बाबा जी प्रणाम रोहित मिड़ा का प्रश्न है हमारे चैनल कंट्रोलर एडिटर कुछ धार्मिक मत ऐसा प्रचार करते हैं कि अगर किसी का कख तिनका भी उड़कर हवा के द्वारा आपके घर में आ गया तो उसका भी लेखा देना पड़ेगा यह बात कहां तक सही है बाबा क्योंकि मेरे घर के सभी लोग किसी विशेष धर्म में आस्था रखते हैं दूसरा जब कोई दूसरे धर्म वाला व्यक्ति आपसे कहता है कि बाबा आप इनके उलट बोलते हो तो पहली बात उलट क्यों बोलते हो दूसरी बात हम जब कहते हैं कि चलो फिर हम आपके धर्म में आ जाते हैं आपका शिष्य बना लो आप उसे भी इंकार कर देते हैं क्या चाहते हो
आपकी मंशा क्या है बातों में बहुत दम है आपकी बाते भीतर उतर जाती हैं स्पष्टता सटीकता उसके भीतर भरी रहती है और तीसरा प्रश्न भी है के सूक्ष्म शरीरों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के भी कभी-कभी वडियो डाल दिया करो लीजिए हम उत्तर शुरू करते हैं
पहली बात तो अगर कोई संप्रदाय ये बात कहता है किसी का कख भी अगर कोई तन का घास का उड़कर तुम्हारे घर में आ जाता है तो उसका भी लेखा जोखा देना पड़ेगा अब मैं तुम्हें शुरू कर बिल्कुल आखिरी पड़ाव से वहां से समझा आएगी तुम्ह जब तुम उस चर्म स्थिति में पहुंचोगे तो तुम दो तीन सत्यों को पाओगे इनको गौर से समझ लेना यह निशानिया है पहला यहां किसी का कुछ नहीं सबका मालिक एक है सब का मालिक एक है का मतलब सिर्फ सब मनुष्यों का मालिक एक नहीं सारी संरचना का मालिक एक है अस्तित्व ब्रह्मांड व्ट एवर इट इज ट विवर एसिस्ट इन दिस ब्रह्मांडा जो मौजूद है जिसकी मौजूदगी है व्हाट एवर एजिस्ट इन दिस यूनिवर्स इसका मतलब यह है उसका मालिक एक है सब कुछ मालिक का है और मालिक एक है एक ओंकार सतनाम उसका नाम आप कुछ भी ले लो वह सच्चा है ये सत्य आप जानोगे जब आप अध्यात्म की पराकाष्ठा पर पहुंचो ग उच्चतम सत्रों को छुओ ग
जब तो तुम यह पाओगे कि जहां अलग अलग किसी का नहीं है कुछ राक्षस का है कुछ देवताओं का है कुछ भगवान का है ऐसा नहीं बस एक का है और वह एक ही है जब वेद से मुक्त हो जाता है कोई तो इस सत्य का अनुभव वो करता है यहां किसी का कुछ भी नहीं है एक का ही है और एक ही है अब इन दो शब्दों को आप हृदय में बसा दो जब कोई ज्ञान की पराकाष्ठा पर पहुंचता है तो यह सत्य पाता है कि एक ही है और एक का ही है ठीक अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि तुम्हें हिसाब देना पड़ेगा तो वो सिर्फ इसी भाति से कहता है हम भी कहते हैं देना पू हिसाब चन पाई
पई उसका कारण है कहने का जो काम जो कर्म तुम कर्ता भाव से करते हो उसका हिसाब देना पड़ेगा मैंने अपने कर्म थ्योरी के प्रवचनों में सुस्पष्ट ता यह बातें बोली जो तुम करता भाब से नहीं करते तुमने सौंप दिया सब कुछ उसका जरा भी हिसाब आपको नहीं देना पड़ता और हवा तो कहीं भी बह सकती है हवा तो किधर भी तिनके को उड़ा के ले जा सकती है इसमें आपका दोष क्या है इसमें आप करता तो ना बने मैं कहता हूं जहां आप कर्ता बने और कर्ता बनकर कर्म किया उसका हिसाब आपको देना पड़ेगा पाई पाई का यहां आप भेद समझ लेना अगर हवा से तिनका उड़कर हवा से कख उड़कर आपके घर आ गया
उसमें आपका कोई दोष नहीं कख तो छोड़ो हवा से सोने का चेन में उठ के आ जाए कोई चिड़िया सुने की चैन लेकर चली चोच से छूट जाए और आपके घर में गर जाए वहा भी कोई कसूर नहीं कसूर आपका कोई नहीं हा अगर कोई मालिक आए कि चिड़िया ले गई थी कहीं आपके घर में तो नहीं गिरा फिर आप उसे वापस कर दो हां गिरा है ना ह को पता है यह घर किसका है ना आपको पता है यह तिनका कहां से आया तिनका जहां से भी आया है उसका मालिक एक ही है आप भी उसी के मालिक आपका भी मालिक वही है सबका मालिक वो है यहां कोई भेद नहीं पहली सच्चाई तो यह पाता है वह व्यक्ति जो परम ऊंचाइयों के पराकाष्ठा को
प्राप्त कर लेता है एक है एक को अहम द्वितीयो नास्ति दूसरा नहीं और एक का है दूसरे का नहीं क्योंकि दूसरा है नहीं सब कुछ उसका है इसलिए कौन कहां गरा गया हवा कहां गरा गई उड़ा के मूर्खता वरी बातें हैं और इन बातों पर ज्यादा सोच विचार नहीं करना चाहिए दूसरी बात पाप कब लगेगा इन शब्दों को शांतिपूर्ण माहौल में एकांत में बैठ के आराम से सुनिए कर्म व्यवस्था है गहरी शांत मन ही इसको पकड़ पाएगा पाप आपको कब लगेगा जब आप जोर से जबर से अपनी ताकत के बलबूते पे किसी का मन दुखा के छीन लोगे तो पाप लगेगा मैं तो यह कहा करता
हूं कि अगर कोई आपको कुछ दान में दे जाता है और आप उस दान को उसे वापस कर देते हैं उसमें भी आपको पाप लगेगा जिसने इंकार किया क्यों क्योंकि उस व्यक्ति की भावनाओं को तुमने आहत किया उसने ना जाने कितनी तबियत से कितनी आस्था से श्रद्धा से आपको वोह दान दिया होगा तुम उसे ग्रहण करलो अगर आवश्यकता है तो प्रयोग कर लो आवश्यकता नहीं है तो आगे जिसको जरूरत है उसको दे दो यहां जरूरतमंद बहुत है लेकिन उसको तिरस्कृत ना करो उसके दान को स्वीकार करलो हालांकि वह बेहक का है आपने कुछ किया नहीं लेकिन उसने श्रद्धा से आपको दिया है उसकी
भावनाओं को तोड़ने का आपको कोई अधिकार नहीं रख लो आपको जरूरत है प्रयोग कर लो बस सिर्फ आप यहां प्रयोग ही कर सकते हैं लेके कौन गया है उसका नाम मुझे बता देना यहां व्यक्ति प्रयोग ही कर सकता है साथ लेकर ना कुछ आता है साथ लेके ना कुछ जाता है प्रयोग मात्र ही वह कर सकता है और सही पूछो तो मनुष्य इस मसले में भी मूर्ख है वह कहता है मैंने स्वाद लिया नहीं स्वादिष्ट पदार्थ खाए बड़ा स्वाद आया स्वाद आया जीव को टेस्ट वर्ष को बड़ा स्वाद आया सुंदर दृश्य देखे नहीं दृश्य देखे आंखों ने आंखों को स्वाद आया बड़ा स्वाद आया कण प्रिय मीठी भजनों की
वाणी सुनक नहीं कानों से जो मीठी रस की धार भीतर गई कानों को स्वाद आया जिसे तुम कहते हो कि मैंने बड़ी ऐश की तुमने नहीं की तुम जिस भी इंद्रियों के द्वारा एक दो इंद्रियो मैंने जान के छोड़ दी है उसे आप अश्लील कहते हो तो आनंद आप उधर से भी ले सकते हो त्वचा के कोमल एहसास का स्वाद भी आप ले सकते हो लेकिन वह स्वाद इंद्रियों को होता है इंद्रियों के द्वारा महसूस होता है आपको नहीं आता वो स्वाद सिर्फ आप स्वा द लेती हुई इंद्रियों को साक्षी होते हो नरते हो इंद्रिया जो स्वाद लेती हैं उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आपका स्वभाव
पहले ही आनंद से भरा हुआ है उसमें रती भर भी निकाला नहीं जा सकता रत्ती भर में और बढ़ाया नहीं जा सकता यही उपनिषद में लिखा है इवास मदम सर्वम किच जगत याम जगत और दूसरा शब्द लिखा है अगर पूर्ण में से पूर्ण को निकाल लिया जाए पूर्ण मतः पूर्ण मितम पूर्णा पूर्ण मदत पूर्णस पूर्ण मादा पूर्ण मेवा विषत पूर्ण में से पूर्ण को निकाल लिया जाए तो भी पूर्ण रहता है देखिए भाषा बड़ी शुद्र है भाषा पूर्ण नहीं है भाषा से ऐसा ही समझाया जा सकता है ऐसा ही तुम समझ सकते हो इसलिए मैं रोज कहता हूं ईश्वर के बारे में समझने की चेष्टा मत
करना वह समझा आता नहीं तुम्हारे शब्द शुत्र तुम्हारी बुद्धि शुत्र कैसे गागर में सागर समाए का असंभव है प्रश्न है दूसरा हम आपसे कहते हैं बाबा हम इनका धर्म छोड़कर डेरा छोड़ देते हैं या केंद्र छोड़ देते हैं आप हमें शिष्य बना आप इंकार कर देते हो मैं इंकार इसलिए करता हूं के शिक्षक को उतने ही बच्चे स्टूडेंट अपनी कक्षा में रखने चाहिए जितन को वह पढ़ा सकता है अच्छी तरह से और अच्छी तरह से ना पढ़ाया अगर आपने अपना गंतव्य हासिल ना किया तो फिर तो ना खुदा ही मिला ना बसाले सनम ना इधर के रहे ना उधर के रहे मैं करोड़ों लोगों को इकट्ठा करू यह
राजनीतिक जमां का काम है धार्मिक सदों का जरा भी काम नहीं है यह पहले के गुरु कहां इतने जमावड़े करते थे ईमानदार थे समझदार थे मूर्ख नहीं थे मूर्ख लोग जमावड़े इकट्ठे करते हैं जो जमावड़े इकट्ठे करता है समझ लेना वह मूर्ख है गुरुकुल में थोड़ी से बच्चों को शिक्षा मिलती थी शिक्षक इंकार कर देता था नहीं हाउसफुल मैं और ज्यादा बच्चों को नहीं पढ़ा सकता ईमानदार थे इसलिए मैं इंकार कर देता हूं और दूसरे अगर डी सेंटर चलाने वाला व्यक्ति पूछा है कि आप इन लोगों को उलट पुलट भी बोलते हो गलत भी कहते हो हां उसका कारण पूछ लो ना मेरे
से बजाय कमेंट लिखने के प्रश्न पूछ लिया करो ज्यादा अच्छा मैं इन लोगों को गलत कहता हूं और कई बार गलत नहीं कहता हूं पीएचडी सेंटर चलाने वाला व्यक्ति प्राइमरी क्लासेस को गलत नहीं कहेगा क्यों उसे पता है बुनियादी शिक्षा यहीं से होनी है उ उठ अड़ा अनार इ इमरी यहां से सीखा जाएगा ए एप्पल बी बल सी कट यहीं से सीखा जाएगा जो पीएचडी का अध्यापक है वह इनको हीन भावना से कभी नहीं देखेगा एक एक शब्द को सुनते जाना आपकी सारी शंकाएं निवृत हो जाए क्योंकि उसे पता है कि य मेरे काम में सहायक है बुनियादी बेस बना रहे हैं जैसे
महल को चिन्हे से पहले खोदा जाता है धरती को और नीम उठाई जाती है तो यह नीम बना रहे हैं इसलिए मेरे काम के सहायक है वोह उनको दुर्व चन नहीं बोलेगा क्योंकि वह जानता है मेरे काम के योग्य तयार करने में इनकी अहम भम का है वह तो उन्हें हृदय से प्रणाम करता है प्राइमरी स्कूल की एजुकेशन के बाद हाई स्कूल की एजुकेशन उनको भी वो गलत नहीं कहता क्योंकि वह भी आवश्यक है तो जब तक तुम मास्टर डिग्री ना कर लोगे वह किसी भी विश्वविद्यालय तक को गलत नहीं [संगीत] कहेगा क्योंकि भली भाति वो जानता है कि मैं डॉक्टरेट कराने से पहले इनका मास्टर होना
आवश्यक है तो मास्टर होने में यह लोग सहायता कर रहे हैं उनको वो गलत क्यों कहेगा अगर गलत कहेगा तो वह जानता नहीं कि ये फाउंडेशन का निर्माण भी तो करेंगे ऊपर मंजिल तो आपने है चुननी है 100 100 मंजिल तुमने चुननी है उतनी ही गहरी नीम भी तो ये खू देंगे तो नीम खोदने वालों को अगर कोई व्यक्ति गलत बताता है तो उसे फिर जीवन की समझ नहीं नीम खोदने वालों को भी वह सलाम करेगा वह भी उतने ही जरूरी हैं जितने के डॉक्टरेट पढ़ाने वाला व्यक्ति उसके बाद दसवी फयर कें उसके बा बीएम सब उसके लिए ही काम कर रहे हैं उसका काम आसान हो रहा
है मेरे सहायक है य सही पूछो तो मेरे काम में यह प्रत्येक सहायक सहायता करने वाले हैं बाधा नहीं है इनके पढ़ाए हु या कह लो इनके दौड़ाई हुए ये दौड़ा एंगे नाम जप लो राम राम जप लो राधे राधे कर लो खूब ड़ होगे आप लालच देंगे वैद खाएंगे कोड़े पड़ेंगे नर्क में जाओगे पकोड़े तले जाएंगे अब जो पीएचडी करवा रहा है उस अच्छी तरह से जानता है कि किसके पुड़ चार बाक अपने ढंग से बोल जाता है और कृष्ण अपने ढंग से बोल जाता है एक अर्थ में दोनों समान लगेंगे तुम्हें क्योंकि वही शब्द चार वाक बोलेगा वही शद कृष्ण बोले लेकिन दोन की इंटें डायमेंशन
और ढंग अलग अलग होगा शब्द वही होंगे मार्कस भी कहता है कि परमात्मा नहीं है बुद्ध भी कहते हैं कि परमात्मा नहीं है लेकिन कितना अलगाव है कितना विरोध है मार्कस उग्र हो जाते हैं बुद्धि शांत बने रहते हैं तो कहीं कोई फर्क है ना बात दोनों एक करते हैं शब्दावली एक ही प्रयोग करते हैं तो इनको मैं कोई दुश्मन की तरह नहीं लेता यह मेरे सहायक हैं यह दौड़ा जाएंगे भगाए राधे राधे करवाएंगे और एक दिन क्या होगा मैं तुम्हें रोकता हूं क्यों क्योंकि तुम मेरी बातों को सुनकर भागते हो मेरी तरफ और मैं जानता हूं अभी तुम पके नहीं
हो कच्चे टूट के आओगे तो तुम्हारी आत्मा वही अटकी रह जाएगी हर कदम पर उन्हें मुड़ के देखा उनकी महफिल से हम उठ तो आए कच्चे टूट के गिरोगे तो कहीं कोई कोर कसर बाकी रह जाएगी कोई टक बाकी रह जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम कच्चे कच्चे टूट के मेरे पास आओ जो पक्के पक्के आएंगे उन्हें तो मैं खुद ही बुला लूंगा आ जाओ उन्हें मुझसे परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं है आपको मैं बता दूं एक बात य बहुत से लोग आ जाते हैं जिन्होंने कोई रिजर्वेशन नहीं कराया होता कोई फार्म नहीं भरा होता कोई दीक्षा के लिए आवेदन नहीं किया होता लेकिन व जब आ जाते हैं तो उसके भेजे
आते हैं उस परम शक्ति के भेजे आते हैं और जब मैं उन्हें निहारता हूं और वह कहते हैं मैं दीक्षा लेने के लिए आया हूं तो मैं कहता हूं तुम बैठ जाओ उन्हें दीक्षा देक यहां से विदा करता हूं क्या हुआ किसी प्रकार की कोई भी प्राइमरी जरूरत का इन्ह आ को दिन नहीं किया अप्लाई नहीं किया रिक्वेस्ट नहीं की अचानक से आए हैं और दीक्षा लेकर चले गए क्यों दीक्षा दे देता हूं क्योंकि मैं उनका कॉन्शियस निस लेवल देखता हूं यह तो बस पहुंचे थोड़ा सा धक्का लगाना पहुंच गए गर आवेदन वगैरह की बात नहीं पूछता मैं बहुत से लोग ऐसे आ जाते
हैं मुमुक्षा जगती है मुमुक्षा मेरी शब्दों से भी जग सकती है लेकिन वह नकली होगी क्षणिक होगी टेंपरेरी होगी मुमुक्षा सच भी जग सकती है उनको मैं बठ दूंगा आज जाने की देत ना करो यूं ही पहल में बैठे र उनको मैं दीक्षित कर अब जाओ अभ्यास करो तो जहां तक आप सोचते हो क्योंकि अल्फाज को पकड़ते हो आपकी भी मजबूरी है अल्फाज से आ आप कभी गए और मेरी भी अपनी मजबूरी है यह लोग मेरे सहायक हैं प्राइमरी हाई स्कूल सेकेंडरी स्कूल और फिर कॉलेज मास्टर डिग्री देने के बाद जब प्रीपक को करके भेजता हूं और मैं इनका एहसान मंद होता हूं अच्छा किया
आपने पक्के फल को पका के भेज दिया अब आसान हो जाएगा थोड़ा और जो शाइनिंग वगैरह करनी है वह मैं कर दूंगा आपने करीब करीब सारा काम कर दिया माला फरवा के आपने थका दिया भोग भगवा के आपने थका दिया या दमन करा के आपने थकवा दिया दमन कर लो दबा लो इनको शराब मत पियो वो मत करो यह मत करो आखिर ये विद्रोह करेंगे क्यों ना करो भाई तुम कौन होते हो डिक्टेटर होने वाले हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया आपने हम चाहेंगे पिएंग मैं तुम्हें परम स्वतंत्र करना चाहता हूं एक वक्त आए कि पीने की मनाही ही ना हो बोतल सामने हो और तुम्हारा पीने का मन ना करे मैं ऐसी
स्थिति उत्पन्न करने का पक्षधर सजा हो सारा मसाला टेबल पर जिन टंग की विस्की हो विस लेरी का सोडा हो खाने पीने को चटपटा चाट हो मसाला हो अरे लार रहा मुख में पीता पीता मरा था क्या तुम सहायक हो मेरे कम में तुम थका दोगे इनको तुम जो भी कुछ कर रहे हो सब थकाने वाला है और मैंने आज ही के प्रवचन में बताया जो तुम्हें थका दे वो गलत है जो तुम्हें एनर्जेटिक कर दे वह ठीक है तो तुम यह लोग थका के भेजते हैं मेरे पास और जो थक जाते हैं उनको तो मैं करोड़ों में से पहचान के निकाल ही लूंगा इस को मैं निष्णात मस्ट मास्ट इन कामों में दक्ष हूं
प्रवीण इसका फिक्र मत करो मैं इंकार क्यों करता हूं आप समझ गए पके नहीं हो तुम मेरी बातों को सुनकर अच्छा लगा शैरी अच्छी लगी गायन अच्छा लगा मीठी आवाज हृदय के भीतर उतर गई तर्क ऐसे कि बा कमाल तो तुम इन सब चीजों से मुग्ध हो गए और तुम मेरी तरफ खींचे लेकिन तुम मक्ष के कारण नहीं खचा मेरे कारण ख तुम्हारे भीतर इन बेड़ियों से छुटकारा पाने की मुमुक्षा नहीं जगी तुमने बेड़ियों को देखा नहीं अभी और तुम अभी मेरे योग्य नहीं हो तुम अपनी बेड़ियों को पहचान जाओ कि ये बढ़िया है नहीं मिलता राधे राधे कहने से तुम्हारा बोले नहीं मिलता शराब को त्यागने से शराब
सामने पड़ी हो और तुमने बड़ी शराब पीली हो कहां जीरा करेगा तुम्ह पीने का महावीर को तो इतना जीरा होता है कि खाना नहीं खाते महीने में एक बार खाना खाते हैं जीवा के स्वाद चको ग तुम य चमन चौा ये डोसा इडली ना जाने क्या-क्या सो ये लोग मेरे काम में सहायक है इन्हें करने दो तो फिर आप बोलते क्यों है इनके विरुद्ध हां यह प्रश्न आपका महत्त्वपूर्ण अगर यह सहायक है मेरे कामों में फिर मैं इनके विरुद्ध क्यों बोलता हूं मैं इनके विरुद्ध तब बोलता हूं जब यह कायदा पढ़ाना गलत शुरू कर देते हैं ये जब ए अनार की बजाय ए एप्पल की बजाय
सी एप्पल कहना शुरू कर देते हैं ए अनार की बजाय ग अमार अनार कहना शुरू कर देते हैं तो मैं भड़कता हूं क नहीं तुम्हारा काम गलता है देखो शिक्षा दो कायदा है ठीक है लेकिन कायदा भी सही पढ़ाओ तो यह व्यक्ति पीएचडी का योग्य होगा कायदा ही गलत कर दिया मैं क खा प बुनियाद तुमने गलत डाल दी बुनियाद के ऊपर विशेष ध्यान रखता हूं मैं इसलिए इनकी विशेष निगरानी करता हूं आगे आगे कम होते जाएंगे लोग जब डॉक्टरेट तक पहुंचेंगे तो सीमत संख्या रह जाएगी और मैं सीमित संख्या वालों को ही रखता हूं मैं जमावड़ा क्यों नहीं इकट्ठा करता मैं संतरे को निचोड़ लेना चाहता
हूं क्योंकि रसो वैसा वह रस रूप है फलक गधों को खिला देता मजे से खा लेते हैं हसा मत करो तुम और मेरे योग्य नहीं है रस पिलाता हूं तुम्हें फलक गधों के लिए छोड़ते हमारी दुकान थी चाय की शाम को एक कुम्हार गधा लेकर रेड़ी के साथ आता तो जो चाय बचती है ना जो छानती हैं चाय बचती है तो उस चाय के भीतर क्योंकि मीठा लगा होता है और वह चाय की पत्ती जो बच जाती है छानने में वह मीठी होती है बड़ी और गधे बड़े प्यार से शोक से खाते हैं उसे तो मुझे कुछ लोग पूछ लेते थे यह गधे चाय को क्यों खा लेते हैं इतनी इतनी चाय दो दो किलो चाय गधे खा
लेते वह इसलिए नहीं खाते कि उन्हें कोई चाय का अमल हो जाता है नशे के लिए नहीं व मीठे के लिए खाते हैं तुम्हें शायद पता ना होगा इस बात का लेकिन सांझ रोज जाता हो और कई पहले आ जाते दौड़ होती है उनकी और पहले अपने गधे को खिला लेते हैं तो गधे चाय को चाय के लिए नहीं खाते गधे चाय को मीठे के लिए खाते इसलिए मैं संतरा नि चोड़ता हूं फलक से मेरा कोई मतलब नहीं रस से मेरा मतलब है रसो वैसा वह रस है तो इन्हें उलट पुलट क्यों बोलते हो इसका जवाब भी तुम्हें मिल गया मैं इन्हें बने रहने देता हूं मैं कहता हूं बने रहो जहां हो बने रहो बने रहो
क्यों मैं जानता हूं यह भविष्य के निर्माता है बच्चों को शैक्षणिक प्राथमिक शिक्षा यही तो देंगे इनका होना बड़ा आवश्यक है इसलिए मूर्ख पंथिया का होना भी बड़ा आवश्यक है तो मैं सा मत करो इसमें कोई दो राया नहीं है मूर्ख पंती अगर ना हो तो हमारा काम दुरूह हो जाए कठिन हो जाए अति कठिन हो जाए यह मूर्ख पंक्ति हमें बड़ा इजी कर देते हैं फिर उसके बाद प्राइमरी के बाद हायर सेकेंडरी हायर सेकेंडरी फिर कॉलेज बैचलर मास्टर फर उसके बाद डॉक्टरेट तो डॉक्टरेट की डिग्री के लिए मास्टर डिग्री तक इन्हीं लोगों की कृपा होती है हमारे पास तो पका पकाया फल आ जाता
है इसलिए एक ब बात बड़ी प्यारी कहते हैं अष्टावक्र इसलिए हवा किसी कख को उड़ाकर किसी के घर ले जाए इसमें किसी का मन दुखा नहीं तो मैं करता भाव से किसी की जेब काट लो बेचारा पता नहीं बीमार मां के लिए दवा लेने चला था ले क्या जरूरत थी उसे पैसे की जब वो लेकर चला था तुमने जेब काट ली इसका हिसाब देना पड़ेगा अगर कोई उड़ के भी तुम्हारे घर आ गया ना तिनके के बात छोड़ो 2000 का नोट बंद हो गया आज पता नहीं क्यों चला देते हैं क्यों बंद कर देते हैं वो उठ के भी तुम्हारे घर आ जाए ना उसका भी आपका कोई कसूर नहीं किसी का मनने
दुखा उड़कर आ गया हवा ने गिरा दिया आपके घर हां अगर कोई मांगने आए कहीं उड़ के तो नहीं आ गया अब अंधेरी में बहुत से लोगों की शर्ट पेंट उड़ के हमारे घर आ जाती कोई पूछता पूछता आ जाता कि कोई कपड़ा तो नहीं उठ के आया भाई यह आया देखो तुम्हारा है किसका जिसका होता ले जाता उसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है यह व्यर्थ को डराने वाली बात है इन बातों में मत उलझा करो यहां कहीं कोई हिसाब लेने वाला नहीं है यहां कोई हिसाब देने वाला नहीं है मैंने कहा सब एक का है और सारा माल एक का है एक ही मालिक है सारी का तो ये कख उड के आ जाए कोई हिसाब नहीं
देना पड़ता भाई हां वो कख अगर कोई मांगने आ जाए उसे दे देना ले जाओ भाई तुम्हारे काम का और कौन जाने तुम्हारे जहां से कख उड़कर किसी दूसरे के घर चला जाए ऐसे तो तुम डरते ही रहोगे और यह डराने वाले मूर्ख पंथी यह भी मेरे काम में सहायता करते हैं इनके मुझे जरूरत है ज्यादा जरूरत है बच्चों के साथ मगज गपाई ज्यादा करनी पड़ती है और देखिए करोड़ों की तादाद में इनके पास है और मेरे पास आते आते थोड़े से लोग रह जाएंगे पीएचडी कोई सभी थोड़ी कर जाते हैं दूसरी बात आपने कही कि फिर आप इनको गलत क्यों कहते हैं गलत कहता हूं भाई जब यह पढ़ाना गलत कर
देते हैं बच्चे हैं बच्चों को सिखाया जाता है कि अनार का होता है ठीक है हालांकि आपको भी पता है कि बहुत सी चीजों का होता है तो अपमान का भी होता है और यहां कुछ ऐसे लोग हैं जिनका अपमान व बर्दाश्त ही नहीं कर सकते उनकी छाती बड़ी चोड़ी है तो ऐ तो अनार का भी होता है और अपमान का भी होता है लेकिन पहले तो सिखाया यही जाता है एक छोटी सी वाइड स्पेक्ट्रम में नहीं लिमिटेड स्पेक्ट्रम में कि ए अनार उ उलो ये सब पहले सखाया जाता है और मेरे काम में सहायक है मैं पूर्ण हृदय से इनका आभार व्यक्त करता हूं तो गलत क्यों कहता हूं गलत तो कहता
हूं देखिए राधे राधे करो लेकिन राधे राधे करते ही ना रह जाओ यह कहता हूं तुमहे यहां के भड़कता हूं मैं मुझे कोई आपत्ति नहीं राधे राधे करते रहो लेकिन करने के बाद एक राधे राधे करना छोड़ दो यहां तक पहुंच जाओ खाओ खूब खाओ गन्ना लेकिन राग आना चाहिए कायदा पढ़ो लेकिन कायदा ही ना पढ़ते रहो यह कहता हूं मैं इस शब्द को ठीक से समझ लेना इसके कारण मैं बोलता हूं कायदा पढ़ो बड़ा आवश्यक है इन लोगों को भी धन्यवाद कायदा पढ़ाते हैं मेरे काम में बड़ी सहायता करते हैं जो लोग आ जाते हैं वह मुझे कह देते हैं देखो मुझे दीक्षा दे दो मैंने ना तो
कभी झूठ बोला है ना कभी शराब पी है ना कभी ठगी मारी है मैं तो निहायत शरीफ बंदा हूं मैंने कहा भी तुम मेरे योग नहीं हो क्यों तुम अभी बाजार में जाओ झूठ बोलो ठग्गू जेब काटो शराब पियो और फिर जब उब जाओ किसी और बड़ी शराब की याद आने लगे फिर मेरा काम शुरू होता है वहां से होती है मेरी लिमिट सु जिसने ठगी ही नहीं मारी जिने झूठ नहीं बोला जेब ही नहीं काटी शराब ही नहीं पी भला मेरे काम का थोड़ा वह तो गणेश गोबर गणेश है और गोबर गणेश मेरे काम का नहीं होते हा य गोबर गण किसी और के काम के होते हैं य हा हा सीजीआई इनकी पूजा करे मैं
ये गोबर गणेश मेरे काम का मूर्ख पंथिया के काम के हैं यह दुर्गा यह काली यह हनुमान यह सब मूर्ख पंथिया का काम है मेरे काम कर कौन करता है यह तुम देखो लेकिन मेरे लिए तो मूर्ख है तुम्हारे लिए होगा तुम सत्कार करो लेकिन मैं नहीं करूंगा मेरे लिए तो यह गोबर गणेश है मूर्ख है य जिन्ह इतना नहीं पता कि जिसकी तुम प्रार्थना कर रहे हो चेतन जड़ की पूजा करे हद हो गई चेतन जड़ की पूजा करे कौन सी किताब में लिखा हमारे साथ एक व्यक्ति पढ़ता था मेडिकल में तो रैबिट को बड़ा प्यारा होता है रैबिट उसको पकड़ते हैं बड़ा पिल पिला पिल्पिला
सा होता है वो ऊपर हाथ फेरते हैं उसको मारने का जी नहीं करता बड़ा मासूम प्राणी है रैबिट तो हम मारने से पहले उसको चीर के देखना होता है ना क्या है भीतर तो उसके बालों के ऊपर से मैं हाथ फेरता बड़ी लज्जत आती आनंद बहुत आता है तो मैं पहले ये आनंद लेता खूब हाथ फिरता उसके ऊपर पिल पिले से रेशम बर्ग जैसे बाल उसके और छलांग लगाता बड़ा अच्छा लगता मैं छोड़ देता उसको खूब चलांगे वगैरह लगा के मेरे पास आ जाता तो पहले मैं यह हाथ फेरता उसको उसके कोमल बालों के ऊपर फिर मैं उसको क्लोरोफिल सगा के बेहोश करके उसको काट देता तो हमारे एक मुनिम लग गया बाद में
मुनिम ही लगेंगे जब तो मैंने कभी क्यों छोड़ दिया तुमने वेद प्रकाश कता पंडित जी बात यह है जीव जीवने काटे कौन सा शास्त्र में लिखा हुआ है मैंने कहा फिर तू शास्त्रों को पढ़ ले तू इधर मत आना गलती से आ गया भूल हो जाती है आदमी से एरर तो फिर तू शास्त्र ही पढ़ ले भाई फिर यह तू मत काट यह तेरे बस का काम नहीं है हा तो मैं जिस बात से रुका था वहां से आगे चले अष्टावक्र की एक बात बड़ी प्यारी है वह यह नहीं कहते कि भोगो मत देखिए बड़े मजे की बात है वो सीधा सा निचोड़ बताते हैं तुम्ह क्या कहते हैं भोग से दुख मिलता है इसका मतलब भोगो इसका मतलब यही हुआ और
क्या मुक्ति का ढंग बताते हैं ें तो यहीं से शुरू करेंगे ना वो तुम्हें सीधा नहीं कहते कि भोगो वो तुम्हें कहते भोग से दुख मिलता है कहने का ढंग है कई लोग कहने में बड़े दक्ष होते हैं भोग से दुख पैदा होता है मतलब खूब भोगो और खूब दुखी होगे और दुख से वैराग्य पैदा होता है जितना ज्यादा भोगो के वो कहता है कि परम भोग में उतर जाओ इतना भोगो और तुम पाओगे कि भोगने की तमन्ना शेष ना रही कितना भोग पाओगे आखिर आप में समर्थ कितनी है एक दिन थको ग राधे राधे करते पक्का यकीन से कह सकता हूं बस लगातार करते रहना इन लोगों के हिसाब से य कहते हैं खूब
जपना विपत्तियां आती रहे तो और तेज जपना मैं कहता हूं तुम पर विपत्तियां आती ही रहे और तुम इतनी जोर से जपना होगा होगा तो कुछ नहीं और तुम जब पाओ गए विपत्तियां घनी हो गई और राम राम राधे राधे कहने से विपत्तियां टली नहीं क्योंकि विपत्ति आती है तुम्हारे कर्म से और कर्म भोगने के बिना कटते करते रहो राम राम राम राम का राधे राधे का भोगों के भोगने से क्या कंसर्न है जरा कोई कंसर्न बताएगा मुझे तो देखिए जो दुख आए हैं विपत्तियां आई हैं व आई है आपके कर्मों के कारण जो आपके प्रारब्ध बाकी रह गए तो अब आगे से उससे एक बात सीख
लो दुख देने से दुख मिलता है यह सबक सीख लो तो आपको दुख मिल गया विपत्तियों से आगे से आप पाप कर्म मत करो यह सबक सीखना है राधे राधे नहीं करना है राधे राधे करने से कोई शांति नहीं मिलेगी सिर्फ वक्त गुजर जाएगा भोगना पड़ेगा देना को हिसाब न पाई पाई द यहां हिसाब देना पड़ता है व जो हवा के झोंके से उड़कर क खा गया ना यह तो डराने की बातें हैं तुम डर जाओगे और डरे डरे लोग फिर डेरे में जाते हैं फिर तुम देखना इनके सिंदूक भर जाते हैं सरकारें इनकी है कोई ता नहीं अष्टावक्र कहते हैं भोग से दुख मिलता है बड़ा सुंदर शब्द है वह इनडायरेक्टली
तुम्हें कहते हैं अपरोक्ष रूप से परोक्ष रूप से तुम्हें कहते हैं के भोगो भोग का फल मिलेगा ख ऐसे ही माधु माधुराम मत बने रहना भोगना गोबर गणेश मत बने रहना भोगना गणेश की पूजा मत करना भोगना भोगने से दुख मिलता है बड़ा कीमती वाक्य है और दुख से वैराग्य जब तुम्हें दुख आता है ना तुम कहते छोड़ो यह भोग में दुख होता है संसार दुख है यहीं आकर तो बुद्ध ने कहा कि संसार में दुख है हालांकि सुख के सारे साधन है उसके पास जिस व्यक्ति के पास संसार के सारे साधन हो सुख के राजा हो रे ज्वारा तो के भंडार भरे हो सेवक सेवका आए हो एक इशारे से तूफान चल
पड़ता हो एक इशारे से हवाएं थम जाती हैं वह राजपुत्र सुंदर है स्वस्थ है सब है सुंदर पत्नी है यशोधरा जैसी और सुंदर बच्चा हुआ है फिर भी भाग जाते हैं खे छुड़ा के भाग जाते हैं पीछे छुड़ा के इसकी समझ में आ गया यहां समझाती है आदमी को जो कहता है भोग में दुख है और भोगता ही चला जाता है फिर उसके लिए भोग दुख नहीं है समझना अगर मुछ आप कुंडी वाली बना लो और जूती आप तिल्ली वाले डालो तो फिर भोग में कहां दुख हुआ भोग में तो सुख हुआ एक एक बाल को संवारने में आप हजारों लाखों रुपए खर्च कर देते हो कितने-कितने घंटे लगा देते हो तुम कहीं
कोई बाल खड़ा हुआ इधर देखो तुम पता ही नहीं कहां है कोई किधर जा दक्षिण में जाता है कोई उत्तर कोई पश्चिम और कोई पूर्व कोई हिसाब किताब ही नहीं है इनका और फिर भी लोग कहते हैं क्या खूब लगते हो कमाल की बात है भोग से दुख मिलता है इनडायरेक्टली वह कह रहे हैं कि भोग भोग से दुख मिलेगा मुक्ति का साधन बता रहे हैं और दुख से वैराग्य आएगा तुम कहोगे छोड़ दो और बुध भाग जाते हैं भोग से दुखी होकर भाग जाते तुमने शायद सोचा भी नहीं होगा और अष्टावक्र तबीयत से लिखते हैं पूरी तबीयत से भग से मिलेगा दुख और दुख से मिलेगा वैराग्य वैराग वैराग्य भगा देता है इतना
कुछ डवा देता है सुंदर ततो ताश जिनके लिए लोग मर कटने को राजी हो जाते हैं ना जाने क्याक कांड करा देते हैं वो कांड नहीं वो छोड़ो आप ऐसा मत किया करो पुरानी या यादें मत ताजा किया करो भोग से दुख पैदा होता है दुख से वैराग्य पैदा होता है और वैराग्य से मुमुक्षा पैदा होती है हाउ टू लि बरेट फ्रॉम इट यहां इससे मुक्ति कैसे पा जाऊ और दुख एक ऐसी चीज है कि आपको आप दुख को स्वीकार नहीं कर सकते यही यही तो मुश्किल है दुख को स्वीकार करना बहुत मुश्किल लगता है दुख स्वीकार करने जैसी वस्तु लगती हैं और धीरे-धीरे चलते हैं शब्द बड़ा
प्यारा है भोगो भोग कर पाओ दुख ही मिलेगा यह पक्के खिलाड़ी हैं अष्टावक्र जैसे कच्चे खिलाड़ी नहीं है इनका एक एक चचन वेद वचन है और दुख वैराग्य पैदा करता है दुख से तुम कहोगे छोड़ो बुद्ध भाग जाते हैं क्योंकि भोग से दुख मिला दुख को व्यक्ति एक्सेप्ट नहीं करना कर पाता इसलिए बुद्ध कहते हैं जीवन दुख है दुख से भाग जाते हैं और यही मजे की बात आती है सबसे आकर देखिए उल्टा चलते हैं और उल्टा चलते हैं और सब कुछ बताए जाते हैं अष्टावक्र मैं कहता हूं कहने का अंदाज है वैराग्य से मुमुक्षा पैदा होती है यह तो बेड़िया बांध ली
मैंने मैं भाव से कर्म करके मैं हूं तो सब कुछ है तो मैंने तो बेड़िया इकट्ठी कर ले यह बाद में समझाता है पहले पहले तो नहीं समझाता पहले पहले तो शब्द अच्छे लगते हैं मीठे लगते हैं जय जयकार होती अच्छी लगती है नेपोलियन कहता था इंपॉसिबल वर्ल्ड इज नॉट फाउंड इन माय डिक्शनरी मेरे शब्द कोश में असंभव शब्द है ही नहीं लेकिन बाद में सब संभव हो जाता है मृत्यु आती है तुम कहते हो असंभव नहीं है आ तो गई जब तुम्हें तकलीफ होगी वैराग्य होगा किससे वैराग्य हुआ भोगों से वैराग्य हुआ एक श्रंखला चली फिर इनसे मुक्त होने की योजना बनेगी
तो बुद्ध किससे भागे भोगों से भा गया समझाती है बात भोगों से भागे क्योंकि भोग दुख देते हैं दुख वैराग और वैराग से म मक्ष मोक्ष भगातील इन बेड़ियों को कैसे काटू इसे कहते हैं मुमुक्षा थॉट ऑफ लिबरेशन भीतर प्रज्ञा का जगना कैसे ना बेड़ियों से मुक्त हो जाऊ यह है सच्ची प्रज्ञा और मुक्त होने का तरीका तो फिर मिल ही जाता है एक बार जग जाए मोक्षा प्यास लग जाए पानी तो मिल जाएगा पानी तो है लेकिन पीने वाला नहीं मिलता यहां इसलिए जिनके पास पानी है वह छुपाए रखते हैं सच्चा प्यासा आएगा देखेंगे रो रो उनका कहेगा पानी वो कहेगा खाना खालो कहेगा नहीं नहीं
पानी वो कहेगा दारू पी लो नहीं भाई पानी और पहचान जाते हैं वो कहते चलो फिर पानी लो तो मुमुक्षा बेड़ियों को काटने की इच्छा क्या लिब्रेट कैसे हो जाऊं और लिब्रेट होने की इच्छा हुई मुक्त होने की इच्छा हुई तभी तो मुक्त हो पाओगे तुम्हारी इच्छा ही तुम्हे करेगी देखिए बड़ा प्यारा शब्द है इच्छाएं बांधती है और कहां लेकर आ गए अक के इच्छा ही तुम्हें मुक्त कराएगी किसकी मुक्ति की इच्छा मुमुक्षु तो मुक्ति की इच्छा तुम्हें मुक्त कराएगी इच्छा पैदा कैसे होगी बेसिक कारण बार-बार समझा रहा हूं भोगों से तुम भोगते ही नहीं कुछ तुम्हें सरकार नहीं
भोगने देती ये बैरण हो जाती हैं अब तुम्हें मेरे ख्याल में तुम्हारे प्रश्नों के सब जवाब मिल गए य मेरे सहायक हैं जब ये गलत पढ़ाते हैं उड़ा आड़ा इड़ी यह गलत पढ़ाते हैं तो मैं कहता हूं देखो पढ़ाओ लेकिन छाती से चिपका मत शुरू करो अ अनार है लेकिन और भी बहुत कुछ है बस मैं यही कहता हूं तो मैं इनको शाबाशी देता हूं कि एनर होता है तुम पढ़ा रहे हो सही है लेकिन उसके बाद अनार ही होता है यह मुश्किल हो जाएगा का राधे राधे करो दुख दूर हो जाएंगे यह ठीक है लेकिन राधे राधे ही करते रहो दुख तो दूर नहीं होंग कितने ही कोशिश
कर क्योंकि दुख है भोग के कारण कर्म कर्म भोग प्रारब्ध के कर्म और यही लोग कहते हैं देखिए दोला काम यही कहते हैं कि भोग तो भोगने ही पड़ेंगे कर्म तो भोगने से मुक्त होंगे और यही कहते हैं राधे राधे करते रहो मुक्त हो जाओगे कर्म क्षीण हो जाएंगे असल में इन्हें खुद ही पता नहीं यह खुद ही भ मत्र हुए हैं तो इनको बेसिक चीजों का ज्ञान नहीं है इसलिए यह बहक जाते हैं अनार है बिल्कुल ठीक है राधे राधे करो थक जाओ बिल्कुल ठीक है गिर पड़ो राधे करते करते बेहोश हो जाओ ठीक है राम करो कि राधे करो कोई फर्क नहीं पड़ता और जब तुम बेहोश हो जाओगे तो फिर
मुमुक्षा जगे गी ऐसा तो नहीं मिला लेकिन दुख तो अब भी रह गया फिर संत शरण की जरूरत पड़ती है जो जानता है हाउ टू बलि बरेट पर वो ढूंढते हो तुम और मिल जाता है यहां कभी ऐसा अंधकार भरा युग नहीं आया और नहीं आएगा जब धरा के ऊपर या किसी भी ग्रह के ऊपर वह जो अपने स्वय को जानता है उसका अभाव हो जाए नहीं कभी ऐसा वक्त नहीं आएगा ऐसा अंधकारमय युग ना धरती पर आएगा ना किसी अन्य प्लेनेट प आएगा कभी यह जानने वाले लोग मौजूद रहेंगे क्योंकि वह सत्य है सत्य कोई ना कोई तो जानता ही है और तुम्हारी सब बातों का जवाब मिल गया किसी का क खड़ के आ जाए आ
जाए बस तिजोरी में फौरन बंद मत कर लेना कोई मा आए पहचान करके उसको दे देना ले जाओ भाई छीना मत कर्ता भाव से कर्म मत करना किसी की जब मत काटना किसी को दुखी मत करना लेकिन सच बात से अगर कोई दुखी हो तो होता र अगर मैं कहता हूं मैं इस बात से तो कभी नहीं कहता कि एनर नहीं होता मैं कहता हूं होता है मैंने खुद भी तो यही लेकिन अनार का ही होता है यहां तुमको मुश्किल पेश आती है ए अनार का ही होता है मैं यहां बोलता हूं आके तुम कहते हो राधे राधे कर दो बिल्कुल बिल्कुल करो मैं तो कहता थक जाओ अरे भाई थको ग तो ही करोगे गिरोगे तो
तुम्हें समझाएगा कि नहीं मिला मिलता बिलता कुछ नहीं लेकिन यह वो लोग हैं जिन्होंने प्रचुर मात्रा में राधे राधे नहीं किया इन्होंने खुद भी नहीं किया वैसे आज सुबह मेरे पास एक फोन आया बाबा नींद तो मुझे भी नहीं आती आप आपने एक दवा बताई थी मैंने नींद नहीं आती तो दर्शन कर लिया करो किसी के डेढ़ दो बजे जाग उसके बाद सो जाए करो वो हस पड़ा पता बाबा के मजाक प उतरा है मैंने कहा सुबह सुबह तुमने बात ही ऐसी पूछ कहते हैं पांच तत्व का पुतला है क्या है घर जाएगा और इसको ही दिखाते फिरते हैं लोगों को बड़ा महत्व बटोर हो भाई एक तरफ तो इनकी निंदा करते हो पांच
तत्व का पुतला है घर जाएगा रखा क्या है और एक तरफ दिखाते फिरते हो रात को जगाते फिरते हो लोगों का और देखो मैं अच्छी तरह से जानता हूं जो लोग आते हैं ना मैंने कहा वह तुम्हारे जैसे ही होंगे भाई उनको भी नींद नहीं आती होगी इन सोमिया की री होगी इसलिए उने कहा चलो शायद दर्शन से ही कुछ ठीक हो जाएगा नींद उनको भी नहीं आती होगी ऐसे कौन उठ के जाता है नींद ऐसी चीज है जो घेर लेती है तो जरूरी से जरूरी काम भी छोड़ने पड़ जाते हैं सखिया आज हमें नींद नहीं आएगी साखिया आज हमें नींद नहीं आएगी सुना है तेरी मैं महफिल में रथ जगा
है सुना है तेरी महफिल में रथ जगा है आंखों ही आंखों में रात कट जाएगी सुना है तेरी महफिल में रथ जगाह है सुना है तेरी महफिल में रथ जगा है साकिया आज हमें नींद नहीं आएगी सुना है तेरी महफिल में रथ जगा है इन सोमिया के मरीज होते हैं नींद नहीं आती तो फिर कहते चल बाबा के दर्शन ही करले एक तो एहसान हो जाएगा थोड़ा वक्त भी पास हो जाएगा तेरे पास आकर मेरा वक्त गुजर जाता है तो घड़ी के लिए गम जाने जाने किधर जाता है तेरे पास आके मेरा वा वक्त गुजर जाता है तेरे पास के मेरा वक्त गुजर जाता है दो घड़ी के लिए गम जाने किधर
जाता है तेरे पासा राध करने से दुख नहीं देखिए इन गोबर गणेश की बातों में मत पढ़िए दुख होता है पापों के कारण सीखना चाहिए तुम्हें यह बात के दुख हुए पाप के कारण और हम पाप करना क्यों ना बंद करते सीखना तो यह चाहिए दुष्ट सिखा रहे हैं तुम्हे राधे राधे करता हू ये नहीं कहते पाप करना बंद करो ये नहीं कहते ये कृष्ण कहने की जरूरत करते हैं ये कहते हैं तू मेरी शरण में आज कर्ता भाव से कामना कर करता भाव से काम करना पाप है तो मेरे समर्पित होके जो मैं कर वो कर तो दुख होता है तो राधे राधे से ठीक नहीं होगा दुख होता है तुम्हारे पाप कर्मों के कार्म
और पाप कर्म होते हैं किसी को दुख देना ना कि किसी की गलती निकालना तुम गलती निकालने को ई पाप कह देते हो यहां कौन ठीक भाई हम तो गलती निकालने वाले हैं आलोचना करने वाला व्यक्ति निंदक थोड़ी हुआ करता है हम निंदक नहीं है हम तो ये कहते हैं अ अनार होता है भाई लेकिन अनार का ही नहीं होता यह बताओ इसमें क्या गलती और कायदे को चिपका मत लेना अन्यथा डॉक्टरेट नहीं होगी क्या गलत कहा कोई तो कहे कि हमने गलत कहा कहीं तो कहे कि गलत कहा देखिए बजाय राधे राधे इन मूर्खों के मूर्ख पंथिया के पास वक्त ना खराब करना बेसिक काज ढूंढना दुख का बेसिक काज है
पाप तो पाप होने से बचना यही कृष्ण कहते हैं मैं तुम्हें पापों से उत्पन्न दुख से बचा दूंगा मुक्त कर दूंगा तुम क्या करो व शर्त समझ लो और शर्त का अर्थ समझ लो शब्दों से मत चिपट जाना सर्व प्रण परत जमाम कम शरणम सभी धर्मों का त्याग करके मेरी शरण में आ जा कर्म कर लेकिन तू ना कर कता भाव से ना कर मुझे सौंप दे मैं जो कराऊंगा वो कर अहम तोम सर्व पाप मोक्षम मासु इन सारे श्लोक में एक अर्थ काम एक शब्द काम का है वो क्या समर्पण और वही तुम करते ना तुम दर्शन कर लेते हो लोथर का इनके पास वक्त थोड़ा सा कम ही है और थोड़ा सा जल्दी कर लिया करो
इनके दर्शन और डेढ़ बजे आए कि 12:30 आ जाए इनको नींद न तो आती नहीं कर्म ही ऐसे किया नींद कैसे आएगी चाइना में कहते हैं जिसने बहुत बुरे कर्म किए होते हैं ना उसकी नींद छीन लेते हैं सोने नहीं देना इसे और परमात्मा इनको सोने नहीं देता तो बुरे कर्म करने वालों को नींद नहीं आती परमात्मा भी यही दंड देता है चाइना वालों ने पता नहीं कहां से आविष्कार कर लिया बड़े समझदार लोग है तभी तो 18 ट्रिलियन डॉलर और यहां चार के ऊपर अटकी घड़िया सांस बड़े समझदार है उन्होंने पहले ही निकाल दिया इसकी नींद छीन लो हरामखोर के सब कुछ बर्दाश्त कर लेगा आदमी भूख
बर्दाश्त कर लेगा पीड़ा बर्दाश्त कर देगा कोड़े खा लेगा प्याज खा लेगा नफा नुकसान भर देगा जुर्माना भर देगा जेल काट लेगा लेकिन नींद नहीं काट सकता तो बेसिक चीज उन्होंने जान ली कि नींद छीन लो और यह संत पुरुष भी तुम्हारी नींद ही छीन हैं परमात्मा ने इनकी नींद छीन ली इनके पाप कर्मों के कारण और यह तुम्हारी नींद छीन ते चैन नहीं आता ये कैसे सोए हैं खराड़ी मार मार के सो रहे हैं ये इनकी नींद बंद करो किसी ने शायद तुम्हारा मन भर गया होगा सब प्रकार के तुम्हें आज मैंने पके पकाए मिष्ठान कड़वे नमकीन सब भोजन चटनी फटनी सब खिला दी है मुझे इजाजत
दे दो श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव [संगीत] श्री कृष्ण गोविंद बीच में मिल जाया करो जब मैं गाता हूं मैं भी मस्त होता हूं उस सम और तुम भी इस आवाज के साथ एकाकार हो जा करो जहां से आवाज आती है उस उद्गम स्रोत पर तुम भी पहुंच जाओगे पितु मात स्वामी सखा हमारे तुमा स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा [संगीत] श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हेना हे ना हे ना हे [संगीत] ना श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे प्यारे हे नाथ नारायण वासुदेवा तु मात स्वामी
सखा हमारे पित मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेव [संगीत] श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा धन्यवाद
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