आज शुरू करें शून्यवाद अर्जुन का उससे पहले छोटे छोटे दो प्रश्न पहला प्रश्न राधा स्वामी का अर्थ क्या है राधा स्वामी का अर्थ है राधा का मतलब चेतना स्वामी का मतलब मालिक चेतना के मालिक हो जाओ राधा स्वामी हो जाओ का मतलब अभी तुम हो नहीं अभी तुम जिसके मालिक हो वह चेतन नहीं है वह जड़ अभी तुम शरीर के मालिक हो शरीर जड़ है राधा स्वामी बहुत पुराना शब्द है यह तो दूसरी बार अब पुनर जागृत हुआ है प्राचीनतम शब्दों में राधा स्वामी शब्द आता है इसका अर्थ चेतना के मालिक हो जाओ अभी तुम जड़ता के मालिक हो अभी तुम शरीर के मालिक हो अभी तुम शरीरही हो विचार हो भावनाएं हो अभी तुम जड़ हो और राधा स्वामी का मतलब चेतना के मालिक हो जाओ जड़ से चेतन की ओर यात्रा है और ध्यान रखना शब्द तो उठा लिया गया बहुत पुराना है तरीका नहीं उठाया गया पांच नाम से व्यक्ति जड़ता से चेतन तक पहुंचता नहीं करके देख लो हाथ कंगन को आरसी क्या प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती इसलिए मैं सदा ही कहता हूं कि जो राधे राधे कह राम राम कहते हैं तुम करके देख लो भाई मैं जो बोलता हूं उसे सुनो ही मत उसके ऊपर विश्वास मत करो तुम राधे राधे करके ही देख लो क्या तुम जड़ता से चेतन में आजाओगे यही तमाशा देख लो जड़ता से चेतन होने का मतलब है राधा स्वामी अभी तुम अपने आप को शरीर मानते हो जो कि जड़ है अभी तुम जड़ के मालिक हो मालिक होना है चेतन का का चेतन का तुम्हे कोई पता ही नहीं चेतन तुम्हारे लिए सिर्फ शब्द मात्र है अनुभव नहीं है उस अनुभव में उतर जाओ जहां चेतना निवास करती है और यह किसी भी नाम से संभव नहीं हो सकेगा नाम के बिना विधियां हैं नाम कोई विधि नहीं है तुम कोशिश करके देख लो पहले आजमा के देख लो ना मिले तो फिर दूसरी तरक तरकी बों पर आ जाना यह है राधा स्वामी का मतलब आगे चले दूसरा प्रश्नहै स्वामी चैतन्य तीर्थ ो कहते हैं कि मैं राम को भगवान मानता ही नहीं अवतार मानता ही नहीं ना मानो कौन कहता है तुम मानो अपने आप ही बोले चले जाते हो राम को तुम अवतार नहीं मानते लेकिन ओशो के मानने से क्या होता है सत्य के मानने से होता है ष के मानने से कुछ नहीं होता उस अगर झूठ को मानने लगे तो फिर गलत है देखिए से पहले मैं शून्यवाद पर बात करूं यह बातें करना आवश्यक भी है चैतन्य तीर्थ तुम थोड़ा सा इसको अच्छी तरह से समझ लो राम हमारे भीतर एक तल है जहां गुंजारी प्रकार के राग रागना का बाजे नाद अनेक अंखा केते भावनहारे केते राग परिस केन केते गावन हारे वहां जो पहुंच गया अब इन शब्दों को ध्यान से सुनना नहीं कटाक्ष करते फिरो ग प्रश्न पूछते फिरो ग जो व्यक्ति वहां पहुंच गया वह जड़ को चेतन करने में सामर्थ्य हासिल कर लेता है इस शब्द को फिर सुन लेना यह नियम नहीं है यह सत्य है जिस व्यक्ति ने वह तल छू लिया उस पर जाकर व्यक्ति के भीतर कैपेसिटी आ जाती है पोटेंशियालिटीज है वह जड़ को हाथ लगाए जड़ को छू दे चेतन हो जाता है और जो व्यक्ति उस तल पर पहुंच गया वह व्यक्ति ओमनिपोटेंट हो गया सर्वशक्तिमान हो गया सर्वज्ञ हो गया सर्वव्यापक होगया वह परमात्मा हो गया ईश्वर हो गया भगवान हो गया गड हो गया अल्लाह हो गया व गुरु हो गया लेकिन बुद्ध को तुम उस जगह पहुंचते हुए नहीं पाओगे ो को तुम उस जगह पहुंचते हुए नहीं पाओगे व्याख्यान कर सकेंगे उसका कारण है ो फरस पर बाल की खाल निकाल सकते हैं शब्दों की सत्य के एक एक शब्द को ध्यान से सुनते रहना यह एक एक शब्द आपको रूपांतरित कर सकता है फिलॉसफी की एमए है मास्टर और ओशो फिलासफी की पीएचडी है डॉक्ट तो ध्यान रखना फिलासफी का एमए ही मान नहीं होता फिलॉसफी का पीएचडी कहा मान होगा वे ऐसे जादूगर हैं शब्दों के सत्य केनहीं शब्दों से तुम्हें वो यहां खड़े खड़े स्वर्ग दिखा देंगे य जादूगरी का कमाल है उनके शब्दों का लेकिन सत्य के मामले में टाइम टाइम फिस बुध के तल तक ही पहुंच पाते हैं ो एनलाइन पर्सन ऑफकोर्स मैंने बहुत बार कहा है लेकिन सिर्फ एनलाइन हो जाना ट इज नॉट सफिशिएंट टू बी ओमनिपोटेंट ओमनीप्रेजेंट एंड ओमनिस यह है सनातन का अंतिम पड़ाव बुद्ध को यहां से कड़ दिया गया ऐसा नहीं था बुद्ध खुद ही भाग बुद्ध यहां पर आए उन्होंने अपनी स्टेट देखी और यहां के ऋषियों की स्टेट देखी आज से ढाई हजार साल पहले की बात तब यहां का जर्र जर्र चैतन्यथा तब यहां झूठ बोलने वाले लोग नहीं थे सत्य का बोल वाला था सब जगह तब झूठे लोग प्रचार नहीं करते थे प्रसार नहीं करते थे और देखिए सत्य सत्य पहला पहली सीढ़ी का प्रथम पाद है जिसने सत्य को नहीं जाना सत्य पर नहीं चढ़ा पहले पड़ाव पर वह अंतिम पर पहुंच जाएगा ऐसी कामना मत करना तो ो शब्दों के लाड़ी है कारण मैंने बता दिया कबीर अनपर है लेकिन जाते हैं व सुन मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाए इतनी दूर तक जाते यह क्या है उन्होंने कोई पीएचडी नहीं की ना फिलॉसफी की एम है ना फिलॉसफी की डॉक्टर है लेकिन पहुंचते कहां है यह मसला जाननेका है यह मसला कागजों की क्वालिफिकेशन डिग्री लेने का नहीं है कबीर तो कहते हैं कागद कलम छु नहीं लेकिन यही शब्द ो बोलेंगे तो उनके अनुभव का कमाल नहीं है ध्यान रखना यह उनकी क्वालिफिकेशन का कमाल है वो एमए है फिलॉसफी की और पीएचडी है फिलॉसफी की शब्दों का कमाल भी जादू कर सकता है तुम हिप्नोटाइज हो जाते हो तुम कहते हो वाह बस ऐसा तो ना हुआ है ना होगा अरे भाई से बहुत ज्यादा दूर तक निकले हुए लोग पहले से हो चुके हैं मैं उस कालखंड की बात करता हूं जब बुध भारत में आए प्रचार हेतु सारनाथ में पहला प्रवचन दिया जब यहां के ऋषियों कोदेखा तो किसी ने उन्हें भगाए कुछ दो चार मूर्ख होंगे जिन्होंने कह दिया होगा लेकिन वह भाग गए भाग इसलिए गए उन्हें अपना तल देख गया अपना तल व्यक्ति स्वयं जानता है झूठ बोलता रहे बात अलग है तो बुद्ध ने देखा कि मैं अपने आप को जान चुका हूं उससे आगे नहीं निकला और इतना ही काफी है आज के जमाने में दुनिया दुखी है फैसला किया कि आगे ना जाऊ शरीर इजाजत नहीं देता था मूर्ख लोग के कारण 49 दिन का उपवास रख के शरीर कृषण तनु हो चुका था कृष्ण वर्ण काला पड़ गया था शरीर वह गोरा चिट्टा राजकुमार काला पड़ गया था फैसला किया कि दुनिया दुखी है और अपनेआप को जानने से बड़े से बड़ा भ्रम टूट जाएगा और सारे दुखड़े संताप कष्ट क्लेश दर्द तनाव सब मुक्त हो जाएंगे इतना काफी है प्रचार के लिए लेकिन प्रचार से आगे भी कुछ है बुद्ध ने वह छोड़ दिया यहां तक सफिशिएंट है इससे आगे रास्ता है बुद्ध मूर्ख नहीं है बुद्ध जानते हैं और महावीर सते हैं इसलिए महावीर को 12 वर्ष लगते हैं जिस तल पर बुद्ध छ वर्ष में पहुंचे महावीर भी छ वर्ष में पहुंच गए थे लेकिन महावीर ने यात्रा शुरू रखी और छ वर्ष और फिर आगे का पड़ाव अपने आप को जानने से आगे भी कुछ पड़ाव है और भी राहत हैं वसल की राहत केसिवा ये ठीक बुध का देश है और बुध जहां तक पहुंच गए वहां तक इक्का दुक्का व्यक्ति पहुंचे बाहर और सच कहूं तो बुध से आगे पहुंच गए ला से लज ने कमाल कर दिया हिंदुस्तान की धरती का जर्रा जर्र उन्हें कुछ शक्ति नहीं देता था लहर नहीं देता था उसके बावजूद पहुंचे वाक ही लाजे को प्रणाम करने को दिल करता है ऐ अवस्था में जहां की धरा मरुभूमि है उपजाऊ नहीं वहा लाजे पैदा हुआ ईश्वर जो करता है अच्छा करता है भले के लिए करता है यह आखरी पड़ाव है बुद्ध नहीं कह सकते बुद्ध यह बात नहीं कह सकते बुद्ध कहेंगे अ दीपो भव तुम करते हो ईश्वर नहींकरता है ईश्वर तो है ही नहीं कहना पड़ेगा तुम्हें सुखी करने के लिए और ध्यान रखना मैंने शब्द सुख प्रयोग किया तुम्हें सुखी करने के लिए अभी तो तुम सुखी भी नहीं हो अभी तो तुम दुखी हो आनंद की अंका शा व्यर्थ है बेकार है मत करो आनंद की अंका शा भी मत करो पहले सुख की अंका करो अभी तो तुम दुखी हो यही प्रयास रहा बुद्ध का बुद्ध ने देखा संताप से मरा हुआ यह संसार मृत्यु के व से कप रहा है और वह जो मरता है वह इल्यूजन है तो यहां तक काफी होगा प्रचार करने के लिए बध उठ गए अंतिम छोर तक जाना उचित नहीं समझा और यह शुभ भी कियाशुभ किया कि एक ऐसा धर्म छोड़ जाऊं जो व्यक्ति को दुख से सुख तक पहुंचाती सुख से आनंद का रास्ता आगे है वह तो फिर कृष्ण तक पहुंचने का है लेकिन यहां तक भी काफी है तुम्हें बुध प्रथम सीढ़ी मिलेंगे पहले बुद्ध होना होगा बुद्ध के बाद सिद्ध होना होगा अबी तो तुम बुद्ध भी नहीं हो बातें करते हो सिद्ध की बातें करते हो सनातन की और बुद्ध भाग गए यहां से बुध को पता था मेरी दाल ना लगी और बुद्ध जानते थे किसे आगे पड़ाव है और मैं अधूरा छोड़ के आया हूं इसलिए यहां से निकल गए कहानियां है कि उसको मारने पड़ गए ऐसा कुछ नहीं जहां संत तोव का बोलबाला हो एक एकजर्र अध्यात्म से भरा पड़ा हो वहां हिंसा नहीं होगी अहिंसा ही है किसी ने नहीं भगाया खुद भागे बुद्ध को दिख गया मेरी दाल नहीं गलेगी मैं सुख की बात करता हूं यह सुख से आगे का पड़ाव आनंद की बात करते हैं मेरे पांव यहां लगेंगे नहीं लेकिन मेरा धर्म फैल जाएगा किसी वक्त में या दुनिया दुखी भी होगी तब मेरा धर्म छा जाएगा इसलिए मैं कहता हूं आज अगर भारत भूमि बोध से कुछ सीख ले तो बड़ा शुभ होगा क्योंकि यह यात्रा दुख से सुख और सुख से आनंद तक की यात्रा है तुमने पहला पड़ाव अभी छुआ नहीं तुम महज बात करते हो आनंद के शिवोहम और वो भी ऐसे ऐसे उपायों से जिससे सुख भी नहीं मिलता आनंद की बात छोड़ो राधे राधे करते रहो राम राम करते रहो इससे सुखी भी नहीं होगे आनंद तो बहुत दूर की बात है वह तो ऐसा रस है जिसको पीकर व्यक्ति निहाल हो जाता है हम लोग चले चलो एक ऐसा पड़ाव है हम हमारे भीतर जहां पहुंचकर व्यक्ति मुर्दे को छू दे जीवंत हो जाता है राम उस तल तक पहुंच गए थे इस धरती का जरा जरा राम राम कहता है तो किसी कारण से कहता है तुमने जाना नहीं बात अल है सिर्फ उस के मानने या ना मानने से कुछ नहीं होता बात सत्य को मानने या ना मानने की है और इससे भी आगे बात सत्य को जानने कीहै सत्य क्या है पहले जानो तो मान तो खुद ही लिए जाओगे जिसने ताजमहल देख लिया वह ताज महल को इंकार भी कैसे करेगा सूरज को देखने वाला व्यक्ति सूरज को इंकार कैसे करेगा चांद तारों को ग्रह नक्षत्रों को देखने वाला व्यक्ति इंकार कैसे करेगा नहीं कर सकेगा मानना तो पड़ ही जाएगा राम स्थल पर पहुंच गए यह सनातन की धरा चूमने योग्य है इस धरा में आज भी उन संतों की छोड़ी हुई तरंगे महका हमारे यहां एक रिवाज है ईसाई और इस्लाम ने तो नकल करके बनाया सनातन से लेकिन सनातन में सिद्ध पुरुषों को दफन किया जाता है बुद्धों को नहीं सिद्धोंको यहां बुद्ध और सिद्ध में कर रहा हूं मैं फर्क सिद्ध बुद्ध से आगे की अवस्था है जिसने उस मकाम को छू लिया परमात्मा बरस गया और वह कण कण में फैल गया वह सिद्ध हो गया उसने तमाम अस्तित्व की तरंगों को भी लिया और वह तरंगे युगों युगों तक चलती रहेंगे इसलिए उसको दफन कर दिया जाता यह जलाने योग्य नहीं इसका रोआ रुआ अनंत अनंत अमृत की बूंदों से भर गया है और अनंत काल तक यह रस बरसाता रहेगा इसको जलाने से हानि हो जाएगी इसको दफ कर दो इसीलिए जो सिद्ध नहीं थे उनको भी दफन किया गया लेकिन उनको समाधि नहीं कहा गया समाधि शब्द बड़ा अद्भुतहै समाधि जिनके सब समाधान हो गए लेकिन दफन तो ईसाई भी करते हैं तो इस्लाम भी करता है समाधि शब्द के पैरेलल कोई शब्द नहीं दिया गया उनको मजार कहते हैं बस एक रिवाज दफन करने का और ऐसा व्यक्ति जिसने अस्तित्व को पी लिया युगों युगों तक प्रेरणा स्रोत बन के यहां ना जाने कितने इस धरा को क्यों स्वर्णम कहा जाता है सनातन की यह धरा स्वर्णम क्यों कहलाती है यहां दफन है बहुत से सिद्ध और लगातार उनकी तरंगे बाहर आ रही है इसलिए यहां आते ही बदल जाती हैं हवाएं बाहर के लोग जब यहां आते हैं तो कुछ अजीब सा मालूम पड़ता है भारतमें भारत से बाहर चले गए मेरे भाई बहन जब यहां वापस आते हैं तो कहते हैं लूट जाने का मन नहीं करता लेकिन क्या करें डॉलर की चमक लोभ हमें ले जाता है वरन जो शांत य है वहां उसका लेश मात्र भी नहीं है कोरी औपचारिकता है ओनली फॉर्मेलिटी बाहर डॉलर की चमक है और कुछ नहीं वह खींच लेती है हम मैंने पहले भी कहा अगर किसी सिद्ध की मिल जाए वहां बैठ जाना जो काम 10 साल में हुआ वह दो साल में हो जाएगा बहुत शीघ्रता से तुम्हारे भीतर की लहरें तुम्हारा रूपांतरण कर देंगे वहां वातावरण अजीब है मस्ती नुमा तुम्हारे कारण उसके कारण जो दफनहै उसने किसी वक्त अस्तित्व को पी लिया था अस्तित्व बरसा था और उसका रोम रोम पी गया था उसे प बिखरे का जीते जी भी बिखरे और मृत्यु के बाद भी बिखरे का और बिखरता ही रहेगा अनेक वर्षों तक बिखरता रहेगा वह तुम्हें अपने भीतर जाने के लिए शक्ति दे सकता है प्रेरणा दे सकता है रास्ता बता सकता है मार्गदर्शन कर सकता है ऐसी समाधि हों के आसपास शुद्ध रू हैं जो व्यक्ति की हेल्प करती हैं मंडराती रहते हैं उन्हें अच्छी लगती हैं ऐसी तरंगे बुध भागे नहीं यहां से किसी के कहने से खुद की अनुपलब्धि के कारण भागे लेकिन जो बुद्ध ने पाया वो भी कोई कमनहीं था आज उसकी जरूरत है बेला आ गया जब बुद्ध की जरूरत है बेला आ गया जब तुम्हें सुख चाहिए घोर दुख में तुम डूबे हुए हो पैसा है सविधा है सब कुछ है वेकल है जहाज है हेलीकॉप्टर बड़े मकान है बड़ी कार हैं सुख सुविधा के सभी समान है जो चाहो तुम खा पी सकते हो लेकिन आग लगी है भीतर प्यासे हो पानी नहीं है जो इस आग को शांत कर सके आग जलाती है तुम तो तुम चाहे महलों में बैठो बाग बगीचों में ठहरो वह आग तुम्हें जलाती ही रहेगी दिन भर रात आज बुद्ध की जरूरत है बुद्ध पानी बनकर बरसेंगे और आग को बजा देंगे शीतल करेंगे राम उस स्थल पर पहुंच गए थेअन्यथा कहने वाले पागल नहीं थे ये जो शास्त्रों में लिखा काफी कुछ बिगाड़ दिया गया बूढ़ों के द्वारा क्योंकि तथ्यों को और सत्यों को वह जानते नहीं थे पहचानते नहीं थे इसलिए किसी शब्द की टांग मरोड़ दी किसी का सिर मरोड़ दिया कुछ का कुछ बना दिया इन्होंने तो फिर कोई सिद्ध आएगा तो बताएगा कि यहां गलती हो गई लिपि को जानने वाला ही बता सकता है कि कहां मात्रा की कमी कहां कोमा रह गया कहां पूर्ण विराम रह गया कहां अर्ध विराम रह गया वही बता सकेगा पक सिचुएशन वही कर सकेगा लेकिन जानकार कोई है नहीं फिर करोगे क्या जैसा है वैसा मानतेजाओगे ऐसा ही हो रहा है अब आज उसो ने कह दिया कि मैं राम को अवतार नहीं मानता मत मानो पेरियार ने कह दिया कि भगवान से सब सवाल पूछते हैं परया पूछो भाई भगवान से सवाल क्या पूछोगे भगवान जवाब देने का बंधित नहीं सृजना बना द तुमहे अच्छा लगता है तुम इसको पियो नहीं अच्छा लगता तो पीछे का भी एक दरवाजा है समझ लेना वहां से निकल जाओ नहीं अच्छा लगता तो और क्या करें तो पेरियार जैसे लोग भगवान से ज भाव मांगते और भगवान कभी जवाब नहीं देता क्यों परम मोन है वो वहां एक्शन रिएक्शन होता नहीं वहां परम मोन की स्थिति है तुम्हारीलहरों से वह लहराता है तुम लाख सवाल पूछते रहो वह ना बोलेगा क्योंकि वह परम मौन है हां तुम उसके पास जा सकते हो तुम परम मौन होक उसके पास जा सकते हो तो तुम्हें सब समझा जाएगा फिर सवाल ना खड़े होंगे फिर समाधान हो जाएगा सब सवालों का सब दुखों का सब व्याधियों का कष्टों का कलेश का समाधान हो जाएगा मूर्खता के तल पर बैठे बैठे तुम 10 सवाल करो चाहे द हजार करो क्या फर्क पड़ता है तो पेरियार जैसे मूर्ख सवाल पूछते मार्क्स जैसे मूर्ख इंकार करते रहेंगे और इनके इंकार करने से कुछ नहीं होता और ओो न ही तरह के मूर्ख राम को मैं अवतार नहीं मानता तोमानो भाई एक व्यक्ति के मानने से क्या हो जाएगा सारी सारी सनातन की व्यवस्था राम राम कर रहे है तुम ना मानोगे व्यक्ति के ना मानने से क्या होगा भीतर के तत्व को जान लेना अलग बात होती है अब इन बात को ठीक तरह से समझ भीतर के तत्व को जान लेना अलग बात है इन शब्दों को ध्यान से समझना ो मुझे रोज मिलते हैं अपनी कमियां अपनी खामियां कैसे क्या हुआ सब कहानी मुझे मालूम है मुझे कुछ बताने की जरूरत नहीं बस मैं उसे सिर्फ सार्वजनिक नहीं करता कि उसकी इज्जत बची रहे इतना ही काफी है भीतर के उस तत्व को जान लेना अलग बात है व चाहे स्वयं को जानना है चाहेपरमात्मा होना है जान लेना अलग बात है अब इन शब्दों को मैं फिर कहूंगा बार-बार रिपीट करके सुनना रिवाइंड करके सुनना और उस जाने हुए शब्दों को शब्द रूप दे देना उ जाने हुए सत्यों को शब्द रूप दे देना अलग बात है राम कृष्ण परमहंस ने बोतल छो लिया लेकिन उस जाने हुए सत्य को कहने के शब्द नहीं यह महारत नहीं है राम कृष्ण में बड़ा ऊंचा तल छू लिया है सत्य को शब्दों में ढर नहीं सकते यह प्रतिभा नहीं है राम कृष्ण में तो क्या करते हैं ढूंढते हैं किसी वक्ता को अगर मुझे कोई वक्ता मिल जाए तो उेल दूं सब कुछ उसके भीतर और वह मेरी जो मैंने दर्शनकिया मेरे अनुभवों को वह संसार में फैला दे अब इच्छा तो बड़ी शुभ है जो जाना वह सत्य है और तुम अगर भटके भटके फिरते हो संसार में तड़पते तड़पते आग में जलते जलते तो तुम्हारी मूर्खता के कारण हो तुम तुम हो कारण तो संत पुरुष सदा ही चाहते हैं कि ये आग कैसे बुझा जाए जाए क्योंकि यह आग असल नहीं है यह नकल है लेकिन उस देखे हुए अनुभव को शब्द में डालना इन् आत इसलिए खोज लेते हैं नरेंद्र को विवेकानंद व बड़े दक्ष हैं बोलने के कमाल हैं जब जाते हैं अमेरिका में प्रथम भाषण करते हैं शिकागो 1893 की बात है शायद तो प्रथम शब्द कहते हैं ब्रदर्स एंडसिस्टर्स तो उठते हुए लोग बैठ जाते हैं आवाज में इतनी कशिश और बोलते चले जाते हैं नरेंद्रनाथ विवेकानंद और सुनने वाले सुनते चले जाते हैं छा जाते हैं शिकागो में अमेरिका में एक संत आया है इंडिया तब गुलाम था वह दक्ष है बोलने में अब फर्क को ठीक तरह से समझ लेना लेकिन अनुभव नहीं जो अनुभव राम कृष्ण का चाहते थे दश दिशाओं में फैले वह अनुभव जब देने लगे उसे तो चिल्ला के बाहर आ गया स्वामी जी मेरे मां बाप भी हैं और सभी इच्छाओं पर कुठाराघात हो गया राम कृष्ण का राम कृष्ण कहता अच्छा फिर तुम बाहर आ जाओ लेकिन जो जहां तक मैंने तुम्हेंपहुंचाया दृढ़ भूमि करते रहना और विवेकानंद दृढ़ भूमि करते भी रहे लेकिन दृढ़ करते करते मूर्ख तो मूर्ख ही होते हैं जब उस तल पर पहुंचे जहां पर व्यक्ति सर्व समर्थ हो जाता है कुछ भी कर सकता है तो चाहे दया का काम ही क्यों ना था वो एक पंडित जी सुबह न बजे से लेकर रात्रि 11 बजे तक टली ही खड़का रहते हैं जबक टली खड़का से कभी किसी को कुछ मिला नहीं वह पंडित जी का चेहरा सामने आया अब तो मैं कुछ भी कर सकता हूं दया की भावना उपजी आते जाते देखते थे दया आती थी बेचारा भगवान को भोग ही लगाता रहता है इसको इतना ही पता नहीं कि पत्थर कीमूर्ति मेटल की मूर्ति कुछ खाती नहीं एक स्त्री मेरे पड़ोस में लड्डू गोपाल को बांधे फिरते थे पुत्र प्राप्ति के लिए मैंने क ये क्या है कहती लड्डू गोपाल लड्डू गोपाल जी जी मैंने यह क्यों बांधे फिर क्यों बोझ लटकाए फरते पुत्र प्राप्ति के लिए यह पुत्र देने में समर्थ है मैंने कहा इसके पास सारा सामान है ज पुत्र देते और फिर भोग लगाती उसे तुम ऐसा मत करो इतना सरल बोल देता हूं फिर भी हस्ते हो इसको भोग ल ती हो खाना खिलाती हो बड़े प्यार से सुला देती हो एयर कंडीशन में खुद चाहे नॉन एयर कंडीशन में सोना पड़ेगा लड्डू गोपाल को एयर कंडीशन मेंझूला झुला के मैंने कहा वो तो ठीक खाना खिलाते थ पेट भर के हां मैंने कहा फिर मल त्याग कैसे करता है उसका तो चेहरा उठ गया जो खाता है मल भी तो त्यागे ना मूत्र वगैरह चुप हो गई उसने लड्डू गोपाल को खोला फेंक दिया समझदार थी जो खाता है तो मल तो त्यागा ज पानी पिएगा तो मूत्र भी करेगा समझदार ती उसने फेंक दिया दो चार गालियां भी निकाली हरामजादे लो के प ऐसी ऐसी पागल दुनिया आज हो चली है तभी मैं कहता हूं आज बुद्ध की बड़ी आवश्यकता है बुद्ध कम से कम इन पाखंड का नाश करके तुम्हें सुख में तो ले आएंगे और सुख का जीवन दुख के जीवन से कहीं बेहतर होताहै बुद्ध की फिलोस फी आज इतना गिर गया है हिंदुस्तान क्या आज बुद्ध की फिलॉसफी काम करेगी तुम बात करते हो आनंद की शिवो हम शिवो हम सत चित आनंद जयकारा लगाते हो बोल सच्चिदानंद भगवान की जय बात करते हो आनंद की हो तुम दुखी अभी तो सुखी भी नहीं हो तो बुद्ध कहते हैं पहले सुखी हो जाओ यह पड़ाव है दुख से सुख और सुख से आनंद आनंद अगला पड़ाव है लोट चले चलो राम उस तल पर पहुंच गए हैं जड़ को हाथ लगा दे चेतन हो जाता है ऐसे कबाड़े में भी किया करता था लोग मेरे पास आ जाते जोमट लगा रहता बाबा ये पानी बना दो बाबा जी घड़ी चार्जकर दो आज इम्तिहान है कर देता इंटरव्यू पर जाना है कोई चीज दे दो हाथ लगा के दे देता यलो ले जाओ सिलेक्ट हो जाते सब हो जाता काम ठीक हो जाता एक मेरे शिष्य को मैंने घड़ी दे दी यह ले बांध के चले जाना तू फेल नहीं होगा पास हो जाएगा सारे पेपर कराया हिसाब का पेपर र गया वो गड़ी के कोई मांग के ले गया उस पेपर में फेल हो गया जो मांग के ले गया था उसका काम बन गया ऐसे कवाड़े मैंने भी किए हुए हैं ये सिर्फ चमत्कार है ईश्वर की शक्ति का प्रयोग है शक्ति उसी की है हमको वाहवाही मिलती है सिर्फ और कुछ नहीं करने वाले हम नहींहै उसके नियम के अनुसार कर देते हैं और व हो जाता है ठीक हो जाता है तो राम उस स्थल पर पहुंच गए जहां जड़ कुछ छू देंगे चेतन हो जाएगा अब कसूर तो है नहीं कोई अहिल्या का अहिल्या सुंदर ही इतनी है कि जहां से गुजर जाए व घंटों तक उसकी खुशबू नहीं जाती और इंद्र मोहित हो गया इंद्र तो आपको पता ही है मोहित ही रहते है रंभा उसके पास जो समुद्र में निकली मेनका उसके पास उर्वशी उसके पास लेकिन वो उर्वशी से भी रंबा से भी ज्यादा सुंदर है और यह भटके हुए लोग बाहर की सुंदरता को देखते हैं बस इंद्र ऐसे ही होते हैं बाहर की सुंदरता से मोहित होने वालेभीतर की सुंदरता का स्वाद नहीं चखा जिन्होंने स्वर्ग का सुख देखा लेकिन स्वर्ग के सुख से आगे आनंद तक नहीं गए कल्प वृक्ष है जो मांगेंगे मिल जाएगा लेकिन वस्तुओं से आनंद नहीं मिलता कल्प वृक्ष से वस्तुएं मिलती हैं वस्तुओं से आनंद नहीं मिलता इसलिए भटके रहते हैं सदा तो इंद्र मोहित हो गए फिराक में रहने लगे षड़यंत्र बाजी जैसे ये राजनीति का करते इनको तोड़ ले तो ऐसा हो जाएगा इनको तोड़ ले तो ऐसा हो जाएगा अपनी पार्टी का बहुमत मिल जाएगा सारे दिन य सड़ी खोपड़ी ऐसे ही करते रहते हैं और राज कर लेते हैं लेकिन मूर्खों को यह नहीं पता कि राज करने सेशोख कहां होता है राज करने से सिर्फ बोझ होता है जिस दिन इनको पता चल गया उस दिन राजगद्दी को ये त्याग देंगे महात्मा मूर्ख नहीं चाहते प्राइम मिनिस्टर बन सकते थे लेकिन उन्हें पता था दिमाग पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं आजादी चाहिए तो वह मिल गई मेरा काम पूरा हुआ कांग्रेस को भंग कर दो राज करने की जरा भी इच्छा नहीं थी और अगर इच्छा होती तो रोक भी कौन सकता था फिर तो जिन्ना भी नहीं रोक सकते थे क्योंकि जिन्ना का कोई योगदान नहीं था किसी का कोई योगदान नहीं था हीरो थे तो गांधी लेकिन गांधी बैठे नहीं क्योंकि बखूबी जानते हैं राज करना एक लफड़ा हैपछड़ है छोटी छोटी औकात के लोग तुम्हें गाली निकालेंगे य कोई अच्छी बात है प्राइम मिनिस्टर को कितनी गालियां पड़ती है कोई बेशर्म व्यक्ति ही गद्दी पर बैठा रह सकता है सुबह से शाम तक रात तक गालिया ही गालिया और इतनी बदी बदी गालिया राज करना बड़ा दुष्कर है मूर्ख व्यक्ति राज कर सकता है समझदार व्यक्ति राज नहीं करेगा उसे पता है वह त्याग देगा राज को दिमाग पर बूझ के अलावा और कुछ भी नहीं और जो राज को मांगता है बड़े से बड़ा मूर्ख है उसका भ्रम अभी टूटा नहीं के राज करने से सुख मिल जाएगा हुकम चलाने से सुख मिल जाएगा यह उसके भीतरहै अभी गलती इल्यूजन है लेकिन बाबा का एक वचन फिर बोल सुख आनंद हुक्म कर में नहीं आनंद हुकुम मानने में है इसलिए बाबा कहते हैं अगर आनंदित होना है तो उस परवर अधिकार का हुकम मानना शुरू कर दो हुक्म अंदर सबको बाहर हुकम ना कोय नानक हुकम ज बझे तो हो में कहे ना कोई वैसे तो बाबा कहते हुकम के अंदर सब चल रहा है व्यक्ति बड़े से बड़ा इल्यूजन में है जो कहता है कि मैं करता हूं करता तो व नहीं है उसके बस में इतनी सृष्टि में करना नहीं है वह कुछ नहीं कर सकता लेकिन तुम चाहते हो कि हुक्म करूं हुकम करने में सुख म मिल जाएगाबस यह सिर्फ तुम्हारी भावना है सोच है मिलता नहीं पूछ लेना जब रिटायर हो जाए मिला सुख ज क कि नहीं मिला मैंने गुलजारीलाल नदा से पूछ लिया मैं उनसे मिलने जाया करता था मैंने कहा तुम थोड़े दिन के लिए प्राइम मिनिस्टर बने चलो मैं तो नहीं बना कोई सुख मिला बड़े साफ नेक दिल इंसान थे वोह कहते नहीं नहीं बापू कहां सुख राज में राज में सुख नहीं है हुक्म करने में सुख नहीं है हुकम मानने में सुख है और बाबा तुम्हें बिल्कुल नबज पकड़ा देते हैं सुख की बाबा कहते हैं ये नब्ज है सुख की हुकम है अंदर सबको बाहर हुक्म ना कोई वैसे तो हुक्म में ही चल रहा है सबकुछ लेकिन तुम इस हुक्म को मान लो बस तुम मानते नहीं नानक हुक्म जे बुझे तुम मान लो और जान लो के हुकम में चल रहा है सब कुछ तो हम में कहे ना कोई फिर तुम मैं ना कहोगे मैं करता हूं और तुम सुखी हो जाओगे बड़े से बड़ा फॉर्मुले जपजी साहब का वैसे तो जप जी का एक एक शब्द महा कल्याणकारी है यह एक अजूबा घटित हुआ धरती पर जप जीी अब मैं कहूंगा सिख कौम का यह दुर्भाग्य है जब जी के होते हुए और और धर्मों की खाक छान रहे हैं जब जी में एक एक शब्द सुरम है हीरे मोतियों से जड़ित है जब जी वो नाव है जिस पर तुम बैठ जाओगे तो भव सागर को पारकर जाओगे लेकिन फिर भी तुम भकना चाहते हो आदमी की इच्छा होती है मुह मारना इधर उधर मारते हो पता है रामतल पर चले गए जहां जड़ को हाथ लगा दे चेतन हो जाता है सब सिद्ध व्यक्ति अगर जड़ को हाथ लगा दे चेतन हो जाएगा आज तुम्हें वह फार्मूला मैंने बताया जो तुम्हें कहीं से नहीं मिलेगा सिर्फ तुम्हें इनकी लहरें मिलेंगी सिर्फ तुम्हें इनकी झलके मिलेंगी शब्दों के रूप में जैसे कहानी मिल गई गौतम की पत्नी अहिल्या अंतरंग क्षणों में पाई जाती है इंद्र के साथ और गौतम यह नहीं जानते कि कसूर किसका है गौतम शबद अहिल तू जड़ बत पड़ीरही इसलिए जा तू पत्थर की शिरा हो जा तू जड़ हो जा गुस्सा व्यक्ति को मढ़ बना देता है स्त्री पर अधिकार कोई नहीं है गौतम का अहिल्या स्वतंत्र है चेतन लेकिन फिर भी मूर्खता गुस्से की मूर्खता इतना बड़ा श्राप दे दिया तो पत्थर की शिला बन जा बात क्या थी कुछ भी नहीं आज के लोगों से पूछ लो वो कहेंगे गौतम मूर्ख थे कभी इतनी सी बात के ऊपर श्राप दिया करते हैं तुम असो मत यह कोई श्राप देने योग्य बात है और जड़ बन गई लेकिन पता लगा के राम आएंगे और राम ने आना था बाद में कृष्ण ने आना था पहले सतयुग के बाद 16 कला अवतार पहले आता14 कला अवतार बाद में आता बाद में घटती जाती हैं कलाए पहले सर्व कला संपूर्ण सतयुग फिर 16 कला संपूर्ण दवा नंबर के हिसाब से देंगे तो दवा का मतलब दई होता है दो सत एक फिर त्र त्रेता त्रेता तीन तो सतानंद ने देखा सोचा कि अभी भगवान राम तो बहुत दूर आएंगे पहले कृष्ण आएंगे का पुत्र था सतानंद जो जनक का दरबारी था व व्यथित रहता कि मेरी माता पत्थर बनी हुई है शिला तो बात की भगवान शंकर ने कहा कि देखो तुम्हारे तुम्हारी माता के त्रेता युग में राम आएंगे वो छू देंगे उनके छूने से सभी ठीक हो जाएगा चेतन हो जाएगी जड़ तुम्हारी माताजीवंत हो जाएगी परम सुंदरी अहिल्या कोई कमी ना थी गौतम ने श्रापित कर दिया अक्सर ये प्रेमी ऐसे ही रशाल होते हैं अगर वह श्राप ना देता सिर्फ निकाल देता तो अहिल्या को तो इंद्र तक चाहते हैं अहिल्या के लिए पुरुषों की कमी ना थी लेकिन प्रेमी अक्सर ईर्ष्यालु हो जाते हैं बस कुछ भी हो जाए तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी यह मुश्किल होगी प्रेमी इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता यह प्रेम का खाक हुआ प्रेम परम स्वतंत्रता देता है जहां चाहो जाओ तुम परम स्वतंत्र हो मैं बाधा बनने वाला कौन बाधा तो दुष्ट बनते हैं प्रेमी थोड़ेबनते हैं तुम अगर हमको ना चाहो तो कोई बात नहीं तुम किसी गैर को चाहोगे तो मुश्किल होगी यह प्रेम नहीं और इसलिए यह जो उपद्रव होते हैं इसलिए होते हैं किसीने काट दिया किसीने 35 टुकड़े कर दिए किसीने यह कर दिया वो कर दिया सब देखते हैं यह आज हो रहा है यह ईर्षा के कारण हो रहा है जबक प्रेमी ईर्ष करता नहीं है प्रेम में कोई शर्त नहीं होती किसी और को चाहोगी तो भी ठीक है किसी और को चाहोगे तो भी ठीक है चलेगा तुम परम स्वतंत्र हो हम बस तुमहे चाहते हैं अच्छे लगते हैं क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर लगती हो बस इतना अच्छा लगता है हृदय को और सुकूनमिलता है यह क्या कम है किसी को देखने से सुकून मिले यह क्या कम है लेकिन नहीं यहां तक नहीं जो अच्छा लगता है उसको ग्रस्त में ले लेना है उसको बांध लेना है यहां मुश्किल होती है प्रेम प्रेम नहीं रह जाता प्रेम बंधन बनकर खो जाता है प्रेम मोह बन जाता है प्रेम की हत्या है शादी प्रेम की हत्या है बंधन इसलिए मैं सदा ही कहता हूं प्रेम से कोई शर्त ना ये आजकल चलता है तीन बच्चे पैदा करो मैंने कहा बिल्कुल तीन करो अगर करने हैं तो वह भी ना करो क्यों बिगाड़ हो अपने शरीर को जननी जने तो भक्त जन समर्पित या दाता या सूर या शूरवीर होया दाता हो जननी जने तो भक्त जने या दाता या सूर नहीं तो जननी बांज रहे कहे को अभ नूर सारा नूर खत्म हो जाता है बच्चे को जन्म देने से तो फिर नूर ना हो बस दाता सूर भक्त इनको जन्म यही कल्याणकारी होते हैं सृष्टि के लिए वही चले वही चलो राम के भीतर शक्ति थी मैं कहता हूं उस तल प जो व्यक्ति चला जाता है वह जड़ को छू दे तो जीवन हो जाता है चेतन हो जाता है तुम्हारे संसार में कहावत है कि इसके भाग्य इतने अच्छे हैं कि मिट्टी को छू दे तो सोना हो जाता है लेकिन यह कोई भाग्यशाली बात नहीं पदार्थ पदार्थ ही रहता है ना यह तो स्वरूप ही बदल जाता हैपूर्ण रूपांतरण हो जाता है जड़ चेतन में तब्दील हो जाता है राम स्थल पर पहुंच गए थे और युगों पहले पता था रामाय आने वाली घटनाएं अपनी परछाइयों को पहले से ही गराना शुरू कर देती कमिंग इवेंट्स कास्ट देर शैडो बिफोर देखिए युगों पहले पता चल गया राम आएंगे और उनमें यह शक्ति होगी जब वह जाएंगे जनकपुरी फिर तुम कह देते हो यह सभी कुछ पूर्व निर्धारित है सब शास्त्रों की कहानियां इसलिए लिख दी जाती हैं पहले लिख दी जाती है रामायण पहले बता दिया जाता है हशर क्या होगा महाभारत का और सरी आम कह जाते हैं वेदव्यास धृतराष्ट्रसे तुम मान तो ना पाओगे लेकिन मैं अपनी माता को लेने आया सत्यापति को यहां भीष्म जंग होगा और कोई नहीं बचेगा तुम बचा सकते थे तुमने बचाया नहीं क्यों क्योंकि यह होना था वेदव्यास जानते हैं वेदव्यास छटी इंद्रिया का मालक है छटी इंद्रिया से देखते हैं यह होगा और आ जाते हैं अपनी कुटिया से उठके मां को कहते हैं सत्यवती को चल मा चल चले और साथ में जो विधवा सत्यवती की बहुए व भी साथ जाती हैं पहले ही निकाल ले आता है यह तो मरेंगे ही यह नहीं मरेंगे यह बचेंगे तो इनको निकालो यही विधान है यह होने वाली घटनाएं थी यह सभी शास्त्रों में सनातन मेंमिलेंगे तुम्हें मिलेगा सभी धर्मों में लेकिन तुम सहेज के नहीं रख पाए सनातन बड़ा समझदार था व सहेज के रख लिया रामायण भी सहेज के रख ली वाल्मीकि ने पहले लिख महाभारत भी सज के रख ली पहले ही लिख दिया था वेदव्यास ने पहले ही कह दिया अपनी माता को पहले ही ले गई चलो मां यहां जो होगा तुम देख नहीं पाओगे और सत्यावॉलू तुम्हें मानने को कोई जिद नहीं करता है तुम मानो कि नहीं हम करके दिखाएंगे करके दिखाओ कौन रोकता है तुम लेकिन अंत में मुंह के बल गिरो गए यह जो छोटी मोटी तुम प्राइम मिनिस्टर बन गए चीफ मिनिस्टर बन गए गृह मंत्री बनगए एक नंबर के अमीर बन गए य ठीक यह करके दिखा दिया आईस बन ग यूपीएससी पास कर लिया यह कर लिया व कर लिया डिग्री ले ली यह करके दिखा दिया नहीं करके दिखाया संत के पास इसकी कोई औकात नहीं संत के पास सुख तक कोई औकात नहीं रखता संत कहते है सुख से आगे आनंद संत तुम से पूछता है तुम ठीक यूपीएससी आईएएस पीएम सीएम सब कर लिया भोग लिया एक नंबर के बन गए अमीर विश्व में झंडे काट दिए आनंद मिला नहीं मिला तो कुछ नहीं मिला बात आनंद की है पा तो कुछ भी लो और वह पदार्थ मेंें मिलता नहीं वह तो कबीर अपनी झोपड़ी में बैठे-बैठे पा लेते हैंतू ना [संगीत] मिला एक तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या है एक तू ना मिला मेरा दिल ना खिला सारी बगिया खिले भी तो क्या है एक तू ना [संगीत] मिला तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या है मेरा दिल ना खिला सारी बगिया खिले भी तो क्या है कागज की डिग्रियां मिल गई सुकून ना मिला और बात तो सुकून की है तुम्हारा अंतस प्राण सुकून मांगता है शर्म की बात है तुम सुकून नहीं दे पाते उसे कागज की डिग्रियां उसने क्या करनी है पद बया उसने क्या करनी है सारी जनता सारी सृष्टि उसके पांव के हाथ लगाए गुण गान करे आरतियां उतारी उसने क्याकरना जे जुग चारे आर्जा और दसव होए नवा खंडा विच जानिए नाल चले सब कोय चंगा नाव रखाई के जस कीरत जगले जे तिस नजर नाव त बात ना पूछे के कीट अंदर कीट कर दोषी दोष तरे नानक निर्गुण गुण करे ते गुण बनत गुण दे तेहा कोई ना खई तिस गुण कोई करे गुणवंत गुण दे तेहा कोई ना सूझ ज तिस गुण कोई करे उसके ऊपर कोई गुण नहीं हो सकता वह सभी के ऊपर गुण करता है चलो हम फिर वहां लौट चले दो तरह के व्यक्ति होते हैं एकश की बात य फिलोसोफर है अनुभव कम है खुद तक पहुंचे हैं बुद्ध के तल तक आगे की बात सहजता से कर देंगे पढ़ पढ़ा के कबीर कोसबको पढ़ लिया इसलिए सबको पढ़ना पड़ा एक लाख किताबें थी उनके लाइब्रेरी में और आपको जानकर हैरान कीी होगी वैसे मैं बता चुका हूं मैंने एक किताब भी अध्यात्म की नहीं पढ़ी थी एक किताब छोटा स पन्ना एक लाख किताब या फिलोस फर है बोलने की वाणी की क्षमता है बाल की खाल निकालने में दक्ष है लेकिन अनुभव नहीं है अनुभव है अप दीपो भवा तक इसलिए बुद्ध के करीब पड़ेंगे आगे नहीं जा पाएंगे लेकिन और भी राहत हैं वसल की राहत के सिवा तो त्रेता युग में आना राम ने विधान यह कहता है और उसकी सर्जना बहुत बार मैंने कहा व्यक्ति परमात्मा को इंकार करने वालाव्यक्ति परमात्मा की सृजना का एक रेत का कण नहीं बना सकता बनाने की बात छोड़ो यह बना कैसे यह नहीं बता सकता सिर्फ मॉलिक्यूल और एटम संरचना के अलावा बना नहीं सकता कैसे बना यह भी नहीं बता सकता कितना निर्बल है मानव और उसकी होद को इंकार करता है तो सतानंद भी एक गुप्त विद्या है सब कुछ उल्ट पल्ट करने के वो विद्या को लिया जाए तो उल्ट पल्ट हो जाता है सब खत्म हो जाएगा और सब बन जाएगा तो उस विद्या को करके सतानंद जो जनक के पास दरबारी थे महामंत्री थे गुरु भी थे उनके उन्होंने तब किया गौर तप किया और उस महा मालिक के पास उस परवरदिगारके आगे उस रहम करीम के आगे अपनी व्यथा सुनाई देखिए वैसे तो मैं इसको भी ज्यादा ठीक नहीं समझता इतनी शक्ति को बर्बाद कर देना पता है माता मिट्टी की मूर्ति है अब भी मिट्टी है फिर भी मिट्टी हो जाएगी एक दिन अहिल्या खत्म हो जाएगी लेकिन शर्म आती है उन दिनों में सामाजिक व्यवस्था ऐसे ही थी मातो को पुनर जागृत कर जीवित कर पुत्र का यह फर्ज है तब किया लेकिन पता था अभी द्वापरा आएगा कृष्ण आएंगे 16 कला संपूर्ण फिर आएंगे त्रेता सत एक द्वा दो त्रे तीन कली अनेक तो आना था त्रेता ने तीसरे नंबर पर अपनी उस तप के कारण ले आए दूसरे नंबरपर पहले आ जाए एक युग तो बहुत ज्यादा हो जाएगा और युग प पले आ गया देखिए द्वापर आना था सत के बाद और फिर त्र आना था त्रेता आना लेकिन आ गया त्र पहले दोही बाद में युग पलट दिया और भगवान राम आए जिनके पास यह कैपेसिटी थी उस तल पर गए जहां जड़ को हाथ लगाए चेतन हो जाता है यह बातें समझदार की की खोपड़ी में आएंगे नहीं वो सुनना छोड़ देंगे मैं जानता हूं क्योंकि दिमाग से परे हो जाना ये मार्क्स के अनुयाई हैं बिना खोजे कह देते हैं नहीं है परमात्मा सिर्फ वितरण प्रणाली को देखकर जबकि वितरण प्रणाली इन्होंने खुद बनाई हैपरमात्मा ने नहीं बनाई लेकिन बहाना चाहिए समाज के लिए वह भी ठीक हैं शुभ है अपने जमाने के राम आए राम को याद दिलाया गया राम ने अपना पांव लगाया अंगूठा टच किया और अहिल्या पत्थर से अहिल्या बन गए पाव हुए राम ने आशीर्वाद दिया कल्याण मस्त हो बाबा अब यह बात विस्तार से शास्त्रों में नहीं समझाई बस विस्तार में कह दिया गया पाम से छुआ और चेतन हो गई नहीं ये एक तल होता है जहां पर जाकर जो व्यक्ति किसी चीज को छू दे वह तुम्हारे सांसारिक मसले हल कर देग मेरे पास फोन की भरमार आती है सिर्फ बताने के लिए कि मैं दुखी हूं क्यों क्योंकि उनको पुराना विश्वासहै और मैं सुनता नहीं उनकी बात कि अपने दुख को बता दो दुख दूर हो जाएंगे मुझे बाद में मैसेजेस भी आ जाते हैं बाबा आपको बताया ठीक हो गया बताने भर से ठीक हो गया अब ये साइंटिफिक प्रोसेस तो है नहीं मेरी खोपड़ी तो इसको मानती नहीं थी मैं तो साइंटिफिक माइंड का व्यक्ति हूं यह कैसे हो सकता है लेकिन पता चला कि यह होता है जब पता चला कि यह होता है तो मैं एक जगह बैठ गया ड्यूटी लगा दी भगवान शंकर ने और सिद्धों ने निभा रहा हूं प्रश्नों के उत्तर भी देने पड़ते हैं फोन भी उठाना पड़ता है बातचीत भी करनी पड़ती है लोग तलाश लेतेहैं और अपनी व्यथा जल्दी जल्दी में कह भी देते हैं बातों बातों में कुछ गहरी बातें हैं तुमको बता द मैंने इनका भीतर का रस य है अगर ऐसा व्यक्ति जड़ को छू दे तो चेतन हो जाए लेकिन बात तो छुए क्यों वो करुणा वश होएगा अन्यथा वह जानता है अब अगर किसी जड़ को मैंने मृत को किसी ने जवा दिया बुध में क्षमता नहीं राम में ऐसी क्षमता थी कृष्ण में ऐसी क्षमता थी और तो और महावीर में ऐसी क्षमता थी तो मैं जानकर बड़ी हैरानी होगी बुद्ध में ऐसी क्षमता नहीं थी महावीर उसी तल पर खड़े थे जिस तल पर कृष्ण खड़े हैं विरोधी तल पर बस कृष्णसमर्पण के शिखर है और महावीर सं कल्प के शिखर है इतना ही फर्क है तल समान है दोनों के एक रती राई भी कम नहीं है कृष्ण से कबीर के पास काशी नरेश आते हैं मैंने तीर्थ यात्रा करने जाना है बहुमूल्य हीरा है आपके पास रख जाऊ यहां कोई चोर नहीं आता हमारे राज दरबार में सभी चोर हैं राजनीतिक चोर ही तो होते हैं इसलिए तुम्हारे पास यहां रख जा राजा के लिए मूल्यवान है कबीर के लिए जो मूल्यवान था व उसने पा लिया सबर साहिब मिल ही सबूरी में सबर मिल गया संतोष मिल गया इससे बड़ा कोई सुख होता भी नहीं तो कबीर कहने लगे देखो यहां झोपड़ी के अंदर जहां भी तुम रखके जाओगे वहीं आकर ले लेना भाई मुझे नहीं पता कहीं भी रख जाओ लेकिन अपना हीरा आके वहीं से ले लेना उत्तर दायित्व मेरा कुछ नहीं ना है कि यहां चोर लोग नहीं आते संतों के पास चोर आते भी नहीं तुम असा मत करो जाके वापस आए एक प्रयोग था शायद गच्चा खा जाए परखने का एक ढंग था बहुत वक्त बीता करीब एक महीना भर बीत गया वापस आए कुटिया में आए प्रणाम किया बगत जी मैं अपना हीरा ले लू हां भाई जहां रख गए थे वहीं से मिलेगा लेलो काशी नरेश ने हाथ मारा जहां रख के गया था वहीं पड़ा था हीरा चर के घर में रख जाओगे इधर की चीज उधर मिलेगी संत के घर में रखजाओगे कोई नहीं छड़ेगा क्योंकि वहां संत ही आते हैं कुछ रह गया हां नागार्जुन रह गया नहीं नागार्जुन ही तो बोल रहा हूं य नागार्जुन की भूमिका है भूमि बना र हूं प्लो कर रहा हूं सब तैयारी कर रहा हूं पानी छोड़ रहा हूं खाद दे रहा हूं बस जिस दिन पूर्ण हो गया उस दिन बीज भो दूंगा नागार्जुन आखरी इसलिए इतनी देर लग रही नहीं यह शर्त वर्त नहीं चलेगी तु तुम अगर मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं तुम किसी गैर को चाहोगी तो मुश्किल होगी क्यों भाई तेरे बाप ने मोल ले रखी है क्या तुम अगर हमको ना चाहो तो कोई बात नहीं यह जीवंत है शीइंडिपेंडेंट तेरे बाप ने मोल ले रख तुम अगर हमको ना चाहोगी तो मुश्किल होगी ये शर्त है यह प्यार में नहीं चलते तुझसे लिपट के जो रो लेते [संगीत] हम तुझसे लिपट के जो रो लेते हम आंसू नहीं थे यह मोती से कम तुझसे लिपट के जो रो लेते [संगीत] हम आंसू नहीं थे यह मोती से कम तेरा दा मन [संगीत] नहीं तेरा दामन नहीं ये आंसू डले भी तो क्या है एक तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या है मेरा दिल ना [संगीत] खिला मेरा दिल ना खिला सारी बगिया खिले भी तो क्या है एक तू [संगीत] ना मिला
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