सोमप्रकाश बाबाजी रदास नेबिना शास्त्रोंके कैसे परमात्मा तत्व की प्राप्तकि औरहम गुरु को कैसे तलाशआध्यात्मिक मार्गमें जीत कैसे प्राप्तहो तीन सवालहै आध्यात्मिक मार्गमें जीत कैसे प्राप्त हो हारजाओ हारना सीखलो बड़ी उल्टी बात लगेगीजिसने हारनासीखा वह जीतगया जीतने की आकांक्षा ही तुम्हें हरवादेती हैअध्यात्म और तुम संसार में काम करतेकरते संस्कार पालिए हो के जीतने से हीमिलताहै यूपीएससी का एग्जामलड़ो कॉम्पिटेटिव एग्जाम लड़ो के जीतोगेतो धामिलेगा संसार में रहते-रहतेतुमने यह संस्कार पा लियाहै कि जीतने से ही अध्यात्म में परमात्मामिलेगालेकिन परमात्मा औरसंसार है तो एकही दोनों को पाने के रास्ते अलग-अलगहै संसार मिलता है संकल्पसे परमात्मा मिलता है समर्पण सेआध्यात्मिकता में जीत कैसे पाए जीत कीअंका छोड़ता हूं हारनासीखो हारना सीखो जो हारना सीख गयाजानबूझकर हारनासीख वैसे तो तुम रोज हारतेहो लेकिन वह मजबूरी वश हारते हो चाहते तोतुम जीतना हो लेकिन हार जाते होवह हार होती है मजबूरीके मैं कहता हूंसहर्ष सहर्ष हारना सीखो जैसे तुम किसीबच्चे के साथ खेल रहेहो और हार जातेहो जानबूझकर हार जातेहो ऐसा ही आध्यात्मिकता में जानबूझकरहारनासीखो यह जो उल्टे वचन कहे गए थे ईसा केद्वाराये इसी चीज की तरफ इशारा करतेहैं दे विल बी फर्स्ट इन माय गॉडकिंगडम विल बी लास्ट इन दक्यू जो कतार में आखरी खड़ेहोंगे और मेरे परमात्मा के दरबार में सबसेप्रथम हो जाएंगेलव से कहते मैं जहां बैठगया वहां से मुझे कोई उठा नहींसका शिष्य तो झुंड मार कर कठा होगया सभी चाहते हैं जहां बैठजाए तक तो तास पर बैठ जाए वहां से कोईउठाने की जरूरत ना करसके बताओ क्या है फार्मूलाला उससे कहने लगे मैं सदा वहां बैठ जाताथा जहां लोग जूते उतारतेथे वहां से तुम्हें कौनउठाएगा सबसे आखिर में खड़े हो जाओ तोपरमात्मा के दरबार में प्रथम होजाओगे हारना सीख जाओ तो परमात्मा के दरबारफतेह होजाएगी ये उल्टेलगेंगे टिकल में लेकिन प्रैक्टिकल में यहसीधेहैं करकेदेखो हारना सीखो कितना सुकूनमिलेगा जीतने की तमन्ना तुम्हें नर्क मेंधकेल देतीहै आज प्रत्येक व्यक्ति उजड़ा उजड़ा सेनजर आता हैकारण वह जीतना चाहता है और जो जीतना चाहताहै वहहारेगा एक बात और साफ करदो अगर तुम संसार में जीत भीगए तो भी हार पक्कीहै आध्यात्मिकता तो जीतने से मिलती हीनहींजीतने से मिलता हैसंसार और अगर तुम संसार को जीत भी लिए तोभी हार पकीहै क्योंकि खुशी नहींमिलेगी किसी को हरा के बना किसी को खुशीमिली किसी की रातों की नींदे छीन के कभीकोई चैन की नींद सो पायाहै यही तो नियम कायदे कापरमात्मा के दरबारके जो संत हमें समझाते हैं और हम ताली मारके एक तरफ हो जाते हैं मजाक उड़ातेहैं आध्यात्मिकता की राह पर जीत नाम कीकोई चीज होतीहै आध्यात्मिकता स्वयं में एक हार कादूसरा नाम हैहार जाओ जानबूझकर हार जाओ खुशी खुशी हारजाओ यही बाबा नानक कहते हैं जो तुध पावेसोई पलिका तू हरवा दे तोशुभ तू जितवा दे तो तेरीरहमत मैं कहां जीता हूं तेरी रहमत से जीतातो मैं कहां जीतामेरी कुशलता से जीतता तो जीत थी लेकिनतेरी रहमत से जीता तो क्या खाकजीता तो मैं कहता हूं अगर तुम जीत भीगए आध्यात्मिकता में अगर तुम जीत भी गएसंसार में अगर तुम जीत भी गए तो वह हार हीहोगी तुम्हारे दूसरे प्रश्न का जवाब भीइसी में आ जातागुरु को कैसेतलाश कहीं भीजाओ कहीं भीजाओ कोई रोक तोक नहींहै पता नहीं कौन किस कोनेमें आनंद से भरापूरा परमात्मा मेंलीन आनंद पुंज बैठा हो कोई पता नहींलेकिन एक चीज को कसौटी की तरह लेलेना तुम्हें दो चीजें मिलनीचाहिएशांति औरआनंद अब इनको गौर से समझनाशांति नेगेटिवहै आनंद पॉजिटिव है शांति ऋणात्मकहै आनंद विधायकहै शांति तो तुम्हें कब्र में भी बहुतमिलेगी शांति तो तुम्हें सोने में भी बहुतमिलतीहै लेकिन वहां आनंद नहींहोता कब्रों में चिर निद्रा में तुम समाजाते होबड़ी शांति होतीहै लेकिन तुम कभी देखना शमशान में जाकरवहां शांति तो बड़ी गजब की होगी लेकिनआनंद नहीं होगा और मुर्दा शांति भी कोईशांति होतीहै मुर्दा शांति शांति होती हीनहीं हमेशा शांति ही वह होती है जो आनंदके साथ घुल मिल के आएजो अकेली शांति आए वह तो मर्दानगी लाती हैओमशांति सब मुर्दों का जमघटहै कहीं कोई आनंद की लहरनहीं शब्दों की बकवासहै खोपड़ हों की बकबकहै हिसाब किताब हैकुछ प्रमाणित करके इच्छाएंहैं कुछ पाने की इच्छाएंमेरे पास एक ओमशांति ब्रह्म कुमारि हों की एक बटी आ गबाबा मुझे पीएचडी की उपाधि मिल गई कहांयह तो धार्मिक समुदाय है यहां उपाधियों काक्याकाम यहां तो गिरना होताहै वित नी नान का गुण चंगत यहां तो मिट जाना होताहै उपाधियां तोतुम्हें अहंकारी बनाती हैतो ओम शांतिमें उपाधियों का क्यामतलब तो बिटिया तुम गलत जगह फस गईहो ध्यान रखना यह भी तुम्हें कंपट िव बनारहेहैं और जो कंपटीशन में धके ले जो मुकाबलेबाजी में धके ले वह तो जीतना चाहता हैसंत कहते हैं कि हारने का नामहैजिंदगी जीतने का नाम हैमौत और यहां तो धर्म भी जीतना सिखारहे यह काहे का धर्महुआ मिट के मिलती है मोहब्बतयह तो मिटना सिखातीनहीं यह तो बनना सिखाते हैं और ज्यादाबनना सिखाते हैं और ऊंचे हो जाओ और ऊंचेहोजाओ मुझे लोग कह देतेहैं इनके2300 यूनिट्स है विदेशमैंने कहा फिर विदेशों में कौन सा मूर्खोंकी कमी है तुम क्या समझते हो अकेलेहिंदुस्तान में हीमूर्ख विदेशों में बड़े मूर्खहैं मेरे भाई बड़े भाई जब अमेरिका से आतेहैं तो मुझसे बातें करतेहैं मुझे कहने लगे कि अंग्रेजलोग रिकॉर्ड होते हैं जो हमारे पुराने जमामानेकते उनके ऊपर हमारी आरती ओम जय जगदीश हरेस्वामी जय जगदीशहरे यह लगा लेते हैं और नाचने लग जाते हैंखूब समझ तो उनको आता नहीं क्याहै बस धुन प्यारी है और इन्होंने तो शरीरतोड़नाहै आरती पर तोड़े के नागिन डांस तोड़ेइससे कोई फर्क नहींपड़ता आई एम यर्स यू आर माइन इस पर तोड़ेया ओम जय जगदीश हरी प तोड़ शरीर तोड़ना हैसिर्फ शरीर तोड़ के थक जानाहै और भी रास्ते हैं शरीर तोड़ने के ऐसामतकरो ये उनको अजमा लेते हैंऔर इसमें ही प्रसन्नता मिलती है तो भला हैमैं भी यही कहताहूं तुम्हें जहां आनंदमिले शांति से लिब्रा हुआ आनंद बस वहीतुम्हारी मंजिल आगई लेकिनआनंद आनंद होनाचाहिए आनंद अखंड होना चाहिए टूटे नहींबस मेरी इसी बात को नोट करलो अखंड आनंद जहां आ गया शांति से लिब तिबड़ा शांति से ओतप्रोत तुम्हारी मंजिल आगई फिर वहां से हटने को तुम्हारा जी हीनहीं करेगाइसलिए अखंड आनंद बोलताहूं वो आनंद जो वास्तविकहै वस्तुओं से भी तुम आनंद लेते हो अखंडनहींहोता टूट टूट जाता है तुम फिर फिर जाते होउन अनुभवों में फिर फिर हाट तोड़तेहो तोड़ते हो और इसको कहते हो आनंदआया आता हैअगर आता अखंड आनंद तो फिर अगले दिन शरीरको क्योंतोड़ते नहींआता गुरु को कैसे तलाश कहीं जाओ किसी केपास जाओ डेर में जाओ काबा में जाओ तीर्थोंपर जाओ मक्का मदीनाजाओ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा कहीं भीजाओ अखंड आनंद मिले बस वहां ठहर जाओगेतुम वहां बैठने का मन करेगा और बैठ हीजाओगेबस जहां अखंड आनंदमिला वहां तुम बैठ ही जाते हो येपहचान वह आनंद जो कभी टूटता नहींवह सुगंधी जो कभी जाती नहीं बस एक बार आतीहै और वापस कभी नहींजाते ऐसा आनंद जहां मिलजाए शांति से ओत प्रोत आनंद तो तुम्हेंतुम्हारी मंजिल मिल गई बस उसी को गुरु बनालेना लोग मेरे पास यहां भागे आतेहैं अभी कल ही किसी मित्रका कमेंट आया बाबा मैं यहांआया यहां के मैनेजमेंट जो करने वाले हैंउन्होंने मुझे जाने नहीं दियाबस कहते सिर्फ दर्शन करो और आ जाओ इतनेलोग मत बुलाया करोना आपको व्यवस्था में बदलाव करनाहोगा मैं इस बच्चे से क्याकहू जैसे तुम्हारी तमन्ना है वैसे इनकी भीतमन्ना हैअगर मेरी बात तुम समझ गए होते तो मेरी बातयह भी समझ गएहोते मैं तो सदा से बोलता हूं कि जब भीमिलेगा तुम्हें या किसी को अपने ही भीतरसेमिलेगा लेकिन तुम भी यहां आने को तत्परहो फिर दूसरे क्यों ना होंगेलेकिन जरासोचो बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने चारवर्ष पहले दीक्षा के लिए अपलाई कियाथा और मुझे यह बात कहते हुए अफसोस होताहै कि उन्हें अभी तक दीक्षा के लिए बुलायानहींगया इसका कारण क्या है तुम कहते हो ज्यादारश मत किया करोयह रस करने वालेकौन रस करने वाले आप हीहो जो दीक्षा लेगए दीक्षा के बाद फिर फिर मुड़ मुड़ केदर्शन फिर फिर मुड़ मुड़ के दर्शन अति लोभतुम्हें खैंच लाताहै और मैं सदा ही तुम्हें कहता हूं अतिलोभ सेबचन अति लोभ तुम्हारेभीतर संस्कार पैदा करता है कि जो मिलेगाबाबा के यहां सेमिलेगा एकद बार आओ जब तुम दीक्षा लेकरजाते हो यहां 10 पाच मिनट बैठतेहो मैं अपना भरपूर सानिध्य तुम परऔर वह काफीहै जीरा तो सबकाकरेगा कौन है ऐसा जो जाना चाहता है कोईनहीं प्रत्येक व्यक्ति कहता है बाबा यहांसे जाने को दिल हैकरता मैं कहता हूं बेटा यहां प्र स्थान भीतो नहींहै अब तुम नहींजाओगे तो दूसरे कैसे आप पाएंगे उनको भी तोआने का मौका देदो और दूसरे खाली वक्त में भी तो हो सकतेहैं दूसरे खाली वक्त में क्यों नहीं आसकते झुंड के साथ जरूर ही आनाहै कभी मैं मस्त होता हूंतो यहां की देखरेख करने वाले मैनेजमेंटकरने वाले मजबूरहैब जब मैं ही मस्ती में पड़ाहूं तो वह आपको कैसे बुलाले उनको खुद को ही जहां आने की जायतनहीं ऐसा करना उचित नहीं होताइतने लोभी मतबनो कि तुम भूल ही जाओ कि तुम्हेंतुम्हारे भीतर सेमिलेगा इसको सदा ही दोहराते रहो मैं कहताहूं राधे राधे मत करो यही करो अपने भीतरसेमिलेगा जिसकोमिला अपने भीतर से मिला आज तलक बाहर सेकिसी को नहींमिला अन सपायोमानसरोवर[संगीत]हंसापायो मानसरोवर ताल तलक्योंडोले मन मस्तहुआ फिर क्याबोला मन मस्त हुआ तो क्योंबोला तेरासाहब है तुझ माही[संगीत]तेरासाहब है तुझ[संगीत]माही बाहर नैना क्योंखोले बाहर नना क्योंखोले मन मस्तहुआ फिर क्योंबोल मन महुआ तो क्याबोले यहां से कुछ तो सीख केजाओ मूर्ख लोग अपने डेर में जमावड़ाइकट्ठा करना चाहतेहैं और मैं तुम्हें सीधा राह बताता हूंयहां से सिर्फएक संस्कार लेकर जाना एकआग आग की चिंगारी लग जाएतुम चिंगारी बड़क उठहै अपने ठोर ठिकाने चलेजाना रोजमर्रा के काम भी करना आरामसे और ध्यान भी करनातो आनंद और शांति ज्यादा दूरनहीं मैं तो रोज कहता हूं सच पूछो तो आनंदऔर शांति तुमसे दूर है ही नहीं तुम हीहो लेकिन क्याकरू तुम ख्वाबों में इतनी दूर निकल गएहो तुम्हें याद भी नहीं आता तुम हो कौनयही यादकरना रिमेंबर दासाल अपने आप को याद करो तुम होकौन यही अध्यात्मिकताहै और मैं कभी नहीं कहता कि तुम आईएस नाबनो पीसीएस नाबनो बिल्कुल अपने पाव पर खड़े हो किसी केऊपर बझा क्यों बनतेहो अपने पांव पर खड़ाहो खुदकमाना और मौज मस्ती मेंरहना फकीरी की तरहखाना सम्राट की तरह जीना भीतर से बाहर सेनहीं ये चार अच्छे सूट बदलने की आवश्यकतानहीं होती फकीरी में फकीरी में दिखाना भीनहीं होता फोटो बूटू मत खचाकरो मूर्खों के कामहै दिखावा मूर्ख किया करतेहैं जिनके पास कुछ है नहीं थोथा चना बाजेगन जिनके पास है वह तो लुत्फ उठाया करताहैरोपायो गांठ गठआयो हीरोपायो गांठ गठआयो हरबार बा को क्योंखोल मन मस्तहुआ फिर क्योंबोले क्यों आते हो यके तेरा साहब है तुझमाही बाहर नैना क्योंखोला देखो मैं तुम्हें सत्य उपदेश देताहूं इसमें जरा भी झूठ नहीं है फिर तुमयहां क्यों भागतेहो बताओगेमुझे लालच के बशभूत कभी-कभी विश्वास डग मगानेलगे तो आजाना लेकिन मार्ग नाबदलना यह मत कहना कि वोह नहीं है मुझसेलोग पूछ लेते हैं परमात्माके होने काप्रमाण मैं कहता हूं प्रमाण एक ही है क्याहै बाबामैंने देखाहै और इसके अतिरिक्त प्रमाण हो भी नहींसकता मैंने देखाहै इसके अतिरिक्त कोई प्रमाण नहीं होतातुम क्या कहते हो तुम आए तुम्हारी चारबातें बता देना वोह तो फेसबुक में मिलजाएंगीतुम कहां गए थे तुम खुद ही डाल देते हो ंपर फसपर तो कोई भी बता सकता है तुम्हारे चारपड़ोसियों से पूछा जा सकता है कि तुम कौनहो भाई तुम्हारे पिता के नाम तुम्हारेदादा केनाम कोई मुश्किल बातनहीं पाखंडी लोग अक्सर यही करते हैं टोपीमार काऔर कोई सिद्धि विधि नहीं है इनकी बोल आजनहीं कल खुलजाएगी झूठा कभी झूठ से पहुंचपाए इनके चेहरों की मर्दानगीदेखो क्या उम्र है इनकी चेहरे पर मर्दानगीहै कोई खुशी के लदिखाई नहीं पड़ती आभा मंडल इनकाकाला जैसे ठगों का होता है चोरों का होताहै बेईमानों का होता है झूठों का होता हैऔर झूठा व्यक्ति ध्यान रखना झूठा व्यक्तिपरमात्माता जिसने परमात्मा को खोदिया फिर उसने कुछ भी पालिया पड़ीविराट चीज खो के तुम कुछ भी पालो दाव बड़ालगा तुम बड़ा दाब हार गए छोटे छोटे दाबजीततेरहो वह पूर्ति ना कर सकेंगे विराट को खोके धन कमा लिया ठगी मार ली रिश्वतदेके मुकदमा जीत गएझूठ बोलके भाई का हड़प लिया मां-बाप के कान भरके मित्र का या भाई का हड़पलिया तुमने बड़ा दाम लगा दिया और बड़ा दामतुम हार गए छोटे छोटे दाम तुम जीत जाओ कोईफर्क नहींपड़ता छोटे छोटे दाम बूंद बूंद से कितनाइकट्ठा कर लोगे समुद्र तो नहीं इकट्ठाहोगासमुद्र तो समुद्रहै और समुद्र को खोक तुम बूंद को इकट्ठाकर लेते हो बस यही तुम्हारी फितरत है सदासे तुम यही करते आए हो तुमने खोया विराटको पाया बूंदको लेकिन भीतर झाक के देखना कमदेखोगे तृप्तिनहीं और इसी तृप्ति को परमात्मा कहते हैंकबीर कबीर कहते हैं धन पा लिया हीरेजवाहरात पालि सबपालिया जब आवे संतोखधन लेकिन तृप्ति नहीं मिली तो खाया क्याखाकखाया खानो तोवह जो सिर्फ भूख हीमिटाए तृप्ति भी देदे और भूख तो चाहे आदि ही मिटे तृप्तिपूरी आजाए इसलिए जो जानते थे उन्होंनेकहा युक्ता हार विहारसे आधा पेट खा लोतृप्ति होनी चाहिए अगर तृप्ति नहीं हुई तोफिर खाने का कोई फायदा नहीं तुम भूख कोमिटा सकते हो सुबह शाम तक मैं देता हूंदेखता हूंगोलगप्पा टिकिया चमनचंगा क्या कने खातेहो मुझे तो नाम भी नहीं पता है सेमियासुमिया स होती है ना ललइनको खाते कैसे हमें तोय समझ नहीं आती गलेमें फसती नहींहै हैरान कीी होती हैवसे तुम कहते बड़ा स्वादथा संत हस्ताहै क्योंकि संत ने असली स्वादजाना संत ने बहुत स्वाद जानाजो खंडित नहींहोता जिसका छोर टूटतानहीं दोनों छोर अखंड बने रहते हैं हिलतेनहींअकंपदम तीसरा प्रश्न तुम्हारा रदास कैसेपहुंचे बिना शास्त्रके शास्त्र तो बाधाहै जिनके पास शास्त्र है वह देरी सेपहुंचेंगे मैं रोज देखता हूं मेरे पासप्रश्न आते हैं शास्त्रोंके उनमें से सवाल पूछे जाते हैं मैं कोईजवाब नहीं देतामैं जानता हूं शास्त्र कूड़ाहै बहुत बार बोला भी है इन्हें जला क्योंनहींदेते इनको गंगा स्नान क्यों नहीं करवा देकम चल रहा है बड़े मजेदारदिन इनको मुक्ति दिला दो यह बेचारे कब केतरस रहेहैं खुद मुक्त नहीं हो गए तोहे मुक्तिक्या तबड़ी अजीब बातहै जीवताप्राणी मुर्दा शास्त्रों से जीवन के ढंगपूछताहै मजेदार बात है अजीबो गरीब बातहै जीवित प्राणी मुर्दा शास्त्रों से जीनेका ढंग पूछताहै क्या बताएंगेबचारे बोलतेनहीं बेजुबानहै पशुओ से गए गुजरेहैं पशु सिर्फ बेजन होतेहैं चलते फिरते तो हैं शस्त्र तो पड़ेरहतेहैं चल फिर भी नहीं सकतेबेचारे इनको क्यों नहीं समाधि दे देतेइनकी मुक्ति करा दो महाक चल रहा हैअच्छे दिन भी चल रहेहैं अमृत काल भी चल रहाहै इस वेला में मुक्ति शीघ्र होजाएगी शास्त्र बाधाहै शास्त्रों केसाथ तुम देरे से पहुंचोअगर जीवित शस्त्र मौजूदहो रदास का बचपन का नाम रविथा रवि का अर्थ सूर्य होताहै और वह मानवता के क्षितिज में सूर्य कीतरह चमकेऐसेचमके कि उन्होंने बतादिया कि जहां शूद्र कोईनहीं शूद्र सिर्फ तुम्हारी बनाई हुई पाखंडकीधारणा रे दस कैसेपहुंचे जीवित गुरु के आश्रय पहुंचेजीवित गुरु ही ललकार सकता है तुम्हेंजीवित गुरु तुम्हारी सोई हुई चेतना को जगासकता है चेतना तो तुम्हारे भीतरहै बस सो गईहै उसे जगाने के लिए शस्त्र कामनाए शस्त्रतो खुद पूजाहै तो शस्त्र को तो जलादो बहा दो शुभ वेला है जीवित गुरु को अपनालो अभी ये दुनिया इतनी सुनी नहीं हुई कोईकोई जीवित गुरु ना मिले अभीहै जागोजागोजागो सोय मत रहोअगर अब भी सो गए तो सब खो दोगए उठजागमुसाफिरभोरभ अबरन कहां जोसोत हैउठ जागमुसाफिर भोरभई अब रैन कहां जो सोवतहै जो सोवत है सो खोतहै जो जागत है सो पावत हैजो सोवत है सोखोतहै जोजागत हैसो पावतहै जो जागत है सो पावतहै उठ जाग मुसाफिरभरभ सुबह होगई हम बांग देचले नहींउठोगे कसूरतुम्हारा हमारे शब्द बोलते रहेंगे इतिहासमेंदरस और तुम्हारी आने वाली पुछत तुम परसूक कि तुम क्या कर रहे थे उसवक्त जब तुम्हें झोड़ा जा रहा था तुम उठेक्योंनहीं तुम कर क्या रहे थे तबबताओ मैं तुमसे पूछता हूं आने वाली पुस्तकमें तुमसे पूछेंगेउस एक महामानवने अगर आकाश की उन बुलंदियों को छू लियातो आप में क्याकमी कुछ है कुछ आप में कमीहै आपने हजारों साल भोगा स्त्रियों ने तोसभी ने भोगा चाहे वो ब्राह्मण के थे चाहेवैश्य सूत्र क्षत्रिय किसी के भी थेस्त्रियों ने तो सभी नेभोगा और स्त्रिया सोईपड़ी ऐसा लगता है सोने की लत लग गई हैतु यू आर एडिक्टेड टूस्लीप सोने के व्यस्त हो गएतुम जागना तुम्हारा स्वभाव नहींऐसा मतकरो आने वालीपुस्तो कि कुछ खबरलो आने वाली पुस्तो की निगाह बान रहो वहतुम्हें क्याकहेंगे सब गुम हुआ जा रहाहै तो मैं चेता देता हूं और हमारा कामसिर्फ चेता हैचेता तो पहले भी रहे लोग तुम भूलगए भूलना तुम्हारा स्वभावहै बोलने वाले तो बोल के गए लेकिन तुमनेसुना नहीं तुम नींद की मस्ती में खोए रहेसुबह की ठंडी हवाएं तुम्हें लोरी की तरहसुलातीर मुनीर नियाजी की गजल मुझे बड़ी अच्छी ललगतीहै हमेशा देर कर देता हूंमैं जरूरी बात कहनीहो कोई वादा निभानाहो उसे आवाज देनी हो उसे वापस बुलानाहो हमेशा देर कर देता हूंमैं मदद करनी हो उसकीयार का डांस बढ़ानाहो मदद करनी हो उसकी यार का डांड बढ़ानाहो बहुत देरी ना राहोंपर किसी से मिलने जानाहो हमेशा देर कर देताहूं बदलते मसम की शहर में दिल को लगाना होबदलते मौसमों की शैर में दिल को लगानाहो किसी को याद रखना हो किसी को भूल जानाहो हमेशा देर कर देताहूं और यह पंक्ति मुझे हमेशा रोला जातीहै किसी को मौत सेपहले किसी गम से बचाना होकिसी को मौत से पहले किसी गम से बचाना होहकीकत और थीकुछ उसको जाकर यह बतानाहो हकीकत और थी कुछ उसको जाकर यह बतानाहो हमेशा देर कर देताहूं तुम देर मत करनागया हुआ वक्त वापस नहीं आयाकरता आने वालीनस्लें तुमसे सवालपूछेंगे आने वाली फसलें तुम्हें कहेंगीहमारी देख रखक्यों कहां गया हमारा हकक्यों नहीं पहराबिठाया क्यों नहीं आवाजदी क्यों रहे सोएपड़े झंकार की आवाजदी क्यों रहे सोए पड़े झंकार की झंकार दीअल्फाजकी कहां गए थे तु क्यों नहीं जकार दीतुमने क्यों नहीं कुछ अल्फाज तुम्हारे मुखसेनिकले क्यों नहीं तुम्हारे ओटफड़फड़ाए आने वाली पीढ़ियों का सवालहै आज बता रहा हूंतुम्ह संभलजाओ वैसे तो मौका नहींरहा लेकिन फिर भी थोड़ा बाकीहै अब जाग गएतो सवर सकता है यहमकान बको ध्यानम स्वान निद्रा काचेष्ठ बकोध्यानम स्वान निद्रा काकचेष्ठ य पहरेदार केलक्षण तुम सोय मत पड़े रहनालगी वाले[संगीत]ता लगी वाले ताकद भीनासुंदे तेरी किव अख लगगई लग वाले ता क दे भी नासुंदे तेरी कीअख लगगई अख लगगई दोहे पख लगगई हैदर वख लगगई दर वक लग गई लगीवाले लगी वाले तक देवीनासुंदेसुंदे तेरी में अख लगगई अख लगगई तेरी क्यों आंख लग गई पहरेदार तो कभीसोते नहीं जिनकी लग जातीहै उसके साथयारी या इसके साथ यारी यहां की प्रेमिकाहो या वहां केप्रेमिका जहां का प्रेमी हो या वहां काप्रेमी होकभी सोते नहींवो लगी वाले क दे भीनासुंदे तेरी किव अख लगगई अख लगगई तेरी तो दोनों तरफ लग गई उधर भी लग गईऔर इधर भी लग गई दो में पख लग गई धर वख लगगई धर वख लग गई लग्गीवाले लग्गी वाले ता कद भीनासुंदे तेरी किव अख लगगई तेरी किव अख लगगई श्री कृष्णगोविंद हरे मुरारीहे नाथनारायणवासुदेवा श्री कृष्णगोविंद हरेमुरारी हे नाथनारायणवासुदेवा पितु मातस्वामी सखा हमारपितु मात स्वामी सखाहमारे हे नाथनारायणवासुदेवा श्री कृष्णगोविंदहरेमुरारी हे नाथनारायण वासुदेवापितु मातस्वामीसखाहमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथनारायणवासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरेमुरारी हे नाथनारायण[संगीत]वासुदेवा धन्यवाद
0 Comments