अध्याय चौथा श्लोक 15 एवं ज्ञात वा कृतम कर्मम पूर्व रप मुमुक्षु कर्मे तस्म पूर्व पर्वता कृतम पूर्वकालिक मुमुक्षु ने भी इस प्रकार जानकर किया है इसलिए तुम भी पूर्वजों के द्वारा सदा से किए जाने वाले कर्मों को ही उन्हीं की तरह जान कर कर बड़ा प्यारा शब्द है जिंदगी के जीने का रस निकाल देते हैं कृष्ण ऐसे शब्द चुन के लाते हैं कृष्ण कि जिनका कोई मुकाबला नहीं आज से 5000 साल पहले जब लिपि इतनी जागृत नहीं थी तब ऐसे शब्दों को कह देना आश्चर्य से कम नहीं कृष्ण कहते हैं पूर्वजों ने भी ऐसे ही कर्म किए थे अब यहां ध्यान देना पूर्वज अगर डाका मार रहे हो तो डाका मारो चोरी करते हो हत्या कतल करते हो लुटेरे हो झूठे हो पाप करते हू अगर वैसा ही करें नहीं कृष्ण कहते हैं से संसार की बात नहीं करते कृष्ण इसलिए एक शब्द कृष्ण ने जोड़ दिया बड़ा प्यारा मुमुक्षु पूर्व काल में मोक्ष ने जानकर जो कर्म किए हे अर्जुन तुम भी उन पूर्वजों की तरह जानकर ही कर्म कर एक शब्द को ध्यान से सुनना शब्दों में बड़ी जान है अगर जाने भी बिना सिर्फ मानकर काम कर लिया वह कर्म उत्तम नहीं होगा वह कर्म गलत भी हो सकता है और निमन स्तर का भी हो सकता है बहुत से लोग कह देते हैं कि जैसे पूर्व आचरण करते रहे वैसा ही आचरण करो देखिए संसार में तो यह ठीक है संसार में प्रत्येक पूर्वजों के घरों के अलग-अलग जीने का ढंग है समाज में सभी ढंग बराबर नहीं होते कुछ विभिन्नता होती हैं समाज में कुछ समानताएं भी होती हैं लेकिन समाज की बात नहीं कर रहे कृष्ण यहां बात करते हैं मुमुक्षु की यानी जो मुक्त होना चाहता है आइए हम बात को थोड़े गहरे में ले चले तो आपको मेरे बोलने का मर्म समझा जाएगा क का य चौथे अध्याय का पवा श्लोक समझा जाएगा क्या कहते हैं कृष्ण कृष्ण कहते हैं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की एक लिप्त होती है जीने का ढंग है राज नीतिज्ञ भी सुन ले राजनीतिज्ञों के ज्यादा काम पड़ेगी जब बात सांसारिक लोगों के भी ज्यादा काम पड़ेगी और मुमुक्षु के काम तो पड़ेगी प पहला पहला वचन जो तीनों के काम पड़ता है चौथे अध्याय का 15वां शलोक प्रत्येक व्यक्ति की लिप्त ताए होती है महाभारत में कृष्ण ने यही पद्धति अपनाई आपको पता भी नहीं चला आप बखान कर देते हो इतिहास को लिख देते हो इसके भीतर का मर्म नहीं जान पाते खेली कृष्ण ने कैसे खेली इसका नहीं पता वह जानना जरूरी है कोई जानता नहीं इसलिए समझा भी नहीं पाता तो आइए उस मर्म में चलते हैं जो कृष्ण ने अपनाया कृष्ण कहते हैं प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक लिप्त बिंदु है ध्यान से सुनना अगर इस प्रवचन को चूक गए तो बुनियाद चूक जाओगे प्रत्येक ब व्यक्ति का एक लिप्त बिंदु है चिप कहट है प्रत्येक व्यक्ति की और यह भी ध्यान रखना कि प्रत्येक व्यक्ति की चपका हट एक जैसी नहीं होती सभी की चपका अलग होती है कोई मीठा खाके खुश कोई नमकीन कोई मिर्च वाला सभी एक जैसा स्वाद का भोजन नहीं खा सकते लिप्त ताए अलग अलग है तो आपको थोड़ा सा पहले संक्षेप में बता द फिर विस्तार में चलेंगे लिप्त ताओ को कैसे परखा कृष्ण यह तो बड़ा आसान है किसी भी छठी इंद्रिय के खुलने वा व्यक्ति के लिए बड़ी आसान बात है तुम्हारी लिप्त को जान लेना तुम कपो गए कैसे कपो गए तुम में बहादुरी आएगी कैसे आएगी बड़ी प्रगाढ़ता से जान सकता है और इंप्लीमेंट भी कर सकता है कृष्ण जानते हैं दुर्योधन भय के बिना बाज नहीं आएगा कृष्ण लोभ है लेकिन कायर है बहादुर नहीं मसल मेन है मसल उसके बहुत तगड़े हैं बलवान है कसरत करता रहा है लेकिन शरीर से बलिष्ट होना अलग बात है मन से साहसी होना अलग बात है शरीर भैंस जैसा हो और दिल चड़ी जैसा फिर क्या करोगे तो कृष्ण कहते हैं प्रत्येक व्यक्ति का एक लिप्त बिंदु है दुर्योधन लोभी है वो लोभ चाहे मान का हो मैं राजा बन मुझे मान मिले लोभ चाहे धरती का हो ज्यादा जमीन हो मेरे पास ज्यादा बल हो मेरे पास करीब करीब 50 प्रति दुनिया आज दुर्योधन की तरह ही है और तुम्हारे आचार्य इस बल को बढ़ाने में योगदान देते हैं वह कहते हैं बल इकट्ठा करो इसलिए तो इतनी लूटपाट बची है अगर सभी बल इकट्ठा करने लग गए तो लूटपाट मजनी स्वाभाविक है कंपटीशन का दूर है तुम एक क्लास में बैठे हुए बच्चों को देख लेते हो हजारों की संख्या में और तुम्हें लगता है यह हजारों मित्र बैठे हैं तुम गलती में हो यह हजारों शत्रु बैठे हैं प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को पछाड़ की होड़ में एक ही जगह बैठा है और एक ही क्लास में बैठा है और एक ही टीचर से सीख रहा है देखि कितनी मजेदार बात है सभी कंपटीशन लड़ना चाहते हैं एक ही स्थान पर विराजमान है एक ही टीचर उन्हें पढ़ा रहा है लेकिन है सबके दुश्मन एक दूसरे के प्रतिद्वंदी दुश्मनी तो होता है कंपट इज एनिमी जो मुकाबला करे दूसरे अर्थों में वह शत्रु है जो झुक जाए दूसरे अर्थों में वह भक्त है दुर्योधन जाते हैं ज्यादा जमीन हो ज्यादा पैसा हो मैं राजा बनू हजार तर्क खोज लेते हैं उसके लिए मेरा पिता तो अंधा था वह तो नहीं बन सका तो फिर बैठा दिए गया पांडव को और अगर उत्तराधिकार ही चुनना है तो उत्तराधिकार जो दिष्ट का तब बनता था अगर पांडु जिवत होते बात उनकी ठीक है जज दि है दुर्योधन का पक्ष यह है के बड़े पुत्र को राज गति मिलनी चाहिए प्रवस्था थी यही व्यवस्था दशरथ के काल में राम को राज्य मिलना था बड़े को राज्य मिलना है बह चाहे पागली क्यों ना हो प्रतिभा को यहां कोई मल नहीं दो साल पहले जो जन्म गया उसका मूल्य है व्यवस्था थी तो व्यवस्था का पालन होता था ठीक थी या गलत थी आओ थोड़ा सा विश्लेषण कर रहे हैं अगर तुम आयस बनने में कंपटीशन करते हो हु इ द मोस्ट इंटेलिजेंट पर्सन तो फिर जिसने राज करना है जिसके हाथ में सारे साधन है वो बेटा सबसे बड़ा हो या सबसे छोटा हो क्या फर्क पड़ता है उनमें भी कंपटीशन होना चाहिए शाहजहां के 14 बच्चे थे और चवा बच्चा उसका गोहर जब जन्मी तो च में बच्चे को जन्म देते वक्त वो मर गई प्रसूति काल में प्रसव का पीड़ा वह सह ना सकी मर गई तब व्यवस्था नहीं थी एनेस्थ सिया की 14 बच्चे सिर्फ ममताज से थे और ममताज के नाम पर ताज महल पड़ा मुमताज से बड़ा प्रेम करते थे तो 14 बच्चों में कंपटीशन होना चाहिए लड़का हो लड़की हो क्या फर्क पड़ता है लेकिन गलती कहां हुई समाज धीरे-धीरे बदल जाएगा मुझे शक है क्योंकि लोभी लोग समाज से ग्रस्त हटाने को राजी नहीं होंगे अब अगर 14 बच्चे सिर्फ मुमताज से हैं तो उन 14 बच्चों में राज कौन करे अभी तो शाहजहां जवान है बच्चों को पैदा कर रहा है जवान है और कुछ लोग कहते हैं कि दारा शको का कदल करके औरंगजेब ने ठीक किया और कुछ लोग कहते हैं कि दारा शको का कत्ल करके औरंगजेब ने समाज की उस व्यवस्था को तोड़ दिया दारा श कोह सबसे बड़ा पुत्र था वह समाज की नीति के अनुसार राज पर बैठने के योग्य था क्योंकि बड़ा था लेकिन औरंगजेब दुष्ट था अगर छोटा दुष्ट हो तो बड़ा उसके सामने टिकना पाएगा इसलिए तोहे ध्यान करवा दू अगर छोटों को राज चाहिए तो उन्हें दुष्ट बनना होगा अगर वह योग्यता रखते हैं तो अन्यथा चुप करके बैठ जाए एक ही बाप की संतान में मुकाबला कंपटीशन और यहां तो मैंने बात की कि 1000 बच्चा बैठा है एक क्लास में और एक टीचर उसने पढ़ा रहा है पढ़ाने का ढंग एक बताने का ढंग एक पद्धति एक और मुकाबला हजार लोगों में और हजार प्रतिद्वंदी यानी दुश्मन इकट्ठे बैठे हैं कौन क्या गट कर पाएगा और कौन कंपटीशन में प्रथम आएगा एक ही टीचर का बढ़ाया हुआ कोई तो आएगा कंपटीशन होना चाहिए लेकिन तानाशाही व्यवस्था राज व्यवस्था राजतंत्र आज खत्म हो गया कुछ मुल्कों में अभी य है भारतवर्ष इससे निजात पा गया लेकिन ध्यान रखना कोई भी व्यवस्था पूर्ण कालिक पूर्ण नहीं होती शब्दों को ध्यान से सुनो कोई भी व्यवस्था पूर्ण कालिक पूर्ण नहीं होती वक्त आता रहेगा वक्त बदलता रहेगा और व्यवस्थाएं भी बदलती रहेंगी वह पूर्णता एक दिन अपूर्ण भी हो जाएगी उसमें फिर बदलाव करना पड़ेगा लेकिन औरंगजेब ने राश कों को मार दिया अपने बाकी के भाई भी मार दिया बाप को कैद कर दिया बहनों को कैद कर दिया जहारा को कैद कर दिया जाने बिना कंपटीशन किए खुद को योग्य समझ लिया मैं योग्य हूं कोई मुकाबला नहीं हुआ कोई महफिल नहीं बुलाई किसी पारखी को नहीं बुलाया जजस से नहीं पूछा कि बताइए कौन मुकाबले बाजी कुछ नहीं हुई बस कत्ल कर दिया और बैठ गया हमेशा से संसार में दालिया होती रही हैं और मुझे आसार कम दिखाई पड़ते हैं कि ये दालिया कभी रुक जाएंगी खैर इन बातों को छोड़ दीजिए कृष्ण जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की लिप्त ताएं होती है दुर्योधन की लिप्त है अपने आप को बड़ा दिखाने की और अक्सर अपने आप को बड़ा दिखाने की लिपस उसी व्यक्ति में होती है जो भीतर से कमजोर मनोवृति का होता है जिसके शरीर से बदबू आती है डोडो रेंट तो वही ड़ केगा सेंट इतर तो वही ड़ केगा महावीर के शरीर शरीर से वैसे ही सुगंध आती है उसे किसी प्रकार के इतर को छिड़कने की आवश्यकता नहीं कहते हैं मुनि के महावीर के मल में से भी दुर्गंध नहीं आती थी अपने आप को बड़ा दिखाने की कवायत वही करेगा जिसका भीतर उसे लगातार प्रताड़ित कर रहा है कि यू आर इनफीरियर यू आर इनफीरियर त कमजोर है उसकी आत्मा उसको लताड़ तो वह अपने आप को बड़ा बनाने की चेष्टा करेगा बढ़िया पहरावा बढ़िया खूबसूरत सब बाल संवारे बाहर से देखने में सुंदर लगेगा कपड़ों की जोड़ियां बहुत होंगी सांझ तक 10 बार बदल देगा हेयर स्टाइल बदल देगा आम पजामा डालेगा कभी पठानी डालेगा कभी बंगाली डालेगा कभी ईरानी डालेगा अलग-अलग बात क्या है बात है कि इसकी आत्मा इसको प्रताड़ित करती है भीतर से कमजोर है भीतर से इनफीरियर है बड़े-बड़े होल्डिंग लगाएगा और कॉर्नर पर लगाएगा तुम इन होल्डिंग उसको देख के समझ मत जाना कि यह बहुत वीर व्यक्ति है कायर से कायर व्यक्ति अपने होल्ड आया करते हैं जो जानते हैं कि मैं बलिष्ठ हूं मैं बहादर हूं वह अपना प्रचार नहीं करता कृष्ण कभी प्रचार नहीं करते कृष्ण मग्र रहते रास रचाते हैं लोग भला बुरा कहते हैं निधि वन में नाचे चले जाते हैं रस बिखेरते हैं यही तो है जिंदगी यहां राजनीति का रस भी करता है और राजनीति से कड़वा कुछ भी नहीं होता मैं अक्सर ही कहता हूं जो राज करते हैं वह हमारे पर उपकार करते हैं क्योंकि बोझा बोझा या तो राजनीति उठाते हैं देश का या फिर वह उठाते हैं आप समझे जाना ऐसा मत करो कौन भोजा डोगा बोझा या तो राजनीतिक ते हैं उनका धन्यवाद मैं अक्सर धन्यवाद करता हूं राजनीतिक का अच्छा है आप देश को संभाल तो रहे हो या फिर वड होते हैं इन दोनों के अलावा कोई बोझा नहीं ता और देखिए किसी को कुछ नहीं मिलता आप मेरी बातों को मजाक में मत ले मैं अनुभव की बात बताता हूं मैं भी किसी जन्म में गधा था और मैंने अपनी बायोग्राफी में बोला हुआ है अगर गधा ना होता तो मानव ना बनता जड़ से चेतन और परम चेतन की यात्रा के पड़ाव के भीतर सब आ जाता है मैं कुत्ता भी था हसा मत करो मैं सवर प मल भक्ष भी बहुत किया गधा भी था बाहर भी बहुत ढोया बोजा बहुत ढोया क्या करें फ्रॉम अनकॉन्शियस टू सुपरकॉन्शियस एक यात्रा है अनुवार इसमें से गुजरना पड़ा और मुझे तो पता ना लगता शायद अगर मैं उस पद्धति को ना जानता मैंने कुछ वर्ष इधर भी गुजारे हैं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक कलिंग पॉइंट होता है चिपक जाता है किसी व्यक्ति को मान सम्मान नहीं चाहिए उसे धन चाहिए वो कहते धन सब कुछ है धन से सब खरीद लूंगा किसी व्यक्ति को धन नहीं चाहिए उसे हुसन चाहिए वह कहते धन कुछ भी नहीं हुसन वालों के चरणों में धन लौटता है कोई कहता नहीं नहीं बल चाहिए बहु बल से सब जीता जा सकता है हुसन भी जीता जा सकता है धन भी पैदा किया जा सकता है कोई कहता राज बल चाहिए राज बल से सब मिल जाता है तुम जो चाहोगे मिल जाएगा कृष्ण कहते हैं सभी का एक लिप्त बिंदु है और कृष्ण ने महाभारत में यही किया उस लिप्त बिंदु का उसने उपयोग किया और सिर्फ कृष्ण जानते हैं इस पद्धति को आज तुम्हारे समक्ष खोल रहा हूं शायद कभी किसी ने ना खोला हो यह राज तुम्हारे आगे आज खोल रहा हूं यह राज जो कृष्ण ने अपनाया और जो संतों ने नहीं बताया प्रत्येक व्यक्ति का एक लिप्त बिंदु है जिस ढंग से एक व्यक्ति मारा गया वह उसका लू पोल था जिस ढंग से दूसरा व्यक्ति मारा गया वह उसका लूप होल था दूसरे शब्दों में लिप्त को लू बोल कहते हैं और प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक लिप्त बिंदु होता है कर्ण मारे जाते हैं कर्ण के भीतर प्रेम है कर्ण बड़े प्यारे व्यक्ति कुंती का पहला पुत्र कंवारी का बेटा कर्ण कुंती कंवारी थी तो कर्ण पैदा हुआ है सूरज नाम के किसी व्यक्ति के साथ उसका संबंध हो गया और व गरपति हो गई उस सूरज से नहीं वह सूरज तो आ जाएगा तो तुम्हारी धरती ना बचेगी 130 गुना बड़ा है धरती से ध्यान रखना यह पागलपन में मत पढना इसलिए मैं कहता हूं पुराणों को आग लगा दो सूरज नाम का कोई व्यक्ति था उसका पूरा विवरण चाहिए तो मैं बता दूंगा लेकिन अभी वक्त नहीं है इतना फिर तो वीडियो खत्म होने को आ गई आधी वीडियो तो होगई वह संपर्क में आया कुंती के कुंती उसको दिल हार भाई और कर्ण उत्पन्न हुआ समाज में प्रता तब भी यही थी आज भी यही है कंवारी का बच्चा पैदा हुआ उसने कहा मारना तो नहीं उसने एक सिंदूक में बंद किया सेफ लकड़ी में और बहा दिया नदी में वो हाथ लग गया सूत के उनके औलाद नहीं थी उन्होंने बच्चा पाला बड़ा खुश हुए सूत पुत्र कहलाए समाज की व्यवस्थाएं कई बार वो होती हैं कई बार बदल जाती हैं लेकिन एक बात तो मैं बता दू यह सदा के लिए सत्य इसको दिमाग में भेज में रख लेना समाज की मान्यताओं को एक तरफ रख देना अपने जीवन के बारे में जब सोचने लगो भेड़ों की तरह मैं मैं करते हुए एक दूसरे के पीछे मत जानो जब तुम्हा जीवन का सवाल हो तो समाज की मान्यताओं को एक तरफ रख देना मैंने क्या कहा जब तुम्हारे जीवन का सवाल हो पूर्ण जिंदगी के जीवन मरण का खुशी गमी का सवाल हो तब समाज की व्यवस्था को एक तरफ रख देना इस शब्द को गांठ बांध लेना क्योंकि समाज में रहने वाले समाजिक प्राणी हो हम समाज में तो रहते हैं लेकिन समाज से पार रहते हैं समाज में नहीं रहते तुहे पता भी नहीं चलता मन की कोलाहल के बीच मन के कोलाहल से पार ये शायद तुम्हें समझना है संत सदा कोलाहल के बीच रहता है और कोलाहल से पार रहता है कोलाहल को देखता हुआ रहता है कोलाहल के बीच में उलझता नहीं होने देता है कुलाल को और दूर बना रहता है निर्लिप्त भाव से उसी की बात मैं कर रहा हूं लिप्त बिंदु होता है प्र व्यक्ति का कर्ण को प्यार नहीं मिला मां का प्यार ही जिसने ना पाया हो जन्म होते ही जिसे त्याग दिया गया हो मां का ममत्व भी ना मिला हो वह इसी चीज से ही लूटा जाएगा राजनीतिक व्यक्ति सारे दिन बैठ के इसी बात का हिसाब लगाते हैं कौन व्यक्ति कैसे लूटा जाएगा कौन खरीदा जाएगा कौन भैसे अपनी तरफ आएगा गंगा स्नान करेगा किसको डॉलर दिखाएंगे फिर आएगा किसको दंड दे देने की व्यवस्था करेंगे फिर आएगा किसी को दंड का वैद खाएंगे तो आएगा बहुत पहले चानक के बोलने से बहुत पहले कृष्ण ये नीतियां अपना चुके थे सही पूछो तो इसके आगाज कृता कृष्ण और चाणक्य कोई प्रबुद्ध व्यक्ति नहीं थे चालक थे कृष्ण प्रबुद्ध थे भगवान जो व्यक्ति तुम्हारी सोच से परे हो जाता है जो तुम्हारी समझ में नहीं आता तुम हाथ जोड़ लेते हो उसकी पूजा करनी शुरू कर देते हो एमल कां ने कहा है जो व्यक्ति तुम्हारी समझ से परे हो जाए या तो वह पशु है या देवता ठीक है उसकी बात जो समझ में नहीं आता व जा तो पशु है पशु का व्यवहार समझ में नहीं आएगा वह दुलती मारेगा या प्रेम करेगा काटेगा या टेगा या देवता है वह भी तुम्हारी समझ से पार हो जाएगा तो जब अचानक ने ये नीति घड़ी निश्चित व कृष्ण को पढ़ के कृष्ण को देख के उसने नीतियां घड़ी होंगी कैसे कृष्ण ने महाभारत जीता अकेले कृष्ण तुम कहते हो सभी लड़े नहीं लड़े कोई नहीं लड़ा सिर्फ कृष्ण लड़ और एक कृष्ण हो और दूसरे तब सारे संसार हो कृष्ण जीतेगा दुनिया हार जाएगी कृष्ण सर्वज्ञ है सर्वव्यापी भी हैं सर्व शक्तिमान भी है कृष्ण को कोई नहीं हरा सकता प्रत्येक व्यक्ति का एक लिप्त बिंदु होता है देखिए आज का प्रवचन बड़ा गहरा भी है सरल कर कर के बोल रहा बीच बीच में कुछ उदाहरण इसीलिए देता हूं कि तुम्हें समझ ठीक से आ जाए लिप्त बिंदु होता है प्रत्येक व्यक्ति का और भगवान कृष्ण यही लिप्त बिंदुओं का उपयोग किया कर्ण मारा नहीं जाता था कवच था कुंडल थे सूर्य का दिया हुआ कवच सूर्य भगवान का नहीं गलती मत खा जाना एक बलवान व्यक्ति था उसकी कहानी किसी वक्त फिर बताऊंगा तुम्हे उसने कवच दिया था उसका वरदान था कि उसका जो बच्चा पैदा होगा वह कवच से पैदा होगा और कुंडल से पैदा होगा तो वो जानता था इसे प्यार नहीं मिला मां का कबार का बच्चा है कृष्ण जानते थे कुंती पुत्र है बुआ का बेटा है कुंती बुआ थी कृष्ण एक अर्थ में भाई था उसका और जब न मौके पर कर्ण की जरूरत पड़ी विषम गए द्रोण गए कर्ण की जरूरत पड़ी उससे बाद कोई और महारथ बचा ही नहीं था सिर्फ दुर्योधन थे तो कृष्ण ने कर्म को नर्वस कर दिया यह कह के कृष्ण ने सिर्फ नर्वस किया कृष्ण की एक नीति दुश्मन को जीतना तो नर्वस करता और ध्यान रखना कृष्ण जो नीति को खेलते हैं वो उस नीति को खेलते हैं कृष्ण खुद नर्वस कभी नहीं होते कृष्ण जानते हैं कि इस व्यक्ति की यह रग है इससे यह नर्वस हो जाएगा लेकिन तुम कहोगे फिर तो कृष्ण का भी कोई लूप बोल होगा नहीं कृष्ण का कोई लूप बोल जो उस तल पर पहुंच गया उसका कोई लिप्त बिंदु नहीं होता क्योंकि वो सब तरह से लिप्त को पार कर जाता है सब चिप काहट खत्म हो जाती हैं उसकी वह पूर्णत निर्लिप्त हो जाता है उसका कोई लो बोल नहीं होता वह किसी तरह से जीता जा ही नहीं सकता इट इ इंपॉसिबल टू डिफीट उसको हराना असंभव है क्योंकि उसकी कोई लिप्त नहीं बच वह सभी भाति से निर्लिप्त हो गया अलेपा सर्व व्यापी सदा अलेपा तोहे संग समाय गुरु अर्जुन देव के य वचन काहे रे वन खोजन जाए सर्वव्यापी सदा अलीपा जो निर्लिप्त हो गया फिर उसके ऊपर कोई नीति काम नहीं आएगी सब तुम्हारी राजनीति फेर हो जाए तुम्हारी चौसर बचाने वाले सब कृष्ण के आगे फेर जरास था कंस था कितने बली थे कितने समझदार थे कितने कितने इनको वरदान मिले हुए थे जरा संत मारा ही नहीं जाता था अगर कृष्ण ना होता क्योंकि जब उसको मारा जाता काटा जाता बीच में से दो फांक हो जाते फिर वो मिल जाता लेकिन कृष्ण समझे कि जैसे ये मिलता है इनके टुकड़ों को अलग-अलग फेंक दो कैसे मिलेंगे बाएं को दाएं फेंक दो दाएं को बाएं फेंक दो मिलेंगे कैसे वह कभी जुड़ ही नहीं पाएगा कृष्ण पकड़ गए बात को और आखिर में कृष्ण की प्रतिभा ही काम कितने कितने बली थे जरा संत की दो बेटियां कंस के साथ वही थी और कृष्ण की मामिया थी जरासंध की बेटियां थी इसलिए जरासंध को क्रोध है कि मेरा जमाता मार दिया इसने ये थी कहानी प्रत्येक व्यक्ति का एक लिप्त बिंदु होता है और उस लिप्त बिंदु को कोई दिमाग की खोज नहीं है यह छठी इंद्रिय जिसकी जा गई वह देखते ही पहचान जाएगा यह व्यक्ति कैसे कौन सा लिप्त बिंदु है इसका कैसे कब आएगा जान जाएगा कृष्ण के लिए कुछ भी असंभव नहीं है जान बशर्ते को वो कृष्ण के तल पर पहुंच गया हो निर्लिप्त हो गया हो सभी लिप्त ताए उसने तोड़ती हूं चिप काहट सभी तोड़ती हूं वह अकेला हो गया हो तुम अकेले होने से डरते हो मुझे रोज मैसेज आते हैं मैं अकेला हूं मैं अकेली हूं मेरी मां मर गई मेरा बाप मर गया मरे वर्षों बीत गए लिप्त नहीं खत्म हुई और जब तक लिप्त खत्म नहीं होगी तब तक खुशी नहीं मिलेगी मेरे पास ऐसे अजूबे अजूबे मैसेज आ जाते हैं जिनको सुनकर मेरे होश फक्त हो जाते हैं व्यक्ति की लिप्त कहां तक काम करती है व्यक्ति की लिप्त से व्यक्ति का तल बचाना जाता है एक बिटिया नाम तो नहीं बताऊंगा उसका मैसेज मेरे पास आता है बाबा मेरी माता का ख्याल रखना चार वर्ष पहले मर गए कमाल है जो मर गया जो चला गया उसे भूल जा जो चला गया उसे भूल जा वो ना सुन सकेगा तेरी सदा जो चला गया उसे भूल जा ख्याल रखो क्या ख्याल रख अपने कर्मों के हिसाब से उसे जन्म मिल जाएगा प्रकृति ख्याल रख लेगी उसके मैं क्या ख्याल रखूं मेरी प्रकृति सफिशिएंट वह सही काम करेगी उसमें किसी प्रकार की कोई रिश्वत नहीं होती मैं क्या ख्याल रखूं उसका लेकिन क्या करूं मुझे पता है लिप्त का के हाथों यह बिटिया मजबूर है ऐसे कमेंट्स बहुत लोगों के होते हैं मेरा पिता चला गया उसका ख्याल रखलो उसको अच्छी जगह जन्म दे देना मेरी माता चलेगी उसका ख्याल रखना अच्छी जगह जन्म देते एक मजे की बात बताऊ वैसे मेरी बातें तुम्हें लगेंगी गोड़ गोड़ ही लगती है होती यह मैं ईमानदारी से कहता हूं मेरे भाई की मृत्यु हुई इंडियाना स्टेट में हार्ट के डॉक्टर थे बड़े सुपरिंटेंडेंट चीफ थे वहां के करोना काल में उनकी मृत्यु हो गई 2021 में 2023 में व मेरे पास आए जीवन में भी जदा कदा आते रहते थे 1970 में वह अमेरिका में गए और सारे परिवार को साथ ले गए 2023 में मेरे पास आए मैंने कहा तुम रमेश हां भाई यहां फिर रहा है हां कोई गर्भ उपलब्ध नहीं हुआ अंधों को रंगों की बात सदा ही कपोर लगती है इस बात को हृदय में फसा लेना अंधों को रंगों की बात गपो लगती है रंग नहीं होते उसे ये नहीं पता कि आंख नहीं है मेरे पास रंग नहीं होते और पक्का है सही है वह सत्य है झूठा नहीं उसके लिए रंग वाक ही नहीं होते अंधों के लिए रंग कहां होते है मुझे रोज आ जाते हैं कमेंट बाबा इतना गोड़ तो कृपा किया करो मत बोला करो मैंने कहा भाई थोड़ा सा कम बोलता हूं देखो तुम इतने प्रभावित भी मत होया करो और अगर ज्यादा प्रभावित होते हो हम तो बाबा रोने लग जाते हैं तो फिर मत रोया करो ना मत सुना करो और क्या कर सकता हूं मैं तो इतना ही कर सकता हूं बाबा सुने बिना भी नहीं रहा जाता क्या करूं तुम्हारी आवाज इतनी प्यारी है जब तुम बोलते हो तो फूल जरते हैं हवाएं ठहर जाती हैं पंछी चहचहाना बंद कर देते हैं मोर नाचना बंद कर देते हैं फूल ठहर जाते हैं अपनी खुशबुओं को लेक तो इसमें मेरा क्या कसूर है मैं क्या करूं देखिए मैं क्या विश्वास दू आपको आंखें तो दे नहीं सकता रंग होते नहीं यह तुम्हारी कल्पना है मेरे लिए सत्य है क्योंकि मेरे पास आके जब तुम्हें मिल जाएंगी तो तुम भी कहोगे ठीक कहता था बाबा चला गया बेचारा अच्छा होता था यही कहोगे और क्या क भाई कहने लगा मुझे प्रकृति ने गर्भ उपलब्ध नहीं कराया तो मैंने कहा तुम्हें गर्भ उपलब्ध करवा दूं करवा दो भाई मैंने उसे गर्भ उपलब्ध करवा दिया बड़ी शालीन आत्मा बड़ी शालीन आत्मा क्या बताऊं तुम्हें अब वो है नहीं तब मैं अज्ञानी था दिल चाहता है सामने हो तो उसके चरण चम इतना प्यारा व्यक्ति और इतना परोपकारी व्यक्ति मैंने जीन में अपने जीन में अपने परिवारों में नहीं धरती पर तो बहुत से ग तो मैंने उसे एक जगह प्रतिष्ठित कर दिया एक परिवार में लेकिन देखिए गर्भपात हो गया सातवें महीने में व बच्चा ठहर नहीं सका जब वो फिर मेरे सामने आया मैंने कहा भाई मैंने तुझे प्रतिष्ठित करा दिया था कते भाई वो मेरे तेज को सहन नहीं कर सके झूठे लोग हैं ऐसे घर के अंदर मुझे पुनः प्रतिष्ठित म कर देना व्यक्ति वगैरह का नाम गोपनी कैसे दुष्ट परिवार में जन्म दे दिया मैं भूल गया था मैंने कहा वेल एब्लिश ठीक सब कुछ है यही कर दे तब से मैं इंतजार में हूं कोई ठीक गर्व मिले मुझे समझाया कि इस व्यक्ति को यह तो बड़ा शालीन है बड़ा शालीन गर्भ चाहि बुद्ध आज तक जन्म नहीं ले पाए और शायद कुछ सैकड़ों वर्ष और भी लग जाए और शायद अभी जन्म ना ले पाए क्योंकि दुनिया दिन बदन हल्के गर्भ प कर बुध ठहर जाए जिनम वो गर्भ पैदा नहीं कर औरत शराब पीने लगी नशा करने लगी हैं सभी व्यसन करने लगी हैं औरतें और मनुष्य भी करने लगे हैं क्या किया जाए गर्भ कमजोर हो रहे हैं और तुम आज ही चाहते हो कि आज गर्भ के अंदर
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