क्या दुनिया का अंत हो जाएगा? ध्यान के सर्वशक्तिमान तल! Meditation Juncture Point





कुछ भी नहीं करना पड़ेगा य टू डू नथिंग ध्यान में बैठ जाओ और भीतर की गहराई में पहुंचते चले जाओ पहुंचते चले जाओ वक्त लग सकता है लेकिन जब पहुंच होगे तब ऑ राहे दिखेंगी परम पूज्य बाबा जी को मेरा प्रणाम कई दिनों से मेरे मन में एक प्रश्न घूम रहा है सोचा कि आपसे पूछ लू मुझे य पर एक वीडियो मिला जिसमें भविष्य मलिका किताब में क्या लिखा है वह बताया गया था उसमें बताया गया है कि 2025 की शुरुआत में जैसे ही शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा वैसे ही दुनिया का अंत होना शुरू हो जाएगा और अधिकांश मानवता समाप्त हो जाएगी पूरी दुनिया की आबादी में से 40 लाख लोग ही बचेंगे मन बड़ी दुविधा में है जब दुनिया समाप्त ही हो जाएगी फिर कर्म करने में मन नहीं लगता है कृपया मार्ग दर्शन करें भविष्य मलका में क्या लिखा है क्या नहीं लिखा है इस बात के ऊपर ज्यादा कोर मत करें लोग कहते हैं जमाना बदलता है अक्सर मर्द वे हैं जो जमाने को बदल देते जब दुनिया का अंत होगा हो जाएगा अभी से तुम चिंता क्यों लेने लगे तुम तुम्हारे राहो पर चलते रहो दुनिया रहेगी तो जी लेना दुनिया मिट जाएगी तो मर जाना हरजा भी क्या है मैंने अपने एक प्रश् में 2023 24 की विष वाण की थी लेकिन कोई भविष्यवाणियां सत्य है ऐसा हम नहीं क सते क्योंकि मैंने अपने एक पिछले प्रवचन में आपसे कहा था कि अहिल्या पत्थर की शिला से अहिल्या कब बन जाएगी यह भगवान राम आएंगे त्रेता योग में और भगवान राम जब छुए अपने पांव से इस शिला को तो यह अहिल्या पुनः जागृत होकर स्त्री बन जाएगी अहिल्या क्या हुआ निश्चित था बिल्कुल निश्चित था सतयुग के बाद द्वापर फिर त्रेता फिर कलयुग एक चक्र है लेकिन सतानंद वाजिद हो गया और सतानंद को समझाया किसी संत ने कि तुम उस मुकाम पर चले जाओ यद्यपि वोह मुकाम कहने में बड़ा सरल है मैंने बहुत बार बोला है उस जंक्चर पॉइंट पर पहुंच जाओ लेकिन तुम उलझने को तैयार हो उलझाने वाली बातें तुम्हें बड़ा मुग्ध करती सुलझाने वाली बातें तुम्हारी समझ में आती नहीं तो किसी संत ने उसे कह दिया कि उस जंक्चर पॉइंट पर चले जाओ उस जंक्चर पॉइंट पर पहुंचकर थोड़ा सा नीचे जाओगे तो तुम सर्व शक्तिमान हो जाओगे और देखिए यह काबिलियत प्रत्येक मानव में है जिसने मनुष्य शरीर धारण कर लिया है गौर से समझ लेना जिसने मनुष्य शरीर धारण कर लिया है वह प्रत्येक व्यक्ति में यह काबिलियत है इसलिए मनुष्य शरीर का इतना महत्व है अन्यथा कोई कारण मनुष्य जितने पाप करता है मनुष्य जितने विनाश करता है बेवजह से खिलवाड़ में अब हिटलर ने इतने व्यक्ति गैस चेंबर्स में बूंद दिए किसी ने उसका क्या बिगाड़ा था जुनून था और यह जुनून बहुत शुरू से चलता रहा है और यह जुनून आज भी है परमात्मा इंसान की तरह व्यक्ति को जन्म देता है लेकिन वह इंसान रहने को तैयार नहीं वह हिंदू मुसलमान सिख ईसाई यहूदी पारसी यह हो जाना चाहता है और मैं आपसे एक बात कहता हूं लिख लिख लो जब तक धर्म को इस प्लेनेट तुम खत्म नहीं करते जो व्यक्ति कहता है मैं इंसान नहीं मैं हिंदू जो व्यक्ति कहता है मैं इंसान नहीं मुसलमान सिख हूं ईसाई हूं पादरी पर कानूनन उसको दंडित किया जाए अभी तो तुम धर्म के नाम पर पूजा करते हो तो धर्मांध लोग पैदा होते हैं धर्म को एक कानूनी अपराध जब तक मान्यता तुम घोषित नहीं करोगे तब तक ऐसे पागल दुनिया में जन्मते रहेंगे और दुनिया का विनाश करते कितनी लड़ाइयां हुई धर्म के नाम पर इस पथ और कितने स्वार्थ साधे गए धर्म के नाम पर इस पृथ्वी दो टके का व्यक्ति नहीं होता पागल होता है मूर्ख होता है और धर्म के नाम के ऊपर राज गति में बैठ जाता है क्या मजाक सतानंद उस मुकाम पर पहुंचा गौतम ऋषि ने अपने ही धर्म पत्नी को बेकसूर धर्म पत्नी को श्राप दे दिया कि जा तू शिला बत हो जा और उस उस का पुत्र सतन उपाय सोच रहा था कि अब क्या किया जाए तो किसी संत ने समझाया सतयुग का अर्थ जब संत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और द्वापर कार्थ जब संत थोड़े रह आधे रह गए और त्रेता जब संत और भी आधे रह गए और कलयुग जब संत अपनी कोठड़ी के भीतर बैठे नजर ही नहीं आ पांडा लगाए बैठे हैं नकली प्रचार कर रहे हैं परमात्मा के नाम के ऊपर और और चीजों को पानी की लालसा रखते हैं व्यापार कर रहे हैं पला संत कभी व्यापार करता है जो व्यापार करे वोह संत नहीं संत व्यापार नहीं करता और संत व्यापार करेगा तो गड मड हो जाएगा बाबा नानक ने व्यापार किया और मोदी खाने के ऊपर एक दिन पिनक लग गई और तोड़ जा रहे हैं तगड़ी से एक दो तीन चार पाच 12 1 रा उलज गए तेरा मेरा क्या है मेरा कुछ नहीं तेरा वो दिख गई असलियत वो टूट गए भ्रम सतोली की पहली बार घटना घटी संत व्यापार ऐसा गड मट करेगा संत व्यापार नहीं कर सकता कबीर के पास कोई आ जाते हैं ऐसा कर यह राजा की बेटी की शादी है यह कंबल पहले से बुन दे यह चादर पहले से बुन दे तो कबीर कहते देखो भाई जो जैसे जैसे आया है वैसे-वैसे उसका क तुम कहीं और से बना लो कबीर जी यह राजा का फरमान है तो कबीर कहते हैं किसी का भी फरमान मेरे पास जैसे जैसे ग्राहक आए वैसे वैसे मैं उनका काम करूंगा यहां राजा के फरमान सुनाने की जरूरत नहीं है मैंने कोई अपराध नहीं किया है तो फिर वो साम दन दंड भेद फिर दान करते हैं मेहनत आना दुगना ले लेना 10 गुना ले लेना अति आवश्यक है लेकिन कबीर क काबू में आते हैं तुम समझौता करो तुम पुरस्कार दो तुम कीमत ज्यादा दो तुम दंड का भय दिखाओ लो दिखाओ कबीर जैसे लोग काबू में आने को नहीं और यहां तो तुम्हारे आज के महात्मा तुम्हें योग के नाम पर तुम्हारा वियोग करवा देते हैं परमात्मा से कहकर आते हैं योग परमात्मा से जोड़ दूंगा लुत्फ उठाओगे अन्यथा शरीर को टेढ़े मेढे करने की आवश्यकता भी क्या कभी मुर्गे बन गए कभी मछली बन गए मत स्यास कभी हर आसन उत्तान पादासन क शर शासन आदमी हो अरे पाव के बाल खड़े हो भीतर की आयो को हिलाना उसने सब परफेक्ट जन्म दिया है यह सरकस अगर करोगे तो चलेगा लेकिन आपके गुरु आते हैं योगाचार्य बनकर और कहते हैं कि ऐसा बोथा बांधा करो यह देखो खुल होता है यहां से वायु गुजरती है हमारे शरीर में प्रति सेकंड के भीतर प्रति जगह रोम है छोटे छोटे रोम कूप उनमें से हवा गुजरती है शरीर के लिए बड़ी लाभकारी और वही व्यक्ति वक्त पाते हैं थोड़े ज्यादा लोग सुनने शुरू हो जाते हैं तो फिर वोह वही जीन बेचना शुरू कर देता है फटी हुई जीन बड़े सदगुरु आते हैं महाकाल का डर दिखला हैं महाशिवरात्रि के ऊपर पूजन करवाते हैं घंटे बजवा हैं और फिर व्यापार करना शुरू कर देते हैं ऑनलाइन अपने बिजनेस बेचने शुरू कर देते हैं लेकिन कबीर ऐसा नहीं करते कबीर कहते हैं भैया देखो मैं पूछ लेता हूं इसके बाद जिसका नंबर है अगर वो कह देगा कि चलेगा पहले राजा का काम कर तो मैं कर दूंगा अन्यथा तुम जाकर पूछो इतना कष्ट में भी मैं अपने मस्ती में बैठा हूं भजन गुनगुना रहा हूं तुम्हारा क्या लेता जैसा पहले आए वैसा पहले काम हो जाएगा कबीर को कोई लो और तुम चाहते हो तो हो कबीरी तुम चाहते तो हो फकीरी लेकिन तुम फकीरी वो चाहते हो जिसके भीतर राजशाही की खुशबू आए गरीबी की फकीरी तुम नहीं चाहते तुम फकीरी चाहते हो अमीरी की और तुम उलज जाते हो तो उस तल पर पहुंचे सतानंद जिसका मैं अक्सर जिक्र किया तुम्हारी बाहर की इच्छाओं को वासनाओं को तृष्णा को कल्पनाओं को तुम्हारे स्वपनों को तुम्हारी भीतरी कल्पनाओं को मूर्त रूप देने के लिए दो आयाम है बाहर का आयाम और भीतर का आयाम तुम बाहर के आयाम पर भी चल सकते हो वहां तो भेड़ों का झुंड चल रहा है कंपटीशन ही कंपटीशन तो भेड़ों के झुंड के साथ लग जाओ तुम भी कंपटीशन करो वो दौड़ रहे हैं तुम भी दौड़ने लग जाओ और उनसे आगे बाजी मार लो तेज तेज ड़ तो तुम्हारी वासना तुम्हारी इच्छाएं तुम्हारे लालसा तुम्हारे प्रलोभन तुम्हारी कल्पनाएं पूरी होंगी एक तो बाहर से वह तो सारा संसार कर रहा है अब कलयुग है समझाने वाले बचे नहीं यह आवश्यक भी है क्योंकि धर्म के एक पाव रह गया है सतयुग में चार पाव द्वापर में दो पांव तीन पांव त्रेता में दो पांव और फिर कलयुग में एक पाव यह सब आपके शास्त्रों में लिखा हुआ है इसकी एक्सप्लेनेशन करनी शुरू मत कर देना बस सिर्फ यह समझ लेना कि धर्म लगातार लूज हो रहा है धर्म यानी स्वयं को पाने की कला जैसे जैसे युग पलटे बदलेगा अपने आप को पाने की इच्छा अपने आप को पाने की कवायत कम होती जाएगी बस यही मतलब था शास्त्रों में कहने का व धर्म का एक पांव रह जाता है कलयुग में बस कोई कोई बिरला गुरु तेग बहादुर किसी झोपड़ी के भीतर अकेले बैठे ब कोई कबीर ना कछु लेना ना कछु देना कबीरा मगन कबीरी तुम भी ऐसे ही कबीरी चाहते हो लेकिन मुश्किला तब पैदा होती है जब तुम कहते हो यह कभी अमीरी के साथ आनी चाहिए यह दुविधा उत्पन्न कर लेते हो तो तुम्हारे सदगुरु कहते हैं कि पहले अमीर अमीर होकर फिर कबीर और जो व्यक्ति ऐसी बात सोचेगा व तुम्हें उल्लू बना रहा है क्योंकि जहां सीधे सधे छलांग लग सकती है वहां मोड़ घोड़ करने का फायदा क्यों उलझा रहे हैं यह लोग कोई निहित स्वार्थ है इन लोगों का और वह निहित स्वार्थ क्या है यह स्वय को पाए नहीं और तुम्हें चाहते नहीं कि तुम स्वय को पाओ तो ये प्रत्येक आए हुए व्यक्ति को अपना ग्राहक समझते हैं तुम जल्दी करो यह बाना पहन लो और यह लो मैं शक्ति पात कर देता हूं यहीं बैठ जाओ ऐसे व्यापारियों की दुनिया कलयुग में पैदा होगी सच्चा संत मार्गदर्शक कहीं कहीं मिलेगा इसलिए धर्म का एक पाम होगा उस वक्त सतयुग था चार पा थे सहज सुलभ थे मार्गदर्शक कोई शिवर का आयोजन है कोई फीस नहीं कोई एंट्री फीस नहीं बस आपने प्रश्न किया अड़चन बताई और उन्होंने तरीका बताया तो सतानंद उस मुकाम पर पहुंच गए उस जंक्चर पॉइंट प तो उस जंक्चर पॉइंट पर बहुत रास्ते हैं मैंने आपको पहले भी बताया बहुत सी सड़कें फटती हैं वहां से बहुत से मार्ग निकलते हैं वहां से कोई गिनती नहीं है उनकी असंख्य रास्ते हैं अगर उन सभी रास्तों को आप छोड़ दोगे थोड़ा सा नीचे आ जाओगे वहां पर आप जो सोचोगे वह हो जाएगा तुम्हें प्रयास करने की आवश्यकता नहीं नि प्रयास अप्रसार व्हाट एवर यू डिमांड देख मैं थोड़ा सा जोर से बोला ये श तुम जो चाहते हो वह तुम्हें वहां से मिल सकता है संसार में जो चाहते हो वह नहीं मिल सकता तुम चाहते हो मैं जज बन जाऊ बन जाओ लेकिन डॉक्टर तो नहीं बन सकोगे नहीं बन स तुम चाहते हो मैं डॉक्टर बन जाऊ बन जाओ इंजीनियर तो नहीं बन सकोगे नहीं बन सके तुम चाहते हो मैं इंजीनियर बन जाऊ तुम प्राइम मिनिस्टर तो नहीं बन सकोगे नहीं बन सक तुम चाहते हो मैं पीएम बन जाऊ और पीएम बनकर आनंद से रहू शांति पूर्वक रहू हो सकेगा नहीं पीएम बनकर तो हजार बोझ बढ़ जाए रोज आप को घेरने के प्रयास होंगे देखो आज क्या कुछ नहीं हो रहा कोई कहता ईवीएम हटाओ कोई कहता मोदी कोई हटाओ कितने झंझट बड़ा सेठ होने में कितने झंझट है सेट होकर देखना फिर पता चलेगा आज जामनगर की रिफाइनरी के भीतर हड़ताल हो गई उससे निपट हो जाग यह फंक्शन तो बाद में निपटा ले अगर यह रिफाइनरी बंद होगी तो मुश्किल हो जाएगा संत जितना मगन होता है घोड़े बेच के सोता है तुम्हारा पीएम तुम्हारी नजरों में बड़ा है परमात्मा की नजरों में बड़ा नहीं परमात्मा की नजरों में वो बड़ा जिसकी छाए मिट गई तुम्हारी नजरों में तुम्हारे सेठ बड़े सारी धरती का एक नंबर खजाना किसके पास इसके पास लेकिन परमात्मा की नजर में व बड़ा नहीं परमात्मा से बड़ा कौन हो सकता है वह तो सबका मालिक है उसकी धरती पर ही तो आपने सभी फैक्ट्री लगाई यहीं से सब लिया और यहीं छोड़ जाओगे तो आप समझते हो कि फला सुखी है लेकिन सुखी नहीं होता सच में पूछो तो सुखी एक ही व्यक्ति होता है आपको सत्य बतला रहा उमा कह मैं अनुभव अपना उमा कह मैं अनुभव अपना सत हरि भजन जगत सब स एक ही व्यक्ति सुखी होता है जिसने अपना आप उस प्रभु के हाथ में सप दिया बस अब तू चला और यह कहता कब है जब देख लेता है कि चलाने वाला तो पहले भी वही है जब वह देख लेता है बाबा नानक कि उसका ही है तो फिर कोई भी किसी तरह की आपत्ति नहीं होती तेरा कहने में लेकिन ध्यान रखना यह 13 जो भीतर से आता है यह कुछ देखने के पश्चात आता है तुम्हारा तेरा बिना देखे आता है नानक का तेरा कुछ देखने के बाद आता है नानक देखते हैं आंख ऊपर उठाते हैं अरे यह तो खेल ही सारा मालिक का है यह तो रचना ही सारी उसकी है मेरा यहां कुछ वहां से स्वर प्रस्फुटित होते हैं तेरा तेरा तेरा कहते तो तुम भी होते लेकिन वो नकली होता है वो दिखावटी होता है वो बनावटी होता है बाबा नानक को भरोसा हो जाता है और मैंने पहले भी कहा भरोसा सुनी सुनाई बात से नहीं होता लिखा लिखी की है नहीं देखा देखी बात देखने से होता है आंखें बड़ी बहुमूल्य है दर्शन बड़ा बहु है जब तक दर्शन नहीं होगा तब तक तुम सच्चाई को देख ना पाओगे और जब तक सच्चाई को देख ना पाओगे फिर चाहे सुन लो फिर चाहे छू लो फिर चाहे सारी इंद्रियों से उसको जांच परख लो लेकिन जब तक तुमने आंखों से नहीं देखा तब तक शंका बनी रहेगी लाख तुम्हारे जीवन में चमत्कार होंगे लेकिन तुम उनको कोइंसिडेंट कह के टालते रहो इट्स मेर कोइंसिडेंट हो गया होगा लेकिन इट्स नट रूल यह अपवाद है तो बाबा नानक सच में देख लेते हैं उसका ही है मैं तो व्यर्थ में अपने आप को फसाए बैठा हूं तो भीतर से उद्घोष निकलता है तेरा तेरा तेरा और यह बनावटी नहीं होता यह दिखावटी नहीं होता सच्चा भीतर से उठा हुआ उद्घोष होता है उदगार आते हैं भीतर से ज कृतम नहीं होते यह वास्तविक होते हैं सतानंद उस जगह पहुंच गए अब ये बड़े उलट बुलट मसले और मनुष्य चाहता है कि मैं समझ जाऊं मेरे पास रोज ऐसे व्यक्तियों के प्रश्न आ जाते हैं रोज प्रश्न आ जाते हैं और मैं उनके कोई जवाब नहीं देता क्योंकि इनके जवाब है क्योंकि उनके प्रश्नों में एक मूल बात होती है कि हमें समझाओ क्या समझाओ कि गागर में सागर समाए का तो मैं चुप हो जाता क्योंकि गागर में सागर समा ही नहीं सकता इसलिए मेरा बोलना व्यर्थ है तो मैं उनका कोई प्रश्न का जवाब नहीं देता और फिर वह भद्र पुरुष जिद करते हैं मुझे गालिया घलिया भी निकाल देते हैं पुलेट पुलेट बोल देते हैं फिर बोलना क्यों शुरू किया फिर प्रश्नों का जवाब मेरा प्रश्न तो जवाब दे नहीं सकते मैं कुछ नहीं कहता मैं जानता हूं प्रश्न व्यर्थ है पला तुम भी देखो गागर में कभी सागर सुमाया तो यह उसको नहीं सोचना चाहिए जो प्रश्न करता है तो फिर जब उलट पुलट बोलना शुरू कर देता है तो मैं उसको ब्लॉक कर देता हूं तो ब्लॉक करने का अर्थ सिर्फ ये है कि वह ऐसे मूर्खता पूर्ण प्रसन्न करे सुनने का अधिकार तो मैं छीन नहीं सकता सुने मजे से सुने लेकिन जैसे मैंने पिछले प्रवचन में कहा कि अंधा है ज हरे को पीला भी कह दे तो कह देगा और मैं कहां तक साबित करूंगा इसको अंधे को कभी रंगों के बारे में साबित किया जा सकता है अंधों को समझाऊ कैसे नहीं ये हरा नहीं है यह नीला नीला नहीं पीला है सफेद है काला है समझा सकता है कोई नहीं समझाया जा सकता क्यों क्योंकि बेसिक बुनिया उसमें प्रतिभा नहीं है यंत्र नहीं है जिससे रंगों को पहचान सके कौन सा यंत्र आंखें नहीं तो प्रश्न पूछ लेते हैं और गालियां भी निकाल देते हैं और ऐसे ही चलता रहता है और बस मैं उनके कमेंट करने के अधिकार को छीन लेता बस तुम सुनते जाओ तुम्हारे प्रश्न ऐसे ही बेहदे होंगे जब तक तुम आंखें ना पालो जिस दिन तुम्हें आंख मिल गई उस दिन तुम पछताओ गए मैंने तो व्यर्थ में गाली मैंने तो व्यर्थ मेंही क्रोध किया मैंने तो व्यर्थ में ही अपने खुद के तंतु जलाए मैंने व्यर्थ में ही रातों को परेशानी झेली बाद में पता चलेगा तो सतानंद उस स्थान पर पहुंचते हैं जहां से बदला जा सकता है सब कुछ इसलिए मैं कहता हूं बुध जहां पर ठहर गए और उससे आगे जहां उन्होंने कहा कि 14 प्रश्नों के जवाब मैं नहीं दूंगा बस वह इसीलिए क आगे समझ से बाहर हो जाती है बात और तुम जिद करोगे कि समझाओ हे बुद्ध देवता जी समझाओ और बुद्ध बाखू भी जानते हैं कि नहीं समझाया जा सकता तुम्हारे आज के साइंटिस्ट तक कह देते हैं इ नट ओनली अननोन बटल्स अनन एबल तो बुद्ध नहीं जानते होंगे वह ना जाना जाता है और जब जाना नहीं जाता तो समझाया कैसे जाता है इसलिए बुद्ध ने कहा देखिए इन 14 प्रश्नों का जवाब मुझसे मत मांगिए सबसे पहला तो इलाज आपका कीजिए अगर आपके पांव पर या हाथ पर या किसी जगह कैंसर है और आप बुद्ध से कहे जाके कि मुझे बताओ कि मैं शरीर नहीं मेरे शरीर के कैंसर है मुझे यह समझाओ कि मैं शरीर कैसे नहीं हूं तो बुध थोड़ा सा सहज चलते हैं बुध कहते पहले तुम इस कैंसर का इलाज करो बाद में सीख लेना निश्चित रूप से इंद्रिया तुम नहीं हो लेकिन यह जो कष्ट कारी दिन है कैंसर तो बहुत लंबे चलेगा और तुम पता नहीं कब समझोगे कब नहीं समझोगे थोड़ा सा कैंसर का इलाज करलो बद्ध समझता है तुम्हारे पेट में दर्द होता है तुम डॉक्टर से कहते मुझे समझाओ के पेट में नहीं इसलिए दर्द मुझे नहीं हो रहा पेट को हो रहा है और पेट पेट में हूं नहीं तो डॉक्टर कहेगा देखो भाई पहले तुम दर्द से छुटकारा तो पालो वह तो बड़ी लंबी प्रोसेस है वह तो पता नहीं तुम्हें कब कब पता चलेगा तुम पहले इस तसती से निजात तो पाओ इस दर्द से छुटकारा तो पाओ तो बुद्ध अपनी जगह बिल्कुल ठीक है और बुध यह भी जानते हैं कि इससे आगे भी कुछ मुकाम है राहतें और भी है फसल की राहत के सिवा और भी दुख हैं जमाने में मोहब्बत के सवा वो तो अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन बुध किस्तों में आपका इलाज करते हैं बुध कहते हैं एक पड़ पहले तुम दुखी हो इस दुख का इलाज कर जीवन दुख है रोग से ग्रस्त त्रस्त किसी ने तुम्हारी भावनाओं को आहत कर दिया किसने तुम्हारे विचारों को तोड़ दिया किसने तुम्हारे शरीर के शरीर के ऊपर आघात कर दिया य तुम पहले इस समस्या का इलाज कर लो दूसरी समस्या बाद में देखेंगे अभी बात मत करो तो बुध अपनी जगह ठीक है बुध का ये अपना फार्मूला है ढंग बड़ा प्यारा है चलो किस तो में इलाज कर लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आगे कोई दुनिया नहीं आगे दुनिया है कबीर बोले नानक बोले जिसके हाथ में सौप दिया नानक ने उसको देखा ही होगा ना जिसके हाथ में सौंप दिया मीरा ने कबीर ने उसको देखा ही होगा उसकी कोई लाश लश्क कोई वेव कोई तरंग कुछ देखी होगी कुछ लश्क देखी होगी बिजली की रात को लस्क कंदी होगी अंधेरे में अमावस्या की रात में भरे काले मेघों के बीच और कुछ नजर नहीं आता होगा आपको और जैसे ही वह बिजली के लसक कोधी आपको अगला रास्ता साफ दिखाई पड़ गया आपने वह रास्ता देख लिया आपको पक्का पता चल गया कि रास्ता है बस इसे ही कहते हैं सतु ऐसा नहीं है कि बुद्ध सतो नहीं मिली थी बिल्कुल सतो के बिना समाधि होती लेकिन बुद्ध किस्तों में इलाज करते हैं जैसे डॉक्टर आपसे कहे कि देखो भाई यह शरीर तुम नहीं हो ये बाद का मसला है एट द प्रेजेंट मोमेंट तुम्हारी तकलीफ है पेट दर्द उसका इलाज कर लो मैं आपको एनल जेसिक दे देता एंटी स्मोक दे देता मैं ड्रॉट बरन दे देता हूं मैं ट्रेडल दे देता हूं मैं इंजेक्शन दे देता उससे तुम दर्द से निजात बचाओगे फिर बाद में देखेंगे यह शरीर में हूं के नहीं बुध का अपना फार्मूला और बड़ा सुंदर फार्मूला लेकिन कबीर का अपना फार्मूला कबीर कहते जड़ से उखाड़ जो चस चस कर रहा है कैंसर का फोड़ा वो पाव वो पेट व ऑर्गन वह शरीर का कोई भी यंत्र तुम नहीं वे झटक देते हैं आपको एक झटके से झटक देते हैं आपकी मान्यता को बुद्ध थोड़े सहज बस इतना सा फर्क है तो सतानंद उस स्थान पर पहुंच गए अब बड़े मजे की बात इसीलिए बहुत से लोगों ने इस संसार को एक रंग मंच कहा भूल गए वह सब नियमों को कायदे कानूनों को प्रकृति के नियमों को सब चीजों को भूल गए वह कहने लगे यह कुछ भी नहीं यह परमात्मा का खेल है अ खेले खेल खिलाड़ी आपे खेलन हारा ह सब खेल भी खुद है खिलाड़ी भी खुद है जिसके साथ खेल रहा वह भी खुद है वही वो है रंग मंच भी उसका एक्टर भी वो जो मरता वो भी वो जो मारता वो भी वो दुश्मन भी वो मित्र भी जिन लोगों ने बहुत गहरे में जाकर देखा उन्होंने यही पाया कि यह संसार एक रंग मंच है एक स्टेज है उस इस रंग मंच के ऊपर अभिनेता अभिनेत्रियां आती हैं बलेन आते हैं अपना कार्यकाल पूरा करते हैं रोल निभाते हैं और चले जाते हैं तो जिन्होंने बहुत गहराई से चीज देखी उन्होंने यह शब्द कहा आपने सुना भी होगा पढ़ा भी होगा तो वहां जाकर बदला जा सकता है सब कुछ मैं ये पढ़ लिखकर शास्त्रों से नहीं बोल रहा मैं यह जानता हूं वहां जाकर सब बदला जा सकता है व कहने लगे कि होगा तो चलो जब भगवान राम आए लेकिन यह तो पूरा का पूरा युग पड़ा है अब पहले द्वापर आएगा कृष्ण आए फिर त्रेता आएगा भगवान राम तब आए बड़ी मुश्किल हो जाएगी फिर अब क्या किया जाए फिर अब युग को ही पलट दिया जाए और वहां जाकर कोई भी चीज असंभव नहीं होती यहां जो तुम बोदिया बांधकर ऊपर रस्सी लटका के पढ़ते हो ना सारी सारी रात मेहनत करते हो कितने कम कशन में लड़ते हो कितने दुखद स्थितियों में होते हो और फिर भी तुम योग्य नहीं एलिजिबल नहीं हो पाते यह रास्ता बड़ा कठिन है संसार में आपको सुख मिलता नहीं क्योंकि सुख है य बिल्कुल ऐसे है जैसे रेगिस्तान में बालू को निचोड़ करर आप यह आशा रखो कि इनमें से तेल निकल जाएगा नहीं तेज तो तिलों में ही निकलेगा तो आप बाहर बधियो को बांध लेते हो मैं भी ऐसा ही करता था रात रात को जाना एक कुंडे में अपने बड़े बालों को बांध लेना रस्सी के साथ और रात को पढ़ना जब नींद आए तो गर्दन हिलोरा खा जाए और दर्द हो और जाग खुल जाए और पाते क्या हो कंपटीशन करके भी आज आप देखते हो रा राजस्थान कोटा के अंदर कितने बच्चों ने सुसाइड कर क्यों बच्चों को मार रहे हो यह कंपटीशन तुम्हारे प्यारे बच्चों को जिनको बुर्की बुर्की देकर पाला जिनका मल मूत्र आपने किया साफ सरती की सर्द रातों में बच्चे ने बिस्तर गीला कर दिया मां उस गीले बिस्तर की तरफ हो और बच्चे को सूखे वस्त्र को डला इस अवस्थाओं में बच्चे आपने पाले और वह बच्चे सिर्फ आपके एक पागलपन के कारण पंखे से लटक जाते हैं क्यों क्योंकि तुम उनके दिमाग पर बोझ बन जाते हो तुम जज नहीं बन सके तो तुमने कहा कोई बात नहीं मैं अपने अंश को जज बना द तुम आईपीएस ना बन सके तुम बड़े अफसर नहीं बन सके तो तुमने कहा कोई बात नहीं मेरे अधूरे सपने को मेरा बच्चा पूरा करेगा और तुम उनकी गर्दन दबा देते हो कि चलो कंपटीशन करो तोड़ो और देखो फर्स्ट आना पड़ेगा फर्स्ट आना पड़ेगा नहीं तो पिटाई होगी तो बच्चा क्या करे बच्चा फांस ले लेता है इधर खाई है इधर कुआ है पढ़ाई होती नहीं क्योंकि तुमसे ज्यादा होशियार बैठे और इधर घर वाले कहते हैं हम पिटाई करेंगे बच्चा क्या करता है एक आखिरी ऑप्शन है उसके पास सभी के पास आखरी ऑप्शन होता है जगू राम कहने लगा अपने बेटे रगू राम से अगर अबके भी तू तीसरी कक्षा में पास नहीं हुआ सात बार हो गए तो जगु राम बोला अगर रगू राम अबके भी त आठवी बार भी तीसरी कक्षा में पास नहीं हुआ तो तुम मुझे अपना बाप मत कहना मैं इतना दुखी हो गया हूं तर से तीसरी कक्षा में आठवा साल है ते अगर अबके भी पास ना हुआ तो उसके बाद मुझे अपना बाप मत कहना तो झगड़ो राम चुप हो क्या क के अपना काम थ र और रगू राम के पेपर भी हो गए और रिजल्ट भी आ गया तो पता चला कुछ दिन बाद पता चला दो चार दिन बाद जगड़ु राम को पता लगा कि रघु राम के रिजल्ट आ गए तो अरे रगू तने बताया नहीं तेरा रिजल्ट क्या है तो रगू राम बोला देख जगू तूने अपने को बाप कहने का अधिकार खो दिया है जगड़ु राम तूने अपने आपको बाप कहने का अधिकार खो दिया पास में अबके भी नहीं हुआ सतानंद पहुंचा उस स्थान पर संकल्प किया युग पलटा गया अब यहां सोचने वाली बात है युग के पलटने से कितने लोगों की घटनाएं परिवर्तित हो गई जो घटनाए पहले होनी थी बाद में हो जो घटनाए बाद में हो पहले हो जाए कितना अफरा तफरी मचा होगा कितनी घटनाओं का आदान प्रदान हुआ होगा जिन्होंने होना था दो बाद में और हो गई दो युग पहले तो बड़ी मुश्किल हो शत न भगवान राम भगवान राम आए पहले आए भगवान राम पहले आए त्रेता पहले आए द्वापर बाद में आए हालांकि दई पहले आता है त्री बाद में आता है वहां ऐसा है मैंने पहले भी कहा था बाबा नानक भी वहां जाकर आपको को समझाने की चेष्टा करते हैं जो मांगू ठाकुर अपने त सोई सोई देवे ये सिर्फ भजन मात्र नहीं यह एक सत्य है बाबा तुम्हें ताते हैं कि उस स्थान पर पहुंच जाओ क्यों चोटियों को बांधकर रात को पढ़ते हो क्यों दुखी होते हो वहां पहुंच जाओ जो अपने ठाकुर से मांगोगे वही कुछ मिल जाएगा वहां स्वर्ग है वहां बहुत आनंद है कुमारी की हवाएं मदहोश कर कर जाती और तुम झूम झूम उठते हो वहां सैलाब है आनंद का प्याले भरे पड़े तो बाबा कहते हैं क्यों होते और ऐसा नहीं कि बाबा तुम्हें कहते हैं कबीर तुम्हें कहते हैं नहीं वह खुद भी कहां पड़े कागद कलम छु नहीं और कहां नानक पड़े और उनके शब्दों के ऊपर आज तुम्हें पीएचडी का खिताब मिल रहा है तुम्हारी डिग्री कागज की आज पीएचडी की कबीर के दोहो पर हो रही बाबा की जपजी सा जो पढ़े नहीं थे तुम्हारी भाषा नहीं पड़े थे जो उस तल पर चले गए जहां सब कुछ किया जा सकता है एवरीथिंग इ पॉसिबल अगर कोई व्यक्ति नेपोलियन कहता है इंपॉसिबल वड इ नॉट फाउंड इन माय डिक्शनरी तो मैं मूर्ख है यह शब्द सही तो है लेकिन इस तल पर जाकर सही है जिस तल पर शतानंद पहुंच गए बाहर बैठे बैठे यह शब्द सही नहीं है बाहर तो पाग इसलिए नेपोलियन या नेपोलियन जैसे लोग जो कहते हैं इ पॉसिबल वर्ड इ नॉट फाउंड इन माय डिक्शनरी मैं हूं तो मुमकिन है मैं ना रहूंगा तो मुमकिन नहीं होगा संसार ठहर जाएगा यह मूर्त पूर्ण बात हां बदलता है मर्द वो है जो जमाने को बदल देते हैं लोग कहते हैं जमाना बदलता है अक्सर वो एक मुकाम है जहां पहुंच गए शतानंद आपके भीतर है ध्यान की पतल गहराइयों में वो जंक्चर पॉइंट मिलता है आसान तो नहीं है जितना आसानी से मैं बोल देता हूं आसान उतना कहां बहुत जन्मों से व्यक्ति भटकता है और यही मानव जीवन की विलक्षणता है इसी जीवन में मिलता है वोह जंक्चर पॉइंट और किसी पशु पक्षी में नहीं मिलता ना जलचर ना लचर ना बताया गया देवता भी तरसते हैं इस जामी के लिए क्यों क्योंकि इस जामी में उस तल पर पहुंचा जा सकता है सिर्फ इस जामी में उस तल पर पहुंचा जा सकता अब आप देखिए आप अपना की कितना कीमती वक्त खराब करे बाहर से क्या इकट्ठा करोगे अगर मांगना ही है तो विधर जा के मांग एक पंथ दो काज वहां ऑप्शन बड़ी हो फिर वहां जाकर आप जो चाहे मांग लो कोई ऑप्शन आपसे छिनता थोड़ी है व स्वर्ग मांग लो म क पुरुष भी है वहा धन मांग लो वहां विद्या मांग लो मान सम्मान गद्दिया मांग लो मा सुख चैन मांग लो मा जो चाहे मांग लो सब मिल जाए और इतने शकत भी नहीं करनी पड़ेगी कुछ भी नहीं करना पड़ेगा यू हैव टू डू नथिंग ध्यान में बैठ जाओ और भीतर की गहराई में पहुंचते चले जाओ पहुंचते चले जाओ वक्त लग सकता है लेकिन जब पहुंच होगे तब पाप ग फिर बड़े ऑप्शन होंगे राहे दिखेंगी फटती हुई सब तरफ से मार्ग दिखेंगे और आप जिस मार्ग को चाहो चुन लेना वहां भी मिल जाएगा लेकिन वो मुकाम का आपको पता नहीं और सच पूछो तो बाहर मुक्ति नहीं मिलती बाहर तो बंधन ही बंधन मिलते हैं रोज आप बंधनों को इकट्ठा कर लेते हो और अगर मुक्ति मिलती है तो भीतर मिलती है सचखंड भीतर सतलोक भीतर ब्रह्म लोक भीतर सब लोग भीतर ये बाहर बतला वाले सिर्फ आपको उलझा देते हैं इनको खुद ही पता नहीं होता तो उस तल पर सतानंद पहुंच गए और सतानंद ने जाकर संकल्प किया कि युगों को बदलते भगवान राम पहले आएंगे और कृष्ण बाद में आएंगे और ऐसा ही कितनी घटनाओं का असर पड़ा होगा कितनी घटनाएं जो पहले होनी थी बाद में होगी एक युग बाद में और कितनी घटनाएं जो बाद में होनी थी जो एक युग पहले अब इसीलिए तो शतानंद ने किया था कि एक युग पहले मेरी माता शेला से मां बन जाए अहिल्या गौतम के श्राप से मुक्त हो जाए और देखिए वो भी कैसे श्र होगा वह व्यक्ति अंतस की कितनी गहराइयों में पहुंच गया होगा जिसने इतना बड़ा कवाड़ा कर दिया प्रकृति जिस बात को मानने पर बाध्य है और पूरी बाध्य है और तोड़ना पड़ा जाकर सतानंद को उस स्थान पर गहराई की बात है इन बातों को तुम आचार्यों के पास जाकर सीखने की चेष्टा मत करें वो इनका भी अर्थ और से और निकाल लेंगे जैसे गीता का अष्टावक्र गीता का महागीता का उपनिषदों का अर्थ निकालते हैं यह तो बस इनके पास ऐसे ही शब्द हैं शब्दों की धार से खोपड़ी से जवाब दे देंगे और अनुभव के नाम पर इनके पास शून्य है तो वहां जाकर बदल दिया सब कुछ बदल दिया घटनाएं जो बाद में होने थी पहले जो पहले होने थी बाद में उलट पुलट हो गया ऐसा हो सकता है कौन जाने कौन बदल दे भविष्य मलिका की तुम्हारी इन बातो को घबराने की आवश्यकता क्या है फिर अगर होगा तो हो जाएगा तुम्हारे हाथ बस में क्या और अगर तुम पलटना चाहते हो तो मैं तुह बतला दिया उतरो उतरो अपने भीतर शायद दाव लग जाए तुम उस जंक्चर पॉइंट पर पहुंच जाओ फिर वहां जाकर चुनाव कर लेना फिर रास्ता ढूंढ लेना किस रास्ते जाना है हमने बहा बड़े ऑप्शन तो भविष्य मलका की बातों से डरो मत यह सत्य है मुझे भी बतलाया मुझे भी बतलाया गया था 20 अप्रैल 2138 अब यह तारीख भी बतला दी मैंने आपको बहुत बार मैंने आपको विवेचना भी की इसकी भविष्यवाणी में बोला इस तारीख से प्रलय शुरू हो जाएगा लेकिन अभी तो तो इसमें 100 वर्ष पड़े अभी इसमें 100 वर्ष पड़े हैं और आप कहते हो 2025 में कोई नहीं कह सकता कौन उस तल पर चला जाएगा और इसको बदल देगा या कोई उस स्थल पर नहीं पहुंचेगा यह ऐसे की ऐसे ही रह जाएंगे कोई नहीं कह सकता भविष्य अज्ञात के गर्भ में छुपा हुआ है और कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र है और प्रत्येक व्यक्ति क्षमता से युक्त है तुम्हें घबराने की कोई आवश्यकता नहीं तुम चाहो इसे बदल सकते हो उस जंक्चर पॉइंट पर उतर जाओ फिर तुम जाके फिर वहां पर सैकड़ों असंख्य मार्ग मिलेंगे तु मनपसंद का तुम मार्ग चुन लेना और कितनी घटनाएं उन पर असर पड़ता है इन चीजों का मैं आपको छोटी सी बात बताता हूं मेरे चैनल कंट्रोलर जो रोहित आज बता रहा हूं ये बीटेक की परीक्षा के अंदर फेल हो कभी कभी आते थे बाबा बीटेक की परीक्षा में फेल हो गया घर में इतनी अमीरी ना थी गरीब थी बा मुश्किल अब बापने पढ़ाया था और फेल हो गया मैंने कहा कोई बात नहीं तुम चिंता मत करो रिजल्ट घोषित हो गया था फेल हो गया दो सब्जेक्ट में फेल और बुरी तरह से फेल उस स्थान पर जाकर बात तो बिल्कुल छोटी सी थी घटनाओं को बदला और एक नया कानून आ गया इतने ग्रेस मार्क्स दे दो सभी को और सभी की मौज लग गई रोहित की भी मौज लग गई पास हो गया बीटेक की डिग्री मिल गई अगर फेर हो जाता शायद आगे पढ़ना मुश्किल हो जाता घर वालों ने यहां तक बड़ी मुश्किल से पढ़ाया तो व ग्रेस मार्क सिर्फ रोहित को नहीं मिले व बहुत से लोगों को मिले बहुत से लोग उससे लाभान्वित हुए इसलिए मैं कहता हूं यहां कोई कुछ स्टेबल नहीं है इस मसले में य होगा ही कोई भी व्यक्ति उस तल पर जा सकता है और कौन जाने कौन कहां बैठा कौन कहां बैठा क्या कर रहा है और यह सर्जना तो बहुत बड़ी है विराट इसकी अना गणना कुछ है ही अनंत अनंत अनंत केस मेरे पास आए इस उम्र तक मेरे पास हजारों ऐसे केस आए और मैंने उन्हें बदल दिया बदल मेरे लिए बाए हाथ का खेल था फिर मुझे बाबा ने समझाया कि ऐसा मत किया करो ऐसा करने से उथल पुथल पैदा हो जाएगा तो मैं रुक गया कोई कहता काजू मंगा दो यह लो कोई कहता शराब की बोतल मंगा लो यह लो अब जो श्याम मानव पर के कहते हैं एक करोड़ मिल जाएगा 10 करोड़ मिल जाएगा यहां आपको सैकड़ों हजारों लोग मिल जाएंगे जिन्होंने अनपेक्षित वक्त पर मुझसे अनपेक्षित वस्तु की मांग की और उन्होने मैं कहा ये अब कोई सोच सकता है पंजाब में 84 के अंदर कर्फ्यू लगा हुआ बाहर निकलने नहीं देते और हम मित्र गण बैठे हैं किसी स्कूल के ऊपर और कोई व्यक्ति मुझे कहता है कि आज सिध हो ऐसे करो शराब पीने का जी करते शराब ठेके बंद घर बाहर निकालने नहीं देते बाहर फौज खड़ी है हम सभी दोस्त एक दूसरे से छ पाते सही पूछो तो बाहर जो खड़े होते थे उनको हम चाय पानी पिलाते खाना राते ठंडा पानी पिलाते गर्मी का दिन था जून का महीना तो वो भी हमें आने जाने दे देते तो हम सारे इकट्ठे होक बैठ जाते कहता शराब दे दो मैंने क यह लो कहां से आई शराब शराब तो अच्छे भले आदमी को नहीं मिलती क्योंकि कर्फ्यू लगा हुआ है और ब और मैं शराब पीता कहां से आ बंद ढक्कन क्या हुआ मैंने कहा था तुम मांगो वहा हम राम राम करने के लिए बैठते थे और अचानक से उसने प्रश्न कर दिया और 20 प व्यक्ति बैठे हैं किसी ने कह दि लड्डू मंगा दो तीन किलो लड्डू आ गए मुझसे पूछने लगे मित्र कहां से आए मैंने कहा यह नाजर मल सतपाल दावड़ा स्वीट कॉर्नर से उन्होंने जाके तसल्ली अब तो वह स्वर्गवास हो गए सतपाल उनसे पूछा कि यहां पंडित जी आए थे विजय शर्मा हा आए कब आए थे बस थोड़ी देर पहले क्या लेकर गए लड्डू लेकर गए हैं न पैसे दे ग दे ग अब ये आपकी बातें समझ से बाहर हो जाएंगे श्याम मानव जैसे व्यक्ति ऐसे ही पैदा नहीं हो जाते हर चीज को खोपड़ी से समझने की चेष्टा कर और उनको बस इतनी बात नहीं पता कि यह विश्व इतना विराट है और वह रचिता इतना विराट है और इतना सम से पर है कि तुम उसका एक जर्र भी नहीं समझ सकते को बना कैसे तुम बात करते हो विराट को समझने की समझ नहीं सकते एक जर्र कैसे बना बना के दिखा दो बता दोगे इलेक्ट्रॉन प्रोटोन न्यूट्रॉन है लेकिन बना के दिखा दो यहां मुश्किल हो जाती है मेरे एक मित्र एक दिन मेरे पास कंपतेलुगू मेरा सब कुछ दस्त हो जाएगा जीवन दाव लग जाए मैंने कहा कोई बात नहीं तुम चिंता मत करो मेरे लिए खेल हुआ करता था जिन चीजों को तुम देखने के लिए एक बार तरसते हो यहां कितने ही लोगों ने कितनी कितनी बार देखे किसीने कह दिया मेरा मोटरसाइकिल गुम हो गया वहां से उठा लो फिर मोटरसाइकिल घूम होगा वहां से उठा लो बाबा सुबह नंबर क्या आएगा यह आएगा लगा लो खुली किताब थी खुला भंडारा और तुम एक बात के लिए तरसते हो और आज ये मूर्ख लोग बाबा भागेश्वर जैसे मैं जानता हूं उनके पास कुछ नहीं ये लोगों को मूर्ख बना रहे लेकिन मेरी इच्छा भीतर की कुछ पानी की नहीं अग किसी ने मेरे से शराब मांग ली किसी ने काजू बादाम मांग लिया किसी ने बुजिया मांग ली किसी ने दाल मांगली सर्दी के भीतर आइसक्रीम मांग लिया बिल्कुल ठंड य कौन मांगेगा आइसक्रीम फिर वहां बैठे बैठे क्या मैं इतना सामान साथ लेकर चलता कोई दुकान हूं क्या मैंने कहा ये का ऐसा होता है लेकिन यह उस तल पर जाकर होता है उस तल पर सब बदला भी जा सकता है उलट पुलट भी हो सकता है और किसी को पता भी ना चले तो भविष्य मल्लिका की ये चीज क्या लिखा है लिखा तो यह भी है मैंने पढ़ा है कि 20 अप्रैल 2100 36 में 38 या 36 मैं भूल गया हूं थोड़ यहां से शुरू हो जाएगा विनाश कोई स्टेरॉइड आके टकराएगा पृथ्वी के साथ और सब समा हो जाएगा बस कुछ करोड़ के बात ही बच तो इन बातों से घबराने की आवश्यकता नहीं क्योंकि एक बात साफ है कि कुछ भी मर जाए आप नहीं मरोगे आपकी होद नहीं मरेगी आपका स्वय नहीं मरेगा आप जो हो वह ना मरेगा बाहर का कुछ भी है वह भी ना मरेगा बस उसके प्रारूप बदल जाएंगे इतनी गर्मी उत्पन्न होगी कि पानी बाप बन जाएगा आग लग जाएगी सब तरफ वनों के वण बसम हो जाए वो दृश्य तुम देख ना पाओगे लेकिन मेरे देखे व अभी होने को नहीं लेकिन मैं इस बात की पुष्टि भी नहीं कर सकता क्योंकि सभी व्यक्ति योग्य है आप भी योग्य है आप बदल सकते हैं अगर कोई व्यक्ति स्वर्ग का निर्माण कर सकता है तो कोई स्वर्ग से गरा सकता है तो कोई उसको स्वर्ग में बीच में लमका भी सकता है लटके रहो यह कहानियां है सिर्फ बताने के लिए इनके अर्थ बड़े गह कि तुम जो चाहो कर सकते हो और ये बहुत बड़ी प्रेरणा आपके



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