कुंडलिनी जागृत कैसे करें



स्वामी अचिंत नंद बाबा घोर असमंजस की स्थिति में हूँ हमने जाना है ऊपर सहस्रार में और आप विधि बताते हो नीचे जाने के भीतर जाने के बहुत बड़ी दुविधा खड़ी होती है आपकी बातों से आप कहते हो कि अपने भीतर उतरो और संत कहते हैं और आप भी कहते हो कि खिलेगा सहसरा दल कमल हजार पंखुड़ियों वाला वह कमल खिलेगा और बड़ा आनंद आएगा यह दो शब्द मेरे जी का जंजाल बन गए  है कृपा इस झाड़ फूस को हटा के मुझे कृतार्थ करने का कष्ट करेंगे 


स्वामी जी आपने मेरी बात को लगता है कि ठीक से 

नहीं सुना आधा सुन लिया 

होगा शेष रह गया होगा बिल्कुल मैं यह कहता हूं कि अपने 

भीतर उतरो भीतर ही है घट घट का वासी जिसे कहा गया है 

और फिर जाना है ऊपर सहसरा 

[संगीत] में सहसरा दल कमल वो हजार पंखुड़ियां 

वाला खिलेगा 

वो और बड़ा आनंद आएगा उसी की तलाश है हमें 

ध्यान से समझेगा क्योंकि पहले भी आपने कहीं चूक की 

है अपने भीतर उतरना है मैंने कहा एक पॉइंट 

आएगा जंक्चर पॉइंट 

वहां से नीचे जाओगे तो आप पहुंचो ग कुंडलिनी के पास नाभी क्षेत्र के 

आसपास और नाभिक क्षेत्र के 

आसपास कुंडलिनी जब खुलेगी सारी शक्ति वहीं 

पर निहित है प्रकृति ने इस चक्र का महत्व 

बड़ा विराट बनाया है बच्चा होता 

है तो इसी चक्कर से नाभी से जुड़ा होता है न महीने का 

पोषण नाभी से ही पाता 

है तो आप नाभिक के तल तक पहुंच जाओगे भीतर जाते 

जाते वहां से एक रास्ता जाता है मेरुदंड के भीतर से 

होता हुआ यह जो तीन नाड़ियों मैंने बताई इड़ा 

पिंगला श 

सुमना उसके भीतर से यह शक्ति का 

प्रवाह कुंडलिनी एक अटॉमिक 

पावर हाउस की तरह है बरा पड़ा है 

व समस्त ब्रह्मांड से हम जुड़े 

हैं इस पॉइंट 

से हम ब्रह्मंद से नहीं जुड़े हैं ध्यान 

रखना कहीं भी किसी भी स्थान पर किसी भी शास्त्र 

में आपको ब्रह्म रंद्र से जुड़ा हुआ कोई पॉइंट नहीं 

पाएगा जो आपको परमात्मा से जोड़ता 

हो तो आप अपने भीतर उतरो ग 

ध्यान अपने भीतर उतरने की एक विधि 

है छोड़ देना है अपने आपको को 

रिलैक्स कुछ नहीं करना है कुछ नहीं 

करना कुछ नहीं करोगे तो भीतर खिसको ग धीरे धीरे धीरे 

धीरे भीतर खिसको 

ग संग संग लेता चलू सारी बातों को तो जैसे 

मैंने कहा कि एक टब के भीतर जब हम बाल्टी भरने के लिए घराते 

हैं तो उस भरे हुए टप में जब हम बाल्टी डुबो 

हैं तो उस बाल्टी का जितना वॉल्यूम डेंसिटी होती है उस हिसाब से पानी 

बाहर आ जाता है 

जब आप भीतर जाओगे वह बिल्कुल इसी तरह समझो कि आपने 

बाल्टी भरे हुए टप में डब 

दी पानी बाहर 

आएगा ये जो धूल आपकी बाहर आती है चेतन 

में और जो आप डरते हो तरह-तरह के अनुभव होते 

हैं भय आता है बहुत से लोग मुझे कहते हैं 

बाबा किसी के क्रोध ज्यादा किसी के काम ज्यादा किसी के लोभ मोह ज्यादा किसी का 

अहंकार ज्यादा होता है यह बाबा बढ़ जाता है 

क्यों कुछ नहीं बढ़ता कुछ नहीं घटता बात समझ 

टब में पानी है और टब में आपने बाल्टी डाल दी तो दूध 

थोड़ी निकलेगा पानी ही तो निकलेगा 

बाहर तो जब अचेतन के भीतर आप उतरो ग और 

बिल्कुल ऐसा ही है जैसे टब के भीतर आपने बाल्टी डुबोई 

तो आपके भीतर जो भी कुछ होगा वह बाहर निकलेगा बाहर यानी चेतन 

में मैंने आपसे बहुत बार कहा है जो भरा पड़ा है वही 

निकलेगा और नि संदेह 70 प्र आपने मृत्यु की भावना दबाई 

है कहीं कोई बड़ा अवसर आ गया उसने आपको जलील कर दिया गुस्सा तो बहुत 

आया लेकिन उस गुस्से को प्रकट नहीं कर सकते थे क्योंकि बड़ा ऑफिसर 

है अभी अक्सर 

तो मैं इहे कहता हूं कि तुम्हारा बॉस तुम्हें तंग करता है और तुम बॉस के सामने बोल नहीं सकते 

क्योंकि वह कंप्लेंट कर देगा आपसे रिजाइन लगवा लेगा और फिर तुम्हारी बदली कहीं और 

दूर दराज कर द जाएगी इसलिए तुम डर के मारे बहुस से कुछ 

बहस बाजी नहीं करते वह डर आपने दबा लिया 

क्रोध तो उठा जब बॉस ने हुकम चलाया 

डिक्टेटरशिप क्रोध तो बहुत आया और भीतर यह भावना भी आई कोई बात नहीं 

हमारे भी तो दिन आएंगे यह सब चलता 

है तो आपने वो भय वह मृत्यु का भय है अगर सामने बोला तो 

यह सुख साधन सुविधाएं छीन लेगा वो आपने दबा लिया वह मृत्यु का भय 

है अल्टीमेटली डर जाना दूसरे से मृत्यु से डर 

जाना ही होता है और कोई डर नहीं है इस संसार 

में अल्टीमेटली कोई भी डर मृत्यु के भय से 

उत्पन्न होता है घाटा पड़ 

गया मृत्यु का व सताएगा क्या करें कहीं कल को कंगाल हो गए फिर भूखे 

मरना पड़ेगा और मर जाएंगे बाल बच्चे कहां से पा 

लेंगे कर्तव्य निर्वहन कैसे करेंगे बेटी की शादी करनी है बेटी की शादी करनी है 

पढ़ाई लिखाई करनी है सब सब कुछ ही तो करना 

है डर हर जगह पर बस के अंदर मृत्यु का डर है और वह आप दबा लेते हो बोल नहीं 

सकते हमारी पंजाबी में कहावत है 

के गुस्सा बड़ा स्याना है क्रोध बड़ा स्याना है अपने से ताकतवर के आगे नहीं 

बोलता क्रोध बड़ा स्याना है अपने से ज्यादा ताकतवर व्यक्ति के सामने वह आता 

नहीं क्योंकि अगर क्रोध अपने से ज्यादा ताकत भर के सामने आएगा तो वह दबा देगा 

उसे उसमें शक्ति है इस इसलिए लोग शक्ति की अंका शा करते 

हैं लोग कहते हैं मेरे तीन स्टार लग जाए फती लग जाए मैं मंत्री बन 

जाऊं चीफ मिनिस्टर बन जाऊं कितने लड़ाइयां झगड़े होते हैं दिल्ली जाकर 

देखो गृह मंत्री बन 

जाओ प्राइम मिनिस्टर बन जाऊ यह शक्ति अपने हाथ में क्यों लेना चाहते 

हैं यह क्रोधी व्यक्ति होते हैं यह किसी की क्रोध तले काम नहीं कर 

सकते दूसरे शब्द में कहूं तो यह अहंकारी व्यक्ति होते हैं यह बर्दाश्त नहीं कर 

सकते कि मेरे ऊपर कोई रोब जलाए इसलिए मर जाना पसंद करेंगे कुर्सी को 

हाथ डाले रहेंगे कुर्सी ना छूट जाए कहीं कारण क्या 

है मृत्यु का भय हम अगर शक्ति की कामना करते हैं बल 

इकट्ठा करो धन इकट्ठा करो वक्त भी काम 

आएगा तर्क अच्छे खोपड़ी में फिट बैठते हैं इसलिए तो 

दौड़ते हैं लोग यह जो आचार्य गण कहते 

हैं शक्ति एकत्रित करो और गीता और उपनिषद जैसे उपनिषद जैसे 

महा शांति से भरे हुए ग्रंथों को ही शक्ति लेने का ढंग बना देते 

हैं बात तो बा कमाल है ना कबीर जैसे लोगों 

को ढाल देते हैं शक्ति कमाने में हुनर 

है क्योंकि कंपटीशन लड़े हैं जीते हैं अधिकारी बने 

हैं फिर लोभ ने घेर लिया अगर आईएएस बन सकते 

हैं तो सीएम पीएम क्यों नहीं बन सकते उधर संभावना ज्यादा है इसलिए मैं 

आपसे बता दूं यह आईएएस के लोग यह सर 

लोग ये रास्ता कोई भी टेढ़ा मेढा चुन ले आखिर में इनकी 

निगाहें राजनीतिक गद्दी में होंगी देख 

लेना आज जो बच्चों को पढ़ा रहे हैं 

उनका अंतिम उद्देश्य गद्दी है मेरी इस बात 

को आप लिख लेना मैं रहूं ना रहूं लेकिन मेरी इन बातों को आप सत्य होता 

पाओगे क्योंकि मैंने बेसिक काज को पहचान लिया है 

टू कलेक्ट द पावर इज इग्नोर हैंस शक्ति को एकत्रित करना अज्ञान 

है और यह ज्ञान का दावा करने वाले लोग शक्ति को एकत्रित करने 

का आपको ढंग भी बताते हैं आपको उपदेश भी करते हैं बुद्धि को जच 

आप पाओगे इन लोगों के अनुयाई जितने होते हैं संतों के उतने अन्याय नहीं 

होते कारण आपको बात जचती 

है बात तो ठीक है आप भी जानते 

हैं कि मैं शरीर हूं 

ज्ञान व्यान इनको भी नहीं हुआ कि मैं शरीर नहीं हूं ऐसा कुछ नहीं हुआ ना तो इन्होंने 

कभी साधना की आईएएस किया है कब साधना करेंगे इनका टाइम टेबल 

देखना आठ घंटे पढ़ाई दो घंटा 

एक्सरसाइज दो घंटा खाने पीने का इतना घंटा सोने का इतना नहाने धोने का आप अपने भीतर 

कब उतरे इनका टाइम टेबल देखना लेकिन अगर कोई व्यक्ति 

सहसा अध्यात्म का प्रवचन करना शुरू कर दे तो या तो वह अध्यात्म का रंग रूप बिगाड़े 

परिभाषा बदलेगा या वो झूठ 

बोलेगा कुछ लोग सच्चे भी रह जाते हैं और आध्यात्म की परिभाषा को भी नष्ट भ्रष्ट कर 

देते हैं ये ये आचार्य जैसे लोग होते हैं इनके इर्दगिर्द भारी संख्या में आप लोग 

पाओगे वो सर हो या आचार्य हो यह होते आईए 

ऐसी है आपको सीधी सधी बात बता 

द ये चाहे कुर्सी छोड़ के आए 

हो चाहे अभी अध्यापन कार्य कर रहे हूं तुम देख लेना इनकी 

निगाहें सीएम पीएम की कुर्सी प आज नहीं कल यह राजनीति में प्रवेश 

करेंगे यह कोई ना कोई कबाड़ा खिलाएंगे और राजनीति में कोई ना कोई पदवी 

लेंगे अब तुम्हें गुमराह करेंगे यू आर 

फॉलोअर्स और फॉलोअर्स का अर्थ ये होता है कि तुम कम से कम इनकी वोट तो 

हो शक्ति को एकत्रित करने का सुझाव देने 

वाले उपदेश देने वाले अज्ञानी होते 

हैं और यही लोग जो मूड प्रकृति के होते 

हैं यह बात कृष्ण की 

करेंगे उपनिषद की बात करेंगे अष्ट वक्र की बात 

करेंगे जो कहते तुम हो ही अगर अष्टावक्र को ठीक से परिभाषित किया 

जाए तो अष्टावक्र कहते हैं जोड़ना क्यों 

है यू आर ओमनिपोटेंट ऑलरेडी तुम पहले से ही सर्व शक्तिमान हो 

अन्य शक्ति की जरूरत क्या है और बल इकट्ठा 

करने की आवश्यकता क्या है और यह लोग इसको तोड़ेंगे मरोड़ इनके 

असली शब्दों को नष्ट भ्रष्ट कर देंगे बीज को अंकुरित नहीं होने देंगे बीज को आग में 

जलाकर स्वाहा कर देंगे कि फिर से अंकुरित ना हो पाए और इन्हीं लोगों 

ने मुल्क की तकदीर बदल 

दी जो सोने की चिड़िया थी सोने की चिड़िया तो फिर भी हो जाएगी 

बशर्ते कि ये लोग ना रहे 

मेरी बातें शायद तु मैं जच मस्त 

प्रभव नहीं जचगी मैं जानता हूं क्योंकि तुम्हारी भी वासनाओं के 

विपरीत पड़ती हैं तुम भी चाहते हो जोड़ना कितना ही पतंजली 

चलाए कितना ही बुद्ध छोड़कर चले जाए वह जो जोड़ा हुआ है उसके पिता ने 

कितना ही महावीर चले जाए छोड़ 

के उनके जीवन से तुम कोई सब करने सीखो तुम तो बुद्धि की भी यह तो लोग अगर 

व्याख्या करेंगे तो बुद्ध की व्याख्या भी कहीं ना कहीं शब्दों को तोड़ मरोड़ कर बल 

को एकत्रित करने में ले जाएंगे कर नहीं सके अब 

तक लेकिन कोई पता नहीं इन सर लोगों का 

कब कहां क्या मोड़ ले ले कोई पता नहीं होता मैं नहीं कहता कि राजनीति में 

जाना बुरा होता है कोई तो राजनीति को 

संभालेगा बेईमान लोगों से ज्यादा अनपढ़ लोगों से ज्यादा बढ़िया यह लोग संभालेंगे 

यह निश्चित है लेकिन मैं यह भी नहीं चाह चाहता कि ये 

उल्टे हाथ से घी को निकाले सीधा-सीधा 

आए लेकिन वोह संभव नहीं है फिर इनके शिष्य कैसे बने यह जो करोड़ों की संख्या में शिष्य 

हैं यह कैसे बनेंगे यही तो इनका आधार बनेंगे राजनीति में लाने 

का तो ये यहां से हम शुरू किया थोड़ा सा आगे चले अ चिंतन जी ने 

[संगीत] पूछा जाना है 

ऊपर और तुम बात करते हो नीचे उतरने की भीतर जाने 

की ये बाबा दिमाग में बड़ा कुलाल है शोर शराबा 

है अत द्वंद दिखाई पड़ता है कहीं कोई तालमेल 

दिखाई नहीं पड़ता प्रश्न तो मेरे पास बहुत ऐसे आते 

हैं लेकिन लल्लू पंजू लेकिन मैं उन फ लोगों को हाइड कर 

देता हूं बाबा यह दोगली बातें हो गई भाई भाषा 

में तो दोगली बातें हो भाषा खुद शुद्र है 

इसलिए भाषा में हम जो बोलेंगे उसके उलट भी आपको लगेगा तो भाषा से समझने की चेष्टा मत 

करना सबसे पहले मैं आपको हाथ जोड़कर कहता 

हूं ही कैन नॉट बी 

एक्सप्लेन मैं असमर्थ हूं ऐसा नहीं है सभी असमर्थ 

यही आइंस्टीन ने कहा था वह ऐसा नहीं 

हैज नॉट ओनली अननोन बट आल्सो अननोन 

एबल वह अज्ञात ही नहीं है अज्ञ भी 

है अज्ञ का अर्थ क्या होता है बहुत गहरे में लोग आप उसका मतलब कभी नहीं जाना जा 

सकेगा तो छोड़ दो इन बेवकूफ को जाना नहीं जा 

सकेगा तुम संसार की इन्वेंशन करो तुम यह इन्वेंशन करो किस धातु में एटम 

है एटम को तोड़ेंगे इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन निकलेगा बस यहीं तक सीमत रहो और 

उसके भीतर से हमने एटम से काम कैसे लेना है एटॉमिक पावर प्लांट कैसे बनाने हैं 

कैसे चलानी है बस रेल गाड़ियां जहाज यह इन्वेंशन हैं इनसे काम 

लो प्रकृति का उत्पत्ति सथल क्या है यह देखने की बजाय अपनी शक्ति 

लगाओ इसके प्रयोग में इसका सदुपयोग क्या है और जिन्होंने 

सदुपयोग करने के तरीके ढूंढे वो उपकार कर गए मानवता के 

ऊपर और अगर तुमने यह देखना है कि यह कहां से ओरिजनेट 

हुआ तो फिर इन्वेंशन काम नहीं आएगा फिर तो इन्वेंशन 

लेसनेस फिर तो आपको अपने भीतर जाना पड़ेगा सब कुछ छोड़ छाड़ के 

तो पूछा आपने मैं दुविधा में हूं दुविधा बिल्कुल ठीक है तुम्हारी प्रश्न समझ में आ 

गया शक्ति का कुंड जहां आप पहुंचो ग भीतर 

जाकर एक रास्ता है ईश्वर ने बनाया हुआ कुंडलिनी से 72000 नाड़ियों 

दो योग ने आपको बताई और उनमें से तीन प्रमुख 

नाड़ा पिंगला और बीच में सु सुमना तो यह जब जागृत होती है एनर्जी जिसे 

आप कुंडलिनी भी कह सकते हो यह एनर्जी जागृत 

होके जाएगी कहां से है तो यह नीचे नाभी के पास जाएगी 

कहां शसरा में है कहां नीचे नाभि में जाएगी कहां ऊपर 

ब्रह्म रंद्र में सहस्रार में फिर ये उलट हुआ कि नहीं 

हुआ हो गया आपने उस कुंडलिनी 

को आप जब जाओगे आप और आपके साथ सारी 

शक्ति संग्रहित है है वह शक्ति जाकर उस कुंडलिनी पर प्रतिघात 

करेगी कुंडलिनी तत क्ण जागृत हो जाएगी और यहां मैं आपको समझा दूं थोड़ा सा लोगों ने 

डराया बहुत है डर वो लोग पैदा करते हैं जो अज्ञानी होते 

हैं आज भी आपको बहुत से लोग ऐसे मिल 

जाएंगे जो कहेंगे मैं मर गया था या मैं मर गई 

थी यमराज ले गए बड़ी दाढ़ी वाले उन्होंने पोथा 

खोला और फिर उसने कहा नहीं नहीं यह नहीं भाई यह तो दूसरा ले आए तुम पटक दो 

इसको इतनी बृहत गलती 

ईश्वर के विधान में ना हो सकती है ना होती 

है अभी भी हम ईसा से ज्यादा पुरानी बातों में 

मान्यताओं में उलझे हुए हैं अभी कल एक स्वामी बात कर रहे 

थे कि हमारे आसपास चंद्रगुप्त बैठे हैं दो 

कर्मों का लेखा जोखा समझा रहे 

थे तो मैं समझ गया कि ईसा पूर्व की बात कर रहे हैं क्योंकि पढ़े लिखे तो है 

नहीं पढ़े लिखे भी नहीं है ज्ञानी भी नहीं है ज्ञानी 

होते तो भी कुछ इनके पल्ले 

होता और फिर ये चित्रगुप्त हमारे पाप और पुण्य का हिसाब लिखते हैं 

भाई ये दो बोझे क्यों लाद रखे हैं भगवान ने हम पर सारी उम्र हम इनको ढोते 

हैं पुण्य है पाप है सभी लिखते हैं फिर लेकर जाते हैं यमराज और इन्होंने 

साथ के साथ उदाहरण भी दिए गए कि जैसे वकील होता है जाज होता 

है और फिर धर्मराज के पास लेकर लेकर जाते हैं फिर वो आपको आपके कर्मों 

का दंड सुनाते हैं जैसे जज सुनाता है और फिर क्या कहते हैं आगे बड़ी कमाल की 

बात हो गई फिर यह कहते हैं कि श्री हरि जैसे 

राष्ट्रपति माफ कर सकता है वैसे श्री 

हरि आपके द को माफ कर सकते हैं बात एक तरल पर ठीक 

है लेकिन मैं बात इनकी अज्ञानता की करता हूं यह बात तो बिल्कुल ठीक है बिला 

शक लेकिन है बिल्कुल ऐसा जैसे 6 साल के बच्चे ने गीता कंठस्थ कर 

लिया इसकी साइंटिफिक और ओरिजिनल व्याख्या देने के लिए दम चाहिए किसका 

अनुभव का अनुभव के दम के बिना प्राचीन किताबों 

को पढ़ के ऐसे ऐसे सिद्धांत रख 

देना मूर्ख बनाने वाली बातें हैं अब ये उलझ जाएंगे सुनने वाले लाखों लाखों 

करोड़ों करोड़ों लोग होते हैं मूर्खों के कुश ज्यादा ही होते 

हैं वो दिमाग में बैठा लेंगे हाय ये चित्रगुप्त लिख लेगा हाय ये 

चित्रगुप्त लिख लेगा पाप करेंगे पुण्य करेंगे और पाप और 

पुण्य के व्याख्या इन लोगों को आती 

नहीं ये बड़े गहरे मसले हैं बोलना बड़ा आसान है 

लेकिन सस्ती 

लोकप्रियता कमाने के लिए ढंग अच्छा 

है वही पुरातन बातों को लकीर की तरह और गहरी करते रहना और गहरी करते 

रहना तो राष्ट्रपति भी बन गया और जहां माफ नहीं होता राष्ट्रपति 

नहीं होता वहां क्या करेगा अकेले हिंदुस्तान की बात ना ना करो सत्य जो है वो तो सारे ब्रह्मांड में 

यक सा होता है जहां राष्ट्रपति का विधान ही नहीं वहां 

क्या करेंगे जहां मृत्यु दंड को प्राप्त ब्लड 

मनी देनी पड़ती है वहां क्या करोगे तो मूर्खों की बातें हैं 

आप नीचे उतरो ग नीचे उतरो ग आप कहां जाओगे यह तो आप जानते ही हो सभी शास्त्रों 

में उनका बहुत-बहुत धन्यवाद हूं मैं कि हमारे काम 

में उन्होंने एक रचनात्मक दिशा द उन्होंने कम से कम आपको यह तो समझा दिया 

कि एक शक्ति का स्रोत कुंडल नहीं हमारी नाभी के आसपास 

है और वहां से तीन नाड़ियों प्रमुख और कुल 72 हज नाड़ियों 

मेरुदंड पीछे य रीड की हड्डी जिसे कहते हैं इसके भीतर से जाती 

हैं बीच में होती है सुसुम और आसपास होती हैं इडा पिला 

तो यह जो इडा पिंगला है यह हमारे दोनों नॉस्ट्रिल्स के आसपास यहां ठहर जाती है 

यहां इस स्थान पर और जो सुषुम्ना है वह हमारे ब्रह्म 

रंदर में आ जाती है यहां बीच में हां चोटी रखते हैं 

बद्धि यह आती हैं मेरुदंड में से पीछे से 

नीचे से आती हैं ऊपर जाती हैं बस यही विधा मैंने आपको 

बताया शक्ति जाएगी नीचे से उठेगी 

सहस्रार में जाएगी ऊपर जाएगी और वह हजार पंखुड़ियों 

वाला कमल खिलेगा हजार पंखुड़िया तो कहीं है कोई गिनी नहीं किसी ने अनंत पकड़िया 

है इसका एक और भी मतलब था वोह भी सत्य 

है जिसकी मैं अक्सर बात करता हूं नाभी के आसपास आपका काम ऊर्जा का 

क्षेत्र भी है जिसे मूलाधार चक्र कहते 

हैं अगर आप किसी तरह उस काम ऊर्जा को को 

बजाकर इसी शुभना के भीतर से प्रवाहित करके 

सहरा में ले जा सको तो बड़ा सहयोग 

होगा आपकी कुंडलिनी जगी नहीं जगी इस बात से इसका कोई 

प्रयोजन जब कुंडलिनी जगी तब तो मह ऊर्जा साथ ले जाएगी 

लेकिन एक बात को और भी ध्यान में रखना बहुत सी बातें होती हैं सभी सभी क्षेत्रों 

से हमें समझाना पड़ेगा क्योंकि कल को आप फिर कोई प्रश्न दक सकते हो तो हम संभवत 

कोशिश करते हैं कि जितने डायमेंशन कवर हो सके हम कर 

ले तो आपकी काम ऊर्जा को ओज में परिवर्तित 

करना जो मैं रोज कहता हूं आपसे और मैं रोज कहता हूं के पश्चिम ने पूर्व की आत्मा को 

मार 

दिया भोग की थ्योरी देख भोगो जितना चाहे 

भोगो कुछ नहीं होगा आनंद लो लुत्फ लो यह चार वाक्य थोरी 

है इस कर्म विधान को अगर देखा जाए तो चार वाक्य इंकार करते हैं चार वाक्य कहते हैं 

ऋणम कृत्वा गतम पत भसम भूत स्य देहस पुनर आगमनम 

कुत कुछ वापस नहीं लुटाना पड़ता एक ढंग से यह बात ठीक भी है तर्क 

देने वाले तर्क दे सकते हैं जब है ही उसका तो किससे लोगे और किसको लुटाओ सब उसी 

का तो है लेकिन यह तर्क है वह बड़ा ईमानदार खिलाड़ी 

है तुम कभी एकांत में कैरम या लुडो खेले 

होगे अकेले दोनों तरफ से खेले हो ग 

और खेले होग और कोई पक्ष जीता होगा खेलने वाले तुम अकेले 

हो और तुमने जो पक्ष जीता होगा उसको जीत करार दिया 

होगा जयह ईमानदारी से खेलना होता है तो वह एक दूसरा तो कोई है 

नहीं यह है भी उसका खेल विला 

शक लेकिन कर्म विधान जो उसने अपने बना रखे हैं खुद के खेलने के 

ढंग वह उस पर बंधन नहीं है वह चाहे ठगी मार सकता 

है लेकिन ठगी मारेगा कैसे वो चोरी किसकी करेगा डाका किसके 

मारेगा वह खुद ही तो है इसलिए वो बड़ी ईमानदारी से खेल खेलता 

है उसके एक रूप ने गुनाह कर 

दिया दूसरे के प्रति कर दिया तो वह एक रूप को दंडित करेगा जिसने गुना किया दूसरे को 

पुरस्कृत करेगा यह उसकी न्याय संगिता 

है लेकिन इससे यह सिद्ध नहीं होता कि वह अनेक है 

नहीं है तो एक एक से अनेक हुआ संकल्प के 

कारण हमारा सनातन कहता है और हमारा सनातन बहुत करीब बैठता है सत्य 

के वह अकेला था वैज्ञानिक भी कहते हैं कि एक एनर्जी पुंज था 

गोला उसमें विस्फोट 

हुआ छ अरब साल पहले हुआ चलो जब भी हुआ यह भी कहते हैं एक अरब 

97 करोड़ साल पहले सृष्टि का निर्माण हुआ चलो जब भी 

हुआ हम बात को समझे तो उस शक्ति पुंज ने संकल्प किया एक 

अहम बहु श्याम मैं एक हूं बहुत हो जाऊ 

और बहुत हो गया लेकिन अब यह बात ध्यान में रखना कि वह 

एक है और एक से बहुत हुआ है तो जो बहुत हुआ है उनमें एक ही 

है जब चाहे वह बहुत को एक में समा सकता 

है पानी का समुद्र एक एक बूंद में बिखर गया 

और जब वह इकट्ठा करना चाहेगा तो एक एक बूंद इकट्ठी करके समुद्र हो जाएगा 

ना यह एक खेल है बिला शक खेल 

है और उसका खेल है जो लोग करंतु परंतु करते 

हैं हमारे पास उसका कोई जवाब नहीं है हम यह कहते हैं कि तुम बता दो तुमने 

क्या बनाया है 

और हम इतना कह सकते हैं हम उन्हें जानते तो 

नहीं लेकिन उसे पहचानते जरूर है अब इस बात पर आप चोकना 

मत पहली बात तो वी कैन से विद फुल ऑथेंटिसिटी पूरी प्रमाणिकता के साथ हम 

कह सकते हैं कि वह है प 

बात हम अंधे हुए हुए यह नहीं कहते कि वह नहीं 

है और यहीं से सबसे अहम बात शुरू हो जाती 

है मैंने पिछले प्रवचन में कहा था पूछा था किसी ने कि मैं परमात्मा से क्या 

मांगू तो मैंने उसे कहा था कि परमात्मा से एक चीज मांग 

लो हम तो भजन तो बहुत बनाते हैं प्रभु पूछ तुमसे मैं क्या चाहता 

हूं मैं तुमसे तुझे मांगना चाहता हूं तो भजन 

है किसी लिखारी ने किसी महंगे कवि 

ने लिख दिया 

होगा तो आप प्रभु से क्या मांगो मैंने कहा उनसे मांगो कि तेरे 

ऊपर तेरे अस्तित्व पर अखंड आस्था बना दे टूटे ना और व अखंड 

आस्था बनेगी कैसे दर्शन के बिना अखंड आस्था होती नहीं 

तो नानक बड़े समझदार है नानक कहते 

हैं कि जब देखोगे तब ही आपको यकीन आएगा उससे पहले आप 

मान सकते हो क्योंकि सत्य को मानना गलत नहीं 

होता अ अनार होता है मान सकते हो 

पै पानी होता है मान सकते [संगीत] 

हो इसके मानने में कोई हर्ज नहीं अगर आप यह कहो कि टी अनार होता है गलत टी वाटर 

होता है गलत सही चीज को मान लेना उसमें कोई बुराई 

नहीं होती पूछा था उसने कि मैं परमात्मा से क्या मान 

तो परमात्मा से परमात्मा को मत 

मांगना परमात्मा से मांगना कि तू 

है इसका दृढ़ आस्था मेरे भीतर प्रकट करते है और मैं 

अच्छी तरह से जानता हूं दृढ़ आस्था कैसे प्रकट हो बिना दर्शन के नहीं पैदा 

हो दर्शन के बाद ही आस्था सही आस्था दृढ़ आस्था अखंड आस्था ना 

टूटने वाली ना भंग होने वाली आस्था मिला करते 

है कहते थोड़ा सा दार्शनिक विषय है थोड़ा सा धीरे चलो 

जरा होले होले चलो मोरे 

साजना हम भी पीछे हैं 

तुम्हारे होले होले चलो मेरे 

साजना हम भी पीछे हैं तुम्हारे कोई बात नहीं धीरे चल पड़ते हैं 

तु अपने भीतर उतरेंगे और दूसरी बात पूछ रहे हैं सूक्ष्म 

से पूछ रहे हैं क कुंडलिनी से जो उठेगा 

प्रवाह और यह जो स्पर्म से या काम शक्ति से जो उठेगा 

प्रवाह शक्ति का ओज में परिवर्तित हो ग 

यह दोनों एक रास्ते से कैसे जाएंगे देखिए आपने वाटर वर्क देखा है वाटर 

वर्क से जो शहर को पानी सप्लाई करता है वहां से शहर को सप्लाई करने की जो पाइप 

होती है य बड़ी विशाल होती है बड़ी विशाल आगे जाती है छोटी होती जाती है आगे जाती 

है छोटी होती जाती है घरों में जाती है तो छोटी से रह जाती है दो तीन की एक दो इंच की डेढ़ इंच 

की तो वहां जाने का सिर्फ एक रास्ता नहीं है सहस्रार में जाने के 

लिए इस ओज का कुंडलिनी के पास से चले जाना 

थोड़ी मात्रा में रास्ता तो वही है मार्ग 

है उस जब कुंडली जागेगी बृहद शक्ति रूप में तो बड़ा प्रवाह भी 

जाएगा तो प्रवाह तो बड़ा है वहां लेकिन आपकी जो ओज की शक्ति है व 

थोड़ी है कम लेकिन वहां से रास्ता है ऊपर जाने 

का इसी रास्ते से तुम्हारी काम शक्ति ओज बनकर ब्रह्म 

रंद्र में सहसरा में जाएगी क्योंकि मूलाधार के पास 

ही कुंडलिनी है वही शक्ति है आपके काम 

ऊर्जा और उसको ओज में परिवर्तित करके ऊपर जाना बड़ा आसान है सुगम है पास ही तो पड़ी 

है और जब आप भीतर जाओगे 

आप तो आप जब टच करोगे उसको कुंडलिनी को टकरा होगे उसके साथ इंटरम 

होगे कुंडलिनी जागृत हो ग यह सही मेथड है कुंडलिनी को जगाने 

का डर बड़े फैलाए जाते हैं 

जैसे अब जी ब्राह्मण कहते हैं पाप करोगे नर्क भोगो नर्क में जाओगे गला होगे पकौड़े 

चले जाएंगे लेकिन इनका कोई 

साइंटिफिक जवाब नहीं दे पाते जब हम जला ही देते हैं शरीर को 

यहां तो सूक्ष्म उसके भीतर ही होता है वह जलता क्यों नहीं उसके पकौड़े क्यों नहीं 

बनते जब शरीर मर जाता है ठहर जाता है सारा 

हार्ट ब्रेन सब ठहर जाता है तो सूक्ष्म उसके भीतर होता है तीन घंटे तक शरीर 

छोड़ता नहीं वो इस बात को ध्यान में 

रखना तीन घंटे तक सूक्ष्म स्थूल को छोड़ता 

नहीं क्यों क्योंकि वह सर्जरी की प्रक्रिया में 

इतना सा ही वक्त लगता है कम से कम 

वह सारा जैसे जैसे जोड़ा था आज से 100 50 साल 

पहले सारी तारों को काटना सारे कनेक्शन को काटना अपना सारा थेला गठ भर के लेकर 

जाना तो सब समेटना है ना यहां 

से और समेटना है तो इस समेटने में तीन घंटे का वक्त लगता है प्रकृति को सारा कुछ 

काट छाट करने में यह एक बृहद ऑपरेशन है ज्यादा भी लग सकते हैं कम नहीं लगता तो 

तीन घंटे से पहले जिसे फूक दिया जाता है व मर तो गया 

वह चाहे अब आप उसको 10 साल रखे रखो ना 

फूको उठेगा तो है नहीं कुछ लोग जो उठ जाते हैं वो मरे नहीं 

होते मैं आपको बताता हूं गलती मत खा 

जाना ठीक से डॉक्टर उसको डिक्लेयर कर तो देता है लेकिन ठीक से डॉक्टर भी नहीं 

जानता डिक्लेयर करने वाला तभी तो वो उठ बैठते हैं जब हार्ट ठहर जाता 

है तो ध्यान रखना ब्रेन कुछ देर के लिए जीवित रहता 

है ब्रेन के सेल जो धीरे-धीरे मरते हैं धीरे धीरे मरते 

हैं और कुछ चीजें तो शरीर को पता ही नहीं चलती अभी भी काम करना शुरू कर देते हैं 

आपको पता है मरने के बाद भी पाचन की प्रक्रिया बंद नहीं होती भोजन आपने जो 

खाया वो पचता रहता है उसको पता ही नहीं कि आप मर 

गए और आपको पता है मरने के बाद भी आपके कुछ अंग जैसे बाल और नाखून बढ़ते रहते हैं 

वर्षों तक बरते रहते हैं एकदम से शरीर मरता 

नहीं आज पा तारीख है तो तीन दिन बाद 8 तारीख 8 जनवरी 

2016 को मैं 30 फुट गहरी कितनी ठंडी होती 

है देख लो अब आज तो रजाई में बैठे हीटर 

है लेकिन नहर में गिर गया और बड़ा ठंडा था उस दिन कमाल की सीत लहर चल रही 

थी कुदरत ऐसा था कि उस दिन पारा भी बड़ा डाउन 

था ठंडी बड़ी थी मैं गर गया कमजोर था क्योंकि रोटी नहीं 

खाता था कुछ भी नहीं बस यही दूध चल रहा 

है यह 16 की बात है आज 25 हो 

गया तो न खाने से कमजोरी चला फिरा नहीं जाता ज्यादा थोड़ा 

सा चला फिरा जाता है गाड़ी में बैठ के चला 

गया और वहां जब नहर के किनारे 

पहुंचा बैलेंस आउट हो गया और गिर 

गया ढ़ मिनट तक मैं उस पानी में रहा ठंडे पानी में हार्ट वेट रुक ग 

ग सब रुक गया सारा कुछ पानी भर गया 

भी बाल दिखने बंद हो गए और वह कोई पहचान होती है जमीदार लोगों 

को के बुलबुले निकलने बंद हो जाते हैं तो इसका अर्थ य है कि भीतर स्वास नहीं है बस 

सब पानी भर गया अब यह व्यक्ति जेवत नहीं है तो वहां से गुजरते हुए किसी जमीदार ने 

कहा किसान ने के इसको निकाल लो रोहित था एक मेरा और शिष्य 

था एक मेरा बेटा था कुनाल ये तीनों 

थे लेकिन निकाल तो यह पहले ही लेते इनके पास कोई रस्सी नहीं 

थी और तैरना इने आता नहीं था तो छलांग लगाने का अर्थ होता है स्वयं 

की स्वयं की आहुति तैरना आता 

नहीं पास खड़े हुए एक पुलिस वाले को कहा कि पकड़ी दे दो 

भाई बाबा जी को निकाल लेंगे हम लेकिन उसने कहा नहीं यह मेरी इज्जत है 

पगड़ी नहीं मैं दूंगा कुछ लोगों को अपनी इज्जत किसी की 

जान से भी प्यारी होती है और कुछ लोगों को अपना 

जीवन किसी धर्म से भी ज्यादा प्यारा नहीं होता गुरु तेग बहादुर जैसे लोग पगड़ी छोड़ 

सिर को ही कटा देते हैं एक धर्म के लिए और शर्म की बात 

है कि जिस तेग बहादुर ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सिर दे 

दिया और सिर के ऊपर लगी हुई पगड़ी आजय पुलिस बाग में कर्मचारी इससे बच्चे मांग 

रहे कि पगड़ी दे दे ये कहता नहीं य पगड़ी हमारी इज्जत 

है किसी की जान जा रही है जाए पगड़ी नहीं उतारूंगा 

उसी के शीष है जिसने शीश दिया यह पगड़ी देने को तैयार नहीं और होती 

किस लिए पगड़ी अगर तुम्हारी पगड़ी से किसी का जीवन बच 

जाए आपत्ति नहीं होनी चाहिए यह बात अलग थी कि मैंने कोई पुकार नहीं की बचाने का 

गुहार नहीं लगाया कोई डर भह भीतर नहीं था कब का खत्म 

हो गया लेकिन उस व्यक्ति ने जो गुरु तेग 

बहादुर का अनुयाई है और उसी धर्म का शिष्य 

है व कहता पकड़ी नहीं मिलेगी जान जाए जाए तो फिर ऐसे लोगों 

को गुरु तेग बहादर का अनुयाई समझा 

जाए ये सरकस ही है ना ऐसे लोगों को अगर मैं सरकस कहता हूं तो कुछ लोग बुरा मान 

जाते हैं मान जाओ 

भाई जब आप भीतर जाओगे आपके साथ आपकी शक्ति 

भी जाएगी शरीर में बहुत कुछ होगा वह जो पानी बाहर निकलेगा भरे हुए टब 

में जब बाल्टी डुबो ग वह होंगे आपके अचेतन मन के दबाए 

हुए मृत्यु का भय भी हो सकता है काम क्रोध लोभ मोह अहंकार भी हो सकता है पिछले जन्म 

की स्मृतियां भी हो सकती हैं जो दबा है वही बा आएगा उसके अतिरिक्त 

और कुछ आ ही नहीं सकता बहुत से लोग डर जाते हैं कंप जाते 

हैं बाबा आज ये दिख गया आज ये दिख गया दिख गया दिख गया भाई जट से मेरे को फोन करेंगे 

मैसेज करेंगे जब मैंने आपको एक बत समझा दिया तुम 

मरोगे नहीं कंपो ग तो ये कंपन भीतर है निकलने दो 

इसको बाहर और जरिया कोई नहीं है यह चेतन में से ही निकलेगा यही एक रास्ता 

है फिर भी रोज अब बैठा था आज मैं आज मेरे को वो दिखाई 

दी आज नीली लाइट आज पीली लाइट क्या हो गया भाई ये सब कोई दिखेंगे इनको उपेक्षित 

करो डर लगता है मृत्यु का भय आएगा क्योंकि दबी हुई सबसे ज्यादा चीज यही 

है जगह-जगह पर आपने मृत्यु को दबाया बॉस ने बेज्जती कर दी कोई और बातों में 

कुछ घर में बड़े बुजुर्ग उनके सामने नहीं बोल सकते अत्याचार हो रहा है कोई सास बहू 

का झगड़ा है कोई पिता पुत्र का है हजारों झगड़े 

घरों में होते हैं तो मृत्यु आप दबा लेते हो क्रोध आप दबा लेते 

हो ये सब दबाया हुआ क्रोध ये बाहर निकलेगा 

इससे डरना मत निकलने देना इसको साक्षी भाव से देखते 

रहना कि यह कूड़ा बाहर जा रहा है बल्कि प्रसन्न होना जश्न मनाना कि मैं हल्का हो 

रहा हूं आपके सिर पर ईटों का बट्टल रखा है अगर कोई एक ईंट उठा ली तो आप नाराज होते 

हो अच्छा है बाहर घट 

गया जो दबा है भीतर वह बाहर आएगा आने दो 

बाहर आएगा तो आपका भार हल्का होगा वह जंजीर हैं आपके लिए आपने बड़ी मान्यताएं 

कर रखी हैं और यह मान्यताएं ही 

आपके राह में बाधा है बहुत कुछ मान रखा है तुमने यह नर्क होता है यह स्वर्ग होता है 

सब मान्यता ही तो 

है तो ये जो कहते हैं कि जब कुंडलिनी जगे गी फट शरीर ऐसा होगा वो होगा यह 

होगा कुछ नहीं होगा यह शक्ति है और शक्ति को जाने का रास्ता है ज जैसे वाटर बक्स की 

पाइप के बीच में से पानी जाता है सप्लाई होने के लिए तो पाइप फटती है 

नहीं कोई पाइप नहीं फटती वह आराम से सभी घरों को पानी सप्लाई कर देती है रोज सुबह 

श्याम ऐसे ही रास्ता है बड़ा मजबूत रास्ता कहीं से नहीं फटेगा तुम चिंता मत करना यह 

डराने वाले लोग हैं यह अज्ञानी हैं इन्हें कुंडलिनी के बारे में कुछ 

बताए कुंडलिनी शक्ति जब जागेगी जब आप भीतर जाओगे य इजी वे बताता हूं और 

भी बड़े रास्ते हैं योग के लेकिन बड़ा इजी वे बताता हूं ध्यान का इसे वे कहते हैं 

ध्यान का रास्ता कुंडली जागरण के लिए अक्सर सहज समाधि वाले इसी का प्रयोग 

करते हैं जो कबीर ने कहा सहज समाधि भली रे संतो सहज समाधि 

भली तो जब आप भीतर जाओगे बिल्कुल आखिरी पड़ाव पर पहुंचो ग तो 

जंक्चर पॉइंट पर रुक मत जाना वहां मैंने आपको बताया बड़ी दिशाएं जंक्शन के ऊपर दिशाएं होती हैं अब 

जंक्शन के ऊपर कोई रेलवे कहीं जाती है कोई कहीं जाती कोई कहीं जाती बड़ी दूर दूर से 

निकलते हैं रास्ते ऐसे ही वहां से निकलते हैं हजारों रास्ते निकलते हैं लेकिन आप 

किसी चीज का लोभ ना खाना क्योंकि संसार में आपने लोभ खाया था संसार में जो इच्छा 

थी तुम्हारी संसार में वह मिला नहीं वह जहां मिल 

जाएगा सिर्फ मात्र सो 

इसे कल्प वृक्ष कहते हैं बस कल्पना 

करो और वह प्रकट हो जाएगा आपको रास्ता मिल जाएगा आप उधर निकल 

जाओ लेकिन आपने इधर उधर कहीं नहीं ख्याल करना 

है सभी चीजों को उपेक्षित करके तकत नहीं 

उपेक्षित न्यूट्रल आपने भीतर उतरते जाना है जंक्चर पॉइंट को किसी तरह क्रॉस कर 

लो या मैं कोई फिलोसॉफिकल आपको बात नहीं समझा रहा 

हूं यह एक्सपेरिमेंटल है यह प्रयोग करने वाली 

है यह प्रयोग है तो इस पर किसी प्रकार की एक्सप्लेनेशन 

की जरूरत नहीं है बस यही है क्यों है क्या है ये मत पूछना 

आप तो आप वहां से किसी तरह दामन बचा के निकल 

जाना नीचे नीचे नीचे पॉइंट आएगा वही जिसकी बात बहुत 

शास्त्रों में की है और आपके तो रट गई है ये बात मूलाधार चक्र वहां पर कुंडल 

नहीं उसके साथ आप जाकर टकरा होगे आपकी शक्ति जो आप भीतर उतरे जैसे ही 

आप वहां पहुंचो ग तो जैसे एक कैटाला एजेंट के आने से रासायनिक प्रक्रियाएं शुरू हो 

जाती हैं वैसे ही तुम कैटाला एजेंट का काम करोगे बस आपकी आप ही का इंतजार था 

जैसे आप वहां उतरे आपने वह तल छुआ 

कहते बृहद शक्ति पैदा होगी कुंडलिनी जागेगी 

महान शक्ति आपके मेरुदंड में से होती 

हुई सुषुम्ना में से होती हुई ब्रह्मनंद में सहसरा दल कमल में प्रविष्ट हो जाएगी 

उसे ही कहते हैं शब्द श्रुति का 

मिलान शक्ति समा गई और द्वार खुल जाएगा दशम द्वार जिसे कह 

देते हैं यहां से व्यक्ति योगी जो निकल 

गया वह फिर वापस नहीं आ 

सकता क्योंकि उसके साथ उसको छोड़ के जानी पड़ेगी सिल्वर 

कोर्ड एक विधान है सिल्वर कोड टूट जाती है 

इसलिए जो निकला सहसरा से व वापस नहीं आएगा जिसने बिल्कुल सदा के लिए जाना हो जो 

मुक्त हो गया समाधिस हो गया संबोधि में चला 

गया उसने क्या करना है सिल्वर कोड का वह यहां से निकलेगा इसलिए 

योगी आमतौर सर साधारण तौर से इसी चक्र का 

इस्तेमाल करते हैं रास्ते का इस्तेमाल करते हैं जाने के लिए निकल वो किसी भी रास्ते से सकते हैं 

सारा महल उनका 

है लेकिन जो ना भी चक्कर से निकलेगा वह जब भी चाहे वापस आ जाएगा एक छोटा सा प्रश्न 

यहां और ले लू कहते बाबा मैं शरीर से बाहर हो जाता हूं बिल्कुल कोई भी हो सकता है कोई खास 

बात नहीं शरीर से बाहर आप हो सकते हो स्वपन में भी कई बार आप शरीर से बाहर हो जाते 

हो सच में भी हो जाते हो कल्पना में भी हो जाते हो क्योंकि शरीर से बाहर आप हो सकते 

हो क्योंकि शरीर तुम हो नहीं शरीर में हो तुम तो जो घर के भीतर बैठा है वह घर से 

बाहर कभी भी हो सकता है कौन रोकेगा उसे मालिक है तो पूछ कि मैं शरीर से बाहर हो जाता 

हूं लेकिन संकल्प नहीं लेता कहीं जाने का कहीं जाता नहीं मैं तो मुझे डर लगता है कि 

मैं कहीं चला ना जाऊ तो अगर चले जाओगे तुम कहीं चले जाओगे फर्ज करो तो मैंने वो जो 

विधान बताया नेगेटिव पॉजिटिव ऊर्जा को इसीलिए बताया था दोनों अंगूठे को अगर आदमी 

गया है तो स्त्री छू ले अगर स्त्री गई है तो पुरुष छूले वापस आ जाएगा 

और तुम यह कहते हो कि मैं कहीं दूसरे ग्रह पर नहीं जाता और आप कहते हो कि संकल्प की 

आवश्यकता पड़ती है हां दूसरे ग्रह पर जाने के लिए संकल्प की आवश्यकता पड़ती 

है आप अगर शरीर से बाहर हो वहां आप संकल्प करो कि मैं किसी ग्रह के ऊपर जाना चाहता 

हूं एनी अदर प्लेनेट तो आप किसी ग्रह पर पहुंच जाओगे 

आप विशेष किसी ग्रह की बात करते हो 

जदन सपर ऐसे ऐसे कुछ नाम है क्षमा करना 

इनसे आप वाकफ नहीं हो नाम भी नए होंगे एक विशाल ग्रह बड़ा जो धरती से 10 गुना बड़ा 

है मैं अक्सर सबसे मेरा प्रिय ग्रह वह 

है और क बोल रहे थे स्वामी जी आचार्य जी लोग तो ब ब्रह्मांड से पार हो जाते हैं 

भाई आपने खंगा लिया ब्रंड होते नहीं क्या ऐसे बात करते हैं ये 

लोग जिसका एक जर्र की भी इनको स नहीं 

है बात ब्रह्मांड की करते हैं एक्सप्लेनेशन तो इनसे कुछ भी करवा 

लो तो मैं बड़ा चकित हुआ और चकत भी हुआ और साथ में इनकी अज्ञानता पर भी 

थोड़ी समझ ज्यादा वाक ही अज्ञानी है नहीं गए गए और अगर ये कहते हैं कि नहीं होती 

एनलाइन मेंट तो बिल्कुल ठीक है यहां जीकर क्या रोगे खाक 

जियोगे आपके तो जीने का मकसद 

है बड़ा सा 

एक बना हो महल उसमें बच्चों को बढ़ाऊ यह शुभ तो है लेकिन शुभ नहीं 

है क्योंकि आप गलत रास्ते पर डाल रहे हो मैं नहीं कहता कि आप सीएम पीएम ना 

बनो अब इंडस्ट्रीज मत चलाओ आप यह ना करो आप वो ना करो बिल्कुल 

करो लेकिन जिस कंपटीशन से जीतकर आप आईएएस बने 

और जिस वासना की प्रगाढ़ता के साथ आप घने चांस वाली जगह पर आ गए यह घना चांस 

है अध्यात्म में आना बड़ा चांस है तो या 

तो आप पैर पुजवा लगोगे एक वक्त ऐसा आएगा या आप बड़े औधे पर जाने के लिए 

राजनीति में आ जाओगे यह दो ही तरीके हैं आपके आपकी भविष्यवाणी तो मैंने कर 

दी लेकिन कबीर जैसे लोग ना तो पैर बजवा एंगे ना झंडा डंडा लेकर अपनी पार्टी 

खोलेंगे यह पक्का है ना नानक ऐसा 

करेंगे तो बिना किसी बात को जाने देखे लोग तो आज भी कहते हैं कि नरक 

है यह बीके की मैं कहानी सुन रहा था कल परसों व मर कर चली गई ऊपर सारी बातें बताई 

उसने यद भी बिल्कुल कोरी झूठ है मैं कहता हूं इनकी 

इससे पहले के करोड़ों लोग मूर्ख बने इनका नार को 

करवाओ पता चले कि वाकई ही मर के 

गई नर्क होता है यह डराने के लिए तो जो 

लोग कहते कुंडलिनी जगती है फट जाता है ऐसा हो जाता है कुछ नहीं होता साधारण 

प्रक्रिया है जैसे खून बहता है नर्व्स के भीतर वेनस के भीतर और आर्टरी के भीतर 

वैसे ही यह शक्ति इसका एक रास्ता है कोई बंद नहीं है रास्ता बस उधर से गुजरी नहीं है शक्ति 

रास्ता बंद नहीं है रास्ता खुला है तो आप जब भीतर जाओगे वहां से उस रास्ते 

से एक कैटाला एजेंट का काम करोगे आप और कुंडलिनी जागृत होगी और आगे की 

प्रक्रिया रास्ता है मेरुदंड से होती हुई सुषुम्ना के भीतर से 

वो अथाह शक्ति प्रम रंद्र में जाएगी और वो 

खेल जाएगा जैसे बिजली जाती है एसी चल जाता है पंखा चल जाता है लाइट जग जाती है मशीने 

चलती बड़ी-बड़ी फैक्ट्री चलती लेकिन कब जब बिजली आती 

है बिजली काम करती है क्योंकि वह शक्ति है 

अगर मैंने कहा कि आप इस शक्ति को व्यर्थ मत 

करो इससे पहले कि कुंडली जागृत हो आप भीतर गहरे उतरो वो तो पता नहीं कितनी देर लगेगी 

क्योंकि आप बाहर की चीजों में ही उलझे हुए हो कुछ तो आपकी वासना आपको उलझा देती हैं 

कुछ ऐसे आचार्य गण और ऐसे सदगुरु आपको कह देते हैं एक सदगुरु है 

वो है तो आध्यात्मिक कहलाता है लेकिन उसके प्रवचन है कि केला 

खालो यह नीम की गोली खा लो अरे भाई आध्यात्मिक व्यक्ति कहां फिक्र करता है खाने पने 

की 49 दिन तक कुछ भी नहीं खाते वो 

तो क्या डाइट में लेंगे क्या सुबह ब्रेकफास्ट क्या डिनर क्या लंच उनके लिए 

कोई मह नहीं रखता व तो भिक्षा पत्र उठाते हैं और किसी 

भी घर के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं लंच में जो आया ठीक सब एक बारही जाते हैं व 

वही उनका ब्रेकफास्ट होता है वही लंच और वही 

डिनर लेकिन वह अपना मार्ग पा जाते हैं तो ऐसे मत बांधो गलत सपने दिखाकर 

सुबह यह खाओ फिर यह खाओ फिर ये ओ रोग नहीं होगा मरोगे 

तो या अमर हो 

जाओ ऐसी ऐसी भ्रांतियों में फसे हुए लोग तुमको फसांगे और अगर इनकी चंगुल में फस गए 

तो तुम छूट ना पाओगे मेरे पास जब पहले दिन मुझे आदेश 

दिया गया तो आदेश के साथ यह कहा गया कि 

कम्यून मत बनाना लेकिन आज पता चलता है परसों ही मेरे पास 

बीके से और कुछ दिन पहले मेरे पास जैन धर्म 

से बहुत से लोग मुझे सुनते हैं मेरे से बातचीत भी कर लेते हैं कोई प्रश्न है उलझा 

हुआ प्रश्न आ जाते हैं चुगली निंदा होती 

है कंपटीशन हुआ कि जो सब से बड़ा चुटकला या अजूबा 

चुटकला सुना देगा फर्स्ट आएगा तो सब बच्चों ने अपने अपने चुटकले 

सुनाए और जो एग्जामिन करने वाले थे उन्होंने सबके चुटकले सुने एक चुटकला 

फर्स्ट आ गया क्या फर्स्ट आ गया व कहता चार औरतें बैठी थी एक चारपाई 

पर और चारों चुप बैठ 

थ सबसे बड़ा अजूबा सरप्राइज ऑफ द 

वर्ल्ड चार स्त्रियां चुप नहीं बैठ सकती तोय बीके वाले कैसे चुप बैठते होंगे 

तो यही समझ आया कि बाबा ने कहा कम्यून मत बनाना इसमें आसानी लासानी तरंगे पता नहीं 

कौन क्या लेकर आया बड़ती रहती है आपस में एक दूसरे का 

गंध एक दूसरे के ऊपर पता लगता नहीं है दिखती तरंगे है 

नहीं तुम जाते हो क्या सोच के लेकर क्या आ जाते हो 

खोपड़े भरे पड़े हैं और जो भरा पड़ा है वही तो निकलेगा 

बाहर कम्यून मत बना लेना तुम्हारे पास सबके पास कोई ना कोई 

स्थान है बैठने के लिए उसको ही पूजा रूम बना लो मैं बार-बार 

कहता हूं मुझे कहते हैं आपके दर्शन करने हैं मैंने कहा दर्शन कर जाओ कोई बात नहीं उससे आपको प्रेरणा मिलेगी 

कि ऐसे आनंद में हम भी हो सकते हैं बस इसीलिए आना 

सिर्फ दो चार 10 मिनट बैठने की इच्छा हो 

वह बात अलग है लेकिन तुम कहो कि हम तो यहीं बैठेंगे तो कोई व्यवस्था 

नहीं सारी दुनिया भर के लोग कहते हैं हम यहां आकर जाने का जी नहीं करता किसका जी 

करता है ये तिरंगे पीनो को जी करता 

है निगाहे मिलाने को 

जी [संगीत] 

चाहता निगाहे मिलाने को 

जी चाहता 

है निगाह में मिलाने को 

जी चाहता है दिलो जान 

लुटाने को जी चाहता 

है दिल जान लुटाने लुटाने को जी चाहता है 

जी चाहता [संगीत] 

वो तोहमत जिसे वो तोहमत जिसे इश्क 

कहती है दुनिया वो तोहमत 

जिसे इश्क कहती है 

दुनिया व तोहमत उठाने को जी 

चाहता है हम तो तोहमत को भी उठाने का दिल करता 

है हमारा जो तुध पावे अगर तोहमत लगाना चाहता 

है तो तोहमत लगा दे वो भी हमें परवान 

है हम जीते हैं उसकी मर्जी से जीते हैं और तुम जीते हो तुम्हारी मर्जी से 

जीते हो बस यही फर्क है बुनियादी 

यह समझाने वाले लोग फिलासफी काल लोग लाखों किताबें लिख 

देंगे तृप्ति के एक बूंद भी तुम्हें नहीं देंगे खोपड़ी को भर देंगे सूचनाओं से और 

एक दिन तुम पाओगे खोपड़ी बड़ी घनी भारी हो गई लेकिन वो मस्ती की एक पूतना 

है और बात मस्ती की है जहां सुध बुध खो जाता है जरूरत तो इसकी है आखिर में तुम बन 

जाओ सब बन जाओ यूपीएससी कर लो आईएस बन जाओ आईपीएस बन जाओ जो चाहते हो बन जाओ कौन 

रोकता है लेकिन बात तो यह है कि जरूरत पूरी 

हुई क्या जरूरत पूरी होती है तुम्हारी कितना ही हां कह दो 

लेकिन दिल के बहलाने को गालिब य ख्याल अच्छा है तुम्हारे भीतर का एक कोना पुकारता ही 

रहेगा कि नहीं कुछ शेष रह गया और शेष क्या 

रह गया वह शेष यही रह गया जो उसके बाने से 

मिलता है तुम्हारी कर्म से नहीं मिलता पैसा मिल जाएगा पावर मिल जाएगी सन्मान मिल जाएगा 

बड़े-बड़े संस्थान खोल लोगे नाम हो जाएगा दुनिया भर में लेकिन 

नाम किसके रहे हैं नाम तो रेतों पर खींची हुई लिखी हुई लकीरें मात्र होते हैं थोड़ी 

सी हवा आई तो ढह जाते हैं नाम किसके रहे हैं 

धीरे-धीरे सभी के नाम खत्म हो जाते हैं बस तुम्हें भ्रम दे दिया गया 

है कि नाम रहना है कल ही मुझे किसी ने पूछा कि बच्चा पैदा कर लू मैंने कहा तुम 

देखो अगर तुम बोझ उठा सकते हो एक बात तुम्हें मैं बता सकता हूं वह यह कि बच्चा 

बोझ होता है 12 वर्ष के बाद तुम्हारी थोड़ी-थोड़ी सहायता करनी शुरू कर देगा 12 

वर्ष कहते हैं ना रूढ़ की भी सुनी जाती है 12 वर्ष में बच्चा थोड़ा सा तुम्हारी 

सहायता करना शुरू करेगा और उसके बाद अगर लाय लायक निकल गया तो वह भी 

नालायक निकल गया तुम्हारा सिर भी फोड़ सकता है ध्यान 

रखना सभी बातों को मदे नजर रखते हुए तीन बच्चों की तो बात छोड़ो वो तो उनसे कह दो 

आप पैदा करलो बच्चा पैदा करो या ना करो यह 

तुम्हारी आपसी सहमति है मैं आपको कोई आदेश नहीं कर सकता और ध्यान 

रखना मैं आपको कोई परामर्श भी नहीं दे सकता मैं कहता हूं जैसे तुम सुखी होते हो 

वैसे करर बच्चा होने से सुखी होते हो वैसा कर नहीं होने से दिमाग पर बोझना पड़े ऐसा 

चाहते हो तो ना करो शादी कर लिविन में रह लो सब तरीके 

बहुत से आयाम है जिनमें तुम मूर्त रूप दे सकते 

हो लेकिन एक बात ध्यान में रखना जो किसी बुजुर्ग ने कहा 

था कुछ भी बन जाना लेकिन अंत में हो जाना है अब इसके 

बड़े गहरे अर्थ है घर जाकर सोचना मैंने क्या कहा 

बन तो कुछ भी जाना प्राइम मिनिस्टर बन जाना सीएम बन जाना आचार्य बन 

जाना सदगुरु बन जाना कुछ भी बन जाना लेकिन आखिर में जब इस संसार से जाओ तो हो जाना 

क्या हो जाना जो तुम वास्तव में हो अगर तुम जाते हुए हुए नहीं जो तुम हो 

तो फिर फिर तुम्हें चक्कर लगाने पड़ेंगे अतृप्त अतृप्त तुम चले जाओगे तुम 

तृप्त होक ना जाओगे सो भीतर जाना होता 

है क्यों कहता हूं क्योंकि वहां से ऊर्जा उठेगी और ऊपर जाने का मार्ग है मेरुदंड से 

सुमना के भीतर अंत में तो तुमने पहुंचना तो वही है तो सीधे-सीधे जो ध्यान लगाने की 

बात करते हैं वो लालची लोग हैं उन्हें इस मार्ग का पता नहीं है इन पंगु खानों में 

मत सीधा रास्ता आपको बता देता हूं वो यही है ध्यान में पहले नीचे उतरो फिर उस शक्ति 

के साथ आप सहसरा में समा जाओ जो आनंद का सरोवर है समुद्र 

है वो [संगीत] 

काला एक बांसुरी वाला 

[संगीत] वो [संगीत] 

काला एक भासुरी 

वाला सुद विसरा 

[संगीत] गयो मोरी 

रे सुद विसरा गयो 

[संगीत] मोरी माखन चोर 

वो नंद किशोर जो कर गयो मन की चोरी 

रे कर गयो मन की चो 

रे वो काला एक 

बासुरी 

वाला छुप गयो फिर 

एक ता सुना 

के कहां गयो इक 

बान चला [संगीत] के कहां 

गयो इवान चला 

के छुप गयो फिर 

एक तान सुना के कहां 

गयो एक बान चला 

के कहां गयो एक बान चला 

के गोकुल ढूंढा [संगीत] 

मैंने मथुरा [संगीत] 

ढूंढी गोकुल ढूंढा मैंने 

मथुरा [संगीत] 

ढूं कोई 

नगरिया ना छोड़ी रे 

सुद विसरा गयो 

मोरी हो काला एक 

भासुरी वा [संगीत] 

पनघट पे मोरी भैया 

मरो री मैं 

बोली तो मेरी मट की 

फोरी मैं बोली तो मेरी 

मट की फोरी पनघट पे 

मोरी भैया 

मरो मैं भली तो मेरी 

मटकी फोरी में बोली तो मेरी मट की पोरी 

पैया परू पैया 

परू करू मैं विनती पर पैया 

पर कर मैं विनती 

पर एक ना मानी वो मोरी रे 

सुद विसरा गयो 

मो [संगीत] 

रे हो काला हो 

काला एक बांसुरी वाला 

सुद विसरा गयो मोरी 

रे सुद विसरा गयो 

मोरी वो [संगीत] 

काला एक बासरी वाला 

धन्यवाद 


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