स्वामी श्रीवास्तव आपने थोड़े दिन पहले कहा किसी को दुख देना पाप है और फिर आपने एक प्रवचन में कहा कि अहंकार को ठेस पहुंचाना पुण्य है ये क्या गड़बड़ घटाला है प्रभु अहंकार को ठेस पहुंचाना पुण्य है इसका अर्थ क्या हुआ किसी को दुख देना पाप है इसकी व्याख्या कीजिए
प्रश्न बड़ा साफ है तुम्हारे अहंकार को जो ठेस पहुंचाएगा तुम्हारा अहंकार टूटेगा और तुम्हारा अहंकार टूट जाए यह पुण्य है एक भ्रांति टूट जाए पुण्य क्योंकि अहंकार भ्रांति और फिर आपने पूछा कि आपने कभी क्षमा भी नहीं मांगा रोज दुख देते हो लोगों को साधु संतों
तक कि आत्मा करती है आपके शब्दों से आपने कभी क्षमा नहीं मांगी जिनके लिए मैं बोलता हूं वह साधु संत हैं ही जिनके अहंकार को ठेस पहुंचती है वह अहंकारी व्यक्ति साधु संत नहीं होता निर अहंकारी होता है साधु निर अहंकारी होता है संत अगर संत की भावनाओं को ठेस पहुंच गई अहंकार को ठेस पहुंच गई तो वह संत कहां से हो गया सं तत्व मिलता है अहंकार के खने से और उसके अहंकार को चोट पहुंचा के मैंने पाप क्या किया मैंने पुण्य किया थोड़ा सा इस गहराई को समझ लेना मेरे पास रोज ऐसे प्रश्न आते हैं तुम तो बाबा निंदा करते हो इसलिए मैं कह देता हूं ठीक है
और निंदा सुनना पाप है बिल्कुल ठीक है तुम्हारी मौज है तुम स्वतंत्र हो रोज दुख देते हो लोगों को और फिर तुम कहते हो किसी को दुख देना पाप है मैं आज भी कहता हूं सदा कहता रहूंगा दुख देना पाप है और तुमने कहा कि तुमने माफी कभी नहीं मांगी माफी क्यों मांगू जो कर्म मैंने किया ही नहीं उसके लिए मैं माफी क्यों मांग ध्यान से समझना यह जो अहंकार को तोड़ता है किसी ने पूछा था भगवान से भगवान हम तो रोटी खाते हैं चावल खाते हैं जूस पीते हैं फल फ्रूट खा लेते हैं तुम क्या खाते हो तुम्हारा आहार क्या है भगवान कहते मेरा आहार अहंकार है मैं अहंकार को खाता
जिसने तोड़ा होगा अहंकार वही जिम्मेवार और उसका भोजन है मैंने तो कुछ बोला नहीं मैं इतना बोलता 2000 वीडियोस बोल गया कभी तो क्षमा मांगता लेकिन कभी क्षमा मांग नहीं क्यों क्योंकि मैंने कोई अपराध नहीं किया यंत्र कभी अपराध किया करते हैं माइक में से कोई गाली निकाल दे या वेद मंत्र पढ़ दे माइक ने पाप या पुण्य किया नहीं उसने प्रसारित किया सिर्फ बोलने वाले की आवाज को प्रसारित करता है यंत्र और मैं एक यत्र हूं और ध्यान रखना जो माफी मांगता है वह यंत्र नहीं है वह करता है जो भी मा माफी मांगता दिखे आपको तुरंत समझ
जाना कि यह संत नहीं संत कभी माफी नहीं मांगेगा तुम कह दोगे कि तुमने गलती की है माफी मांग वह मांग लेगा लेकिन तुम्हारे कहने से उसका अंतर विद्रोह नहीं करेगा कि तुम माफी मांगो तुमने गलती की है तुमने पाप किया है तुम्हारे कहने से अब बात अलग है यंत्र कभी माफी नहीं मांगता क्योंकि यंत्र जानता है कि कौन बोलता है और मूर्ख पंथो तुम्हें अभी तक समझ नहीं ई जब तुम निकल जाओगे तो यंत्र तो यही रह जाएगा मुंह खोल के देखना जीवा भी यही होगी गले के सारे ऑर्गन यही होंगे यही फेफड़ा होगा यही हृदय होगा लेकिन ठहरा होगा तुम नहीं होगे बोलने वाला चला गया
किससे मांगू माफी क्यों मांग जो करता है वह माफी भी मांगे देर अर उसे माफी मांगनी ही पड़ती है और जो करता ही नहीं है वह कफी कभी माफी नहीं मांगता क्योंकि उसका भीतर विद्रोह नहीं करता एक्शन का रिएक्शन नहीं होता क्योंकि उसने एक्शन नहीं किया रिएक्शन होता है माफी मांगना एक्शन होता है दिल दुखाना जब उसने दिल ही नहीं दुखाया एक्शन नहीं किया तो माफी क्यों मांगेगा रिएक्शन क्यों आएगा मेरे ख्याल में तुम्हारी दोनों बातें साफ होगी कुछ दिन पहले तुमने कहा था कि किसी का दिल ना दुखाना मैं आज भी कहता हूं सदा कहता रहूं दिल तो तुम दुखा रहे हो राधे राते
करो गुमराह करके राम राम करो दिल दुखा कर के गलत राह डाल कर के आज नहीं कल तुम्हे भुगतना पड़ेगा बिना उस तत्व को जाने ू ही दिन भर बकवास करते रहना पाप होता है जब तुम पाप के सताए हुए दुख बांटते लोगों को झूठ बांटते हो लोगों को तो एक दिन तुम्हारा अंतस दुखे विद्रोह करेगा तुम्हारा अंत बड़ा सेंसिटिव है तुम्हारे अंतर में खुद परमात्मा विराजमान है इस गोघट को उठा दो घूंघट के पट खोल रे तो है पिया मिलेंगे गट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे इस आवरण को हटाओ और देखो कौन बैठा है पाप तुम करते हो किसी को गुम राह कर देना इससे बड़ा पाप
कोई हो सकता है और दिन भर रात तुम चिल्लाते ही चले जाते हो मैं देखता हूं और जोश और जोश किसी दिन यह जोश ठंडा हो जाएगा है खड़ा माली वो पीछे होशियार हो रही बुलबुल क्यों गुल पे निसार है खड़ा मालि वो पीछे होशियार मारक गोली गिरा ली जाएग जब तेरी डोली निकाली [संगीत] जाएगी बे महूरत के उठा ली जाएगी जब रे जिस दिन मैं दिल दिखाऊंगा उस दिन क्षमा भी मांग लूंगा लेकिन तुम्हें एक बात साफसाफ कर दी है मैंने यंत्र कभी दिल नहीं दुखाया करते यंत्र प्रसारित किया करते हैं जो बोला उसके भीतर से और यंत्र कभी भ्रम नहीं खाता यंत्र कभी भ्रम नहीं खाता तुम भ्रम
खा जाते हो यंत्र नहीं भ्रम खाता तुमसे यंत्र अच्छा है तुम भ्रम खा जाते हो कि मैंने गाली दी तुम क्षमा मांगते हो तुमसे यंत्र अच्छा है यंत्र कभी भ्रम नहीं करता उसे पता है कि मैंने बोला ही नहीं हां मैंने कहा था आज भी कहू कल भी कहूंगा दिल दुखाना पाप है और जिन्हें तुम संत कहते हो वह झूठे हैं बकवा दी हैं गुमराह कर रहे हैं मैं आज भी बोल रहा हूं कहां रुक गया जब तक सांस में सांस है हृदय धड़क रहा है बोलता ही रगा और दूसरा प्रश्न तुने पूछा अहंकार को तोड़ना पुण्य है बिल्कुल पुण्य है यही काम मैं करता हूं मेरा भोजन ही अहंकार
है और य भोजन मैं रोज खाता हूं मैं तुम्हारे अहंकार को खा जाऊंगा तुम लाख पीले काले लपेटे रहो तुम लाख नाविक टोपियां डालते रहो तुम लाख जनता को गुमराह करके झूठे वायद करते रहो मैं तुम्हारे अहंकार को निगल ही जाऊंगा तुम्हारे अहंकार के लिए मैं भस्मास हूं याद रखना मेरा भोजन है भाई मैं ये पुण्य सदा करता रहूंगा तुम्हारे अहंकार को तोड़ने के बाक ही पुण्य है कोई गलत रास्ते जा रहा है उसको आवाज दे देना कि गलत रास्ता आगे कुआ है गर जाओगे रुक जाओ यह पुण्य है तुम इसे पाप समझे जा तुम्हारी अपनी मान्यता है तुम्हारी अपनी
खोपड़ी लेकिन तुम्हारी अपनी खोपड़ी मुझे कुछ बोलने पर मजबूर नहीं कर सकते मैं जो बोलूंगा बोलूंगा तुम कृपा करो तुम अगर मेरे विचार नहीं जते तो मैं रोज कहता हूं दूसरा प्रश्न वही प्रश्न और वही जवाब आपने कहा गोवर्धन जैन ने पूछा है ष पर्व में जैन धर्म एक बड़ी शानदार महोत्सव करता [प्रशंसा] है वर्ष भर में हुई अपराधों के लिए क्षमा मांगता है जीव जंतुओं को जो नीचे आकर मर गए किसी को भूलवश या जानबूझकर ल दुखा दिया हो दर्द पहुंचा दिया हो नुकसान कर दिया हो उसके लिए क्षमा मांगते हैं एक दूसरे से और सभी क्षमा मांगते हैं इसका मतलब सभी ने
अपराध किए होते हैं आप क्यों नहीं ऐसा करते क्योंकि मैं पाप करता ही नहीं गोवर्धन जैन जी मैं पाप करता मुझसे पाप होता ही नहीं पाप नाम की चीज मेरी डिक्शनरी में नहीं है मेरा शब्दकोश पाप शब्द से खाली मिलेगा मैं क्यों किसी के पाव हाथ लगाऊ वर्ष भर में जो मैंने पाप किए तुम्हें ठेस पहुंचाई जीव जंतुओं को मार दिया हे न बोलने वाले पंछियों जीव जंतुओं जो मेरे पांव के नीचे आ गए गलती से जानबूझकर तुम्हारा मन दुखाया तुम्हें नुकसान पहुंचाया उसके लिए मुझे क्षमा कर दो बिल्कुल ठीक है ध्यान से सुनो मेरी बात मैं इसीलिए क्षमा नहीं मांगता क्योंकि
यह पाप मुझसे होता नहीं मेरे से पाप होना असंभव है अगर अर्जुन को मैं करज ना करता 40 लाख लोग मरते 18 अनी सेना ढेर ना होती लाशों के ढेर में तब्दील ना होते कौन था कारण मैं कारण था मैंने उकसाया अर्जुन को ण की शिया प भीष्म जैसे महारती को सुला दिया अपने ही गुरु की गर्दन कटवा द ऐसे ऐसे भयंकर काम किए हुए हैं मैंने लेकिन जरा भी जरा भी अफसोस नहीं जरा भी दुख नहीं जरा भी दर्द नहीं कोई माफी वोह मेरा भोजन थे मैंने कर लिए इसलिए गोवर्धन जैन जी ध्यान से समझना यह जो माफी मांगने वाले हैं यह अज्ञानी है इन्हे पता ही नहीं इन्होंने किया
होगा यह अपनी जग ठीक है किया होगा तो इन्ह माफी मांग कर ही पीछा छुड़ाना पड़ेगा जिसने कत्ल किया है सजा तो भोग कर ही आना पड़ेगा हमने जब किया ही नहीं नाजायज हम सजा भोगते रहे क्यों माफी मांगे किसे और फिर किससे माफी मांगूंगा कौन माफी मांगेगा माफी मांगने वाला भी मैं हूं माफ जिससे माफी मांग रहा हूं माफ करने वाला भी मैं हूं सभी जगह मेरा ही पसारा है मैं ही मैं हूं मेरे सिवा कुछ नहीं अहम ब्रह्म ए आत्मा ब कौन किससे माफी मांगे भेद बुद्धि की बात और मुझ में भेद है नहीं मैं एक हूं कहीं कोई कहीं कोई छिद्र नहीं कहीं कोई टूट फूट नहीं बिल्कुल एक
सारे विश्व ब्रंड में छाया हुआ य ठीक कहा जिन्होंने पाप किया होगा माफी मांगे लेकिन यह मड है मेरे दृष्ट जिस दिन मैं कर लूंगा उसन मैं माफी मांग लूंगा लेकिन गोवर्धन मैं कभी पाप नहीं करूंगा मुझसे पाप होता ही पाप नाम का शब्द मैंने कहा मेरे शब्द कोश में है ही जो करता हूं ठीक करता हूं जो करता हूं पुण्य करता हूं और सही करता हूं और भले के लिए करता हूं मैंने गर्दन कटवा दी बच्चे अनाथ कर दिए विधवा कर दी लेकिन जरा भी पाप ना आया किसी पाप की आंच मुझ तक पहुंचती यही तो समझा रहा हूं गीता के 24 में श्लोक में दूसरे अध्याय के 24 में श्लोक में यही तो समझा
रहा कि जलता नहीं मैं पाप की अग्नि मुझ तक पहुंचती है और अगर तुम पाप की अग्नि में जल रहे हो तो आ जाओ आ जाओ हमारी बाहों में हम आस लगाए बैठे अगर तुम पाप की अग्नि में चल रहे हो तो दौड़े आओ मेरे पास तुम्हारा स्वागत है कौन रोकता है तुम्हें कोई नहीं रोकेगा मैं जो हूं मैं बैठा हूं तुम आ जाओ मेरे पास अहम तवाम सर्व पापे भ मक्ष श्यामी मास मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा जरा आओ तो पुकारा तो बहुत य लगातार बजता हुआ अनहद का नाथ तुम्हें क्या खबर देता है तुम आज तक समझे ना य मेरी ही तो आवाज है तुम कब से सुन रहे
हो अभी तक नहीं आए ये मेरी पुकार तुम आ ही जाओ और ध्यान रखना कितना ही बड़ा साधु संत गुरु महात्मा कितना ही बड़ा देवता देवी आखिर उन्हें मेरी शरण में आना ही पड़ेगा एक दिन कोई नहीं बच पाएगा सभी को मेरी शरण में आना पड़ेगा सभी को ना कोई बचा है ना कोई बचेगा देर अवे जितना भटकना है भटक लो मेरी सृष्टि में भटक सकते हो जितनी देर भी तुम चाहो कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब थ जाओगे पुत्र तो मेरे पास आ जाना थक जाओगी पुत्री तो आ जाना मेरे पास मैं तुम्हें अपनी बाहों में लेने के लिए बिताऊ बैटा अगर तुम व्याकुल हो उस आनंद के लिए तो मैं भी व्याकुल हूं
तुम्हारे लिए तुम्हें आने के लिए कोई भी तो नहीं रोकता जरा एक बार आने का संकल्प तो ले लो यही कमी रह जाती है तुम में तुम आने का संकल्प ही तो नहीं कर पाते तो मेरी सृष्टि में उलझते ही चले जाते हो ऐसी चकाच बिल्कुल है भी ठीक जो मैंने बनाई वह सृष्टि कम खिंचाव वाली नहीं होगी वह भी तुम्हें खींचती है लेकिन जब तुम थक जाओ सब कुछ पा लो जो भी मैंने बनाया भोग लो और पाओ के तृप्त ना नहीं हुए सुख मिला पल भर का और उसके बाद खो गया तो मेरा रास्ता सभी के लिए सदा खुला है दिन भर रात कोई वक्त नहीं य इस मंदिर के गेट को बंद करने का कोई समय
नहीं ना खुलने का कोई समय यह खुला ही हुआ है कभी बंद नहीं होता यहां के मंदिर तुम्हारे बंद हो जाते हैं लेकिन मेरा मंदिर बंद नहीं होता कभी यह मंदिर सदा के लिए खुला है तुम जब जा हो सकते हो कभी ऐसा वेला ना पाओगे कि तुम आके द्वार खट हटा दो और मुझे अनुपस्थित पाओ मैं सदा जागता रहता हूं तुम्हें निहारता हुआ सदा बांग देता हूं सदा आवाज देता हूं तुम मुझे यह मत कहा करो कि तुमने मुझे पुकारा नहीं दिन भर रात पुकारता हूं पूछो जो योग्य हुए दिनर रात पुकार रहा हूं आवाज दे के हमें तुम बुलाओ आवाज दे के हमें तुम बुलाओ मोह
बत में इतना ना हमको [संगीत] सताओ आवा जो दे आवाज दे रहा हूं तुम्हें कब से अगर बेचैन हो गए हो तो आ जाओ मेरे पास एक ही रास्ता है चैन के लिए एक ही रास्ता है संतोष के लिए एक ही रास्ता है तृप्ति के लिए मेरे पास आ जाना भटकना चाहते हो तो भी तुम्हारी मर्जी उलझो खूब उलझो यह सृष्टि भी बड़ी प्यारी [संगीत] है और जब इस उलझन से कुछ ना मिले गांठों की कैद मिले और कैद का दर्द और दुख मिले और घबरा जाओ तो मेरे पास आ जाना मेरा दर तुम्हारे लिए सदा खुला है मनिष का सवाल है सूक्ष्म लोक से कल के प्रवचन में आपने कहा दान की अगर लकीर बाकी रह गई तो वह
तुम्हारे अहंकार को बढ़ाए और बाबा दान की लकीर हमेशा छूट जाती है क्या करें तो बड़ा असमंजस में डाल दिया आपने हम दान करते हैं जैसे इच्छा के बिना कोई काम नहीं होता वैसे इच्छा के बिना कोई दान नहीं होता इस अवस्था में क्या किया जाए बाबा क्या कोई कभी मुक्त ना हो सकेगा आपके शब्द बड़े गहरे हैं अगर दान देने वाला दाता बन गया तो दाता तो एक ही है तो फिर परमात्मा से झगड़ा तुम्हें महंगा पड़ेगा क्योंकि दो दाता नहीं होते दाता एक होता है तुम भी दाता बन गए और एक और दाता है जिसने तुम्हें दिया फिर तुमने उसका प्रतिद्वंदिता शुरू
कर दी बैर मो ले लिया उसके शरीक बन गए तो ऐसे में क्या किया जाए मनुष के स्वालक अक्सर ही बड़े अच्छे होते हैं शरारती है लेकिन सवाल बढ़िया कर देता है एक शब्द में तुम्हें समझा दूंगा सवाल बड़ा पसीदा है जवाब बड़ा सरल है किस ढंग से दान किया जाए कि दान की लकीर ना छूटे धन भी तुम त्याग हो अब गौर से सुन लेना तुम्हे एक शब्द में जवाब दे दूंगा धन भी त्याग हो मल मूत्र भी त्याग हो सुबह रोज नहीं त्याग अगर तुम्हारा दान मल मूत्र की तरह त्याग हो जाए तुमने कभी कहा कि मैंने पाव भर या आधा सेर भर मूत्र और मल त्याग दिया तुम्हें याद रहता
है बताओ वृद्ध लोग तो खुश होते हैं क्या आ हाहा आज दस्त क्या आया कमाल आया ऐसे ही खुशी मिले तुम्हें दान करने के बाद वो भी तो दान है तुम छोड़ते हो उसे तुम्हारे शरीर का अंश था कभी लेकिन अब तुमने छोड़ दिया मल मूत्र की तरह अगर दान हो जाए जैसे मल मूत्र छोड़ा तुमने ऐसे ही धन को भी छोड़ दो उसकी कोई रेखा ना रहे या बता दो अगर मल मूत्र की भी रेखा को बीच में रहती है तुम्हारे रहती है क्या बस ऐसे अगर दान हो जाए सहजता से दान हो जाए प्राकृतिक रूप से दान हो जाए लेकिन तुम इस बात को थोड़ा सा ढंग से समझो कई बेर मौके आते
हैं तुम्हारे मन में दान करने की भीतर से प्रेरणा आती है वो परमात्मा देता है तुम दबा लेते [संगीत] हो तुम कहते हो नहीं अगर ये चार हैं और दो दान कर दिए तो फिर मेरे पास तो दो ही बचन बस यही हिसाब किताब तुम्हें ले बैठता है किनी पति कितनी बा की किनी प त किनी [हंसी] बाकी मैन य हो हिसाब ले बैठा किनी पीती त किनी बाकी है मेन य हो हिसाब ले बैठा यह हिसाब तुम्हें ले बैठेगा ले बैठ रहा है इसलिए सभी संत कहते हैं कि इस खोपड़ी को जो हिसाब लगाती है इसको छोड़ दो हृदय हिसाब नहीं लगाता हृदय कहता है तुम्हें बांट दो और बाबा नानक बांट देते हैं
कहते हैं येले कोई सच्चा मुनाफे वाला सौदा करके आना और बाबा संतों को भूखे पेटों को भर के आ जाते हैं पिता पूछते हैं माल कते वो तो मैं सच्चा सधा कराया आपने कहा था क्या कराया भूखे थे संत चार पांच दिनों के भूखे थे उनको भोजन खिलाया इससे ज्यादा सच्चा सोदा और क्या होता है बताओ पता ने माथा पीट लिया सभी पिता माथा पीट लेते हैं ध्यान रखना बच्चा अपराधी हो जाए बलात्कारी हो जाए हत्यारा हो जाए गैंगस्टर हो जाए पिता बहुत खुश होगा बच्चा सन्यासी हो जाए पिता बहुत दुखी होगा सन्यासी होने में पिता को बड़ी तकलीफ है गैंगस्टर हो जाए पिता को कोई तकलीफ
नहीं चोर हो जाए उचक्का हो जाए ये राजनीतिक क्या होते चोर च के ही तो होते हैं जैसे जैसे दुख बढ़ेगा धरती पर जैसे जैसे दुख बढ़ेगा वैसे वैसे राजनीति बढ़ेगी आज सारी धरती दुखी है और सारी धरती आज राजनीति में घुस गई क्यों दुख के कारण दुख राजनीति में ले जाते हैं हर घर में राजनीति हो रही बड़ा भाई चाहता है मैं छोटे का हड़प और छोटा चाहता है मैं बड़े का हड़प हर घर में राजनीति होती है इसका मूल कारण है दुख एक शब्द मैंने पहले बोला इसे लिख लेना दुख व्यक्ति को राजनीतिज्ञ बनाता है अगर यह भ्रम तुम्हारे मन में हो कि राजनीतिज्ञ की चर्म सीमाओं को छूने
वाला चर्म गद्दिया पर बैठने वाला व्यक्ति बहुत सुखी है तो इस भ्रम को निकाल फेंकना क्योंकि यह सत्य नहीं है परम दुखी व्यक्ति बड़ी से बड़ी गद्दी पर बैठ जाता है और बड़ी से बड़ी गद्दी उसे सुकून नहीं दे पाते तो नाक कट जाती है तो बनावटी मुस्कुराहट से मुस्कुराते हैं यह बड़ा अजूबा है गधा कभी मुस्कुराते हुए देखा है और गधा जब मु मुता है और राजनीतिज्ञ जब मुस्कुराता है तो कहर डाल देता है मुस्कुराहट नकली होती है भीतर तो इनके आग जली होती है उससे बदला लेना है उसको दबा के रखना है उसको ऊंचे नहीं उठने देना उसका क्या
इंतजाम करना है जेल सलाखों के पीछे उसको कैसे लेकर जाना है इनका मन दिन भर रात यही शतरंज की बिसात बिछाया करता है राजनीतिक होना बड़े से बड़ा दुख है और मैंने कहा जैसे जैसे इस संसार में विश्व में दुख बढ़ता जाएगा राजनीति बढ़ती जाएगी आज तो घरों तक में राजनीति हो रही है वो जमाने गए जब पांच भाइयों और उनकी तान बैठ के जमीन पर बैठकर इकट्ठा खाना खाया करती थी और हमारे ऋषियों ने हमें एक मंत्र दिया था वसुदेव कुटुंबकम सारी वसुधा एक परिवार की तरह वो वक्त गए आज तो वक्त य है बस मैं और मेरी माशूका और आगे आगे वक्त आएगा जब ना माशूका
रहेगी ना मैं रहेगा दोनों अलग अलग हो जाएंगे तुम देख लेना जल्दी ही ऐसा वक्त आने वाला है अभी कल ही मुझे किसी ने प्रश्न पूछ लिया शादी के बारे में क्या क शादी तो बंधन है मैंने कहा देखो जिनके लिए बंधन है वह शादी ना कराए जिनके लिए बंधन नहीं है वह मजे से कराए तो फिर बच्चा पैदा करें ना करें फिर वही जवाब जिनके लिए बंधन है बच्चा ना करे जिनके लिए बंधन नहीं है वो तो आप हिसाब लगा सकते हो 161000 81 बच्चे थे भगवान कृष्ण के 16181 बच्चे भगवान कृष्ण के 1618 रानिया आठ रानिया कहते थी और एक लाख क्षमा करना 16000 100 रानिया इनवैलिड थी नहीं कोई
इनवेलिड नहीं जब कृष्ण ने अपना ही ली फिर इनवैलिड कैसे रह गई इनवैलिड तो वो होती अगर उनकी रजामंदी के बगैर उन्हें रखता वो तो उनकी याचना के उपरांत उन्हें आश्रय दिया गया यह कोई जबरदस्ती नहीं थी रानिया थी 16108 रानिया जरा भी बंधन नहीं कच्चे धागे के समान भी बंधन तुम्हारे लिए अगर एक बंधन बनता है तो मत बनाओ इट वेरी फ्रॉम बॉडी टू बॉडी माइंड टू माइंड शरीर से शरीर और दिमाग से दिमाग अलग-अलग होगा तुम्हारा फैसला जो मानते हैं शादी बंधन है व ना कर यह जो नियम और कायदे कानून समाज थोप देता है ना समाज बड़ा डिक्टेटर है समाज
तानाशाह अगर तानाशाह देखना हो तो समाज को देख लेना समाज से बड़ा तानाशा कोई नहीं समाज अन्नकूट है बाती बाती की सब्जियां चावल कढी पकोड़े बीच में डाले होते हैं उसको अन्नकूट कहते हैं समाज अन्नकूट की तरह है सबके अलग-अलग विचार इकट्ठे कर लिए गए और समाज बन गया यह तुम्हारा निजी मसला है तुम कितने बच्चे पैदा करो तुम्हारी इच्छा है अभी कल ही मेरे पास किसी ने प्रश्न पूछ लिया बाबा बड़ी दुदा में मैं आरएसएस का स्वयं सेवक हूं और हमारे सुप्रीमो ने ऑर्डर कर दिया कि तीन बच्चे पैदा करो मैंने कहा तो करो सुप्रीमो का डर तो
मानो लेकिन दूसरे क्या करेंगे मैंने कहा बिल्कुल तीन बच्चे पैदा करो सरकार से कहो हम पांच बच्चे पैदा कर देंगे जापान वाला हाल ना हो जाए यहां पर आज जापान तरस रहा है बच्चों के लिए वहां की लड़के लड़कियां बच्चे नहीं पैदा करते उनके लिए बोझ है और जिनके लिए बोझ है ना करो क्यों बोझ को रखना है सिर के ऊपर सरकार से बोल दो अमेरिका की तरह हर बच्चे का भरण पोषण बीमारी समारी में उनका इलाज खाने के लिए भोजन सभी फैसिलिटी महिया करा दो हम तीन क्या हम तो पांच कर 20 कर देंगे तुम बताओ चौके चके मारते जाएंगे लेकिन तुम्हारी शर्त है हमारी भी
छोटी सी शर्त है अरे भूखे मारने के लिए थोड़ी जन्म देंगे भोजन की व्यवस्था कर दो बीमार हो तो दवाई की व्यवस्था कर दो कपड़े लते की व्यवस्था कर दो रहने का मकान की व्यवस्था कर दो बच्चे तुम जितने कहोगे पैदा कर देंगे और इन्होंने कोई बच्चा नहीं पैदा किया बड़े मजे की बात है और जिसने कोई बच्चा नहीं पैदा किया वह ऐसी बातें कहता है कि तीन बच्चे पैदा करो य डिक्टेटरशिप है कृष्ण नहीं किसी से कहते कि पांच करो खुद करते हैं 16181 बच्चे य आकड़ा थोड़ा सा गलत भी हो सकता है आ की तरफ ख्याल मत किया 16108 रा 10 बच्चे हर एक के 10 ही थे
बस उसने हिसाब लगा रखा था 10 से ज्यादा और एक चारुमति रुक्मिणी से उसके 11 थ बेटी एक ही थी उसके बेटे का एक फार्मूला होता है तुम सोचोगे हैरान मत होना कृष्ण के बेटी एक ही थ पांडवों की बेटी हुई ही नहीं कहते हैं युधिष्ठिर ने शराप दे दिया कौरवों के बेटी हुई ही नहीं एक बेटी हुई दुशाला धृतराष्ट्र के एक ही धृतराष्ट्र की हुई एक ही कृष्ण की हुई यह क्या माजरा है एक एक फार्मूला था वो फार्मूला कानों से कान तक कानों से कान तक बहुत से लोग मुझसे खफा हो जाते हैं बाबा आप आधी बात करके फिर सारी बात नहीं बताते वाह भाई
वाह बड़े भक्त हो तुम तो भाई नाराज हो जाते हैं यह भी क्या फराक दिली हुई आधी बात बता दी आदि बताई क्या बता दूं मारने के मंत्र बता दूं सबको तुम्हे क्या पता कितने झगड़े होते हैं रोज के बाबा मंत्र बताओ मैंने तो उसको मारना है क्यों बताऊं भाई तुम मार दो नहीं तुमसे मंत्र लेकर मारना है नहीं मैं बता दुश्मनी तुम्हारी है मेरी क्या दुश्मनी उससे मेरी दुश्मनी होगी तो मैंने मट लूंगा मैं देखूंगा उसे माफ करना है या दंड देना है यह मेरा काम मारना तुमने है मंत्र मुझसे पूछ रहे हो य पुजारी वाला काम है ना करो हमारे मं में पुजार रहता था सामने गौशाला में एक
सांप था सांप निकल गया और निकलता निकलता सभी ने देख लिया सब उसके पीछे पड़ गए सांप बिल के भीतर घुस गया सामने मंदिर मंदिर के पुजारी को बुलाया गया अब नाम में क्या लू बुद्धु के क्या नाम होते हैं बुद्धु का तो एक ही नाम होता है तो उसको बुलाया गया वो मैनेजर से कहने लगा ठीक ऐसा कर इस खुड में हाथ डाल अच्छा बद्रीनाथ जी होते थे इस खुड में हाथ डाल ठीक है डाल दूंगा तू क्या करेगा मैं मंत्र पढ़ूंगा बस यह तुम्हारे तीन बच्चे पैदा करने की सलाह देने वाले मंत्र पढ़ते रहेंगे कहता मैं मंत्र पढ़ूंगा बद्रीनाथ आगे उता ता ठीक डसेगा तो
मेरे को डसेगा और तू मंत्र पढ़ेगा ठीक है जाओ जाकर टल्ली बजाओ ये लोग टलिंक कुल ठीक कहते हैं आज मानसिकता बदल गई है वातावरण बदल गया है आज वो जमाना नहीं कृष्ण वाला आज तो जमाना बुद्ध वाला भी नहीं रहा आज जमाना वो आ गया जब एक बच्चे का भार वहन तुम नहीं कर सकते मेरी बातों को ध्यान से समझ लेना यह आपको आध्यात्मिकता से में बड़ी सहायता करेंगे कोई ऐसा काम ना करो जिससे तुम्हारे दिमाग पर बोझ बने जितने जन्म चुके हो जन्म चुके हो अब ब्रेक लगा दो भाई इनको ही पाल पोस लो और प्लेन शलन बनाने की जरूरत नहीं है आगे आगे दिन खराब आ
रहे मेरे चाचा मुझे कह देते हैं कि तनाव मत लेना कोई बात नहीं शादी करवा लो कुछ नहीं होता है कोई बोझ वगैरह नहीं होता है मैंने कहा देखो तुम्हारे जमाने की बातें थी लेकिन बोझ वगैरह की मैं बातें मानता ही नहीं मेरा एक लक्ष्य है जिस दिन वो लक्ष्य पूरा हो जाएगा मैंने ठान रखी संकल्प वान हू बस उसके बाद मैं कभी भी शादी कर चाचा कहते ठीक है अब आजकल के बच्चे ने कहते थोड़ा सा स्टैंड हो लेने शादी का क्या है दो साल आगे पीछे लोग तुम्हें भरमा जाएंगे लोग तुम्हें कहेंगे वक्त बीता जाता है लेकिन तुम लोगों की बात मत सुनना समाज बड़ा उपकार परोपकारी
है इस मसले में ें बड़ी राय देगा लेकिन किसी की बात मत मानना पहली बात तो बच्चा पैदा ही ना करना यह तीन बच्चों की बात करते हैं इनसे कहो हमारे बच्चे का जन्म पालन पोषण पढ़ाई लिखाई कपड़े लते रिहाइश दवाई बोटी सारा खर्चा जीवन भर का तुम्हें पता नहीं यह बिल्कुल देंगे तुम देख लेना देंगे जापान आज दे रहा है और जहां भी आबादी कम हुई वहां ऐसा ही होता है जहां आबादी अभी घनी है अमेरिका में मेरी बहन मुझे बताती थी कि कोरोना के अंदर बाकायदा हमें घरे बैठे हमारा खर्चा मिल जाता था 000 डलर क्यों क्योंकि हमने ऑर्डर किया है वी
आर रिस्पांसिबल फॉर य तुम्हारा जो खर्चा होगा हमसे ले लो घर बैठे रहो बाहर ना निकलो बाहर निकलोगे छुआछूत की बीमारी है सबको बीमार करोगे घातक बीमारी है मृत्यु दयनी है तुम भीतर ही बैठे रहो बाबा हम तुम्हारी चेक भेज देंगे इनकी बातों में यह तीन कहे यह पांच कहे एक कहे इन्होंने खुद कोई बच्चा नहीं पैदा किया कोई देख लो दूसरों को राय देने वाले खुद बच्चा नहीं पैदा करते क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता बच्चे की कितनी तकलीफ होती है बच्चे को जन्म देना मां का होलिया बिगड़ जाता है उसको पालना पूछना बीमार हो जाए उठाकर
भागो अपनी नींदे खराब और फिर बच्चा बड़ा होकर कहता है तुमने किया है क्या अरे तू इतना बड़ा हो गया इतना ही बड़ा मैं जन्मा था बेतक की बात बे सिर पैर की तो मैंने कहा देखो भाई इसकी बात मत मानना कहता भक्त हूं मैंने कहा फिर भक्ति को ओ तीनती करो और याद रखना बेटा यह तुम्हें चूट चूट के मार देंगे मेरी मानो तो एक भी बच्चा पैदा ना करना पहले गवर्नमेंट से रखा लेना बच्चा पैदा करूंगा उसकी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी जापान बच्चों के लिए तरस रहा है और बहुत से मुल्क हैं आने वाली जैसे युद्ध में देखते हो ना अहंकार बढ़ता जाता है
बदला लेने की भावना बढ़ती जाती है नाम तो होगा पुतिन का मरेंगे भगाने बैठे नाम होगा ट्रंप का मरेंगे बगाने बैठ बैठ इन्होंने तो जवान ही हिला देनी हमारे वक्त कुछ और थे भाई हमारे से पहले हमारे चाचा यों के वक्त कुछ और थे उससे पहले कुछ वक्त और थे कोई फर्क ना पड़ता था सब बीच में ही मिट्टी में खेल खूल के बड़े हो जाते और तुमसे ज्यादा आनंद मानते आज जो तुम शहर सपाटे करके सारी जिंदगी में कुल मिला केर आनंद ले पाते हो बच्चे एक दिन के खेल में मिट्टी में खेल खेल के उतना आनंद ले पाते हैं आज वक्त हो है आज मिट्टी है ही नहीं
तो इन मूर्खों के पीछे मत जाना ये तुम्हें पता नहीं क्या कहेंगे मेरा चाचा मुझे कहने लगा बेटा बच्चे दो मैंने शादी करा ली उसके बाद पिताजी देह त्याग हुए मेरे जागों पर प्राण त्याग उन्होने और माता से बोले भगत जी को कह देना भगत जी कहते थे के शादी करा ले अब आखिरी इच्छा थी आखिरी इच्छा होती लेकिन अगर मुझे ज्ञान ना हुआ होता तो मैं उनकी बात नहीं मानता यह तो मेरा प्रण था 85 में 28 अक्टूबर को मेरा प्रण पूरा हुआ उसके बाद 87 में पिताजी कह गए और 91 में मैंने शादी करली 39 वर्ष की उम्र में एक बेटा हुआ चाचा कहने लगा
देखो अरे बेटा एक आंख का क्या मूंदना और क्या खोलना अपना ढंग होता है कहने का एक आंख का क्या मूंदना और क्या खोलना दो तो होनी चाहिए मतलब मैं समझ गया कोई इधर उधर हो जाए कुछ मैंने कहा वो तो दोनों के साथ भी हो सकता है कहता नहीं कम आसार होते हैं आसार लेकिन दो बच्चे जरूर ठीक चल दो बच्चे हो गए वही बात ई बड़ा बेटा 25 वर्ष की जवान उम्र में उसका मर्डर कर दिया अभी 10 दिन पहले मेरे पास फोन आया बाहर खड़ा आश्रम के दहलीज से माथा रगड़ रहा हूं मुझे क्षमा कर दो मैंने कहा मैंने तो कब का क्षमा कर दिया अगर दंड देना होता तो दंड दे
देता अरे छ सात वर्ष बत गए तो कहता कर दो क्षमा ही किया हुआ है लेकिन उस कसम से पूछ जिसके घर हिसाब होता है मैं थोड़े हिसाब मैं खुद अपने ऊपर हिसाब लेता ही नहीं तूने मारे हैं तू ही भुक्त मैं इसमें क्या कर सकता हूं मुझसे गलती हो गई और तुमने तो ही मारना था ना अगर तुम जन्म दे सकते थे तुम बच्चे को जन्म दे दो बच्चे को जिंदा कर दो उसी को तुम क्षमा ही हो परमात्मा की दरगाह में भी क्षमा हो यही बात तो महात्मा बुद्ध ने कहा था देवदत्त ने जाते हुए पंछी को तीर मारा फड़फड़ा के घर गया मर गया बुद्ध ने उस प्राणी को फड़फड़ा को
उठाया लेकिन व बच ना सका मर गया देवदत कहने लगा छोड़ यह मेरा शिकार है बुद्ध कहने लगे शिकार तो तेरा है है लेकिन तूने इसे मारा क्यों कहता मैं तो तीर अंदाजी सीख रहा था अब तू जिंदा कर इसको बुद्ध कहने लगे देवदत कहने लगा जिंदा तो मैं नहीं कर सकता य मुझे नहीं आता बुद्ध कहने लगे जो जिंदा नहीं कर सकता उसे जीवन को छीनने का हक भी नहीं सिर्फ जीवन को वही छीने जो जिंदा करने का सामर्थ्य रखता हो दूसरा जीवन को ना छी कोई भी तुम्हारा प्रशित य ठीक है दंड दे देते हैं 20 साल का लेकिन बच्चा नहीं जिंदा होता मैंने कहा तू चला जा यहां
से जब मैंने तुम्हें कुछ कहा ही नहीं मेरी आत्मा जलती है तो जल मैं क्या कर सकता हूं बताओ मुझे बताओ मैं क्या कर सकता हूं मुझे क्षमा कर दो कर दिया भाई बदला कब लिया यह बताओ अब इसको चैन नहीं है इसलिए मैं कहता हूं बुरे कर्म मत करो अब कर दिया इसने किसी पीसीओ पर जाके फोन कर दिया बस इतनी सी बात ही कहूंगा क्या बोला क्या नहीं बोला वो छोड़ दो पिताजी मुझे कहने लगे बेटा शादी कर लेना इनडायरेक्ट शादी कर ली दो बच्चे हो गए बहुत से भगत जन मेरे पास आए मैंने कहा क्या हुआ कहते बाबा तुमने शादी कर ली पर क्या अपराध कर लिया राम ने नहीं की कृष्ण ने नहीं की
कबीर नानक किसको मानते हो तुम बुद्ध किसको मानते हो उसने शादी नहीं की क्या यह तुम्हारी पूर्व धारणा है मान्यताएं सामाजिक मान्यताएं यह खराब खोपड़ी वालों की बातें होती हैं कि भाइयों ने इकट्ठे ही रहना है क्यों भाई अगर कोई एक रावण हो जाए या विष्ण हो जाए दोनों की मत ना मिले तो एक क्यों रहना इसलिए के बांडे खड़क रहे भाई उन्ह अलग कर दो जब नहीं मत मिलती किसी की दो भाइयों की भी तो मत नहीं मिल सकती भाइयों की छोड़ो बाप बेटे की मत नहीं मिलती कहां मिली हिरण्य कश्यप की प्रहलाद के साथ मत मिली नहीं ये कोई जरूरी नहीं
यहां तो एक परिवार ऐसा है जो आज भी कहता है हम पांचों भाई इकट्ठे हो जाए जब मत ही नहीं मिलती तो पांचों भाई क्या इकट्ठे हो ग लड़ो अलग अलग रहो बस सुखी रहो एक ही मंत्र याद रखो अलग रहो या इकट्ठे रहो सुखी रहना चाहिए सुख को मूल मंत्र समझ लो अगर इकट्ठे रहकर सुख मिलता है तो ठीक नहीं मिलता तो अलग हो जाओ लेकिन आगे आगे जमाना क्या आएगा जमाना यही आने वाला है पहले भाई भाई अलग होते थे मियां बीवी हो जाते थे इकट्ठे और अपने बच्चों के साथ रहते थे अब अपने बच्चों से भी अलग रहेंगे मिया बीवी और फिर वक्त ऐसा आएगा मिया बीवी दोनों अलग अलग रहे
तुम्हारे दिमाग की सहन शक्ति कम होती जा रही है तुम्हें पता भी नहीं सहन शक्ति कम होने का कारण है कि तुम दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर सकते सहन शक्ति कम होने का ये इम्युनिटी कम होने का यह लक्षण है तुम दूसरे को सहन नहीं करते कर सकते तुम्हारी कोई गलती नहीं छोटी-छोटी बातों के ऊपर तुम लड़ पड़ते हो क्योंकि सहन शक्ति नहीं हमारे जमाने की बातें और थी कबीर के जमाने की बातें और थी कबीर को लोही मिली और मुझे भी लोई ही मिली ऐसी सहन शक्ति अगर हो तो शादी बंधन नहीं होती फिर शादी स्वर्ग होता है स्वर्ग कौन करेगा जब तुम गिर गए चूकना तुम्हारा
टूट गया कौन करेगा बस एक साथी होगा तुम्हारा वह करेगा अगर तुम्हें लोही मिल गई तो व करेगी अगर तुम्हें अदालतों में घसीट वाले मिल गई तो तुम्हें यू विल हैव टू कमिट सुसाइड इशारा ही समझ लेना शादी करो तो पहले खोल लेना देखो अलग रहेंगे जब चाहे मैं चला जाऊं जब चाहे तू चली जा मेरे तुम पर कोई पकड़ नहीं तुम्हारी मुझ पर कोई पकड़ नहीं कोई शर्त नहीं कोई शर्त होती नहीं प्यार में यह है प्या प्यार तुम बंधन को प्यार करते हो वो भी होता है अगर बिल्कुल आसानी तरंगे एकम एक हो जाए र रांजा की तरह लेकिन कभी-कभी कोई जोड़ा बढता
है मगर प्यार शर्तों कोई शर्त होती नहीं प्यार में मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया शर्त नहीं होती प्यार लेकिन आज मौका आ गया है आज वक्त आ गया है शर्त रख दे हम अकेले ही रहेंगे और ध्यान रखना मैं तुम्हें एक बात अब आखिर में आध्यात्मिक की बात बता दू यह तो बहुत सी बातें कहेंगे आचार्य गुण तो कि बंधन है उल जाओगे यह हो जाओगे वो जाओ लेकिन मैं तुमसे एक बात कहता हूं इनके दिमाग क्यों खिले रहते हैं तुम्हारे वासों के एक चीफ धे के ऊपर बैठा हुआ इन्ह फिक्र नहीं है कोई दाल भात का इन्ह भाव नहीं मालूम है और आध्यात्मिक व्यक्ति को शादी नहीं
करवानी चाहिए शादी कर करवाए बड़े बड़े रेयरेस्ट ऐसे मिलेंगे आसानी तरंगों से युक्त फ उसको तो व उसको तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि दूसरा है भी कि नहीं जैसे वाचस्पति मिश्र और उसकी घरवाली भामती शादी करके ले आया पिता कहने लगा शादी करा दे करा दो पिता जी कोई बात नहीं बाबा नानक से कहने लगे पिता शादी करवा द करवा दो करवा दि और वह ब्रह्म सूत्र की भाष्य टीका लिख रहे थे उदाहरण दे रहा हूं तुमने किसी की नकल नहीं करनी है तुमने नकल करनी है अपने स्वय की जैसा तुम्हें अच्छा लगता है वो सेवा करती रहे दीप जला जाती सांझ होते
सूरज ढलता दीप जल जाता खाना परोस जाती पानी रख जाती दातुन कुरली रख जाती भोजन की थाली उठाकर ले जाती 30 वर्ष बीत गए ब्रह्म सूत्र का आखरी श्लोक अनुवाद कर दिया गया 30 वर्ष 30 वर्ष के बाद जब ब्रह्म सूत्र का आखिरी शब्द लिख दिया और लिख दिया इति शुभम बस पूर्ण हो गया सारा बोझ उतर गया यह करना है वह करना है पूरा ब्रह्मसूत्र का वश कर दिया तो आज कुछ थोड़ा सा इंटेंशन बाहर की तरफ आई अब तक अंतर्मुखी था उसके घरवाली आई धर्म पत्नी ने आके दीपक जलाया सांझ हुई पहली बार उसने अपने घर वाली धर्म पत्नी के हाथों का लाल चूड़ा देखा अभी तक
डाला हुआ था बड़ा परेशान हुआ हैरान हुआ बचस्पति मिश्रा यह कौन है उसने हाथ पकड़ लिया कौन हो तुम बाती ने उसकी आंखों जा क स्वामी भूल गए आप याद करो 30 वर्ष पहले मुझे शादी करा के ब्याह के लेके आए तो मस्त हो गए मैंने मस्ती में खलल नहीं डाला ऐसे भी जोड़े हुए हैं आचार्य जी ऐसे भी जड़े हुए लोही कबीर जैसे भी उसने लंबी सांस भरी बचस्पति विश ने याद तो आया बिल्कुल आया बारात लेकर गया था ब्याह के लेकर आया था लेकिन याद नहीं रहा तुम तो लाख लाख करते हो तो कुछ है ही नहीं प्री वेडिंग करते हो पोस्ट वेडिंग करते हो मिड वेडिंग करते
हो बाहर के मुल्क में करते हो यहां करते होता कुछ है नहीं य क्यों दिखावा करते हो लोगों का क्यों बर्बादी करते हो पैसों की ऐसा कुछ चलता है ज उसने कहा देखो मुझे क्षमा करता है मैं भूल गया था इसमें मेरा कसूर तो कुछ नहीं लीन होना कोई कसूर नहीं परमात्मा के भीतर ही मैं गुम हो गया था उसी की टीका लिख रहा था मस्त हो गया और मस्त होना कोई अपराध नहीं तुम कहते हो ब्रह्मचर्य का पालन नहीं होता यहां तो कंवारी लड़कियां क्या बताऊं तुम्हें सुहाग की सेज कैसे सजाई जाती है यह बता देते हैं और तुम्हें राम कथा भी सुना देते हैं भागवत
कथा सुनाने वाली किशोरिया तुम्हें यह भी बता देंगी कि सुहाग का सेज कैसे सजाया जाता है कैसा जमान आ गया भाई अभ और भी बदलेगा तुम चेतन रहना ना शादी करना अगर बंधन लगता है तो बच्चे पैदा करना अगर बंधन लगता है तो और अगर बंधन नहीं लगता तो फिर तो तुम कृष्ण जैसे हो गए कबीर जैसे हो गए कबीर के नहीं बंधन बनता नानक के नहीं बंधन बनता उद्ध को बंधन बन जाता है बंधन था तभी तो भागा नहीं तो महल ज्यादा बढ़िया था मांग के खाना कोई आसान बात नहीं हो बंधन लगा तो भागा बंधन लगा तो महावीर भागे लेकिन बस इतना फर्क था महावीर और बुध
में महावीर बता के भागे पिता से कहने लगा पिताजी मैं चला जाऊं कहते नहीं जाना मेरे रहते नहीं जाना मेरे मर जाने के बाद चले जाना कोई बात नहीं और महावीर के पिता मर गए देखिए कमाल की बात संस्कार करा के आ रहे हैं वापस बड़े भाई से बोले वह छोटे थे भैया पिताजी ने कहा था सन्यास की बात मेरे जीते जी ना करना ऐसे भी लोग हुए हैं अब पिताजी का तो अंतिम संस्कार हम कराए अब बस क्या मैं चला जाऊं यहीं से भाई तो बड़ा गुस्सा हुआ यह कोई वक्त है कहने का अरे मेरी महावन बराबर की मुझे भी तो अफसोस है कैसे संभा लूंगा इतना दायित्व देखो
मेरे जीते जी तुम ये बात मत कहना उसके बात कह लेना लेकिन महावीर पूछ कर गए जब भाई ने देखा कि इसका होना ना होना बराबर है तो फिर भाई कहने लगे देखो मुझसे गलती हो गई तुम्हे रोका नहीं जा सकता तुम अगर चाहे तो जा सकते हो तुम जब चाहे तो आ सकते हो तुम्हारा ही है और चले गए बता के गए बुद्ध आधी रात भाग के गए गोड़ों की तरह उनके लिए बंधन था महावीर के लिए बंधन नहीं था महावीर के लिए भीतर की चेतना की प्यास थी दोनों में इतना फर्क था तुम एक ही समझ लेते हो तो सीधी सी तुम्हे डेफिनेशन बता दूं प्रश्न यह भी बड़ा महत्त्वपूर्ण
था बहुत से लोग तुम्हें उत्तर देते हैं लेकिन सबके लिए उत्तर समान नहीं होते हमारे पंजाबी में एक कहावत है मां की होती है किसी को वादी और किसी को स्वादी वैसे ही किसी को अच्छा लगेगा शादी तड़पेगा किसीसी को बुरा लगेगा शादी तो अगर बंधन लगता है तो मत करवाना बच्चा बंधन लगता है तो मत जनना और जनो तो फिर आप सरकार को कह देना आज तो बंधन लगता है आज की सिचुएशन को जब मैं देखता हूं जवानों के मुख पर क्या लड़की क्या लड़का बंधन तो फिर ठीक लिवन में रहो क्योंकि ब्रह्मचर्य का पालन नहीं होता बच्चा हमने पैदा नहीं करना दिमाग पर
भोजन रखा तो लिविन में रहो और किस दिन लिविन में भी रहना खत्म हो जाएगा यह वक्त भी आएगा आप एक दूसरे का सानिध बर्दास्त नहीं कर सकोगे अब आ जाओ अध्यात्म अध्यात्म के लिए पहली शर्त है टू बी अलोन अकेले हो जाओ और अगर तुमने यह गुणवत्ता प्राप्त कर ली अकेले होने में सामर्थ हो गए आप तो तुमने समझ लो % रास्ता तय कर दिया मैं कहता हूं 99 प्र 99 पर अगर तुम अकेला होने में समर्थ हो गए कवारे तो तुम रह सकते हो लेकिन कवारा होना अकेला होना नहीं है अब यह बड़ा उलट मसला है कवारा होना अलग होना नहीं है तुम अलग हो जाओ चाहे कवारे हो चाहे
शादीशुदा हो कृष्ण इतने बच्चों के पिता है और इतनी धर्म पत्नियों के पति लेकिन अकेले उन्होंने वह तत्व जान लिया है जो भीतर अकेला है तभी कृष्ण कहते हैं अर्जुन से कि स्थिति प्रज्ञ हो जा अपनी प्रज्ञा में स्थित हो जा उन्होंने उस एक को जान लिया है जो अकेला है अगर तुम वहां पहुंचने में समर्थ हो गए तो बाहर की कोई भी जंजीर तुम्हें बांध नहीं सकेगी यही पता किया कबीर ने यही पता किया नानक ने फिर तुम्हें कोई बंधन बांध नहीं सकेगा कोई बच्चे तुम्हारे लिए बंधन नहीं बन सकेंगे जब तुमने अपना आप खोज लिया तुम अकेले होने की कला सीख गए सबसे पहले तो अकेले होने की
कला सीखो मैं तुम्हें एक रोज कहता हूं जब यहां से दीक्षित होकर जाओ ना थोड़ स दीक्षा की बात भी करलो जिन लोगों ने पहले अप्लाई कर रखा है रजिस्ट्रेशन उनको दीक्षा तो मिलेगी उनको लेकिन नए लोग कृपा करके अपलाई ना करें देखो मैं पहले भी कह चुका हूं जिस अध्यापक ने जिसने पढ़ाना है उसके लिए जिसने पढ़ाना नहीं उसके लिए तो कितने बच्चे आ जाए चाहे करोड़ बच्चे आ जाए और है लोगों के शिष्य है इतने जिसने पढ़ाना है जिम्मेवारी से पढ़ाना है और तुम्हें मुक्त करने के लिए पढ़ाना है यह मुक्ति का ही तो है पढ़ाना तो वह तो एक समर्थ्य रखेगा और हमारी
समर्थ्य पूरी हो गई हम इससे ज्यादा व्यक्तियों को नहीं पढ़ा सकते साफ साफ इसमें कोई संदेह नहीं इसमें कोई किसी तरह की झूठ फूटना इसलिए हमने आगे के लिए दीक्षा बंद कर द जितने दीक्षा हमने देनी थी वो जितने आपने अप्लाई कर लिया व हमें पता है उन सबको दीक्षा दे देंगे बिल्कुल सही दीक्षा मिलेगी उन्ह लेकिन नया व्यक्ति कोई अपलाई ना करे नए व्यक्ति को किसी को दीक्षा हम नहीं देंगे कोटा फुल है यहां हाउस फुल है और हम नहीं चाहते कि आप रलते फिरो मेरे पास आ जाते हैं बाबा यह शब्द और सुरति का मिलान कैसे होता है तुम किससे शीष ग्रहण की हो बाबा मैं तो
फलाना डेरे से आई हूं तो फिर उस डेरे से जाकर पूछो वो बाबा तो मिलते नहीं तो फिर और क्या करते हैं वो तो ब दर्शन दे देते हैं छोर क से पास से निकल जाते हैं मगर फिर इससे ही गुजर कर लिया करो संतों के दर्शन कौन सा जल्दी से नसीब हो जाते हैं ऐसा ही कर लिया करो मुझसे मत पूछो उनका अलग मसला है हमारा अलग मसला है हमसे क्यों पूछते हो लेकिन उनकी मजबूरी है गुरु दर्शन ही देता है कभी कभी जी पर बैठता है और र्क से पास निकल जाता है बस इतना सा काम है कभी कभी करते हैं वो देखो सीधी सी बात है भाई अध्यात्म का मसला है तुम अकेले होने की चे
यहां से दीक्षा लेकर जाओ सात दिन का प्रोग्राम बना के आओ छुट्टी किस तरह करेंगे सात दिन अगर नहीं कर सको तो कोई जरूरत नहीं दिमाग के ऊपर बोझ भी मत रखना दीक्षा को कर सको तो सात दिन एकांत में बैठ जाओ अकेले रहो बिल्कुल अकेले रहो अकेलेपन का जब स्वाद आना शुरू हुआ तो अकेलेपन को तुम तरसोगे दूसरे की छाया भी तुम्हें दुखी करेगी दूसरा आया तुम माथा पीटो ग कहां से दुष्ट आ गया यह वक्त भी आएगा अभी तुम ढूंढते हो चाच ताओं की संगत फिर तुम्हें प्रिय से प्रिय व्यक्ति की छाया भी बुरी लगे यह वक्त भी आएगा अकेले होने की मंशा जब तक यह नहीं आएगी तब तक तुम्हें वो
अकेला तुम अकेले हो एक को अहम दत नास्ते उसका पता नहीं चलेगा एक जो हो तुम एक होने की कला सीखनी होगी यहां से दीक्षा लेकर जाओ भरे पूरे होते हो शक्ति साथ होती है तो बैठ जाओ बड़ा आनंद आएगा यह रस आएगा और तुम वोह तुम्हें अपने भीतर जाने के लिए शक्ति दे देगा वैसे तो शक्ति तुम छुटा ते रोज खराब कर देते हो तो इस शक्ति को जो बाहर से शक्ति दी गई है इससे तुम अपने भीतर बैठो सात दिन बैठो और अगर तुम्हें एकांत में होने का स्वाद लग गया चस्का लग गया तो फिर बात बन गई फिर तुम्हें अमृत जड़ने लगेगा धीरे धीरे धीरे धीरे जहां तुम्हें अड़चन आए
मुझे कंसल्ट करो नहीं तो तुम पहुंचते ही चले जाओगे ये स्वाद ये आनंद की झलक यही तुम्हें रास्ता दिखाती रहेगी लेकिन फिर भी अटक जाओ तो मुझसे पूछ लो तो मैं बिल्कुल स्पष्ट कहता हूं कि जिन लोगों ने अप्लाई किया है रजिस्ट्रेशन करवाया है वो मत घबराए उन्हें तो दीक्षा मिल जाएगी जिन्होंने न दीक्षा ली हुई है वो दीक्षित हो गए उन्हे भी दीक्षा मिल गई और फलाइन आके यहां दीक्षा ले ले एक बार यहां पर अंगूठा लगवा ले आके उससे उसके बिना बात ना बनेगी और फिर आप एकांत में बैठ जाओ वह स्वाद जो तुमने कभी चखा एक बार तुम्हारे भीतर उतर गया
तुम्हें आज तक तो पता ही नहीं कि ऐसा भी कोई स्वाद होता है जो सुख के अलावा होता है वह है जो सुख से इलावा है और वह है तो तुम मेरी जिंदगी से ही सीख सकते हो 12 वर्ष हो गए मैं अकेला बैठा बस इसी एकांत की तुम भी तलाश करो अकेले होने का मन करेगा तो मन को बांध के दमन करके नहीं बैठोगे मन ऐसा नहीं कि कहेगा इलस्ट्रेशन चलो और तुम दबा के बैठोगे नहीं मन ही नहीं करेगा इलस्ट्रेशन की जाने का जब भीतर इतनी प्रगाढ़ता आनंद की हो खुमारी छाई हो किसका मन करता है मन ही नहीं रहता डूब जाता है मन उस रस को पीता है उस रस में तुम डूब जाते हो
जिसे उपनिषदों में कहा है रसो वैसा वह रस रूप है उस रस को तुमने आज तक उसकी जलक नहीं देखी इसलिए तुम चूके जा रहे तो मैं सत्य की तरफ इशारा करता हूं कि रस की एक बार बूंद चलो बस एक बार चक लो फिर तुम्हें किसी गुरु की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ऐसे ही भीड़ भड़के में उलझना हो भेड़ चाल में अगर इकट्ठा करके बैठना हो तो तुम्हारी मर्जी है मैं किसी को रोकता नहीं मैं किसी को निंद नहीं करता मैं किसी को गलत साबित नहीं करता मैं सिर्फ अपनी बात करता हूं मैं तुम्हें अकेला देखना चाहता हूं भीतर से बाहर से नहीं भीतर से तुम अकेले
हो जाओ और जिस वक्त तुम अकेलेपन का आनंद उठा लोगे बस फिर तो तुम अपना रास्ता ही तलाश लोगे फिर तो आनंद ही तुम्हें रास्ता दिखलाता चले जाएगा फिर मेरी कोई जरूरत नहीं है अगर गलत रास्ता पकड़ लिया तो अपने मुकद्दर पर मत रोना रास्ता गलत तुमने पकड़ा इन दुष्टों ने तुम्हें पथ भ्रष्ट किया रोते हो तुम अपनी तकदीर पर इस पर दुनिया में कोई भी हमारा ना हुआ इस पर दुनिया में कोई भी हमारा ना हुआ गैर तो गैर अपनों का सहारा ना हुआ इस भरी दुनिया [संगीत] में लोग रो रो के भी इस दुनिया में जी लेते हैं लोग रो रो के भी इस दुनिया
में जी लेते हैं हम हंसे भी हम हंसे भी तो जमाने को गवारा ना हुआ इस पर दुनिया इश्क हकीकी की तरफ लेकर जाना शब्दों को एक मोहब्बत के सिवा और ना कुछ मांगा था एक मोहब्बत के सिवा और ना कुछ मांगा था क्या करें ये भी क्या करें ये भी जमाने को गवारा ना हुआ इस भरी दुनिया में आसमा कितने सिता रे हैं तेरी महफिल में आसमा कितने सितारे हैं तेरी महफिल में अपनी तकदीर कही अपनी तकदीर का ही कोई सितारा ना हुआ अपनी तकदीर का ही कोई सितारा ना हुआ इस पर दुनिया में कोई भी हमारा ना हुआ गैर तो गैर अपनों का सहारा ना हुआ इस पर दुनिया
में श्री कृष्ण गोविंद हर मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पित मात स्वामी सखा हमा हे नाथ नारायण वासु [संगीत] देवा श्री कृष्ण ग विंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वास [संगीत] देव धन्यवाद
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