कंवरपालबाबा
जब जी साहब की 18वींपौड़ी मुझे बड़ी गफलत में डाल जातीहै कृपा करके आप अपने ढंग से
समझाने काकष्ट करेंअसंख्यमूर्ख अंतकोर व्यक्ति केतल एक तल नहींहोता यहीं से शुरू करते
हैंबाबा व्यक्ति के तल अनंतहोते अपनी भाषा में असंख्य कहते हैं उसेबाबाअंख आप भी सुबह
से शाम तक एक तल पर नहींरहते अगर कोई महान विद्वान वको छोटे बच्चे से बात करता हुआ
देखलेगा तो वह इस गलती में नापड़े कि जो वह छोटे बच्चे से बोल रहाथा वह उसकी समझहैनहीं
छोटे बच्चेसे आप और ढंग से बात करेंगे तो तला के बातकरेंगेतोतरी भाषा जो बालक कहे तोतरीबाता
सुनत हसत पि और माता मां बाप बड़ेहसते हैं क्योंकि समझाने की चेष्टा करताहैव बच्चों
से बात करोगे तो उसी तरह सेकरोगे कितने ही समझदार हो अगर कोई व्यक्तिआपको बच्चों से
बात करता हुआ देखकरआपका सही अस्तित्व मान ले तो वह गलतहै यही बात बाबा शुरू कहतेहैं
जपजी साहब की 18वीं पौड़ीमें[संगीत]असंख्य कोई गिनती नहींहै तुम अपने अपसर के साथ और
व्यवहार करतेहो सलूट मारते होअपने नौकर के साथ तुम तानाशाह हो जातेहो अपनी घरवाली के
साथ कुछ नहींबोलूंगा अलग-अलग तरह के लोगहैं ऐसा मतकरो बच्चों के साथ और तरह का छोटे
बच्चोंके साथ और तरह का माता-पिता के साथ औरशिक्षक के साथ और सुबह से शाम तक आपकेअसंख्य
व्यवहार बदल जाते हैं आपको पता भीनहींचलता आप खुद यह मानते हो कि मैं एकहूं बाबा कहते
तुम एक नहींहो तुम्हें पता ही नहीं चलता तुम्हारा तलकब बदलगया यहां से शुरू करते हैं
असंख्य अनंत जोगिने ना जा सके संख्या में नहीं आती उनकोकहते हैं बाबाअंख अगर इसको आध्यात्मिक
भाषा में ले तोइसका अर्थ है कि बुद्धि के तलसे वास्तविक तलतक जाते जाते आपके असंख्य
तल बदल जाते हैंछोटी सी शेक्सपियर की कहानी से मैं शुरूकरूंगा विलियमशेक्सपियर लिखते
हैं कि मैं चर्चमें हर संडे जाया करताथा नया पादरी आयाथा बहुत सुंदर बोलता थामीठा जो
बोलता समझ भी आता हृदय द्रवित भीहो जाता और कभी-कभी रोना भी आजाता तो मुझे उसको सुनना
बड़ा अच्छा लगताथा जब मैं चर्च जाता चर्च से वापस जब मैंआता तो बाजार से सामान लेक
आता घर बार कासामानएकबार पांच कासिक्का पाचडॉलर शेक्सपियर कहते मैं चला बाजार सेसामान
भी लेआएंगे और सुन भीआएंगे उसका बोलना अच्छा लगताथा मैं बैठ गयाबोलना शुरूहुआ धीरे-धीरे
बोलतागया शेक्सपियर लिखते हैं वह बोलता गया मैंअपने भीतर डूबतागया बोलता गया मैं भीतर
डूबतागया एक बार ऐसा निश्चयहुआ कि ये जो पा डॉलर में लेकर आया घर सेजब थाली आएगी बाद
में थाली आतीथी तो खुशी से यह पाच डॉलर उसको दे दूंगापाच डॉलर बहुत होते थे उसवक्त
शेक्सपियर के जमानेमें बोलता गया सुनता गया पांच डॉलर मेंआज जब इसकी थाली आएगी उसमें
डाल दूदूगा मैं सुनता गया वह बोलता गया लेकिनबीच में खोपड़ी काम करने लग जाती है आपकीभी
खोपड़ी काम करतीहै आपको पता नहींचलता यही कबीर नेकहा हर तरफ आपका मन दौड़ताहै माला
तो कर में फिरजीव फिरे मुख मा मनी राम चह दिस फिरे ज तोसुमर तो मन कहता पाच डलर थोड़े
ज्यादा होजाएंगे ऐसा करतेहैं पांच डॉलर रखदूंगा और तीन डॉलर उठा लूंगादो डॉलर रह जाएंगे
उसकेपास समय औरबीता इसलिए संत पुरुष कहते हैं अगरकोई दान की भावना किसी वक्त आजाए तो
तत्क्षणनिपटा देनाउसे शुभ भावना कोईआए और अगर अशुभ भानाजाए किसी को हानिपहुंचाने किसी
का नुकसानकरना किसी को मारनाकाटना तो फिर कहते हैं कि दो घड़ी ठहरजाना दो घड़ी ठहरजाना
क्योंकि मन बदलताहै ऋषि जानता है मन हर पर बदलता है बदलनेका नाम हीमन तो शेक्सपियर
कहते वो बोलता गया मैंसुनतागया लेकिन मन तो अपनी ही उधेड़ बुन मेंलगा है सामान भी खरीदनाहै
सारा सामान खरीदना है रविवार हैतो ऐसा करूंकि एक डॉलर रख दूंगा चार उठा दूंगा बस लोगतो
एक डॉलर भी नहीं देते हैं कुछ पेंस हीदेतेहैं तो श पर लिखते हैं कि धीरे धीरे जबथाली
आई मेरेपास तोब मैंने उस थाली में सेकुछ सिक्का उठालिया रखने थे पाडॉलर जब थालीआई तो
मन में लोभ आ गया उस दिन पैसा काफीचढ़ाथा कहता कि मैंने पांच डॉलर उठालि संत ऐसे ही
होतेहैं अपनी चोरी को भी बता देतेहैं जिन्हें तुम बुरा कहतेहो जिन्हे समाज बुरा कहता
है संत उसेप्रकट कर देताहै क्यों वह जानताहै संत जानता है कि तुमसे तो छुपा लियालेकिन
दो आंखें मुझे लगातार निहार रही हैंभीतर बैठउनसे ना बचपाऊंगा लोग मुझे कह देते हैं
कि हत्याकरके छुप जाते हैं लोग इन्ह दंड नहींमिलता इनके साथ न्याय कैसे होताहोगा वही
बाबा कहते हैं कितुम मूर्ख हो अंधेहो तुम्हें पता नहीं तुम सिर्फ यह जानतेहो कि यही
जन्महै और बहुत से धर्मों ने तो माना हैईसाइयत मानती इस्लाम मानता कि बस एक हीधर्म
है उसका कारण है एक ही जन्म है उसकाएक बहुत बड़ा कारणहै उसका कारण ये है कि निपट इसी
जन्ममें क्योंकि मन बड़ा चालाक है मन को अगरसमय दे दिया जाएतो मन कहता कोई बात नहीं
करलेंगे अभी बहुत जन्मों की यात्राहै मेरे पास लोग आ जाते हैं उनके साथ हीछोड़ने वाले
आ जातेहैं मैं कई बार पूछ लेता हूं उनका ओरादेखकर आपको भी दीक्षा दे दूं नहीं बाबामैंने
दीक्षा नहीं लेनीमन कहता है इतनी जल्दी क्या है इतने जन्महै फिर देखलेंगे आप नहीं तो
कोई और गुरु मिल जाएगातू नहीं और सही और नहीं और सही तू अगर हैहरजाई तो अपना भी यही
दौर सहीइस्लाम ने इस सायत ने कहा एक ही जन्म होताहै इसका अर्थ यह नहीं कि एक ही जन्म
होताहै इसका गहरा अर्थ यहथा कि बस जल्दी निपटालो तोड़ दो इन बेड़ियों कोअगर आज नहींतोड़ोगे
तो कबतोड़ोगे अगर आज नहीं तो फिर कभीनहीं और मन तो बड़ा आलसीहै मन कहता है कल करलूंगा
यही रावण ने कहा था आज का काम कल परमतछोड़ना लक्ष्मण को उपदेश देते हुए यह शब्दकहाभैया
आज का काम कल पर मत छोड़ निपटालेना क्योंकि कल का कोई भरोसा नहीं आए किना आए मैं भी
यही समझता थादेखो बिना काम निपटाए जारहाइस्लाम ईसाइयतकिसी कारण से कहा एक जन्म हैपहले
से ही बहुत देर हो गईहै उठो कब जागोगे मन बेईमानहै सुबह की हवाएं ठंडी लगतीहैं मन कहता
है रात को नींद ठीक से आईनहीं तो अब इन ठंडी हवाओं का आनंद ले लोगहरी नींद आएगीसो जाऊं
आनंद ले लू मौज ले लू जागना तोसारे दिनहै तो जिन्होंने यह बातकही संत पुरुषों के शब्दों
का हूबहू अर्थनहीं लेनाचाहिए आप चूक जातेहैं बाबा नानक कहते हैं एक ग्राम में जाकरउजड़
जाओ उजड़ जाओइसका मतलब क्या था उजड़जाओ नहीं इसका मतलब कुछ औरथा और अगले ग्राम में
जाते हैं कहते कहतेबसे रहो बसे रहो तो इसका क्या अर्थ था बसेरहो का क्या अर्थ था जो
तुम समझते हो वोनहीं था कुछ औरथा जिन्हें कहते उजड़ जाओ वो भले लोग थेजहां जाएंगे भलाई
फैलाएजिन्हें कहते हैं बसे रहो वो बुरे लोग थेजहां जाएंगे बुराईफलांगे इसलिएसंत आपने
देखा फेरी वाले संत एक जगह नहींटिकते इनको हम फकीर कहतेहैं आज यहां कल वहांजोगी वालाफेरा
गुमकसंत जहां जाएंगे तरंगे छोड़ केजाएंगे घूमते ही रहताहै संतों के कहे हुए शब्दों
को हुबहू मतले लेनाअक्सर अर्थ गलत होतेहैं तो अगर ईसाइयत में इस्लाम में कहा किएक ही
जन्म होता है इसका अर्थ कुछ औरहै इसका अर्थ कि अभी नहीं करोगे तो फिरकब उठजाग मुसाफिरपभई
अब रनकहां जो सोवतहै उठ जागमुसाफिर बोरभई अब रन कहां जो सोवत[संगीत]है जो सोवत है सो
खोतहै जो जागत है सो पावतहै जोसोवत है सो खोतहै जो जागतहै सो आवतहै उठ जागमुसाफिरबोरभ
अब नहीं तो फिरकब तो शेक्सपियर लिखते हैं जोकाम भलाई का मन में अगर कोई आ जाएतुरंत
निपटादेना मेरा फर्ज बनता था मैं तुरंत उठता औरपांचडलर उसकी थालीमें चढ़ा देता और वापस
चला जाताबस यही काम आता वह पांच जो उठाए वह कामनहींआया बुरा आए तो ठहरजाना क्योंकि
पता नहीं तुम किसी का बुराकरके अपना ही बुरा कर रहेहो यह तुम्हें बाद में किसी क्षण
में समझआएगा लेकिन आज समझ में नहींआता तो फिर संतों ने आपको सरल वचन कहदिया बुराआए
तो ठहर जाना दोघड़ी और भला आए तो तुरंत निपटा देनाजब तुम ठहर जाओगे देखोगे बुरा करने
कीभावना धीरे-धीरे क्षीण हो जातीहै और एक वक्त आता है कि बुरा करने कीभावना रहतीहै
संत बड़े समधहै आइए हम 18वीं पढी प चलेबड़े गहरे अर्थहैं अच्छा हुआ आपने पूछ लिया आध्यात्मिकअर्थइसका
लेकिन सुनलेना अध्यात्मिक का अर्थ थोड़े गहरेरहस्यम होते हैंअसंख्यमूर्ख अंधकोर अन
गणित जिनकी कोई संख्यानहीं मूर्खहैअंधे इसका अर्थ क्याहै इसका अर्थ जो तुम सोचते हो
नहींएक शब्द में कबीर का उठालू स स्याने एक मत मूर्ख अपनोअपने अज्ञानी को मूर्ख कहते
हैंनानकअज्ञानी जिसने सत्य जाना नहीं वहअज्ञानी और जिसने सत्य जाना नहीं वहमूर्ख असंख्य
मूर्ख अंध वहीअंधे क्योंकि ज्ञानी हुए बिना आंखें नहींमिलती जब तुम ज्ञान को उपलब्ध
होते हो तभीतुम सुजा केे होतेहो तभी तुम्हें आंखें मिलतीहैं सही सही सटीकअख तभी तुम
अंधे से सुजा के होते हो नैनोंवाले होतेहो उससे पहले तुम अंधेहो असंख्य मूर्ख अंधकोर
देखाजाए सभी शास्त्रोंका दो शब्दों में अनुवाद किया जा सकताहै वही वही शब्दों के अर्थ
शब्द अलग हैअंधा भी वही है मूर्ख भी वही है जिसने खुदको जाना है पहचाना नहीं वही अंधा
वहीमूर्ख असंख्य चोरहरामखोर क्रांतिकारीअर्थ है इनकेगहरे यह अर्थ बुद्धि के नहींबाबा
कहते हैं कि तुम असंख्य तल बदलते होरो जो चलते हो बुद्धि की ऊपरी कगार से सतहसे जो
जो गहरे पानी में उतरतेहो तुम्हारे तल बदलते जातेहैं और तल बदलते जाते हैं तो वहां
से बोलेगए शब्दों के अर्थ अलग हो जाते हैंवही समझदार आदमी जब बच्चों से बात करताहै
और जब ज्ञानियों से शास्त्रार्थ करताहै तो बिल्कुल अलग व्यक्ति होते हैं यक्योंकि तल
बदल लेता है वहव्यक्ति बाबा कहते हैं तुम दिन में हजारोंबार त बदलते होतुम चोरहो तुम
हरामखोरहो इसका मतलब क्याहै ध्यानरखना नानक बात कर रहे हैंआपकीअसंख्य और असंख्य कौन
आप संत तो असंख्यनहींसंत गिनती केहैं आप असंख्यहो जिनकी आंखें नहीं मिलीजिनको जो अभी
मूर्ख हैं अंधेहैं उनकी बात करते हैं बाबाअसंख्य असंख्य चोरहरामखोर अपनी बात नहीं करतेबाबा
बड़ा प्यारा अर्थ निकलेगाइसका ध्यान सेसमझना जब तुम उनअंतरंग ऊंचाइयों को छूलोगे तो
आप पाओगे सभी मैं हूंदूसरा कोईनहीं दादू दूजा कोनहीं मैं ही मैंहूं दूसरा कोईनहींअसंख्य
लेकिन बाबा कहते हैं सभी उस तल परनहींपहुंचता सभी उन ऊंचाइयों को ग्रहण नहींकरते और
जब तक ग्रहण नहीं करते तब तक क्याहै चोरहै चोर काअर्थ पकट मारनेहोता चोर का अर्थ दूसरेकापदार्थ
चुरा लेनाऔर बाबा कहतेहैं दूसरा ही नहींहै ध्यान से सुनना बहुत गहरी बातहै उस सच खंड
से बोल रहा हूं जहां भेद मटजाताहै और उस सच खंड की वाणी है जप जीवहां जाकर आप चोर नहींरहते
क्योंकि किसका चुराओग किससे ठगी करोगे किसको गुमराहकरोगे एक तरलपर तुम्हारा अनंत ब्रह्मांड
तुमहो समझ तो पड़ेगी नहीं सूक्ष्म वाले कहतेहैं समझ नहीं आता नहीं आता समझ नहींआएगा
यहां तो होना पड़ताहै तो संत की बात को सुनलो जब वहां होगे तब क्याहोगा तब चोरी तुम्हारे
लिए निरर्थक होजाएगी तुम हक का खानाखाओगे तभी तक तुमअसंख्य चोरहरामखोर बाबा कहते हैं
हक का खाना कौनखाता सिर्फसंत क्योंकि संत जानते हैं कि मेराहै जो उस तल पर पहुंच गया
वो यह जानेगा किसब मैं हूं और सब किसका है मेराहै अब एकएक अल्फाजको हृदय की डायरी पर
लिखतेजानारहस्यांगल पर पहुंचताहै तो ऐसे शब्द उद्घोष करने का साहस आताहै उसके नाइन
खुलते हैं और नैन खुलते हीआयाम बदल जातेहैं जिसने कभी रंगों को देखा नहींथा वह रंगों
को देखकर आश्चर्य से भर जाताहै बच्चों की तरह किलकारियां मारता है खुशहोता हैबच्चे
को हर चीज आश्चर्य जनक दिखाई पड़तीहै बाबा कहतेहैं असंख्य चोरहरामखोर य आपकी बात करतेहैं
जो अभीउस उच्चतम या कह लो अंतस्तम तल पर नहींपचा वह हराम का खाता है वह चोरहै तो असंख्य
शब्द को आप पहले नोट कर लेनाजब मैं बोलता हूं अर्थ तो असंख्य शब्दपहले जोड़लेना संतों
को छोड़करबाकी बस इसका ये अर्थहै जिसने उस पर जाकर सत्य देख लिया जो अबझूठ में नारहा
जो सत्य में प्रतिष्ठित हो गया जोदृष्ट की तरह हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादीनहीं बनना
है वो जीव का मसलाहै सत्य हो जाना है वो होने का मसलाहै अंख चोरहरामखोर चोर के मन में
आती है तभी द दवेपाव आताहै क्योंकि चोर मानता है कि यह मेरा नहींहै जो मैं चुराने आयाहूं
कबीर की एक घटना लोग मुझे पूछ लेतेहैं बाबा इस घटना का अर्थ नहीं समझायाजो भी आता है
कबीर कहता है खाना खाके जानाभाई प्रवचन तो सुन लिया लेकिन बहुत देर होगई भूखेजाओगे
संत के दर से भूखेजाओगे नहीं नहीं खाना खा केजाना अब प्रत्येक का अपना तल होता है कमालका
अपना तलहै लो का तल बिल्कुल कबीर जैसा पड़ीपटी ऐसी सुंदरपटी ऐसी जोड़ियां होतीहैं कपाल
कहनेलगे पिता श्री मैं कहां से लेके आऊदिहाड़ी पप्पा करके को दो पीसे कमाता हूंआप इनको
प्रवचन सुना केर कह देते हो बड़ेप्यार से इंकार भी नहीं करसकते या कोई फॉर्मेलिटी नहींकरते
जैसे आप करते हो हा हा खाना तो खाकेजानाना आपकी बातोंमें साफ चलकताहै क्या आप मन से
नहीं कह रहेअब सिर्फ कह रहे होबस वास्त में तुम कह रहे हो तुम कब दफाहोगे तुम आए ही
क्योंथे लेकिन कबीर बड़े सहजहैं कबीर कहते हैं अब देखो खाली पेट तो मतजाना दोपहरी हो
गई है भोजन तो करके हीजानाऔर लोही को तो पता है लोही तो सदा से सेवाकर द मगन है सेवा
उसकी पूजाहै और लोही बड़े प्यार से पकाती हैभोजन पहले ही तैयार रखती है उसे पता हैकबीरकहेंगे
लेकिन कमाल कहता है कि मैं कहां सेलेके आऊ चोरीकरूं कबीर कहते हैं अरेबड़ा याद कराया
हां हां बिल्कुल चोरी करेंऔर वो घटना में अक्सर बताया करताहूं लेकिन जैसे अभी सूक्ष्म
से बात आई किसमझ नहीं आई बाबा वह भी समझ नहीं आएगीजिसको यह पता चल गया सब मेराहै बहस
से आनाडाका मत मारने लग जाना मेरी बात का सहारालेकर उस तल पर जाकर अगर समझ आ जाए दिख
जाएतो डाका मारना भी डाका मारना नहींहै यह बाबा के शब्द गलत इस्तेमाल किए जासकते हैं
पार्टियों के लिए जो गंगा नहा केपरले पार होगए 10050 200 करोड़ र पले के वो कहेंगे
सबमेरा है बाबा कहते तोहै यह बाबा के वचनों का दुरुपयोग होजाएगा अगर किसी ने आपको देश
संभाल दिया हैतो बेचने मत लग जानाबाबा के शब्दों के पीछे लगगए हां अगर तुम उस तल पर
पहुंच गएहो हां सब तुम्हाराहै अस्तित्व का अंग अंग तुम्हाराहै अंश अंश तुम्हाराहै सब
जर जोरूजमीन तुम्हारे भीतर समाई हुईहै तुम्हारा ही अंशहै वो तल कुछ और होताहै यह तल
कुछ और है इसलिए बाबा पहले ही कहदेतेहैं गिने नहीं जा सकते इतने मूर्खहैं और अक्सर
मूर्ख लोग समझदार लोगों केशब्दों का सहारा लेकर झूठ भी बोलते हैंठग्गू भी करते हैं
हेरा फेरी भी करते हैंकतल भी कर देतेहैं बाबा का नामलेके कातिल कह देता है जब सदना
पहुंच जाताहै तो मैं क्यों नापहुंच वैश्या कह देती है जब गणिका अनिकापहुंच जाती है
तो मैं क्यों नापहुंचो ये बाबा के शब्दों का ग सहारा होगया अब ठीक से समझने की चेष्टाकीजिए
पूरी पूरी समझ ना आए तो कुछ तो आएगीयह मुझे पक्का भरोसाहै क्योंकि वहां से आए हुएशब्द
बुद्धि के समझ तो नहीं आते लेकिनतुम्हारे भीतर उतरेंगे तो जरूर एकटी तोपैदा हो गया
ये तो पक्का हैपहले इन बेसिक पॉइंट्स को ले लो असंख्यमूर्ख अंधकोवर बहुत से लोगहैं
जिनकी अभी आंखें नहीं खुली और वहरंगों को बतला रहे हैं हरा रंग कैसानारंगी कैसा पीला
कैसा गुलाबी कैसा सूरजका रंगकै बाबा कहते उनकी आंखें नहीं खुलीलेकिन प्रचार कर रहे
हैं रंगोंका ऐसे लोग असंख्य हैं मेरे शब्दों कोबहुत गहराई से और स्पष्टता सेसुनना
18वीं पूड़ी अगर इस पहले शब्द को आपठीक से समझ जाओगे तो आगे तो सरलहै आगे तो वही राग
हैउसी राग के छंदहैं इसको ठीक से समझ लो असंख्य मूर्ख अंधकोर जिनकी अभी आंखें नहींखुली
जो अभी स्याने नहींहुए जो अभी मूर्ख[संगीत]हैं इनको अभी आंखें नहींमिले उनकी बात कर
रहे हैंबाबा और वो जो भी कुछ कर रहेहैं उनका कारण बता रहे हैं बाबा और यह भीबता रहे
हैं वह तादाद में बहु गणितहैं आंखों वाले तो कुछ गिनती के हैं कहींकहीं सैकड़ों मेलों
पर एक दिया जलता हैजिसे हम सयानाकहते अगरआपने इस पहली लाइन का अर्थ समझलिया यही बेस
है फाउंडेशनहै तो फिर आगे तो तुम तरलता से चलते जाओगेसहजतासे बस इसको आप ठीक से समझलो
बाबा कहते जिन्होंने देखा नहीं आंखेंनहींमिली वो अंधे अंध कोरअंख मूर्ख वह मूर्ख हैं
स्याने नहींहुए तो स्याना कौन होताहै जिन्हें सत्य का पता चल गया वस्याना जिनकी आंखें
खुल गई वह सुजाकेे जिनकी आंखें नहीं खुली वह अंधे औरबाबा कहते हैं उनकी गिनती बहुत
है असंख्यहै गिनी नहीं जातीआंखों वालों की गती की जा सकतीहै कहीं 100 मील पर एक दिया
जलताहै कहीं 100 मील पर एक सयानाहै बाकी बाबा कहते हैं बाकीअंधे अब अगर यह समझा आ गया
आपको तो बस फिरआप सहज तरलता से चलतेजाओगे इस अर्थ को ठीक से समझ लेना जोमैंनेबोला सब
स्यान एकमत जो स्याना हो गया जिसको आंखें मिल गईवह बिल्कुल कहेगा यह रंग हराहै क्योंकि
उसके पासआंखें वो कहेयह रंग गुलाबीहै और सभी कहेंगे बिल्कुल गुलाबी है आप भीदेखो आपके
पासआंखें गुलाबी रंग गुलाबीहै हरा रंग हरा हैना ऐसा बाबा कहते हैं स्याने व्यक्तियोंकीसमझअल्फाज
एक होंगे सब स्याने एक मतऔर मूर्ख अपनो अपनी जिनकी आंखें नहीं हैबाबा कहते हैं कि वह
प्रचार कुछ भी करेंके रंग पीलाहै गरवे रंग की चड्डी मत[संगीत]पहनो ऐसा कुछ कौन करेंगेअंधे
अंधे कौन जिन्होंने सत्य को पायाजो उस तत्व तक नहीं पहुंचे जो सामवेद कामहावाक्य है
तत्वमसी और जो वहां पहुंच गया वह स्याना होगया उसको आंखें भी मिल गई यह दो एक हीबातें
हैं शब्ददो जिसने सत्य को पालिया वह सुजा भी हो गया नैनों वाला भी होगयाअंधा नहींरहा
और जिसने सत्य को पा लिया व सयाना भीहोगया मूर्ख नहींरहा उस तल पर पहुंचने वाला व्यक्ति
सत्यको पा लेताहै अपनी नगन आंखों से सत्य को निहार लेताहै सत्य का दर्शन हो जाताहै
वहीस्याना और वही जा अब मेरे ख्याल में इतनीबारीकी से मैंने अर्थ कर दिया आप समझ गएहोगे
आगे के शब्द बड़े सरल है य समझा आ हीजाएंगे चलो हम आगेचलेअसंख्य चोरहरामखोर जो जो अंधे
होंगे जो उस तल परनहीं पहुंचेहोंगे वो चोरी भीकरेंगे वह हराम का खाना भी खाएंगेहलाल
का खाना सिर्फ एक व्यक्ति खाताहै कौनसंत क्योंकि संत जानता है सब मेरा हैइकट्ठा नहींकरता
तुम्हें चोरी लगेगीलेकिन उसे भाव चोरी का जरा भी नहींआएगा क्योंकि उसने जानलिया कि
चोरी किसकीकरूं जब सब मेरा हैतुम्हारे कुर्ते की सभी जेबें जब तुम्हारीहैं तो एक कुर्ते
की जेब से पैसा निकाल केतुम दूसरी जेब में डाल लेते हो तो क्यातुम चोरी करतेहो एक खिसे
से पैसे निकाल के तुम दूसरेखिसे में डाल देते हो क्या तुम चोरी करतेहो बस ऐसा ही संत
हो जाताहै संत अपनी मस्ती में बो बोलताहै संत ने जान लिया जो जानने योग्यहै जिस जानने
के बाद भेद समाप्त हो जाताहै और जिसको जानने के बाद दुख समाप्त होजाते हैं क्योंकि
भेद दुखों का मूलहै यह जो लोग आपको भेदवाद बनातेहैं अमीर गरीब हिंदू मुसलमानमालिकगुलाम
जो भेद क्रिएट करतेहैं इनको मूर्ख कहते हैंबाबा बाबा कहते हैं यह लोग मूर्खहैं यह भेद
क्रिएट करते हैं जबकि वह तोअभेदहै उसका असलीअस्तित्व अभेदहै और तुम सब अब यह बात ठीक
से समझलेना तुम सब में यू हैव यू ऑल हैव दपोटेंशियल्टी तुम सब में संभावनाएं हैं वोहोनेकी
अस्तित्व होने की संभावना कामनाए तुमसब मेंहै नानक उत्तम नीच नकोई ना कोई ऊंचा है ना
कोई नीचा है यह भेदवादियों की बातहै यह उच्च कोम है यह नीच कोमहै यह उच्च जाती है यह
नीच जाती है हमाराधर्म महान है दूसरे का धर्म छोटा है ये सबभेद फैलाने वाले लोगों की
बातेंहैं बाबा कहते हैं और ये बहु संख्यकहै वोट डलवाओ ग तो बहु संख्यक हमेशा जीतताहै
इसलिए मैं कहता हूं लोकतंत्र नाम कीकोई चीज नहींहोती तुम्हें हैरानी होतीहै लो ंत्र
कैसे हुआ सभी लोगों की बातोंको सुनाजाए लेकिन सुनी तो गई 51 प्रत के 49 प्रतवाला जीत
नहीं सकता जीतेगा 51 प्र वालाफिर लोकतंत्र कहांहुआ अगर किसी की समझ काम करे तो मुझे
बतादेनाअसंख्य चोरी की भावना पैदाहोगी होने की भावना पैदाहोगी असंख्य अमर कर जाहीजोर
बहुत से लोग असंख्य शब्द को नोट करलेना आप असंख्य शब्द का मतलब क्या होता हैआपके लिए
बोल रहे हैंबाबा बाबा तो संत हो गए बाबा अपने लिएनहीं बोल रहे तो मैं कहरहा और एक दूसरे
ढंग से आपको जगाने का कामकर रहे हैं तुम भी वही हो जाओ जोहो तत्व मसी स्वेतकेतु यही
बोलता है सामवेदयह ठीकहै इससे संसार समाज चलेगानहीं इससे कानून चलेगानहीं बस इससे एक
कामहोगाक्या जिस लिए तुम आएथे खिलने केलिए जो बीज फूल बनने के लिए खिलने के लिएआयाथा
वो खिलगया जो बीज फूल बनकर खुशबू बिखेरने के लिएआयाथा और फूल बन गया और खुशबू बिखरने
लगी यहहोजाएगा मैं कल भी बोल रहाथा ये सरलोक आपको हर रुतबा दिलादेंगे आईएस बना देंगे
पीसीएस बनादेंगे जो तुम कहो वो बना देंगे अमीर भीबनादेंगे सारी विद्या भी सिखादेंगे
राजनीति की विद्या भी सिखा देंगेसाम दन दंडहै सब चीजों में तुम्हें निष्ण करदेंगे लेकिन
सब चीजों को निष्णात करने केबाद बस एक चीज इन्हें खुद भी नहींपता यह भी वह बीजहै जो
अंकितहोके फूल बन सकते हैं खिल सकते हैं औरखुशबूको खुद भी मान सकते हैं फैला भी सकते
हैंबस ये इनको पता नहींइसलिए मैं तुमसे आज कहताहूं जो व्यक्ति अजामिल की कहानियां सुनानेलगे
सुनलेना लेकिन है वहमूर्ख मेरी इस बात को ध्यान में रखकर सुनलेना प्रत्येक व्यक्ति
अपने ढंग सेसमझाएगा तो बाबा ये असंख्य लोगों की बातकरते हैं अंख कौन हैमूर्ख बाबा कहते
हैं जिनकी आंखें खुल गईजो स्याने हो गए वो तो थोड़ी सी मात्रामेंहैं मैं सदा ही बोलता
हूं कोटिन में कोईएक चलतहै कोटिन चलत एक पहुंचता है अब क्या रेशोबन गई देख लो करोड़ों
में कोई एक चला औरजो करोड़ों चले उनमें एक पहुंचा तो कितनेपहुंचे बाबा के हिसाब से
ठीकपहुंचे बाबा कहते हैं कोई 100 मील पर एकव्यक्ति खिला हुआ फूलहै जिसके भीतर से आंतरिक
महक आती हैऔर ऐसे व्यक्ति के दर्शन करलेना व तुम्हारा सौभाग्य हैक्यों क्योंकि उसको
देखतेही वह इनफेक्ट कर देगा तुम्हेंभी तुम्हारे भीतर सबसे पहला विचार यहजाएगा क्या
मैं ऐसा नहीं हो सकताएक बीज बोया जाएगा तुम्हारे भीतर अचेतन केकिसे गहरे तल में माना
बहुत गहरे तल मेंआएगा आजनहीं किसी जन्म में फलते फलते फलतेतुम्हें पता भी नहींचलेगा
जैसे तुम्हारे पेट में टेप वार्मफलते हैं कीड़े फलतेहैं वो जन्मते ही इतने लंबे नहीं
होतेधीरे-धीरे बढ़ते हैं तुम्हारा ही खून चूसके और फिर बहुत बड़े हो जाते हैं और पेटमें
मर जाते हैं सारी घर गृहस्ती उनकाजीवन तुम्हारे पेट में बीतताहै फिर वह एक दिन निकल
जातेहैं संत का दर्शन जब तुमकरोगे सुख साब संत कादर्शन सब दुखजावे आज नहींजाएगा अब
इस बात को भी ध्यान से समझलेना संत का दर्शन एक बीज बोधे का हम भीऐसे हो सकतेहैं और
तुम्हें पता भी नहीं चलेगातुम्हारे भीतर कब यह भावना बन गई कि अपनभी ऐसा होना हैबस
यह काम कार करके यह कर्ज फर्ज निपटा केअपन भी ऐसा ही होनाहै संत के दर्शन से यह भाव
पैदा हो गया बसएक झलक बहुत होतीहै सत्य की और संत की एक झलक बहुत होतीहै एकझलक ज्यादा
देर उसके पास बैठने की कामनाभी मत करनाक्योंकि संत के पास बहुत से लोगआएंगे इतने लोभी
मतबनना दूसरे भीहैं और दुनिया में आठ अरब लोगहैं हवा फैलती फैलती फैलती फैलजाएगी और
सभी दर्शन करना चाहेंगे तो तुममात्र एक झलक पा लेना और घर चले जानामैंने बहुत बारकहा
मिलेगा तो तुम्हें अपने भीतरसे हन सपायोमान[संगीत]सरोवर तालतलैया क्यों डोलेमन मस्तहुआ
फिर क्याबोले मन मस्त हुआ फिरक्योंबोले मिलेगा तुम्हें तुम्हारे भीतरसे तेरा[संगीत]साहब
है तुझ[संगीत]माही बाहर नैना क्यों[संगीत]खोले मन मस्तहुआ फिर क्योंबोले मन मस्त हुआ
फिर क्यों बोलेमिलेगा तुम्हें अपने अंदरसे संत के दर्शन महाउपकार बस एक बार संत को
निहारलेना देख लेना कि मैं भी ऐसा हो सकताहूं यह जो मस्ती में बैठा आनंद को मान रहाहै
मैं क्यों नहीं वही बीज हूंउसी का अंश हूं एकका मैं भी तो वही हो सकताहूं बस यह धारणा
लेकर चलेजाना और संत को देखते ही तुम चाहो चाहे नाचाहो तुम्हारे भीतर य धारणा बैठ जाएगी
एकदिन यह धारणा फलीभूतहोगी यह बीज तुम्हारे भीतर अंकुरित हो गयासंत दर्शन से अंकित
होगया बस संत दर्शन का इतना ही महत्वहै जो कि सबसे बड़ा महत्व है संतदर्शन जैसे परमात्मा
के एक बार दर्शन करनेसे ज्ञान चक्षु खुल जाताहै ऐसे ही संत का एक बार दर्शन करने सेआपके
भीतर तुम्हें पता नहीं चलता जाए बीजबोयाजाएगा धीरे-धीरेउसको खाद पानी सबलगेगा वह फूटे
अंकित होगा और तुम्हें पताभी नहीं चलेगाकब नन्नापौधा छोटावृक्ष बड़ा वृक्ष कब फल लगे
कब फूल लगे औरकब फल पक गए मीठे तुम्हें नहीं पताचलेगा भीतर भीतर यह सारा प्रोसेस फलताजाएगा
तुम्हें तभी पताचलेगा जब समाध की वो आहट तुम्हें घेरनेलगेंगे तो बाबा ने ठीक कहा संत
का दर्शनमहाउपकारी संत कीमहिमा सबतेन्यारी कोई उसका मुकाबला नहींअसंख्य अमर कर जाहिचोर
अंख जो मूर्ख है वह अमर होने कीख्वाहिश करतेहैं दूसरों के ऊपर डिक्टेटरशिप करने कीकामना
करतेहैं यह वह लोग हैं जो संतनहीं असंख्य शब्द को पहले नोट कर लेनाअसंख्य अमर कर जाहीजोर
असंख्य गल वड हत्याकमा बहुत तेरे लोग जिनके ज्ञान चक्षु नहींखुले नाइन नहींमिले अंधे
रहगए मूर्खता नहींमिटी स्याने नहींहुए व क्या करेंगे वह सभी काम करेंगे जोबाबा गिना
रहेहैं असंख्य गल वड हत्याकमा असंख्य पापी पाप करजा ये वो लोग हैं जो संत नहीं हैइसका
उल्ट भी साथ-साथ समझते जाना संत यहसब कुछ नहींकरेगा जो मूर्ख करेगा स्याना वह कभी नहींकरेगा
असंख्य मूर्ख अंध कोर असंख्य चोरहरामखोर अंख अमर कर जाही जोर असंख्य गल बढहत्या कमालोगों
के गले भी काटेगा हत्या भीकरेगा और इसी को वह अपनी कमाईसमझेगा जबक यहां व्यक्ति कुछ
नहींकमाता उसका कमाया यहीं रह जाता है फिरकमाया क्या उसने बताओ पहलवान कहेगा मैंनेशरीर
कमाया कहांकमाया ना गामा रहा ना दरारहा कौन रहा है ना भीम रहाना दुर्योधनरहा बड़े-बड़े
महाबली चले गए जिन्होंनेशरीर कमाया जिन्होंने धन कमाया कितने चलेगए सिकंदर चलेगए क्या
क्या उदाहरण देतुम्हें जिन्होंने जो कमाया बाबा कहते हैंवह साथ नहींजाएगा अंख गल बड
हत्या कमा वो गल भीकाटेंगे हत्या भी करेंगे कमाई भी करेंगेलेकिन कमाई नहीं हैवह जो
साथ नहीं जाता वह कमाई कहां होगई कमाई तो तुम्हारे साथजाएगी असंख्य पापी पाप करजा जिन्हे
पुण्य का कोई पतानहीं फिर वह पाप हीकरेंगे असंख्य पापी पाप कर जा असंख्यकूड़ियाकड़ेफिरा
कूड़ा इकट्ठाकरेंगे कूड़ा कहते हैं इन पदार्थों को जोतुम सुख सुविधा के साधन कहतेहो
बाबा कहते हैं यह शरीर को तो सुख देदे एयर कंडीशन लेआओगे बाहर के मौसम को बदल देगालेकिन
बाबा कहते हैं यह कूड़ाहै एक ऐसा स्थान भी है जहां शीतल पवन बहतीहै ठंडीसमीर ऐसा साम्राज्य
हैवहां आनंद की ठंडी-ठंडीलहरें वहां छाव भी बहुत हैवहां आनंद और मस्ती का खुमार भी
बड़ा गहराहै और वह तुम्हारे भीतर है तुम उसकेदावेदार कभी भी हो सकते हो क्यों नहींहोते
चलो उस देशचलो चल हंसा उसदेश समुद्र जहां मोतीहै य ठंडी-ठंडी हवाएं बहती हैंमन को शीतल
कर जातेहैं तन बदल नहा लेता है उस तीर्थ मेंजाके संत कहता है आओ मेरेसंग कहां आग में
झुलस रहेहो कहां बैठे हो डंडे झंडे उठाए फिरतेहो भीतर तो आगलगी भीतर से शांत और शीतल
होजाओ यह तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकारहै तुम कहां गुम हो गए मेलोंमें छोड़ोइनकोआओ हज[संगीत]बहारों
मैं ले[संगीत]चलू दिल झूमजाऐसेसितारों में लेचलू आओहजूरआओ सितारों पे लेचलो दिलझूम
जाऐसीबहारों में लेचलूआओहजूर आओअंख कूड़े आर कूड़ेफिरा शरीर को सुख और सुविधा के साधन
कूड़ाकहते हैंबाबा बस इसी को इकट्ठा करने मेंही लगे रहतेहैं रोल्स राइस लेआ बढ़िया
से बढ़िया कार्यऔर नहीं तो थारले हस्तेकर असंख्य कुड़िया कूड़ेफिरा असंख्य पापी पाप
करजा पाप का मतलब जो दुखी है पाप से दुखमिलता हैतुम कब सुखी सुखीगए जब मौत आतीहै यद्यपि
तुम मौत मांगते हो लेकिन जब मौतआतीहै तो तुम डरने लग जाते हो कांपने लग जातेहो तुम
दुखीहो फिर भी तुम्हेंमृत्यु दुख से भी बुरी लगती हैसूक्ष्म से एक प्रश्न आ रहाहै आइए
इसको साथ लेते चले वक्त तो नहींहै कहते जो लोग अमीर हो जातेहैं जो लोग गद्दी नशीन हो
जाते हैं वोदिखावा क्यों करतेहैं य मुकुटपहनना य सोने के वस्त्रपहनना वगैरह वगैरहप्रश्न
सुंदहै दो चीजें हैंसाइकोलॉजिकल औरफिलोसॉफिकल इन दोनों चीजों से परे की बातकरूंगा क्योंकि
साइकोलॉजिकल भी बकवास हैमन मन शोरहै और फिलोस फिकल यह भी बकवास है क्योंकिशब्द शब्द
भी शोरहै और तुमने जानाहै शांति कीतरफ जहां कोई शोर शरापा नहीं कोलाहल नहींहलचल नहीं
पूर्ण शांति है परिपूर्णविश्रामहै फिर पूछा है फिर यह दिखावा क्यों करतेहैं बस दिखावा
इसलिए करते हैं कि इनकोमिला नहींनाक कट जाए तो आदमी को बहाना बनाना पड़ताहै कि नाक
कटवाने से भगवान मिल जाताहै बस वही कहानी इनके साथहुई अंगूर खट्टे हैं यह बात मतकहो
अंगूर खट्टे हैं तुम उनको कह सकते होजो पुरुषार्थ कर रहे हैं बाग दौड़ कर रहेहैंजो
भाग दौड़ ही नहीं कर रहा जो ठहर गया वहमैराथन में अभी दौड़ा ही नहीं उसने दौड़बंद करदी
और तुम शब्द यह नहीं कहसकते क्योंकि बहुत बार इन गद्दिया को भोगाहै बहुतबार धन के अंबार
को लगाया है छोड़ के आएहैंइनको मिलतानहीं खिसियानी बिल्ली खंबानचे यह दिखाव तो करतेहैं
अगर तृप्ति मिल गई होती जरा सोचोध्यानसे तो अमीर व्यक्ति कहीं तोठहरता कहीं भी नहीं
ठहरने का अर्थ क्या हैइसको लक्ष्य मिलानहीं दौड़े ही चला जाता है तो इसे हम पागलकह
दें तो ज्यादा अच्छा नहींहै गद्दी नशीन होने के बाद दूसरी बारगद्दी कौन मांगता है तीसरी
बार क्योंमांगता है श्रदा के लिए गद्दी क्योंमांगता है क्यों उपाय करता है इसकोमिलाना
क्योंकि इनको जो मिलागद्दिया जो दे सकती[संगीत]हैं धन जो दे सकता है वोह इनको मिलगया
वही इस शब्द में कहा बाबा ने गौर सेसुनो फिर तुम्हारे काम का शब्द हैये असंख्य कूड़िया
कूड़ेफिरा असंख्य लोग कूड़ा इकट्ठा कर रहेहैं ये गद्दिया कड़ा कहते हैंबाबा ये धन कूड़ा
कहतेहैं जिस भजन को गाने के लिए महंगेकवि तु सम कर 20 लाख लेतेहैं वोह दिन भररात उसकीसुरत
सलागामें बाबा नानक हर वक्त गाते हैं रातो रातोगुजर जाती है मां कहती है बेटा सो जा
सुबहहोगई कबीर गाते ही रहते हैं और कबीर का एकशब्द बड़ा प्यारा हैयहां जिसको मिल गया
वो गांठ में बात लेगादिखाएगानहीं जो दिखावा करता हैसमझ लो उसको वह नहीं मिला जो अंतिमहै
य सोने की पोशाकें पहनने वाले अमीरहैं य छह पोशाके बदलनेवाले गद्दी धारी हैंबक ये उच्च
स्थ पदवी पर आसीन होगए हुकम चला सकतेआनंद नहीं लेसकते और जरूरत तो भीतर की आनंदहै जरूरत
हुकम चलानानहीं जरूरत हुकम मानना है उस वलीका जिसने सृष्टि की रचनाकी तभी तो लोग वली
को मानना नहीं चाहते कहदेते हैं है ही नहीं वो तोबड़ा आसान है कहदेना को पीने वाला
कहताहै हीरो[संगीत]पायो गांठ गठ[संगीत]आयो बार बार बाको क्योंखोले मन मस्तहुआ फिर क्याबोले
मन मस्त हुआ फिरक्योंबोले अगर मिल गया होता अमीरीमें या बड़े ओहद मेंतो दिखावा करना
बंद कर देतेहैं नाती मेरा भी है लेकिन तुम्हारी नृत्यकी तरह नहींना गाते नानक और कबीरभी
लेकिन तुम्हारे महंगे कवियो की तरहनहींते राम कथा पैसे थोड़ लेतेहैं और मैंने कहा था
किसी काल में जब रामकथा के लोग पैसे लेने लग जाए तो समझ लोघोर अंध काल आ गया और इससे
पहले बहुतपहले कई लोगों ने शुरू कर रखी है राम कथाभागवतकथा यह व्यापारी है भगतमें और
इन्हीं को बाबा असंख्य में रखतेहैं जो सबसे पहला शब्द बोलाअसंख्य असंख्य मूर्ख अंध
कोर इनको आंखेंनहींमिली यह मूर्खहै जिसको हीरा मिल गया कबीर कहते हैं उसनेगांठ में
गठिया लिया बार-बार बा को क्योंखोल वह खोलेगा नहीं दिखावा नहीं करेगा वहपीजाएगा अमृत
पीने के लिए होता है दिखाने केलिए चलेआगे अंख कूड़िया कूड़ेफिराअसंख्या येमलीच स्वाद
केलिए मुर्गे की गर्दन काट देतेहैं बलिदान के नाम पर अहंकार नहींचढ़ाते और कोमल कोमलबेचारा
बकरी काबच्चा उसको चढ़ा देतेहैं यह थोड़ा ही कहा था हजरत ने नहीं यहनहींकहा उसने बरी
मांगीथी तुम्हारे अहंकार केतेरी जुल्फोंसेजुदाई तोनहीं मांगी[संगीत]थी कैद मांगीथीरिहाई
तो नहीं मांगीथी तेरी जुल्फों सेजुदाई तो नहीं मांगीथी कैद मांगीथीरिहाई तो नहीं मांगीथी
अपनी जुल्फों में संभालेमुझे मैंने कैद मांगी थी तेरे जफों कीरिहाई थोड़ी मांगीतो अपने
आगोश में लेले मुझे मद होशकरते इतनी पिलासाख मुझे मेरी मैं का होश खोजाए मैं तेरे में
फना होजाऊ मैं तुझसे एकाकार होकर कह सकूं अहमब्रह्म अनल हकअसंख्य मलेच्छ मल पखखा
3600 प्रकार के पदार्थ हैं खाने के लिएलेकिन तुमकुक्कड़ बलि के नाम पर बकरा खातेहो
यह असंख्य की बात करते हैं असंख्य कौनजिन्हें नेत्र नहीं मिले जो मूर्ख रह गयाजो अंधाहै
अंख निंदक कर सिर करही पार बहुत सेनिंदक अपने सिर पर भार ले लेते हैं निंदकऔर आलोचक
में फर्कहै निंदक है जो बिना देखे बोलता है किसीके विरोध में और आलोचक है जो लोचन से
देखके बोलताहै ये दोनों शब्द तुमने मिला लिएहैं निंद है जो अंधा अंधा बोलता है बिनाति
जैसे किसी को गाली निकाल देना वो निंदाहैआलोचक जो देखेगा देख के बोलेगा कि तूमूर्ख
है तू ज्ञानी नहीं है बाबा भी कहतेहैं यह निंदक नहीं है बाबा बाबा देख केबोलते हैं
असंख्य निंदक सिर करही पार औरनिंदक अपने सिर पर भार करेगाजिस काम को करने से तुम्हारे
मन के भीतर आजाए कि मैंनेकिया वह पापहै जिस काम को करके तुम्हारे भीतर मैं भावना बने
वह पुण्यहै सीधी सीधी परिभाषा तुम्हें दो अक्षरोंमें देदी नानक नीच कहेविचार जिन्होंने
अभी सर्वोत्तम तल नहींछुआ निम्न पर फिर रहे हैं नानक कहते हैंमैंने उनके विचार कहे
तु वो कैसे होतेहैं नानक नीच कहे विचार जिन्होंने उनपंखियो को नहींखिलाया हजार पंखियो
को सहसरा दल कमलतुम्हारा नहीं खिला तुम निम्न स्तर पर भटकरहे हो अभी काम वासना में
क्रोध में लोभमें मोह अहंकार मेंजिन्होंने आनंद का अमृत का प्याला नहींपिया उनकी बात
नहीं यह उनकी बात है जो नीचहैं जो निमन स्तरों पर जी रहे हैं जो कामवासना में जी रहे
हैं क्रोध में जी रहेहैं लोभ मोह अहंकार में जी रहे हैं नानेकहते मैंने उनकी बात कीहै
वार ना जामा एकबार तुम ऐसेहो कि तुमको तुम पर जितनी बार भी कुर्बानहुआ जाए कम तुम इतने
विराटहो और मेरी हैसियत क्या है मैं एक बार भीकुर्बान नहीं होसकता बाबा अपने आप को
खुद को कहते हैं वारना जावा एकबार जो तुध पावे साई पलीका जो तुझे अच्छा लगता हैजो यह
बात जान लेता है और मान लेताहै जो तुध पावे सोई पलीका तू सदा सलामत निरंकार हे निरंकार
तूसदा उसके संग रहताहै जो तुधपावे सोई पली का जो इस भावना में रहता हैतू सदा सलामत
निरंकार हेनिरंकार तू सदा उसके संग संग रहता है तूसदा सलामत रहता है हाजर नाजर रहता
हैनिरंकार तू सदा सलामत निरंकार हे निरंकारतू सदा उसके साथ रहता है जिसने तुझ परछोड़
दी अपने नैया कीपतवार जिसने खुद की खुदी फना कर दी रे मेंजो विलीन हो गया जो एकाकार
हो गया जिसकीबूंद समुद्र में समागई वह तुझ जैसा ही होगया धन्यवाद
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