बाबाजी की वीडियो का Text Version
आपकी बेटी का लालच हम अपनी हार स्वीकार करते हैं हम किसी लायक नहीं ईश्वर ही जाने हमें क्यों बनाया कृपया गुस्सा मत होएगा मां नहीं है मेरी तो आपसे सब कह देते हैं क्षमा प्रार्थी है हमें ब्लॉक मत कीजिएगा इस दुनिया में हम कहीं फिट नहीं बैठते मिसफिट है भले ही आप हमें चोर भगोड़ा कुछ भी कहो लेकिन हमें किसी भी तरह की कोई लड़ाई या युद्ध नहीं करना है इस दुनिया में किसी चीज से किसी चीज के लिए हम अपने आप को योग्य नहीं मानते हैं यह आलस है या हार का स्वाद या मां के मरने का सत्य अवलोकन हमें नहीं पता पर हमें ऑफिस में घटन महसूस होती
है मेरा मन नाटक नौटंकी में नहीं लगता हमें लोगों से और उनकी फालतू बात से तथा दुनिया और दुनियादारी से घटन पैदा होती है हम अपने घर में शांति से जीवन बिताना चाहते हैं लेकिन कायरता वश बिता नहीं पाते कभी-कभी ख्याल आता है कि मर जाएं आपकी वाणी हमें सुकून देती है कुछ भी अच्छा नहीं लगता लेकिन हम जिंदगी के एरिया में फेल हो चुके हैं बहुत बेइज्जत हो चुके हैं सब समझ लिया अब दुनियादारी और दुनिया में फंसना नहीं चाहते बस वही करना चाहते हैं जिससे सुकून और शांति मिले आप से मिलकर जिंदगी को एक सहारा मिला आपकी बेटी दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ख
है बाबा जी बड़े-बड़े सपने देखती है और मुंह के बल गिरती है हमारी कुछ औकात नहीं है हम ख्याली पुलाव बना लेते हैं मरना चाहते हैं आपकी बेटिया यह बात कोई हैरानगोइथॉन्ग साइकोल जिस्ट कहते हैं कि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसने अपनी जिंदगी में दो चार बार मर जाने की बात ना सोच क्यों होता है ऐसा व्यक्ति जीना चाहता है लेकिन फिर मरने की इच्छा क्यों हावी हो जाती है और कुछ लोग तो मर जाते हैं क्या है कारण आइए आज हम इस बृहद प्रसंग में गहरे उतरेंगे चल उड जा ार पंछी के अब ये देश हुआ [संगीत] बेगाना चल पड़ जा रे पंछी के अब
ये देश हुआ [संगीत] बेगाना चल पुड़ जा रे पंछी [संगीत] खत्म हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था खत्म हुए दिन उस डाली के जिस पर ते रा बसेरा था आज यहां और कर है वहां ये जोगी वाला पेरा था यह [संगीत] तेरी यह तेरी जागी नहीं थी चार घड़ी का डेरा था ददा रहा है इस दुनिया में किसका आबो [संगीत] दना चल उड़ जा रे पंच के अब ये देश हुआ बेगाना चल उड़ जा रे [संगीत] पंछी वैसे भी इतनी जल्दी मरने कि क्या है मौत तो कुदरत ही तुम्हें दे देती है इतना अधैर क्यों है लेकिन मैं जानता हूं एक छोटे से जीवन में इतना छोटा जीवन कि तुम ठीक से नहा खा भी नहीं
पाते खेलकूद नहीं पाते बचपन था खेलने कूदने के लिए कहां खेले जवानी थी मस्ती मनाने के लिए कहां मनाई प्रोड अवस्था थी एकांत में गुजारने कहां को जर है और वृद्धावस्था थी शांति और सुख से आनंद में वगन प्रभु के स्मरण के खुद को याद करने के क्या हुआ है मानवता को कुछ नहीं हुआ तुम मरना चाहते हो और तुम अकेले व्यक्ति नहीं हो आज मेरे पास 100 से ज्यादा ऐसे कमेंट जो मरना चाहते हैं बाबा हम मरना चाहते हैं जैसे मेरी परमिशन के लिए रुके हो मरना क्यों चाहते हैं शायद तुम ठीक से जानते नहीं ऐसा अमूल्य जीवन ऐसा शानदार जीवन यह बताओ
अगर मर गए तो फिर जिंदा हो पाने की क्षमता है तुम तो फिर मर जाओ जो स्वास चला गया और तुम मृत हो गए उसके बाद तुम अपनी इच्छा से मर तो गए लेकिन अपनी इच्छा से अगर जीना चाहोगे बाद में गलती हो गई भाई यह तो मिस अंडरस्टैंडिंग हो गई थी मर गए क्या जी पाओगे अपनी इच्छा से जो व्यक्ति जी सकता है उसे मरने का अधिकार है लेकिन मैं जानता हूं कि लोग क्यों मरते हैं अपेक्षाएं गनी अपेक्षाओं से भरा भरा चित और जिंदगी उन अपेक्षाओं को पूरा नहीं करते तुम सुने सुने से रह जाते हो तो फिर अपने आप को हारा गिरा थका मादा बेसहारा टूटा टूटा सा महसूस करते हो
वह स्थान होता है जब तुम चाहते हो किसे अच्छा मर जाए सोचा था सूरज को छू लूंगा तारों को छू लूंगा तारों को तोड़कर धरा पर ले आऊंगा ऐसा हुआ नहीं और बेटिया ऐसा होता भी नहीं यह कारण है मरने के ख्यालात आने का तुम्हारी अपेक्षाएं बड़ी घनी है जवानी की उम्र है ना जाने क्याक सोच होगा वक्त ने पूरा नहीं होने दिया जो चाहा था वह सरकमस्टेंसस ने पूरा नहीं किया वक्त ने किया क्या हसी सितम तुम रहे ना [संगीत] तुम हम रहे ना [संगीत] हम वक्त ने किया क्या क्या क्या हसी सितम हम रहे ना हम तुम रहे ना तुम वक्त ने किया तुम्हारी अपेक्षाएं गनी
है तुम आसमान में बड़ा ऊंचा उठना चाहती हो और तुम्हारे पास जो साधन है वह इसका इजाजत नहीं देती यही मरने का कारण है तो जरा संतों के जीवन की तरफ भी देख लो कबीर के पास एक जुग्गी झोपड़ी है और वह ऐसी मस्ती से गीत गाता है कि तुम्हारे राजा महाराजाओं की शान शौकत फीकी हो जाती है अकबर नहीं समझ पाता कि स्तंभ के त मेले कुचले फटे हुए वस्त्र पहनकर कोई व्यक्ति नाच भी सकता है और अकबर शाहाना पोशाकों के अंदर भी दुखी है हां तुम्हें जीवन का सलीका नहीं आया और संत तुहे जीने का सलीका सिखाता है संतों से सीख लो कैसे जिया जाता
है संतों की बातों में तुम्हें जीने का तरीका मिल जाएगा शास्त्रों में नहीं मिलेगा तुम जिंदगी को जीने के तरीके शास्त्रों में खंगाल हो मुर्दा शास्त्र तुम्हें कभी जिंदगी की बात नहीं बता सकेंगे वो मर्दा है ना बोल सकते हैं ना खा सकते हैं ना सांस लेते हैं ना दिल तड़कता है उनका जीवंत गुरु से पूछो उस गुरु से पूछो जो भीड़ में नहीं बैठा जो एकांत में निकल गया है और खूब मस्त है प्रसन्न है हरि गीत गाता है ज मीरा की तरह अग्नि ब्र अग्नि में तकती हुई अग्नि की ज्वाला से निकले हुए वो गीत तुम्हारा कोई भी तराना उसके सामने
फीका पड़ जाएगा और मेरा कभी मरते ना आन कह गए अज ना आए लीना है मोरी खबरिया [संगीत] मोहे भूल गए [संगीत] सांवरिया फूल गए [संगीत] सांवरिया दिल को दिए क्यों दुख विरहा के तोड़ दिया क्यों महल बना के दिल को दिए क्यों दुख विरहा के तो ड़ दिया क्यों महल बना के आस दिला के ओ बेदर्दी आस दिला के ओ बे दर्दी फेर लिखा है [संगीत] नजरिया फेर लिखा है नजरिया मोहे भूल गए सावरिया भूल गए सांवरिया [संगीत] वासना ज्यादा है इच्छाएं ज्यादा हैं तो रुलाई है तुम जो रो रही हो पुत्रे तो कहीं ना कहीं हृदय के भीतर अवचेतन मन में घनी इच्छाएं भरी पड़ी
है तुम आसमान पर उड़ना चाहते हो और पर तुम्हारे पास है नहीं पंखों के बगैर आसमान नपे का कैसे इच्छा बहुत है तो रोला है रोना ही पड़ेगा इच्छाएं कम है शहन शही है थोड़ी इच्छाओं को कम करलो ज्यादा इच्छाएं रखने वाला व्यक्ति अपने अचेतन मन को भरने वाला व्यक्ति रुलाई ही उसके हाथ लगती है इसमें ना भगवान का कसूर है ना सरकमस्टेंसस का कसूर है ना दुनिया का कसूर है भगवान ने तो कबीर को भी बनाया है भगवान ने तो नानक को भी बनाया है लेकिन वह तो ऐसी मस्ती में गीत गुनगुना रहे हैं वह तो नहीं कहते तूने मुझे क्यों बनाया वो तो ऐसी पीते हैं कुमारी में झूम जाते
हैं और कहते हैं थोड़ी सी और पिला दे और जरा सी दे दे साकी और जरा सी और जरा सी दे दे साकी और जरा सी और कैसे रहूं चुप के मैंने पी ही क्या है होश अभी तक है बाकी और जरा सीधे दे साकी और जरा सी और उन्होंने कोई ऐसा प्रेम रस पी लिया है और यह प्रेम रस बाहर से नहीं आया और यह प्रेम रस किसी ने गिफ्ट नहीं किया कबीर भी उसी भगवान ने अपनाया है जैसे तुम कहती हो कि भगवान ने हमें क्यों बनाया नानक भी उसी भगवान ने बनाया ऐसी शानदार कली कृतिया और तुम बेटी कहती हो कि जीने का कोई अर्थ नहीं अर्थ तो बहुत है अगर मरना ही है तो मरने का भी तरीका हो होता है
पुत्री मरने का तरीका भी सीख लो वोह भी है मेरे पास मैं जीने का ही तरीका नहीं सिखाता मैं मरने का भी तरीका सिखाता हूं वह सीखना वह सीख लो यह सीखना यह सीख लो मरो मरो हे जोगी मरो मरो मरण है मीठा ऐसी मरनी मरो अब मरनी भी कई तरह की होती है अब मेरे पास परसों ही किसी नौजवान का फोन आया 30 35 वर्ष की उम्र है बाबा आई एम गोइंग टू कमिट सुसाइड छह सात बार फोन आया इतनी बार फोन अक्सर आया नहीं करते जब इतनी बार फोन आया तो मैंने उठाया कई बार कुछ मायूसी भी हो सकती है कोई जिंदगी के ऊपर आफत भी आई हो सकती है तो मैंने उठा
लिया उसने कहा बाबा बस हार गया जिंदगी से आई एम गोइंग टू कमिट सुसाइड मैंने कहा वोह तो कर लो बेटा कोई बात नहीं तुम्हारी जिंदगी है लेकिन सुसाइड तो नहीं हुआ जिसे तुम सुसाइड कहते हो दैट इज मर्डर नॉट सुसाइड तुम तो हत्या का पाप मो लेने चले हो इसलिए आत्महत्या को पाप कहा हमारे शास्त्रों में क्यों क्योंकि ट इज मर्डर शरीर तुम हो नहीं और शरीर तुम्हारा सच्चा सेवक है और सच्चे सेवक की हत्या कर देना हत्या होती है या स्वय मरण हुआ करता है अगर सूर में हो तो खुद मरो स्वयं मरो मरो मरो हे जोगी मरो खुद मरो शरीर को मत मारो
शरीर तुम हो नहीं और संत कहते हैं य बात है जिन्होंने जान लिया अच्छी तरह से आंखें खुल गई उनकी जाग के देख लिया वास्तव में लाखों बार देखा हजारों बार देखा नहीं हूं शरीर में फिर बोलते हैं ऐसे तो बोलते भी नहीं गोरख गोरख कहते हैं कि खुद का मरना मीठा है दूसरे को मारना मीठा नहीं है एंड यू आर गोइंग टू कमिट नॉट सुसाइड बट मर्डर दूसरों को मारना आत्महत्या नहीं होती हत्या होती है शरीर तुम होना क्योंकि तुमने जाना नहीं और गलती में कहीं ऐसा ना हो कि तुम स्वय की मौत की बजाय दूसरों को मार दो यही यही करते हो गोरख कहते हैं तुम मरो तुम
मरो मरो हे जोगी मरो मरो मरण है मीठा वह मीठा है ऐसी मरनी मरो आगे बताते हैं मरने का भी ढंग है अगर मरना ही है कम से कम म मृत्यु के प्रति तो ईमानदार रहो जिंदगी के प्रति भी ईमानदार रहो और मृत्यु के प्रति भी ईमानदार रहो ऐसी मरनी मरो जिस मरनी मर गोरख ठा पुत्री तुम ऐसी मरने मरो जिस मरने से तुम्हें अपने स्वय का बोध हो जाए बड़ी शानदार मरने की प्रक्रिया है ढंग है लेकिन उहा पोह में जल्दबाजी में इन घबराए हुए मन में अधैर से युक्त मन की उहापोह में चिल्लाते हुए मन में से कोई फैसला मत लो भगवान कृष्ण ने कहा है संशय आत्मा बनति संशय आत्मा कौन
होता है जिसका मन बड़ा शोर मचाता है कोलाहल से गिरा गिरा भरा बरा मन संश आत्मा होता है संशय युक्त मन होता है और कोलाहल से भरे भरे मन से कभी कोई फैसला मत करना क्योंकि वो फैसला गलत होगा इसलिए मैं तुमसे कहता हूं कोई भी फैसला लेना है शोर मचाते हुए मन से फैसला मत लेना देरी कर देना फैसला लेने में कोई बात नहीं लेकिन फैसला लेना ठहरे हुए मन से संशय युक्त मन से फैसला मत लेना वह फैसला कर होगा ठहरे ठहरे मन से जिसकी शशाई बट जाती है ठहर जाता है मन जो प्रदूषण से युक्त नहीं होता कोलाहल से मुक्त होता है कोई शोर शराबा नहीं होता
उसके भीतर ऐसे ठहरे ठहरे मन से जो फैसला लोगे वो अति उत्तम होगा और तुम्हारे लिए हितकारी होगा मरो हे जोगी मरो मरो मरण है मीठा तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी बिल्कुल मरो हम तो सिखाते हैं मरना हम कहां कहते हैं तुम जियो तुम जीना चाहते हो संत कभी नहीं कहता तुम जियो क्योंकि यह भी कोई जीना है जिस जीने को तुम जीना कहते हो य को जीना है मृत्यु से भी बदतर है जिसे तुम जीवन कहते हो और संत जिसे मरना कहते हैं वह अमृत से भी ज्यादा सुंदर है इसलिए संतों की मरने क्यों नहीं मरते मरने में कोई हम बाधा नहीं बनते बिल्कुल मरो हम तो
सहयोग करते हैं तुम्हारे संग चलेंगे मरने में सहयोग करेंगे तुम्हें धक्का देंगे मेरे एक मित्र थे बचपन की एक कहानी सुनाया करते थे मुझे राम लीला में हम रोल किया करते थे मैं राम जी का और वो रावण जी का लेकिन स्टेज के ऊपर तो झगड़े चलते हैं और बाहर बैठकर हम दोनों चाय पीते मेरे शिशु भी थे मेरे मित्र भी थे ठाके लगाते बातचीत करते कोई समस्या होती व मुझसे कह देते उन्होंने एक बड़ा मजेदार प्रसंग सुनाया मुझे कहते बचपन के अंदर मेरे पता जीी संस्कृत के अध्यापक थे प्राइवेट स्कूल में तब समझदार हो के प्राइवेट स्कूल में
थोड़ी सी तंखा होती है परिवार बड़ा था और मैं जिद्द करता अपने पिताजी से कि मैंने चूर्ण खाना है एक पैसा दो तब एक पैसा बहुत होता होता था हमारे वक्त में एक पैसा हमें मिलता था खर्च के लिए और व काफी था हमारी मन चाहे चूर्ण वगैरा कोई चीनी की सुस्वादु गोली बस यही कुछ खाने का मन होता और एक पैसे में जा जाता था व मुझसे कहने लगे कि मैं पिताजी से रोज एक पैसा मांगता हूं अब प्राइवेट तंखा थी परिवार बड़ा था उन दिनों में महंगाई नहीं हुआ करती थी और पैसा भी नहीं हुआ करता था तो मैं रोज पैसा मांगता पिताजी के पास होता एक पैसा दे
देते आधी छुट्टी होती तो घर आते खाना खाने के लिए तब ये मिड डे मील वगैरह का रिवाज नहीं था घर आके जब जाते खाना खाके तो कहता मैं पिताजी से कहता पिताजी एक पैसा दे दो चूर खाना कई बार उनके पास नहीं होता पुत्रा आज तो है नहीं तो मैं चुपचाप चला ता संतोष था जीवन में खाना मिल गया चूर ना मिलेगा चलेगा लेकिन एक दिन कई बार जिद आ जाती जिद आ जाती है मैं कहता नहीं पिताजी आज तो मैं खाऊंगा आज तो एक पैसा देना ही पड़ेगा तो पिताजी अंदर जाते एक ट्रंक में सुरक्षित भंडार था वहां से एक पैसा दे देते कुछ वक्त खराबी का आ गया जो सुरक्षित भंडार था वो भी ना रहा और
उस महीने तं खवा भी ना मिले और तंगी आ गई अब बच्चे को क्या पता होता है मां-बाप तंगी में बच्चे की उम्र खेलकूद की उम्र होती है घर खाना आया खाने के लिए और खाना खा लिया और फिर वापस चला तो पिताजी के पास तंगी चल रही थी मैं ने कहा पिताजी एक पैसा चूर खाना कहते पुत्रा अब तो नहीं है आज तो तंगी का जमाना है तंग खवा आई नहीं रिजर्व भंडार खत्म हो गया है तो मुझे बताते हो कि मैं एक जिद्द करता हमारे घर के पास ही रेलवे स्टेशन था रेल लाइन वहां से जाती थी बस थोड़ी दूर प एक मिनट पैदल चले यह जो अवस्थाओं का वर्णन किया है कहीं जाने को मन नहीं करता बोलने को मन
नहीं करता संसार एक बोझ लगता है यह वैराग्य की निशानी है इसको डिप्रेशन की तरह भी कई लोग देख लेते हैं मैंने अभी शब्द बोला मरो हे जोगी मरो मरो मरण है मीठा ऐसी मरनी मरो जिस मरनी मर गोरख ठा लेकिन मैं जानता हूं साधकों की परेशानी क्या साधकों को समझ ही नहीं आता शरीर का मरना तो समझाता है कि सुसाइड कमिट कर लो लेकिन और मरना वह कैसे होता है साधकों को समझ नहीं आता यही गड़बड़ हो जाती है मेरे पास बहुत से लोग आ जाते हैं ओशो के संन्यासी बाबा एक बात उलझ के रह गई मन में क्या बेटा उसो कहते हैं कि एक्टिंग करो क्रोध आ
रहा है मुठिया बचो दांत बचो क्रोध की सारी बनावट कर लो और थोड़ी देर में क्रोध आना शुरू हो जाएगा क्या आपको लगता है मैंने कहा नहीं पुत्र मुझे नहीं लगता जो गलत है उसे गलत कहना ही होगा ऐसी एक्टिंग तो हम राम लीला में भी बहुत किया करते थे बहुत मुठिया बिचा करते थे और सच में बीचा करते थे दांत कड़ कड़ाया करते थे क्रोज आता था लेकिन आता था क्षणिक लेकिन यहां बात अध्यात्म की क्षणिक सुख और क्षणिक क्रोध की नहीं अध्यात्म कहता है अखंड आनंद अखंड खुशी तो मैं कहता हूं पुत्र कहीं ों से गलती हो गई आप चाहे बड़ा मानव पर
थे फिलॉसफी के अंदर पीएचडी की बाल की खाल निकालना जानते थे और बाल की खाल निकाल कर ही चले गए समझा नहीं पाए टिकल चीजों का वर्णन कर गए प्रैक्टिकल में वह ठीक उतरती नहीं अब क्या किया जाए अभी मुझे नए साल कुछ ओशो सन्यासी बाहर से आए कुछ यहां के दूर दराज के लायंस क्लब के जिन्होंने नया साल मनाना होता है खूब नाचते हैं ला मचाते हैं और आप कौन सा नहीं नाचते होली पर कितने रंगों के बशार होती है कितने धूम धड़ा के करते हो आप कितने हंसते हो नाचते हो गाते हो लेकिन क्या तुम सदा के लिए नाचते हो जाते हो एक दिन ही तो होता
है और फिर यह क्षणिक सुख का स्वाद तो हम भोगों में भी चक लेते हैं मुटिया बचोगे खुशी का प्रकट करोगे नाचोगे डांस करोगे हसी खेली दरिपा न मेरी दृष्टि में इस शब्द का ठीक से व्याख्या नहीं हो पाई उलट ले गए व्याख्या का और मैं समझता हूं कि ो भी गलत देखिए ो के पास बहुत बड़ी जमात है लेकिन मेरे पास अनुभव है जमात के पास अनुभव नहीं है उसो भी कहीं चूक गए और अगर चूक गए महान पुरुष कौन सा नहीं चूक सकते और मेरी दृष्टि में व चूक गए ऐसे एक्टिंग करनी क्रोध की मुट्ठी बचनी और उछलना कूदना हसीबा खेली बा रीवा ध्यान यह कहीं गलती हो गई कहां गलती हो
गई गलती यहां हो गई तुम कहते हो हंसो खेलो नाचो कूदो मौज मनाओ और ध्यान में रहो ये कहना तो बड़ा आसान है कौन चाहता है कि मैं ध्यान में ना रहूं ध्यान उखड़ उखड़ जाता है कौन कहता है कि मन मेरे वस में ना हो मन भटक भटक जाता है सभी चाहते हैं कौन साधक नहीं मन की भयंकर पीड़ा हों के कारण ही तो भागते हैं यह लोग अध्यात्मिक लोगों के पास अध्यात्मिक गुरुओ के पास और आगे महज उन्हें नकली ढांचे पकड़ा दिए जाए बला क्रोध का प्रकट करके कभी क्रोध आ सकता है आएगा लेकिन क्षणिक आएगा कुछ देर के लिए आएगा हम राम लीला में करते थे थोड़ी देर के लिए क्रोध करते थे
पुनः थोड़ी देर के बाद हम प्रसन्न हो जाते थे उन्हीं लोगों के पास बैठक चाय पान करते थे जिन पर बड़के होते थे ऐसे ड्रामेबाजी से अध्यात्म का कोई मेलजोल और मतलब मेल नहीं खाता तो इसका असली अर्थ क्या है लीजिए इसका असली अर्थ सुनिए क्या है कहते हैं हंसी बो खेली बो धरि बो ध्यान और आज बहुत सी साधनाए इसकी हो रही है और मैं जानता हूं कि वहां ड्रामेबाजी होकर वापस आ जाते हैं भीतर बदलाव के किके होता है मेरे पास ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है आज तक के ड्रामा करने से सच प्रकट हो गया ड्रमा करण से झूठ प्रकट होता है झूठ को बल मिलता
है और बाहर के किया हुआ उसको अगर तुम सत्य समझने लगे तो भीतर से जो प्रकट होगा कभी झरना बाहर से भी प्रकट हुआ है झरना भीतर से प्रकट होता है धरती का गर्भ चीर के आता है झरना और वही तो झरना हमारे भीतर से बहेगा बाहर से झरना कैसे फूटे नहीं फूटता तो इसका असली अर्थ क्या है जो जो गोरखनाथ जी ने कहा हसी बा खेली बा री बा अध्यान इसका मतलब कुछ और है उसका मतलब यह है जो आदमी ध्यान स्त हो जाता है वह चाहे हंसे खेले कूदे नाचे गाए कुछ भी करे उसका ध्यान भंग नहीं होता वह सदा ध्यान में ही रहता है बड़ा विराट फर्क पड़ गया तुम कहते हो हंसने से खेलने से नाचने
से कूदने से ञान प्रकट हो जाएगा और गोरख कहते हैं कि ध्यान प्रकट हो जाए तो हंसो नाचो कूदो खेलो गाओ मस्ती मनाओ ध्यान भंग नहीं होगा जिसके भीतर ध्यान प्रकट हो जाता है और भरे कोलाहल के बाजार के बीच में मोन खड़ा रह सकता है मोन गुजर सकता है और उसको बाहर की भीड़ का कोलाहल जरा भी स्पर्श नहीं कर यहां आकर मैं ओशो से बिल्कुल भिन्न नहीं हूं विपरीत कहीं चूक हो गई क्योंकि आखिर हमें टिकल चीजों को प्रैक्टिकल में लाना होगा यह मजाक तो है नहीं चुटकला तो है नहीं कि हम बदल लेंगे जीवन की चीजें हैं और जीवन की चीज हम आजमा के देखेंगे और पूर्ण ना उतर सके
आजमाने में तो फिर रहे ठूठगा ठू हम तो वही रह जाते हैं मेरे पास मित्र आए बाबा हमने रात को बड़ा जश्न मनाया खेले कूदे नाचे गाए हाहू किया तो तूफान उठा दिया पड़ोसियों का भी जीना हराम हो गया और खूब मजे से आए और सो गए लेकिन अखंड धारा तो प्रकटना हुई फिर वही ढग के तीन पात फिर वही गम फिर वही श्याम वही गा वही तनहाई है फिर वही श्याम वही गम वही तनहाई है दिल को बहलाने तेरी याद चली आई है फिर वही श्याम वही गम वही तनहाई [संगीत] है हाह कर लिए खूब ठाके लगा लिए कैथार्सिस हो गया हल्का हो गया ठीक होगा लेकिन बात तो यह है
क्या कहते हैं गोरख तुम हंसो और हंसते हुए शरीर को देखो कौन हंस रहा है लेकिन एक्टिंग से तो यह पॉसिबल नहीं होगा क्योंकि एक्टिंग बाहर बाहर खोपड़ी तक रहती है हृदय तक थोड़ा सा छू पाती है लेकिन हृदय के गहरे तलों में उतर नहीं पाती इसे मैं एक सरकस कहता हूं हसी बा केली बा दरी बा लोगों को मूर्ख बनाने का ढंग उस दे गए पता नहीं कैसे दे गए और मुझे खुद हैरानी होती है क्योंकि मुझे कोई शंका [संगीत] नहीं उनके प्रबुद्ध होने में जरा भी तो शंका यहां बिल्कुल मैं एकमत हूं ठहरा हुआ हूं क्योंकि मैंने अपनी आंखों से देखा है लेकिन महान पुरुषों से महान गलतियां भी
तो होती हैं आपको शायद पता नहीं होगा ो की सक्रिय साधना डायनामिक साधना से पहले जो साधना दी थी वो डायनामिक नहीं वो सक्रिय साधना नहीं व अक्रिय साधना लेकिन अक्रिय साधना ने काम नहीं किया तो फिर इन्होंने सक्रिया साधना दे द बदल दिया गलती थी ना निष्क्रिय साधना काम नहीं की तो सक्रिय साधना दे दी डायनामिक और डायनामिक ने भी कितना काम किया केसस कर दिया हाहू कर लेते हो क्रोध निकल जाता है अच्छी है सुखद अनुभूति होती है हल्के हो जाते हो सब कुछ करने की भीतर से निकालने की छूट है जैसे हमारे यहां बागेश्वर दाम वगैरा यहां यही कुछ होता है जो रजनीश आश्रम में
होता था उष ध्यान केंद्रों में होता था वही यहां होता है कोई नई बात नहीं वहां भूत से पीड़ित होते हैं मनो व्यथा से पीड़ित होते हैं और यहां ध्यान के लिए वही काम करते हैं बस शब्द बदल दिए गए हैं बात वही है उछल कूद हाह सिर सुर मारना वही कुछ है सारा देखिए जिंदगी जिंदगी खेल नहीं व्यक्ति व्यथित है व्यक्ति दुखी है इनको हम शब्दों से सुखी नहीं कर सकते ध्यान रखना तो थ्रोटल प्रोसेस दे की अ अगर वह कारगर नहीं है तो शांत नहीं किया जा सकता और मैंने मेरी बात समझ में आई कि ठीक है नहीं होगा ऐसे ड्रामा से शुरू करेंगे
तो सत्य तक पहुंचेंगे कैसे निष्कासन हो जाएगा हो सकता है थोड़ी देर के लिए लेकिन निष्कासन के बाद झूठ सच कैसे बन जाएगा यह मेरे अनुभव में बात सटीक फिट नहीं हुई इसलिए मैंने उनसे कहा कि देखो भाई अगर तो आपको वहां कुछ मिलता है तो ठीक है अन्यथा आप यह साधना करनी बंद कर दो वह तो फिर है ही जो गोरख ने कहा है जब ध्यान प्रकट हो जाता है भीतर से जब झरना फूट पड़ता है भीतर से तो उसे रोक कौन सकता है ध्यान का झरना भीतर से शीतलता प्रदान करेगा बाहर आएगा तो फिर तुम नाचो कूदो गाओ मस्ती बनाओ कुछ करो यही तो करते हैं कृष्ण कृष्ण का
ध्यान नाचने कूदने से रास रचाने से प्रकट नहीं हुआ ध्यान करना कृष्ण ध्यान स्थ है इसलिए महारास प्रकट हो होता है तुम उलट बात समझकर मूर्ख बनाने की चेष्टा ना करो कैसे हो पाएगा एक सर्कस से एक नकल से एक बनावटी चीजों के से शुरू करके तुम सत्य तक पहुंचते हो यह कवायद कहां तक ठीक चलेगी और इसीलिए तुम फीके रह जाते हो ष का कोई भी शिष्य मेरे पास जब आता है मुंह लटका जाता बस उसको एक भ्रम होता है कि मैं ो सन्यासी हूं जब मैं उसके ओरा को चेक करता हूं तो टाइ टाइ फिस इस बात से मैं मुख करना उसने स्वयं वो तल छू लिया था प्रसन्नता की उस तल हड्डी पर पहुंच गए
थे खुद लेकिन प्रसन्नता की उस तलहटी पर पहुंच गए खुद दूसरों के लिए थ्योरी ठीक से कंस्ट्रक्ट कर पाएगा यह जरूरी नहीं है पहुंचा हो व्यक्ति टिकली गलत हो सकता है प्रैक्टिकली तो वो ठीक है उस को मिला बिना शक मिला इसमें मुझे कोई संदेह लेकिन उस ने जो टिकल प्रयोग दिए उनसे मैं सहमत नहीं हूं कुछ प्रयोगों से तो बिल्कुल ही सहमत नहीं और यहां आकर मैंने क्यों बोलना बंद कर दिया शुरू किया था मैंने गोरख वाणी शुरू की थी मैंने हसी खेली रेयान लेकिन जब मैंने पाया कि ऐसे नकल से तो थोड़ी देर के लिए ठीक है क्रोध पैदा होगा नाचोगे नाच पैदा होगा गाओगे गायन
पैदा होगा और उस गायन में लुत्फ भी आएगा नाचने में भी लुत्फ आएगा हंसने में भी लुत्फ आएगा लेकिन इट्स ओनली कैथस प्रोसेस तुम्हारे भीतर भी तो ऐसा कुछ दबा हुआ है क्रोध भी तो दबा हुआ है क्रोध निकल जाएगा दुख भी तो दबा हुआ वह निकल जाएगा नाच भी तो है भीतर गाना भी तो है भीतर यह सब बाहर कैथर सस हो जाएगा लेकिन तुम कहां पहुंचे उस स्थल पर तुम तो बाहर बाहर ही फिरते रहे और बात सुनिए आप नकल कभी भी भीतर तक नहीं जा सकती यह मेरा पक्का अनुभव है नकल से शुरू करोगे असल तक नहीं पहुंच पाओगे इसलिए मैं बाबा की इस बात से सहमत
हूं कि तुम्हारी कोई भी प्रोसेस उस परमात्मा तक तुम्हें पहुंचाती नहीं जोर ना जुगती छूटे संसार तुम जितने भी जुगत लड़ाते हो जितनी भी साधना करते हो परमात्मा तक पहुंचने की बाबा कहते उसमें कोई जोर नहीं क्यों कहते हैं बाबा बाबा कहते हैं कि तुम खुद ही हो जुगत रडाने की आवश्यकता क्या है पड़ियो का इस्तेमाल करने की आवश्यकता क्या है भटके होही नहीं खोजने का फायदा क्या है तभी कहते हैं अगर वह चाहेगा हो जाएगा अष्टावक्र भी कहते हैं कि तुमने खोया नहीं है मात्र भूले हो और भूली हुई चीज खोई नहीं जाती बस इस शब्द को गहरे में ले
लेना तुम भूल गए हो और रिमाइंड कराना होगा रि कराना होगा खोजना नहीं होगा खोजा उस चीज को जाता है जिसका पता नहीं कहां है उसका तो पक्का पता है तुम ही हो तुम्हारे ही भीतर है कहां ठोर ठिकाना उसका कौन बताएगा क्योंकि वोह तुम ही हो तुम्हारे ही भीतर उतरना है बाहर जाकर तो तुमने देख लिया लताड़ ही लगी दुख ही हाथ आया खूब मंशा से गए थे कुछ मिलेगा खाली हाथ वापस आ ग बाहर बहुत भटके लेकिन उस भटकने में कुछ नहीं मिला और देखिए यह हसीबा खेलवा धरवा ध्यान यह हर ही की तो प्रक्रिया हैं ये कहां भीतर लेकर जाएंगे आपको बाहर रो चाहे
हंसो बाहर माथा ठोको चाहे नाचो जरा भी तो भेद नहीं है बाहर की प्रक्रियाएं सब बराबर है और थोट क है प्रैक्टिकल है अपने भीतर के उतरना और हंसने से खेलने से नाचने से कूदने से बनावटी नाच से कभी सोनल मान सिंह मेरा हुई हुआ है कभी ऐसा कभी गाने वाला मोहम्मद रफी नानक बन पाया आवाज में तो उससे बहुत कम था [संगीत] क्यों क्योंकि नानक जिस तल से गाता है वह भीतर से जरने की तरफ उठता है और महामद र जिस थल से गाता है वह भीतर से रना नहीं फूटता वह गले से झरना फूटता है विशुद्धि चक्र से आता है यहां बड़ी मुश्किल पेश हुई मेरे जीवन का कठिन तम दौर
था शब्द के ऊपर आकर हसी बा केली बा द नहीं हो सकता इसलिए मैंने एक बार गोरख के प्रवचन शुरू किए लेकिन जल्दी ही मुझे समझा गई नहीं यह तो बाहर भटकाने वाली बात हो गई लोग भटक जाएंगे बाहर फिर फिर धन कमाओ कि ध्यान कमाओ दोनों मूर्खता अगर कमाना ही है तो फिर धन कमाओ या ध्यान कमाओ बराबर है और इसे नकली काम बना के इमिटेशन बना के नाचना कूदना भी नकली करके तुम अगर समझोगे कि हम असल तक पहुंच जाएंगे तो मैं समझता हूं कि किसी मूर्ख व्यक्ति ने इस चीज का ईजाद किया है नहीं कहा गोरख के कहने का अर्थ गलत समझा गया गोरख ने लिखा बिल्कुल ठीक गोर गत नहीं
हो सकते कहां गोर गत हो मैं अपनी जिंदगी की एक छोटी सी बात पहले बोल चुका हूं मेरे पास शून्य में से चीजें प्रकट करने की सिद्धि मैंने प्राप्त कर ली थी जब मैं शमशान साधना किया करता था तो तो शून्य में से वस्तुओं को प्रकट करने की सिद्धि मैंने सिद्ध कर ली थ लेकिन संसार तमाशा बना लेता है आज भी ऐसे लोग हैं और सारे लोग ही है वो कोई बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है अभी भी वह लोग मुझे याद करा देते हैं बाबा आपके मंगाए हुए काजू बादाम भुजिया के पैकेट दाल लू शराब सब हमने पिया और ऐसे ऐसे नाजुक मको पर उन्होंने मेरे से कामना
की जब पंजाब में घोर विपत्ति काल कर्फ्यू लगा हुआ हर द गज के ऊपर मिलिट्री खड़ी हुई घर से बाहर नहीं निकलने देते थे हम किसी तरह से बाहर निकल जाते थे उनको पानी पिलाना चाय पिलाना उनको पता लग गया ये भले मान सा आदमी है बैठेंगे तो भजन गायन करेंगे तो वो मुझे निकलने दे देते हमें तो हम 20 25 लोग एक जगह इकट्ठे हो जाते शून्य में से वस्तुओ को प्रकट करने की साधना मैंने सिद्ध कर ली थी मुझसे कोई कुछ भी मांगता मैं उसे प्रकट कर देता शून्य में से आज मुझे हैरानी होती है और मुझे जायज हैरानी होती है जब कोई कहता है कि ऐसा कुछ होता
नहीं होता है इससे मैं मुंक नहीं हो सकता क्योंकि होता है किसी ने लड्डू मांगे लड्डू मंगा दि और आज भी लोग है जिन्होने लड्डू वो खाए शराब मांगी शराब मंगा दी दाल मांगी भुजिया मांगी भरी सर्दी में आइसक्रीम मांगे कर्फ्यू भरे कर्फ्यू में शराब मांगे लेकिन बस पल भर में शून्य से चीजों को प्रकट करने की सिद्धि मेरे में आ गई बस उधर मांगा और इधर मैंने चीज प्रकट कर दीज लोगों ने इसको एक तमाशे की तरह लेना शुरू कर दिया और आध्यात्मिक नती करते गई इसलिए मैं कहता हूं इन चीजों में उलझ ना जाना अल्टीमेटली अंततः मुझे इसे छोड़ना
पड़ा लेकिन फिर भी करीब चार साल तक लोगों ने यह तमाशे खूब देखे मेरे ही शहर के लोगों ने अ क्या था अध्यात्मिकता तो नहीं थ है यह तो सिद्धि अध्यात्मिकता थोड़ी होती है सिद्धि होती है बाहर की सांसारिक प्रकृति से व का मंगवाना भीतर से इसका जरा भी संबंध नहीं है और भीतर ध्यान होता है अपने भीतर के उस अस्तित्व को खोज लेना जो तुम संभव दोनों में जमीन आसमान का फर्क है और दोनों विरोधी कोणों पर खड़े एक तरफ वो जहां मैं लड्डू मंगाया करता था एक तरफ स यह जहां मैं आज बोलता हूं कि सब तुम ही हो और मैं वह भी अनुभव से बोलता हूं यह भी अनुभव से बोलता हूं
मैं सदा ही कहता हूं मैं जो भी कुछ बोलता हूं अनुभव के बिना नहीं बोलता हूं जहां गलती मुझे लगती दिखती है व मैं स्पष्ट त बोल देता हूं मुझे गलत लगता है मुझे ठीक नहीं लगता देखिए ठीक होगा आपके हिसाब से लेकिन मेरे हिसाब से यह ठीक आता नहीं हसी खेली बा दरी ध्यान यह ठीक रोते हैं बच्चे मरने को दिल करता है बिल्कुल और जो भीतर दबा पड़ा है तुम्हारा कैथस निकाल देगा जो भी कुछ दबा पड़ा कैथर निकाल देगा इस बात से कोई मुंक नहीं हो सकता लेकिन तुम उस तत्व को अचीव कैसे करोगे सिर्फ कैथो सिस करने से वह तत्व जाना नहीं जा सकता वह तत्व तो अपने भीतर गहरे गहरे गहरे
गहरे और उतर कर ही एक दिन तुम उस तत्व में सम जाओगे पहले वो जंक्चर पॉइंट आएगा जंक्चर पॉइंट से थोड़ा ऊपर यह सिद्धियां आनी शुरू हो जाती हैं जो मैंने आपको वार्न किया होशियार यार जानी यह रास्ता ठगों का मैंने ठग यहां जरा नजर चूकी तो मार दोस्तों का यहां सब है जो तुम्हें असंभव जैसा लगता है वो है लेकिन बात तो यह है कि जो शाश्वत आनंद की कामना हमारा अंतस करता है अतृप्त के आलम में वो आनंद हमें नहीं मिलता और जब हमारा लक्ष्य नहीं पूरा हुआ तो फिर संसार में हम जैसे आए वैसे ही चले जाएंगे फिर किसी भी साधना का कोई फल ना
हुआ इसलिए मैं इस साधना को इस तरह नहीं लेता जिस तरह व सो लेता है व कहते हैं हसो नाचो गाओ किथ से सो जाएगा य मैं मानता हूं मन हल्का हो जाएगा क्योंकि इस समाज के कारण इस कानून के कारण बहुत कुछ वृत्तियों को हमने दबा लिया है वह दबी हुई वृत्तियां बोझल कर देती हैं अचेतन को और वह अचेतन बोझल हुआ हुआ तुम्हें ऐसा लगता है जैसे पता नहीं कितना भार तुम्हारी छाती पर रखा हो मुझे रोज लोग कह देते हैं बाबा मुझे ऐसा लगता है जैसे छाती पर पता नहीं कितना बार रखा हुआ है यह अचेतन मन का वह भार है जो तुमने दबा लिया है और तुमने कोई कम नहीं दबाया तुमने
बहुत दवाया है इसलिए मैं कहता हूं जब मैं बोलता हूं और तुम मुझे सुनना चाहते हो वास्तव में श्रावक बनना चाहते हो तुम शिष्यवृत्ती तो फिर तुमने क्या करना है सुनने के लिए तुम सारी कांट छट को और अपने पूर्वाग्रहों को जो पहले तुमने पूर्व आग्रह तुमने मान रखे हैं कि यह ऐसा होता है अब सत्य तो यह है कि जब हम शरीर से बाहर जाएंगे और वापस आना हो हो तो बिल्कुल नाभि से शरीर छोड़ना होगा सूक्ष्म देही को ना नाभी के रास्ते के अलावा कोई रास्ता ही नहीं और अगर पूर्वाग्रह से ग्रसित कोई व्यक्ति कहे कि हम तो सहसरा से निकलते हैं और वापस
आ जाते हैं तो यह सिर्फ उनकी कल्पना है और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे सामने ने आज कांच की मृत्यु सैया के ऊपर पड़ी हुई लाश है आशुतोष यही कोशिश तो उन्होंने की थी जिसने वापस नहीं आना होता देखिए अंत समय में हम कहते हैं कि योगी कपाल को पड़ कर निकल जाता है क्यों क्योंकि उसे वापस नहीं आना होता शरीर में तो अगर शरीर में वापस नहीं आना तो यह रास्ता है तुम कपाल से जा सकते हो लेकिन फिर ध्यान रखना फिर वापस नहीं आ पाओगे शरीर में ऐसा ही कुछ आशुतोष के साथ हुआ और मैंने दो-तीन साल पहले वीडियो डाली बड़ी गाली गलोज हुआ
लोगों ने बदी बदी गालिया दी मैंने कहा भाई तुम गालियां निकाल लो तुम्हारा हक है मेरा हक बोलना है और मैं मैंने अपना अनुभव बोल दिया यह व्यक्ति कभी नहीं उठेगा इससे ज्यादा मैं क्या बोल सकता हूं उन बातों को दो तीन साल हो गए यह व्यक्ति नहीं उठा बल्कि कहते हैं एक साधिका की बली और ले गया यह पूर्वा ग्रह व्यक्ति को मार देते हैं अब वह साधिका तो व्यर्थ में मारी गई ना बेचारी पता नहीं यह सच है या झूठ है हम कौन सा जाते हैं हम तो द्वार से बाहर नहीं जाते लेकिन सुनी सुनाई बात है एक साधिका भी गुरु जी को वापस लेने गई
थी और अभी तक व भी नहीं लौटी और फिर अगर गई थी तो व भी नहीं लूटेगी गुरु जी तो लूटेंगे ही नहीं क्योंकि उनकी साक्षात शीशे के उस ताबूत में पड़ी हुई मृत देह मैंने देखी बिला शक व वापस नहीं लूटेंगे तुम यह धर्म का धंधा है धर्म का धंधा है और शिष्य मूर्ख तो होते शिष्य पूर्वा ग्रहों से ग्रसित होते हैं और उनके पूर्वाग्रह ऐसे कठोर होते हैं कि स्टील भी मात खा जाए स्टील टू सकता है शिष्यों का पूर्व ग्रह नहीं टूट सकता बस इसी लिए हम पहुंचते हैं लोग मुझसे पूछ लेते हैं बाबा इतने साधन है इतने सरलता से तुम बोलते हो इतनी सरलता से सभी संत बोले
लोग पहुंचे बस एक ही कारण है पूर्वाग्रह इसमें बाधा बनते है तुमने कुछ मान लिया और मान लिया जाना है नहीं और तुम उन पूर्वाग्रहों से युक्त हो गए तुमने बसा लिए अपने हृदय में कि ऐसा है अब जिनके लिए आशुतोष लौटेगा उनके लिए तो वो लौटेगा लेकिन हमारे लिए कभी नहीं लौटेगा और तुम देख लेना नहीं लूटेगा मैंने दो-तीन साल पहले भी यही बोला कि वह नहीं लूटेगा कहां लूटा लूटा नहीं लूटा और इसको जो बुलाने जाएगा वह भी नहीं लूटेगा वह भी खो जाएगा क्योंकि वोह गलत रास्ते से निकला है मैं क्वेश्चन करता हूं आपको आप समझ जाओ समझना चाहते हो
तो नहीं समझना चाहते तो मैं लट तो मारता नहीं तुम्हारे शब्दों से ही समझाना होता है करुणा वश तो आदमी को शब्दों से ही समझाना होता है कि देखो बेटा आग है इसमें छलांग मत लगा देना फिर भी तुम लगाओगे तो फिर जलो यह तुम्हारा काम है हमने तो रोका तुम हसी खेली बा तर ध्यान सैकड़ों व्यक्ति आत्महत्या करना चाहते हैं और मैं उनसे सभी से आज का प्रवचन उनके निमित है तुम जिसे आत्महत्या कहते हो वह आत्महत्या नहीं है वह हत्या है क्योंकि शरीर तुम हो नहीं मेरी बात को मानना है मान लो नहीं मानना है मत मानो मैं तुम्हें कोई जोर नहीं डालता मैं
हिंसक नहीं हूं मैं परम अहिंसक व्यक्ति हूं मैं सिर्फ अपने अनुभव को बोलना इतना ही दत्व है मेरा तुम मानो ना मानो यह तुम्हारा यह तुम्हारा स्वतंत्र ख्यालात तुम मानने को भी स्वतंत्र हो तुम ना मानने को भी स्वतंत्र हो मैं मानो ना मानो मुझे कोई मतलब ना मैं तुमसे सन्मान चाहता हूं ना मैं तुमसे किसी और चीज की कामना रखता सिर्फ करुणा वश दुखित प्राणियों को देखकर संसार में इतना दुख है है और इस भ्रम के कारण दुख है वह एक भ्रम नहीं हमसे टूटता कमाल की बात है कि मैं शरीर हूं मन हूं यह नहीं टूटता देखो एक भ्रम ने सारा जगत नचा रखा है
कठपुतली की तरह और एक भ्रम कैसा कि तुम इसको नहीं तोड़ पाते ऊपर से कुछ ऐसी ऐसी साधनाएं भी आ जाती हैं और इस साधना तो मैं भी व्यथित हुआ ये ों के द्वारा बताई गई साधना मैं नहीं समझता कि कोई व्यक्ति ऐसे नकल से शुरू करके हंसेगा खेलेगा नाचेगा गाएगा कृत्रिम बनावटी रूप से शुरू करके के असल तक पहुंच जाएगा मेरे हिसाब से यह असंभव है फिर भी अगर तुम नाचना चाहते हो हसना चाहते हो कूदना चाहते हो कूदो एक फायदा तो अवश्य मिलेगा कथ सुस्त हो जाएगा तुम्हारा अतन तो हल्का हो जाएगा बिला शक इसमें कोई संदेह नहीं ऐसा लगता है लोग मुझे प्रश्न पूछने से डरते
हैं क्योंकि पीछे जो ये शब्द लिखते हैं कि बाबा मलक मत कर देना इसका स्पष्ट मतलब है कि तुम डरते हो तुमने आज प्रश्न पूछने में भी हिचक दिखाई सभी ने लिखा जितन ने प्रश्न पूछा ना सभी ने लिखा बाबा गुस्सा मत हो जाना ब्लॉक मत कर देना एक मेरी बात को आज ध्यान से सुन लो मैंने ब्लॉक तो बहुत किए लेकिन मैंने सिर्फ परमात्मा को ब्लॉक किया है मु को लक नहीं किया अब तुम चकित ना हो जाना इन बातों से मैंने भगवानों को ब्लॉक किया है मुमुक्षु को ब्लॉक नहीं किया जो मुक्त होना चाहते हैं उनको तो मैं लंबे हाथों से गल वकड़ी डाल लेता
हूं उनसे तो मैं ईद मनाता हूं गले मिलता हूं वे तो योग्य है मेरी बात को सुनने के उन्हीं के लिए बोल रहा हूं अगर तुम कहते हो कि मुझे ब्लॉक मत कर देना तो प्रश्न पूछने से मैं सिर्फ तुम्हें ब्लॉक नहीं करूंगा मैं भगवानों को ब्लॉक करता हूं एक शब्द सुन लो मेरा मु मुखू इंसानों को ब्लॉक नहीं करता भगवान कौन जो पहले से जानते हैं जो मुझे कहते नहीं बाबा ऐसा नहीं ऐसा होता है ऐसा नहीं बाबा ऐसा होता है तुम गलत हो तुमने ऐसा तब कहा था आज ऐसा कहा ऐसा कहा मैंने हजार बार कहा कि देखिए जिस भाषा में हम बोलते हैं वह भाषा अल्प है कई बार
विरोधी शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ता है तुम्हें विरोधी लगेंगे लेकिन तुम छोड़ देना उन्हें क्योंकि बताने का हमारा प्र मात्र है शब्द अल्टीमेट प्रोसेस नहीं है य तो तुम्हें उलट लग सकता है और हमें भी लगता है उलट तुम्हें क्या लगता है तो हम उलट बोल सकते हैं तुम्हें लग सकता है लग नहीं सकता हम बोलते ही उल्टे हैं क्योंकि शब्दों की अपनी मर्यादा है शब्दों की अपनी तुच्छ है शब्द उससे आगे नहीं जा सकते मजबूरी है शब्दों की फिर जो परमात्मा बन जाता है तो मैं समझता हूं कि इसको मेरी शिक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है खुद ही परमात्मा है भला मैं परमात्मा को
और क्या सिखाऊंगा पहले ही से परमात्मा है तो देखिए जरा भी गलती नहीं कता मैं बलक करने में लेकिन करता हूं भगवानों को इंसानों को नहीं मुमुक्षु को नहीं प्यास को नहीं प्यास के लिए तो पानी सदा हाजर है ठंडा शीतल जो खुद खूब गले तक पानी पीके आए हैं उनको ब्लॉक कर देता ह भला कि मैं जानता भी हूं कि ये भीतर से प्यासे हैं यह जानता हुआ भी ब्लॉक कर देता हूं कि अगर जान ही खानी है खुजली ही करनी है तो भाई किसी आचार्य के पास जाओ वह अच्छे से खुजली कर देते हैं अब उनके पास जाओ मैं खुजली भी ठीक से नहीं कर सकता वृद्ध हो गया हूं ऊपर से खाता पीता कुछ
नहीं एक व्यक्ति कहने लगा बाबा तुम्हारे पास आना चाहता हूं चार पांच दिन के लिए मैंने कहा भाई क्या करोगे चार पांच दिन बाबा मैं देख रहे होंगा कि तुम वाकई ही दूध पीते हो और कुछ नहीं खाते मैंने कहा भाई अगर मैं खाता भी होंगा जैसे अनशन वाले करते हैं आमतौर से तो उसमें मैंने क्या पाप कर दिया तुम नहीं खाते हो हम तो खाते हैं बाबा तो फिर मैं भी खाता हूं तो तुम्हें क्या कहता हूं एक सत्य को उजागर कर रहा हूं कि नहीं खाता हूं तो नहीं खाता हूं झूठ मैं बोलता नहीं तो तुम्हारा शरीर कैसे चल रहा है अब आगे की बातें मत
पूछो यह तो बहुत गहन में चले गए तुम यह सत्य है कि मैं दूध पीता हूं और मैं परीक्षा नहीं दूंगा मैं कोई तुम्हारा गुलाम थो मूर्ख क्यों बनते हो मैं खाता हूं तो खाता हूं तो मैं क्या मतलब कोई पाप है क्या रोटी खाना नहीं खाता तो नहीं खाता मेरी मौज है अब नहीं खाते महावीर तो उनकी परीक्षा लेकर जाओगे मानना पड़ता है ना के महीने में एक बार भोजन करते हैं और जो शर्त लगा के चलते हैं अगर वह पूरी होती है तब उसी घर से वह भोजन ग्रहण करते हैं तो क्या उनकी परीक्षा लोगे क्या जो तुमने ग्रहण किया वो यही सोचा था तुमने उसकी परीक्षा लेने का कोई औचित्य
बनता है ये हमारी निजी जीवन की बातों को हस्तक्षेप करने जैसा है हम खाएंगे खाएंगे नहीं खाएंगे नहीं खाएंगे तुम्हारे से इसका क्या मतलब हमने कभी तुम्हारे पर्सनल जीवन के अंदर इंटरफेरेंस किया लेकिन एक बात सत्य है झूठ नहीं बोलते बिल्कुल दूध ही पीते हैं बिला शक लेकिन तुम्हें विश्वास नहीं दिलाते यह हमारा दायित्व नहीं बनता किसी भी प्रकार से हां अगर तुम खाना चाहते हो सिर्फ दूध पीना चाहते हो तो पी के देख लो पता चल जाएगा तुम्हे लेकिन अगर मर खर गए तो मेरी कोई जिमेवारी नहीं ध्यान रखना इस बात का जिंदगी मौत कभी भी मिल सकती है
लेकिन जीवन कल ना मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले कल को तुम्हें ये फल ना मिलेगा [संगीत] मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल ना मिलेगा अगर मर जाए तो जीवन नहीं मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले हम रोकते नहीं है तुम कल को फिर यह पल ना मिलेगा इस जीवन को अगर तुम तरसोगे तो तुम्हें जीवन देने वाला कोई नहीं होगा इस बात को ध्यान में रखना अगर मरना चाहते हो तो या तो गोरख के मरने को स्वीकार कर लो और वह मरना बड़ा सुखदायक है अपने अहंकार को मारो अहंकार तुम हो तुम जो हो उसका मरना ही आत्महत्या होता है शरीर तुम नहीं हो उस का मारना
आत्महत्या नहीं हत्या होता है अब तुम्हारी इच्छा है तुम मेरी बात को मानो मानो ना मानो संत कह गए हैं तुम शरीर नहीं हो लेकिन तुम्हारे ऊपर कोई तानाशाही थोड़े करके तुम नहीं मानोगे तो नहीं मानोगे भाई तुम मान लोगे तो मानकर चल पड़ोगे और देख लोगे शरीर हो कि नहीं हो जो चला है उसने ने पाया भी है जो चला ही नहीं उसने पाया भी नहीं तो बिटिया ने प्रश्न पूछा है कौन है क्या नाम है यह नहीं बताऊंगा निहायत गोपनीय प्रश्न होते हैं इस तरह के लेकिन बस इतना ही कहना चाहूंगा जो प्रश्न बटिया का लिया लेकिन और भी सैकड़ों प्रश्न
है इसी तरह के हैं उस बच्चे से मैंने पूछा अपराध क्या किया तुमने तो उसने अपराध बताया और व अपराध बड़ा बचकाना था तभी मैं कहता हूं ना पूर्वा ग्रहों से ग्रसित ना होना जिसे आज तुम पाप समझते हो कल का जमाना उसे एक्सेप्ट कर लेगा ये लिविन के भीतर रहना कितना बुरा समझा जाता था किसी वक्त आज लिवन के भीतर रहना आम बात हो गई है और अगर कोई व्यक्ति तब मर गया इसी कारण से तो आज वापस थोड़ा ही लूटेगा तो मैंने उस बच्चे से कहा देखो ऐसी गलती करना हो तुम्हारी मर्जी मैं तुम्हें रोकता नहीं मैंने कोई तुम्हारे जीवन का ठका नहीं
लिया लेकिन यह अपराध जो तुम अपराध की श्रेणी में र रखते हो यह अपराध है नहीं यह तुच्छ सी बात है यह तुम्हारे समाजों की बनाई हुई बात है इसलिए इसको इतना बड़ा दांव मत लगाओ आज आग है कल ठंडी हो जाएगी लेकिन जीवन कल ना मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले कल को फिर ये पल ना मिलेगा मौत कभी भी मिल सकती है मरने से पहले मेरी यह बात को याद रख लेना इससे पहले कि तुम अगला क्षण मृत्यु का हो मेरा यह शब्द अवश्य गौर कर लेना मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल ना मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले कल को फिर यह पल ना मिलेगा यह समझ के अच्छी तरह
से जो तुम्हारा मन करता है वह करो लेकिन यह तुम गलत करोगे क्योंकि यह आत्महत्या है ही नहीं आत्महत्या तो वह चीज है जिसको करने के बाद तुम परम सुखी हो जाओगे लेकिन यह करने के बाद तो हत्या है यह करने के बाद तो तुम सुखी नहीं होगे तुम दुखी हो जाओगे इसलिए अगर मेरे से पूछना चाहते हो तो यह आत्महत्या नहीं है यह हत्या है हत्या करना चाहे तो तुम किसी की भी कर सकते हो अपने भी कर सकते हो यह शरीर तुम्हारा गुलाम है तुम्हें मिला है रथ की तरह इसको खत्म करना चाहते हो कर दो इसमें मुझे कोई इतराज नहीं लेकिन तुम मैं इतना बताता हूं कि ये शरीर तुम नहीं हो इसलिए
आत्महत्या तो नहीं होगी हत्या जरूर हो जाएगी हत्या करनी है तो कर दो और हत्या का पाप लगा करता है आत्महत्या का पुन लगा करता है यह शब्द बड़े उल्टे जान पड़ेंगे तुम्ह आत्महत्या के लिए तो मैं तुम्हें उकता है तुम कहो मैं अपना अहंकार समाप्त करने को राजी हुआ हूं मैं तुम्हें दोनों हाथों से आगोश में ले लूंगा आत्महत्या के लिए राजी हो जाओ यह आत्महत्या तो है ही नहीं यह तो हत्या है धन्यवाद श्री कृष्ण गोविंद हरे [संगीत] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी
सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासु श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा धन्यवाद
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