सर्वश्रेष्ठ साधना कौन सी है थोड़े से मैं शब्द बोलूंगा उन्हें हृदय की डायरी में रख लेना तुम ना तो कभी कुछ खो सकते हो ना कुछ कभी पा सकते हो सिर्फ दावा है तुम्हारा कि हमने कुछ पाया सिर्फ दावा है तुम्हारा मान्यता है तुम्हारी कि हमने कुछ खोया ना तुम कुछ खो सकते हो ना तुम कुछ पा सकते हो इस बात को हृदय में गांठ माद लो कृष्ण ने भी कहा है मुझ में कुछ और समा नहीं सकता और मुझ में से कुछ और निकाला नहीं जा सकता मैं परिपूर्ण मैं संपूर्ण हूं रोज मुक्ति तुम्हारे इस दावे को खारिज करती है तुमने कुछ कमा लिया रोज मृत्यु तुम्हें सबक सिखाती है कि तुमने कुछ नहीं पाया देखो जो पाया आज माटी हो गया तुम कहते हो मैंने कुछ खोया लेकिन मृत्यु कहती है आज वो भी खो चले जिसने पाया था आज वोह भी खो चले जिसने कुछ पाया था देह भी छोड़ चले मन भी छोड़ चले ना कुछ तुम पा सकते हो ना कुछ तुम खो सकते हो तो पूछा सर्वश्रेष्ठ साधना कौन सी है ही विधि राखे राम तेही विधि रही है जो होता है होने दे विराट की इच्छा से हो रहा है वह विराट जिसके बारे में तुम सोच भी नहीं सकते खोजना तो बहुत दूर की बात है उस विराट की इच्छा से हो रहा है तुम्हें पता कुछ नहीं तुम्हारे मैं का खोना पाना सब दावा है तुम कुछ नहीं खोते कुछ नहीं पाते इसलिए जो होता है होने दो जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ [संगीत] लिया जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया जो खो गया मैं उसको बुलाता चला गया जो खो गया मैं उसको भुला आता चला गया हर फिक्र को धुए में उड़ाता चला [संगीत] गया जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ ल गया जो खो गया मैं उसको बुलाता चला गया कब तक याद रखोगे एक दिन तुम भी खो जाओगे तुम भी शमशान की अमानत हो तुम भी कब्रस्तान की अमानत हो गड्ढा आज ख खोदा जाए या 20 50 100 वर्ष बाद खोदा जाए कोई फर्क नहीं पड़ता तुम शमशान की कब्रस्तान की अमानत हो ना कुछ पास सते हो ना कुछ खो सकते हो फिर चीत्कार क्यों फिर हाहाकार क्यों व्यर्थ है तुम्हारा चीत्कार व्यर्थ है तुम्हारा हाहाकार व्यर्थ है तुम्हारा जोड़ना और व्यर्थ है तुम्हारा लुट जाने का दुख कुछ भी सार्थक नहीं संत कहते हैं तेरा पाना मीठा लागे जो तुध पावे सोई पली का तू सदा सलामत निरंकार पलटू कहते हैं मेरी तो यही मर्जी कर वही मेरी तो यही अर्जी कर वही जो तेरी मर्जी वह तो करता ही है उसकी मर्जी है सर्वश्रेष्ठ साधना है दो अक्षर में बता दूं छोड़ दो सब विज्ञान भैरव तंत्र के उपाय उपाय करने से कभी ना किसी को कुछ मिला ना कभी किसी को मिलेगा हमारा बोलना सब व्यर्थ हम बोलते हैं बोलते हैं इसलिए बोलते हैं क्योंकि चुप हो जाओ यह चुप कराने के लिए भी बोलने का इस्तेमाल करना पड़ता है बोलना इशारा है शायद वह जाना तो नहीं जा सकता व समझाया तो नहीं जा सकता लेकिन शायद इशारे काम कर जाए बस इसीलिए इशारों का प्रयोग करते हैं वह चाहे बोलने में करें चाहे शरीर के इशारों से करें बस प्रयोग है सिर्फ सार्थक भी हो सकते हैं व्यर्थ भी हो सकते हैं देखिए छोड़ दे सब कुछ उसकी मर्जी पर छोड़ दे जो होता है होने दे वैसे भी जो हुआ उसे तोत रोक नहीं सकता था और जो होगा उसे भी तुम रोक नहीं पाएगा यही कृष्ण कहते हैं हे अर्जुन इन मेरे द्वारा मारे गए लोगों का तू हनन कर दे मार तो मैंने दिए तू सिर्फ श्रय ले ले करता तो वही है लेकिन तुम्हारा अहंकार इस बात को मानने को तैयार नहीं और जब तक नहीं मानेगा तब तक दुख खुद ही पाएगा अगर तुम्हारा अहंकार नहीं मानता कि सब कुछ वह करता है तो ठीक है फिर दुख पाने की भी तैयारी रखो जो उस पर छोड़ के सो जाता है वो घोड़े बेच के सो जाता है फिर कुछ चोर के चुराने का फिक्र नहीं रहता तुम धन कमाते हो पहले कमाने में परिश्रम करते हो फिर कमाकर जोड़ने में परिश्रम करते हो फिर जोड़कर उसकी रक्षा चौकीदारी करने में फिक्र करते हो उमरे दराज मांग कर लाए थे चार रोज दो आरजू में कट गए दो इंतजार में ऐसे ही बीत जाती है कुछ कमाने में कट गई कुछ गिनने में कट गई कुछ चौकीदारी में कट गई तुम्हारी पले ठन ठन गोपाल आखिर में गिर पड़ते हो धरती पर मुंह पा देते हो तुमको भी लोगों को उठाना पड़ता है कंधा दूसरे कि करते हैं तो सर्वश्रेष्ठ साधना कौन से बस मुकद्दर त नहीं बना सकता यह मूर्ख हैं लोग ये संसार के नियमों को समझते [संगीत] हैं लेकिन आध्यात्मिक व्यक्तियों के नियमों के हिसाब से इनसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं यह समझदार लोग नहीं जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया मुकद्दर समझ लिया जो खो गया मैं उसको भुला आता चला [संगीत] गया हर फिक्र को धू में उड़ाता चला गया जो खो गया जो मिल गया बस तेरी मर्जी आसान से आसान और मुश्किल से मुश्किल साधना यही है मुश्किल में तो कहता हूं कि तुम्हारा अहंकार मानता और तुम्हारे आसपास के मोटिवेशन स्पीकर तुमहे मानने नहीं देंगे व क ऐसा कैसे हो सकता है करके दिखाएंगे करके दिखाओ भाई ये खुद ही चले जाएंगे करके क्या खाक दिखाएंगे सबसे श्रेष्ठ साधना अपने भीतर सने की सारी फिक्र छोड़ दिए उसकी शरण में चले गए माम कम शरणम ्र तो उस पर छोड़ दे जो करता है ठीक तुम्हारा कुछ जाता नहीं तुम कुछ लेकर आए थे क्या तुम्हारे पास कुछ रहता नहीं मृत्यु तुमसे सब कु छीन लेती है ना लेके आए थे ना तुम साथ लेकर जाओगे बस यहीं का तमाशा है इन गतियां को गिनते रहो और प्रसन्न होते रहो एक दिन यह छूट जाएंगी और तुम कहीं ना पहुंचो तुम्हारे हाथ वही ठन ठन गोपाल सर्वश्रेष्ठ साधना है उसकी मर्जी के ऊपर छोड़ जाना यही कृष्ण कहते हैं कि तू इनको बचाना पाएगा जिनके भाग्य मैंने लिख दिए हैं मृत्यु में तुम उनको जला ना पाओगे और जिनके भाग्य मैंने लिख दिए हैं जीवन उनको तुम मिटा ना पाओगे फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे जिसको मैं मिटांग वह बचेगा नहीं और जिसको मैं बचा हंगा उसको मारने वाला कोई नहीं इसलिए तुम उस विराट की मर्जी पर छोड़ दे जहां भी जा उस विराट की मर्जी से सब होता हुआ जान ले मान ले तो तू सुखी भी रहेगा और शांत भी रहेगा और जिंदगी आसानी से कट जाएगी बस यही सर्वश्रेष्ठ साधना है जो होग उसके लिए शोक ना कर और जो नहीं हुआ उसके लिए दुखी मत हो यह दोनों चीजों को गांठ बांध लो जो हो गया उसके लिए शोक ना कर जो नहीं हुआ उसके लिए दुखी मत हो तो जिंदगी बड़े मजे से कट जाएगी फिराक गोरखपुरी ने लिखा है जिंदगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारो चार दिन भी चार दिन कौन सा कमी होती है तुम चार पल नहीं जी पाते 100 साल के जीवन में तुम चार पल खुशी के नहीं जी पाते और तुम्हें सत्य कहता हूं अगर तुम एक पल भी सत्य का जी लो तो तुम्हारा जीवन उसी वक्त बदल जाएगा ट्रांसफॉर्म हो जाएगा उसकी एक बूंद का पीना तुम्हें क्या से क्या बना देगा अगर तुम अभी वही हो दुखी के दुखी तो समझो तुमने आज तक एक बूंद प नहीं आनंद की बस यही कसौटी है मुझे लोग पूछ लेते हैं मैं पहुंच गया हूं क्या कसौटी है आनंद ही कसोटी है सुख नहीं आनंद कसोटी है और आनंद का विपरीत कुछ नहीं शांति का विपरीत होता है अशांति सुख का विपरीत होता है दुख आनंद का विपरीत कुछ भी नहीं होता और सुख भी किसी कारण से आता और दुख भी किसी कारण से आता और शांति भी किसी कारण से आती और अशांति भी किसी कारण से आती लेकिन आनंद किसी कारण से नहीं आता और किसी कारण से आनंद जाता नहीं आनंद तो बस एक बार आता है और आता है तो बस आ ही जाता है सूक्ष्म से एक प्रश्न आया है बाबा आपने चुटकला नहीं सुनाया बहुत दिन हो गया कोई भजन गीत सुना दो या चुटकला सुना दो चुटकला क्या सुन एक दादा पोते से कहने लगा पोता जी मैं अपने जमाने में रप लेकर जाता था सारा सामान ले आता था करियाना का वापति चावल आटा मसाला दाल भात सब्जी भी ले आता था दूध भी ले आता था र में पोता बोला दादा जमाना बदल गया है हां जमाना बदल गया है पोता कहता हां बाबा जमाना बदल गया है आजकल सभी दुकानों पर सीसीटीवी लगे होते है हंस क रहे हो जमाना बदल गया है र में सब कुछ ले आता था कता बाबा आजकल सब दुकानों पर सीसीटीवी लिखे हुए हैं और तुम्हारी फोटो खच नेगे उठाते हो अगले प्रश्न पर चले कृष्ण इतना पाप करते हैं शिशुपाल का वध कर देते हैं ना उकसा अर्जुन को तो 40 लाख लोग ना मरते 40 लाख तो मरे बाकी उनके परिवार उनकी धर्म पत्नियां मां बाप बाल बच्चे कितना बद किया कितना हाहाकार मचा और यह सिर्फ कृष्ण की वजह से हुआ बाबा क्या इसका दोष नहीं लगेगा हा प्रश्न बड़ा प्यारा है तुलसी ने एक शब्द लिखा है समर्थ को नहीं दोष कोसाई इसको जहन में रखना समृत को दोष नहीं लगता आप इसको किसी और तरह से व्याख्या कर लेते हो आपके आचार्य गलत तरीके से व्याख्या कर लेते हैं समरथ जहां बैठा है वहां तक दोष नहीं पहुंचता वो समरथ जहां आग नहीं पहुंचती ना दुख की ना सुख की शांति वहां नहीं पहुंचते समृत को नहीं दोष को स अब इसे ऐसे समझो हत्यारो को फांसी की सजा दी जज [संगीत] ने हत्यारे को फांसी की सजा दी जज ने सब प्रमाण देख के गहिया देख के सब सबूत झुटा के जरा सोच के बताना क्या उसने पाप किया सजा तो उसी ने सुनाई ना वो चाहे तो मुख कर सकता था उसके हाथ में लेकिन हत्यारे को सजा सुनाई सब सबूत देख के गवाह देख के तो क्या उसे दोष लगेगा तुम्हारा जवाब भी होगा और सभी का जवाब होगा नहीं उसे दोष नहीं ल बस ऐसे ही समरथ को दोष नहीं लगता कृष्ण कहते हैं इनके कर्मों के कारण हे अर्जुन मैं इन्हें पहले से ही मार चुका हूं तुम उठ और श्रेय ले ले इन्हें मार दे कृष्ण ने कहा मारे कृष्ण ने सिर्फ जजमेंट जज की तरह लिखा भाग्य निर्धारण किया उसके कर्मों के आधार पर समर्थ को नहीं दोष को समर्थ का मतलब न्यायधीश न्याय कारी उसको दोष नहीं लगता किसी जज को कभी दोष नहीं लगा अगर सबूतों के आधार पर सही उसने फैसला दिया अगर रिश्वत का के फैसला दिया तो बिल्कुल दोष लगेगा अगर बिक गया है न्यायाधीश तो कई बार बिक जाते हैं कुर्सियों के लिए राज्यसभा की कुर्सियों के लिए कई बार बिक जाते हैं उन्हे दोष लगता है और तुम देखना उन लोगों के हसर मैं आज बोल रहा हूं शायद रहू ना रह लेकिन तुम उन लोगों के हसर देखना जिन्होंने पैसे खा के न्याय किया पैसा तो यहीं रह जाएगा कुर्सी भी यही रह जाएगी लेकिन फल उन्हें भुगतना पड़ेगा यही मुसीबत है कर्म जंजाल की तुम्हारे हाथ में अगर पावर दी है शक्ति दी है परमात्मा ने तो उसकी अमानत समझ के जो काम करेगा वह खुशहाल रहेगा जो खुद की कमाई समझ के काम करेगा वह बदहाल रहेगा आज नहीं कल बस प्रोसेसिंग में देरी लगेगी सिर्फ जितनी देर बीज को वृक्ष बनने में लगती है फल लगने में उतनी देरी ही लगेगी लेकिन फल आएगा जरूर बीज अपना फल जरूर देता है कर्मों का बीज ऐसा ही बीज है समर्थ को नहीं दोष को सई ये इस तल पर बोला गया शब्द है जहां कृष्ण कहते हैं ननद शस्त्र नन द पाव व कोई दोष नहीं जाता जैसे जज को दोष लगता जैसे परीक्षा तुम्हारे पेपर्स को निरीक्षण करने वालो को दोष नहीं लगता व तुम्हे फेल कर देता है क्योंकि तुम फेल करने केग प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर देता है क्योंकि तुम योग जरा या कृष्ण के तल पर पहुंचे हुए लोग सदा ही मुक्त रहेंगे या छूते रहेंगे उसके प्रभाव से इसलिए मैं तुम्हें कहता हूं अगर बंधनों से डर गए हो तो बंधनों से दूर चले जाओ बंधनों को तोड़ो मत फिर समझ लो इस बात को बंधनों को तोड़ो मत बंधनों से दूर चले जाओ क्योंकि बंधे हुए तुम हो नहीं तुम सोए हो स्वपन देख रहे हो और स्वपन में जो घटित होता है वह सच में घटित नहीं होता तो उसका एक ही उपचार है आंखें खोल लो जाग जाओ दूसरा कोई उपचार नहीं बंधे हुए तुम नहीं हो दूर हट जाओ जाग जाओ आंखें खोल लो घूंघट के पठ उठा लो सोए मत रहो जाग जाओ सभी पाप नष्ट हो जाएंगे घुघट के पट खोल रे तोहे पिया [संगीत] मिलेंगे घूंघट के पट खोल तो है प्या मिलेंगे घट घट में राम बसत है घट घट में तेरे राम बसत है कटुक वचन मत बोल रे तो है पिया [संगीत] मिलेंगे कटुक वचन मत बोल रे तोहे पिया मिलेंगे घुंघट के पट खोल [संगीत] रे संतोष प्रसाद आपके कहने के अनुसार अगर सभी व्यक्ति मस्त होना शुरू हो जाएं तो काम कौन करेगा बुद्धि की तरह मांगना शुरू कर दे कपिल वस्तु को छोड़कर तो संसार चलेगा कैसे देगा कौन सभी मंगते बन जाए और कोई काम ना करे तो क्या होगा संसार में कैसे तरक्की करेगा संसार संतोष कुमार ने संतोष खो दिया बस यही दिक्कत आती है बुद्धि से समझने में मेरी एक बात का जवाब दो जब आप शांत होते हो परम शांत तो जो भी आपका दायित्व है दुकानदारी का है ऑफिस का है क्लेरिक जॉब है मैनेजर शिप है य दुकानदारी है ज्यादा बखूबी तम उस अवस्था में काम कर पाते हो या जब क्रोध अवस्था में होते हो चिड़चिड़ी हो तो भीतर से तो ज्यादा बढ़िया ढंग से तुम तब काम कर पाते हो या शांति की अवस्था में तुम्हारा मेंटल बैलेंस खराब कर दिया क्रोध ने तुम जो काम करोगे वह तब बढ़िया करोगे ज तुम्हारा मेंटल बैलेंस शांत है कोई दुविधा नहीं कोई तरंग हिलती नहीं तुम तब बढ़िया ढंग से करोगे ये बताओ मुझे निश्चित ही तुम्हारा जवाब होगा यह सभी का जवाब है कि जब मन शांत होगा तो पूरी निपुणता से काम होगा पूरी शक्ति से काम होगा पूरी इवॉल्वमेंट से काम होगा और तुम उस काम का मजा उठाओगे मन में क्रोध होगा घर से लड़ के आए कोई च से तनाव से ग्रसित हो तब तुम काम करने की क्षमता को खो दोगे घटिया से घटिया काम करोगे उस वक्त ग्राहक आएगा छिड़ चिड़े स्वभाव से बोलोगे उसको गाली निकाल दोगे ऑफिस में तुम्हारे पास आएगा घर से लड़ के आए हो गुस्सा उस पर निकालो अक्सर टीचर लोग बच्चों पर गुस्सा निकाल देते हैं बुरा काम करते हैं उनके बच्चे टीचर निकाल देते हैं बच्चों पर तुम गलत समझ गए मस्त होने का मतलब परम खुशी तुम्हारा रोम रोम तुम्हारा एक न्यूरॉन परम खुशी से भर जाएगा शांत हो जाए रिलैक्स हो जाए तो तुम में काम करने की क्षमता ज्यादा हो जाएगी बढ़िया ढंग से काम कर पाओगे और ज्यादा कर पाओगे और तुम्हारा काम सिर्फ उसी वक्त ही पूजा बनता है जब तुम पूरी शक्ति से पूरी इवॉल्वमेंट से कोई काम करते हो तो काम पूजा हो जाता है और जब मरे खरे से घर से लड़ाई करके आए सो बोझ हो दिमाग पर मन चिड़चिड़ा है तो ग्राहक के भी गल पड़ोगे लेना लो नहीं जाओ और फिर क्यों आएगा आपके पास सक्ष वाले कहते हैं आप भी तो ऐसे ही करते हो आप कहते हो सुनना सुनो नहीं मत सुनो अ मैंने कौन सा ग्राहक बनाने भाई मैं कोई व्यापार थोड़ी कर सकता हूं भगवान के नाम का व्यापार नहीं हुआ करता मैं कोई महंगा कवि थोड़ी हूं जो श्री राम कथा का प्रवचन प्रवचन का महंगा पैसा लू वो तो मैं हूं नहीं मैं सिर्फ संपूर्ण प्रज्ञा से संपूर्ण अनुभव को बांट सकता हूं बस आपसे कुछ नहीं मांगता हूं कारोबार नहीं है मेरा धंधा नहीं है अगर सभी शांत हो गए संतोष प्रसाद दुनिया में क्रांति आ जाएगी फिर कोई देश परमाणु बल के ऊपर गर्वा वित नहीं होगा किसी को विद्वंस करने में महसूस नहीं करेगा उसकी छाती चोड़ी नहीं होगी करोड़ों आदमियों का बद करके उसकी छाती चोड़ी नहीं होगी बल्कि वह रोएगा काश ऐसा दिन आ जाए जो तुमने कहा तुम्हारे सोचने के ढंग उल्टे पल्टे हैं पता नहीं कहां से ऐसे ढंग लेकर आए हो कैसे तुम्हारी सड़ी हुई खोपड़ी में ऐसे प्रश्न आ जाते हैं और तुम सभी खुश रहना चाहते हो देखो और प्रश्न करते हो अगर सभी सुखी हो गए आनंद में आ गए तो क्या सभी मांगने लग जाएंगे अरे मूर्ख सभी देने लग जाएंगे परमात्मा परम आनंद है दाता दे लदा थक पा जुगा जुगा अंतर खा ही खा य बांटता ही रहता है जो परम आनंद में होता है परम खुमारी में होता है परम खुशी में होता है वह छीन नहीं सकता सिर्फ बांट ही सकता है जो दुखी होता है वह छीन है तुम्हारे सारे साहूकार धनपति दुखी है तुम्हें पता भी नहीं उन्हें भी पता नहीं इसलिए तुम्हारा धन छीने चले जाते हैं तुम्हारे सारे राजनीतिज्ञ दुखी हैं इसलिए तुमसे तुम्हारी स्वतंत्रता छीने चले जाते हैं नहीं यह दुखी लोगों का काम है छीनना सुखी लोगों का काम है बांटना इस परिभाषा को लिख लेना तुम भी देखोगे जब तुम प्रसन्न होते हो तो प्रसाद बांटते हो बांटते हो ना जब तुम दुखी होते तो छीन हो जो छीन है वह कितना भी अमीर हो लेकिन दिल से दरिद्र है दिल भरा नहीं अभी स काश ऐसा दिन आ जाए यह धरती खुश हालों से भर जाए मस्तों की धरती हो जितना काम आज तुम करते हो उससे चार गुना काम करेंगे और मजे से करेंगे हंसते खेलते करेंगे हंसी वो खेली वो धरी वो ध्यान गाई वो खाई वो धरी बो ध्यान संतों का निष्कर्ष है जितना सुखी होता है छोड़ के भाग नहीं जाता दुखी व्यक्ति छोड़कर भागते हैं ध्यान रखना सुखी व्यक्ति तो वहां पालथी मार के बैठ जाता है तुम दुखी होते हो तो जंगलों की सोचती है पर्वतों की सोचती है क्योंकि दुखी हो शायद वहां सुख हो लागे हो पत्नी की बातों से बच्चों की च में से शोर शराब से तो छोड़ के भागना चाहते हो यह सुखी लोगों का काम नहीं है सुखी लोगों का काम है बैठ जाना शांति से और जो बैठता है व दिखाई पड़ेगा एक स्थान पर वह परम खुशी है एक और बात तुम्हे बता दू जो पालथी मार के बैठ गया वो भी काम तो करेगा काम तो मैं भी करता हूं तुम्हें पता नहीं है बस मैं बेल बनाता हूं सामान मंगवा हूं ग्राहकों से बातचीत करता हूं बेटे के साथ व्यापार में हाथ बठता हूं बही खाते का काम करता हूं प्रवचन करता हूं तुमसे भी बातचीत करता हूं तुम्हे भी सुझाव देता हूं यह काम नहीं काम है लेकिन डॉक्टर कशन फीस ले लेता है मैं व आपसे नहीं मांगता बस यही फर्क है संत में और डॉक्टर में अगर डॉक्टर भी कंसल्टेशन फ्री कर दे तो वह भी संत है जिस दिन दुनिया इस महाने पर पहुंच गई कि प्रत्येक व्यक्ति परम खुशहाली से ग्रस्त हो गया उस दिन दुनिया को स्वर्ग में ढूंढने की आवश्यकता नहीं जन्नत यही हो जाएगी जहां ऐसा व्यक्ति होता है वहीं जन्नत होती है उसके चरना बिंदु में जन्नत होती है जहां ऐसा व्यक्ति बैठा है जो परम खुशा आहार हो गया तुम तो हो नहीं सकते तो ऐसी बातें बनाते हो ये तुम्हारे ना होने का प्रमाण है जो तुमने प्रश्न पूछा और तुम्हें पता भी नहीं तुम्हारा अहंकार बहाने ढूंढता है लेकिन गलत पंगा ले लिया संतोष टोपी वाले महाराज नहीं है जो रावण से बात करेंगे मैं सीधा तुमसे बात करता हूं तुम जब शांत मर हलो में कोई काम करोगे तुम देखना तुम में काम करने की निपुणता आ जाएगी प्रवीणता आ जाएगी और जब तुम क्रोध की अवस्था में होगे पहली बात तो काम करने का मन ही नहीं करेगा और करोगे तो जलाए जलाई से और वह काम क्या व तो राध काटोगे तुम किसी तरह निपटा होगे वो काम नहीं होगा संत का काम पूजा होती है तुम क्या कहते हो कबीर छोड़ के भाग गए रोज कबीर के दोहे गाते हो रोज कबीर के भजन गाते हो कबीर छोड़ के भाग ग क्या बराबर काम करते हैं च दरिया बनते हैं खेस बनते हैं और मगन हुए हुए गीत गाते हैं भजन गाते हैं परमात्मा का स्मरण भी करते हैं काम भी करते हैं क्या दिक्कत है कोई दिक्कत नहीं काम करते करते भजन गुनगुनाना दिक्कत क्या है काम करने का कौशल्य बढ़ जाता है यही तो तुम्हें पता नहीं क्योंकि यह अवस्था तुम पर आई नहीं तो हमारी खोपड़ी सोचती है ल जलूल बातें क्योंकि खोपड़ी अहंकार मरने से डरता है नए नए तर्क ढूंढता है अगर सभी फिर हो गए मांगने लग गए बुद्ध भी ऐसे नहीं मांगने लगे कपिल वस्तु का सिंहासन छोड़ के आए हैं कोई कमी नहीं है इसके पास या कोई भिखारी या मंगता नहीं है यह आज भी राज किका है जब चाहे कपल वस्तु का राज संभाल सकता है आफ्टर एनलाइन मेंट जब घर गए त तो उसके पिता ने कहा आ गई धरण टिकाने मुझे पता था तुम आओगे ऐसो आराम सुस्वादु पदार्थों को खाने वाला कितने दिन टिकेगा हमारे पंजाबी में कहावत है मुड़ कुड खोती बोड़ आ गया ना फिर लेकिन तुम लोग बुद्ध को समझने में भी गलती कर दोगे उसके मुखारविंद की शीतलता तुम ना देख पाओगे जब मुखारविंद की शीतलता ही तुम्हें ना दिखेगी तो भीतर का आनंद की शीतलता तुम्हें क्या खाक दिखेगी क्योंकि भीतर जानना तो तुमने सीखा ही नहीं अब तक कबीर काम करते हैं चरिया बनते हैं और भजन गाते हैं भगवान का स्मरण करते हैं भाग नहीं जाते कहां मांगते हैं बताओ व तो जो आता है उसको खिला के भेजते हैं भाई भोजन करके जाना प्रभु प्रसाद ज्ञान भी बांटते हैं और जाते हुए व्यक्ति को यह भी कहते हैं कि भाई भूखे मत जाना बहुत देर होगी तुम्हें बैठू लोई ऐसा कर इनके लिए खाना बना और इतने प्रेम से कहते हैं कि व्यक्ति इंकार कर ही नहीं सकता तुम तो बड़ी फॉर्मेलिटी कर देते हो तुम तो दांत पाड़ के दिखा देते हो फिर चाय चलेगी कि ठंडा हालांकि तुम्हारे मन में कुछ नहीं है पिलाने का यह भाग जाए तो अच्छा नहीं आता तो और अच्छा लेकिन फिर भी तुम पूछते हो फॉर्मेलिटी से यह फॉर्मेलिटी नाम की चीज तुम्हें आनंद से दूर कर देती है इस फॉर्मेलिटी के कारण तुम सुखी नहीं हो पाते नानक ने काम करना छोड़ दिया जैसे कबीर ज्ञान भी बांटते हैं और काम भी करते हैं घर का वैसे नानक खेती भी करते हैं बोर मत जाना नानक खेती करते हैं लेकिन उनके उपदेशों में तो यही है कर्त कर वंड छक कर्त तो साथ में रखते हैं व करो और जो उपलब्ध हो उसको बांट के छको नाम जपो वह जो सारी सर्जना में फैला हुआ है ध्यान उसकी तरफ रहे अनंद में झूमे झूमे सभी काम करो तो ज्यादा बढ़िया क्वालिटी का होगा खिचे खजे से मरे मरे से काम करोगे वह का काम खाक होगा वह विद्वास जितने भी यह नेता हैं यह रचनात्मक काम कभी नहीं करते विदव सात्मक काम करते हैं क्योंकि यह खिंचे खिचे से रहते हैं नानक छोड़ते हैं ना काम मीरा छोड़ती है नाचती है गाती है काम भी करती है घर में जाकर तुम क्या समझते हो आवारा गर्द हैं यह लोग यह उपदेश भी देते हैं मक्का मदीना भी चले जाते हैं नानक रदास काम नहीं करते बिल्कुल करते हैं भजन भी गुनगुनाते हैं काम भी करते हैं दिक्कत कहां है बताओ तो कहां मांग के खाया रदास ने कहां कबीर और नानक ने मांग के खाया तुम एक बुद्ध की बात कर लेते हो बुद्ध ने भी कहां मांग के खाया जितना छोड़ के आए थे उसकी 100 पुश्ते खा सकते थे वो तो किसी और खोज में चल पड़े और सभी भोगों को त्याग दिया उसका मांगना तुम्हें खटकता है उसके चार फुलके तुम्हें खटक हैं जो अरबों अरबों की जायदा छोड़ के आया उसके चार फुलके त में टते हैं किसने काम नहीं किया बताओ और ये ज्ञान बांटना भी तो काम है तुम्हारे टीचर क्या करते हैं बताओ तुम्हारे टीचर सूचनाएं ही तो बांटते हैं य क्या करते हैं सर लोग यह टीचर्स क्या करते हैं सूचनाएं बांटते हैं नानक ज्ञान बांटते हैं सूचनाएं संसार से संबंधित होती हैं ज्ञान परमात्मा से संबंधित होता है आराम से नहीं बैठे हैं काम करते हैं कौन है जो खाली बैठा है बताओ कोई भजन गा रहा है वह भी आपको आनंद दे रहा है एक भी आदमी दिखा दो जो खाली बैठा हो शंकर जैसे लोग ऐसे तल पर पहुंच गए जिस तल पर जाकर जो फरियाद कर देंगे वो राट से तत्क्षण पूरी हो जाएगी छोटी सी कहानी शंकर की मांगने के ऊपर बात आ गई ऐसे लोग भी मांगने चल पड़ते हैं और तुम उन्हें भिखारी समझ लेते हो भिखारी नहीं है वो सम्राटों के सम्राट हैं शहनशा हों के शहनशाह हैं उनका यह संकल्प था कि एक दिन में 24 घंटों में एक बार एक घर से मांगेंगे शंकर का शंकराचार्य 24 घंटे में एक बार खाएंगे एक बार मांगेंगे एक घर से मांगेंगे अगर इंकार हो गया तो फिर नहीं जाएंगे फिर उपवास फाका चलेगा एक दिन ऐसा भी आया जिस घर के आगे अलख जगाई भिक्षम देही वह एक विधवा औरत का घर था उसका पति जा चुका था संसार छोड़कर अपने बच्चों का किसी तरह इधर-उधर से इकट्ठा करके पाल लेती थी बेचारी थोड़ा बहुत काम का घरों में कर देती थी उसी के उसके बाल बच्चों का पालन पोषण होता था शंकर ने आगे अलग जगा वो स्त्री तो घबराई शंकर आए हैं पता था किसी और घर में जाएंगे नहीं आज तो भूखा रहना पड़ेगा हमारे पास तो कुछ है नहीं कुदरती उस दिन उसके पास भी कोई काम नहीं कोई पैसा नहीं कोई खाने को सामान नहीं प्रकृति ने चारों तरफ से सरकमस्टेंस ऐसा बना दिया घबराई भीतर से कांपने लग इधर उधर देखा रोटियों का कटोर दान देखा कुछ भी नहीं सब खूंजे आले खंगाल दिए एक छोटा सा आंवला मिला आंवला हरा फल कहीं रह गया होगा वहा उसने कहा अब संत आए हैं खाली मोड़ना तो बहुत मुश्किल चलो अब है ही ये तो उसने वो फल उठाया जाकर प्रणाम किया चरण स्पर्श किए और वह आमला उसके भिक्षा पात्र में डाल दिया तब तक शंकर सारी बात स्थिति समझ चुके थे शंकर समझ चुके थे कि इसके पास कुछ नहीं है विधवा औरत है बच्चों का बड़ी मुश्किल से घरों के कामक करके अपने बच्चों का पालन करती है किसी तरह दो जून की रोटी कभी मिलती है कभी नहीं मिलती व शंकर जो तुम्हें भिखारी लगेंगे व बुद्ध जो तुम्हें भिखारी लगेंगे लेकिन आज कपिल वस्तु का राज आज भी उनका है अगर चले गए तो लेकिन छोड़ के आए हैं खुद शंकर उस स्थिति को पहुंच गए हैं जहां कुछ भी कहे तत क्ण विराट उसकी बात को मानता है अब एक बात ध्यान में रख लेना जिसकी वासना खो गई जिसका अभिमान नष्ट हो गया है जिसकी चिपका जो अपने उस समर्थ भाव में चला गया है जहां जाकर वह सर्व समर्थ हो जाता है मैं बाहर से तुम्हें मंगता लगेगा लेकिन है तो वह शहंशाह शहंशा का शहंशाह सारी स्थिति को भापा उसने मां लक्ष्मी का आवाहन किया मां लक्ष्मी प्रकट हुई हाथ जोड़े आज्ञा करें [संगीत] प्रभु शंकर बोले हे माते यह विधवा स्त्री बड़ी गरीब है कंगाली से जूझ रही है इसके घर वर्ष स्वर्ण वर्षा कर और तीन प्रहर वर्ष हम देखिए कनक धारा वो कनक धारा सूत्र वहीं पर गाया स्तुति की जब उसने महालक्ष्मी की शंकर ने व कनकधारा स्त्र के नाम से आज भी प्रसिद्ध है अम हर पुलक भूषण [संगीत] माश बंगंग नेव मुकुला रणमत [संगीत] मालम अंगी कृता खिल वि पांग लीला मांगल्य दासत मम मंगल देव ताया मुक्ता महर बदती बदन मुरारे प्रेम त्रपा प्रण हितान गता गता माला दशो मधु करव महो पले सामे श्रीयम दिशित सागर सं [संगीत] भवाया मां लक्ष्मी की प्रार्थना की आवाहन किया मां लक्ष्मी प्रकट हुई माते तीन प्रहर वर्ष स्वर्ण की वर्षा कर कनक धारा कनक सोने को भी कहते हैं तो मां लक्ष्मी ने कहा जैसे आा प्रभु और बरसी खूब बरसी सारा घर भर गया सोने से बैठने को भी जगाह ना ब छत भी भर गई पहाड़ बन गया इतना बरसा निरंतर वर्ष उसी से ही कनक धारा स्तोत्र का प्रभाव इतना बड़ा ये शंकराचार्य ने उस वक्त गुनगुनाया मां देवी का आवाहन करते वक्त आज भी इसको गुनगुनाने से दरदर मिट जाती है वो संत गरीब ब्राह्मणी विधवा ब्राह्मणी के घर से मांगने जाता है तुमने प्रश्न गलत पूछ लिया बुद्धि के सतर पर अगर रहोगे तो ऐसे ही प्रश्न उठेंगे इसके तल से नीचे उतरो असत्य से सत्य की ओर निकलो अंधकार से प्रकाश की ओर जाओ तम मा ज्योतिर गम असतो मा सद ग में असत्य से सत्य की ओर तुम अभी तक असत्य में लिप्त हो और असत्य में लिप्त हुआ व्यक्ति सत्य प्रश्न नहीं पूछ सकता उसके सभी प्रश्न असत्य से लोटपोट लिप्त हुए आएंगे ये जो मांगने वाले तुम्हें दिखते हैं आज बेरोजगारों की भीड़ बढ़ गई है फिर भी सभी बेरोजगार मांगते नहीं क्योंकि उसमें अहंकार टूटता है लूटना ठीक लूट लो का मार लो मांगो मत मांगने से अहंकार ढलता है यह तुम्हें शायद पता नहीं कभी गए हो किसी के दर पर मांगने और देखा है अपने अंतस में तुम झुक जाते हो नमता से बात करते हो नम्रता से बात करते हो मांगना झुकाता है व्यक्ति को लेकिन यह जो मांगने ने वाले हैं यह विकारी नहीं है ये शहंशाह है परम शहंशाह है शहंशा हों के शहंशाह है तुमने ये प्रश्न करत पूछा तथ्यात्मक आधार पर नहीं पूछा रात्म आधार पर पूछा विचार तुम्हारे ऐसा कहते हैं बुद्धि तुम्हारी ऐसा कहती है अगर सभी मांगने लग गए सभी मस्त हो गए सभी आनंद में आ गए सभी खुशहाल हो गए तो काम कौन करेगा काम वही करेंगे और ज्यादा बढ़िया ढंग से करेंगे जो काम चिड़चिड़ा व्यक्ति एक महीने में निपटाए वह परम खुशहाल व्यक्ति 10 दिन में निपटा देगा और ज्यादा कुशलता से प्रवीणता से और ज्यादा एक्यूरेसी से तुम्हें इस बात का ज्ञान नहीं है तुमने प्रश्न तो पूछ लिया लेकिन पिट यह नहीं पता था मांगो मांगो उस दाता से कि तुम्हें भी दात में यह मस्ती दे दे वह मस्ती जो तुम्हारे भीतर खिला देगी तुम्हारा सहसरा दल कमल और तुम आनंद में झूम उठोगे फिर ऐसा मत समझना कि तुम काम नहीं कर पाओगे काम तो ज्यादा प्रवीणता से करोगे और ज्यादा मात्रा में करोगे य तुम्हारी बुद्धि सोचती है सिर्फ ये तथ्य नहीं है सत्य नहीं इसलिए गलत प्रश्न पूछ लिया मैं तो कामना करता हूं कि सारा विश्व इस प्रकाश में झूम जाए आनंद की बारिश हो उसके ऊपर खुशी की बारिश हो उसके ऊपर प्राण उसके पी जाए इस खुशी को और नाचने लग जाए तो काम ज्यादा प्रवीणता से कौशल्य से होगा ज्यादा मात्रा में होगा क्योंकि तुम में यह खुशी आई नहीं और बंद क्या जाने अति का स्वा तुम जब तुम तुमने चखा ही नहीं इस आनंद का स्वाद तो प्रश्न तुम पूछ कैसे सकते हो तुम अधिकृत ही नहीं प्रश्न पूछने को आनंद उतरे तो फिर प्रश्न पूछो लेकिन फिर फिर प्रश्न उठेगा जिसने आनंद को पी लिया वह तो ज्यादा बेहतर तरीके से काम करेगा और जिसने दुनिया सारी दुनिया मस्त हो गई नाचने लगी झूमने लगी खुशहाल हो गई कोई दिमाग पर बोझ ना रहा कोई बंधन ना रहा कोई दिमाग के ऊपर पाखंड धारण ना किए तुमने कोई मान्यता ना रही उस दिन तुम सोच भी नहीं सकते दुनिया जितनी खुशहाल और आनंद से मगन हो गई उस दिन मनेगी ईद अब तो तुम आदमी आदमी के पास से कंधा मार के टकरा के चला जाता है लेकिन उस दिन गले में लो गए खुशी के मौके दीद के मौके होते हैं और खुशी के मौके ईद के मौके होते हैं फिर तुम गले लग के मिलते हो खुशी में ही मिल सकते हो फरयाद करो ईश्वर बरसे आनंद की बारिश तुम्हारे पर भी हो मंगल कामना करो प्रत्येक प्राणी पर आनंद की बारिश तो तुम पाओगे आज संसार खुशहाल हुआ सोना ने से खुशहाल नहीं होता आनंद बरसने से खुशहाल होता है सोना तो बहुत बरस लिया जिनके ऊपर सोना बरसा उनके चेहरे देखो लड़के पड़े कोई भीतर आनंद की खुशबू आती दिखाई नहीं पड़ती बाहर सोने की पोशाकें पहन रखी हैं लेकिन भीतर आनंद की कोई महक यह प्लास्टिक के फूल है बस देखने में है इसके पास जाओगे नासा में सुगंध नहीं आएगी ये खोखे हैं ये फके हैं बिना सुगंध का फूल फोका ही हुआ करता है खोखा ही हुआ करता है तो धन ना बरसे स्वर्ण ना बरसे उसके बरसने से कुछ नहीं होगा सोना क्या करोगे खाओगे ना भूख मिटेगी ना प्यास बुज लेकिन आनंद ऐसा जिसके पीने से भूख नहीं लगती प्यास नहीं लगती तृप्त हो जाते हो जिस घड़ी मेरी निगाहों को तेरी दीद हुई वह घड़ी मेरे लिए ऐश की तमदी जब कभी मैंने तेरा चांद सा मुखड़ा दे देख ईद हो या के न हो मेरे लिए ईद हुई वह जलवा जो ओझल भी है सामने भी वोह जलवा चुराने को जी चाहता है निगाहे मिलाने को जी चाहता है दिलो जा लुटाने को जी चाहता है आके ना जाने को जी चाहता है अगर वह बरस जाए तो ऐसा ही कुछ होगा ऐसा आनंद की भार आएगी काम तुम्हारे लिए पूजा हो जाएगा काम तुम्हारे लिए काम नहीं रहेगा काम तुम रे लिए पूजा होगा वर्क वशिप सही मायने में तुम तभी पूजा कर पाओगे जब तुम्हारा काम पूरा हो जाए धन्यवाद द बन रोग रजाइया दे ओढन [संगीत] तुध बिन रोग रजाइया दे ओढन नाग निवास देरे ना मित्र प्यार [संगीत] न मित्र [संगीत] यार हाल मुरी दंद [संगीत] कना मित्र प्यार न हाल मुरी दद के [संगीत] णा मित्र प्यार न मित्र प्यारे न हो मित्र प्यारे न मित्र प्यार न मित्र प्यार न मित्र प्यार न हाल मुरीदा दे के [संगीत] नाते प्यारे न यार [संगीत] द सथ चंगी यार [संगीत] दे सथ चंगी पठ खेड़ आद रना पठ खड़ आद [संगीत] र मित्र रन हाल मुरीदा दे कहना मित्र प्यार [संगीत] ना सोल सुराही खंजर पे आला सल सुरा खंजर प आला विंग क साया दे [संगीत] सना मित्र प्यारे न हाल मुरीदा दे [संगीत] कहना मित्र प्यार [संगीत] धन्यवाद
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