐसे ऐसे पदार्थ तुम खाते पीते हो शाम को शराब पीते हो शराब एक किस्म का तजब होता है तेजाब में अगर तुम अपनी हड्डी को डाले रहोगे तो तीन दिन में वह गल जाएगी तुम रोज पीते हो क्या हसर होगा तुम्हारे भीतर अगर माइक्रोस्कोप लगा के दे जाए तो सारा छलनी बना हुआ है तुम्हारे भीतर शराब पीने वालों के


भीतर तुम्हें पता ही नहीं शराब की जरूरत क्या है शराब भोजन का अंग नहीं होना चाहिए लेकिन तुम पीते हो क्यों पीते हो नशे के लिए जबकि शिव कहते हैं कि तुम खुद नशा हो तुम खुद नशा हो यू आर योरसेल्फ और तुम ढूंढते हो शराब में उस नशे तक पहुंचने के लिए अपने भीतर उतर जाओ किसी शराब की जरूरत नहीं पड़ेगी फिर तो तुम और मांगोगे अभी तुमने भीतर जाने की कवायद ही शिव कहते हैं जरूरतों को कम करो वास्तविक जरूरतों को पैदा करो वास्तविक जरूरत नहीं है छह बार कपड़े बदलना सात बार सड़ी बदलना बारबार कह रहा हूं वास्तविक जरूरत नहीं है 5000 गज की


कीमत की मीटर की पोशाक पहना हीरे जड़ित छ पना वास्तविक जरूरत नहीं कृत्रिम जरूरत है जैसे तुम जरूरतों को बढ़ा चढ़ाकर पूरी करते हो अब इन शब्दों को समझ लेना आखरी शब्द है मेरे जैसे तुम जरूरतों को बढ़ा चढ़ाकर पूरी करते हो वैसे तुम वासनाओं को बढ़ा चढ़ा के पूरी करते हो और यह बाबा लोग क्या बताऊ इनसे निरोग करने की औषधियां बेचते बेचते तुम्हारे अंगों को बढ़ाने की दवाइयां बेचनी शुरू कर देते हैं अंदर खाते हैं पैसे तो सही उससे कमाते हैं यह तुम्हारी योन रुचि का दुरुपयोग करते हैं कुछ तो तुम्हारी वासना तुम्हें टिक


नहीं देती और कुछ यह तथाकथित योगी रोग योग सिखाने वाले लोग तुम्हारी वासनाओं को बढ़ाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ते और यह कहते हैं कि हम ऐसा राष्ट्र बनाएंगे जो देश में नाम कर देगा देखिए देश विदेश में नाम के लिए भीतर ओज की जरूरत होती है तुम यह मत भूल जाना स्वामी विवेकानंद शिकागो में बोले और उनके प्रत्येक शब्द के भीतर ओज छलकता था उठने लगे थे उठने का वक्त था सुनने वालों का शिकागो में लेकिन जब उसने कहा माय अमेरिकन ब्रदर एंड सिस्टर्स उसकी सुरीली आवाज को सुनकर सभी बैठ गए यह ओज का प्रभाव था और तुम लोग अंगों को बढ़ाने की दवाई


देके तुम खाक के योगी हो तुम अगर ना जन्मते तो ज्यादा अच्छा था तुम्हारे जीवन पर ही धिक्कार है इससे ज्यादा शब्द मैं नहीं बोल सकता मेरे पास है ही नहीं बोलू तुम लोगों की यौन इच्छाओं का व्यापार फिल्में बनाने वाले ऐसे ऐसे दृश्यों को बनाते हैं जो तुम्हारी यौन इच्छाओं को भड़का हैं और शिव क्या कहते हैं जरूरतों को और वासनाओं को कम करो ऐसे उपाय करो जिनसे वासना कम हो तो कैसे होंगे जो योन इच्छाओं को भड़का हैं वहां जाओ ही मत लेकिन तुम्हारे तो आज मोबाइल भरे पड़े हैं ब्लू फिल्म्स जिनको हमने चुनकर भेजा है मेंबर ऑफ पार्लियामेंट या मेंबर ऑफ


असेंबली बहुत बारगी वो लोग ब्लू फिल्म से देखे हुए पकड़े हुए हैं दिन भर जैसे इन्हें शोक है इन्हें सारे दिन इनके सिर में कामदेव घुसा रहता है देश को लीड क्या करेंगे रोज किसी ना किसी के ऊपर कोई व्य विचार का रेप का केस लग जाता है यह लाख बचने की चेष्टा करते हैं और इनके सुप्रीमो इन्हें बचाते हु हैं ऐसे लोगों को मत सुनो जो दुष्टों को जाने और दुष्टों को बढ़ाने में रुचि लेते सही राजनीतिक का चयन करो जो मेहनती हैं जो ईमानदार है जो साहसी हैं और जो मुसीबत आने पर स्टेंट ले सकते हैं मैं मने नहीं लगते बकरी की तर


जो गलत के ऊपर एक्शन लेने में गुरेज नहीं करता और ठीक को पुरस्कृत करने में गुरेज नहीं करता तो जो इससे उल्टा करता है उनको गदि से उतार दो अब रह गई बुनियादी बात जब तक यह पूंजीवाद को बढ़ावा संसार भर में चलता रहेगा तब तक असमानता और पाप फैलता रहेगा अब इन शब्दों को आप गौर से फिर सुन लेना असमानता सामान की असमानता द्रव्यों की असमान वितरण पाप है तुम्हारा भूख से मर जाना उसका कारण पाप नहीं है सामाजिक असमानता वितरण प्रणाली यह पाप है और जो इसको बढ़ावा देता है वह पाप कर रहा है जो तुम्हें नंगे बदन रखता है वह पाप


है जो तुम्हारे सर को छत नहीं दे सकता वह पाप है ऐसे व्यक्ति को चुनना और मैं प्रार्थना करूंगा पूरे देशवासियों से ऐसे व्यक्ति की तलाश करो जो बलशाली हो साहसी हो जिसके भीतर उमंग हो जो देश को बनाने बनाने की क्षमता रखता हो और कम से कम उसमें ऐसे व्यक्तियों को आप सर्वोच्च पदवी पर बैठा चुनना आपने है साहस होना चाहिए बराबरी होनी चाहिए खुद के शरीर की तरफ ध्यान ना दे हां खुद को निरोग जरूर रखे लेकिन जिस जनता ने उसे इतनी ऊंची पदवी दी है उसका बराबर ख्याल रखे ऐसे व्यक्ति को सबसे उच्च कुर्सी दो व्यर्थ की ट फसबुक या यह मूर्ख


मीडिया जो शब्द फैलाता है उनके ऊपर यकीन ना करो खुद देखो कि जिस व्यक्ति को यह ठीक कह रहे हैं वह क्या वह ठीक है और जिस व्यक्ति को यह मूर्ख कह रहे हैं क्या वो मूर्ख है तुम्हें भी भेजा दिया है परमात्मा ने फिर अगर मूर्ख लगे तो ठीक फिर अगर श्रेष्ठ लगे तो ठीक उसे ही चुन लेना मैं किसी की वकालत नहीं करता मैंने गुण बताए साहसी हो मुकाबला कर सके ईमानदार हो शरीर और मन से बलिष्ट हो बगड़ा ना हो यह शब्द फर सुनलो बगड़ा ना हो क्योंकि जो भाग गया वह तुम्हारी समस्याओं से भी भाग जाएगा और ठीक लगे तो गृहस्थ व्यक्ति को जो लकड़ी नून तेल गैस सिलेंडर आटा इसके


भाव जानता हो जो भाव ही नहीं जानता हो उसको क्या पता लगेगा किसकी कीमत बढ़ गई किसकी घट गई तुमने किसी व्यक्ति को 5 साल के लिए अपने जीवन की पूरी व्यवस्था सौप दी है इतने सस्ते में मत सपो इतने सस्ते में मत बको तो वह चाहे तो तुम्हें भूखे मार दे और वह चाहे तो तुम्हें ज कर दे और वह चाहे तो तुम्हें जेलो में बंद कर दे इतने कमजोर ना बनो सत्ता तुम्हारे हाथ में है लोकतंत्र तुम्हें खुश नसीबी से मिल गया इस लोकतंत्र का फायदा उठाओ अपने तंत्र को अपने लोक मत के हिसाब से चलाओ सही उपयोग करो बिकम मत अब सूत्र के आखिरी शब्द पर हम


आएंगे वासनाओं को जरूरतों को कम करो कम करो जितनी जीवन के लिए आवश्यक है पेटू मत बनो स्वाद के लिए मत खाओ सेहत के लिए खाओ कम करते करते करते करते उतना कम कर दो जितनी वास्तविक तुम्हारी जरूरत है वासना और जरूरत फिर तुम पाओगे कि तुम अपने भीतर उतरना शुरू हो गए यह एक सफल प्रयोग है इसको आजमा के देखो भोजन आपका जीवन का निर्माता है मैंने पहले भी बहुत बार कहा है जिस व्यक्ति के चरित्र देखना उसकी थाली को देख लेना उसकी थाली में रखा क्या है तुम्हें उसका चरित्र पता चल जाएगा ज्यादा देखने की जरूरत नहीं उसके पेट को देख


ले नहीं नहीं ऐसा मत करना यह कहते गर्भवती का पेट तो आगे ही होता है नहीं वह तो औरत होती है उसका तो काम य है उसने वो तो जननी है उसने तो जन्म देना है एक जीवन को वो गलत नहीं कह रहा हूं उसने तो तुम्हें भी जन्म दिया है जरूरतों और वासनाओं को कम करते जाओ कम करते करते कम इस सतह पर ले आओ कि बस उससे कम नहीं गुजरा होता बाहर रुक जाओ तुम्हारा मंतव्य पूरा हो जाएगा और यह कहते हैं शिव कि तुम उस तल पर पहुंच जाओगे जहां ना वासना रहती हैं ना जरूरतें रहती हैं यह बहुत गहरी बात है अब यह बात कहने वाली तो है नहीं यह बात तो है अनुभव की अनुभव करने


वाली बात है कह के सिर्फ तुमहे समझा देता हूं वहां पहुंच जाओगे जहां ना तो तुम्हारी जरूरत बचेगी और ना ही तुम्हारी वासना बचेगी श्री कृष्ण गोविंद हरे [संगीत] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा


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