अंहकार का अंत कैसे करें?



तरुवर फल नहीं खाते है सरवर पिया हीन पान कह रहीम पर काज हित संपत्ति सचे ही सुजान बाबा इसका अर्थ क्या है 

तरुवर फल नहीं खाते है सर्वर पिय हिन पान कह रहीम पर काज हित संपत्ति सचे ही सुजान हम न्यास से शुरू करें तभी इसका असली मर्म समझाएगा अपने लिए जियो दूसरों के लिए मत जीयो चौक गए अपने लिए जियो दूसरों के लिए मत जियो बांटने की जल्दी ना [संगीत] करो चको मत यहीं से शुरू करना होगा प्रकृति से एक सबक सीख लेना सवर फल नहीं खाता है यहां से शुरू हो जाओ सरोवर पिही ना पान सरोवर कभी पानी नहीं पीता और वृक्ष कभी फल नहीं


खाता आओ इसके गहरे अर्थों में चले तो बड़े राज खुलेंगे बड़ी कीमती कड़ियां तुम्हारे सामने आएंगे मैं कहता हूं अपने लिए जी दूसरों के लिए जीने की जल्दबाजी ना करो बांटने की जल्दबाजी ना करो और प्रकृति हमें यही सबक सुखाते है चांद तारे सूरज चंद्रमा ग्रह नक्षत्र तुम्हारा फिक्र नहीं कर अपने लिए जीते हैं अपने निर्धारित मार्ग पर चलते हैं तुम्हारे कहने से जरा भी तो नहीं भटकते मार्ग परिवर्तन करते एक मनुष्य ही ऐसा मूर्ख प्राणी है जिसने अपने ताले की चाबी दूसरों के हाथ में पकड़ा रखी और दूसरे जब चाहे तुम्हें चाबी लगा


देते हैं तुमने अपना बटन दूसरों के हाथ में दे रखा है रिमोट उनके पास है जब चाहे तुम्हें ऑन कर द जब चाहे तुम्हें ऑफ कर दे रहीम बड़ा सुंदर शब्द बोलते हैं इसमें जीने का तरीका निहित है प्रकृति तुम्हें यही सिखाती है बांटने की जल्दी ना करो जब मौसम आएगा बांटने का तब बंट जाएगा खुद ही बंट जाएगा बांटने की तो तुम प्रवाही मत करना तुम भरने की परवाह करना खुद भर जाओ इन शब्दों को हृदय पटल पर लिख लेना जीने का अनिवार्य ढंग है रहीम कहते हैं रोवर फल नहीं खाते और तुम इसकी व्याख्या कर लेते हो कि दूसरों के लिए जियो दवर दूसरों के लिए छाया बनता


है दूसरों को फल महिया कराता है पेट की आग बजाता है तुम्हारी भूख मिटाता है गर्म राहों में चलते हुए तुम्हें छाया देता है तुम दो घड़ी विश्राम कर लेते हो वृक्ष के जीवन से तरुवर के जीवन से तुम्हें सबक लेना चाहिए ये क्या तरुवर छाया दे सका क्योंकि वह पहले बीज था बीज ने अपने आप को तोड़ने की सहमति दी वह टूटा फूटा अंकुरित हुआ अगर वह टूटने का साहस ना करता तो वृक्ष ना बनता आज दवर तुम्हें फल देने के योग्य हो गया छाया दे ने के योग्य हो गया तुम आज देखते हो बस यही तुम्हारी गलती है बहुत से मेरे शिष्य कह देते हैं बाबा


हम आपका अनुकरण करते हैं मैं उनसे कह दूं मेरे मार्ग का अनुकरण करना मंजिल का अनुकरण मत कर लेना अक्सर लोग यही करते हैं जब मैं कहता हूं अष्टावक्र कहते हैं तुम ही परमात्मा यह मंजिल है और तुम इसका अनुकरण कर लेते हो और अगर तुमने मंजिल का अनुकरण किया फिर तुम समझदार नहीं अनुकरण करना मार्ग का मंजिल तो मिल ही जाएगी मंजिल स्वत ही आ जाएगी मार्ग सही होगा तोत वृक्ष वृक्ष तो बन सका अगर बीज फट सका उसने अपनी आहुति मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे कि दाना खाक में मिलकर गुले कल चार होता है बांटने की जल्दबाजी ना


करना कच्चे कच्चे बांटो तो वह बिल्कुल उसी तरह होगा जैसे तुमने बीज को आग में डाल दिया वह सड़ जाएगा जो बीज वृक्ष बनकर रोवर की तरह तुम्हें छाया और मीठे फल खिला सकता था अगर आग में गिरा दिया जल्दबाजी में तो वह जल जाएगा फिर तुम उसकी घनी छाया का लुत्फ ना उठा पाओगे फिर तुम उसके फलों का स्वाद ना ले सकोगे पेट भर सकोगे जल्दबाजी मत करना यह रास्ता है धीरे-धीरे चलना प्यार से चलना सरोवर फल नहीं खाते है सरोवर पया है ना पान सरोवर अगर तुम्हें आज तुम्हारी प्यास मिटाने के योग्य हो गया तो याद रखो कभी उसमें एक बूंद भी नहीं


थी पहले वह खुद भरा आज इस योग्य हो गया कि तुम्हारी प्यास बुझा सके जब उसमें एक बूंद पानी नहीं था तभी वह तुम्हें निमंत्रण दे देता कि आ जाओ प्यास बझा लो जब तरुवर बीज था तभी आवाज मारना शुरू कर देता निमंत्रण देना शुरू कर देता आ जाओ मीठे फल खालो घनी छाया में बैठ जाओ तो तुम्हारे साथ एक धोखा था और वह खुद के साथ भी धोखा कर लेता मुझे लोग कह देते हैं बाबा तुम संत पुरुषों की निंदा करते हो मैंने कहा अगर एक व्यक्ति की निंदा करने से करोड़ों अरबों व्यक्तियों की जिंदगी खुशहाल हो जाए तो उस व्यक्ति की निंदा करना उचित


है क्यों मुझे किसी पागल कुत्ते ने नहीं काटा मुझे रविज के टीके की आवश्यकता नहीं है एक व्यक्ति की निंदा करने से आने वाली पीढ़ियां बच जाए मुड़ता से तो निंदा करना आवश्यक हो जाता है इसलिए जो व्यक्ति बोल सकता है और जानता है वोह बोलता नहीं तो वो पापी है आज यही हो गया है पहले समर्थ हो जाओ पहले तुम खुद को बलवान बनाओ अंग अंग को पुष्ट करो सुगंध अपने भीतर फैलाओ दृढ़ हो जाओ तभी किसी गिरे हुए को उठा पाओगे अगर खुद ही तुम दीन हीन दुर्बल निर्बल मरे मरे से रहे और तुमने व्यायाम ना किया और तुमने अपने शरीर की तरफ ध्यान ना


दिया तुमने मस्कुलर बॉडी ना बनाई तुमने अपने भीतर जान एकत्रित ना की तो कैसे किसी गिरे हुए को उठा पाओगे तुम सिर्फ गिरे होकर देखते रह सकते हो उसकी सहायता ना कर पाओगे तुम असमर्थ हो जाओगे इस शब्द के भीतर बड़े गहरे हीरे जो हरात छिपे पड़े हैं बांटने की जल्दबाजी मत करना क्योंकि बांटने की जल्दबाजी करना एक मूर्खता भरा काम है जब गागर भर जाया करती है ऊपर तलक भर जाया करती है और उसमें एक मंद और समाने की जगह बाकी नहीं बचा करती तो गागर बांटने की चेष्टा किया करता है बट जाया करता है क्यों गागर के भीतर समाने के लिए स्थान है


जिसने बांटने की जल्दी की उसने समझो बीज को आग में चूक दिया बीज ही खत्म कर दिया बीज की सब पोटेंशियालिटीज संभावनाओं को उसने खत्म कर दिया धीरे-धीरे रे मना धीरे सब कुछ होए माली सींचे सो घड़ा ऋतु आए फल होए धैर्य मत खोना अगर धैर्य खो दिया इस धैर्य के कारण ही तुमने सब पाना है यही तुम्हारी फाउंडेशन धैर ही तुम्हे उस नजारे तक पहुंचाएगा जब पेड़ों को फल लगेंगे जग जब बागों में फूल खिलेंगे खुशबू फैलाए हरियाली होगी चारों तरफ ठंडी सुगंधित हवाएं चलेंगी और आने जाने वाले व्यक्तियों को सुखद एहसास की प्रतीति देंगे तुमने ठीक पूछा


बच्चे इसका गहरा अर्थ क्या है महापुरुषों के वचनों को हम अपनी मर्जी से ही मोड़ तोड़ लेते हैं यह है महापुरुषों का अपमान हो ना हो तुम्हारी जिंदगी से कलवाड़ जरूर हो जाता है क्योंकि तुम उसका सही मतलब समझ नहीं पाते और महापुरुषों का भी अपमान हो जाता है क्योंकि जिस कारण से महान पुरुषों ने बोला था वह कारण तो पूरा ना हुआ सर्व पन पान दूसरों के हित के लिए सुजान जो अच्छे व्यक्ति हैं वह परिग्रह करते हैं कह रही पर काज हित संपत्ति सची ही सुजान संपत्ति का संचय करते हैं परहित के लिए तुम कच्चे कच्चे फलों को मत तोड़


लेना बीजों को बांटने की शिक्षा मत देना जिसने बीजों को बांटने की शिक्षा दी वह जल्दबाजी कर गया बीजों को शिक्षा दो कि तुम फलो फूलो बड़े हो जाओ तर बन जाओ पहले तो यह बांटना सिखाने से पहले जोड़ना सिखाना होगा अगर तुमने जिंदगी में सुखद स्थितियों को छूना है बट तो जाएगा तवर तुहे कभी पुकारते भी नहीं जब रागीर रेतीली धर्ती के ऊपर चमकते हुए सूरज के भीतर बरी दोपहरी में पसीने पसीने हो गए थक जाते हैं तर कहां पुकारा करते हैं बस तुम दवर की छाया का लुत्फ उठा लेते हो और भूखे होते हो उसके फल खा लेते हो आज नया साल है पहला दिन है


और पहले ही दिन तुम्हें मैं पहला ही पाठ जीवन का सिखा दू अन्यथा तुम कुछ भी ना सीख पाओगे मरे मरे से शक्तिहीन आनंद विहीन सुख विहीन बा टने की चेष्टा में संलग्न हो जाओगे तुम्हारे पल्ले तो कुछ नहीं है और जिसके पल्ले ही कुछ नहीं य बांटे का क्या खा लेकिन बांटने की कल्पना का मजा ले सकते हो तुम ऐसा कर रहे हैं लोग बांटने की कल्पनाओं का मजा ले रहे हैं सिर्फ बांटने की क्षमता हो ना हो तो रहीम कहते हैं सबसे पहले इस बात को ध्यान में रखो मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे सबसे पहले बीज को खुद को मिटाना होता


है दाव पर लगाना होता है और इतना साहस पैदा करना होगा बीज अगर इतना साहस पैदा नहीं कर सकता तो फिर तरब भी नहीं बन सकता छाया देने का मन है भूखे को भोजन देने का मन है और लंबी दूर तलक और लंबी देर तलक तुम तरुवर की तरह भूख मिटाना चाहते हो और छाया देना चाहते हो तो सबसे पहला काम बीज की तरह मिटना होगा कि दाना खाक में मिलकर गुल गुलजार होता है अगर मिटने का साहस ना कर पाए तो याद रखना तुम्हारी यह अंका शा भी पूरी ना हो सके कि तरर की तरह तुम किसी की छाया बन सको के तरर की तरह तुम किसी को मीठे फल कलाकर उसकी शुधा को शांत कर


सको एक गणित है सीधा सीधा गणित है मिटने से भय मत खाना बने रहने का लोभ मत करना जैसे तुम हो बीज अगर बीज बने रहने का लोभ करे यहां लोभ त्याज्य है बीज अगर चाहे कि मैं बस बीज ही बना र हूं डरे मरने से डरे प्रकट करे साहस ना कर सके खुद को गलाने का तो फिर बीज कभी तरह नहीं बन सकेगा और दूसरों को कभी छाया और मीठे फल नसीब ना हो सकेंगे सबसे पहले तुम स्वार्थी बनो तुम प्रार्थी बनने की जल्दी मत करना पर अर्थ तो हो जाएगा जैसे गागर भरती है ओवरफ्लो होती है बस ऐसे ही ओवरफ्लो हो जाएगा उसकी जल्दबाजी की तो चुके इसलिए कबीर कहते हैं कि शांति बनाए


रखना धीरज बनाए रखना माली सीचे सो घड़ा रे त आए फल होए फूल तो तभी खिलेंगे जब मौसम आएगा जब वक्त आएगा फल तो तभी लगेंगे धीरे-धीरे रे मना जीवन को अर्थ और जीवन को सही दिशा देने वाला यह शब्द अपने अंतस में बिठा लेना व्यर्थ के कचर की बजाय व्यर्थ के कचर को हृदय में बसाने की बजाय जो जो शुभ है तुम्हारे जीवन के लिए वह अपने न्यूरॉन्स में भर लेना ज्यादा अच्छा है मैं कहता हूं अच्छा वही है तो व्यर्थ की बकवास को अपने न्यूरॉन्स में मत भरो वो चाहे गीता हो चाहे कोई भी धर्म ग्रंथ हो बाइबल हो पुरान ग्रंथ हो कुछ भी हो ये


व्यर्थ की बकवास हैं इनको न्यूरोस में फीड करने की बजाय सही सही बातें जो तुम्हारे जीवन में लोगों के काम आ सकती हैं तुम अगर गीता के श्लोक रट लेते हो अभी छछ साल के बच्चे गीता के श्लोक को रटे हुए हैं बड़े बूढ़े तक इसका अर्थ नहीं जानते यद भी इसका अर्थ आपको समझा रहे हैं आचार्य का संग हो गीता के रंग हो क्या मस्ती है क्या मौज है बड़े बूढ़े तक उस तल पर जा नहीं पाए जिस तल से बोले श्री कृष्ण समझाने की जल्द बाजी हो गई बस यह वही काम हो गया कबीर से उलट चले कबीर कहते हैं जल्दबाजी मत करना धैर्य रखना धैर्य रखोगे तो बटने के लिए एकत्रित हो


जाएगा अगर फूलों ने धैर्य ना रखा होगा होता कली बनकर सुकड़ ना होते सुगंध को इकट्ठा ना किया होता प्रग ना किया होता तो आज फूल बनकर तुम्हें सुगंधी बांड नहीं सकते थे धीरज रखा जब फूल कली होती है तो परम स्वार्थी होती है अपना मुखड़ा बंद कर लेती है आप देखना कली को कैसे ऊपर से मुंह बंद होता है उसका बस यही कली की निशानी है प्रथम चरण यही है जीवन में पहले परिग्रह करो कह रहीम पर काज हित संपति सच ही सुजान संचय ना करोगे तो बांटो ग क्या अगर संचय ना करोगे बांटो के क्या फिर तो कागजी फूल दिखाओगे यह लो ये हमने यह बना दिया हमने यह बना दिया


हमने य बना दिया फिर तो कागजी फूल हमने एम्स बना दिया उसमें किसी मरीज का इलाज नहीं होगा क्योंकि है ही नहीं हमने विश्वविद्यालय बना दिया वहां आपको कोई शिक्षा नहीं मिलेगी क्योंकि है ही नहीं झूठे सपने दिखाना स्वयं के साथ भी घात करना होता है तुम्हें भी कभी ना कभी तो शर्म आएगी कभी ना कभी प्रत्येक की आत्मा जागती है और दि काती है कि तुमने यह किया तो क्या किया तुम पर अगर किसी ने विश्वास किया तो तुमने उसका प्रतिफल क्या दिया गुरु को भी ऐसा ही करना चाहिए गुरु को बांटना चाहिए बांटने का दिखावा नहीं करना चाहिए अगर कच्चे कच्चे


तुम कागज के फूल हो धरती की छाती फाड़ के निकला हुआ फूल नहीं तो फिर तुम बांटने का दिखावा मत करना दिखावा बड़े से बड़ा पाप है धरती के ऊपर उससे बड़ा कोई पाप नहीं क्योंकि दिखावा एक छलावा है होती नहीं वह चीज जिसे तुम प्रकट करने में लग जाते हो और उस दिखावे करने वाले को लोगों में प्रसारित करने वाला महापाप है फिर तुमने एक झूठ को बल दिया एक पापी को बल दिया यही तो कृष्ण कहते हैं अर्जुन गिना रहा है अपने संबंध अपने उपकार मेरे गुरु हैं मेरे भीष्म पितामह है य मेरे भाई हैं ठीक है आज लोभ के वश इनकी बुद्धि विकृत हो गई लेकिन है तो आखिर मेरे भाई


मैंने मार दूंगा तो पुनः जीवित करने की क्षमता मेरे में नहीं है इसलिए प्रभु मैं भाग जाना चाहता हूं युद्ध से मैं नहीं लडूंगा मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता लेकिन कृष्ण कहते हैं देखो अगर हम राह पर बिछे हुए खार कांटे ना चुभ पाए ना चग पाए तो फिर हम आने जाने वाले राहगीरों का बला नहीं कर सकेंगे तुम अगर समर्थ हो तो इन खार इन कांटों को चुग लो एक तरफ हटा दो ताकि यह कांटे आते जाते हुए राहगीरों के पांव में चुप ना सके रहीम कहते हैं कि संचय करना कोई बुरा नहीं है लेकिन संचय है पहले संचय होना चाहिए फिर संचय करना चाहिए तुम योग्य तो बनो बांटने


के बिना योग्य बने बांटने कि तुम बांटने लग जाओ वह तो छलावा है दिखावा मात्र छलावा होता है क्योंकि तुम्हारे पास जो बांट रहे हो वह है नहीं आज सारी दुनिया मुझे पता है बेरोजगारी से तंग है महंगाई से त्रस्त है और कुछ उसके अपने विषय वासना लोभ अंका शाए आकाश में उड़ने की अंका बड़ी कार हो और वो भी एक दो नहीं ढेरों से धर्म प्रचार काए जिसने आपका जीवन बदलना था वो कहती हैं जब एप्पल का नया मॉडल आता है मैं नहीं रह सकती उसके बिना तो क्या खाक जिंदगी को बदलो लोगों के प्रचार का को या प्रचारक को खुद दुख सह के भी जैसे तर व घनी धूप में खड़ा रहता है


खुद यह बड़ा आसान मसला नहीं है जितना तुम समझते हो यह दिखावा यह होता है कमाया नहीं है रिटन तो किया है जैसे 6 साल के बच्चे ने रट ली गीता गीता रट ली जीवन का सार ना रटा जीवन का सार ना जाना वह का खाक बांटे बड़ा होकर तुम्हें शब्द बोलेगा बहुत बढ़िया उसका फ्लो इन संस्कृत बहुत बढ़िया होगा और तुम सिर्फ शब्दों से ही मोहित हो जाते हो बस शब्द बोलने वाला निष्णात हो तुम तो धोखा खाए बैठे ही हो तुमने तो जैसे कसम खा ली है कि हम बदलेंगे नहीं खा खा लेंगे तो मैं भीतर की बात बताऊ यह अहंकार की तरकीब है अहंकार बदलना नहीं


चाहता अहंकार बदलने से डरता है बीज अपनी स्थिति को बदलने से डरता है क मटना पड़ेगा बीज को फूटना पड़ेगा तभी भीतर से अंकुर उपजे का अहंकार की तरकीब है ट्रांसफॉरमेशन से बचने के लिए कि धोखा खा जाओ कोई बात नहीं गलत मलत रिटन कर लो जैसे भी बचेंगे सड़े गले बचेंगे तो लेकिन कृष्ण कहते हैं नहीं यह भी क्या जीवन है गले सड़े जीवन के साथ जीना भी क्या जीना है नाचते गाते खुशबू बिखेरते खुशबू से खुद सराबोर होते आनंद का नजारा लेते बांटने की चेष्टा नहीं करनी बट तो जाता ही है फूल ने कभी बांटने की चेष्टा की तरब ने कभी छाया बांटने की चेष्टा की


फल बांटने की चेष्टा की वह तो आते जाते राहगीर तोड़ ले या पशु पंछी खा जाए तरुवर तो सबके लिए खुदा है वह तो पशु पंछी भी बैठ के खा लेते हैं जब भूखे होते हैं कहीं से कुछ नहीं मिलता तो तरब तो हाजर है उनके फल सदैव सभी के लिए समान रूप से विद्यमान रहीम कहते हैं बांटने की जल्दी मत करना कबीर का शब्द फिर दोहर तो धीरे धीरे रे मना इस शब्द को अगर तुम भूल गए तो जिंदगी का आनंद समझो तुमने बुला दिया क्योंकि धैर्य ही तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य तक पहुंचाएगा तुम्हारा लक्ष्य क्या है तुम भूखे हो तुम्हारा लक्ष्य है तृप्त होना पेट भरना


नहीं तृप्त होना मेरे शब्दों को थोड़ा सा गहरे से समझना करो पेट भरना तुम्हारा लक्षण है तुम भूखे हो और सिर्फ तुम्हारा पेट ही भूखा नहीं तू है [प्रशंसा] [संगीत] मेरा प्रेम [संगीत] देवता इन चरणन की दा स हूं मैं मन की प्यास बुझाने [संगीत] आई मन की प्यास बुझाने [संगीत] आई अंत ह घट तक प्यासी हूं मैं तू है मेरा प्रेम देवता तू है मेरा प्रेम देवता इन चरणन की दासी हूं मैं मन की प्यास बुझाने [संगीत] आई मन की प्यास बुझाने आई अंतर घट तक प्यासी हूं मैं तू है मेरा प्रेम देव तुम तुम्हारा सिर्फ पेट भूखा नहीं तुम अंतरात्मा तक भूखे


हो तुम्हारा मन भी भूखा है तन भी भूखा है भूख बड़ी गहरी है इसलिए मैं कहता हूं सिर्फ पेट के भर लेने से भूख शांत नहीं होती तुम्हारी शुदा गहरी है तृप्ति से कम गुजारा नहीं होगा और तृप्ति पर गुजारा हो जाएगा इससे कम पर गुजारा नहीं होगा और तृप्ति से ज्यादा भी गुजारा नहीं चाहिए गोधन गज धन बाज धन और रतन धन खान जब आवे संतोष धन सब धन धूर समान जब तुम्हें सारे धन धूल के बराबर लगने लग जाएं अब इन शब्दों को ध्यान से सुनना जब तक तुम्हें लगता है के पदार्थों से भूख मिट जाएगी तो इस इच्छा को दबाना मत इच्छाओं का दमन कभी मत


करना ये एक अनोखा पाठ है तुम्हारे भीतर इच्छा उठती है व तुम्हारे तुम्हारी ऑथेंटिसिटी का पता देती है प्रमाणिकता का तुम हो कहां तुम्हारा अंतस कहता है कि पदार्थों से भूख मिट जाएगी बिला शक पदार्थ इकट्ठा करो तुम्हारा अंतस कहता है गद्दिया से भूख मिट जाएगी पला शक गद्दिया इकट्ठी करो हीरे ज्वारा तों से मान सन्मान से काबिलियत से सूचनाओं को एकत्रित करने से सभी संसार की सूचनाओं को न्यूरॉन में भरने से तुम्हें तृप्ति मिल जाएगी बिला शक इकट्ठा करो दबाओ मत लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा जब तुम धन भी कमा लोगे गद्दिया भी कमा


लोगे हिरे जवाहरात भी कमा लोगे मान सन्मान भी कमा लोगे जनता जय जयकार करेगी सब सुख साधन तुम कमा लोगे सब जिसमें भी सुख नजर आया मन को वो तुमने देख लिया करके और फिर भी अगर तुम पाओ मन की प्यास बुझाने आई अंतर घट तक प्यासी [संगीत] हूं तू है मेरा प्रेम देवता तुम्हें लगे कभी प्यास बुझी नहीं प्यास जो की त्यों बरकरार है तो समझ लेना कि तुम्हें प्रेम की प्यास है और प्रेम ना तो खेत में उपता है प्रेम है ना बाड़ी उपज ना किसी दुकान पर मोल बिकता है प्रेम ना हार्ट बिका है और तुम्हारी आत्मा अंतर घट तक प्यासी हूं मैं कैसे प्यास हो जाएगी तू है मेरा प्रेम


देवता प्रेम ही बुझा पाएगा इस प्यास को नफरत करके देख लो मुझे लोग कहते हैं यह नफरत में धकेल रहे हैं लोग मैंने का स्वाद चख लो क्रोध का स्वाद चखो घृणा का स्वाद चखो ईर्षा नफरत सभी का स्वा चक हो क्या हरजा है शायद इसमें मिल जाए और जब तुम बखूबी पाओ मर्ज बढ़ता ही गया जूजू दबा के ये तो रोग बढ़ता ही जाता है और तुम्हें कुछ ना मिले पदार्थों में तुम्हें कुछ ना मिले पदवी में सारी दुनिया तुम्हारे सामने नतमस्तक हो जाए तुम चक्रवर्ती सम्राट हो जाओ फिर भी आत्मा की प्यास ना बुझे तो तुम समझ लेना कि यह प्यास प्रेम की प्यास


और यही मीरा कहती है हेरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द ना जान को [संगीत] री मैं तो प्रेम [संगीत] दीवानी मेरो दर्द ना जान को तो मीरा को पता लग गया ये भूख ये प्यास ये तो प्रेम की है और लोग नहीं समझते लोग यही समझेंगे के मान की भूखी है मीरा पदार्थों की भूखी है मीरा भोगों की भूखी है मीरा लेकिन मीरा के पास सब कुछ है बुद्ध के पास सब कुछ है छोड़कर चले जाते हैं उन्हें पता चल गया री मैं तो प्रेम देवानी मुझे प्रेम चाहिए पदार्थों से भूख नहीं मिटी गद्दिया से भूख नहीं मिटी उसके पास है नौकर चाकर है दास दासिया सेवक सब हैं पदार्थ हैं


हीरे ज्वारा है राजा पुत्र और राज राजा इतना सुख नहीं ले पाता जितना राज पुत्र ले पाता है क्योंकि कोई बोझ नहीं होता व्यवस्था को संभालने का राजपुत्र जितने कोई ऐस नहीं कर सकता राजपुत्र बिल्कुल खाली होता है ऐ लेने के लिए और राजा के दिमाग पर तो हजार बज होते हैं और जब जान लिया कि यह प्यास नहीं बुझती यह भूख नहीं मिटती तो आधी रात को भाग जाते हैं त घर से पुत्र छोड़ दिया पत्नी छोड़ दी मलकिया छोड़ते मीरा भी राज घराने में ब्याही थी बोजराज के साथ विधवा थी बजराज की मृत्यु हो गई लेकिन बचपन से ही प्रेम देवानी थी कृष्ण


की मूर्ति पास रखकर सोया करती थी इतनी दीवानगी मेरा के भीतर लेकिन तुम समझते हो कि मीरा को साधारण प्यास है नहीं साधारण प्यास तो पदार्थों से बुझ जाती है पेट कितना खाएगा आखिर भरेगा तुम रोज भूख भूखे होते हो रोज पेट भर लेते हो लेकिन भूख कहां मिटती है वह जो अंदरूनी भूख है वह यथावत बरकरार रहती है जब पदार्थों से सब कुछ इकट्ठा करके भी तुम्हारा मन भटकता रहे ठहरे ना संतोष ना आए सिथिर ना हो भागता फिरता रहे तो समझ लेना कि यह भूख कोई साधारण भूख नहीं है असाधारण भूख है यह प्रेम की भूख है और प्रेम की भूख प्रेम से ही


मिटेगी प्रेम क्या है प्रेम ना बाड़ी उपज प्रेम ना हाट बगाए इस प्रेम की अगर जरूरत है राजा परजा सभी के लिए समान है य नियम कायदा कानून क्या शीश दे ले जाए प्रेम तुम्हारे अहंकार की बलि मांगता है अगर दे सकना मैं समर्थ हो तो अहंकार को बलि दे दो नारियल की बलि ना दो बकरों की बलि ना दो निरे है निर्दोष पशुओं को क्यों मारते उनका क्या कसूर है चार दिन जिंदगानी जी लेने दोने उनका हक है अगर तुम ताकतवर हो इसका यह मतलब नहीं तुम निर प्राणियों की जान ले लो राजा अगर ताकतवर है इसका मतलब यह नहीं निर्दोष जनता को मारना शुरू


करते और जिसने ऐसा किया उसका अम हशर भी वैसा ही हुआ कहां बच पाते हैं हिटलर मुसोलिनी स्टालिन नहीं बच पाते प्रेम के भूख प्रेम की प्यास प्रेम से ही मिटेगी और प्रेम कैसे मिलेगा अहंकार की बलि देने से पशुओं की बलि देने से दूस की बलि देने से प्रेम नहीं मिलता स्वयं की बलि देनी होती है और अहंकार के लिए सबसे कठिन तम मसला है खुद की बलि दे देना अहंकार खुद बलि नहीं होना चाहता सब चीजों की बलि दे देगा पदार्थों को हव में फेंक देगा जीव जंतुओं की बले दे देगा कोई जमाना था जब अश्व मेद यग तो आम थे घोड़ों की बलि दी जाती


थी नर बलि दी जाती थी कोई वक्त था तुम मुझे कहते हो बाबा तुम क्यों बोलते हो इनके विरुद्ध अगर ना बोला होता तो आज नर बली शुरू रहते कुछ हिम्मतवर लोगों ने आवाज उठाई यद्यपि वो लोग भी उतने ही ताकतवर थे जितने आज ताकतवर हैं लेकिन उन्होंने आवाज उठाई सती प्रथा औरत विधवा हो गई उसका घर वाला मर गया मीरा ने साफ इंकार कर दिया मीरा कहती मैं नहीं चलू क्योंकि मेरा पति अभी जिंदा है जा के सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई किसी का पति कभी मरा है तुमने कभी सोचा तुम्हारा पति कौन है तुम्हारा पति कभी नहीं मरता नैनम छेदन शस्त्र नैनम दाती पाव का


किसी का पति कभी मरा है इस लोथर को मृत होने पर तुम दूसरे जिंदा व्यक्ति को अग्नि में स्वाहा कर देने पर तुले हो अगर कुछ व्यक्तियों ने आवाज ना उठाई होती तो आज सती प्रथा वैसे ही रहते हैं आवाज उठाने का भी हौसला होना चाए सहस के बिना यह काम भी नहीं होता बहुत से तथाकथित सूर में भेड़िए कायर जिन्होंने सिंह के लबादे पहन रखे हैं वह तुम्हारे विरुद्ध खड़े हो जाएंगे मुझे रोज फोन आ जाते हैं बाबा तेरे को मार देंगे तो मत कहा कर राधे राधे कहने से मिल जाता है मैंने कहा तुम्हें मिल जाता है तुम करते रहो मैं तुम्हें कहां


रोकता हूं मैं तुम्हें देखना नहीं आता मैं तो घर से बाहर नहीं तुम करते रहो मुझे मारने से आवाज बंद हो जाएगी क्या नहीं मानोगे बिल्कुल मुझे लगता है शर से नहीं मिलता वह मोन यह बिल्कुल विरोधी बातें हैं तलाश है तुम्हें शांति की फैला रहे हो तुम कोलाहल बना कैसे मेरे की शांति शब्द कोलाहल है नाम जप कोलाहल है और तुमने पाना है परम मौन को मौन को भी नहीं परम मोन को जहां पिन ड्रॉप साइलेंस जहां पिन ड्रॉप भी नहीं पत्ते के टूटने की आवाज भी नहीं इतना इतना चुप है वह वहां जाकर तुम्हारी वासना शांत हो जाती हैं मतलब कोलाहल मिट जाता है यह वासना ही


कोलाहल वहां जाकर तुम्हारा मन मिट जाता है मतलब कोलाहल रने वाला समाप्त हो जाता है मन ही तो कोलाहल मचाता है वह परम मौन की अवस्था है और जिन लोगों को राधे राधे करने से मिलता है वो मजे से करें लेकिन मैं ये कहता हूं कि मिलेगा नहीं मैं भी तो अपनी बात कहने में स्वतंत्र हूं ना जिसने सती प्रथा बंद की है तुम जरा सोचो जीती जागती जिंदा अभी उसकी हजारों तमन्ना शेष है और उसका पति मर गया है आग की आहुतियां में उसे भी चला दो क्यों तो कुछ प्रबुद्ध व्यक्तियों ने से सोचा यह अन्याय है जैसे आज बकरों के साथ न्याय हो रहा


है तुम अपने स्वाद के लिए बलिदान देते हो परमात्मा के नाम पर अल्लाह के नाम पर तुम बलि देते हो और बाद में क्या करते हो खुद खा जाते हो सिर्फ नाम प्रयोग करते हो अल्लाह का परमात्मा के नाम के ऊपर तुम्हारे भी बलियां चलती हैं तुम कोई कम नहीं हो सदा से ऐसे अशिष्ट व्यवहार चलते रहे हैं क्रूर व्यवहार चलते रहे मैंने कहा एक बार अश्व में तो था ही तुम जीते हो तो बेचारे अश्व का क्या कसूर क्यों मार रहे हो घोड़े को तुम्हें खुशी है तो आपस में मिल बैठो गले मेंलो ईद मनाओ तुम बगर को क्यों मार रहे हो निर्दोष प्राणियों को उन्हो तुम्हारा क्या बिगाड़ा


है उनके पास भी अधिकार है यह ठीक है तुम्हारे संविधान ने अधिकार नहीं दिया रा संविधान उस अधिकारों को खा गया वह बचारे बोल भी नहीं सकते मूख प्राणी है बेजुबान है लेकिन गिड़गिड़ा तो बहुत हैं तुम उनकी आवाज नहीं सुन पाते बात अलग है गिड़गिड़ा बहुत हैं तुम्हारे सामने कि छोड़ दो मुझे माफ कर दो मैंने क्या अपराध किया तुम्हारी बकरी द आई है तो तुम आपस में गल बकड़ी मिलो गले मिलो ईद मनाओ मुझे क्यों मारते हो लेकिन तुम ऐसे ही हो व कहानी सुनी तुमने बेड़िया की और मेमने की मेमने को देखकर लवा लवा सा मेमना बेचारा चिकना चिकना पानी पीने


आया नियत खराब होगी बेड़िया की कहते तुमने मुझे गाली निकाली मेमना कहने लगा मैंने तो गाली नहीं निकाली नहीं नहीं तुम मेरे पानी को खरा कर रहे हो पानी पानी तुम्हारी तरफ से मेरी तरफ आ रहा है तुम जूठा करते हो व मैं पी रहा हूं उसने कहा अब मंशा तो कुछ और थ ऐसे ही डिक्टेटर्स की मंशा होती है इसलिए रोज कानून बदल देते हैं पिछले साल तुमने मुझे गाली निकाली थीना कहने लगा जी पिछले साल तो मैं मेरा जन्म ही नहीं हुआ था मैं तो हूं ही सारा दो महीने का तो बेड़ी ने सोचा कि देखो खाना तो है ही बस यह तुम सीधा कहो ना कि खाना ही


है म मंशा सीधी जाहिर होनी चाहिए कि खाना है हमने लवा लवा सा चिकना चिकना मेना अच्छा लगता है कहता तुमने नहीं निकाली तो तुम्हारे बाप ने निकाली होगी अब वो कैसे क कि मेरा बाप भी नहीं थामना कहने लगा मुझे मेरे मुझे तो पता नहीं मेरा बाप कब तुम्हें गाली निकाल के नहीं नहीं बिल्कुल तुम्हारे बाप ने निकाली और उसे खा गया बस कारण चाहिए तुम्हें हलाल करने का कारण चाहिए और तुम तरसा तरसा के मारते हो कल में पड़ पड़ के दंदगी की भी कोई हद होती है मारना तो ना झटके से अच्छा ना हलाल से अच्छा जब मार ही दिया हमारे यहां कहावत है कि अपने अपने ही


होते हैं अपने अगर मारेंगे तो छाया में कराएंगे एक दिन मैं बैठा यह बात हुई मैंने कहा सुनो जब तुम मर ही गए तो छाया में डालोगे धूप में डालो आखिर तो आग में ही डाल देते हो मरने के बाद तो अपना कौन अपना वो जो मारे ही ना जो जिंदा रखने की कोशिश करे और अगर मरता भी हो आदमी तो उसे बचाए वो अपना मारेगा बेगाना बचाएगा अपना और तुम्हारी कहावतें अक्सर मुड व्यक्तियों ने बनाई तरब फल नहीं खाता है सरवर पिया है ना पान फूल की पेड़ों से प्रकृति से जीने का फार्मूला सीख लो यह मंत्र है बीच को मिटना होता है बृहद बनता है और मिटे बिना बीज बृहद नहीं हो


सकता सबसे पहले अगर प्रेम चाहिए प्रेम की पराकाष्ठा चाहिए तुम संसार के ऊपर राज करना चाहते हो तुम चाहते हो मैं चक्रवर्ती सम्राट हो जाऊं लेकिन तुम्हें पता नहीं तुम्हारी अज्ञानता है तुम चक्रवर्ती सम्राट पहले से ही हो जरा उस तल पर जब जाओगे और सारे विश्व के कण कण में जब फैल जाओगे तो तुम्हें पता चलेगा कि ओमनी प्रेजेंट तो मैं पहले से ही और जो ओमनीप्रेजेंट है उसकी सारी शक्ति भी तो उसी की है तो ओमनिपोटेंट भी तो मैं हो और जब सारी शक्ति तुम्हारी है तो ज्ञान की शक्ति भी तो तुम्हारी है तो मनि शंट भी तुम हो सारा ज्ञान भी तुम्हारा


है लेकिन पता कब चलेगा जिन खो जा तन पाया गहरे पानी पैठ मिटना पड़ेगा मिटना तुम चाहते नहीं और ऐसा कोई फार्मूला नहीं कोई तरकीब नहीं जो तुम्हारे अहंकार की इच्छा पूर्ति कर दे अहंकार चाहता है कि मैं भी बचा र हू सड़ा युक्त कैंसर का फोड़ा चाहता है मैं भी बचा रहूं और शरीर भी स्वस्थ रहे ऐसा कभी नहीं होगा शरीर मरेगा या तुम मरोगे दोनों में से एक बचेगा अगर तुमने जनता रहना है तो शरीर को मरने के लिए छोड़ दो अन्यथा अपनी आहुति देने के लिए तैयार रह जाओ कैंसराइजेशन तुम चाहते हो कि कैंसर भी बना रहे शरीर भी बना रहे यह असंभव


है दोनों चीजें जो प्रेम गली अति साकरी ता में दोना समा जब हरि था तब मैं नहीं अब हरि है मैं ना प्रेम गली अति सा कररी ता में दो ना समा दो नहीं समाते उसमें तुम्हारी इच्छा तुम्हारी अहंकार की यही इच्छा रहती है मैं भी बच जाऊं और प्रेम भी आ जाए नहीं प्रेम नहीं आएगा प्रेम आएगा प्रेम तुम्हारी बली मांगता है तो प्रेम [संगीत] मिलन की [संगीत] चा [संगीत] जतु प्रेम मिलन की [संगीत] चा शी तली धर घर मेरे [संगीत] ज तो प्रेम मिलन की चा शीश तली धर घर में र ह तुम उसका घर भी ढूंढते हो और देखो आखिर में जाना ही पड़ेगा मैं तुम्हें कहता हूं देर


अर तुम्हें अहंकार की बलि देनी है होगी इस इल्यूजन को मिटाना ही होगा आज फोड़े को ऑपरेट करा लो थोड़ी देर ठहर के साल बर बाद करा लेना इसका उपाय एक ही है ऑपरेट प्रेम की तरंग चाहते हो तो प्रेम बलिदान मांगता है तुम्हारे अहंकार का तुम्हारे इल्यूजन का यह बलिदान देने के लिए राजी हो जाओ अगर तुम राजी नहीं होते तो फिर दुखी बनो दुखी रहो क्योंकि इस चस चस करते हुए फोड़े के साथ कभी कोई चैन से सोया है नहीं सोया रात भर दिन च सकता ही रहता है यह दर्द करता है यह दुख देता है तुम्हारी जिंदगी नर्क बना दी है अहंकार ऐसा ही फोड़ा


है दवर फल नहीं खाता है सर्वर प ना पान बांटने की जल्दी मत करो पहले भरो अपनी गागर को बट तो जा प्रकृति से यही नियम सीख लो फूल का नियम सीख लो पेड़ों का नियम सीख लो सरोवर का नियम सीख लो पहले खुद को भरना होता है सरोवर पानी से भरता है बीज मिटता है तरुवर हो जाता है विशाल वट वृक्ष बनता है गागर भर जाती है तुम ना समझो कि बिखरने के लिए भरती है नहीं भर जाती है एक बूंद समाने के लिए स्थान नहीं बजता इसलिए वह बूंद बिखर जाया करती है बांटने की कोई जल्दी नहीं है गागर को बट ही जाएगा तुम उसका तो फिक्र ना करो अगर होगा ही नहीं तब बांटो के का


खाक झूठे बांटने वाले मत बनो क्योंकि तुम्हारे पास वो है नहीं परमात्मा के आनंद को बांटने वाले नफरत बांट रहे हैं गणा की आग द्वेष बेईमानी की आग झूठ की आग में तुम्हें धकेल रहे हैं और तुम आशा रखते हो कि आग तुम्हे ठंडक दे दे नहीं देगी आग जलाए कीी और जड़गे तो खोगे चलाओगे और अगर शांति चाहिए तृप्ति चाहिए शीतलता चाहिए तो नफरत की आग से बाहर आना होगा नफरत आग है वैज्ञानिक कहते हैं कि नफरत के क्षण में क्रोध के क्षण में तुम्हारे भीतर कुछ ऐसे हार्मोन पैदा होते हैं जो तुम्हारे खून को विषाक्त कर देते हैं और दंड किसे


मिला दंड उसे मिला जिसने नफरत की इसलिए बुद्ध का कुछ नहीं बिगड़ता बुद्धों का कुछ नहीं बिगड़ता बिगड़ता है जो बुद्धों से नफरत करता है और एक और भी बात ध्यान में रख लेना संत बोलेगा नहीं और कौन बोलेगा कायर तो बोलेगा नहीं पता है कायर तो कहेगा अगर मैं बोलूंगा तो मुझे मार देंगे यह साहस संत में ही होता है क्योंकि संत मर गया पहले और जो मरा नहीं उसे मरने से डर लगेगा और फिर तुम जिससे गीता सीखते हो उपनिषद सीखते हो मृत्यु से डरने वाले ऐसे लोग तुम्हें गीता सिखा पाएंगे कृष्ण तो कहते हैं जहां मृत्यु है वहां मैं हूं ही नहीं


मेरे होते मृत्यु कहां आएगी ना कोई शस्त्र में काटेगा ना कोई आग तुम्हे चराग मैं तो ऐसा हूं मैं तो था हूं और रहूंगा और तुम्हें अपने ना होने का गम सताने लगता है और तुम गीता की व्याख्या करने चले हो कब होश आएगी तुम्हें आएगी देख ऐसे ही बुद्ध बना के करोड़ों लोगों को चले जाओ कोई तो बोलेगा किसी को तो साहस बटर ही होगा यह गलत मान्यता तभी टूटेंगे मान्यता कोई भी गलत हो उसे साहसी व्यक्ति ही तोड़ पाता है सबसे पहले कहने का साहस जुटाना होगा मृत्यु का भय जिसे सताता है वह कहने का साहस नहीं कर पाएगा दूसरों का काज संवारने के


लिए सज्जन पुरुष विग्रह करते मैं तुम्हें नहीं कहता कि तुम प्र ग्रह ना करो बिल्कुल करो परिग्रह किया तो बीच टूटा और वृक्ष बना यह परिग्रह है मिटने के बाद बढ़ना होता है विराट हुआ तुम भी मिटो ग तो विराट हो जाओगे सबक सीखना तो ये सीखो जो मिटा वो विराट हुआ और तुम मिटने डरते हो प्रकृति तुम्हें सिखाती है कि जहां शुद्र मिटता है बीच वहां विराट प्रकट होता है वृक्ष फिर ही लोगों के काम आता है घनी छाया और मीठे फल देने के लिए और अगर बीज डरेगा मरने से तो वट वृक्ष नहीं बन पाएगा मीठे फल नहीं दे पाएगा तुम्हे सवर फल नहीं खाता है सरवर पिन


पान कहर हीम पर काज हित दूसरों के काज के संवारने के हेतु संचित करही सुजान संचय करते हैं अच्छे आदमी तो संचय करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन एक प्रोसेस के अधीन संचय करो और सिर्फ संचय ही ना करो तुम्हारा संचय किसी को जीवन प्रदान करें किसी को खुशी प्रदान करें किसी को छाया प्रदान करें मीठे फल प्रदान करें कोई संतोष का सुख ले सके चैन दे सके तुम्हारा त्याग किसी काम आना चाहिए और त्याग करने की इतनी जल्दबाजी मत करना त्याग को फलीभूत होने देना त्याग खुद से फलीभूत हो जाएगा तुम्हें करने की आवश्यकता नहीं जब वेला आ


जाएगी तोत फल भी आ जाएगा फूल भी आ जाएगा माली सीचे सो घड़ा ऋतु आए फल हो वो आ जाएगा उसकी फिक्र मत करना रहीम का यह दोहा बड़ा प्यारा इसको वैसे ही उठाना था और वैसे ही मैंने आपको समझा दिया ढंग से शुरू करो और विराट हो जाओ मिटने की कला सीखो प्रकृति से संचय की कला सीख लो बांटने के लिए और अगर बिना संचय किया बांटो ग तो फिर यह जो आज कर रहे हैं नकली तथाकथित वैसे ही होक रह जाओगे तुम तृप्त ना हो पाओगे तुम्हारी खुद की आत्मा चित्कार करती रहेगी तुम पानी मांगती रहेगी तुम्हारी आत्मा तुम्हारा गला प्यासा होगा रुआ रुआ


पानी पानी की पुकार करेगा और तुम लोगों को उपदेश कर रहे होगे हाउ टू बिकम ट्रिलिनेयर बिनेयर पहले यह तो देख लो बिलिनियर ट्रिलिनेयर होने में सुख मिलता है वह जो सच्चा सुख है वह मिलता है किसी ट्रिलिनेयर से जाकर पूछ लो किसी गद्दी नशीन से जाकर पूछ लो गद्दिया में सुख है भोग विलासी व्यक्ति से पूछ लो इसमें सुख है वह तो छुटकारा पाने की चेष्टा में संलग्न उनके लिए तो यह एक संस्कार बन गया है छूटती नहीं है काफिर मुंह को लगी हुई अब उनका तो यह संस्कार बन गया है अब वो छोड़ना चाहते हैं इतनी भारी कीमत चुकाना नहीं चाहते


इतने थोड़े से सुख के लिए और संत तुम्हे एक अखंड धारा में ले जाना चाहता है आनंद की अखंड धारा में तुम स्वतंत्र हो गुलामी चुनो आजादी चुनो दुख चुनो या परम सुख चुनो तुम स्वतंत्र हो धनवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरा [संगीत] हे नाथ नारायण वासुदेव पितु मात [संगीत] स्वामी सखा हमारे पित मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेव श्री कृष्ण [संगीत] गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव धन्यवाद


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