स्वामी चेतन्य कीर्ति मौर्य भगवान कृष्ण की गीता का 11 अध्याय का 32 वा श्लोक और उसके बाद के श्लोक मुझे सदा ही उलझा जाते हैं इससे मैं एक मतलब निकालता हूं कि जो करता है परमात्मा करता है लेकिन दृढ़ चित्त नहीं रह पाता क्योंकि इसमें कभी-कभी अंदेशा आता है कि जो करते हो तुम करते हो वह सिर्फ फल देता है इस शंका का निवारण कीजिए बाबा चैतन्य स्वामी ब सुंदर प्रश्न भगवान कृष्ण 11 में लोक के 32 में 11वें अध्याय के 32 में श्लोक में कहते हैं कालवस में लोक क् कृत प्रवो मैं काल बनकर लोगों का हनन करता हूं काल रूप मैं ही
हूं और बड़ी प्यारी बात कही है इसमें कृष्ण सही पूछो तो अगर इस शब्द को गहराई से समझ लो इसका अर्थ जान जाओ रटन तो नहीं करना है जैसे बच्चों को हम पढ़ाते हैं ताज महल सफेद है संगमरमर की मूर्ति है सुंदर चित्रकारी है फूल हैं पत्तियां हैं तने हैं कब है ऐसे रटना नहीं है देखना है और जब तुम ताज महल के सामने जाकर खड़े हो जाओगे तो तुम्हें कुछ भी रटने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी जो देख लिया उसे रटने की जरूरत नहीं होती आंखों से देखा अनुभव होता है और याद किया स्मृति से बुद्धि से अनुभव नहीं होता था रटन तो होता है किसी ने देखा
होगा हमने नहीं देखा कृष्ण कहते हैं मैं काल बनता हूं और आगे कहते हैं कि यह जो योद्धा खड़े हैं तुम्हारे सामने भीष्म है द्रोण है कर्ण है जय दृत हैं जितने भी योधा खड़े हैं इनका काल रूप बनकर मैं आया हूं भगवान कृष्ण उपदेश दे रहे हैं लगातार और यह उपदेश है तो अर्जुन के लिए काम आता है समस्त सृष्टि में अब हम मूल रूट पर आ जाए दो तरह के कर्म होते हैं एक वह जरा गौर से समझना बात को एक वह जो तुम करते हो एक कर्म व है जो परमात्मा करता है जो कर्म तुम करते हो वह तुम्हारे हाथ में है जो कर्म परमात्मा करता है वह तुम्हारे
हाथ में नहीं सूरज को तुम चला नहीं सकते ग्रह नक्षत्र तारों की गतियां को पता लगा सकते हो बदल नहीं सकते अगर वक्री है तो मार्गी नहीं कर सकते अगर अस्त है तो उदय नहीं कर सते कर सकते सारी सृजना सारी सृष्टि बड़े सटीक नियंत्रित ढंग से चल रही है पेड़ पौधे हो के नदियां हो के हवाएं हो के फल फूल हो ये सब उसके हुकम से चलता है तो मैंने कहा दो तरह के कर्म है एक कर्म तुम करते हो इस प्रवचन को अच्छी तरह सुन लेना अगर यह आपके अंतस में प्रवेश कर गया तो फिर आगे की कोई बात सुनने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बस यह आखिरी प्रवचन होगा आपका गीता
का एक व्यक्ति का कल कमेंट आया बाबा आपने जब समझाया जो करता परमात्मा करता उस दिन से मैं भीतर बैठा हूं एक कमरे में वर्ष भर हो गया लेकिन कल मैं गीता पढ़ रहा था एक शब्द ने बड़ा उलझा दिया तुम शब्दों के जंजाल में बड़े फंसते हो मेरे पास भी लोग आ जाते हैं यथा शक्ति समझाने की चेष्टा करता हूं लेकिन जब वह समझ ही नहीं पाते और मैं यह समझ लेता हूं कि यह समझना नहीं चाहते तो फिर मैं उन्हें क्या कहता हूं फिर मैं कहता हूं राधे राधे करते रहो और मेरे पास कोई ऑप्शन ही नहीं आता और क्या कह कृष्ण की बात आप नहीं समझ सकोगे कृष्ण कहते हैं मैं काल रूप में
बनकर आया हूं जय दत के लिए कर्ण के लिए भीष्म के लिए द्रोण के लिए जो महारथी और कृष्ण बड़ी खतरनाक बात कहते हैं कृष्ण भविष्यवाणी करते हैं तू कहता है मैं युद्ध नहीं करूंगा और बैठ गया है गांडीव धनुष को फेंक के मत कर कृष्ण कहते हैं अगर तू युद्ध न भी करेगा तो भी मैं काल रूप इनको मारने के लिए आया हूं बड़ी जबरदस्त बात है ये अर्जुन का अहंकार नष्ट करने पर तुले हुए हैं तोत नहीं करना चाहता मत कर तू नहीं म इनको तो कृष्ण कहते हैं मैं मार रखे हैं यह कृष्ण कहते हैं इनका मैंने पहले से ही हनन किया हुआ है अब तूने तो सिर्फ सेहरा लेना
है उठ खड़ा हो सेहरा ले ले विजय तेरी होगी तू जीतेगा ये मर जाएंगे क्योंकि मैंने इन्हें पहले से ही मार दिया है इनके भाग्य में मैंने मृत्यु लिख दी है और तुम्हारे भाग्य में मैंने जीत लिख दी है तो अर्जुन अगर तू नहीं भी उठेगा तू नहीं भी युद्ध करेगा तो कोई बात नहीं मत कर तू कहता है मैं भाग जाऊंगा जंगलों में चला जाऊंगा मुनि बन जाऊंगा पत्ते फल फूल खाकर गुजारा कर लूंगा ठीक कर ले लेकिन यह तो मरेंगे यह इसी क्षण में मरेंगे इसी स्थान पर मरेंगे यहीं मरेंगे अभी मरेंगे ऐसे संकल्प किवान शब्द कृष्ण बोलते हैं और अर्जुन सुनते
हैं अर्जुन मेरे द्वारा पहले से ही मारे गए इन धाओं का तू हनन कर दे तू इनको मार दे बड़ा सुंदर शब्द है मेरे द्वारा पहले ही से मारे गए इन योद्धाओं को तू मार दे अब कमाल की बात है ना और अगर तू नहीं मारे तो कोई बात नहीं मरेंगे तो फिर भीय लेकिन सिर्फ तुझे श्रेय नहीं मिलेगा क्योंकि यह मैंने मार रखे हैं अब थोड़ा सा हम पीछे लौटे मैंने कहा दो प्रकार के कर्म है एक कर्म जो तुम करते हो और एक कर्म जो परमात्मा करता है इसको ऐसा समझो कि तुम एक विद्यार्थी हो परीक्षाएं हो रही हैं और तुम परीक्षाओं में पेपर का हल कर रहे
हो वो तुम्हारा कर्म है तुम जैसा भी चाहो लिख सकते हो जैसी भी बुद्धि हो वैसे लिखते भी हो और एक कर्म एग्जामिनर का भी है जो तुम्हारे पेपर को चेक करता है वह किसी को जीरो नंबर देता है किसी को पूरे बटा पूरे देता है अब यह बताइए कि जो एग्जामिनर है उसने कोई भेदभाव किया तुम कहोगे नहीं किया उसने क्या किया सिर्फ जो तुम पेपर करके आए थे उसका निरीक्षण किया अगर उत्तर ठीक था तो उसने मार्क्स दे दिए अगर उत्तर गलत था तो उसने मार्क्स नहीं दिया बस ऐसा ही परमात्मा है तुम कर्म करते हो एक कर्म परमात्मा भी करता है कर् मनने वाधिकारस्ते
आगे मा फलेशु कदाचन परमात्मा का काम तुम्हारे कर्मों का फल देना है तुम फल की इच्छा मत करो तुम सिर्फ पेपर देक आ जाओ यही तुम्हारे हाथ में फल सटीक मिलेगा क्योंकि वह बड़ा न्याय कारी है फल में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं होगी फल पक्ष होगा तू सिर्फ परीक्षा देया पेपर करा रिजल्ट क्या आएगा मास्क कितने मिलेंगे इसका फिक्र मत कर यही भगवान कृष्ण कहते हैं क मनने वाद का रस्त मा फलेश कदाच अपनी काबिलियत के हिसाब से त पेपर दिया मार्क्स तो ठीक आे ब इतना य कारी है ना तो वहां रिश्वत चलती है ना वहां सपर्स चलती है मैं ना वहां टंट ना टंट चलता
है कुछ नहीं चलता जो तुम मेज के नीचे से पकड़ते यह वहां नहीं चलता एक कर्म तुम करते हो पर करना तुम्हारे हाथ है ठीक किया गलत किया उसके मार्क्स परमात्मा दे देगा एग्जामिनर कृष्ण कहते हैं तू चिंता क्यों करता है मार्क्स से ही मिलेंगे मार्क्स का फिक्र मत कर तू फिक्र कर तू पेपर का कर एग्जाम का कर एग्जामिनर का फिक्र ना कर एग्जाम का फिक्र कर अगर तूने सही जवाब दे दिए तो तुझे मार्क्सस भी सही मिलेंगे एग्जामिनर के ऊपर शक ना कर कृष्ण कहते हैं अर्जुन मैं लोगों का नाश करने के लिए महाकाल बनकर आया हूं और यह जो सामने खड़े हुए योद्धा
हैं तेरे विरुद्ध युद्ध करने के लिए खड़े हैं मैं इन सबको मारने के लिए आया हूं और अगर तू युद्ध नहीं भी करेगा तो भी यह सभी मर जाएंगे क्योंकि यह मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं तो जो मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं क्यों नहीं तू उनको मार के श्रेय अपने सिर पर ले लेता तू सिर्फ श्रे ही ले सकता है मार तो मैंने दिया तुझे श्रेय देना चाहता हूं तू श्रेय लेना चाहता है तो उठ खड़ा हो गांडीव धनुष को उठा और तीरों से बहन दे ये मेरे द्वारा पहले ही से मारे गए लोग हैं बड़ा अद्भुत शब्द है अब कुछ लोग पूछ लेते हैं मुझे बाबा
पहले से ही मारे गए लोग इसका मतलब जो करता है परमात्मा करता है नहीं यहां मैं कहूंगा नहीं आगे चलो इतनी क्या जल्दी है जल्दबाजी मत कहो ये गीता है अभी तो कृष्ण यह कह रहे हैं कि मैंने इनको मार दिया है क्यों मार दिया है क्योंकि इनके कर्म मारने योग्य थे यह पेपर ही ऐसा देके आए थे कि इनको जो मार्क्स मिलना चाहिए था वह जीरो और मैं जीरो करने के लिए आया हूं मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया मैं इस वक्त काल बनकर आया हूं काल का मतलब एग्जामिनर तुमने क्या किया है यह चेक करने के लिए और मैंने चेक किया तो यह पाया कि जीरो ये जो सामने खड़े हुए योद्धा हैं जो
भी हैं चाहे वह मेरी नारायणी सेना के भी गुना आपको बता दूं कि कौरवों के पक्ष में दुर्योधन ने नारायणी सेवा सेना मांगनी थी भगवान कृष्ण की नारायणी सेना कौरवों की तरफ से युद्ध कर रही थी दुष्ट लोग प्रत्येक शतरंज बिछाने में कोई श्रम नहीं करते हैं दुर्योधन के मन में यह बात थी कि अगर कृष्ण लड़ेंगे भी तो अगर हमें मारेंगे तो अपनी नारायणी सेना को थोड़ी मारेंगे तर्क है और अगर अपनी नारायणी सेना को थोड़ा ही मारेंगे तो हमको भी क्यों मारेंगे क्योंकि नारायणी सेवा सेना में ही हम खड़े होंगे यह उसका तर्क था लेकिन वहां तर्क
कहां चलते हैं उसने नारायणी सेना को भी मार दिया क्योंकि वह कहते हैं कि नारायणी सेना भी मरने वाला काम किए थी एक ही जहाज में मैंने सब बैठा दिए दुर्योधन का बेजा फेर दिया सुबह सुबह कृ सोए हुए हैं युद्ध की घोषणा हो गई है बस अब युद्ध होगा कृष्ण कहने लगे पांच गांव दे दे दुर्योधन कहता है युद्ध के बिना मैं सई की नोक के बराबर जगह नहीं दूंगा युद्ध करो और ले जाओ तो शंख नाद पांच जन शंख नाद करके आते हैं कृषण बड़ी मजेदार कहानी और कृष्ण सोय होते हैं और कृष्ण कहते हैं मैं मेरी शर्त है मैं शस्त्र नहीं उठाऊंगा मैं युद्ध
नहीं करूंगा और एक तरफ मैं और एक तरफ मेरी नारायणी सेना दो पक्ष हो तुम जो चाहो मांग लो एक तरफ मैं अकेला और अकेला भी क्या युद्ध नहीं करूंगा शस्त्र नहीं उठाऊंगा और दूसरी तरफ मेरी नारायणी सेना बोलो क्या चाहिए बड़ी चाल थी शतरंज की जबरदस्त चाल थी तो दुष्ट की बुद्धि फेर देते हैं भगवान जा को मैं दारुण दुख दे ताकि मती पहले हर ले जिसको दुख देना होता है उसकी मति को फेर देते हैं उसके निर्णय गलत हो जाते हैं आए थे पहले दुधन सिर की तरफ बैठ गए अहंकारी सिर की तरफ भी बैठेगा कृष्ण सो पड़े हैं मजे से थोड़ा सा लेट ही उठते थे मेरी तरह ऐसा
मत कर मैं भी 10 बजे उठता हूं तो कहते बाबा 10 बजे ब्रह्म मुहूर्त मैंने कहा यह ब्रह मुहूर्त है जब मेरी आंख खुल जाए तुम्हें पता नहीं सही तो मेरा ब्रह्म मुहूर्त चार बजे होता है लोग मुझे कह देते हैं बाबा जल्दी से निपटा दिया रा ये सभी संत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में निपटा देते हैं मैंने कहा मेरा ब्रह्म जगता ही चार बजे है मैं क्या कर उससे पहले मदहोशी में रहता है उससे पहले पीता ही रहता है दो कुट पिला दे [संगीत] साकिया दो कुट पिला दे सा बाकी मेरे ते रोड़ दे दो कुट पिला दे [संगीत] सा बाकी मेरे ते रोड़ दे दो कुट पला दे
[संगीत] सा ये लोग कहते हैं फिल्मी गाने गा लेते हो बीच में गीता कहां गीता कहां फिल्मी गाने मैंने कहा यही तो गोरखनाथ ने कहा है हसी वो खेली वो धरी न नाची वो गई वो करी वो ध्यान यही तो मजा है जिंदगी का तुम रोई वो ई री ध्यान ऐसा नहीं होगा रो ई नहीं होगा नाची वो गाई वो हसी वो खेली वो वही ध्यान होता है ध्यान करने में भी आनंद उठाओ और ध्यान का भी लाभ उठ एक बंथ दो का सिर की तरफ बैठ गए कृष्ण के जा पहले आ तोष थोड़ा जल्दी जग जाते हैं क्षमा कर व ब्रत जग जाते हैं जल्दी जाना है दुर्योधन तो रात को सोया भी नहीं था और अर्जुन तो मजे से सोया था सुबह जाना
था दोनों ने कृष्ण से मांगने जाना था और कृष्ण ने कहा एक तरफ मैं अकेला शस्त्र हीन युद्ध नहीं करूंगा और दूसरी तरफ मेरी सेना नारायणी सेना जो चाहिए ले जाओ तो ब्रह्म मुहूर्त में आ गए सिर के बल बैठ गए इंतजार करने लगे और मजे से सोए पड़े हैं कृष्ण शायद थक भी गए हो मगता बनकर बैठना बड़ा मुश्किल है राजा राजा है हस्तिनापुर का मांगने के लिए आया है हो सकता है मन में आया हो कि इसका गला दबा यह उठ नहीं रहा है लेकिन क्या करें उसके दरबार में आए प्रहरी सामने खड़े हैं अर्जुन बाद में आते हैं पांव की तरफ बैठ जाते हैं रावण जब मरने
लगा तो राम ने कहा बराता लक्ष्मण बड़ा विद्वान व्यक्ति है चतुर्वेद का ज्ञानी इससे कुछ ले ले जा रहा है दुनिया से अलविदा पूछ ले से कुछ बड़ा ज्ञानी है मूर्ख है लेकिन ज्ञानी कई ज्ञानी भी मूर्ख होते हैं रावण की तरह ज्ञानी समझदार भी होते हैं और ज्ञानी मूर्ख भी होते हैं अर्जुन बाद में आया पांव की तरफ बैठ गया लक्ष्मण ने पांव की तरफ बैठ के पूछा तो सब बता दिया रावण ने लेकिन जैसे वह सिर की तरफ बैठा व कुछ नहीं बोला विद्वान की यही निशानी होती है वह शिष्टाचार भी सिखाता है ज्ञान भी देता है तो लक्ष्मण बैठ गया सर की
तरफ कुछ नहीं बोला रावण लक्ष्मण गए भगवान राम के पास भैया बोल नहीं रहे राम कहते मैंने देखा तू सिर की तरफ ब मैं तो बैठा था मरता हुआ व्यक्ति थोड़ा धीमे बोलेगा सुन जाएगा मुझे नहीं ज्ञानी पुरुष से ज्ञान लेने का तरीका सही नहीं है पाव की तरफ बैठ व थोड़ा ऊंचे बोल लेगा इतना अशक्त नहीं हुआ है अभी पांव की तरफ बैठा हाथ रावण ने आशीर्वाद दिया खैर लक्ष्मण पूछता रहा यह प्रसंग अलग है रावण बताता रहा अर्जुन बाद में आया पांव की तरफ बैठ गया य कहते हैं इतने विस्तार से बता दो ये बता दो स्टूल पर बैठे कुर्सी पर बैठे मुझे तो सुनने वाले भी बड़ा आनंद लेते हैं
यह आनंद का रस है पियो यह तो मुझे नहीं पता कि स्टूल पर बैठे की कुर्सी पर बैठे लेकिन बैठे पाव की तरफ अर्जुन और सिर की तरफ दुर्योधन और कृष्ण उठ सहजता में आख खुली व सबसे पहले आपने देखा होगा पांव की तरफ जाती है कौन बैठा है सामने सिर की तरफ नहीं जाती तो सामने देखा अर्जुन बैठे भगवान बोले सखा अर्जुन कैसे आए सुबह सुबह कैसे आए अर्जुन कहता प्रभु मुझे काफी देर हो गया दुर्योधन बोल उठा य कृष्ण मैं पहले आया यह बाद में आया दरबारियों से पूछ लो यह तो बहुत बाद में आया मैं काफी र से बैठा हूं अच्छा हां मुझे नहीं दिखाई पड़े तुम
सिर की तरफ बैठे हो अहंकारी व्यक्ति सर की तरफ ही बैठता है इसलिए हमने एक शिष्टाचार बनाया उसके भीतर वैज्ञानिक पद्धति भी थी लेकिन यहां प्रसंग बढ़ जाएगा हम जब भी कोई शुभ काम जाते थे तो बड़े बुजुर्गों के नमन करके जाते थे पांव के हाथ लगा के जाते थे बहुत से लोग आते हैं मेरे पास शरारती स्वभाव मेरे पांव को हाथ लगाते सिर को हाथ लगाते हैं आशीर्वाद देकर जाते हैं मैं उन्हें प्रणाम कर देता हूं जो आशीर्वाद दिए मैं उनको प्रणाम किया जो पांव छुए मैंने उन्हें आशीर्वाद दिया जो चाहे ले जाओ भाई जैसा करोगे वैसा भरोगे यही तो भगवान का सिद्धांत
है यही समझा रहा हूं तुम्ह एक कर्म व है जो तुम करते हो एक कर्म वो है जो वह करता है लेकिन ध्यान रखना उसका कर्म तुम्हारे कर्मों पर डिपेंड है जबड़ी नई सी बात लगेगी तुम उसका कर्म तुम्हारे कर्म पे डिपट है जैसे एग्जामिनर पे तुम्हारे पेपर करने का कर्म डिपेंड है क्योंकि उसने तो मार्क्स देने है उसका कर्म फल है फल तुम्हारा कर्म कर्म है कर्म तो उसका कर्म यानी फल तुम्हारे कर्म पर डिपेंड है ठीक है मांगो मैंने कल ही कह दिया था एक तरफ मैं एक तरफ मेरी नारायण सेवा बोलो क्या लेना रोधन कहते मुझे नारायणी चाहिए सेना मांगता हूं
मैं तथास्तु अर्जुन को कहने लगे तेरे पास कोई ऑप्शन नहीं बचे अर्जुन तेरे पास तो दूसरी ऑप्शन है जरूरी मजबूरी मैं ही हूं बस अब तुम्हें तो मुझे ही लेना पड़ेगा व कहते प्रभु आपकी इच्छा जो बचा वह मेरा और कृष्ण अर्जुन के होलिए नारायणी सेना दुर्योधन की होली अब प्रसंग को आगे बढ़े एक कर्म तुम करते हो वह कर्म एक कर्म परमात्मा करता है वह कर्म फल देखि जैसे दीवार दीवार के ऊपर गेंद पटक देते हो आप आपने तो कर्म किया गेंद को पटकने का लेकिन दीवार ने कोई कर्म किया देवार ने कोई कर्म नहीं किया सिर्फ आपके कर्म का फल लटा
दिया जैसा भी बनता था चलो चैतन्य तुम्हारे पहले सवाल का जवाब मिल गया तुम कहते हो इसका मतलब तो जो करता है परमात्मा करता है बिल्कुल एग्जामिनर के रूप में तो परमात्मा ही करता है लेकिन देखो बाजी पलटने वाली है आगे तुम यहां तक ठीक समझाओ यहां तक अपने भीतर हृदय के उतार लो फिर आगे की व्याख्या आगे होगी यहां तक तुम्हें समझ में आ गया होगा इसलिए संत कहते हैं समाज सुधारक कहते हैं साधु कहते हैं कि फल की इच्छा ना करो अच्छा मिले क्योंकि फल की इच्छा करना बेकार है कर्म अच्छे करो फल अच्छा अपने आप मिल जाएगा देखो अगर बीज अच्छी क्वालिटी का भोग
है तो फल भी अच्छी क्वालिटी का और ज्यादा मात्रा का मिलेगा हम सीड्स का काम करते थे तो सीड्स में ऐसा भी होता है कि इसका जो झाड़ है वह 40 मन निकलेगा एक एकड़ में इसका 30 मन निकलेगा इसका 50 मन निकलेगा जिस तरह बीज वैसा ही फल उतनी मात्रा का फल यह श्रेष्ठ बीज है तो ज्यादा झाड़ देगा और य कमजोर बीज है क्वालिटी कटिया है तो कम दे साधु कहते हैं संत कहते हैं धर्म उपदेशक कहते हैं मार्गदर्शक कहते हैं कि तुम फल की फिक्र मत करो पहला अर्थ तो यह बनता है कर् मने वाद काते मा फलेश कता यहां पर भी हम आ जाए तो कृष्ण कहते कि
मैं काल बनकर तुम्हारे सामने खड़ा हूं इन लोगों का काल बनकर सामने खड़ा हूं जहां तक आपको समझा आएगी बड़े मजे से समझाएंगे क्योंकि यह बध योग्य हैं अगर किसी ने कत्ल किया है तो जज सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर और सबूतों के आधार पर फैसला सुना देता है कि शुड भी है तो जज ने कोई फल दिया ज न्याय किया जज ने फल नहीं दिया न्याय किया आप उसे फल कह सकते हो लेकिन कर्म उसने जो किया जैसा भी किया रेयरेस्ट ऑफ रियर रेयर ऑफ रेयरेस्ट तो जज ने कह दिया ही शुड बी हैंक इसको फांसी दी जाती है क्योंकि इसने कर्म ही ऐसा किया है अब कृष्ण कहते हैं कि मैं काल बनकर
खड़ा हूं इसकी भीतरी बात आपको समझा दी काल बनकर क्यों खड़े क्योंकि इन्होंने कर्म ऐसे किए हैं कि इनका न्याय बनता है मृत्यु जैसे जजज कहता है ही शुड बी हैक वैसे ही मैं न्याय कारी बनक खड़ा हूं और मैं इन्हें मृत्यु दंड दे दिए हैं अब यहां समझ लेना यहां तक बात आपको समझ में आ जाएगी क्योंकि इन्होंने कर्म ही ऐसे किए हैं मैं अपनी इच्छा से इन्हें फल नहीं दे रहा हूं इनके कर्मों के फल स्वरूप फल दे रहा यह बात तुम्हें समझ में आ जाएगी बड़े मजे से काल बनकर कब खड़ा होता है परमात्मा परमात्मा किसी का दुश्मन है नहीं दयालु है न्याय कारी भी
है तो इन सभी ने कर्म ऐसे किए होंगे वह जयद्रथ हो व भीष्म हो वह द्रगण हो व कर्ण सभी व्यक्ति वध के योग्य हो गए न्याय यह कहता है इनके कर्मों के हिसाब से एम नर यह कहता है कि इनके मार्क्सस जीरो इनको मृत्यु दंड देना चाहिए इसलिए मेरी कर्म व्यवस्था मेरी न्याय व्यवस्था यह कहती है कि इन्ह मृत्यु मिलेगी और मैं इन्ह मार चुका हूं मैंने इनके पेपर एग्जामिन कर लिए हैं और इनका फल निकलता है मृत्यु दंड मेरी तरफ से यह मर चुके हैं अर्जुन तुम सिर्फ यह कर सकते हो बाजी तो तुम्हारे हक में त श दद भी तुमने बहुत स सहा है लाक्षा
अगरी में जलाने की कोशिश दुरो धन की और शकुन की और पता यह सब एक ही झुंड थी ऐसा कैसे हो सकता है कि भीष्म पता को पता ना पता था पता तो विदुर को भी तो विदुर ने एक जासूस भेज दिया विदर को सजा क्यों नहीं मिली बहुत लोग पूछ लेते हैं मुझसे विदुर को सजा क्यों नहीं मिली मैंने कहा विदर ने बुरा किया ही नहीं विदर सत्य के ऊपर चला न्याय प्रिय था विदर ने बचाने की चेष्टा की और विदुर ने ही भेजा संदेश युधिष्ठिर के पास कि यह है इनकी मंशा लाक्षा ग्रह है ये देखने में तुम्हें लगता है कि कंकड़ पत्थर का बना है लोहे का बना है
नहीं यह लाख का बना है इसमें तुम्हें सभी को जला के मार दिया जाएगा कुंती समेत तो विदुर ने संदेश भेजा और जो संदेश लेकर गया था उसको भी बड़े ढंग से समझाया कि ये कभी लीक ना करते बा उसे पता था कि इनमें से एक बड़ा समझदार व्यक्ति सहदेव य बहुत समझदार था तो सहदेव के पास गया वह जासूस कहता विदुर का संदेश कि जब जंगल में आग लग जाती है तो कौन बचता है बस इतना ही कहा है देख लेना क्या मतलब है इसका सहदेव बड़े समझदार थे सहदेव बैठे ध्यान में गए भीतर शक्ति को एकाग्र किया और बात समझ में आ गई कि विदुर जैसा व्यक्ति हमारा हितकारी
इस बात के भीतर अवश्य ही कोई हमारा हित छिपा है जंगल में जब दावा नल भटक जाता है तो बचता कौन है बताइए कन बचता सहदेव बड़ा समझदार था सहदेव ने समझा परखा कौन बचता है तोहे बताता बचता है चूहा और चूहा क्यों बचता है क्योंकि चूहा धरातल पर नहीं रहता चूहा बिल के भीतर घुस जाता है और इतनी गहरी बिल खोद लेता है कि आग उस तक पहुंच नहीं सकते तो सह देव ने हिसाब लगाया वह बड़ा हिसाबी था ज्योतिष का प्रकांड पंडित अगर महाभारत में कोई था तो सहदेव से बड़ा कोई ज्योतिष का प्रकांड पंडित नहीं मुझे बाबा बताया करते हैं सहदेव वाज द बेस्ट एस्ट्रोलॉजर
ऑफ दैट टाइम ब्रेग के बाद अगर कोई एस्ट्रोलॉजिस्ट हुआ है तो वह सहदेव हुआ है सहदेव के एस्ट्रोलॉजी के लिखे हुए कुछ पने मैंने पढ़े हैं मेरे पास है तो सहदेव ने हिसाब लगाया कि विधुर ऐसे तो कोई बात निकालता नहीं मोनी बाबा थे बोलते ही नहीं थे अगर स्पेशल दूत कोई भेजा है विशेष तो इसमें कोई कारण है तो उसे झट समझ में आ गया यह जो ग्रह है य दिखने में पत्थर का लगता है पर है कोई ऐसी चीज जो जलने तो हम सरंग खोद ले और सरंग खोदकर आगे तक निकल जाए अगर कोई ऐसी बात हुई तो हम यहां से सरंग खोद लेंगे दूर और वहां से निकल जाएंगे यह प्रथा थी कि राजा बनने से पहले
उस स्थान पर जाना होता था ज की पुश्तैनी जगह थी यह लक्षा ग्रह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरनावा नाम का एक ग्राम था जो कि वर्णावत के नाम से भी प्रसिद्ध था आज भी है दुर्योधन ने उसी स्थान पर ये लक्षा ग्रह का निर्माण किया था वहां पर जाना होता था एक बार वहां उनका कोई कुल देवी या कुल देवता था वहां प्रणाम करके परंपरा थी प्रणाम करके आना होता था और उसके बाद राज्याभिषेक करना होता था वहां लक्षा ग्रह का निर्माण कर दिया गया कि राजा साहब आकर ठहर उसके बाद इनका राज तिलक होगा लेकिन असल थी प्लानिंग उनको जलाकर मार देने की
तो कुंती समेत सभी भाई आए थे उस वक्त द्रौपदी नहीं थी क्योंकि शादी नहीं हुई थी संबर नहीं रचा गया था पांचों पाट और कुंती सभी रुके इतने में सैनिक पहुंच गया जो खबर लेके तो दिष्ट ने कहा ये है मकमा सहदेव के पास सहदेव से बोला सहदेव ने बात सुनी समझ गया उसने भीम को बुलाया सभी को बुलाया कि ऐसा करो इस पत्थर को उखाड़ एक पत्थर उखाड़ के श्रंग खोदो श्रंग इतनी गहरी खोदो दूर तक खोद जहां आग लगेगी और जब आग लगेगी हम उससे पहले ही निकल जाएंगे संकेत उसे पता क्या क्या मिलेंगे यह कोड वर्ड में समझा दिए थे सारी बातें विदुर ने इसलिए विद्र इतने प्रिय थे कृष्ण
को त्रयो धन के मेवे त्यागे साग विदुर घर खाए विदुर बड़े प्यारे व्यक्ति थे भक्त विदुर नीति भी आती है यह नोन रि विदुर नीति का ही एक अंग है वह बच जाएगा उसके दिमाग पर कोई बोझ नहीं होगा विदर सारी उम्र खुशहाली में जिए खुशहाली का मतलब खुश मजाज प्रसन्न रहे हमेशा क्योंकि उन्होंने कोई रेक्शन नहीं किया सभी ने रिएक्शन दिए अच्छे या बुरे लेकिन विदर ने कभी रिएक्शन नहीं दिया विदर नीति में नॉन रिनेस जिसकी मैं बात किया करता हूं ज कुछ भी कह जाए तुमने रिएक्शन नहीं देना है और सुख का यह मूल सिद्धांत है अगर तुम सुखी रहना चाहते
हो तो किसी की बात का कोई रिएक्शन मत करो ना अच्छा ना बुरा तो इन शब्दों को ठीक से फिर सुनो मैं लोगों का नाश करने वाला महाकाल हू इस समय इन लोगों को नष्ट करने के लिए मैं आया हूं इसलिए जो प्रतिपक्ष यों की सेना में स्थित हुए योधा लोग खड़े हैं वह सब अगर तू युद्ध भी ना करेगा तो भी मारे जाएंगे क्योंकि मैंने उनकी मृत्यु निश्चित करती है अतः अर्जुन तू उठ खड़ा हो तू जीत सेहरा ले राज कर राज सुख भोग बहुत से लोग कह देते हैं य कृष्ण की लीला है कृष्ण की लीला नहीं यहां तक तो कर्म ही प्रभावी सभी के कर्म भीष्म हो ण हो जयद्रथ हो
दुर्योधन हो करण सभी के कर्मों का फल यही बनता था और यक सा बनता था इस वक्त आकर फल गया लोग मुझे पूछ लेते हैं बाबा क्या ऐसे सामूहिक रूप से भी कर्म फल जाते हैं बिल्कुल फल जाते हैं य आपने देखा होगा एक्सीडेंट हो जाते हैं 500 लोग बैठे हैं 200 लोग बैठे हैं जहाज में क्रैश हो जाता है सब मर जाते हैं ट्रेन एक्सीडेंट हो जाता है कुछ बच जाते हैं कुछ मर जाते हैं सामूहिक रूप से इनके कर्म मृत्यु लिख दी गई थी पहले मैं एक छोटी सी घटना बताता हूं बहुत वर्ष पहले की बात है जब पंजाब में विपत्ति काल चल रहा था कुछ लोग कुछ तत्व लोगों को मार देते बसों से
उतार के मार देते हैं गाड़ियों से उतार के मार देते गाड़ियों में भू देते तो मेरा एक शिष्य नाम ले देता हूं अब तो बेचारे को गए बहुत वक्त बीत गया अब तो उसने नया जीवन भी ले लिया और वह कहां उसने जन्म लिया वोह मुझे पता है मेरा अक्सर उससे संपर्क होता है तो वह मेरे पास आया मुझे कहने लगा उस्ताद जी मुझे उस्ताद जी कहता था उसका शॉर्ट नेम था बिट्टू एक किसी क्लॉथ मर्चेंट का बेटा हमने नई दुकान ली है वह दुकान खोली है उसके लिए माल लेने जाना है अबर मुझे रात्रि को ही बाबा बता गए थे कैसे यह कांड होगा होगा तुमने कहना है कह देना लेकिन होगा
और उस समय तुम्हारा प्रिय शिष्य मारा जाएगा ठीक है और होगा रात को 10 वाली ट्रेन में आभा एक्सप्रेस में बात तो बड़ी खतरनाक थे लेकिन बाबा बता गए तो होने दिए अभी बाबा बता गए विपत्ति काल आएगा शुरू हो गया है 20 तारीख को बता ग 30 तारीख को चूकना टूट गया मेरा और अभी तक अभी मैं स्टिक लेकर चलता हूं तो वह मेरा शीश आया मेरे पास दोपहर का वक्त था एक दो बजे मुझे कहने लगा उस्ताद जी हमने सामने के दुकान ली है बाबू राम सब्जी वाले की उस कान में नया काम करना है अब और जाना है सामान लेने के लिए वह सारे काम मेरे से पूछ के करता था
या बता के करता था मैंने कहा मत जाओ कहता क्यों मैंने कहा बस मत जाओ कल चले जाना आज जाना जरूरी है पापा बोल रहे हैं भाई बोल रहा है बड़ा पिंकी मैंने कहा मत जाओ मुझसे पूछने आ गए तो मत जाओ कहता नहीं जाना तो पड़ेगा और बताओ अगर कुछ मैं कर सकता हूं मैंने कहा फिर तुम्हे ऐसे करना एक बात को ध्यान रखना अपनी शर्ट के गांठ लगा लो ताकि याद आता रहे कहता लगा लूंगा बताओ मैं अलार्म लगा लूंगा मैंने कहा तुम छह वाली गाड़ी से आ जाना गाड़ी दो आती थी गड़वा को अर से एक 6:00 बजे के करीब आती थी रात को 10 बजे करीब अब आती थी ठीक यह ठीक है दिन में सारी खरीदारी कर
दूंगा मैं अब दो घंटे का काम है 6 बजे वापस आ जाऊंगा चला गया वापस आ जाऊंगा पक्का आ जाऊंगा वह मेरी सब बातें मान लेता था लेकिन उस सन चूक हो गई चला गया गाड़ी लेट हो गई गाड़ी तक आया भी व स्टेशन तक पाच मिनट पहले गाड़ी निकल गई मजबूरी थी रुकना पड़ा दूसरी गाड़ी का इंतजार करने लगा बसे उस वक्त जल्दी ही बंद हो जाती थी थोड़ा सा वक्त नाजुक था ठीक नहीं था मैं तभी समझ गया वह नहीं आया और रात्रि को कब्र वाला के पास एक कांड हुआ जिसमें उसकी मृत्यु हो गई ज्यादा नहीं [संगीत] कहूंगा सुनने वाले की आंखें डबडबा आएंगी चाहता था मैं रोक लू उसको
चाहता था मैं बांध लू उसको लेकिन नहीं बांधा गया नहीं रुका और व हो गया मेरे पास आया था मैंने बात सारी बता दी थी मत जाओ रोका था और बहुत जोर से रोका था मत जाओ जो होता है वह उसकी मर्जी से होता है वक्त आ गया था रोकने के बावजूद भी वह गया तो मैं देखता हूं मैंने जिंदगी में बहुत कुछ देखा है भाइयों की मृत्यु देखी बड़े भाई की मृत्यु जानता हुआ भी भाभी और मां को बुलाया कि ये कल मर जाए इसको बचा मैंने अबोहर जाना है तुम इसको बचाए रखना किसी तरह शाम तक बचाए रखो शाम को मैं आ जाऊंगा अबोहर से गाड़ी मुझे लेने आ गई और
मैं गौशाला से स्नान ध्यान करके वस्त्र बदल के जाने लगा और वह काम हो गया जिंदगी में क्या बताऊं क्या ना बताऊं निचोड़ बता देता मरना जीवना आपके हाथ में नहीं कहां मरा 30 फुट 35 फुट गहरी नहर में गिर गया कहां मरा हालांकि बचाने वाले श्रय लेना चाहते हैं लेकिन मैं जानता हूं मैं कैसे बचा बचाने वाले आज तक श्रेय मांगते होंगे कि हमने बचाया लेकिन उनको यह नहीं पता कि बचाए तो रस्सी ने और रस्सी भेजी शव ने और फिर अकेला आदमी बचा भी नहीं सकता कैसे उतरता अगर पकड़ने वाले लोग ना होते और भी तो लोग तो व्यक्ति मूर्ख है अपनी मूर्खता से ही काम लेता देता
है सनप नहीं चला करते री इच्छा से कुछ नहीं होता इससे आगे मेरी इच्छा थी कि आगे बोलूं लेकिन क्या करूं वक्त इतना कम है और आप आप में सुनने का इतना वक्त कम है आपके पास ई और भी काम करने होते हैं तो एक घंटे की वीडियो बहुत होती है अगर आप सुन ले तो अभी थोड़ा सा एवरेज व्यू डायरेक्शन बढ़ने लगा है बहुत ज्यादा बढ़ गया है करीब दुगना हो गया है और मैं कहता हूं कि आप पूरी सुना करो सुनने वाले तो दोदो बार भी सुनते हैं चार चार बार भी सुनते हैं लेकिन कुछ सिर्फ मुखड़ा देकर ही छोड़ देते हैं मैंने कहा नहीं आप कंटेंट देखा
करो कई बार मुखड़े नहीं ठीक बनते टाइटल ठीक नहीं आते यहां तक मैं काल रूप हूं काल बनकर आया हूं यह जो सामने तेरे योद्धा खड़े हैं रायणी सेना खड़ी है जितने महारथ हैं यह मर चुके हैं मेरे द्वारा मारे हुए इन लोगों को तू मार दे बड़ा अजीब शब्द है तू श्रे ले ले सिर्फ देखिए श्रे खुद नहीं लेते भगवान यहां समझ लेना करता वो है श्रे नहीं लेता श्रे कहते हैं अर्जुन से कि तू ले ले सरे और तू राज पाठ को भोग और कृष्ण जानते हैं कि भोगने से कौन भोगा जाता है कृष्ण से ज्यादा और कौन जानते हैं कृष्ण तुम्हें यही सिखाते हैं कि अति
का भोग भोगने के बाद भी भोगा नहीं जाता तो आज का प्रवचन बिल्कुल साफ सुथरा मृत्यु निश्चित है लेकिन ध्यान रखना वह मृत्यु तुम्हारे कर्मों का परिणाम है कृष्ण कह देते हैं मेरे द्वारा यह मारे गए हैं क्योंकि इन्होंने कर्म ही ऐसे किए हैं और मेरे विधान ने इनको मार दिए हैं वो भीष्म हो वो द्रोण हो वो जयद्रथ हो वो दुर्योधन सब मार दिए गए अर्जुन तू डर मत 11 अध्याय का 32 लोक आगे 33 और 34 इसकी व्याख्या मैं आगे करूंगा वक्त बहुत हो गया है तो इनको मार दे मैंने इनको मार दिया है और मैंने अपनी इच्छा से नहीं मारा है मैंने एग्जामिनर की तरह इनके पचों के
नंबर दिए हैं कर्म का फल दिया है और कर्म करना इनका अधिकार था अच्छा करते तूने अच्छे किए तो तू बच जाएगा इन्होंने बुरे किए तो इनका फल जो बनता है व मैंने दे दिया मैंने इन्हें मार दिया है तू श्रे ले ले इनको मार के तुम इसको कुछ भी कह लो जो करता है परमात्मा करता है लेकिन अपनी मर्जी से नहीं करता तुम्हारे कर्मों से करता है अपनी मर्जी से करेगा तो वह हत्यारा होगा तुम्हारे कर्मों का फल देगा तो वह हत्यारा नहीं होगा जज जो मृत्यु दंड देता है वो हथियारा थोड़ी होता है उसे तो दुख होता है वह तो ये लिखकर ही शुट भी हैक उस पिन को तोड़ देता है ये
मनहूस है पिन दुख उससे भी होता है परमात्मा को तुम्हें मारने में कोई खुशी नहीं मिलती लेकिन तुम्हारे कर्मों का फल तो देना ही होता है क्योंकि वह न्याय कारी है और जिसका वधु हुआ है उसके प्रति दयालुता भी वर्तनी है दोनों काम कर जाता है श्री कृष्ण गोविंद हर श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी [संगीत] हे नाथ [संगीत] नारायण [संगीत] वासुदेव गुरु पितु मात [संगीत] स्वामी सखा [संगीत] हमार पितु मात [संगीत] स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा हे नाथ [संगीत]
नारायण यन वासुदेव श्री कृष्ण गोविंद हरे हरे [संगीत] मुरारी हरे मुरारी हरे [संगीत] [संगीत] मुरारी [संगीत] मुरारी हरे [संगीत] मुरा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी [संगीत] श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी है ना नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा वासद [संगीत] पि मात स्वामी सखा [संगीत] हमारे सखा [संगीत] हमार श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव श्री श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हरे मुरारी हरे मुरारी पितु मात स्वामी स हमारे पितु मात स्वामी सका हमारे हे नाथ
नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायन वासुदेव [संगीत] धन्यवाद
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