बाबा जी प्रणाम योगी शरीर को छोड़कर एस्ट्रल ट्रैवलिंग में जाता है तो उसके चक्रों को शक्ति कौन प्रदान करता है योगी जब शरीर को छोड़कर जाता है एस्टल ट्रेवलिंग में जाता है तो उसके शरीर को शक्ति कौन प्रदान करता है हमने आदि शंकराचार्य के शरीर परिवर्तन की कहानियां सभी ने सुनी [संगीत] होंगी लेकिन उन्होंने बहुत लंबे समय तक छ महीने तक शरीर परिवर्तन किया था अपने शरीर से निकले राजा के शरीर में चले गए 72 घंटे तक चक्रों को बाहरी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती जो व्यक्ति शरीर से बाहर चला गया है इंसीडेंटली या एक्सीडेंटली कई बार ऐसा
होता है एक्सीडेंटली बाहर चले जाते 72 घंटों तक उनके चक्रों को [संगीत] बाहरी एनर्जी की आवश्यकता नहीं पड़ती उनके भीतर स्टोर होता है उस स्टोर से ही वह एनर्जी का प्रयोग करते रहते हैं जैसे आपको एक उदाहरण समझाऊ हमारे शरीर के भीतर पानी है जल 70 प्र के और जल के बिना जीवन नहीं लेकिन अगर कोई व्यक्ति नौ दिन तक पानी ना पिए तो वह जिंदा रह सकता है ये मियाद अलग-अलग हो सकती है किसी की आठ दिन किसी की सात दिन क्यों क्योंकि शरीर के अंदर पानी स्टोर है हमारा शरीर परमात्मा ने इस ढंग से बनाया है के आपत्ति काल के भीतर इसमें
संग्रहित ऊर्जा इसका बचाव करती रहे तो बिना पिए भी आराम से छह सात दिन गुजार सकते हैं अगर पानी ना प भोजन ना खाए तो भी हमारे भीतर स्टोर है एनर्जी उस स्टोर से मिलती रहेगी और शरीर की दैनिक दिनचर्या उससे पूरी होती रहेगी शरीर मरेगा नहीं जीवंत रहेगा लेकिन यह कुछ दिनों के लिए होगा संसार के लोगों ने करीब 100 दिन तक व्रत रखे हैं बिना खाए पया भगत सिंह ने जेल में 116 दिन का भूखे रहकर उपवास किया था पानी पीते थे तो इतनी एनर्जी है हमारे भीतर परमात्मा की यह सर्जना बड़ी विराट और बड़ी समझदारी से बड़ी महीन संरचना है जल्दी जल्दी
परमात्मा ने व्यवस्था की के शरीर मरे संग्रहित ऊर्जा इसमें संरक्षित है पानी के बिना भी जी सकता है शरीर भोजन के बिना भी जी सकता है शरीर और जो हमारे चक्र है देखिए इन चक्रों पर आप इस मुकाल पर मत रहे जब हम इसे जब डॉक्टर इसे ते डक्शन करते हैं तो इन्ह कोई कहीं चक्कर नहीं मिलता ना कुंडलिनी मिलती है नाज नाया मिलती है ना कोई चक्र मिलता ना सह मिलता है कुछ नहीं मिलता इसलिए साइंटिस्ट कहते कि यह है नहीं और उनकी बात भी बिल्कुल ठीक है क्योंकि साइंस का सीधा सधा फार्मूला है जब देख लेंगे तब मानेंगे और सटीक फार्मूला है तो साइंस कहती कि ऐसा
कुछ नहीं होता लेकिन अध्यात्म कहता है कि बिल्कुल ऐसा होता है और अध्यात्म ज्यादा सही इसलिए नहीं के अध्यात्म पुराना है नहीं अध्यात्म ने देखा है चखा है आध्यात्मिक व्यक्ति अपने भीतर जाकर इन चक्रों को देखता है जागृत करता है कुंडलिनी को जागृत करता है अतः शक्ति वहां से लेता है और बहुत तरह के कामों को निपटा है अगर चक्र अगर हम शरीर से बाहर चले जाए तो शरीर के चक्र हमारे कारण जागृत है क्यों क्योंकि हम एनर्जी का भंडार है मैंने बहुत बार कहा लोग मुझे कहते हैं बाबा यह वासना टिकने नहीं देती यह मन ठहरता नहीं तो मैं कहता हूं तुम शक्ति के
रूप तुम ऐसे शक्ति देनी बंद कर दो मन भोकना बंद कर देगा विषय वासना नहीं आए क कि जब मन को शक्ति ना मिली इंद्रियों को शक्ति ना मिली तो फिर व गतिमान कैसे होंगे शक्ति रूप तुम हो इसलिए वासना का मूल मुद्दा तुम तुम देते हो शक्ति और फिर तुम ही बैठते हो कि हमारा मन ठहरता हमें विश्व वासन की ओर खलता है अब क्या करें तुम ने दर्द दिया और तुम दबा दे यह सब दर्द तुम्हारा ही दिया हुआ है तुम ही शक्ति देते हो मन को और इंद्रियो को इसे देना बंद कर दो बिल्कुल सीधा सच कोई ज्यादा पेचीदा पन नहीं है इस बात में जब शरीर से बाहर तुम निकल जाते हो तो
कहां शरीर हरकत करता है होन बंद हो जाती है स्वास जब तुम निकले शरीर मुर्दा हुआ इसका मतलब तुम ही थे एनर्जी देने वाले और तुम निकल गए तो शरीर मुर्दा हो गया तुम्हारे बिना शरीर मुता है जब योगी निकल जाता है शरीर से तो तत्व हमारे चक्रों को कौन देता है शक्ति हमारे चक्रों के भीतर स्टोर की हुई शक्ति पहले से मौजूद है जो चक्रों को जागृत रखती है जीवंत रखती है लेकिन 72 घंटे के बाद वह चक्र सड़ने शुरू हो जाते फिर आदमी किसी भी वक्त जा सकता है 84 घंटे मैक्सिमम गिने गए हैं अगर कोई व्यक्ति कहे कि मैं बिना पानी पिए कुछ बुद्धु तो ऐसे हैं जो कहते बिना शवास
लिए हमने पाच साल गुजार दिए मूर्खता है ऐसा कुछ संभव नहीं शरीर को चलाने के लिए किसी ना किसी प्रकार की शक्ति की आवश्यकता पड़ेगी वो शक्ति चाहे तुम लिक्विड से रो सॉलिड से चाहे अन्न खाओ चाहे तरल खाओ शक्ति लेनी ही पड़े और अगर कोई व्यक्ति कहता है कि मैंने सिर्फ पानी प अपने शरीर को दो तीन साल चलाया है तो वह झूठ बोलता है ऐसा कोई प्रोसेस शरीर के भीतर जब डिहाइड्रेशन हो जाती है शरीर के भीतर पानी समाप्त हो जाता या समाप्त होने की कगार पर होता है तो हम बाहर से पानी डीएन की डीएनएस की बोतले लगा के उसे देते हैं क्योंकि शरीर के भीतर का पानी समाप्त
हो गया तो उसे डेक्सस की बोतल लगाते हैं लिक्विड हम बाहर से पहुंचाते तो शरीर फिर से जीवंत हो जाता है लेकिन अगर बहुत से व्यक्ति मैंने देखे हैं कि इस व्यक्ति को 20 साल हो गए इसने कुछ नहीं खाया ना कुछ पिया यह मुड़ता है ऐसा कुछ होता नहीं अगर कोई ऐसा होता है तो मेरा चैलेंज है उसको अक्सर अध्यात्मिकता में मूड लोग ज्यादा प्रवेश कर जाते हैं और जितना वो त्याग करते हैं और त्याग करने के पीछे भी उनका कारण होता है खाना नहीं खाया पानी भी नहीं पिया कुछ भी नहीं खाया फिर भी जीवंत है कल को तो तुम कह दोगे हमने शवास भी
नहीं लिया फिर भी जीवंत है लेकिन यह झूठ है यह सत्य नहीं तो चक्रों के बारे में आपने पूछा जब योगी शरीर से निकल जाता है तो चक्रों को शक्ति कौन प्रदान करता है शंकराचार्य ने तो व्यवस्था कर ली प्रत्येक चक्र को शक्ति देने वाले मास्टर वहां बैठे निरंतर ड्यूटी बदल रही और व जीवंत रह गए छ महीने तक हां ठीक 72 घंटे तक शरीर को शक्ति देने की आवश्यकता नहीं है चक्र वैसे ही जागृत लेकिन उसके बाद खतरा शुरू हो जाता है 84 घंटे पर योगी शरीर छोड़ना जरूरी हो जाता है उसके लिए 84 घंटे शायद ही कोई काट 72 घंटे तक काट सकता है व्यक्ति बड़े
आराम से इतना स्टोर होता है तो शरीर के भीतर एनर्जी स्टोर होती है भोजन के मामले में भी पानी के मामले में भी लेकिन ऑक्सीजन के मामले में स्टोर नहीं मर जाओगे अगर ऑक्सीजन नहीं ऑक्सीजन को स्टोर करने का कोई फार्मूला नहीं कोई स्टोर वह कुछ मिनट के लिए अगर अभ्यास करे योगी तो कुछ मिनट के लिए रुक सकता है मैं जब पानी में गिरा तो ढ़ मिनट तक पानी में रहा निश्चित पानी में सा मिनट रहा तो श्वास भी नहीं आया लेकिन मैं योग किया करता था स्वास को रोकने का कुंभक बाहर बाहर कुंभक किया करता था मुझे अभ्यास था उसके कारण मुझे स्वास नहीं आया तो मैं
जीवित रहा लेकिन उसके बाद हृदय ठहर गया डेथ हो गई लेकिन इन्होंने निकाल लिया फिर फिर हार्ट शुरू हो गया जो परमात्मा जानता है कैसे शुरू हु यह उसकी ही लीला है तो शरीर के भीतर सभी कुछ स्टोर होता है ऑक्सीजन के अलावा ऑक्सीजन के बिना नहीं काटा जा सकता आपने कोरोना में देखा ही भोजन के बिना काट जाओगे पानी के बिना कुछ दिन काट जा दूसरा प्रश्न है यह पूछा है विनोद कुमार ने अंतरंग क्षणों में जो कुछ क्षणों की बेफिक्री चिंता मुक्ति आनंद खुशी मिलती है उसका कारण क्या है रहस्य क्या है बड़ा सुंदर सवाल है अच्छा किया पूछ
लिया अंतरंग क्षणों में जब आप पीक पॉइंट पर होते हो संभोग में तो आपको कोई चिंता नहीं आप मस्त होते हो कोई फिकर नहीं तो ये पूछते हैं वो क्यों उसका रहस्यांगल है कि सिर्फ आप 2000 वीडियोस को ना देखें सिर्फ इस एक छोटी सी प्रश्न के जवाब को सुन लो हृदय में बसा लो और वैसा करना शुरू कर दो तो 2000 वीडियोस बेकार हो जाएंगे इसके क्या है रहस्य अंतरंग क्षणों में क्यों मिलता है हमें तनाव मुक्ति चिंता मुक्ति कोई फिक्र नहीं और खुशी होती है खमरी होती है इसका गहरा रहस्य क्या है अब सुनि अक्सर मन या तो अतीत में या भविष्य में डोलता रहता
है गौर से समझ लेना चार शब्द हैं तुम्हारे काम आएंगे मैं चला जाऊंगा फिर किससे पूछ शब्द तो बहुत मिलेंगे लेकिन रहस्य नहीं जान पाओगे शब्द तो भरे पड़े हैं शास्त्र इन्हीं शब्दों से भरे पड़े लेकिन आप उनके रहस को खंगाल नहीं पाते ऐसा कुछ नहीं है जो संत नया बोलता है संत वही वही पुराना बोलता है लेकिन खोल के बोलता है साधारण त मन अतीत या भविष्य इन दोनों में डोलता रहता है और इस बात को आप ध्यान में रखना जैसे ही आपका मन डोलेगा पेंडुलम की तरह अतीत में डोलेगा भविष्य में डोलेगा तो ठहराव नहीं आएगा पेंडुलम की भाति बाएं जाओगे दाएं जाओगे डोलते
रहो उस एक क्षण में डोलना बंद हो जाता है तुम मध्य में आ जाते हो यानी तुम वर्तमान में आ जाते हो सब साधना को छोड़ दो विज्ञान भैरव तंत्र की साधना हों को छोड़ दो कुछ ना करो सिर्फ वर्तमान में आ जाओ और प्रकृति तुम्हें सिखाती है कि जयह आनंद तुम्हें मिला कैसे तुम उस वक्त वर्तमान में होते हो बिल्कुल वही होते हो जहां होते हो फिर सुनलो बिल्कुल तुम वही होते हो जहां होते हो उसे इतर ना अतीत में होते हो ना भविष्य में होते हो अतीत होख जाता है भविष्य हो जाता है रह जाता है वर्तमान और वर्तमान होने की कला वर्तमान में होने की कला जो सीख
गया आठों पहर आनंद वर्तमान में होना ही आनंद में होना है क्योंकि जैसे ही तुम वर्तमान में होते हो तुम ठहर जाते अब इस प्रोसेस को समझना पूछ लिया समझ भी लेना जैसे ही तुम वर्तमान में होते हो तुम ठहर जाते हो और तुम अपने भीतर क्यों नहीं जा जा पाते क्योंकि तुम डोलते हो जैसे चुंबक डोलते हुए लोहे को नहीं खींच पाता वैसे ही तुम्हारा भीतर डोलते हुए मन को खींच नहीं पाता जैसे चुंबक ठहरे हुए लोहे को खींच लेता है वैसे ही तुम्हारा अंत स्पम चुंबक है जैसे ही तुम्हारा मन ठहरा ना अतीत में हुआ ना भविष्य में हुआ वर्तमान में ठहर
गया और जब ठहर गया तो वह तो तैयार तैयार बैठा है वह तत क्ण तुम्हें खीच लेगा उस आनंद की बात करता हूं तुम्हारे स्वभाव की बात करता हूं बहुत लंबी चौड़ी प्रोसेस नहीं मैं तुम्हें कोई शास्त्र की व्याख्या नहीं समझाता हूं तो मैं जीवन की व्याख्या देता हूं जीवन जियो ऐसे जियो दो शब्दों का मेल है इन दो शब्दों को ठीक से समझ लो जब भी तुम जब भी तुम आनंद में होगे ना वर्तमान होगा ना भविष्य हो क्षमा करना ना अतीत होगा ना भविष्य होगा वर्तमान ही होगा तुम वर्तमान में ठहरे के अपने भीतर उतरे रोज पूछते हैं मुझसे प्रश्न बाबा अपने भीतर कैसे उतर
जाए वर्तमान में ठहर जाओ अपने भीतर उतर जाओ तुमने थोड़ा ही उतरना है तुमने तो ठहरना है खैंच तो वही लेगा यह तो उसका काम है तुम जरा इतनी तो कृपा कर दो अपने आप के ऊपर कि तुम दौड़ ना भागना बंद कर दो ना भविष्य में जाओ ना अतीत में जाओ अभी यहीं ठहर जाओ और जैसे ही तुम वर्तमान में ठहर गए तुम पाओगे उस चुंबक ने तुम्हे खीच लिया भीतर जाना नहीं है बस ठहर जाना है भीतर तो खींच ही लेगा तुम तुम ठहरना सीखो वर्तमान में ठहरना सीखो और ये संभव के अंतरंग क्षण तुम्हें यही सिखाते हैं प्रकृति कुछ ना कुछ तुम्हें आध्यात्मिक सिखाती है तुम सीख
नहीं पाते बात अलग है प्रकृति तुम्हें सदा प्रकृति के पार की बात समझाती है लेकिन तुम प्रकृति के पार की चीज पकड़ नहीं पाते अंतरंग क्षण तुम्हें समझाते हैं आनंद भी आता है खुशी भी होती है चिंता भी मुख जाती है नींद भी ठीक आती है लेकिन तुम्हें इस प्रोसेस को सारी उम्र इस प्रोसेस के बीच में से गुजरते हो भेद समझ नहीं आता इसका भेद क्या है रहस्य क्या है रहस्य यही है जब जब तुम ठहरे वर्तमान में ठहरे तब तक तुम खींचे उस चुंबक ने तुम्हें खीच और चुंबक जब खींच लेता है उस गढ ही आनंद आता है अगर तुम शारीरिक मिलन के अलावा वर्तमान में हरना सीख लो वैसे भी घर
के किसी कोने में बैठे हो अपने बेडरूम पर बैठे रसोई घर में हो खाना खा रहे हो ठहरना सीख लो ठहरना तो तुम्हें वह क्षण आनंददाई लगेगा खाना तो पहले भी खा रहे लेकिन जब जैसे ही तुम ठहर गए वह खाना तुम्हें रस देने लगा क्यों क्योंकि तुम वर्तमान में आ गए वर्तमान है कुंजी इस गहरे रहस्य की इस अमृत को पीना है तो वर्तमान में जीना है वर्तमान में रहना सीखना है तुम ही रह सकते हो तुम्हें कोई सिखाएगा थ तुम बाहर दौड़ रहे हो इसीलिए तो मैं कहता हूं बाहर से सारी शक्ति को इकट्ठा करो हमारे एक अवतार बनाया गया कच्छप अवतार वह सारी इंद्रियों को भीतर समेट
लेता है खोल के भीतर इसका अर्थ क्या था जो तुमने बाहर बिखेर रखी है सारी शक्तियां धन में फैक्ट्रीज में पदविका तुम बिखरे पड़े हो तुम्हारी किरण ध्यान की हजारों स्थानों पर अटकी खड़ी बच्चों से मोह है स्त्री से मोह है पारिवारिक मोह है मित्रों से मोह है ना जाने किसकिस अदृश्य धागे में तुम बंधे हो और फिर तुम कहते हो कि हम बंधन मुक्त होना चाहते हैं यह बंधन तो इतने सूक्ष्म है कि दिखते भी नहीं बंधन टूटेंगे अगर तुम वर्तमान में आओगे वर्तमान में आने से तुम खिसक जाओगे अपने भीतर और बंधन तो इतने महीन धागों से बंधे
हैं बंधन तत्क्षण टूट जाएंगे बंधन तोड़ने नहीं है तुमने खसक जाना है तुमने ठहर जाना है और वह तुम्हें खींच लेगा अपने भीतर और जब अपने भीतर खींच लेगा तो कहां जाएगा अपने भीतर खींच लेगा तो अपने भीतर ही ले जाएगा तुम उस स्थिति में पहुंच जाओगे जहां कृष्ण कहते हैं स्थिति प्रज्ञ हो जाए अर्जुन तुम अपने आप में सित हो जाओगे या यूं कहिए उस परमात्मा में स्थित हो जाओ तुम कृष्ण के भीतर उतर जाओ वही आनंद है जो तुम चखो यह तो कोई जरिया बनता है शरीर जरिया बनता है जिसके जरिए तुम अंतरंग क्षणों में पहुंचते हो दूसरा जरिया भी है उसके बिना भी पहुंच
सकते हो कि तुम वर्तमान में आ जाओ भविष्य में ना भटको भविष्य की कल्पनाएं छोड़ दो अतीत की समृति को विदा कर दो अतीत जा चुका भविष्य की कल्पनाओं को मत समझाओ क्योंकि वह अभी आया नहीं अभी तो सिर्फ वर्तमान है और ना कभी भविष्य आता है ना कभी अतीत आता है जब भी आता है और जब भी आएगा जब भी आया है वर्तमान आया है ना कभी अतीत आया है ना कभी भविष्य आया है अतीत आया है तो कभी वर्तमान था भविष्य आएगा तो वर्तमान बनके आएगा वर्तमान के बिना किसी के आने की कोई गुंजाइश नहीं यही है रहस्य कि तुम उन अंतरंग क्षणों में वर्तमान में ठहर जाते हो
तुम्हारा ठहरना सूत्र है तुम्हारा ठहरना वर्तमान में कुंजी है स्वयं तक जाने की और तुम भटकते फर रहे हो टक्क मार रहे हो उपनिषदों में वेदों में गीता में ग्रंथों में बाइबल में कुरान में तुम टक्क मार रहे हो शास्त्र भरे पड़े तुम्हारे दिमाग में लेकिन एक छोटी सी बात हमें समझ नहीं आई कि हम सब शास्त्रों को आग लगा यह बात शास्त्रों की है ही नहीं यह बात हमारे जीवन की है दुखी है हमारा जीवन सुखी करना है हमने अपना जीवन तो शास्त्रों को एक तरफ छोड़ो यह बचो दिय हटा दो इन विचोलियां का कोई काम नहीं बात तुम्हारे जीवन की है तुमसे
संबंधित है शास्त्रों से संबंधित नहीं है और तुम्हारे जीवन की बात शास्त्र बताए ये अनुचित है ये किसी भी माती उचित नहीं तुम्हारे जीवन की बातें जीवन से पूछो जीवन ही बता पाएगा तुम्हारे जीवन की बातें शास्त्रों से मत पूछो शास्त्र नहीं बता पाएगा अंतरंग क्षणों में क्या रहस्य है कि हमें क्षण का आनंद मिलता है भार से मुक्त हो जाते हैं चिंता समाप्त हो जाती है नींद अच्छी आ जाती है क्या होता है तुम वर्तमान में आ जाते हो उस क्षण में और बिना संभोग के क्षण के बिना अंतरंग क्षण के अगर तुम वर्तमान में आना सीख जाओ तो तुम्हें संभव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी
तुम्हें अंतरंग क्षणों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी यही है फार्मूला को साध बाकी सब फार्मूले बेकार लंगोट बांध लो जबरदस्ती अपनी इंद्रियों को मारने की चेष्टा बहुत से लोग अपनी इंद्रियों को काट देते हैं क्या बिगाड़ा है भाई इसने सूरदास ने आंखें फोट ली मैंने सुना है आंखों का क्या कसूर है आंखों का काम है देखना अगर कोई खूबसूरत स्त्री आ गई तो देख लो पुरुष आ गया देख लो इनका काम देखना है और यह परमात्मा की संरचना है उसको देखना कोई पाप थोड़ी उसकी महत इतनी सुंदर प्राकृतिक संरचना को देखना पाप थोड़ी हो सकता है
उसकी संरचना को देखना उसके गुणों का बखान करना उसके महत गुणों को पीना उसके महत सुंदरता के रहस्य को पीना पुण्य नहीं पुण्य है पाप नहीं तुम इसे पाप समझ लेते हो सुंदरता को देखना पाप सुंदर स्त्रियां अक्सर उलाना देती हैं यह व्यक्ति मुझे घोर घर के देख रहा है भाई अच्छी तरह से देख रहा है देख लेने दो क्या लेता है तुम्हारा कुछ घट जाता है कुछ नहीं घटता लेकिन अपने आप को तुम भीतर की बात का नहीं पता स्त्री अपने आप को जो स्त्री ऐसी बात करती है वह अपने आप को शोभायमान करना चाहती है उसको यह बात खुद पता नहीं वह अपने आप
को सौभा मान करना चाहती है कि मैं वास्तव में सुंदर हूं और यह मेरी तरफ देख रहा है सुंदरता को अगर कोई देखे तो वह तुम्हें मान दे रहा अगर वो तुम्हें तकारी तुम्हारी तरफ देखे ना मुंह मोड़ ले थूक दे तुम पर फिर तो हुआ तुम्हारा अनादर अगर तुम्हें आंख भर के देख लेता है तो फिर क्या गलत है भगवान की सृष्टि को आंख भर के देख लेना पुण्य है पाप [संगीत] नहीं वर्तमान में ठहरना अगर सीख जाओ किसी भाति सीख जाओ तो तुम्हें ना तो संभोग की आवश्यकता है ना किसी प्रकार की तरतीब लड़ाने की आवश्यकता है तो बाबा ने कहा कहा है परमात्मा तक पहुंचने का एक
ढंग बताया बाबा कहते हैं जोर ना जुगती छुटे संसार किसी भी जुगती में कोई जोर नहीं कि वह तुम्हें संसार के बंधनों से मुक्त करते जोर न जुगती युक्ति कहते हैं इन विज्ञान भैरव तंत्र के 112 और और विधियां जो बताते हैं तुम्हारे गुरु लोग मार्गदर्शक बाबा कहते हैं इन सब युक्तियों में कोई जोर नहीं ये तुम्हें ना ले जाए पाएंगे जोर न जुगती छूटे संसार संसार के बंधनों से छूटने में तुम्हारी कोई भी युक्ति काम नहीं आती तो फिर मुझे लोग पूछ लेते हैं फिर क्यों करते हैं लोग साधना साधना का फायदा है साधना का फायदा यह है कि तुम राधे राधे
जपोगे थोड़ी तेजी से ज चरखड़ी की तरह घमा दो मालो ना सो ना खाओ कुछ ना करो चलते ही चले जाओ ना पानी पियो ना खाना खाओ एक दिन क्या होगा तुम लुड़क जाओगे लुड़क जाओगे तो जब तुम उठोगे तो तुम्हारा नाक मर जाएगा नाक तुम फिर से राधे राधे नहीं करो यही महतव थी जाप की जाप करने से जाप की व्यर्थ का पता चल जाए यही महता थी भोग की पूर्ण भोगने से भोग की व्यर्थ का पता चल जाए कि भोग व्यर्थ है जाप व्यर्थ है मोन काम करेगा जाप काम नहीं करेगा भोग काम नहीं करेगा ठहराव काम करेगा इसलिए संतों ने कहा भोग लो भाई संत जानते हैं जनक ने भोगा है जनक ने
छोड़ दिया अष्टावक्र के चरण पकड़ नहीं मिला प्रभु मैं तो राजा हूं हर चीज महिया लेकिन मिला नहीं अब तुम ही बताओ फिर अष्टावक्र बताते हैं जनक के भोगों को भोगने से दुख पैदा होता है दुख से आता है वैराग्य और वैराग्य से उठती है मुमुक्षा यानी मुक्त होने की इच्छा और जिसके भीतर मुक्त होने की इच्छा उठ गई वह एक ना एक दिन मुक्त हो ही जाएगा तुम्हारे भीतर मुक्त होने की अभी इच्छा नहीं तुम्हारे भीतर अभी भोगने की इच्छा बाकी ऊपर से बातें किए जाते हो कि बंधन से मुक्त हो जाऊं ऐसा हो जाए वैसा हो जाए होता नहीं बंधन बंधनों की तरह लगनी शुरू हो जाए
तुम्हें इतना कस के बांधने कि तुम्हारे पूरे प्राण हो जाए हम इन बंधनों से छूटना चाहते हैं वह होती है मुमुक्षा मुक्त होने की इच्छा बंधनों से मुक्त होने की इच्छा तो बाबा कहते हैं जोर न जुगती छूटे संसार तुम्हारी किसी युक्ति में संसार से छूटने का कोई जोर नहीं कोई भी युक्ति तुम्हें संसार से मुक्त नहीं करवा सकती और क्या मुक्त कराएगा उसकी रजा में रहो बड़ा सुंदर शब्द है जब तुम उसकी रजा में रहोगे तो तुम वर्तमान में आ जाओगे बड़े समझदार है बाबा वो बुनियादी तत्व को देखते हैं कि जैसे ही तुमने सब कुछ छोड़ा तुम निर्भर
हुए और जैसे ही तुम्हें दूसरे के हाथ में पतवार दे दी तुम बेफिक्र हो गए और वर्तमान में आ गए तुम वर्तमान में आते हो तो अपने समाधि में पहुंच सकते हो दूसरी बात तुम वर्तमान में आए बिना तो नींद में भी नहीं जा सकते तुम्हें रोज प्रकृति सिखाती है नींद में जाने के लिए तुम्हें क्या करना होता है भविष्य की कल्पनाएं छोड़ देनी होती है अतीत की स्मृतियों को भुला देना होता है और इसी क्षण में आना पड़ता है फिर जिस घड़ी तुम इस क्षण में आए उसी घड़ी तुम भीतर गोता लगा लेते हो नींद आ जाती है नींद का और समाधि का एक ही फार्मूला है
नींद में भी तुम वर्तमान में आते हो सब पछड़ को छोड़ देते हो तभी नींद आ पाती है और ध्यान भी तभी लगेगा समाधि भी तभी लगेगी जब तुम सब पड़ों को छोड़ दोगे वर्तमान में आ जाओगे ना भविष्य की कल्पना तुम्हें जंजो ना अतीत की स्मृतियां तुम्हें छेड़ी तारुफ बोझ बन जाए तो उसको भूलना बेहतर तालुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा तारुफ बोझ बन जाए तो उसको भूलना बहतर जान पहचान परिचय एंटेंस अगर यह बोझ हो जाए तो उसको भूलना बेहतर होता है बड़े गजब की कभ इतनी शानदार शब्दावली लिखता है हम सिर्फ फिल्मी गानों में ही समझ कर इन्ह
ठुकरा देते लेकिन तुम्हें पता नहीं कभी और ऋषि एक कदम के फासले प तारुफ रोग हो जाए तो उसको छोड़ना अच्छा तालुक बोझ बन जाए तो उसको भूलना बेहतर वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन [संगीत] उसे एक खूब सूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोन जब स्मृतियां दिमाग के ऊपर इतनी भा भारी होनी शुरू हो जाए कि वो तुम्हें अपना अस्तित्व भुला दे कि तुम हो कौन तो उन्हे भूलना अच्छा होता है समृति को याद मत रखो तारुफ बोझ बन जाए तो उसे भूलना बेहतर तालुक बोझ बन जाए तो उसे छोड़ना
अच्छा अग रिश्ता बोझ बन जाए उसको तोड़ दो वाप साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन ऐसा गाना ऐसा गीत जिसको आखिर तक खींचा ना जा सके उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा उसे एक सुंदर सा मोड दे दो टर्न दे दो अच्छा है उसे छोड़ दो समृति तुम पर बोझ बन जाती है इन्ह भूल जाओ भविष्य की कल्पनाएं तालुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा है भविष्य की कल्पना तुम पर बोझ बन जाती है उनसे किनारा करलो पता नहीं जो तुमने कल्पनाएं सजाई है पूरी होंगी नहीं होंगी कौन जाने कभी किसी की कल्पनाएं पूरी हुई है नहीं होती तुम्हें लगता है कि पूरी हो
जाती आखिर में तो तुम अतृप्त ही उठते हो समृति हों को मिटा दो कल्पनाओं को छोड़ दो वर्तमान में आ जाओ यही सूत्र है वर्तमान में आए बिना कोई जुगाड़ नहीं कोई रास्ता नहीं एक ही रास्ता है वर्तमान में आ जाओ छोड़ो झंझट स्मृतियों की छोड़ो भविष्य के सपने छोड़ो कल्पनाओं के सुंदर स्वर्ग के घर नहीं जरूरत नहीं चाहिए हमें पता नहीं ये है भी कि नहीं तुम ऐसे ही हवा में महल बना रहे हो मैं कभी ज्योतिष के विषय में कोई कोई वीडियो डाल देता कोई टोट के छोटे मोटे लोग मुझे कहते हैं बाबा कहां थे कहां आ गए मैंने कहा कहां थे वही
है वही रहेंगे वही रहे हैं सच जगादेवी अपने आप को जान लिया है नहीं नहीं वह बाहर का विषय वह मेरी सूचनाएं हैं जब मैं आपको सूचनाएं दे रहा हूं अपना घरबार चलाने के लिए मैं कुछ सामान उठाना शुरू कर दू कई बार मैं बिल काटता होता हूं जिनके मिठाई के डब्बे गए लोग कहते हैं बाबा छोड़ो यह काम क्यों छोड़े हम आपके चैनल में डाल देंगे आप आराम करो मैंने कहा आराम भी करता हूं आराम की जरूरत होती है आराम भी करता हूं लेकिन काम तो कबीर भी करते थे झीनी झीनी सी च दरिया बनते थे काम तो वो भी करते थे मैं भी किसी के बिल काट देता हूं या
किसी को फिजिक्स पढ़ा देता हूं तो वो विषय है बाहर का विषय है वह मेरी नॉलेज है इकट्ठी की हुई मैं बांट देता हूं इसमें तो क्या इतराज बाबा यह ठीक सा नहीं तुम इसकी काट करते हो मैंने तो कभी काट नहीं की मैंने काट की है सिर्फ ऐसी मान्यताओं की जो झूठ जो सिंबॉलिक रिप्रेजेंटेशन आपने बनाई एनर्जी की यह विष्णु है यह ब्रह्मा है यह शिव है सरस्वती है उल्लू पर बैठी हुई लक्ष्मी है मैं तो इनकी काट करता जो है ही नहीं यह स्वर्ग है ये नरक है मैं तो इनकी का मैंने कब कहा यह मुहूर्त नहीं होता बिल्कुल होता है जो चीज है और मैं जानता हूं और मैंने
इनका अनुभव किया है अनुभूत चीजों को बोलता हूं वो क्यों ना बाटू ये भी तो बांटने की चीज है बहुत से व्यक्तियों को अभी राम नहीं चाहिए अभी भोजन चाहिए उनको भोजन ही देना पड़ेगा और बहुत से व्यक्ति भोजन से उब गए हैं पेट भर गया है उनको राम ही चाहिए उनको राम ही देना पड़ेगा सबकी जरूरतें अलग अलग है और सबको जरूरत के हिसाब से ही बोलना पड़ेगा इसका मतलब मैं 24 घंटे इसी विषय पर बोलता नहीं नहीं जो भी मैं जानता हूं और बड़ा तंत्र मंत्र की बातें है अगर मैंने बोलना शुरू कर दिया तो आप कहोगे बाबा बंद कर दो यह क्या है यह तो बड़ा अश्लील है मैं
तो ऐसा ऐसा कुछ जानता हूं मैं तो तंत्र का मास्टर अगर मैंने बोलना शुरू कर दिया तुम तो गालिया निका लोगे मुझे नहीं तुम अपने तक महदूद रहो तुम यह देखो जो मैं अध्यात्म के बारे में बोलता हूं वो जचता है नहीं जजता तो मैं सदा से कहता हूं और किसी चैनल को खंगा अच्छा लगता है बैठे रहो मेरी तरफ से कोई मना मुझे कोई आपके सरद कर द तारुफ रोग बन जाए तो उसको भूलना बेहतर तालुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा व अफसाना जिसे अंजान तक लाना ना हो मुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा समझदार व्यक्ति ऐसा ही किया करते
हैं यह एक विद्या है और जो जो विद्या मैं जानता हूं उस विद्या का प्रसारण करने में अगर वह सत्य हैं तो मेरी अनुभूत है तो और ध्यान रखना जो टोट के में बोलता हूं जो सिद्धि योग में बोलता हूं जो कर्मकांड के ऊपर मैं बोलता हूं वे मेरे खुद के अनुभूत हैं और वह शास्त्रों से प्राप्त नहीं किया गया वह संतों से प्राप्त किया ऐसे मैंने कहीं से पढ़ नहीं लिया ऐसे मेरे मन का वो सिर्फ बकवास नहीं है वो सत्य हैं उनको ध्यान से सुना करो और किया करो अजनबी बन जाए हम दोन चलो एक बार फिर से ना मैं तुमसे कोई उम्मीद रखू दिल नवाजी
की ना तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज नजरों से ना मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ा मेरी बातों में ना जाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज नजरों से चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों बड़े गहरे अर्थ तुम वहां से आए हो और यहां आ गए यहां आंखें लड़ा ली भविष्य की कल्पना से अतीत की समृति से प्यार हो गया है लेकिन यह ऐसा गहरा शब्द है कि चलो फिर वापस चले उसी घर में ना मैं तुमसे कोई उम्मीद रखू दिल नवाजी की यह तुम्हारा दिल बरमाते दिल बहलाती तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज न तुम भी मेरी तरफ कि मैं तुम्हारी कोई इच्छा पूरी करू ना मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए तेरी
बातो में जाहिर हो तुम्हारी कसम कश का राज नज चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेश कदमी से मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं यह तुम्हारे होना सकेंगे लाख कमा लो डेर लगा लो सुमेरू पर्वत यह धन कमा लो यह जलवे पराए हैं तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेश कदमी से मुझे भी लोग कहते हैं संत कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं ये जलवे पराए धम से करर पड़ोगे कितने ही कमालो कितनी बड़ी गद्दिया पर बैठ जाओ र पो मेरे हमराह भी रुसवाईयां है मेरे माझी की तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के
साए तुम्हारे साथ भी जीवन गुजारा है तुम्हें पाके खुशियों के पदार्थ छीन लाए उनको उनका लुत्फ माना है लेकिन पुराने माझी की यादें भी मेरे साथ उस जिसकी गोदी में लोटपोट हुआ करते थे जिसकी गोदी में बैठ के बेफिक्र हो जाया करते यह भी यादी है मेरे साथ मेरे हमराह भी रुसवा है मेरे मा जीी की वह प्रीतम प्यारा बनसरी वाला सुद विसरा गयो मोरी रे सुद विसरा गयो मोर वो काला वो काला एक बांसुरी वाला सुद विसरा गयो मोरी रे सुद विसरा गयो मोर माखन चोर वो नंद किशोर जो और माझी की बात कर कर गयो मन की कर गयो मन की चोरी रे कर गयो मन की
चो री हो काला हो काला एक भासुरी वाला मेरे हमराह भी रुसवाईयां है मेरे माझी की तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रा के साय हैं धन दौलत पदवी य इतनी इतनी मान्यता इतनी इतनी क्वालिफिकेशन की डिग्री तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साय मेरे हमराह भी रुसवाईयां है मेरे माजी की तुम्हारे रात तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साय तुम्हारा स्वाद भी चखा है पैसे का स्वाद भी चखा है गद्दिया का स्वाद भी चखा है मान्यताओं का स्वाद भी चखा है लाखों लोगों ने चरण पकड़ लिए नाम हो गया वो स्वाद भी चखा है और माझी की गोद में जाकर लिब बैठ गए और उसने
पुकार लिया उसने चूम लिया प्यार से वो लमहे भी यात है व लमहे भी भूला नहीं तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साए हैं चलो एक बार फिर से है तो बड़ा मुश्किल संत रोज कहते हैं छोड़ो वैराग्य हो जाए ऐसा काम करो आज नबी बन जाए हम दोनों वैराग्य हो जाए संसार से संसार में सुख भी भोग लिए तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साय मेरे हमरा हभी उस मांझी की याद है उस मांझी की गोदी में बैठा रेत से बबड़ा तिब और उसने मुझे चूम लिया था चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों ऐसा ही करना होगा अतीत को छोड़ना होगा भविष्य को भूलना
होगा यह बंधन तोड़ने होंगे जो दुख देने लगे भारी हो गए बोझिल हो गए जो यादें तंग करने रातों की नींदे में खलल डालने लगी उन्हें भूलना होगा और तुम वर्तमान में आ जाओगे और जैसे ही तुम वर्तमान में आओ तुम्हारे भीतर का व चुंबक तुम्हें अपने अंतस में अपने पास ही गोदी में बैठा लिया इस फार्मूला को याद रखना धन्यवाद
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