कल के प्रसंग से आगे तुमने कहा कि मैं हर क्रिया का साक्षी रहता हूं हर विकार का भी साक्षी रहता हूं लेकिन फिर भी उन विकारों की पकड़ में आ जाता हूं काम वासना के साक्षी रहने को उपरांत भी काम वासना से घर जाता हूं उसे छोड़ नहीं पाता कहीं कोई गलती है कल मैंने कहा था गलती क्या है आओ इसके ऊपर चर्चा करें ऐसा समझो कि तुम बिजली की नंगी तार को हाथ लगाने जा रहे हो होश में आंखें खुली हैं बिजली की तार नंगी तुम देख रहे हो तुम्हारा हाथ बढ़ रहा है शने शने उस तार की तरफ बस तुम्हारा प्रश्न ऐसा ही है तुम कहते हो फिर भी मैं उस नंगी तार को हाथ लगा देता
हूं देखिए एक आद बार तो य चलता है क्योंकि तुम्हें उसका परिणाम नहीं पता होता लेकिन अगर हल्का सा करंट लगा और हाथ खींच गया तो फिर से तुम उसे हाथ नहीं लगाओगे काम वासना उठी क्रोध उठा सभी विकार उठे तुम कहते हो मैं उनका साक्षी हूं साक्षी हो लेकिन सिर्फ साक्षी रहने से कुछ नहीं होता क्या करना होगा तुम नंगी तार को हाथ लगाने जा रहे हो उसके तुम साक्षी हो इतने से बात बन जाएगी क्या नहीं क्या होगा तुम्हें हाथ पीछे खींचना होगा अन्यथा तुम आगे थोड़ा सा और और चिपक जाओगे बिजली से यही होता है तुम्हारे साथ बड़ी बारीक फर्क
है साक्षी तो में और साक्षी जब क्रिया में ढल जाता है इसे फिर समझो नंगी तार को तुम हाथ लगाने जा रहे हो तुम कहते मैं इसका साक्षी हूं यहां तक तो ठीक है हाथ आगे आगे बढ़ा रहे हो यहां तक भी ठीक है लेकिन फिर तुम कहते हो कि मैं उस काम वासना की ग्रस आ जाता हूं क्रोध के ग्रस्त में आ जाता हूं यह मूर्खता है फिर तुम साक्षी नहीं रह पाते फिर तुमने यह देखा नहीं कि क्रोध के बाद पश्चाताप आएगा क्रोध के बाद अगला भी क्रोध करेगा जिसके ऊपर घृणा का क्रोध फेंका वह प्रति उत्तर देगा काम वासना से तुम झरे तो शक्ति तुम्हारी क्षीण हो वो पल नहीं
तुमने नरे वह अनुभव तुम्हारे संग ना रहा और ध्यान रखना ब्रह्मचर्य को साधने के लिए शरीर के ब्रह्मचर्य को साधना आवश्यक है मूर्ख है वे लोग जो कहते हैं भोगो खूब भोगो और सिर्फ साक्षी बने रहो मैं कहता हूं मूर्ख है वो लोग सिर्फ भोगो और सिर्फ भोगो और साक्षी ब बने रहो ऐसे तो तुम साक्षी बन के गाड़ी के नीचे बिसर फिर तुम्हारे अनुभव ने कहां काम किया अनुभव कहीं भी काम नहीं आया तुम जानते हो गाड़ी के नीचे सर देंगे सिर कट जाएगा फिर भी दोगे नहीं दोगे साक्षी तो तुम रहो लेकिन साक्षी रहने का कुछ लाभ भी उठाओ और साक्षी रहने का पूर्ण लाभ उठाओ
एक छोटी सी कहानी अपनी बात को शुरू करो फिर हमारा एक प्रश्न बहुत देर से लटका आ रहा है नागार्जुन का शून्यवाद उसमें भी जाएंगे श्री कृष्ण का गुरु दुर्वासा जमुना पार दूर एक छोटी सी झोपड़ी में बैठे हैं और कृष्ण कहते हैं अपनी गोपियों से सखियों से मेरे गुरुदेव आए हैं क्या उनसे मिलना चाहोगी बिल्कुल बताओ कहां है हम अवश्य मिलेंगे उनके लिए सुस्वादु भोजन पका के लेकर जाएंगे कृष्ण ने कहा कि गंगा जमुना पार व सामने दाएं बाए मुड़ गए ऐसे उनकी झोपड़ी आ जाएगी गोपियां घर गई गुरु जी के लिए पकवान प पकाए जाने की तैयारी में थी देखा यमुना
उफान प पुल के ऊपर से पानी बह रहा है पुल नहीं दिखाई पड़ता वापस कृष्ण के पास आ जमुना बड़े उफान पे है क्या किया जाए कृष्ण कहने लगे देवियों मां गंगा से प्रार्थना कर दो क्षमा करना गंगा निकल जाती मेरी मां गंगा ही है मां यमुना से प्रार्थना कर दो कि अगर हमारा कृष्ण बाल ब्रह्मचारी है अखंड ब्रह्मचारी है तो मां हमें रास्ता दे दे अपने फान को शांत कर तो सभी गोपियां हंसने लगी सखी हसने लगी राधा भी ल असंभव है जो रोज रासर चाता है उसके बारे में फरियाद की जाए तो मूर्खता है नहीं लेकिन कई बार दिखने वाली चीजें होती सत्य हैं लगती मूर्खता
है फिर भी कृष्ण इतना प्यारा था घर गई पकवान पकवाई आके मां से प्रार्थना की मां अगर हमारे प्रिय कृष्ण बाल ब्रह्मचारी हैं उन्होंने कभी भी ब्रह्मचार्य खोया नहीं तो हे मां यमुना हमें रास्ता दे दे अपने उफान को शांत कर इतना कहते ही यमुना नीचे बैठ गई पुल साफ दिखाई देने लगा उसका उफान शांत हो गया हैरान तो सभी थी देखा कृष्ण की तरफ लेकिन हंसी भी और इस आश्चर्य से प्रभावित भी हुई यह क्या जिसको हम रोज सरी राह नंगा देखते हैं वह बालम चर हां ऐसा भी होता है य बहुत गहरी बातें हैं अभी कुछ दिन पहले मुझे एक व्यक्ति ने
कहा कि हमारे प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया कहते हैं कि मैं नॉन बायोलॉजिकल हूं मैंने कहा ठीक कहता है क्यों मैंने कहा नॉन बायोलॉजिकल सभी नॉन बायोलॉजिकल ही है हम जो हमारा अंत स्वरूप है उसका ना कोई मां है ना कोई पिता है हम नॉन बायोलॉजिकल है सभी माता-पिता तो शरीर के होते हैं मां-बाप होते हैं शरीर के व बायोलॉजिकल होता है तुम्हारा शरीर आया बायोलॉजिकल पिता से और बायोलॉजिकल माता से और किन्ही अज्ञात तलों पर जाकर भीतर हम नॉन वालेल हो जाते हैं वह जो माता-पिता से नहीं आया जो सपम है जो खुद से प्रकाशमान है सको बाबा नानक ने कहा सपम गुर
प्रसाद वह नॉन बायोलॉजिकल है उसका माता पिता कोई नहीं मुझे लोग पूछ लेते हैं यह है शंकर इसके मां-बाप मैंने कहा कोई नहीं इ नॉन बायोलॉजिकल तो एक अर्थ में मैंने कहा ठीक कहते हैं जिसने अपने अंत को छू लिया और अपने अंत को अच्छी तरह से देख लिया टच कर लिया वह जानेगा कि मैं नॉन बाजल हू मे शरीर को उत्पन्न किया होगा बिल्कुल किया है मां बाप ने लेकिन जो वास्तव में मैं हूं वह नॉन बाल वह माता पिता से नहीं आया चलो आगे चले सखियां चली गई गुरु के पास जाकर प्रणाम किया परिचय दिया कि आपके शिष्य कृष्ण ने हमें भेजा है हमारे प्रिय
है हां पुत्र बैठ जाओ ये थोड़ा सा भोग लगा लो हम कुछ पकवान लेके आए हैं लेओ सभी सखियां थालियां भर के लगे थी और प्रत्येक थाली को वो खा रहे थे दुर्वासा थाली आई हड़प थाली आई हड़प सब खाली हो गया अब पहला वो चमत्कार दूसरा ये चमत्कार सारा खा गया इतनी थालियां थोड़ा थोड़ा भोग लगाने के लिए लेकर आए य बिल्कुल ऐसे जैसे तुम प्रसाद लेकर जाओ लिफाफा भरते और जिसको भोग लगाने के लिए लेकर जाओ वह सारा खा जाए ऐसा ही हुआ गुरु ने सब चट कर दिया थालियां साफ हो गई चरणों में प्रणाम किया आशीर्वाद लिया गोपियां बोली गुरुदेव हम वापस जा रहे
हैं लेकिन एक मुश्किल मां यमुना उफान पर है आती हुए तो हमें रास्ता मिल गया था अब जाते हुए क्या करें उ फान पर होगी तब रास्ता दे दिया था और दुर्वासा बोले पुत्रियों तुम ऐसा करो मां यमुना से प्रार्थना कर देना अगर हमारे प्रिय कृष्ण के गुरुदेव दुर्वास ऋ पवना हारी हैं उन्होंने कभी कुछ खाया नहीं तो मां अपने उफान को शांत कर हमें रास्ता दे दे यह तीसरा अजूबा वहीं से कहावत बनी के कानों सुनी तो गलत हो ही जाती है आंखों देखी भी गलत हो जाती है सभी हसने लगी मुंह में दुपट्टे दे हसी रुक नहीं रही सारा चट कर गया मोला और कहते कि मैं पवना हारी हूं कभी
कुछ खाया नहीं और कह दो यमुना से मां हमें रास्ता दे दे और वह रास्ता दे देगी कैसे संभव है लेकिन गई किसी तरह जा मां यमना फिर उन पथ हाथ जोड़ के खड़ी हो गई प्रार्थना की के मां अगर हमारे प्रिय कृष्ण के गुरुदेव दुर्वासा ऋषि पवना हरी है उन्होंने कभी कुछ कया नहीं तो अपने उफान को शांत कर हमें रास्ता दे दे और यमुना हट गई उफान शांत हो गया रास्ता मिल गया गोपियां पुल पार कर गई परले पार आ गई लेकिन एक कुतु हल बना रहा यह क्या हमने आंखों से देखा आंखों से देखा झूठा हो गया अपने हाथ से ला के आई अपने हाथ से पकाया यह स्वपन
तो नहीं था आंखों में जल के छीट मारे अपने बाल पाड़ लिए देखें जागृत हैं कि सुसुप्त है लेकिन नहीं जागृत है ये क्या हुआ दोनों ही बातें मिथ्या और दोनों ही सत्य मां यमुना तो झूठ नहीं होती मां यमुना ने रास्ता दे दिया अब हम विष है एक भीतर का तत्व वह सदा से ब्रह्मचारी है वहां पहुंचना है हमने जहां से कुछ कभी खंडित नहीं होता जहां से कुछ कभी खोया नहीं जाता वहां की शक्ति सदा से है आद सच जगादेवी बूंद उसमें से निकाली नहीं जा सकती और एक बूंद उसमें और डाली नहीं जा सकती मैंने कहा जब मैं फिजिक्स पढ़ता था सबसे पहला सिद्धांत आया मैटर कैन नीदर बी
क्रिएटेडटेड हमें बड़ा हैरान हुआ फिर तुम क्या करते हो वैज्ञानिक किसलिए हैं जब तुम कुछ बना नहीं सकते और कु विनट भी नहीं कर सकते तो तुम काहे को जोर लगा रहे हो तुम्हारी सत्या क्या है तुम्हारी औकात क्या है तो हमारे प्रोफेसर ने हंसकर कहा बस इतनी ही औकात है हम मैटर कैन नीदर बी कटेड नर कन बी डिस्ट हम ना कुछ बना सकते हैं ना कुछ विनाश कर सकते हैं ऐसा हमारा भीतर का वह अस्तित्व है वहां जाकर तो ब्रह्मचारी हो ही जाता है व्यक्ति और वहां जाकर जब जान जाता है कि मेरे स्वरूप में से कण निकाला नहीं जा सकता और कण डाला
नहीं जा सकता यह सदैव से एक रूप है समरूप है समरस है सदा था है रहेगा लेकिन ध्यान रखना वहां पहुंच जाओगे तब की बात है कोरे स्वपन देखना अच्छा नहीं होता शुरू करना होगा ब्रह्मचर्य से इस बायोलॉजिकल शरीर के ब्रह्मचर्य से नॉन बायोलॉजिकल ब्रह्मचार्य तक पहुंचो ग बायोलॉजिकल शरीर के ब्रह्मचार्य से यह असंभव है अगर कोई व्यक्ति कहे कि मैं सिर्फ साक्षी होकर ब्रह्मचर्य को साथ लेता हूं सकत होने देता हूं अपने आप सकत होने देती हूं अपने आपको और मैं ब्रह्मचारी हूं गलत शरीर के ब्रह्मचर्य से सता है अस्तित्व का ब्रह्मचर्य
शरीर के ब्रह्मचर्य से शुरू करना होगा अस्तित्व के ब्रह्मचर्य तक पहुच ग और यह जानने के बाद कि वास्तव में मुझ में से कुछ एक कण भी कभी रित नहीं होता फिर तुम कृष्ण भी हो सकते हो वो तुम्हारी अपने संस्कारों की बात है मैंने पिछली वीडियो में बात की एक शब्द कहा तुलसी ने उसको अपने हृदय पटल पर लिख लेना समर्थ को नहीं दोष गोसाई जयह समर्थ हो जाता है जो और समर्थ कौन होता है जो उस जंक्चर पॉइंट के नीचे उस लास्ट इनर मोस्ट बटम को छू लेता है वह समर्थ हो जाता है समर्थ को नहीं दोष कुस तो फिर वह शिशुपाल का वध कर दे 18 अक्षण सेना 40 लाख लोगों को मरवा
दे लेकिन उसे कोई दोष नहीं लगता लेकिन ध्यान रखना इन शब्दों से बंद मत [संगीत] जाना समर्थ जो आदमी हो जाता है जंक्चर पॉइंट को पार कर देता है उस बॉटम लाइन को छू लेता है अंतरिम तल को वहां जाकर अधिष्ठता है जिसे भगवान कृष्ण कहते हैं स्थिति प्रज होज अपनी प्रज्ञा में स्थ ठहर जा बस वही ठहराव उससे आगे तो जाया भी नहीं जाता जाया जा नहीं सकता वह अल्टीमेट ब्रह्मचर्य है जो व्यक्ति समर्थ हो गया उस इनर मोस्ट बॉटम को छू गया उसको कोई दोष नहीं लगता तुम कहोगे य अन्याय है नहीं यह अन्याय नहीं तुम वहां पहुंच जाओ जाकर देखो
अब इसका थोड़ा सा विस्तार करते तो आपको समझा जाएगा जो व्यक्ति इनर मोस्ट बॉटम पर पहुंच जाता है वह समृत हो जाता है मतलब समृत हो जाता है मतलब वह जो भी कुछ करता है नियमों के दायरे में करता है जो तुम्हें फल मिलते हैं मर जा एक्सीडेंट हो जाते [संगीत] हैं यह जो सब अनहोनी घटनाएं होती हैं य ईश्वर करवाता है हां करवाता तो ईश्वर है लेकिन तुम्हारे कर्मों का फल देकर फल तुम्हारे होते हैं साक्षी वह होता है उसके सामने तुमने किए और उसके सामने ही तुमने भोग और तुम सुरकर हो गए गहरा है थोड़ा समझना अगर समझ ना आए तो बहुत बार सुनना
पड़ेगा जो तुमने कर्म किए उसकी मौजूदगी में किए फिड हो गए अगर वह देखता ना होता तो फिट ना होता उसका फल भी उसकी मौजूदगी में भुगतना होगा आपे विजय आपे खा बाबा नानक ने कहा खुद ही बजता है खुद ही खाता है बजते भी उसकी मौजूदगी में हो और खाते भी उसकी मौजूदगी में हो वह सदा साक्षी रहता है इंटरफेयर नहीं करता तुम्हारे ही कर्मों का फल अपनी मौजूदगी में तुम्हें ही दे देता है इसलिए उसे न्याय कारी भी कहते हैं बड़े से बड़ा न्याय कारी वो है जबकि सब उसका है खेल तमाशा है लेकिन स्वछंद नहीं है स्वतंत्र है उ शंकल नहीं है स्वाधीन
है उ शंकल नहीं है वप नहीं है कोलाहल नहीं है कर्मों का फल है सटीक फल है आकर प्रार्थना की यमुना ने रास्ता दे दिया वापस आ गए कृष्ण के पांव पकड़ लिए यह क्या है कृष्ण ने कहा यही सत्य है देवियों ये जो सभी गोपियों के साथ एक कृष्ण होता है यही मेरी लीला है अन्यथा एक गोपी के साथ कृष्ण होता राधा के साथ कृष्ण होता यही लीला है सभी के साथ कृष्ण है मतलब मैं सब जगह मौजूद हूं मैं किसी एक स्थान पर नहीं हूं मैं सिर्फ राधा के साथ नहीं हूं मैं सभी गोपियों के साथ मेरा रूप विराट है मैं सीमित नहीं हूं संकुचित नहीं हूं
मैं विराट हूं असीम हूं बस यहां आकर उसकी विराटता का पता चलता है बिना देखे शस्त्र पड़े तो तुम नमस्कार कर लोगे समझ कुछ नहीं आएगा और मैं कहता हूं शास्त्र बेशक ना पढ़ना समझ लेना और जिसने पहले समझा बस उसे शास्त्र पढ़ने की जरूरत नहीं फिर वह शास्त्रों की व्याख्या करने के योग्य हो जाएगा तुम शास्त्र पढ़ के व्याख्या करते हो मैं कहता हूं दर्शन करके शास्त्रों की व्याख्या करना सही व्याख्या होगी सटीक व्याख्या होगी पहले दर्शन फिर व्याख्या तुम पहले व्याख्या पढ़ लेते हो फिर दर्शन की कामना करते हो नहीं हो सकेगा यह उल्टा
है गंगा की धारा उल्टा बहने लगी ये नहीं होगा साक्षी होते हो जब शरीर विकार में आया किसी भी विकार में आया अगर तुम वास्तव में साक्षी हो तो ध्यान रखो तुम्हारी आंखें हैं अगर तुम प्लेटफार्म के करीब खड़े हो और साक्षी हो के गाड़ी आ रही है पटरी पर तो तुम छलांग नहीं लगाओगे तुम ठहर जाओ बस ऐसा ही होगा अगर तुम वास्तव में साक्षी हो तो तुम्हें आंखें मिल गई रेल का इंजन रेल गाड़ी गुजर रही है तुम ठहर जाओगे इसे गुजर जाने दो जब गुजर जाएगी तो हम गुजर जाएंगे बस यही करना है यही है सूत्र जब कोई भी विकार आए तुम बड़ा मुश्किल समझते हो यह इतना मुश्किल है हो
नहीं पाता बहुत बार कोशिश की नहीं इतनी कोशिश करने की क्या आवश्यकता है आंखें ही तो खोलनी होती है अगर तुमने जान लिया यह हाई वोल्टेज करंट की तार है और यह तार नंगी है इसके ऊपर कोटेड नहीं है और अगर मैंने हाथ लगाया तो चिप जाऊंगा और मर जाऊंगा तो भला फिर भी तुम हाथ लगाओगे तुम्हें पता है गाड़ी गुजर रही है क्या तुम फिर भी रेल पार करने की रेल लाइन पार करने की चेष्टा करोगे नहीं करोगे बस इसी तरह अगर तुमने देख लिया कि शरीर काम में ग्रस्त हो गया शरीर क्रोध में ग्रस्त हो गया फिर भी तुम काम की अवस्था में रोगे असंभव
या किसी मूर्ख ने विधि बनाती साक्षी का परिणाम भी तो आना चाहिए फिर वही बात जो मैंने कल कहा था मैंने कहा बार-बार बोलूंगा या याद कराऊंगा तुम्हें परिणाम भी तो आना चाहिए लक्षण भी तो आने चाहिए अगर तुम्हारे पास आंखें हैं और तुम्हें दिख रहा है गाड़ी गुजर रही है तुम साक्षी हो गए अगर तुम्हारे पास आंखें और तुम दिख रहा है यह हाई वोल्टेज नगन तार है तो ना तुम रेल की पटड़ हों को पार करोगे ना तुम नंगी तार को हाथ लगाओगे क्योंकि तुम जानते हो उसका अंजाम क्या होगा तुम झट से ठहर जाओगे वहां यह तुम भूल जाते हो तुम कह दे तो हम
साक्षी हैं नहीं साक्षी नहीं होते तो जैसे ही तुम्हें पता चला कि गाड़ी आ रही है तुम दो कदम पीछे खिसक जाओगे अब गलती कहां होती है यह भी सुन लो गलती होती है तुम साक्षी बना हो नकली स्वास को आते जाते देखने में तुम साक्षी बनाते हो नकली जबकि वास्तव में तुम्हारा अस्तित्व साक्षी है तुम बजाय अस्तित्व के ऊपर छोड़ देने के खुद साक्षी हो जाते हो यह गलती है तुम्हा अगर तुम बाबा नानक की बात को मान लो पलटू की बात को मान लो मेरी तो यही अर्जी कर वही जो तेरी मर्ज अब यहां बुद्धि हों को सूक्ष्म कर लेना है अब मैं बिल्कुल पॉइंट के ऊपर
आऊंगा जहां तुम्हें निचोड़ बता दूंगा रस से निकाल के आती जाती स्वास को देखना क्रियाओं को देखना है ध्यान से सुनना बात को आती जाती स्वास को विपनान जो बुद्ध ने बताया स्वास आई गई आई गई स्वास क्रिया है क्रिया को देखना है लेकिन काम क्रिया नहीं है क्रोध क्रिया नहीं है क्रोध विकार यही फर्क पड़ जाता है तुम स्वास को आते जाते देखकर साक्षी रहते हो ठीक समझ आ गई कि शरीर मैं नहीं हूं शरीर श्वास ले रहा है शवास छोड़ रहा है यहां चलेगा कौन व्यवधान डालता है कोई भी नहीं लेकिन जब वासनाओं का तूफान उठे तो तुम वासनाओं को तूफान को
य काम वासना उठी शरीर के अंग उत्तेजित होने शुरू हुए और तुम साक्षी ही बने रहे नहीं तुम साक्षी तो को तुम ब्रह्मचर्य को खो दोगे अगर साक्षी रहे तो तो क्या करना होगा आम क्रिया में चल जाएगा यह जानने के लिए कि मैं शरीर नहीं हूं यहां तो काम करेगा विपसिना तुम्हारे बुद्ध की यहां काम करेगी साक्षत उसो का यहां काम करेगा क्रिया के बीच में लेकिन वासनाओं के तूफान में यह काम नहीं करेगा यहां कुछ अलग प्रणाली है तो क्या करना होगा हमें हम क्यों फेल हो जाते हैं खुद ो फेल हो गए हो गए हो गया ना फिर नहीं ले जा सके अपने आप को उस थल पर
ले जा सकते थे इसकी बात बाद में बात करूंगा लेकिन तुम उसकी इसी बात पर ठहर गए हो शोके के साक्षी बने रहना तो बने रहते हो लेकिन मैं कहता हूं परिणाम आते हैं फिर वही बात फर्व ही श्याम वही गम वही तनहाई है फिर वही शाम वही परिणाम आए नहीं आए तुम झर गए तुम क्रोध कर गए क्रोध का तूफान दूसरे पर बरस गया और उत्तर प्रति उत्तर का सिलसिला शुरू हो गया तो कहां कमी रह गई तूफान तो अपना काम कर गया कहीं कमी रह गई कमी कहां रह गई तुमने जो नकली साक्षी बनाया था उसको हटाना पड़ेगा यहां से नेचरली यू आर साक्षी बस उस साक्षी को हटा लो तुम असली
साक्षी रह जाओगे जैसे हो वैसे बने रहो बनो मत बने रहो अब यह शब्द बड़े उलझन बाजी है लेकिन समझ आ जाएगी तुम्हे अगर बारबार सुनोगे तो साक्षी बनो मत यह जो साक्षी तुमने बनाया स्वास को आते जाते देखने के लिए वह तुमने पैदा किया दैट इज यर ओन क्रिएशन इसने देखा स्वास आ रही स्वास जा रही और उससे फर्क तो पता चलेगा कि मैं शरीर नहीं हूं स्वास आते भी देखता हूं जाते भी देखता हूं ठहरते भी देखता हूं यह श्वास लेता हुआ यंत्र मैं नहीं हूं यहां तक तो काम करेगा ये तुम्हारा साक्षी जो तुम विपसिना में सीख के आते हो लेकिन क्या
होगा काम के तूफान का क्रोध के तूफान का वहां यह साक्षी काम नहीं करेगा वो समझाने की चेष्टा तो की लेकिन तुम समझे ना आम क्रियाओं में तुम साक्षी बने रहना चलते हो जानो पाम उठा दूसरा पाव उठा पहला पाव उठा दूसरा पाव उठा लेफ्ट राइट लेफ्ट राइट हो रही है तुम देखते रहो हाथ हिला हाथ पीछे गया दूसरा हाथ आगे आया दूसरा हाथ पीछे गया तुम आगे चले सब देखते रहो इसके साक्षी हो ये यंत्र चल रहा है रोबोट की तरह और तुम देख रहे हो यह क्रियाओ में तो काम करेगा विकारों में काम नहीं करेगा इसलिए क्रिया को विकारों से अलग कर दिया
गया यह था कारण संतों ने विकारों को अलग किया हालांकि वह भी क है क्रोध भी तो करते हो तु लेकिन वह विकार है वह आम क्रिया नहीं वह तूफानों का विकार फिर वहां कर वहा साक्षी क्या करें अब इसको समझो अनिवार्य रूपन अस्तव रूपन लडी य आर साक्षी तुम्हारा अस्तित्व साक्षी है अस्तित्व साक्षी है इसीलिए तुम्हारे सभी कर्म रिकॉर्ड हो जाते हैं बिना देखे तुम जरा देखना जो कर्मों का फल तुम भुगत रहे हो वह जब रिकॉर्ड हुए थे तो तुम साक्षी बने थे नहीं बने थे तो कौन था साक्षी उस वक्त जिसके कारण ये रिकॉर्ड हुआ बिना साक्षी के रिकॉर्ड
नहीं होता वह साक्षी तुम्हारा स्वभाव है जो स्वभाव गत साक्षी है जो जन्म के साथ तुम लेकर आए हो वह तुम्हारे सभी कर्मों का बराबर साक्षी है वह कर्मों का तो साक्षी है जब सो जाते हो तो सोने का भी साक्षी है वह देखता है कि तुम कितने मजे से विश्राम कर रहे हो कितनी गहरी निद्रा आज तुम्हें आई आज निद्रा नहीं आई हल्की उथली उथली दोनों चीजों को तुमने हारते हो जब स्वपन आता है मन स्पटर पर तुम उसे भी देखते हो वह कौन है देखने वाला वह तुम्हें जन्म जात अस्तित्व ने दे रखा है साक्षी अस्तित्व ही साक्षी है जेता किता तेता नाम इस नाम को साक्षी को कहते
हैं नाम जो तुम जप रहे हो बिन नावे नाही को उठाओ यह साक्षी हर जगह मौजूद है कोई स्थान ऐसा नहीं जहां साक्षी नहीं जता किता जितना पसारा तिता नाम वही नाम है बाबा समझाते हैं लेकिन तुम फिर भी जपते रहते हो बिन नावे नाही को ठाऊं वह साक्षी हर जगह मौजूद है कोई ठाव ऐसी नहीं जहां वो साक्षी नहीं तुम कहीं चले जाओ जो करोगे उससे छुपा नहीं रहेगा बीहड़ जंगलों में चले जाओ घोर सन्ना में चले जाओ घोर अंधेरी रातों में चले जाओ परम उजाले में चले जाओ कंदरा में चले जाओ बर्फ में चले जाओ पूरी गर्माहट में चले जाओ लेकिन वह साक्षी बराबर है सब जगह है
बिन नाम नाही को ठाव ये साक्षी को नाम कहते हैं बाबा अब क्या किया जाए अगर तुम मूर्ख हो जाओ तो तुमने कभी नहीं सोचा कि इस प्याली में समुद्र नहीं आएगा तुम इस विराट को अपने परिश्रम के द्वारा कमा नहीं पाओगे तुमने कभी नहीं सोचा तुम्हारा अहंकार सदा ही यह सोचता रहा कि मैं उसको भी जीत लूंगा इतना नाम जपूं इतना नाम जपूं कि मैं उसको भी जीत लूंगा और कभी जीता जाता है क्यों बाबरे हुए हो क्यों पागलपन में पड़े हो क्यों वक्त खराब कर रहे हो वो वक्त जो तुम आनंद में गोते लगा के मस्त हो सकते थे वो वक्त तुम राम प्रम करने में गुजार देते
हो दुख की बात है दुखद बात है वही वक्त जो तुम आनंद में अट केलिया खा सकते थे वही वक्त तुम बकवास में गुजार देते हो संतों को दुख होता है अस्तित्व गत साक्षी तुम्हें शुरू से मिला हुआ है याद रखना तुम साथ लेकर कुछ भी नहीं आए तुम्हारा कुछ भी नहीं यह शरीर प्रकृति देती है यह साक्षी प्रकृति देती है परमात्मा य सारे अंग उसके देने वाले हैं तुम अपने से कुछ नहीं बना सकते और अगर वह कोई विकार पैदा कर देता है जूझते जाओ तुम उसे ठीक नहीं कर पाते क्योंकि वह बेहतर जानता है कि तुमने क्या किया है और तुम्हारे की को उसने कैसे भुगतान
करवाना है बारबार तोहे अलर्ट कर दूं वह जानता है के भुंगा मैं ही मेरे ही बनाए हुए पदार्थ भुगत लेकिन फिर भी इतना ईमानदार है कि भुगत है उसकी ही बनाई हुई संरचना भगती है और उसका ही बनाया हुआ नियम भुगत वाता है शब्द सारे गहरे हैं सारी गहरी वीडियोस हैं और तुम्हें बड़े एकांत में सुननी पड़ेंगी जहां जरा भी पिन ड्रॉप साइलेंस हो जरा भी शोर ना हो किसी एक तल पर तुम सदा उपवास हो किसी एक तल पर तुम सदा ब्रह्मचारी हो और वह एक तल तुम्हारे भीतर अंतस में है एट द बॉटम लाइन उस तल पर जहां ब्रह्मचारी बैठा है तुमने जाना है ब्रह्मचारी होकर जाना होगा मैंने कहा
समान को समान रूप से जाना जाता है पानी में पानी ही मिल सकता है पानी में नमक मिल नहीं सकता घुल सकता है मैंने बहुत बार उदाहरण द तुमको ब्रह्मचारी में मिलने के लिए ब्रह्मचारी होना पड़ेगा तो इस बायोलॉजिकल शरीर से ब्रह्मचारी होना पड़ेगा इट इज अ नेसेसरी अगर कोई कहे कि भोगे जाओ और तुम पहुंच जाओगे तो मूर्ख है तुम्हें भी मूर्ख बना रहा है उसकी बात में माता ना व ना खुद पहुंचा इसके जरिए किसी और साधना से पहुंचा जाता है ना तुम्हें पहुंचने देगा पाश्चात्य कय बखेड़ा ऐसा हुआ कि तुम्हें उलझा लिया य सेगमेंट फ्राइड का
हुआ उसने तुम्हारी बुद्धि हों को तो लूट लिया लेकिन तुम्हारी आत्मा तक पहुंचने नहीं दिया तुम्हें बड़े से बड़ा नुकसान था जो पश्चिम ने पूर्व का किया उसने तुम्हें थोड़े से ज्ञान के बदले सूचनाओं के बदले तुम्हारा अमृत रूपी आत्मा छीन लिया और तुम बिक गए माटी के मूल तुम माटी के मोल बिक गए तुमने आत्मा को बेज दिया कुछ पदार्थों के बदले सिक्कों के बदले तुमने आत्मा को बेज दिया अगर कुछ गलत हुआ अगर कुछ बुरा हुआ अगर कुछ आघात दिया पश्चिम ने पूर्व को तो बस एक यही आघात दिया उसने सिक्के थमा दिए तुम्हारे हाथ में आत्मा छीन ली तुम्हारी चैन छीन ली
आनंद छीन लिया संतोष छीन लिया तृप्ति छीन ली और यही चीजों की कीमत होती है सिक्कों की कभी कीमत होती है सिक्कों की कीमत तो तुम डालते हो यह पांच का है यह एक का है यह स का है यह कीमत तुम्हारी डाली है एक कीमत परमात्मा की डाली है संतोष आनंद तृप्ति खिलखिला हट वो परमात्मा की यह तुम्हारी और पश्चिम ने बड़े से बड़ा नुकसान यही किया मानव के बनाए हुए सिक्के तुम्हें देकर ईश्वर की बनाई हुई तृप्ति तुमसे छीन ले ईश्वर की बनाई हुई संतोष तुमसे छीन लिया और तुम हंसते हो अपनी आत्मा को गमा के तुम हंसते हो ये सब मैकाले का जादू
है तुम्हारी व्यवस्था को छीनने वाला मैकाले आज मां बाप कॉन्वेंट स्कूल में छोटे बच्चों को दाखिला देने के लिए लाखों रुपए खर्च करने को तैयार और वह जानते हैं इनका भविष्य क्या होगा ये आत्मा से वंचित रह जाएंगे सुख मिलेगा लेकिन असली सुख नहीं मिलेगा फूल मिलेंगे लेकिन कागजी मिलेंगे वह फूल नहीं मिलेंगे जो धरती की छाती फाड़ के गर्भ फाड़ के बाहर आए और सुगंध बिखेर रहे हैं यह कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे फूल तो बनेंगे लेकिन कागजी होंगे उसके ऊपर इतर भी तुमने बिखेरा होगा वह भी परफ्यूम होगा भीतर से धरती की छाती पड़ के नहीं आई वह
सुगंध यही पश्चिम ने नुकसान किया पूर्व का अब हम मूल मुद्दे पर आ जाए क्या करना है उस वक्त क्रियाओं के तो तुम साक्षी हो गए ठीक यहां तक तो ठीक हो गया लेकिन जब आए विकार विकार भी तो आते हैं जिंदगी में गम भी मिलते हैं ओ समझौता गमों से कर लो जिंदगी में गम भी मिलते हैं [संगीत] गम भी तो आएंगे य तूफान भी तो आएंगे आवेग भी तो आएंगे काम के क्रोध के फिर क्या करोगे जनाब यह विकार तुम्हें बहाने पर तत्पर है तुमहे अपने भाव में खींच लेने को तत्पर है क्रियाओ तक होना तो बिल्कुल ठीक तुम समझ गए सब आगे चलू चलो आगे चलो बात है विकारों की व विकार जब आएंगे
तुम्हे उड़ा के ले जाएंगे विकारों का तूफान कुछ और धार के आया है वह तूफान तुम्हें उड़ाने के मंसूबे से आया है तुमने क्या करना है तुमने देखा जब घने तूफान आते हैं बड़े-बड़े बोहड़ा हैं बाबा बोहड़ा हैं लेकिन हल्की सी घास कोमल सी नरम नरम घास वह नहीं टूटती भयंकर से भयंकर तूफान भी आ जाए बड़े-बड़े पीड़ गिरते हुए देखोगे आप लेकिन कोमल सी घास बिछ जाती है टूटती नहीं बस यही है उसकी तकनीक बोहर झुकता नहीं अड़ा रहता है डटा रहता है तूफानों में और तुम्हें यही सिखाया जाता है जिंदगी कितनी भी तकलीफों से भरी हो फसे रहे ना अरे भाई टूटो
ग मूर्ख संदेश देते हैं ऐसा डटे रहना कामयाब हो जाओगे मैं कहता हूं जिसे तुम कामयाब कहते हो उनकी उनकी छाति से पूछो वह सुख जो कबीर ने लिया जो सुख पायो राम भजन [संगीत] में जो सुख [संगीत] पायो राम भजन में वो सुख [संगीत] नहीं अमीरी में अमीरी में मन लागयो मेरो रा फकीरी में फकीरी में मनडो लागयो मेरो [संगीत] राम जो कबीर एक क्षण में आनंद पा लेता है तुम्हारे कामयाब व्यक्तियों से पूछो पूरी जिंदगी भर गद्दिया पर बैठ के सुमेरू पर्वत जितने धन इकट्ठे करके सेे कामयाब कहते हो उससे पूछो कि पूरी जिंदगी में जो कबीर ने एक क्षण में सुख पा लिया
और तुमने पूरी जिंदगी में कुछ भी कमा के पाया एक बूंद भी पाया नाक कट जाए तो शर्मो शर्मी वह कह सकता है हां भगवान दिख गया दिखता बिकता नहीं है लक्षण बता देते हैं परिणाम बता देते हैं एक बार का चुना हुआ राष्ट्रपति ट्रम फिर मांगता है गद्दी मतलब तृप्ति नहीं हुई सब मैंने कहा परिणाम बता देता है लक्षण बता देते हैं लेकिन कबीर नहीं मांगता कबीर कहता है जब आवे संतोष धन सब धन धूड़ समान कबीर ने कहा और चाहिए मुझे यह और का पंगा खाना तुम्हारी संसार में होता है यह मन मांगे मोर लेकिन कबीर का मन नहीं बचा कबीर का मन नहीं तो वह मांगे मोर नहीं
होगा तुम्हारा मन बचता है तुम्हारे तथा कथित जो तुम सक्सेसफुल लोग कहते हो वो कामयाब हो गए अरे मन ठहरो जल्दी क्या है अभी से मत मरो बहुत वक्त आएगा तुम भी कामयाब होगे वक्त सबका आता है आ जाएगा सुख पा लोगे कामयाब व्यक्ति हो जाओगे लेकिन मैं कहता हूं कहां कामयाब हो ग कबीर कहते हैं फिर भी तुम कामयाब नहीं होगे नानक कहते हैं नहीं होगे तुम कामयाब मेरा कहते हैं नहीं होगे तुम कामयाब क्योंकि कामयाबी मिलती है एक ही तल पर जिन तलों पर बैठे तुम कामयाब होते हो होने का सपना देखते हो सच में नहीं होते कामयाबी मिलती है
वहां जहां तृप्ति आती है और जहां तुम कहते हो हम कामयाब हो गए वहां तृप्ति नहीं होती तुम पूछ लो जिनसे कामयाब हो गए अगर कोई सच्चा व्यक्ति होगा वह कहेगा नहीं नहीं मिलते झूठे व्यक्ति तो सदा कहेंगे लेकिन उनके लक्षण बता देंगे फिर वही बात परिणाम बताते हैं वो कहेंगे और धन और चाहिए मैं दो नंबर पर क्यों मैं एक नंबर पर आ गया लेकिन फिर फिर वही एक नंबर पर बने रहना चाहता हूं कोई दूसरा आगे ना निकल जाए कंपटीशन कंपटीशन जिंदगी में कामयाब कहां हुए अभी तो झगड़ रहे हो लड़ रहे हो अभी तो इलेक्शन लड़ रहे हो नहीं कामयाब हुए जो कामयाब हो जाता है
व आराम करता है मेरे पास यहां लोग आ जाते हैं फोन आ जाते हैं बाबा व्यस्त हो मैंने कहा नहीं और मैंने कहा मस्त हूं तो मेरी बात का जवाब दोगे नहीं क्यों मस्त हू उन्हें कुछ समझ नहीं आता व्य व्यक्ति तो शायद जवाब दे दे लेकिन मस्त कहां जवाब दे पाएगा मस्त अगर बोलना भी चाहे तो कहां बोल पाएगा अटक जाएगा बीच में अब समझो क्यों व्यस्तता तुम जब चाहे छोड़ सकते हो लेकिन मस्त तुम जब चाहे नहीं छोड़ सकते मस्ती तो वो रीच है जिसने तुम्हें अपने बाहु पोश में जकड़ लिया वह तो जब छोड़ेगी तो छोड़ेगी संत अपने उस अंतरिम तल से बाहर आता आता
खोपड़ी तक घंटों लगा देता है मुझे लोग पूछ लेते हैं बाबा 4 बजे क्यों शुरू करते हो सांझ ढलने को है सूर छुपने को है और तुम कहते हो 4:00 बजे के बाद दीक्षा दूंगा पहले पहले में होता नहीं भाई पहले में मस्ती की ग्रस्त में होता हूं अगर व्यस्त होता तुम व्यस्त हो व्यस्तता का अर्थ है जब चाहे छोड़ी जा सके तुम एक काम कर रहे हो दूसरा जरूरी आ गया एक काम में व्यस्त हो दूसरा ज्यादा जरूरी आगा तुम उसको व्यस्तता को छोड़ दोगे दूसरे में व्यस्त हो जाओगे तुम्हारे हाथ की बात व्यस्तता के तुम मालिक हो लेकिन मस्ती के तुम मालिक नहीं मस्ती
तुम्हारी मालिक है यह उल्टी गंगा है मस्ति तो तुम्हें ऐसा जकड़ लेती है जैसे सुबह की निद्रा तंद्रा आंख खोलते हो फिर मिच मिच जाती है रात भर की नींद पूरी हो गई हो लेकिन यह ठंडी हवाएं कहां सोने देती है कहां जागने देती हैं फिर फिर लुड़क जाते हो आंखें खोलने की चेष्टा करते हो लेकिन इतना सुंदर वातावरण मस्त मस्त हवाएं चलती तुम्हें फिर लड़का देते हैं यह है मस्ती वह नहीं समझ पाते मैं जानता हूं कह देते हैं बाबा समझ गई बाबा समझ गया नहीं समझाता मैं जानता हूं क्योंकि जिसने मस्ती चखी ना हो वस समझेगा क्या खा समझ में आने के लिए पीना भी तो जरूरी
होता है पी तो है नहीं तुमने तुम क्या समझोगे उस मस्ती की ग्रस्त में आ जाते हैं कबीर कबीर कहते हैं मेरी कोई बस नहीं अब मैं बिल्कुल तृप्त हो गया सबर आ गया सबूरी आ गई अब मेरे वश में कुछ ना रहा बस एक ही रहता है या तो व्यस्तता रहती है या मस्ती रहती है दोनों में से कोई भी चुन लो अगर तुम व्यस्त रहोगे तो याद रखना मस्त कभी नहीं हो पाओगे व्यस्तता मस्ती के दुश्मन है बिजीनेस दुश्मन है मस्ती के उलझा देती है तुम्हें वो बिजी तुम किसी भी चीज में हो क्या करें जब विकार आ जाए विकार आता है तूफान की तरह विकार हवाओं की तरह नहीं
आता तूफानों की तरह आता है अब मैं अंतिम मोरल पे आ जाऊं इसको अच्छी तरह से समझ लेना ये अंतिम वाक्य आपके जीवन को स्वर्ण बना देंगे बिना खोए सब पा जाना बड़ी मजेदार बात है कुछ खोते भी नहीं और सब पा जाते हो और काम में तो तुम बहुत कुछ खो देते हो और पाते थोड़ा सा हो लेकिन यह एक अजीब अल्केमी है यह रसायन विद्या है खोते भी कुछ नहीं बिना खोए पाप भी सब जाते हो तो क्या करना है वह जो नकली साक्षी बनाया तुमने स्वास आई स्वास गई स्वास आई स्वास गई वह उस पेड़ की तरह है वट वृक्ष की तरह है जो अकड़ के खड़ा है तूफानों में वह गिरेगा निश्चित
करेगा घास की तरह नमन हो जाओ क्या करो उस नकली को हटा लो इस अकड़ को हटा लो वह जो नकली साक्षी बनाया स्वास आई स्वास गई उसको हटा लो नेचुरली यू आर साक्षी और तुम देखोगे तुमको ग अपने असली साक्षी में अब यह प्रोसेस कहने में बड़ी आसान है लेकिन नकली साक्षी की इतनी पकड़ हो गई है विपसिना करते करते तुम उल ग नकली साक्षी भी तुम्हारा संस्कार बनक रह गया है छूटती नहीं है काफिर मुंह को लगे हुई अब तुम यहां पक गए हो स्वास को आते जाते देख लो अब इससे पीछा छुड़ाना पड़ेगा जब विकार आया तो मैं तुम्हें कहता हूं जिन्हे तुम संत कहते हो क्या व
परिवर्तित हुए परिणाम आया नहीं आया क्यों नहीं आया साक्षी तोव में डटे रहे साक्षी त्व से नीचे नहीं उतरे तो नकली साक्षी तोव को हटाना होगा जैसे ही तुम नकली को हटाओ असली में जंप कर जाओगे और असली में जंप करते ही असली का मजा आना शुरू हो जाता है और मजा ही तो तुम्हें चाहिए नकली साक्षी को तोड़ते ही तुम असली में जंप कर जाते हो और असली साक्षी में मजा बड़ा है असली साक्षी तुम हो तुम्हारा अंतिम अंतर तम छोर लबालब भरा पड़ा है आनंद से और तुमने एक ऑब्स्ट कल बना लिया नकली साक्षी के रूप अब यह तुम्हारा संस्कार बन गया हर जगह या आड़े
आएगा पहले वस्तुएं आड़ी आती थी अब वस्तुओं का साक्षत आने लगा लेकिन बाधा तो वही रहे अब इस बाधा से निपटना पड़ेगा इसीलिए तुम परिणाम नहीं आता तुम्हारा इसलिए तुम बदला हट में नहीं आते लक्षण नहीं आते तुम्हारे फिर वही चाट पकड़ है फिर वही पकोड़े चकड़े फिर वही भोग लेकिन भूल जाते हैं ये गुरु लोग के शिष्य भी क्या अनुकरण करेंगे कृष्ण ने बड़ी प्यारी बात कही है श्रेष्ठ पुरुष जो आचरण करता है उसका अनुकरण उसके शिष्य किया करते हैं श्रेष्ठ पुरुष यानी जिन्हें गुरु माना जाता है वह जैसा अनुकरण करते हैं आचरण करते हैं शिष्य उनका अनुकरण करता
है अब जब गुरु ही अपनी कुटिया में गुफाओं के भीतर पाया गया तो शिष्य क्या करेंगे तुम समझ सकते हो गुरु जैसा आचरण करेगा वैसा ही तो शिष्य अनुकरण करेंगे गुरु का आचरण शिष्य का अनुकरण बन जाएगा और गुरु अगर गुफाओं में पाया जाता है बहुत से मूर्ख तो आज भी हैं बहुत से मूर्ख तो आज भी सोचे हैं गुरु बाहर आएगा तोड़क कुछ चमत्कार होगा कहां बगाने बैठ आने देते हैं लोहे के सलाख कहां आने देते हैं बहुत जगह पर परमिशन लेनी पड़ती है तो कहीं बाहर आ पाते लेकिन मैं कहता हूं बंधन में बंधे ही क्यों जो भी वासनाओं से मुक्त नहीं हो
सका वह गुरु कहलाने का योग्य नहीं जो वासनाओं से मुक्त नहीं हो सका जो अभी गुलाम है जो अभी गुलाम है फिर से सुन लो जो अभी गुलाम है वह स्वतंत्र कैसे गुलाम कभी स्वतंत्र होते हैं गुलाम कभी आजाद होते हैं तुम वासनाओं के गुलाम हो तो तुम मुक्त कैसे हुए तुम आज सिखों के पीछे गुलाम हो तो तुम स्वतंत्र कैसे हुए तो मुक्त कैसे हुए तुम तो अपनी इच्छा से बाहर भी नहीं जा सकते बाहर जाने के लिए तुम्हें पैरोल की जरूरत पड़ती है बहुत से बंधन है इस छोटी सी खोपड़ी पर लेकिन मूर्खों की मेरी बात को मेरी बात समझ नहीं आएगी जो थोड़ी सी समझदारी का जिनम अवशेष है और
मेरी बात को समझ जाएंगे पकड़ जाएंगे नकली साक्षी को तोड़ना होगा व जंड की अकड़ गरानी होगी घास की तरह नमन करना होगा बिछ जाना होगा गास का कुछ नहीं बिगड़ता तुम भी ऐसे ही काम के तूफान से बच जाओगे अगर इस नकली साक्षी को गरा दिया नकली साक्षी को गरा के तुमने सारी फिलासफी मैंने बता दी प्रैक्टिकल फिलोसोफी शाब्दिक फिलासफी नहीं है यह शब्दों का झकना जार नहीं है यह जिंदगी की व्याख्या है जिंदगी का छलांग है जंप है नकली साक्षी जो तुमने बनाया स्वास आई स्वास गई इसको तोड़ना पड़ेगा भाई यही गलती रह गई कहीं सुनने में लेकिन तुम्हारे लिए तो वह एक आदर्श बन
गई जाने क्या तूने कही जाने मैंने सुनी बात कुछ पन ही गई जाने क्या मैंने कही जाने क्या तूने सुनी बात कुछ बन ही गई जाने क्या तूने कही क्या कहा क्या सुना लेकिन बात बन गई तुम अनुकरण करने लगे पहुंचे कहीं नहीं और मैं फिर से तुम्हें कहता हूं परिणाम देखना चेहरे पर खुशी आई यह लटके हुए चेहरे खेले बुध का चेहरा तो खेला उस का चेहरा खिला तुमसे कहां गलती हुई कहने सुनने की गलती हुई मैं तुम्हें साफ कर दिया नकली साक्षी को हटा दो तोड़ दो इस नकली साक्षी को यह तुम्हारी पैदा है और उस परमात्मा के साक्षी में कूद जाओ और परमात्मा के साक्षी में आनंद ही
आनंद है बहार ही बहर है फिजाओं का आनंद झूमती हुई हवाएं खिलते हुए फूल बिखरती हुई सुगंधी तुमको उस दरवाजे पर घसीट ले जाएगी जिसके लिए तुम जन्मों जन्मों से तरस रहे थे तड़प रहे थे बंधनों से आज तुम मुक्त हो जाओगे जैसे ही तुमने नकली साक्षी को गिराया वासना खो जाएगी क्योंकि वासना थी क्या आनंद पाने की जंप लगा के महा आनंद में महाकुंभ में तुम कूद गए वासना कहां ठहरे कीी जनाब बस यही है सारा सिद्धांत प्रैक्टिकल नकली साक्षी से कुछ नहीं मिलेगा परिणाम तुम्हारे सामने है लक्षण तुम्हारे सामने असली साक्षी से सब मिलेगा
एक साध सब सध असली साक्षी में क जाओ जो तुम्हारा बनाया नहीं है जो तुम्हारा सादा नहीं है परमात्मा का बनाया है और आनंद से भरा पूरा समुद्र है आनंद का फिजाएं झूमती हैं महा फूलों की खुशबू में बाग बगीचे आनंद की लहर तरंग सरा बोर हो जाओगे तुम धन्यवाद श्री कृष्ण गोविंद हरे [संगीत] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री श कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात [संगीत] स्वामी सखा [संगीत] हमारे सखा हमारे हमारे हमारे पत आत स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासु देवा श्री कृष्ण
गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा जब जब बहार [संगीत] आए और फूल मुस्को राए मुझे तुम याद आए मुझे तुम याद आए श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारा यन वासुदेवा जब जब ये चांद निकला जब जब यह चांद निकला और तारे मुस्कुराए मुझे तुम याद आए मुझे तुम याद आए हरे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे कृष्णा कृष्णा कृष्णा [संगीत] कृष्णा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण कृष्ण गोविंद हरे
[संगीत] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा ओ धन्यवाद
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