जड़ से परमात्मा मुक्ति की ओर! सूक्ष्म लोक? मुक्त होने का सबसे आसान और Practical तरीका! KARMA

 

जड़ से परमात्मा मुक्ति की ओर! सूक्ष्म लोक? मुक्त होने का सबसे आसान और Practical तरीका! KARMA


सूक्ष्म लोक केलिए रोज का एक विचारसमझदारव्यक्ति सत्य बोलताहै मूर्खव्यक्ति झूठ बोलताहै और तत्व[संगीत]ज्ञानी कुछ नहीं बोलता मौन हो जाताहै तत्व ज्ञानी चुप रहताहै आप भी सुनलीजिए समझदार व्यक्ति सत्य बोलताहै मूर्ख व्यक्ति झूठ बोलताहै और तत्व ज्ञानीप्रज्ञान चुप हो जाता है मौन हो जाता हैलीजिए आज काप्रश्न एमडीभास्कर सुबह के प्रवचन को लेकर एकजिज्ञासाहै आपने कहा था कि सूक्ष्म लोक से एकप्रश्न आयाहै क्या सूक्ष्म लोक में भी प्रश्न उठतेहैंक्या हमारी तरह उनकी श्रवण इंद्रियां कामकरतीहैं क्या ये सामान्य जीवात्माहैं जिनके सदगुरु के वचन से शंकासमाधान औरउनकी प्रोग्रेस होतीहै आखिर में हैक्या और सदगुरु का उनके लिए क्या रोलहै कृपा करें के जिज्ञासा शमनकरें बहुत सुंदर प्रश्नहै ऐसे प्रश्न बेशकीमती होते हैं आनेचाहिए शास्त्रों में आपने पढ़ा होगा अक्सरपांच सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियांपढ़ा यह पांच सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियांवही है जो सूक्ष्म शरीर में होतेहैं आपको थोड़ा सा इनका अंतर संबंध गनाद तीन शरीर हैप्रमुख सबसे बेसिक कारणशरीर दूसरा सूक्ष्मशरीर तीसरा स्थूलशरीर स्थूल शरीर जो आप देख रहे हैं यहस्थूल शरीर है इट्स एनइंस्ट्रूमेंट यह एक उपकरण है यांत्रिकउपकरणइसके भीतर हूबहू बिल्कुल ऐसा ही सूक्ष्मशरीर एक ज्ञानेंद्रिय हैस्थूल सूक्ष्म ज्ञान इंद्रिया हैंसूक्ष्म जैसे नाक सूंघता हैकान श्रवण करतेहैं आंख देखतेहैं ऐसे ही सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियांहैं हम रोज पढ़तेहैं स्थूल ज्ञान इंद्रिय और सूक्ष्म ज्ञानइंद्रअक्सर आपने शास्त्रों में पढ़ाहोगा अपने घरबार को स्वच्छ साफ सुथरासुगंधित वातावरण मेंरखिए भगवान को सुगंधित फल फूल अर्पित करतेहैं इतर ड़कतेहैं आपने अक्सर पुजारी देखेहोंगे जब वो मूर्ति को भोग लगातेहैं तो खिलातेनहीं वो सुं घातेहैं क्योंकि उनकी टेस्ट बर्ड्स जीव बाहरनहीं होती काली को खिलाया जा सकता है कालीकी जीभ बरहै उनके टेस्ट बर्डस हैं सूक्ष्म टेस्टवड्सबिल्कुल ऐसे ही जैसे यह शरीर सुनताहै अब ध्यान से समझ समझ लेना इनके संबंधोंको आवाज बाहर से आती है अगर यह खराब हो तोनहींसुनता अगर यह ठीक हो सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियखराब हो तो भी नहीं सुनतासूक्ष्म शरीर पावर लेता है कारण शरीरसे और कारणशरीर शक्ति लेताहै सामूहिक चेतनासे थोड़ा थोड़ा गहरा जाता जाऊंगा आप भीगहरा समझने की चेष्टा करनामैंने आपको बहुत बार कहा है चेतन मन जिसकाहमें पता चलताहै सारे दिन तुम उहा पोह से घरे रहतेहो मन चलता है मन सोचताहै सोचता है तो यह प्रश्न आया अन्यथाप्रश्न नहींआता जब यह मन नहीं रहेगा तो प्रश्न नहींआएगा निपन हो जाएगाव्यक्ति मन शोरहै और प्रश्न उस शोरका बाहरी परिदृश्यभीतर शो मजाहै प्रश्न बन के उभरताहै और हम उसे बोल देतेहैं बस यह सिर्फ यही दर्शाता है कि भीतरमन का शोरगुलहै संत कहते हैं समाधि में सारे प्रश्न करजातेहैं मन मन हो जाता है तो प्रश्न कहां सेरहेगासमाधि में मन गिर जाताहै प्रश्न बगर जातेहैं मन ही प्रश्न उठाताहै तो मैंने कहाचेतन और चेतन के भीतर अचेतनमन अचेतन को फ्राइड ने दो भागों में बांटलिया सबकॉन्शियस एंडअनकॉन्शियस अवचेतन औरअचेतन उसने एक के दो करलिए हमारे ऋषियों ने एक अचेतन कियाथा फ्राइड क्योंकि बहुत गहरे नहीं पहुंचपाया उसकी खुद की मजबूरी ने अचेतन मन कोदो भागों मेंबटने के लिए मजबूर करदिया चेतन मन से सभी सहमत हैंकॉन्शियस अचेतन मन फ्राइड क्योंकि पूरानहीं जा सकाभीतर तो फ्राइड जहां तक जासका वहां तक उसने कहा इट इजसबकॉन्शियस यह अब चेतन मन हैऔर जो बहुत गहरा हो जाताहै फ्राइड ने कहा येअचेतन इट्स अनकॉन्शियस सबकॉन्शियस एंडअनकॉन्शियस मैं आपको थोड़ा सा सरल भाषामें समझाद हम किसी झीलमें तालाबमें छोटी कंकड़ी गरा देतेहैं या कोई कागज गरा देते हैं वह गहरेतलों पर नहीं जाता ऊपर ऊपर तैरता रहताहै अगर उसी जलाशय में हम एक बड़ा पत्थरफेंकदे वह ऊपर नहींतैरे वह भीतर भीतर तल को छूता जाएगा औरअंतरिम छोर को छू जाएगा उस थलके झील के बिल्कुलअंदरूनी करा किनारे पर बैठ जाएगाव तो फ्राइड ने जो बाहर बाहर केसतही स्थान थे उसको कह दिया अवचेतनसबकॉन्शियस जो गहरा था भारीथा वोह बैठ गया बिल्कुल तल पर नीचेउसको फ्राइड ने कहाअनकॉन्शियस लेकिन ऋषियों ने कहा दोनों कोमिलाकर बोथ आरअनकॉन्शियस अब यहां थोड़ी सीबात बड़ी प्यारी बात करी फइड ने यहां कुछसमझदार बातें भीकी जितना बड़ा और गहरा पाप होगाव क्योंकि भारी होगा पत्थर की शिला कीतरह वह बिल्कुल जलाशय के सत ही तल पर बैठजाएगा भीतरही इसलिए गहरे पापों का परिणाम परमात्माकी सृष्टि में बहुत देरी से मिला करताहै समझायाआपको मैं अक्सर एक बात कहा करताहूं कि पिछले जन्मों में एक जन्म में मैंराजाथा एक सच्चे व्यक्तिको जिसका कोई कसूर नहीं था मैं जानता थाइसका कोई कसूरनहीं लेकिनमैंने कुछ अपने मेरा द्वेष था उसकेसाथ अपने निजी द्वेष के कारण मैंने उसव्यक्ति को सख्त सजा दी उसको मार दिया वहनिर्दोष था मारा भी तड़पा केमारा बहुत भारी पाप हो गया उसका दंड मुझेआज तक नहींमिला और मैंने आपको कई बार जिक्र किया उसबात का वो दंड मेरा भोगना बाकी हैजब आएगा महत्व बन केआएगा ईश्वर का विधान जाने क्या बनकरआएगा लेकिन आता जरूर है निसंदेहकर्मों की व्याख्या करतेहुए जो हल्के हल्के पाप हैंजैसे हम रसोई घर में हैं पांच चार दिनपहले मेरे पास एक कमेंट गया बाबा क्याकरें काकरोच मर जातेहैं चींटिया मर जातीहैं यह पाप नहीं है और अगर हैं तो बड़ेहल्के पापहै अपने जानबूझकर नहींमारा जैन मुनि पाव बचा के चलते हैं70 किलो का व्यक्ति छोटी सी चीटी परपड़ेगा मर जाएगी मेरे कारण क्यों मरेबेचारी इसलिए कोशिश करते हैं कि स्तन परबैठे रहे ज्यादा घूम फिरे नहीं चौमासे केअंदर जब बिलो में से निकलते हैं सूक्ष्मप्राणी तो जैन मुनि आपको नहीं पता क्योंबंद कर देते हैं यात्रा उसका यही कारण हैसूक्ष्मप्राणी अपने बिलों में से बाहर निकलते हैंआपने भी देखेहोंगे बारिश के कारण उनके बिलों में पानीघुस जाता है बारिश भर जाती है बाहर निकलजातेहैं तो जैन मुनि उस चौमासे के दौरान चारमाह के दौरान यात्रा नहीं करतेएक बड़े मजे की बातबता चलो नहींबताता फिरबताऊंगा बस इतना सा बता देता हूं यह जोट्रांसपोर्टरहै जो बसें वगैरह चलते हैं ये कभी सुखीनहीं रहते अपने जीवन में बस इससे आप समझलेना इसका विस्तार कभीकरूंगा क्यों नहीं जाते का वगैरा पजन्मने टायर के नीचे कौन गया कोई पतानहींलगता पाव के नीचे तो पता भी चलजाएगा फिर वह पाप किसको जाता है जो थोड़ीविस्तार की बात है फिर समझाऊ बड़ा गहरालंबा विषय हैलेकिन इतना सा समझ लेना किट्रांसपोर्टर जो बस चलाते हैं जो कारचलातेहैं बहुत ज्यादा चलातेहैं वह अक्सर दुखी रहतेहैंसमझदार को इशारा ही काफी होताहै मुझसे अक्सर पूछ लिया जाता है कि जैनमुनि पैदल क्यों चलतेहैं जब कार उपलब्धभक्त है देनेको ये लो मुनि जी आपके लिए कार लेकर आएनहीं भाई हम तो पैदलचलेंगे कारण क्या कारण यही है शरीर कोकष्ट देलेंगे अहिंसा बर्मधर्मा किसी को मारेंगेनहींआइए हम प्रसंग पर चलेस्थूल शरीर आप सब देखते हो स्थूलशरीर इसके भीतर सूक्ष्मशरीर सूक्ष्म ज्ञानइंद्रिया उनका क्या काम है जब स्थूल सेबाहर देही निकल जाता है तो वह अपने साथसूक्ष्म ज्ञानेंद्रियों को लेकर जाता हैदेही को सुनता भी है दिखता भीहै टेस्ट भी लेता हैजीवास पांचों इंद्रिया उसके काम करतेहैं ज्ञानइंद्रिया जैसा स्थूल है बिल्कुलही इंस्ट्रूमेंट जब मैंने बोल दिया आपकोतो बस ऐसा ही समझना कि पांचों ज्ञानइंद्रिया पांचों स्थूल इंद्रिया के समानहै त्वचा भी होती है उसकेभीतर उसको पता भी चलताहै जो स्थूल अनुभव करता है वह सूक्ष्म भीअनुभव करता है इसलिए अक्सर जो व्यक्ति मरजाता है उसको कुछ घंटों तक पता ही नहींचलता कि मैं मर गया हूं बिल्कुल वही सबकुछ दिखता भीहै यह रो रहे हैं घर वाले देख रहे हैंइनकी चीख चल्ला कान में पड़ दिख रहेहैं सारी ज्ञान इंद्रिया काम करतीहैं समझाई आपकोठीक ज्ञान इंद्रियों के कारण ही वह अपनीयात्रा पूरी करताहै अब आपको कनेक्शन बना एनर्जीकैसे वितरित होतीहै यह स्थूल हैइस स्थूल को एनर्जी मिलती है सूक्ष्म सेूब इसके भीतर जो बैठाहुआ और सूक्ष्म शरीर इसके साथ स्थूल केसाथ एक सिल्वर कोड से बंधा होताहै समझते जानाआप सूक्ष्मशरीर स्थूल शरीर के साथ रज तरजूम होता हैसिल्वरस्थूल शरीर को शक्ति मिलती है सूक्ष्मशरीरसे उसका कनेक्शन पॉइंट क्या है रजतरज्जु और सूक्ष्म को मिलती है कारण शरीरसे वह कारण शरीर जो मैंने व्याख्याकी जो बिल्कुल चेतना का छोटा सा बिंदुप्रारंभ से लेकर अंत तक आपके साथ रहता हैदेही केसाथ और देही क्या है सब कर्मों का हिसाबकिताब लेखाजोखा हमारी कामनाएं हमारी समृति हमारीवासना हमारी इच्छाएं सब भरी पड़ी हैइसमें इनका समूह है देहीएक हिसाब से देही भीजड़ और देही भी जड़ दोनों जड़है और इन दोनों को शक्ति कहां सेमिलती उस फ्यूज से जिसे मैं कारण शरीरकहता हूं वह फ्यूज शक्ति कहां से लेता हूंवह लेताउस सामूहिक कॉन्शसनेस सेअब पहले आपको यह पॉइंट गिनादूं यहचेतन इसके भीतरअचेतन अचेतन के नीचे अगर तीसरा हम शरीरदेखेंगे ऋषियों के हिसाब से तो वहसामूहिक कलेक्टिवअनकॉन्शियसअचेतन चेतनअचेतन सामूहिक अचेतन कलेक्टिवअनकॉन्शियस औरचौथा सामूहिकचेतन मैंने इसको मन में ही सुमार कर दियाताकि आप ठीक से समझ लो शुरू से मैं ऐसीव्याख्या करताहूं ऋषियों ने भी इसको ऐसे हीडाला चेतनकॉन्शियस अचेतनअनकॉन्शियससामूहिक अचेतनकलेक्टिवअनकॉन्शियस और चौथा सामूहिक चेतनकॉलेक्टिवकॉन्शियस चार शरीर कलेक्टिवकॉन्शियस कोई शरीरनहीं कलेक्टिव कॉन्शियस वह भी एक फलोहै वह भी दर असल शरीरनहीं यह भावहैं कर्मों के जो लहरों की तरह बहते हैंसबके भीतर यकसा उसके नीचे वाली जो लहर है लेयर है वोकहलाती है कलेक्टिवकॉन्शियस सामूहिक चेतन जो मैं कहता हूंअस्तित्व समान है हमसबका फिर समझा दूं थोड़ा सा मुश्किल विषयहै यहचेतन कॉन्शियसमाइंड अचेतन जिसको फ्राइड ने दो भागों मेंबांटा सबकॉन्शियस एंड अनकॉन्शियस तो ऋषिकहते हैं इसको सिर्फ कॉन्शियसअनकॉन्शियस कॉन्शियस अनकॉन्शियस दो हो गएतीसरा कलेक्टिवअनकॉन्शियस सामूहिकअचेतन और चौथा सामूहिक चेतन तो फ्राइड केहिसाब से पांच हो गए ऋषियों के हिसाब सेचार होगए अब बताओ कोई नहीं समझा है तो मुझे बतादो मैं आगे चलभारी पाप का परिणाम सबके बाद मिलता हैजितना भारी से भारी गहरे से गहरा होगाअंतिम समयमें इसीलिए संत आखिरी वक्त[संगीत]में गंभीर बीमारियों से युक्त हो जातेहैं जिद कृष्ण मूर्ति देख लो राम कृष्णपरमहंस देखलो गंभीर कारणों से मरते हैंराम आत्महत्या कर देतेहैं कृष्ण के शरीर को जहरीला तीर पार करजाताहै जितना गहरा बड़ा पाप होगा सबसे बाद मेंव फलदेगा अब कर्म अवस्था को आप ठीक से समझ गएहोंगे समझ गए तो आगेचलू चअब एक बहुत महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर हम आतेहैं जो शायद आजतक आपके सामने खुला नहींहोगा सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर की हूबहूफोटोकॉपीहै पहले तो आप इस शब्द को अच्छे से समझलो हूबहू फोटोकॉपी हैतो फिर इसकाअर्थ ब्रेन की भी फोटोकॉपी होनीचाहिए हम इस जन्म में अल्बर्ट आइंस्टीन होके मरते हैं उदाहरण दे रहा हूं और उदाहरणको कभी उस वस्तु के बराबर मत समझ लेनाएग्जांपल इजएग्जांपल समझे एग्जांपल के ऊपर बहस मतकरना हम अल्बर्ट आइनमरते तो मेरे पास बहुत बार प्रश्न जातेहैं कि मैंने हजार गुरुओं से पूछ लिया कोईजवाब नहीं देता मैंने कहा वक्त आन मैंआपको जवाब दूंगा इसका हर चीज का जवाब वक्तआने पर ज्यादा प्रासंगिक होता है गुयाखुलती है बाके प्रत्येक व्यक्ति जिस जन्म में मरता हैउसकी निजीमृति उसके न्यूरॉन्स में इकट्ठी होतीहै जैसे अब ये शरीरजाएगा इस जन्म की जितनी स्मृतियां है यहसब इस खोपड़ी के न्यूर में संग्रहित हैठीक जिसे हम समृति कहतेहैं लेकिन यह सिर्फ इस जन्म की स्मृतियांहै एक ऐसा भी हमारे भीतर सूक्ष्म शरीरमें सुपर माइंड है जिसमें सारे जन्मों कीस्मृतियां संग्रहितहै वह क्या है जहां सारे जन्मों कीस्मृतियां संग्रहित है सुपर सेंसिटिवकंप्यूटर सुपर सेंसिटिवमाइंड अगर आपकेसभी शरीर दफन किए होतेतो आप उन शरीरों के न्यूरॉन्स को जाकर चेककर सकते थे प्रत्येक जन्म की समृतिको अगर ऐसा कोई विधान होता है नहीं बातअलगहै लेकिन एल्बर्ट आइंस्टीन के न्यूरॉन्समें इस जन्म की स्मृतियां और वह क्या सीखके गया क्या खोजा इल टू एमसीस्क्वा उसम फीड हैतो क्या वह जब साथगया तो वह जो सीखा बी सी से लेकर टएमसीस्क्वा इतनी समृति कहां लुप्त हो गई लुप्तनहीं हुई मैंने कहा फोटोकॉपी है दोकॉपी यहां न्यूरॉन्स में है जो हमने दफनकर दियाऔर एक अपने भीतरहै उसका रिजर्व पड़ाहै दो कपसे इसलिए मैं तुमसे कहता हूं कि दूसरीबार जब मैं उस तल पर गया तो देखकर हैरानहुआ कि सभी जन्मों मेंवहीआबासा सभी जन्मों में वही बीसीवही जन्म सभी में वही दवारा से फिरसीखो दोबारा से क्यों सीखो क्योंकि यहस्थूल यंत्र नया मिलाहै लेकिन हमारे सूक्ष्म यंत्र में तो पहलेसे भरा पड़ाहै हर जन्म में हम मशक्कत करते हैं अपनीमूर्खता के कारण मूर्खता समझ लो याय हमेंपता नहीं उस सूक्ष्म की समृति को में कैसेकन्वर्ट कियाजाए और जल्दी ही यह व्यवस्था जाएगीवैज्ञानिक से खोजलेंगे हमारी सूक्ष्म जन्म कीस्मृति लाकर स्थूल में पटक दीजाएगी यह जो कहते हैं पास्ट लाइफ रिग्रेशनया तो बकवास इनको कुछ नहींपता लेकिन एक्चुअल में ऐसी संभावना हैके व्यक्ति के इस जन्म के समृति को पिछलेसारे जन्मों की समृति से जोड़ दिया जाए यहएक विज्ञानहै अगर विज्ञान इसको किसी दिन खोज सकातो अब आपको मैं समझाऊका 64 कलाए व्यक्ति 64 जन्मों में भी नहींसीखसकता और भगवानकृष्ण 64 कलाओं को संदीपानी आश्रम के भीतर64 दिनों में सीख लेते हैं क्या कियासंदीपानीने संदीपानी के पास क्यों गएकृष्ण गुरु तो अब भी बहुतथे लेकिन संदीपानी के के पास यह प्रोसेसथी कि आपकी सभी कलाओं को एक स्थानपर कलेक्ट करदेना उसने 64 दिनों में वह एक्सपेरिमेंटकरके सारी कलाओं को जो जन्मों जन्मों सेउसके पास थी एक जन्म में स्टोर करद तो 64 दिनों में 64 कलम को सीख लियाउन्होने जो कि असंभवहै इस स्थूल यंत्र के लिए असंभवहै संधी पानी ने इसे संभव करदिया कैसे संभव कर दिया उस प्रोसेस केद्वारा उसके कुछ गुप्त रहस्य हैं और मैंवक्त पर आपको बताऊंगा थोड़े-थोड़े करकेएक तो मैं एक दो तो मैं उजागर अभी कर देताहूं जोक मैंने भी शायद पहले भी बोले हुएहैं किसी वीडियोसमें अगर आप किसी चीज को गहरे में याद रखनाचाहते हो जो कभी भूल नासको तो यह जो ईयरफोन होता हैहमारे मोबाइल के साथ लगाके कान में लगा के ईयरफोन सो जाया करोनींद जाएगी आपको बहुत से लोग ऐसा करतेहैं और कुछ लोग ऐसा करने से जल्दी पहुंचगए हैं यह जो 20 लोगपहुंचे इनमें से दो तीन इस हिसाब सेपहुंचे उनसूक्ष्म वीडियोस को लगा के कानोंमें सो जाते नींद भी गहरी जाती है मीठीमठी लोरी जैसीआवाज सो जाते हैं आपने देखाहोगा वीडियोस को सुनतेहुए रस आपके भीतर उतरना शुरू हो जाता हैऔर आपको नींद कब आगी पता नहींलगता उस क्षण में जिस क्षण में आप सोए अबइन बातों को ध्यान से समझले ना शायद तोफिर यह तार नाजुड़े जब आपसोए और लोरी मीठी आवाज कीलोरी भीतर से उस तत्व से लिपट बड़ के आईऔर ज्ञान तंतु साथ लेकर आतीहै वह आपके कानों में जब पड़ता हैऔर आपको नींद जाती है तो बड़ा शुभहै शुभ क्यों है क्योंकि उस वक्त आप योगनिद्रा में होते हो जिस योग निद्रा कीतलाश बड़े-बड़ेयोगी हिमालय पर बैठकर करतेहैं कि काश हमें योग निद्रा लग जाए औरमैंने उसका बिल्कुल सरल उपाय भगवान शंकरने मुझे बतायाथा जो मैंने आपको फॉरवर्ड कर दियाक्रियायोगशवास ऊचे से लेना पेट भर लेना नाभी के ऊपरचोट लगे फिर शवास को छोड़ देना सहसरा कोछो इससे दो तलों को चोट लगेगीदो चक्र आपके स्पंदन में आजाएंगे और वह वक्त से कहीं पहले जागजाएंगे ऊर्जा के क्षेत्र हैये उससे आपकी चेतना भी जग जाएगी कुंडलनहीं जो चेतना का भंडारहै मैंने कहा दो कॉपीज होती हैं एकओरिजिनल एकफोटोस्टेट फोटोस्टेट तो आप कितनी भी करवासकते होओरिजिनल एक है इसमें रह गया अब जोआइंस्टीन की समृति यहां पड़ी है अगर आपकेपास यंत्र हो तो उसमें से हूब वो परानीनिकाली जा सकतीहै इक्वल टू एमसीस्क तो संदीपानी ने क्या किया कृष्ण कोयोग निद्रा में ले गए योग निद्रा में लेजाकर पहले से ही जो उन्हें पुराने जन्मोंमेंसीखा था कलाओंको वह उठाया और उठाकर पटक दिया स्थूल मेंयह कामकिया आपकी पुराने जन्मों की शिक्षा को भीपटका जा सकता है देखिए गलत व्यक्ति इसशिक्षा का इस्तेमाल ना करेंगलत मैंने देखेहैं लोग शब्दों का गलत तरीके से इस्तेमालकरते और प्रचार शुरू हो जाताहै कृपा करें यह विज्ञान है विज्ञान कोविकृत मतकरें फिर से दोबारा दोबारा से बी सीसिखायाजाए खा सिखाया जाए उड़ा अड़ा इड़ीसिखाईजाए व्यक्ति ऑलरेडी प्रशिक्षित हैयह कॉपी तो छोड़ गया यहां लेकिन उसकी फोटोहै उसको उभारा जा सकता है और उसको उभारकरर फिर से नए शरीर के स्थूल में प्रविष्टकिया जा सकताहै यह एक वैज्ञानिक टेक्नोलॉजीहै और इसको उभारा जा सकताहै वैज्ञानिक इसे कृपया नोट कर लेअगर इस दिशा में कोई काम वह कर सकते हैंया करना चाहते हैं तोकरें तो संधी पानी के पास जब इतने 5 हजसालपहले यह विद्या थी तो विद्या तो मौजूदहै बस विद्या को जानने वाले और उसकोअटेंप्ट करने वाले लोगनहीं विद्या कहीं नहीं खोई विद्या यहीविद्याई तो सही पूछो तो वातावरण से भीनिकाली जा सकतेहैं आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी कृष्ण केवाक्य कृष्ण के गीता केवाक्य वशिष्ट के योग विशिष्ट केवाक्य इस सृष्टि में आज भी रक रहेहैं लेकिन उनको खींचने की व्यवस्था नहींहै आपकेपास जैसे रेडियो होता है रेडियो यहां सेतरंगे गुजरतीहैं हमको पता नहींचलता और कई बार आपका ब्रेन रिसीविंग सेंटरबन जाताहै आपने बहुत बार यह चमत्कार शायद देखा भीहो आजकल तो रेडियो से नहीं है लेकिनटेलीविजन की भी आप खींच सकते होरेंज कोई गाना चल रहाहै और वो अक्सर आप गुनगुनाने लग जाते होआपको पता नहीं चलता कि ये गाना कैसे मनमें मेरे दिल केसहारेआजा भीगा भीगा हैसमा ऐसे में तू हैकहां मेरा दिल यहपुकारआजा मेरे गम केसहारेआजा अब गुनगुनाने लगया आपको पता नहीं कहांसेआए आपका ब्रेन रिसेप्टिव सेंटर हो गयारिसेप्ट किया उसने उस गाने को गुजर रहीहैंतरंगे आपके ब्रेन ने बिल्कुल वही काम कियाजो रेडियो का स्टेशन करता है रेडियो मेंजो वॉल्यूम का मैट्रेस है वो खींचता हैउसको आपका ब्रेन वहां पर फिक्स होगया आपको पता भी नहीं होता कई बार आप गालीनिकालने लग जातेहो कहां से आई पतानहीं सुंदर भजन गाने लग जातेहो सुंदर बातें आपके दिमाग में चलनी शुरूहो जाती हैं जो कभी आपने सीखी नहींकहां सेआई वो यहां से गुजर रहीहैं और जिस मेटिस पर गुजर रहे हैंव उस पर आपके ब्रेन ने उनको कैच कर दियाऔर आपके भीतर उतरगई यह हैप्रोसेस चलो हम विषय पर लौटचले आपको कुछ मैंने बाहर की सूचनाओं सेसंबंधइसका ज्ञान से कोई संबंध नहीं है ध्यानरखना मैं सदा कहताहूं यह सिर्फ इंफॉर्मेशनहै ऑल आर इंफॉर्मेशन सूचना हैसिर्फ भी हो तो भी आप अपने तत्व तकपहुंच सकतेहो जरूरी नहीं है पीएचडी करना जरूरी नहींहै ट्रिपल पीएचडी करना या मास्टर डिग्रीलेना या पढ़ाई लिखाई या आईएस आईपीएस करनाकोई जरूरी नहीं है बिल्कुल बिल्कुल कोराकागज कबीर की तरह कागद कलम छुओनहीं मैं जल्दी उतरेगाअपने आप चकनामत क्योंकि आपके न्यूरोस को विकृत नहींकिया गया वो खलल नहीं डालेंगेइसलिए कल मेरे से प्रश्न पूछा थारदास किसके शिष्य थे रदास वैसे तो रामानंदके शिष्यथे कहते हैं कि कबीर जी से उन्होंने नामदान लियाथा यह इतिहास की बातहै लेकिन कम से कम मैं इसका साक्षी नहींहूं मैंने भी सिर्फ सुना है जो सुना है वमैं कह देता हूं मैंने सुनाहै रामानंद से रामानंद उसके गुरुथे रामानंद ब्राह्मण थे लेकिन वैसेब्राह्मण नहीं जो आपके छोटी वाले होते हैंजिन्होंने सतन टैक्स लगाए वोह ब्राह्मणने मुझे भी दुख होता है बोलते हुए आपको भीसुनते हुए दुख होताहोगा ऐसा जमाना है हम गुजरे हैं ऐसे जमानेमेंकहीं आज फिर हम उसी दिशा में तो नहीं जारहे थोड़े सचेतरहना यह मानवता के जीवन के ऊपर एक धब्बाहै कलंकहै काला कलंक जो किसी डिसन से नहीं मिटतानहींहै कोई डिटर्जेंट नहीं है जो उसको मिटादेगाय धब्बा लगा रहेगा हमारे माथे के ऊपर सदाकलंकरहेगाचेतन सारी नॉलेज जिसे हम ज्ञान कहते हैंसूचना है असल में जहां फीड होतीहै और जब तुम को उपलब्ध होजाओगे वह भी सारी सूचनाएं बन जाएंगी आपकेलिए वह भी जहां फड़होंगी यहां से जाने के लिए उस अस्तित्व तकपहुंचने के लिए जो तुम हो तत्वमसी जो कुछ भी होगा सब कुछ फीड हो जाएगाआपके चेतन मनमें और फिर सबको साथ लेकर पुराने जन्मोंके सब संस्कार साथ लेकर प्लस इस जन्मों कीसारी पूंजी तीन चार घंटे लग जाते हैंसामान समेटनेमें आदमी एकदम से मरता नहीं है एकदम सेसांस बंद हो सकती हैउसके एकदम से दिल धड़कना बंद हो सकता हैएकदम से ब्रेन काम करना बंद हो सकता हैलेकिन भीतर जो प्रोसेसिंग हैवह करीब चार पांच घंटे तक चलती है सारीपोटली समेटी जाती है इधर उधरसे सब कुछ सूचनाओं को संग्रहित करके उससुपर कंप्यूटर में डाला जाता है अच्छी तरहसे पैक किया जाता है फिर वह देही कारणशरीर के साथ शरीर से बाहर निकल जाताहै उस देही के भीतर पिछले जन्मों की प्लसइस जन्म की सभी समृति साथ होती है कर्मोंवगैरह की सूचनाएं सब होतीहै मुख्य बिंदु थामेरा कि जो आपने इस जन्म में सीख लियाअल्बर्ट आइंस्टीन से चलाथा एल्बर्ट आइंस्टीन आज जहां भी जन्मलेंगे या ले लिया मुझे इसका कुछ पतानहीं वहां पर यह उनके साथहै अगर कोई व्यक्ति संदीपानी जैसा होतो वह अल्बर्ट आइंस्टीनको उस तल पर जाकर उसकी समृति को उठाकरउसके स्थूल में पटक सकताहै तो कृष्ण जैसा काम होगा 64 दिनों मेंसंदीपा ने नेय काम करदिया अब इतनी खाई मारने की जरूरत नहींपड़ेगी क्लास मेंबैठो टीचर नि देगा दंडित करेगा मुर्गेबनाएगा ऐसा कुछनहीं तो मैंने एक उपाय बतायाथाजिस भीतरी या बाहरी ज्ञान को आप गहरे मेंले जाना चाहतेहो उसकीवॉइस कान में लगाकर सोजाओ बहुत से लोग मेरी वीडियोस को कान मेंलगाकर सो जाते हैंजैसे ही आप योग निद्रा मेंजाओगे वह आपके अचेतन के गहरे तलों पर फीडहोजाएगा अचेतन में भी आप जात्रा करसकोगे नींद में जागने का यही अर्थथा शास्त्रों में बोला तो बहुतगया उसो भी बहुत बोला लेकिन उसको इतनेगहरे से समझा पाए हू मैंने उन्ह नहीं पढ़ाइतना थोड़ा पढ़ा है लेकिन इतना नहींपड़ा सोय में कैसेजागो उसमें एक तो साक्षी होकर जागना होताहै वह तो सदा साक्षी रहता हीहै एक दूसरी विधि यह भीहै कि योग निद्रा में चले जाओजो चीज आप याद करना चाहते हो विद्यार्थीगण इस बात को नोट करले जो चीज को आप गहरे में रट्टा बाजी करनेकी जरूरत नहीं है वह आपके समृति का अभिन्नअंग बनजाएगी एक शर्त कह रहा हूं आपको योग निद्रामें जानापड़ेगा अगर आप योग निद्रा में चले गएउस ड्यूरेशन में जो कुछ आपके भीतरउतरा वह कंपलीटली फुल्ली फीड हो जाएगाआपके पतर सदा केलिए आपका भिन्न अंग बन जाएगा एक तो यहप्रोसेस मैंने आपकोबताई अब जैसे आपने अपने अंतस में उतरनाहै और बहुत से लोग वक्त नहींक्याकरें फिर मैंने उनको यह उपाय बता रखा हैक्या आपको वक्त नहीं मिलता वाक नहीं मिलतातो फिर आप कोई बढ़िया सी वीडियो जो आपकोठीक लगती हो अध्यात्म की गहरी अनुभूतियांजिसमें भरी पड़ीहो उसको इयरफोन लगा केर ऑन कर देना हल्कीआवाज में सो जानाआपकेलिए लोरी का कामकरेगी वैसे भी संत की आवाज लोरी की तरह हीहोतीहै जैसे मां लोरी सुनातीहै तो आप सो जाओगे वो जो सोगे वो योगनित्रा मेंजाओगे बहुत बार आपकी नींद खुलेगीआपको पता भी नहीं चलेगा आप कब परिवर्तितहो गए कब ट्रांसफॉर्मेशन होबहुत से मेरे शिष्य इस विधि को अपनातेहैं वह मगज कपाई में विश्वास नहींकरते बस एक आद बार वीडियो सुन लिया दिनमें उसके बाद जब भी नींद आती है या सोनेका मन होता है कान में लगालिया नींद नहीं आएगी तो भी आएगी नींद काभी इलाजहै यह वीडियो नींद का भी इलाज है आप जराअजमा के देखो हाथ कंगन को आर सक्या इस वीडियोको कानों में आप ईयरफोन लगा लो हल्की आवाजमें वीडियो को ऑन कर दो चलेगी चलेगी आपसुनोगे सुनतेजाओ एक पल आएगा जब आप खोजाओगे बिल्कुल वैसे ही जैसे रात को सोएपड़ेथे वह नींद नहीं होगी वह योग निद्रा होगीदैट इज बेटर फ्रॉमस्लीप योग निद्रा में आपकी कॉन्शसनेसजागतीहै और समृति भी खुली होती हैयोग नित्रा को इसीलिए योगी तलाशतेहैं अक्सर आपने बहुत बार सुनाहोगा मैं वीडियो में अक्सर ही बोल दियाकरता हूं कि मेरी इन वीडियोस को बिल्कुलएकांत में शोरगुल सेपरे यहां शुद्ध वातावरण हो शोर ना होक्योंकि आपने वहां पहुंचना है जहां शोरनहींहै तो वहां सुनना जहां शोरनहीं लेकिन आपको ऐसा मुकाम मिल नहीं पातातो फिर आप क्याकरो फिर आप यह तकनीकआजमाओ रात को सोते हुए तो आप शांति मेंजाओगे ना शोर गुल से परे हो जाओगेरात सबसे बढ़िया वक्त है भगवान कृष्ण कायह शब्द यहां भी डूबताहै जब संसार के लोग सो जाते हैं तो मेरायोगी जागताहै अब कान को लगा के ईयरफोनवीडियो को ऑन करके आराम से सुननासुनते सुनते आपको पता नहीं चलेगा कब नींदआगई वह योग निद्राहोगी और उस योग निद्रा में आपके अंतस मेंसब स्टोर हो जाएगापरमानेंटली बहुत से लोग मुझे कहते हैंबाबा सुबह पता लगताहै वीडियो कब ठहर गई पता नहीं लगायह तो अवश्यकरना अगर आप चेतन मन में भी संग्रहित करनाचाहतेहो तो फिर इसको दिन में सुनलेना अगर आप सिर्फ भीतर से ट्रांसफर होनाचाहते हो तो फिर रात को लगा केर सो जानाआप ट्रांसफर होजाओगे योग नित्रा मेंजाना बिल्कुल लाजिमहै यह आवाज आपको मीठी लोरी की तरह सुलादेगी आपको पता भी नहींचलेगा कब शुद्ध विसर गईतुम्हारी वह जो मैं कहता था शांतकोलाहल रहित वातावरण में मौन में सुननाइस शदविसरागयो मोरी[संगीत]रे सुदविसरागयो मो[संगीत]होकाला एकफसरी[संगीत]वाला माखन चोरवो नंद किशोर[संगीत]जो कर गयो मन की चोरीरे सुधविसरा गयोमोरी वोकाला एकबांसुरी वालाचेतन मन अचेतन मन सामूहिक अचेत सामूहिकअचेतन मन औरसामूहिक चेतनमन कॉन्शियसअनकॉन्शियस कलेक्टिवअनकॉन्शियस कलेक्टिवकॉन्शियस ये चार तल मैंने बतायाआपको बार-बार समझा रहाकुछ लोग तराज कर देते हैं बाबा इतनी बारना बोलाकरो मैं कहता हूं इतनी बार बोलने से भी आपसमझजाओ बड़ा शुभहै फिर फिर से आप पूछ लेते हो प्रश्नक्योंकि आपके बहुत गहरी चीज जाती नहींथोड़े से दोहराव से आपके भीतर चीज उतरजाती है बुद्ध प्रत्येक वाक्य को तीन बारबोलते थे उसका मनोविज्ञान कारण था क्योंकिमन में जानी होती है यह बात होती मन सेदूर की बात है प्रसंग चल रहा है मन से दूरका लेकिन भेजनी है आपके मन के अंतस कोणोंमें तो यह प्रोसेस काम करेगीदोहरा बारबारदोहरा चार तल हैतोज्ञानेंद्रिय पांच स्थूल ज्ञानेंद्रिय औरपांच ही सूक्ष्म ज्ञानेंद्रिय जब हम शरीरको छोड़ देते हैं जब हम शरीर को छोड़ देतेहैं एक एक शब्द को ध्यान सेसुनना यह शरीर जरजर होगया तब हमारी देही के साथ क्या जाएगा देहतो यहां रहगई देही सारी बोटली सब जन्मों की सब बीचमें संग्रहित है सुपर सेंसिटिव कंप्यूटरजिसे मैं कहा करताहूं वह जबनिकलेगा तो साथ में वहफ्यूज जो देही को पावर देताहै और वह फ्यूज जाने कारणशरीर कलेक्टिव कॉन्शसनेस से पावर लेता हैसमुद्र से पावर लेती हैबूंद और बूंद प्रवाहित करती है देही मेंऔर देही प्रभावित करता है स्थूल शरीर मेंअब यह हैकनेक्शन इसे फिर सुनलोसागर कॉन्शसनेस कासमूह वह प्रवाहित करता है फ्यूज में कारणशरीर में कारण शरीर प्रवाहित करतीहै देही में देही प्रभावित करता है स्थूलशरीर में यह कनेक्शनहै चेतना का चेतना का यह समझ लेना पावर कानहीं चेतना काजब आपका शरीर मर जाताहै चेतना निकल जाती है दोनों चीजों कासंगम है यहशरीर कॉन्शसनेस प्लसएनर्जी अगर आपके घर में विद्युत जाए औरइंस्ट्रूमेंट ना हो चलनेवाला फिर क्या करोगे विद्युत का नासी हैनाना मोटरहै फिर क्या करोगे बिजली बेकारहै यह जो कॉन्शसनेस सर्व अस्तित्व मेंबिकरी हुईहै यहां से वह फ्यूज जो देही के साथ रहताहै वह हर वक्त शक्ति खींचता रहता है और वहसब जगहहै किसी एक जगह से उसने शक्ति नहीं लेनीहोती जहां भी जाएगा देही के साथ वही सेशक्ति खींच लेगा और नए शरीर मेंजाएगा तो वह कारण शरीर साथ जाएगा याने केकारण शरीर शुरू से लेकर आखिर तक जब तकदेही पूरा गलता नहीं आप अपने पूरे कर्मभोग भोगते नहीं वह कारण शरीर देही के साथरहेगा जब देही गल गया आपने सब कर्म अवस्थाभोग ली तो क्या होगा कारण शरीर निर्लिप्तरह जाएगा देही उसके साथ नहीं होगा देही तोगया फिर कारण शरीर बूंद समानी संबंधमें मैंने पिछले एक वीडियो में बड़ीविस्तार से बात बोली थी आज फिर बोल रहाहूं सारे भोग भोग लिए व्यक्ति मुक्त होगया उसी को कहते हैं मुक्त लोग कह देते हममुक्त होना चाहते हैं मैंने कहा बांधाकिसने किसने बांधा कोई रस्सी कोई जंजीरनजर आतीहै कोई बैंडज किसने बांधातुम्हें किससे मुक्त होग उन्हें पता ही नहीं होता बस मोक्षचाहिए किससे चाहिए पता नहींयह कारण शरीर बूंदहै अब इसको तो मैं आपको विस्तार नहीं देपाऊंगा भाई सूक्ष्म से आरहा कि जब वह सब जगह है सूक्ष्म वालेपूछते हैं जब वो सब जगह है तो इस बूंद काक्या काम मैं कहता हूं जब बिजली घर में सबजगह गई तो यह फ्यूज का क्याकाम बस ये फ्यूज का काम करता है देखिएखोपड़ी में सभी बात मैं समझा सकूं यह मेरेबलबूते के बाहर है जितना समझा सकता हूंउतना समझा दियाआपको उसके बाद अपने अपन हाथ खड़े भाई नहींसमझा सकते समझ में आएगा नहींहै बस जैसा देखा आपको बोलदिया लोग मुझे कहते हैं परमात्मा के होनेका प्रमाणदीजिए क्या प्रमाण है आपकेपास मैंने कहा मेरे पास इससे बड़ा प्रमाणक्या हो सकता है मैंने देखाहै कते यह भी कोई प्रमाण है मैंने कहामेरे लिए तो यही प्रमाणहै आपके लिए वही प्रमाण होगा जो आप देखोगेआप क्यों नहीं देखते उसेयह आपकी कमजोरी यह आपकीकायरता मेरे लिए प्रमाण ये कि मैंने देखामैं संतुष्ट हूं मैं तृप्तहूं आपके लिए प्रमाण नहीं हो सकता मैंअच्छी तरह से जानता हूं लेकिन मेरे लिए तोप्रमाण है ना कि मैंने देखा मैं खुद को तोबहका नहीं सकता मैं खुद को तो प्रवंजन नाकर सकता मैं खुद को धोखा नहीं देसकता इसलिए मैं बैठ गया ठहर गया रुक गयादौड़ मुक गई सबखत्म यह लक्षण ठीक नहीं हैक्या बस यही प्रमाण है मेरे लिए प्रमाण हैआपके लिए प्रमाण नहीं मानना भी मति सेजब देही उस कारण शरीर के साथ बाहर निकलजाताहै तो नए शरीर में प्रवेश कर जाता है वहदेही उसके संग होता है कारण शरीर चेतना कीएक बूंद वहफ्यूज जो देहीको चेतना देता है समुद्र में से निकाल केवह बूंद काम करती है फ्यूज कादेखो भाई से आगे नहीं समझा सक बुद्धि जवाबदेतीहै त्राहि माम त्राहि माम करने लगती हैबुद्धि वैसे आप समझ गए होंगे मेरे हिसाबसे देख भी सकता है सुन भी सकता है स्पर्शभी कर सकताहै बहुत से केस मेरे पास बाबा किसने हमारीचादर सोई पड़े थे खींचली कोई हमारे से लिपटगया यह स्पर्शहै हमने किसी कोदेखा श्वेत रोशनाई कीतरह एक रात मेरा पुत्र भाग करआया मेरे कमरे में अपनी माता से बोला चलबाहरअपनी चार भाई बाहर लेकरचल मैं समझ गया कि इसेकोई सूक्ष्म आत्मा दिख गईहोगी बाहर सोई तो उसे थोड़ा सा चैन आयाबहुत वर्ष पहले की बातहै तो उसने बताया एक बहुत लंबे कद काव्यक्ति मुझे दिखा और मैं डरगया वो देख भी सकते हैं दिख भी सकते हैंवह सुन भी सकते हैं वह अपनी आहट को आपकोसुना भी सकते हैं उनकी बात करने की एकविशेष सैदी होती है जैसे आप कहो चाइनीज सेकि मैं तो इसकी बात नहीं समझा भाई क्योंकिआप वह लिंक नहीं समझ सकते जिसके जरिए वहसंबंध बनाने की चेष्टा कर रहाहै इसलिए आप कुछ भी बोलता जाए आप नहींसमझोगे तो सूक्ष्म आत्माओं का लिंक बनानेका एक विशेष तरीका होता है यह तरीका ऑलओवर यूनिवर्स चलताहै जब कोई किसी दूसरे ग्रह जाएगा तो यहीतरीका कामकरेगा कन्वर्सेशनका जैसे दुनिया में हंसनारोना गमगीन होना दर्द में होना यह सभीसंवेदनाएंसमान है वैसे ही एक भाषा समान हैजो सभी लों में कारगरहै पूछाहै सुबह के प्रवचन को लेकर एक शंकाहै आपने कहा सूक्ष्म लोक से प्रश्न आया हैक्या सूक्ष्म लोक में भी प्रश्न उठते हैंबिल्कुल उठतेहैं बिल्कुल टो कापी होतीहै जब यहां जब तक मनहै स्थूल में भी आपको तंग करेगा सूक्ष्ममें भी आपको तंगकरेगा ये जो भटकते हैं इनका मन तंग करताहै इनको नहीं तो आराम से बैठजाए बुध स्थूल से निकलकर शांत रहते हैंक्योंकि उनका मन स्थूल में रहते ही शांतहो गया इसलिए मैं कहता हूं यहां रहते हीशांत होजाओ अन्यथाअब तो घबरा के ये कहते हो कि मरजाएंगे अगर मर के भी चैन ना पाया तो किधरजाओगे होगा तो इसका ही प्रतिरूप इसकाप्रतिबिंब होता हैव क्या हमारी तरह उनकी श्रवण इंद्रियाकार्य करती हैं बिल्कुल यह पांच ज्ञानइंद्रिया आपने सुनी नहीं ज्ञान इंद्रियाक्या है जिनको ज्ञान होता है सुने काज्ञान देखने का ज्ञान महसूस करने का ज्ञानस्पर्श काज्ञान यह पांच ज्ञान इंद्रिया यही तोहै क्या वे सामान्य जीवात्मा है बिल्कुलसामान्य है हमारेजैसी हम ही तो जाते हैं निकल के हम ही आतेहैं नए रूपमें जिनके सदगुरु के वचनों से शंका समाधानऔर उनकी प्रोग्रेस होती है ये बड़ाप्यारा प्रश्न आगया बिल्कुल यह जो करोड़ों करोड़ोंआत्माएं सुनने आतीहैं अपने शास्त्रों में पढ़ाहोगा जहांकहीं राम नाम का प्रचार होताहै वहां बहुत सी रूहे इकट्ठी हो जाती हैसुनने केवहां क्या होताहै संत कोई भी हो कहनेवाला लेकिन वह संत पहुंचा हुआ होना चाहिएउसकी आवाज की तरंगों को सुनेगी सूक्ष्मसूक्ष्म को आप भ्रम नहीं दे सकते स्थूल कोआप भ्रम दे सकतेहो सूक्ष्म जगत को आप भ्रमित नहीं करसकते क्योंकि सूक्ष्म जगत आपके सूक्ष्म केओरे को देखताहै इसलिए सूक्ष्म लोक में रहते हुए लोगधोखा नहीं खाएंगेस्थूल लोग के धोखा खाजाएंगे क्या उनकी प्रोग्रेस होती हैबिल्कुल होतीहै व्यक्ति जब मरताहै उसके बाद अगर कुछ देर प्रकृति उसकोजन्म देने में लगा देती है मैंने पहले भीकहा 10 20 प्रतिशत चेतना वाले 30 प्रतिशतचेतना वाले प्रकृति फौरन निपटा देतीहै गर्भ उपलब्ध है बहु मात्रा में उपलब्धहै लेकिन बड़ी चेतना बोले 50 60 70प्रतित थोड़े कम होते हैंउनको ठहरना पड़ताहै वह आधे आधे होश में होते हैं और जोपूर्ण जागृत हो गए 90 प्र तक जागृत हो गएबुद्ध जैसे लोग जो पूर्ण जागृत हो गए उनकेऊपर प्रकृति का कमांड नहीं चलता वहप्रकृति को कमांडकरेंगे तो जो थोड़े से कम चेतना के लोगहैं बहुत कम चेतना के तो प्र निदेगी अधिकतम 13 दिनों में निपटा देती हैप्रकृति कई बार चार दिनों में निपटा देतीहै इसलिए रस्म चौथा भी करतेहैं कई बार उसी दिन भी निपटा देतीहै लेकिन यह कार्य है प्रकृति का विधान कायह आप नहीं करसकता विधान का काम हैकई बार साल भर लग जाता है कई बार सवा साललग जाता है अक्सर मैंने देखा है अच्छीआत्माओं को साल सवा साल लग जाताहै बुरी आत्माएं क्योंकि खुद तलाशती हैंहाई मेरा घर हाय मेरा घर तो प्रकृति उनकोजल्दी से गर्भ दे देतीहै और जो जागी हुई आत्मा हैं वह ज्यादाचीख उपकार नहीं करतीउनको धीरे-धीरे प्रकृति निपटा है और जोबहुत ज्यादा चेतना के लोग हैं वह तो अपनागर्भ स्वयं चुनतेहैं उनके ऊपर प्रकृति का कोई वष नहींहोता जो थोड़े से कम रह गए हैं उनकी चेतनाबस जगी केजगी ऐसे लोग सदगुरु के पास आते हैं जिनकोअच्छी लगती है बातउनके भ्रम टूटतेहैं क्योंकि अभी भी भ्रमहै मैं देही हूं या दे हूं यह दोनों भ्रमहै जब देह में थे तब आपको ऐसा था मैं देहहूं जब देह से निकल के देही रह गए तब आपकोऐसा लगेगा मैं देहीहूं ब्रम तो बना रहाब्रह्म टूटेगा जब आपको यह पता चलेगा किआप देही भी नहीं हो देहीखुरे औरखुतेही आखिर में वह चेतना की एकबूंद जिसे कारण शरीर कहता हूंमैं तो यह भी मिटेगा कि मैं देही हूं यहभी मिटेगा कि मैं देही हूं ये दोनों भ्रमहै बहुत सारन तो रह जाएगी चेतना की वह बूंद जिसे कबीरकहते हैं बूंद समानी समंद में कब समाए गीजब देही ने सारे वाष्प बनकर उठ गया सारेभोग भोग लिए देही शून्य होगया तो रह जाएगी एक अकेली चेतना की बूंदजिसे कारण शरीर कहता हूं मैंतुम्हारे शास्त्रों में तो कारण शरीर कुछऔर बना लिए गएहैं मैंने जैसा जाना जैसादेखा बिल्कुल वैसा आपको बोलदिया कोई माने फंदा नहीं है ना माने कोईदंड नहीं है मानना भी नहींचाहिए खुद जानो फिरमानो यही है व्यवस्था सत्य की बाकी तो झूठहैबस आप मेरे से समझ लो एकरास्ता गुरु बनाने का यही मतलब होता है किमुझे आपकी बातों पर यकीनहै बस यही मतलब होता है और कुछनहीं मेरे पास यहां लोग जाते हैं दीक्षाले जाते हैं मैंने अंगूठा लगा दियाप्रवाहित कर दीशक्ति बहुत से अच्छी आत्माएं होती हैंजिनको पता नहीं लगताबहुत से विकृत आत्मा होती है वो कांपने लगजाती अच्छी आत्माएं मुझे कहती बाबा पतानहींलगा नहीं लगेगापता और थोड़ी सी कती हुई आत्मा निर्बल वकांपी क्योंकि पाप हैभीतर पाप कमताहै कहेंगेबाबा मेरे कंपन हो रहाहै मैं कहता हूं कोई बात नहीं बैठे रहोकुछ नहीं होगा मरोगे नहीं मेरे द्वार परबैठे हो चिंता मतकरो देह भी इल्यूजन यह भीजाएगा देही जब बाहर निकल गया वह भीइल्यूजन यह जो आत्माएं सभी सुन रही है यादेख यह सब इल्यूजन में है और इल्यूजन सेग्रस्त प्रश्न पूछताहै यहां के लोग भी प्रश्न पूछते हैंइल्यूजन के कारण और वहां के लोग भी प्रश्नपूछते हैं इल्यूजन के कारण यह अनेकोंकरोड़ों करोड़ोंआत्मा इनके लिए स्थान महत्व नहीं रखता यहपारदर्शी हैंइनका ऐसा स्ट्रक्चर है मैं आपको थोड़ासमझा दूं आउट ऑफ यह प्रसंग से बाहर कीबातहै यह करोड़ों की करोड़ों एक जगह समाहितहो सकती हैं ऐसा डायमेंशन हैइनका यह जगह नहींगिरती बस समझा सकता हूं अगर आप समझ जाए तोबुद्धि समझ नहीं सकतीठोस चीज को समझतीहै जब मुझे एनलाइन मेंट हुआ सब खोगया पाथर वाथर सब हो गया वृक्ष वगैरह सबचंद्रमा तारे सब गए सूरज पानी समुद्र सबगया फैलता चला गया कॉन्शसनेस का एक प्रकटप्रवाह श्वेत श्वेत कण पार्टिकल्स वाइटपार्टिकल्स एवरी वेर और मैं फैलता फैलताफैलता फैलता चला होश हवाश गुम टाइमलेस नेसलेसनेस तो हो ही गई थीपहले फैलता चला गया सुध बुधखत्म पता तब चला जब किसान ने आकर पीठथपथपाई ये कैसे स्टैचू की तरह खड़ाहै मैंनेदेखा मुझे कहता दो बज गए हैं दोमैंने देखा बैलों की जोड़ी है किसान गयाहै खेतों में काम करने और मैं पकडने केऊपरहूं प्रश्न भी उठते हैं जो बाबों से उनकीउनमें भी इल्यूजन है अभी उनके भी इजनटूटते हैं मैं दे हूं यह इल्यूजन है औरमैं देही हूं यह भी इल्यूजन है यह समझनाबात को यो गड़ी है गड़ी यह भी इजनहै जब यह गड़ी भी टूट जाएगी खुर जाएगी फिरवो रह जाएगा सूक्ष्म शरीर कारण शरीर कारणशरीर चेतना का एक बिंदुहै बस फिर उसका कोई काम नहीं उसका कामखत्म हुआ इसे मुक्ति कहतेहैं वह जो चेतना की एक बूंद बंधी थी देहीके साथआज देही विलीन हुआ आज वोह मुक्त हुई इसकोकहते हैंमुक्ति यह है मोक्ष आपका कोई मोक्ष नहींयह भी गया पंच तत्वों में देही भी जो थावह भी विलीन हो गया तो मुक्ति किसकी हुईजो बंदा था बंधा कौन था वह कारण शरीर कारणशरीर बंताथा वो झट सेसमुद्र में उतर जाता है उसे मुक्ति कहतेहैं वह हैमोक्ष मेरे ख्याल में मैंने बहुत विस्तारसे आपको बता दिया अगर ना समझाए तो फिर पूछलेना बार-बार सुनना बार-बार सुनना यह थीमहै संसार का थीमहै जड़ से परमात्मा मुक्ति कीओर इसको बार-बार सुननासारी चीज समझाए गी तुम्हें सारीप्रोसेसिंग समझाएगी श्रीकृष्ण[संगीत]गोविंद हरे[संगीत]मुरारी हे नाथनारायण वावासुदेवा पितु मातस्वामी सखाहमार पितु मातस्वामी सखाहमारे हे नाथनारायणवासु देवाश्री कृष्णगोविंदहरेमुरारी हे नाथ[संगीत]नारा यनवासुदेवाआटे जाग उठी[संगीत]रास्ते हंसदिएआहट जागउठीरासते हसदि थामकर दिलउठे हमकिसी केलिए कई बारऐसाभी धोखा हुआहै चले रहे हैं वहनजरे[संगीत]झुकाए जब याद[प्रशंसा][संगीत]आए बहुत याद[संगीत]आए जब याद[प्रशंसा]आए बहुत याद[संगीत] गमजिंदगी केअंधेरों में[संगीत]हमने चिराग मोहबतजलाएबुझाए जब याद[संगीत]आए बहुत याद[संगीत] श्री कृष्णगोविंद हरे मुरारीहे नाथनारायण[संगीत]वासुदेव पितु मातस्वामी सखाहमारा पि मातस्वामीसखा हमारेहमार[संगीत]रे पितु मात स्वामी सखाहमार हे नाथनारायणवासुदेवा श्री कृष्णगोविंदरेमुरारी हेनाथनारायणवासुदेवा[संगीत] धन्यवाद

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