प्रणाम बाबा जी भगवान कृष्ण को बजंती माला य क्यों अच्छी लगती थ जयंती माला से क्यों इतना प्रेम था उनका यह भगवान कृष्ण से पूछा यह सवाल मुझसे पूछने जैसा नहीं यही कह सकता हूं जैसे मुझे श्री देवी अच्छी लगती है हसा मत करो इन मूर्खों को मैंने कितनी बार कहा है कि मैं जब तक बैठा हूं ऐसे प्रश्न मत किया करो जो बिल्कुल जिनका कोई अर्थ ही नहीं होता कूड़े में घराने योग्य होते हैं व जयंती माला से क्यों प्रेम था अगर मैं बता भी दूं पहली बात तो मुझे पता नहीं प्रत्येक की पसंद होती है कृष्ण भगवान की पसंद व जंती मलाथ मेरी
पसंद श्री देवी और सच पूछो तो तुम बता भी नहीं सकोगे अगर तुमसे पूछे कि तुम्हें तुम्हारी घरवाली कैसे अच्छी लगती है क्यों अच्छी लगती है तुम नहीं बता सकोगे नाक अच्छा है कि आंख अच्छी है कि मुस्कुराहट अच्छी है कि दांत अच्छे हैं कि बोलना अच्छा है ठीक ठीक से तुम्हें मालूम नहीं और यह प्रश्न पूछने से तुम्हें तुम्हा पता कैसे चल जाएगा मैं इतना बोल रहा हूं उसका एक मतलब है तुम्हें बतलाना तुम्हें उस मार्ग पर चलाना जहां जान सको हु आर यू नो द सेल्फ बजंती माला को क्यों प्रेम था कृष्ण को क्यों प्रेम था इसको जानने से
तुम अपने आप को जान पाओगे फिर क्यों ऐसे मड प्रश्न किया करते हो प्रश्न पूछने से पहले एक कसौटी कस लिया करो कि इस प्रश्न को पूछने से क्या मुझे मेरा पता चल जाएगा अन्यथा मत पूछा करो ार के सवाल है कूड़े में गिराने योग्य हैं तो इसे अपनी खोपड़ी में ही रखा करो क्योंकि तुम्हारी खोपड़ी एक कूड़ा घर बन गई मेरे से मत पूछा करो यह सवाल पूछने योग्य नहीं एक प्रश्न श्रद्धा विश्वास और अनुभव इन तीनों में क्या फर्क है बाबा आपकी 2000 की 2000 वीडियो हमने सुने हैं लेकिन अभी तक हम पूर्ण रूप से यह फैसला नहीं कर सके के इन तीनों में
फर्क क्या है श्रद्धा विश्वास अनुभव तीसरा एक छोटा सा कमेंट मेरे बेटिया का आया है बहना भी है जिसका मैंने जिक्र किया मंजू कोटा से लिखती हैं कि सतगुरु प्रणाम आपकी कृपा से मेरी बेटी बिल्कुल ठीक है जब आपने कहा यह मानसिक है तो वह सोचने लगी और आप पर विश्वास करना ही पड़ा मन में स्वीकार कर लिया स्वीकार करते ही वह ठीक हो गई थोड़ा समझा दूं यहां फिर आगे [संगीत] चलूंगा स्वीकार करना सभी रोगों की अचूक औषधि है लिख लो इस मानसिक रोगों की अचूक औषधि है स्वीकार करना बहुत बहुत गहरे में अगर स्वीकार भाव को ले जाओगे तो बड़े से बड़े शारीरिक रोग भी
खत्म हो जाएंगे मानसिक रोग तो खत्म हो ही जाएंगे शारीरिक रोग भी खत्म हो सकते हैं अगर तुम उनको पूर्ण भाव से स्वीकार कर लो तुम स्वीकार नहीं करते तुम लड़ते रहते हो इस लड़ने के कारण वह रोग ठीक नहीं हो पाता जिस शक्ति ने उस रोग को क्योर करना था वह शक्ति तुम्हारी लड़ाई झगड़े में बे जाती है वह शक्ति तुम्हारे रोगों से तुम्हें निजात नहीं दिला पाती स्वीकार बड़ा अद्भुत मंत्र है स्वीकार करना सीखो आगे जब पता चला कि सब मन का खेल है सारा सत्य सामने आ गया आपका एक एक शब्द सत्य था और वह ठीक हो गई शारीरिक रोग भी ठीक हो
गया मानसिक रोग भी ठीक हो गया अब देखिए य बिटिया दो घंटे रोज क्रियायोग करते हैं समझने जैसी चीज है मैं आपको भी समझा दूं दुनिया में बहुत से लोग दुनिया के हर कोने में क्रियायोग कर रहे हैं और मैं तुम सभी क्रियायोग करने वालों को बतला दूं कि क्रिया योग के करने से आपके भीतर की धूल उड़ेगी उड़कर आएगी चेतन [संगीत] में चेतन में उस धूल को पकड़ना मत अगर पकड़ोगे तो गड़बड़ हो जाएग व भय भी होगा जजला भी होगी क्रोध भी होगा सभी कुछ होगा जो दमन किया है तुमने मैंने कल की वीडियो में बोला था कहां से चली यात्रा पत्थर से तुम
इकट्ठा ही करते आ रहे हो और आज मानस की योनि में आके सारा भरा पड़ा है गले से भी ऊपर आ गया है सारा अचेतन मन तुम्हारा कूड़ा से भरा पड़ा है इसको पोसिस करके तुम अब एक नई विपत्ति सामने लाने लगे फर्श के ऊपर तुम झाड़ू चलाते हो धूल उठती है व धूल ऊपर जाती है चेतन मन में आती है तो उसको निकल जाने दो तुम उसके साथ चिपट जाते हो यही प्रॉब्लम है तुम्हे विकार तुम्हें ऐसे ही मारते हैं विकार आते हैं तुम्हारे दिमाग में चेतन में और तुम उन विकारों के साथ चिपट जाते हो यह तुम्हारा अभ्यास हो चुका है जिसे हमारे ऋषियों ने संस्कार
कहा जब तुम क्रिया योग करते हो दो घंटे का क्रिया योग तुम्हारे धूल धमास को सब उखाड़ फेंके और वो कहां जाएगा चेतन में आएगा चेतन चेतन से उसे बाहर निकलने दो बाहर निकलने का ढंग मैंने बहुत बार बतला दिया है कि तुम साक्षी होकर बैठे रहो वह अपने आप कैथर सेस हो जाएगा निकल जाएगा अभी कैथो सिस की पूरी प्रोसेस मेरे श्रोताओं को समझने आई कल भी एक कमेंट आया था बाबा यह कथ स हम सबको समझ नहीं आता अब सारी बातों का खुलासा हो जाएगा इस बात में तुमने क्रिया योग किया या नहीं क्रिया योग किया धूल उठी व चेतन में आती है चेतन में आती किसलिए है अब यह समझा दूं
तुम्हें चेतन में आती है बाहर निकलने के लिए तुम्हारे भीतर जो दबा था वह काम था वह क्रोध था लोभ था मोह अहंकार मद मत्सर कुछ भी था वह जब बाहर आता है जब फल पक जाता है तो नीचे गिरता है और धरती उसे अपनाने से इंकार करते तो क्या हो ना तो वह पेड़ पर जा सकता है जो फल पक के घर गया है धरती उसे अपनाने से इंकार कर दे तो वह ना तो टहने से जाकर जुड़ सकता है धरती उसे स्वीकार नहीं कर पाती तो फिर क्या होगा फिर वह फल पागल हो जाएगा जाऊं तो जाऊं टहनी ने छोड़ दिया है क्योंकि मैं पक गया हूं पृथ्वी मुझे अपनाने से इंकार कर रही
है तो मैं क्या करो इस उधेड़ मुन में वह पागल हो जाएगा ऐसे ही तुम्हारी जिंदगानी मैं तुम्हें एक बात समझाता हूं क्रिया योग नहीं भी करते हो तो भी कैथस भीतर से आता है वो कैथस आता है तुम्हारे चेतन में ये सारा काम क्रोध लोभ मोह अहंकार यह भीतर से आई हुई ऊर्जा की तरंगे हैं यह बाहर निकलने के लिए आई हैं इन्हें कैथस कहते हैं और जब यह बाहर निकलने के लिए आई हैं जब तक मन में रहेंगी चेतन में तब तक तुम भारी रहोगे और इनकी गिरफ्त में रहोगे काम आया तुम उनकी ग्रस्त में रहोगे तुम्हारे शरीर के अंग प्रत्यंग काम से ग्रस्त होकर फड़फड़ाने
लगेंगे और तुम काम से ग्रस्त हो जाओगे तुम्हें कोई उपाय नहीं दिखता आखिर में तुम भोग लेते हो यही गलती खा जाते हो मैं तुम्हें कितनी बार बताया है सहज भाव से भी काम आए या क्रिया योग करके भी काम आए वह धूल है मात्रा यह सभी विकार जिन्हें कहते हो वह मात्र धूल है क्रोध भी लोभ भी मोह भी इसको आने दो चेतन में आया है निकलने के लिए आया है निकलने के लिए आया है उसे ही मैं कथ सेस कहता हूं तुम इसे रोक कर बाधा पैदा करते हो तुम खुद ही अपने विनाश को बुलावा देते हो हमारे पंजाबी में कहावत है आप बला दुपहरा कट जा इस बला को तुम अपने दिमाग में पाल लेते
हो चिपट जाते हो उसे जाने नहीं देते आई है वह निकलने के लिए वह वृत्ति वह ऊर्जा की तरंग और तुम उसे पकड़ लेते हो और फिर तुम कहते हो कि यह मुझे छोड़ती नहीं पकड़ा तुमने है उसे याद रखो संसार ने कभी किसी को पकड़ा नहीं संसार की सुंदरता से मुग्ध होकर तुमने संसार को पकड़ा है संसार कभी किसी को पकड़ता है तो इसको छोड़ दो यह निकलने के लिए आया है इसको निकल जाने दो कैसे निकलेगा तुम कोई व्यवधान ना खड़ा करो तुम आराम से बैठे रहो जैसे नींद की अवस्था में होते हो वैसे ही तुम आराम से अपने भीतर बैठे रहो साक्षी धीरे धीरे धीरे धीरे यह जो कूड़ा
धूल उठा है यह वातावरण में चला जाएगा निष्कासित हो जाएगा और तुम निर्भर हो जाओगे थोड़ी ही देर में तुम पाओगे वक्त किसी के 10 मिनट भी लग सकते हैं और किसी का एक घंटा दो घंटे भी लग सकते हैं आराम कर लो इतनी देर भोगना तो बड़ी विराट शक्ति को क्षीण करना है जब झाड़ू फेरते हो क्रिया योग के मेरे पास बहुत से ऐसे प्रश्न आए हैं सभी का जवाब मिला जुला के दे रहा हूं बाबा कैथर सस समझ नहीं आ ये कथ सस तुम क्रिया योग करते हो धूल उठता है नहीं भी करते हो तो भी धूल उ उठता रहता है ध्यान रखना उसी को तुम कहते हो विकार जो सहज से
दूल उठता है क्रिया योग से थोड़ा ज्यादा उठता है यह जल्दी अपने अचेतन को खाली करने की प्रक्रिया है क्रिया योग से तीव्र हो जाती है प्रक्रिया निष्कासन की तो इसको निकल निकल जाने दो इसको रोको मत तुम इसको पकड़ लेते हो यह निकलने के लिए आया है और फिर तुम चलाते हो बाबा ये काम मुझे छोड़ता नहीं ऐसा कैसे हो सकता है काम तुझे छोड़ता नहीं तुम काम को पकड़े हुए हो क्रोध मुझे छोड़ता नहीं नहीं तुम क्रोध को पकड़े हुए हो सभी विकार तुम्हें नहीं पकड़ते तुम विकारों को पकड़ते हो अब इस बात को कंठस्थ कर लो हृद स्त कर लो लिख के रख लो कमरे में
जब भी कभी काम आए क्रोध आए विकार आए उसको पढ़ लिया करो यह कैथर सस है धूल है भीतर से उठी हुई बिल्कुल व्यक्ति ब्रह्मचारी रह सकता है बिल्कुल रह सकता है बिला शक तुम्हारे सभी डॉक्टर्स फेल हो जाएंगे बुद्ध 40 साल तक घूमते फिरते हैं व्याख्यान देते हैं एक गाम से दूसरे गाम 5 हज की फौज साथ है आनंद सदा साथ रहता है 24 घंटे निर्लिप्त बने रहते हैं य निर्लिप्त बड़ा प्यारा शब्द है अगर तुम निर्लिप्त बन जाओ लिप्त ना हो इन विकारों के साथ तो विकार यह धूल है यह निकल जाएगी बाहर इसको निकल जाने दो इसको तुम पकड़ लेते हो क्या हुआ इस बिटिया के इसने दूल को
पकड़ लिया व मृत्यु का भय था वो किसी ऊर्जा का गलत प्रवाह था बिटिया लिया रोक लिया तो इसने पकड़ लिया जोर से थाम लिया इसने और वही बात चिल्लाने लगी मुझे छोट नहीं रहा अरे भाई तुम इसको छोड़ दो यह तो जड़ है अचेतन है तुम चेतन हो तुमने इसको पकड़ा है तुम इसको छोड़ दो और जैसे ही इसने छोड़ा निर्भर हो गई बिल्कुल सीधी सी प्रक्रिया इसलिए मैं रोज कहता हूं यह जो बाबा बागेश्वर एक य और बैठा होता है ये सांड सा बैठा होता है उसका नाम नहीं मेरे को पता क्या वो जिन्न निकालता रहता है मैंने कभी एक आद मेरे पास भेज दे हरामखोर कितनी देर हो गई मेरे को कहते एक
यह मंडा मेरे पास ही भेज दे तेरा जिन वगैरा लेकिन कोई हो तो भजे य पाखंड है वापार है इसका और व्यापार के ऊपर जब चोट आती है तो मेरे पास तुम्हें बतलाता है मेरे पास दिन में चार बार धमकी आती है बाबा मार देंगे अरे मार दो कि कहते ही रहोगे आओ भी तो लेकिन मुझे पता है तुम कायर हो तुम मृत्यु से डरते हो मेरी छाती खुली है तुम्हारी गोलियों के लिए मैं तो बाहर भी चला गया तुमसे गोलियां चली इसमें मेरा कसूर नहीं किसी वक्त आपको पत्र में सारी बात व्याख्या करके लिखूंगी इस विपत्ति काल में आपका मेरे से बात कर लेना जीवन दायन सिद्ध
हुआ और हम एक बहुत बड़ी मुसीबत से बच गए सभी समस्याओं का हल कर गया धन्यवाद तो बहुत छोटा शब्द है जीवित गुरु की आवश्यकता क्यों है यह मुझे आज समझाई मेरी भावनाओं को मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती परमात्मा आपको लंबी उम्र दे आपको स्वस्थ रखे और आप सभी दुखी परिवारों की मदद करते रहे न जाने कितने लोग जैसे हम तांत्रिकों के मंदिरों के स्यानो के चक्कर में भटक गए थे और कितना कुछ धन बर्बाद हो जाता है बर्बाद हो जाते हैं लोग मैं तुमसे कहूंगा लुट जाना तुम्हारी इच्छा कौन रोकता है कई व्यक्तियों को लुट जाने का मजा आता
है दिलो जा लुटाने को जी [संगीत] चाहता निगाह मिलाने को जी [संगीत] चाहता वो तोहमत जिसे इश्क कहती है [संगीत] दुनिया वो तोहमत उठाने को जी [संगीत] चाहता किसी के मनाने में लज्जत चु पाई किसी के मनाने में लज्जत चु पाई के फिर रूठ जाने को फिर रुठ जाने को जी चाहता है अगर जी चाहता है लुट जाने का तो तुम्हारी मौज जाओ इन सांडों के पास जाओ लुटेरे हैं पाखंडी तुम्हे चूस लेंगे तुम्हें कंगाल कर देंगे जब जागो तभी सवेरा बिटिया है मेरी बहन भी बनी हु कोटा से है राजस्थान से ऐसे बहुत से पीड़ित मैं कहता हूं सारी दुनिया पीड़ित
है बहुत तो वैसे लगा देता हूं मैं सारी दुनिया पीड़ित जो अपने आप को समझदार समझते हैं वही पीड़ित है प्रत्येक व्यक्ति कोई ना कोई अवधारणाओं को दिन में सं जोए हुए उससे चिपका हुआ है यही कारण है कि तुम उस खुशी के तल को छू नहीं पाते इस चिपका से हटो तो वहां छलांग लगे छलांग लगाने को जी तो बहुत चाहता है तुम्हारा लेकिन चिपका हट को छोड़ने का जी नहीं करता और यह दोनों बातें उट है चिपका को छोड़ोगे तो छलांग लगेगी कैथस का है समझ आ गई होगी क्रियायोग करते हो या नहीं भी करते हो हर वक्त तुम्हारे भीतर के अचेतन मन क्योंकि भरे
पड़े हर वक्त धूल धवास उठती रहती है और धूल धवास तुम्हारे चेतन में आती है तुम कहते हो विकारों ने हमें घेर लिया नहीं यह सहज स्वाभाविक प्राकृतिक क्रिया यह निकलते ही रहेंगे कभी मृत्यु का भय आएगा कभी काम वासना आएगी कभी क्रोध वासना आएगी लोभ आएगा कभी मोह आएगा कभी अहंकार आएगा आएगा सहज है घबराओ मत हम टू एरर यही एरर है इनसे घबराना मत और प्रशित मत करना अगर हो जाए तो प्रशित करना उससे बड़ी बेवकूफी है भोगने से बड़ी बेवकूफी भोगने के बाद प्रयास करना है बहुत से क्रोधी लोग होते हैं क्रोध करके पछताते हैं मैंने क्यों किया अब मत पछताओ कुछ
नहीं होगा अब तो तुमने तीर कमान से निकाल दिया काम वासना को भोग लेते हैं डम से गिर पड़ते हैं फिर पछताते हैं हाय मैंने शक्ति क्यों ख आप मत पछताना या फिर से निकल दे जाने देना रास्ता है भाई ऐसा नहीं है ज बंद गली है बंद गली नहीं है य चेतन मन रास्ता है लेकिन इसको जाने का मौका भी तो द इतना भरा पड़ा है कूड़ा इसको थोड़ा थोड़ा निकल जाने दिया करो निकलता रहेगा तुम निर्भर रहोगे और ऐसे ही तुम मुक्त होगे मैंने कल समझाया था एक कण से चली थी यात्रा तुम्हारी देही जिसको भगवान कृष्ण कहते हैं जिरना अनन आनी सती नवानी देही एक कण से चली थी जुड़ते जुड़ते
जुड़ते लोग साथ आते गए और कार्मा बनता गया आज तुम देही बन गए हो और देही तुम्हारी जान का जंजाल बन गया अब यह कैथर सिस होता है तो कैथस भी नहीं होने देते हो पकड़ लेते उसको इसको छोड़ दो निकलने का रास्ता है दो रास्ते हैं या तो इंद्रियों के द्वारा भोग लो नीचे से निकाल दो अगर ओज में परिवर्तित करना चाहते हो तो इस वर्त को जो आ गया है चेतन में इसको किथ से सो जाने दो निकल जाने दो इसको भोगो मत बिना भोगे निकल जाने दो लेकिन तुम्हारा लोभ काम करता है मेरे पास लोग आ जाते हैं बाबा जब काम आ ही जाता है तो आपसे क्या बताएं कैसी शर्म आप तो जान
ही जान है घट घट के अंतर की जानते तो फिर मन में आता है लोभ खा जाता है मन क्या भोग ले थोड़ा सा आनंद ले ले बस यह लोभ मत किया करो मैं तुम्हारी सबी शरार तों को जानता हूं इन शरार तों में से मैं निकला हू ऐसा मत करो यह सब शरारत मैंने की इन गलियों से मैं इन रेतीले स्थानों से मैंने भी पांव लबड़े हुए हैं दूध धुला मैं भी नहीं मेरी जिंदगी से कुछ सबक लो जैसे मैं कहता हूं वैसे चलते चले जाओ ये निकलेंगी इसको निकल जाने दो ये सब कुछ मुझे भी सताए था ओवरकम कैसे किया ऐसे आपको तरीका बतला रहा हूं मैं कोई शिवर थोड़ी लगाता हूं मैं तो
ओपन में बोलता हूं कि किसी का भला हो जाए और आज किसी का भला ना हो तो छोड़ के जाऊंगा यह सारा मसाला कभी किसी का भला हो जाए क्योंकि ढंग तो यही रहेगा तुम्हारे विकारों को निकालने का और इस ढंग को बताने वाले खो जाएंगे भोगने वाले ही रह जाएंगे तो उस अंधकार के गहन अंधकार के क्षण में मेरी ये वीडियो उनके लिए टिम टमा आता हुआ दीपक बनेगा राहत दिखला वाला दीपक बनेगा इसलिए छोड़ के जाऊंगा बोलता हूं जिन्होंने अब इसका फायदा उठा लिया उठा लिया नहीं तो जो क भी किसी को जरूरत पड़ेगी अंधकार भी आएगा गहन अंधकार अमावस्या की रातें भी
आएंगी और उन अमावस्या की रातों में सिर्फ अमावस्या की रातों से नहीं चलेगा अंधकार और भी गहरा होगा काले मेघ भी छाएंगे अमावस्या की रात को बिल्कुल अंधकार हो जाएगा और हाथ को हाथ नहीं दिखेगा उस में जब तुम्हें कुछ नहीं सजेगा तुम्हें यह वीडियोस मार्गदर्शन करेंगे क्या अभ संकट काल में हम क्या करें तो इनको संजो के रखना संभाल के रखना अपने बच्चों को गिफ्ट में देना इन शब्दों को जब कभी चूक जाओ तो इनको सुन लेना इनमें तरीके हैं इन मंत्रों से इन फार्मूला से ध्यान रखना जब कोई मंत्र कहते हैं मंत्र का मतलब फार्मूला होता है इस फार्मूला से इस ढंग
से तुम मुक्त हो सकते हो विकारों से अगर कोई कहे कि विकारों से मुक्त नहीं हो सकते तो वह मूर्ख है बस उसने कोशिश नहीं की या वो होना नहीं चाहता विकारों से मुक्त हुआ जा सकता बुध कैसे मुक्त हो गए क्रोध से थूक जाते गालियां निकालते बट्टे मारते टे मारते बुद कुछ नहीं बोलते सी कुछ आया उनके सामने क्या कुछ बताए बहुत सी वैश्य ने कोशिश की इसका चरित्र हन करते हैं लेकिन उन्होंने उनके पांव छू लिए माते ऐसा मत करो दुश्मनों की सब चालें बेकार हो गई तब आपके काम आएंगे ये शब्द टेक्नोलॉजी ने बड़ा सुंदर फूल खिलाया है ये संजोग के रखना अपने क्लाउड में
आने वाली पीढ़ियों को काम आएगा समझ आ गया अभी आपको कैथर सिस कैसे होता है सरल सा मेथड था पहले भी समझाया अगर फिर भी ना समझाया हो तो फिर बोल दूंगा मुझे कोई आपत्ति नहीं मेरा काम तुम्हें समझाना है तुम्हारा शोषण करना नहीं तुम्हें और उलझाना नहीं तुम्हारी उलझी हुई गांठों को खोलना है कोई चाहे खुलवा ले कोई नहीं चाहे तो मोज करे लेकिन कम से कम ऐसे प्रश्न मत पूछा करो यह प्रश्न कैथस का से मुक्त होने का तरीका है इससे तुम जान सकोगे जब तुम हल्के हो जाओगे सब साफ हो जाएगा शीशे की तरह पारदर्शी ट्रांसपेरेंट तुम आर पार देख सकोगे हु आर
यू लेकिन वह जो पहला सवाल बजंती माला क्यों अच्छी लगती कृष्ण को यह कोई सवाल है यह मत किया करो ऐसे कोई अच्छे सवाल करो जिससे तुम्हें भीतर का स्वाद चखने को मिले तुम कुछ पॉजिटिव विधायक चीजें लेकर जाओ जहां से जो तुम्हारे जीवन में जिंदगी को जीने के काम आए अगर कोई है तुम्हें बतला वाला तो उसका लाभ क्यों नहीं उठाते ते क्यों भटके फिरते हो भटकने को और जगह बहुत है वहां भटक लो मेरे पुत्र को जब मैंने शक्ति पात किया उसने एक सवाल किया सत्य एक देख लिया पहुंचा नहीं लेकिन देख लिया सतो को वो घटना सत्य एक तो दर्शन ेक सत्य एक है जो मैंने
देखा तो यह दर्शन ेक न्याय वैशेषिक संख्य योग मीमांसा और वेदांत दर्शन छह क्यों सत्य तो एक है देख लिया लेकिन ध्यान रखना गुरु नानक ने सतो की घटना साढ़े साल की उम्र में पाई थी और प्रबुद्ध हुए 36 साल की उम्र में जाके संबोधि घटी 36 वर्ष में साढ़े वर्ष ये सब कैथर सेस होने में निकल गए खाली होने में निकल गए इतने साल इतने जन्मों का कूड़ा इकट्ठा किया तुम्हारे भी वक्त लगेगा कितना लगेगा कोई नहीं जानता लेकिन हां इतना अवश्य है जिसे स तोरी की घटना एक बार मिल गई वह एक दिन पहुंचेगा ज वह एक दिन मुक्ति जरूर हो जाएगा सरी की घटना मिलते
सी स्टप जाती है लिबरेशन कि तुम खाली हो जाओ एक दिन तुम्हारा जिसे देही कहते हैं भगवान कृष्ण यह गल जाएगा बिगर जाएगा टूट जाएगा वाष्प बन जाएगा यह सेतु टूट जाएगा बीच का पुल टूट जाएगा य सेतु ही तुम्हें उलझा देता है तो सत्य एक तो छे दर्शन क्यों पहली बात छह तरीके हैं उस सत्य तक पहुंचने के लेकिन ध्यान रखना तुम इनके अंदर उलझ मत जाना दर्शन का मतलब है मगज ख पाई ये छह के छह दर्शन इनसे परमात्मा नहीं मिलता और जो दर्शन के ऊपर भी बोलते हैं वेदांत पर मीमांसा पर न्याय पर वैश शिक वह तो और भी बड़े पागल है जिन्होंने खोजा वह बादरा हो व जमनी हो
व कपिल हो उन्होंने सिर्फ मगज कपाई दर्शन का मतलब है जो दिमाग को खराब करता है दर्शन का मतलब है जो बुद्धि से तर्क वितर्क में आ जाए दर्शन का मतलब अनुभव नहीं ध्यान रखना एक प्रश्न आगे भी पड़ा है लेकिन मुझे लगता है मुश्किल है वक्त फिर बीता जाता है दर्शन का मतलब अनुभव नहीं है जिसे तुम दर्शन कहते हो फिलासफी को वह तो मगज खवाई है शब्दों का जंजाल है जाल इससे तुम शास्त्रार्थ भी कह लेते हो क्योंकि शास्त्रों में कोरी बकवास है शब्द तो बकवास ही हुआ करते हैं मैं राम राम हो या राधे राधे शब्दों में सत्य नहीं होता जहां है वहां शब्द
नहीं वहा धन है बड़ी प्यारी धन शब्द नहीं है शब्द खो जाते हैं बहुत पहले हृदय से पार जैसे ही उतरो ग उससे जंक्चर पॉइंट पर जाओगे शब्द खो जाएंगे उससे पहले ही हृदय से चलते ही शब्द खोना शुरू हो जाएंगे और जंक्चर पर पहुंचते ही शब्द बिल्कुल खत्म हो जाएंगे दर्शन का मतलब मगज ख पाई इसलिए परमात्मा को पाना है और तुम तुम्हारे पास कितनी भी कीमती शास्त्र पढ़ा है कितना भी कीमती कहता हूं उसको पहले गंगा में बहा देना आग लगा देना नहीं मन करता तो लमारी में बंद कर दे उसमें है कुछ नहीं निकलेगा कुछ नहीं निकलेगा क्या तुम्हारा यह देही और बढ़ जाएगा थोड़ा
सा और देही को हमने वाष्प बनाना है देही को हमने बढ़ाना नहीं है देही को हमने और ज्यादा मात्रा नहीं देनी है ये सभी तुम्हारी आस्था एं विश्वास सूचनाएं सूचनाओं को और बढ़ा लोगे तुम जानकारियों को और इकट्ठा कर लोगे तो देही ऐसे ही तो बढ़ा है तुम्हारा देही और बढ़ जाएगा सूक्ष्म शरीर और बढ़ जाएगा और हमने है सूक्ष्म शरीर को खाली करना और फिर सूक्ष्म शरीर से निजात पाना अभी तो सूक्ष्म शरीर तुम हो तुम सर भी हो तुम सभी जानते हो पानीपत की लड़ाई कब हुई हालांकि एक मत नहीं तुम्हें तो कबीर तक का पता नहीं बाकी तो छोड़ो कबीर
छोड़ो अभी जो 10 मिनट पहले कोई वारदात हुई उसका भी तुम ठीक ठीक अंदाजा नहीं लगा सकते तुम किसी भी चीज को कंफर्म करके नहीं कह सकते लेकिन फिर भी उ इतिहास के साथ चपड़ जाते हो जिन्होंने राज करना होता है वह तुम्हें इतिहास में ले जाते हैं जो ईमानदार आदमी है वह इतिहास बनाता है मेरी इस बात को लिख लेना कमरे में दीवारों पर चिपका लेना महान व्यक्ति इतिहास बनाया करते हैं और मूर्ख व्यक्ति इतिहास खंगाला करते हैं अगर कोई इतिहास को खंगालना शुरू कर दे तो समझ लेना इसका कोई निहित स्वार्थ है अन्यथा कोई इतिहास जैसे मुर्दा चीज को
क्यों खंगा लेगा औरों के घर के झगड़े ना हत ना छेड़ त औरों के घर के झगड़े ना हक ना छेड़ तू तुझको बेगाने क्या पड़ी अपने ब जो खुशहाल करने के लिए आए थे देश को वह बात 5 400 साल पुरानी करते हैं गद्दी मिल गई है गद्दी से उतार दो वही पुरानी बातों प आ जाएंगे रुपया क्यों करता है मैं मह क्यों बढ़ती है फिर यह जो आज कहते हैं महंगाई बढ़ती है यह आखी मंद लेंगे यह एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं सभी हरामखोर हैं मैं रोज कहता हूं आपसे य तो कोई कभी ईमानदार आए ईश्वर खुद ही उतरे जैसे कृष्ण ने कहा प्रत साधु नाम विनाशाय चकता धर्म
संस्थापन संभवा युगे युग फिर उद्धार होगा नहीं इन दुष्टों ने धरती को नर्क बना दिया है नर्क तो फिर भी अच्छा है नर्क में बारूद वगैरह नहीं मिलता पंडितो से पूछ लो मैंने तो कभी नहीं देखा यह तो दर्शन करके आए हुए हैं ये तो कुंभी पाक के अंदर भी गोता गता लगा के आए अन्यथा व्याख्यान क्यों करते हैं देखो ना जो चीज देखी है ये कुंभी पाक सड़ता हुआ मवाद रुद्र ये मवाद में पड़े हुए कीड़े उसमें तुम्हें गरा दिया जाएगा यह जो व्याख्या करते हैं ना या तो झूठ बोलते हैं समझो मेरी बात जैसे मैं इन किशोरियों के बारे में बोला करता हूं जब यह बात संभोग की करते
हैं या इधर उधर की बातें करते हैं तो मैं इन्हें कहता हूं देखो या तो इनका करेक्टर ढीला है याय झूठ बोलते हैं दोनों में से एक बात है तो पंडितों के बारे में मैं यही कहता हूं या तो यह झूठ बोलते हैं अगर झूठ नहीं बोलते तो फिर यह उन कीड़ों में से निकल के आए हैं कुंभी पाक के पूरे पूरे दर्शन करके आए हैं इतने योजन दूर है दूरी तक नाप के आए हैं तो अवश्य खूब गोते खाक आए होंगे कड़ा हो में इनके पकोड़े भी बुने होंगे अन्यथा कौन कौन बताता तो इन्होंने दर्शन किए होंगे तभी तो कोई बता पाता है बाबा नानक कहते हैं कि दर्शन के बिना
कैसे व्याख्यान करोगे उतर गयो मेरे मन का संशय उतर [संगीत] गयो उतर [प्रशंसा] गयो उतर गयो उतर गयो मेरे मन का संस मन का [संगीत] संस उतर गयो उतर गयो उतर गयो मेरे मन का [संगीत] संसार जब तेरा दरसन पायो [संगीत] ठाकुर तुम सरनाई आयो ठाकुर [संगीत] तुम सरनाई [संगीत] आयो बिना दर्शन के अनुभव होता दर्शन ही अनुभव है और जो कहता है कि नर्क होता है मैं उनसे बहुत कहता हूं नहीं होता भाई मैं ने खंगाल लिया सब जग नहीं बाबा होता है होता है होता है तो फिर तुमने चखा होगा अपना अनुभव और अनुभव को तो मैं नकार नहीं सकता तो सिर माथे
आपका अनुभव जब तुम कीड़ों मकड़ों में गुजार के आए हो तो मैं क्यों तर्क करूं अवश्य ही तुम अपना अनुभव कह रहे हो तो बोलो होगा फिर तुम्हारे लिए होगा मेरे लिए नहीं दर्शन दिमाग की मगज कपाई दर्शन शास्त्रों में मत उलना अगर शास्त्रों में उलझ गए ना खुदा ही मिला ना बसाले सनम ना इधर के रहे ना उधर के रहे कुछ नहीं मिलेगा शास्त्रों से पढ़ने से अच्छा काम धाम कर लेना कोई चार पी से जुड़ेंगे महंगाई का जमाना है शास्त्रों को मत पढ़ना वक्त खराब होगा इनमें है भी कुछ नहीं शब्दों में कुछ नहीं होता जो है वह शब्दों के पार है शब्दों
में ढूंढने का प्रयास मत करो य खट दर्शन खट दर्शन सब मगज ख पाई व बादरा हो व जमनी हो व कपिल हो और पतंजलि हो कुछ हो मगज किसी में कुछ नहीं है शब्दों में कुछ नहीं वोह चले गए और जो वो लिख गए उनका सही अर्थ आप कर नहीं सकते क्या बोल के गए पतंजलि और तुम अर्थ क्या कर दोगे उसका तुम अर्थ के अनर्थ कर दोगे मत ढूंढो शास्त्रों में नहीं मिलेगा शब्दों में शब्दों से पार है तुम्हारा अस्तित्व और तुम अपने अस्तित्व को ढूंढो बस यही तुम्हारी जरूरत है मैं रोज कहता हूं अगर तुमने सारा सामान इकट्ठा कर लिया और जरूरत पूरी नहीं
की इच्छाएं पूरी कर ली भोग भोग लिए सुविधाओं के सुखों के साधन तुमने पैदा कर लिया जरूरत पूरी नहीं की तो तुम्हारे से बड़ा म मू कोई नहीं अपनी मूर्ता को छोड़ो बहुत जन्म बीते मेरे माथ जन्म तुम्हारे लेखे थोड़ा सा जन्म तो कुछ वर्ष तो उसके लेखे लगा दो परसों मेरे पास किसे एक संप्रदाय के संप्रदाय चलाते हैं बहुत से शिष्य किसी से पता लग गया होगा कि बाबा माथे पर अंगूठा लगाते हैं और भगवान शंकर ने आशीर्वाद दे रखा है कि बस आप कुछ ना करो मुक्त हो जाओगे बिल्कुल ठीक है मैंने कहा ठीक है तो बाबा ऐसा है बोलो य थोड़ा सा अंगूठा मेरे भी लगा
दो क्यों देखो क्या आपसे क्या झूठ बोल मिला तो कुछ है नहीं फिर लोगों को क्यों मूर्ख बना रहे हो क्या करें बाबा धंधा है पीढ़ियों से चला रहा है ये गद्दी नशीन पीढ़ियों से चला आ रहा है ये लालच लोभ ठुकराया भी नहीं जाता हम कोई बुद्ध थोड़ी है तो थोड़ा सा अंगूठा मेरे भी लगा देते आपको वरदान है बाबा का मुक्त हो जाएंगे करते धरते तो हम वैसे भी कुछ नहीं करेंगे भी कुछ नहीं करा भी कुछ नहीं मेला भी कुछ नहीं सच बताता हूं आपसे क्या झूठ बोल र मेरे चेहरे की रंगत देख लीजिए आपके आनंद की मिठास का कोई मुकाबला नहीं और तुम मैं बोलता हूं कहां क करता
हूं कृपा कर दो मैं रात बरात आ जाऊंगा देखो लोगों से नजर छुपा के आऊा थोड़ा सा अंगूठा लगा देना मेरी नैया पार हो जाए इन मूड़ों के बारे में दुष्टों के बारे में मैं क्या कहू लोगों को उपदेश दे और बड़े चाप से सुन रहे लोग बड़े चाप से सुन अंगूठा बाबा से लगवा ले मुक्ति का स्टेंप मिल जाए लोगों को भी बेवकूफ बनाते रहो मैंने कहा अच्छा ऐसे करो लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करो मैं अंगूठा लगा बाबा यह तो बहुत मुश्किल शर्त है थोड़ी सी आसान शर्त लगा दो ऐसे ऐसे केस आ जाते हैं मैं माथा पीट लेता हूं यह दिन भी देखने थे देही बनने की प्रक्रिया मैंने कल आपको
समझाई जर्रे से शुरू हुई और आज देही तुम कहते हो मैं सारे संसार का सर्वश्रेष्ठ मानव हूं मैं सब पर राज करने के योग्य हूं देखो तुम्हारा देही आज कितना विराट हो गया है देही को विराट मत करो देही को तो फना करना है देही को तो वाष्प भूत करके वातावरण में उड़ा देना विराट तुम हो जैसे ही देही को तुम उड़ा दोगे देही को विराट होने का गर्व है देही विराट नहीं है देही को भ्रम है कि मैं विराट हूं एक दूसरे भी होते हैं जिन्हें भ्रम नहीं होता जो वास्तव में विराट हो जाते हैं अहंकारी को भर्म होता है कि मैं विराट हूं मैं सारी दुनिया पर राज करने के योग्य
हूं मैं कभी मरूंगा नहीं सर्वशक्तिमान सर्वव्यापक हूं सर्व सर्वज्ञ हूं यह देही होता है देही यानी अहंकार जिसे तुम सारी दुनिया आज मैं कहती है मैं उसे देही कहता हूं और कृष्ण ने इस इस श्लोक को मैं इतना अधिमान क्यों देता हूं इस श्लोक को इतना अधिमान सिर्फ इस देही के कारण देता हूं एक शब्द इसमें है बस अगर यह तुम्हें समझा जाए तो बात बन गई जर्रे से इकट्ठा हुआ आज देही बन गया सर्वव्यापक बन गया सर्वशक्तिमान बन सर्वज्ञ बन गया लेकिन यह है नहीं और जितना यह सर्वज्ञ बनने की चेष्टा करेगा सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापक बनने की
चेष्टा करेगा विराट और बृहद बनने की चेष्टा करेगा उतना ही तुम दुखी हो जाओगे इसका विराट होना तुम्हारे लिए दुखदायक है य ज्यादा विराट हो जाएगा तुम ज्यादा दुखी हो जाओगे य कम विराट रहेगा धीरे-धीरे कम होता जाएगा तो तुम सुखी होते जाओगे कम दुखी रहोगे और जिस दिन यह फना हो जाएगा उस दिन तुम सुखी हो जाओगे मिटा दे अपनी हस्ती को अगर कुछ मर्तबा चाहे कि दाना खाक में मिलकर गुलो गुलजार होता है अपनी हस्ती को मिटाना होता है और तुम्हारी हस्ती क्या है यह मैं जिसे भगवान कृष्ण देही कहते हैं इसको मिटा दो यह इकट्ठा हुआ है जन्मों जन्मों तक और
तुम्हें मानव का चोला इसीलिए दिया है कि तुम सारे जन्मों के भ्रम इस जन्म में तुम्हें बुद्धि दी है तुम्हें सारी इंद्रियां दी है सूक्ष्म इंद्रियां दी है स्त दी हैं तुम इस बुद्धि से और बुद्धि के पार जाकर तुम्हें सभी तल दिए गए हैं तुम इनको नाप कर इनके भीतर उतर कर इस देही को खाक कर सकते हो अपनी हस्ती को मिटा सकते हो आज तुम्हारी हस्ती यह देही ही है देही को ही तुम मैं कहते हो देही यानी इल्यूजन यह ब्रह्म है तुम्ह मैं हूं यहां तक ठीक है लेकिन मैं विराट हूं यह गलत है शास्त्रों से आए शब्दों से आए तो पाप है अनुभव से
आए तो सत्य है अनुभव से तुम्हें पता चले कि मैं विराट हूं वह सत्य है मैं सर्वव्यापक हूं जब तुम फैल जाओगे जरे जरे में फैल जाओगे कण कण में तुम ही होगे उपनिषद की वो श्लोक ईशा वास मदम सर्वम यत किंच जगत आम जगत यह अनुभव से आया हुआ ऋषि के अनुभव से आया हुआ श्लोक अगर अनुभव से आएगा मैं विराट हूं सर्वव्यापक हूं सर्वज्ञ हूं तुम सब जानते हो एक छोटा सा प्रश्न और कवर करलो पूछा है कि आप कहते हो कि परमात्मा तुम्हें गाइड करेगा वह कैसे उस तल पर पहुंच जाओ जिसे मैं जंक्चर पॉइंट कहता हूं उससे थोड़ा सा नीचे जाओगे परमात्मा की आवाज तुम्हें
स्पष्ट सुनाई पड़ेगी यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे सारा ब्रह्मांड भीतर है और पिंड के इस क्षेत्र में जो इस जंक्चर पॉइंट से थोड़ा सा आगे निकलोगे परमात्मा तुम्हें स्पष्ट गाइड करता हुआ नजर आएगा वहां तुम्हारे सब मोह टूट जाएंगे ब्रम टूट जाएंगे कंफ्यूजन मिट जाएंगे क्योंकि वह तुम्हें बताएगा कि ऐसा होगा और वह होगा उसी पॉइंट पर जाकर लाव से कहते हैं कि परमात्मा जो करता है ठीक करता है और भले के लिए करता है उसी पॉइंट पर जाकर लाउ से को पता चलता है जब परमात्मा बताता है कि यह होगा और हो जाएगा तुम लाख टालने की कोशिश करो नहीं
टलेगा लेकिन तुम वहां जाते नहीं इस डर के मारे नहीं अभी तो तुम्हें पता अगर तुम्हें पता चल जाए कि ऐसा पॉइंट है जहां परमात्मा पलपल पर आदमी को बताता है कि यह होगा यह होगा ऐसे करो ऐसा करो तो अगर व्यक्ति उससे उल्ट चले तो परमात्मा कहता है ऐसा होगा तो वैसा होगा अगर उलट चले तो ऐसा ही होगा जैसे डॉक्टर कहेगा अगर तुम जहर पियोगे तो मर जाओगे फिर भी तुम जहर पी लो तो क्या होगा मरोगे परमात्मा कहता है ऐसा चलोगे तो सही मेरे विधान में होगा नहीं चलोगे तो मत चलो तुम स्वतंत्र भी हो यही गलत होता है अभी मैंने जब 30 अप्रैल को मैं गिरा चूकना टूटा उससे
10 दिन पहले मुझे मु बाबा बता के गए विपत्ति काल शुरू हो गया मार्क दशा शुरू हो गई बृहस्पति मेरा मार्ग है मार्क दशा शुरू हो गई महादशा और इसमें विपत्ति काल शुरू हो गया है लेकिन मुझे पता है संभ लूंगा क्या खा क्या खाक संभ लूंगा मैं संभलना भी चाहा तो नहीं संभल पाऊंगा लेकिन मैं गिरा 10 दिन के बाद में गिरा मुझे आगाह करने के बावजूद भी मैं गिरा मैं आगाह हुआ ही नहीं मैं जानता था यह होगा कोई फायदा नहीं उस विराट से लड़ने का कोई फायदा नहीं समर्पण कर दो यह होगा तो होगा ठीक जैसी तेरी मर्जी उसी में हम राज हमारी दोनों तरफ से बाबा
है तुम जैसा चाहते हो वैसा करो और वहां जाकर व्यक्ति देख लेता है संसार में मेरा कुछ नहीं मेरा तो छोड़ो इस संसार में मैं ही नहीं हूं इस संसार में जो भी कुछ है वह एक ही तत्व है उस एक तत्व को नाम चाहे कुछ दे लो अल्लाह कह लो राम कह लो रहीम कह लो राधे कह लो कृष्णा कह लो राम कह लो नाम तुम्हारा भाषाएं तुम्हारी लेकिन अस्तित्व एक वह ही है वहां जाकर तुम समझ पाओगे कि तुम हो नहीं तुम्हारा होना एक छलावा है और तुम इस छलावा में अटके पड़े हो वहां जाकर तुम्हें सब तुम्हारे खुल जाएंगे पाखंड सब गुथ यां खुल जाएंगी गांठें खुल
जाएंगे उससे थोड़ा आगे चलोगे तुम्हे पता चल जाएगा हु आर यू जो रमन कहते हैं नो दाय सेल्फ रिमेंबर योरसेल्फ गुरुजी कहते हैं सारे संत कहते हैं अपने आप को जान लो यह जो मरेगा अब का देही मरेगा तो वास्तव जो तुम हो आत्मा उसका पता चलेगा तो गोरख कहते हैं मरो मरो हे जोगी मरो मरो मरण है मीठा यह बड़ा प्यारा शब्द अगर तुमने इस देही को गल जाने के उपाय ढूंढ लिए और यह गल गया तो तुम पाओगे जैसे जैसे यह गलेगा और भाप बनकर उड़ेगा वाष्प बनके वैसे वैसे तुम हल्कान पाओगे अपने आप में तुम्हें मजा आएगा जीने का तुम कहोगे हां यह है
जीना और यह गलता जाएगा तु भार मुक्त होते जाओगे बंधन मुक्त भी होते जाओगे भार मुक्त भी होते जाओगे जैसे जैसे गले जाओ वैसे-वैसे तुम निर्भर हो ग और जिस दिन यह पूरा गल गया दे ही रहा ही नहीं उस दिन तुम पाओगे एक ही तत्व बचा देही विहीन देह विहीन नहीं देही विहीन नई शब्द बोल रहा हूं मैं तुम्हारे शस्त्र में तुम्हें मिलेंगे नहीं कृष्ण ने देही बोला उसका अर्थ सेही नहीं हुआ जिस दिन तुम देही विहीन हो जाओगे उस दिन तुम यह तीनों चीजें सर्वव्यापक सर्व शक्तिमान और सर्वज्ञ तुम्हें सब कुछ पता होगा तुम सब कुछ ठीक कर सकोगे वि लोग कह देते हैं जब आप उस तल पर
जाते हो और आप सारे संसार को दुखी से सुखी बना सकते हो तो क्यों नहीं बनाते बड़ा सुंदर सवाल कर देते हैं और अपनी जान में वह बहुत बड़े हित चिंतक हैं दुनिया के चाहे सांझ को एक मुर्गा लपेट के आए बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हैं जब आप वहां जाकर संसार को दुख और रोग मुक्त कर सकते हैं फर करते क्यों बिल्कुल कर सकता हूं मैं झूठ नहीं बोलूंगा आई हैव कैपेसिटी टू डू लेकिन मैं करता क्यों नहीं फिर मुझे जवाब दे दो परमात्मा सब कुछ कर सकता है वह करता क्यों मैं तो उसकी संतान हूं अभी तो य घड़ा फूटा भी नहीं अभी तो मैं उसमें समा भी
नहीं वह जो कबीर जैसे नानक जैसे समा गए वह क्यों नहीं करते बताओ वह मीरा वह नानक वह कबीर वह कृष्ण वह राम व क्यों नहीं करता व मोहम्मद व क्यों नहीं करता तुम मुझे कहते हो तुम्हे एक बात बता द फर उसके बाद बताने को कुछ बाकी नहीं रहेगा य उसकी लीला है अगर इस लीला में मैं व वधान डालूंगा तो मजा करक हो जाएगा खेल खेलने का कोई मजा नहीं आएगा य तब त खेल सुंदर लगता है जब तक ठाके लग रहे हैं और चीखें चिल्लाहट निकल र हैं जब तक तुम्हारे स्वर्ग भी है और तुम्हारे नरक भी है पाखंडी भी है सत्यवादी भी है सभी चेहरों से युक्त यह
संसार परमात्मा की खेल है और जिस दिन इस खेल से पर्दा उठ गया उस दिन तुम पाओगे कि इतने जन्मों तक व्यर्थ में है पर्दा लेकर घूमते रहे उसका खेल है लेकिन वैज्ञानिक बुद्धि तर्क युक्त बुद्धि दार्शनिक बुद्धि इस बात को स्वीकार नहीं करेगी इसका प्रतिकार करेगी और प्रतिकार ही नहीं करेगी इसके प्रतियोगी बनेगी इसका जवाब देगी फिर यह जो होता है यह कतल गारत यह सब यह सब तो व दंड देता है भाई वह खेलता है तो व न्याय भी तो करता है मान वो खुद खेलता है लेकिन खुद के साथ भी तो न्याय करता है अन्याय नहीं करता व खुद के साथ शायद तुम्हारी जिंदगी में ऐसे क्षण आए
हो जब कोई ना हो खेलने वाला और तुम ही हो कोई लड्डू खेलने लग गए कोई कैरम खेलने लग गए मेरी जिंदगी में ऐसे क्षण आए दूसरा कोई नहीं मैं खुद से ही खेलने लगा कैरम खेल रहा हूं इधर गट्टी आ गई इधर रख दी उधर गट्टी आ गई उधर रख दी इतनी ईमानदारी से रख दी बेईमानी किसके साथ करू खुद के साथ तो बेईमानी होती नहीं दोनों तरफ मैं ही तो हूं कोई दूसरा है ही नहीं तुम खेल खेलते हो रुपया जोड़ते हो मान सन्मान गद्दिया लेकर जाते हो तो तुमने कभी सोचा है क्यों जोड़ते हो ये खेल नहीं है खेल है तो मैं खेला कैरम खेला लुडो खेला आखिर में मैं ही जीता मैं ही हारा
तुम कभी खेल के देखना तुम जरूर तुम्हारी जिंदगी में यह क्षण आया हो हमने फुर्सत के मरहले बहुत देखे हैं फ फुर्सत के मुकाम बहुत देखे तो बहुत बार मैंने अकेले में कैरम खेला है कैरम बो लुडो भी खेला है ईमानदारी से खेला है क्योंकि बेईमानी किसके साथ करू जब मैं ही हूं खेलने वाला तो बेईमानी करूं तो किसके साथ करूं बड़ी ईमानदारी से खेला जब खेलने वाला मैं हूं दोनों तरफ से इधर बैठ जाता फिर उधर बैठ जाता जाके फिर गिट की को खिलाता और ईमानदार से जो भी कोई काली आ गई कोई सफेद आ गई कोई लाल आ गई तो उसको रख लिया और बाद में हिसाब किताब लगाया यह
पासा जीत गया यह पासा हार गया हार भी मैं गया और जीत भी महंगा यही खेल यह जीवन का खेल है परमात्मा का तुमने कुछ बनाया नहीं अगर बनाया हो तो बता दो तुम्हारे बाप ने कुछ बनाया बता दो ये गंगा किनारे बैठे 100 100 पीढ़ियों का नाम ले देंगे पंडे इनसे पूछना 100 पीढ़ियों के नाम गना देंगे इनसे पूछना कि इन्होने कुछ बनाया 100 पीढ़ियों में नहीं बनाया किसी ने कुछ नहीं कमाया सभी ने कमाया गमाया सभी बनाया किसी ने कुछ बनाने वाला वह एक है और आखिर में तुम्हें पता लगता है व बनाने वाला मैं ही हूं कल ही मेरी किसी संत के साथ बात हो रही
थी मैं उससे बोला तुम कहीं भक लो तुम कुछ प्रचार करलो गीता पर बोल लो उप बोल लो अष्टावक्र प बोलो आखिर में मेरी शरण में आना पड़ेगा यू विल हैव टू कम टू सरेंडर मी इन द लास्ट कहीं फिर लो कहीं बोक लो आखिर में तुम्हें मुझे समर्पण करना ही पड़ेगा धन्यवाद श्री कृष्ण गोविंद हरे [प्रशंसा] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी पित मात स्वामी सखा हमारे पित मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण
वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारा यन वासुदेवा धन्यवाद
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