आनंद कुमार कमली सड़ी फकीर द हस्या ताड़ी मार चंगा य भी ले गया मोत पार इसका गहरा अर्थ समझाने के कृपा करें बाबा आज प्रश्न बहुत है छोटे छोटे कृष्ण गोपियों के साथ अंतरंग क्षणों में क्यों जाते हैं जबकि विराट आनंद उन्हीं का है बिल्कुल ऐसे जैसे तुम बच्चों के के साथ खेलते हो तोतली भाषा बोलते हो इसका अर्थ यह नहीं कि तुम भाषा में निष्णात नहीं हो तुम भाषा के पूर्ण निष्णात व्यक्ति हो लेकिन बच्चों के साथ तुम तोतली भाषा का इस्तेमाल करते हो खेलते हो बच्चों के साथ बच्चों की तरह खेलते हो बिल्कुल ऐसे ही कृष्ण गोपियों के
साथ या रानियों के साथ या नरकासुर से छुड़ाई गई स्त्रियों के साथ अंतरंग क्षणों में जाते हैं क्यों जाते हैं कृष्ण जब विराट अस्तित्व का आनंद उनके पास है बस सिर्फ खेलते हैं इसलिए उनके जीवन को लीला कहा उन्होंने खेला बच्चों की तरह खेला बच्चों के पास जाकर तोतली भाषा बोला इसका अर्थ यह नहीं कि वह भाषा जानते नहीं थे उनसे ज्यादा भाषा कौन जानता था कमली सड़ी फकीर द हस्या ताड़ी मार चंगा य भी ले गया मो उ तो पार फकीर की कमली को आग लग गई जो सर्दियों में उड़ा करते हैं फकीर एक काली कमली वाले उसको आग लग गई तो ताली बजाकर हसने
लगा खिलखिला नहीं लगा बोलता है अच्छा हुआ यह भी कंधों के ऊपर का भार कम हो गया बड़ी दूर का इशारा है इनको संत रहस्य कहते हैं आज का सूत्र भी हम लेंगे पर्दा हटा के रहस्य में चले जाओ शिव सूत्र न का 13 ब 11 पर्दा हटा के रहस्य में चले जाओ गहरी बातें होती हैं शांत लहो में सुना करो बुद्धि सी पकड़ से परे होते हैं इसलिए बिल्कुल जब फारिग हो जाओ सभी कामों से तो प्रवचनों को सुना करो पर्दा हटा के रहस्य में चले जाओ य पर्दा किसका हटाना है और रहस्य क्या है घूंघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे घूंघट के पट खोल रे तो है पिया मिलेंगे
पर्दा है घूंघट और घूंघट है बुद्धि और पिया है व रहस्य जिसकी शिव बात करते हैं पर्दा हटा दे रहस्य में चला जा हरस बड़ा मीठा है रहस्य रस से भरा पड़ा है वोह रस जिसकी एक बूंद पाने के लिए आप सब कुछ न चावर करने को तैयार हो जाते हो मिटने का रस परवाने का शम में जल जाना भस्म हो जाना खाक हो जाना व एक का आनंद वही रस है लेकिन बुद्धि इसे पागलों का खेल कहे ग और मजे की बात है रहस्य में आप रोज जाते हो और मजे की बात है रहस्य में जाने के लिए आप सारे दिन प्रयास करते हो लेकिन आज तक जान नहीं पाए क्या हम सारे दिन काम क्यों करते
हैं फ्रॉड कहते हैं कि व्यक्ति सारे दिन काम करता है सेक्स के अर्थ करता घूमता है सारे दिन और एक बात तो मैं और याद करा दू थोड़ा उल्टा पड़ेगा लेकिन समझना समझ में आएगा जो कम जितनी मेहनती होगी उतनी कामक भी होगी फिर सुनना इस बात को जो कौम जितनी मेहनती होगी उतनी कामक भी होगी अब य रेशो कहां से बढ़ा क्योंकि उस काम के क्षण के एक आनंद को उठाने के लिए सारे दिन प्रयास करना पड़ता है चाइना आज बहुत ऊंची तल पर पहुंच गया उसका कारण चाइनीज बड़े सेक्सी होते हैं छोटे छोटे गिटको से चारचार बोरिया उठा लेते हैं सरक के ऊपर
सेवट सारे दिन जीत तोड़ के काम करते हैं तुम देखना कभी चाइनीज को काम करते और क्यों करते हैं सेक्स के करता अंतरंग क्षणों में जाएंगे यह लोग रात सारे दिन जी तोड़ के काम करेंगे हिंदुस्तान में कुटियां में बैठे हुए लोग जितनी कोम ब्रह्मचर्य में उतरेगी वैसे ही कोम ब्रह्म की तरह निष्क्रिय हो जाएगी निर्लिप्त हो जाएगी ब्रह्मचर्य का अर्थ ब्रह्म जैसा आचरण और ब्रह्म जैसा आचरण का मतलब निर्लिप्त निर्लेप लिप्त नहीं होता और काम काम वासना एक लिप्त है इसलिए यह सन्यासी ये ऋषि मुन एकांत में बीहड़ जंगलों में कुटिया डाल के अपने अंतस में उतर के उस रहस्य को
पीते रहते हैं मेहनत नहीं कर सकते मेहनत होती है सिर्फ कामी आदमी से मेरे इन शब्दों को गोल्डन वर्ड्स में लिख लेना अकेले जाकर सुनना तुम्हें समझ आएगी कि मैं कहां से क्या बोल रहा हूं भीड़ भाड़ में तुम्हें समझ नहीं आएगी हिंदुस्तान क्यों पिछड़ गया इन ऋषियों मुनियों की अक्रमण के कारण और अक्रमण आई ब्रह्मचार्य के कारण ब्रह्मचर्य तुम्हें उस रहस्य में पहुंचा देता है इसलिए पतंजलि ने ब्रह्मचर्य को रहस्य तक पहुंचने का एक अनिवार्य अंग बताया सत्य अहिंसा अस्ते ब्रह्मचर्य अपरिग्रह सत में जीना हिंसा नहीं करना चोरी नहीं
करना ब्रह्म जैसा आचरण करना या निर्लिप्त रहना निर्लिप्त रहना यानी चिपकना नहीं किसी के साथ नॉन आइडेंटिफिकेशन यह प्रोपोर्शनली इक्वल चीजों को समझने जो कोम जितनी ज्यादा बाह की तरफ उन्मुख होगी बहर मुखी होगी वह उतनी ही कर्मठ होगी हार तोड़ के काम करेगी और वह उतने ही कामक होग वह एक पल एक क्षण का आनंद उनसे हाड तोड़ काम करवाएगा कारण भारत में बाहर की रिसर्च नहीं हो सकी जिस मुल्क ने बाहर की रिसर्च की वह जापान हो वह अमेरिका हो व चाइना हो उसका मूल उद्गम है सेक्स बस उसका एक पल ध्यान से समझना बात को अंतरंग क्षणों में मिला हुआ एक पल आनंद
का तुम इतने ज्यादा बहर मुखी हो जाते हो कि फिर से उस आनंद को उठाएंगे और सारे दिन कर्म मता से हाड़ तोड़ मेहनत करते हो इसलिए जितने यह जीडीपी वगैरह बड़ी इतने देशों की सभी कर्मठ हो गए और सभी कामक हो यह सभी सभ्यताएं परम कामुक सभ्यता यह सीधी सी प्रोपोर्शनेट बात याद रखना जो कम जितनी ज्यादा ब्रह्मचर्य की तरफ आकर्षित होगी उतनी ही ज्यादा निष्क्रियता में आ जाएगी और जितनी ज्यादा निष्क्रियता में आ जाएगी उतनी ज्यादा सब्र में आ जाएगी जितनी सब्र में आ जाएगी उतना ही अमृत पिएंग प्याले भर भर के अमृत पिए दोनों तरफ अमृत है बहर मुखी हो गए तो भी
अमृत है अंतरमुखी होगे तो भी अमृत है लेकिन बहर मुखी होने वाला अमृत तुम्हें हाड तोड़ मेहनत करनी होगी और वह अमृत का क्षण तुम्हें मिलेगा एक पल जिसको तुम बढ़ाने की चेष्टा करोगे और वह उस पल को बढ़ने की चेष्टा तोहे कर्मठ बना देगी तुम्हे रिसर्च करने पर वद कर देगी तुम साइंटिस्ट हो जाओगे तुम बहर मुखी हो जाओगे तुम दिन में सपने देखने लगोगे कैसे मंगल ग्रह पर पहुंचे तो जितनी खोजें की गई जितनी तरक्की हुई बहर बाहर की चीजों की वो उन्हीं कमों ने की जो कवट थे बाहर से काम कर रहे थे सक्रिय थे लेकिन उनके पास उस रहस्य का एक पल ही
था अब इसको मिलाने की चेष्टा करते जाना मैं भी चलूंगा आप भी संग संग चल बहर मुखी हुए लोग कर्मठ हो गए उन्होंने बाहर से मेहनत की और बाहर से मेहनत करेंगे रिसर्च करेंगे तो एटम खोज लिया गया इलेक्ट्रॉन प्रोटोन न्यूट्रॉन खोज लिया गया मौलिक खोज लिए गए मैटर खोज लिया गया जहाज बना दिए गए राकट बना दिए गए आज चंद्रमा पर पाम रखा कल मंगल पर रख देंगे परसों किसी और पर रख देंगे बहर मुखी लोगों का ऐसा ही चलता रहेगा और एक दिन हार जाए क्यों क्योंकि इसकी इस मिल्की वेव गैलेक्सी में भी इतने अरबों तारे हैं किसकिस पर जाओगे आप जिंदगी बड़ी छोटी
है बाहर मुखी होने से तुम्हारे पास एक ऑप्शन बचती है उस रहस्य में जाने की वह है काम और उस रहस्य में जाने की एक ऑप्शन है और एक ही बूंद है परल भर के लिए एक क्षण भर का वो आनंद का दर्शन तुम्हें इतना तरोताजा कर जाता है कि तुम अगले दिन ज्यादा कर्मठ हुए उठते हो फिर दूसरे दिन उस बूंद को पिएंगे ऐसे ही जिंदगी बीत जाती है सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यूं ही तमाम होती होती है तो ऐसी कौम जिन्ह भीतर के उस रस के महा तल का पता नहीं था जिस रस की एक बूंद के लिए वह सारा दिन हाड तोड़ मेहनत करते हैं उन्हें उस तल का नहीं पता जो आनंद से भरा पड़ा
है उन्हें पता ही नहीं है मार्गदर्शन ही नहीं किया इसलिए पश्चिम में अंतस तक जाने के लिए बहुत कम लोग हुए और भरा पड़ा है पूर्व पूर्व की एक ईंट उठाएंगे एक अप प्रबुद्ध व्यक्ति मिलेगा मैं अतीत की बात कर रहा हूं आज की पूर्व को खजाना पता लग गया पूर्व के हाथ एक कुंजी लग गई उस कुंजी से खजाना खुल गया और बस वो ठहर गया जो एक पल के लिए ठहरता था बहर मुखी व्यक्ति सारा दिन हा तोड़ मेहनत करके उसे एक रस की बूद मिलती थी और पूर्व के हाथ वो के जाना लग गया वह है समुद्र रस का आनंद का तो जब पूर्व ने उस रस की एक बूंद पी ली तो उसका र रवा निहाल हो
गया तो ध्यान रखना जिसको उस समुद्र का आनंद मिल गया हो वह ज्यादा क्रियाशील नहीं होगा क्योंकि वह ठहर गया उसका मन उसे सताता नहीं भगाता नहीं दौड़ता नहीं क्योंकि उस मिल गया जिससे सबर हो जाता है तृप्ति हो जाती है और प्रचुर मात्रा में मिल गया उसने डुबकी लगाई और वह समुद्र ही हो गया इसलिए वह भटका नहीं बाहर तो बाहर की जितनी खोजें हुई वो पूर्व में नहीं हुई भीतर की जितनी खोजें हुई वो पश्चिम में नहीं हुई भीतर रोज डूबता चला गया पूर्व और बाहर रोज निकलता चला गया पश्च एक बात को ध्यान से समझ लेना बुद्धि को पकड़े पकड़े
लोग रहस्य की बातें करने वालों को सुन नहीं सकते मेरे श्रोताओं में बहुत कम लोग हो गया तुम देखना क्यों क्योंकि रहस्य की बातें बुद्धि को गपो लगते हैं झूठ लगते हैं रहस्य की बातें इतनी गहरी हैं उतनी जाकर जो मजा मिलता है वहां और बुद्धि की समझ में नहीं आता अंतरंग क्षणों में बुद्धि एक पल के लिए ठहरती है और आपको उस एक पल का आनंद सारे दिन नहीं भूलता सारा दिन का व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है तो नहीं बोल इंद्रियां काम करनी छोड़ देती हैं लेकिन उस रस की याद बनी रहती है और उसे क्योंकि फार्मूला एक ही पता है मार्ग एक ही पता है
दूसरा मार्ग से प इसलिए वह कोशिश करता है कि जवान बना रहूं सदा क्योंकि जवानी है तो संयंत्र काम करते रहेंगे और वह रोज एक बत चकता रहेगा यह थी पश्चिम की परंपरा पश्चिम यहां ठहर के आ एक बूंद रोज बड़े मेहनती होंगे लोग वह कौम बड़ी मेहनती होगी वहां की जीडीपी ग्रोथ बहुत होगी ऊंची ऊंची मंजिलें बनाई जाएंगी नई नई टेक्नोलॉजी खोजी जाएंगी आज एआई का निर्माण हुआ अमेरिका ने एआई किया चाइना ने एआई का बाप खड़ा कर दिया यह सब बहर मुखी लोग हैं बाहर जाने के लिए तुम्हें सहूल दे देंगे पुस्तकों का अनुवाद कैसे करना है एक भाषा को दूसरा कैसे तब्दील करना है तुम
बोलोगे छप के आ जाएगा रोज नई टेक्नोलॉजी का विस्तार होता ही चला जाएगा बाहर लेकिन भीतर वाला क्या कहता है बाहर वाला रस की बातें सुन नहीं सकेगा क्यों उसका कारण के बुद्धि कहेगी यह सब झूठ है मार्कस मान ही नहीं पाएंगे कि परमात्मा है मान तो बुद्धि नहीं पाई मार्कस तो बहुत दूर की बात है समाधि को उपलब्ध हो गए लेकिन पहुंच नहीं पाए उनकी करुणा उन्हें संसार में खींच लाई इतना ही काफी है व्यक्ति दुखी है और मैं उसका दुख हरण करू एक इल्यूजन टूट गया मैं लोगों को बता दू जिस कारण से तुम दुखी हो जिस कारण से तुम दर्द में हो जिस कारण से तुम चिंतन
मनन में चिंता की आग में जल रहे हो वह कारण मिल गया बुत को और कारण मिलते ही बुध उठ गए बुध ने कहा आगे नहीं क्योंकि मानवता जिंदगी दुख है बुध का यह सार तत्व है बुध कहते हैं जीवन दुख है निश्चित ही जो व्यक्ति कहता है जीवन दुख है वह दुख को हटाने के उपाय करेगा और बुध को जब यह सूत्र मिल गया कि तुम कौन हो तुम शरीर नहीं हो मन नहीं हो बुद्ध फौरन उठ गया बुद्ध के साथ वही आर्के मेडिस वाली हुई यूरेका यूरेका मिल गया मिल गया आगे जाने की ना चेष्ठ की बुध ने ही उनकी इच्छा थी जीवन दुख है इसी से प्रभावित होकर व आए थे हर व्यक्ति मरता है इसी चीज ने झोड़ा
था और इसी चीज ने उन्हें घर छोड़ने कपिल वस्तु छोड़ने सिंघासन छोड़ने को प्रेरित किया था उन्होंने साधना की अपने अंतस में उतरे और जान लिया कि मैं कौन हूं लेकिन बात यहां आके खत्म नहीं होते समझ लेना बात को रस होता है रहस्य है भीतर जाने के लिए खोपड़ी का पर्दा हटाना पड़ता है बुद्धि का पर्दा हटाना पड़ता है बुद्ध ने भी बुद्धि का पर्दा हटाया क्योंकि पर्दा हटाने के बिना बुद्धि के पार जाया नहीं जाता इस कचड़े को तो एक तरफ रखना ही होगा तो बुद्ध ने भी इस एक तरफ रखा तभी भीतर पहुंचे अन्यता नहीं पहुंच सकते लेकिन बात यह है कि बुद्ध जिस नियत
से गए थे कि जीवन दुख है उसका समाधान मिल गया इसीलिए वहां जाकर जो स्थिति उपलब्ध होती है उसे कहते हैं समाधि समाधान मिल गया बुध को समाधान क्या मिल गया ना तो मैं दुखी होता हूं ना मैं चिंतित होता हूं ना मेरे दर्द होता है क्योंकि जो चिंता करता है जो जलता है जिस के दर्द होता है जो फिक्र के अंदर रात भर सो नहीं सकता वह मैं नहीं हूं यह बुद्ध को पता चल गया और बुध का मंतव्य हल हो गया और बुध उठ गया मात्र छ साल में ध उठ गए अब तो मैं यहां थोड़ी सी बात बता दू जो जो उस तल तक भी नहीं पहुंचे वोह पूछेंगे बुद्ध कैसे
पहुंचे बुध किसी विपसिना वगैरा के द्वारा नहीं पहुंचे विपसिना वगैरा की विधियां तो उन्होंने ईजाद की उससे पहले वह जानते भी नहीं थे बुध पहुंचे विधियों को त्याग कर किसी विधि के द्वारा बुद्ध नहीं पहुंचे विधियां तो सब कंगाल थी बड़े गुरु बदले जैसा गुरु ने कहा अक्सर से पालन किया बुद्ध सही शिष्य है जिसे बाबा नानक सिख कहते हैं अक्षर से पारण किया जैसा गुरु ने कहा बुद्ध ने वैसा लेकिन वह नहीं मिला कुछ करने से नहीं मिला यह भी बाबा नानक कहते हैं इस शब्द को हृदय प लिक लेना जोर न जुगती छुटे संसार आपकी किसी भी युक्ति के भीतर आपको
मुक्त करने की ताकत नहीं कोई भी युक्ति राम राम हो राधे राधे हो 112 विधियां हो विज्ञान भैरव तंत्र की या कोई और हो जोर ना जुगती छूटे संसार और हैरानी की बात है कि सिख धर्म में जन्मे पले बढे हुए लोग आज नाम जप कर रहे हैं युक्तियों का पालन कर रहे हैं जबकि बाबा का सीधा सधा उपदेश कि कोई जुगत मत करो क्योंकि कोई युक्ति तुम्हें वहां पहुंचाती नहीं जोर न जुगती छुटे संसार कोई जुगत अपना के तुम संसार के बंधनों की बेड़ियों को काट नहीं सकते इसलिए कोई भी युक्ति करनी बंद कर दो रहस्य अमृत की बूंद है थोड़ा आज शॉर्ट में
समझाऊ और आप इस शॉर्ट को ही फैला के समझ लेना रहस्य अमृत की बूंद है और उस अमृत की बूंद तक जाने की एक ही उपाय है कोई तकनीक नहीं है तकनीक एक ही है क्या इस घूंघट के पट को हटा दो घूंघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे बुद्धि के पट को एक तरफ रख दो और बुद्धि तुम्हें हजार तर्क देगी बुद्धि कहेगी नहीं यह बकवास है इस संसार को अगर परमात्मा ने बनाया तो परमात्मा को किसने बनाया बुद्धि मांगती है जवाब लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि परमात्मा की ना में जवाब किसी चीज का तुम्हारे पास नहीं क्योंकि यू कैन इन्वेंट बट कैन नॉट
क्रिएट तुम खोज सकते हो बना नहीं सकते यही दुविधा है बुद्धि की बुद्धि खोज लेगी और छाती चोड़ी कर लेगी लेकिन बना नहीं सकेगी यहीं आके बुद्धि पट जाती है तो पूर्व की शरण में आना पड़ता है आज नहीं कल पश्चिम पूर्व की शरण में आ जाएगा थका हरा मादा एक एक बूंद एक एक बूंद कब तक एक दिन थक जाएगा जब देखेगा पूर्व को गटा गट पीते हुए उस रहस्य के अमृत को तो हत प्रभ रह जाएगी बुद्धि यह कैसे हुआ हम जिस बूंद के लिए लालायित सारे दिन हाट तोड़ मेहनत करते हैं े गटागट भी जाता है तो आज नहीं कल पश्चिम को पूर्व में आना पड़ेगा और पूर्व को ना खुदा ही मिला ना
बसाले सनम ना इधर के रहे उतर कर र पूर्व की भाग्य हीनता ये कि ऋषियों का दिया हुआ वोह अमृत बान का सूत्र तो भूल गए और बुद्धि को विकसित नहीं कर सके तो ना खुदा ही मिला ना बाहर की कोई रिसर्च होई है बस नामों के ऊपर झगड़ा करते र यहां किसी का कोई नाम नहीं है यह सब नाम आपने बनाए हैं जरा देखिए अपने मॉलिक्यूल की मैटर की खोज की मैटर में मॉलिक्यूल होता है मॉलिक्यूल में एटम होते हैं एटम में इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन होते हैं यह नाम किसने दिया इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन न्यूट्रॉन एटम मॉलिक्यूल यह नाम किसने दिया ये फॉर्मूलेशन किसने दिया h2o ए सी
ए यह कोई नाम परमात्मा ने नहीं दिया ये आपने अपने सुविधा के अनुसार बना लिया मान लिया कि अगर हम ए स लिख देंगे तो इसको नमक समझा जाए अगर h2o लिख दिए तो समझ लेना इसको पानी समझा जाए co2 लिख दिया तो कार्बन डाइऑक्साइड समझा जाए यह आपके आपसी समझने की बातें थी य नाम परमात्मा ने नहीं रखे ना इलेक्ट्रॉन का ना प्रोटोन को ना कार्बन डाइऑक्साइड का ना पानी का ना नमक का सभी नाम रखे आपने लेकिन मजे बात है विज्ञान के द्वारा रखे गए नामों पर आप कभी झगड़ा नहीं करते परमात्मा के नामों के ऊपर सिर कट जाते हैं बड़ी से बड़ी मूर्ता अध्यात्म के नाम पर नाम
है एक कहता है वह अल्लाह है दूसरा कहता है व गड है तीसरा कहता वह राम है चौथा कहता व राधा है बस इसी के ऊपर तुम लड़ मरे और किसी को कोई नहीं पता कि उसका नाम कोई होता ही नहीं अलख अनामी हम अलख ते हैं ना आप संतों को देख संत आपके दरबार पर आएगा भिक्षा मांगने के लिए वह कहेगा अरख रंजन अलख जो देखा ना जा सके अलख नरंजन जो आंखों से देखना चाहे अनाम उसका कोई नाम नहीं इतना पागलपन सिर्फ अध्यात्म के नाम पर ही है विज्ञान के नाम पर कोई पागलपन नहीं विज्ञान के नाम पर कोई नहीं कहता कि एट नहीं पानी है नहीं कहता इतनी समझ है
विज्ञान को में के ए2 पानी है नीर है जल है वहां कोई दुविधा नहीं वहां कोई सर नहीं कटते को खून नहीं बहता कोई पराए लाल आहोत नहीं होता कोई झगड़े नहीं होते धर्म के नाम पर कोई झगड़े नहीं होते क्यों क्योंकि वोह आपके बनाए हुए मोढो के बनाए हुए हैं इसलिए झगड़े होते हैं विज्ञान समझदार की बनाई हुई भाषा है नई नई उपजी है इसलिए कोई झगड़ा नहीं सर्वमान्य है h2o पानी भी है जल भी है वाटर भी है साइंटिफिक भाषा में ए2 है हिंदी में नीर है पानी है पंजाबी में जल है किसी और भाषा में कोई और किसी और भाषा में कोई और रहस्य अमृत
है इस सूत्र में हम आ जाए शिव कहते हैं पर्दा हटा दो रहस्य में चले जाओ यह रहस्य आपकी जरूरत है और पर हटाए बिना यह रहस्य का भेद खुलता नहीं रहस्य रहस्य ही रहता है और जब तक तुम्हें दिखेगा नहीं तुम उसकी खोज में जाओगे तुम बाहर ही भटकते रहोगे धरती पर इसीलिए आज इतनी असस सुणता है इतने झगड़े हैं इतनी ड़ है इतनी लड़ाइयां खून बह जाते हैं सहन शक्ति है नहीं कंधे से कंधा बिट जाए तो अदालत में चले जाते हो और वहां कोई ज्यादा समझदार लोग नहीं बैठे आप जैसे ही मूड है वहां अध्यात्म के मसले में वह कोई जानकार नहीं है संसार में कुछ शिक्षाएं उन्होंने ग्रहण
कर ली होगी कंपटीशन करके वह जीत गए होंगे और कुर्सी ले ली होगी लेकिन उस रहस्य के बारे में जरा भी नहीं जानते रहस्य के नाम पर गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा करने वाले सीजी आई आपको मिल जाएंगे और यह मूर्खों का काम है काल्पनिक वस्तुओं पर विश्वास करना वास्तविक चीजों को गप समझना बुद्धि का काम है जितना बुद्धिमान व्यक्ति होगा इस रहस्य जो शिव कहते हैं रहस्य में उतर जा बुद्धि रहस्य को गप समझेगी हमेशा इसलिए मार्कस हो चार वाक हो या कोई भी हो इस तरह का आचार्य हो यह अर्थों को बदल देते हैं है नास्तिक रहस्य की बूंद को इन्होंने पिया
नहीं अर्थ बदल देंगे और आपकी समझ में आ जाएगा क्यों खोपड़ी धारी हैं वोकैबलरी है शब्द ज्ञान बहुदा है डिक्शनरी भरी पड़ी है इनकी खोपड़ी में इसलिए बड़ी तरफ से आपको यह सम्मोहित कर देंगे लेकिन ध्यान रखना मैंने कल भी एक फार्मूला आपको बताया था पहचान जिसको सुनने से आप उसी तल पर ना पहुंच जाओ जहां कृष्ण बैठे तो समझले लेना वह व्यक्ति अज्ञानी है आपको मूर्ख बना रहा है जिसको सुनकर आप अपने अंतस को छू ले वह ज्ञान जिसकी बातें सदी हुई भी हू और समझ से पार भी हूं इसलिए संतों ने कहा बुद्धि को हटा दो एक पता है पिया को मिलना चाहते हो तो बुद्धि रूपी
घूंघट को हटा दो इस घूंघट को डाले रखोगे तो पिया नहीं मिलेंगे रहस्य नहीं मिलेगा रहस्य को नहीं देख पाओगे नहीं देख पाओगे तो चल नहीं पाओगे नहीं चल पाओगे तो चख नहीं पाओगे और चख नहीं पाओगे तो डूब नहीं पाओगे और मजा तो उसमें डूबने का ही आता है जिंदगी उस जीने का नाम है जो मस्ती से भरी पड़ी हो वो तो एक पल भी मिल जाए तो काफी और पूर्व ने तो उसे समुद्र भर भर के पिया और पश्चिम गागर लिए बैठा रहा पश्चिम को समझ नहीं आती के बुद्धि में यह परमात्मा रहस्य आता क्यों नहीं यह रस की बूंद बुद्धि में रहती क्यों नहीं भरता क्यों नहीं
है गागर में सागर समात क्यों नहीं यही मुड़ता तुम्हारी जिंदगी खत्म हो जाएगी तुम छोड़ ना पाओगे तुम इस बुद्धि से समझना चाहते हो तो बुद्धि से जितना समझाएगा उतना ही समझोगे लेकिन उसमें रस नहीं होगा और बिल्कुल ऐसा होगा जैसे फल तो हो उसमें रस ना हो फोक हो फोक बुद्धि कोशिश करती है के गागर में सागर समा जाए ऐसा होता नहीं ऐसा कभी हुआ नहीं और ऐसा कभी होगा नहीं आद सच जगादेवी इस बुद्धि में कभी रहस्य नहीं उतरेगा और इस गागर में कभी समुद्र नहीं समा पाएगा यह निश्चित है यह सत्य है तो अगर उस रस को पीना है उस रहस्य को
पीना है जो बाबा कहते हैं पर्दा हटा दे किसका बुद्धि का और उस रहस्य में उतर जा फिर देख फिर पी उस रस को फिर देख तमाशा मीरा घूंघट उठा देती है राजस्थान में एक गज का घूंघट चलता था मीरा घूंघट उठा देती है और नाचती है और लोग कहते हैं बड़ी बेशर्म औरत है तुम्हें नहीं पता तुम कहानियां सुन लेते हो लेकिन उसके जीरे पर क्या भीति होगी वो तुमने कभी सोचा नहीं और नाचती है उस आनंद में सुध बुध खो के नाचती है घूंघट का पर्दा हट जाए हटने देती है और भीतर से उस रस को पीकर उठती हुई तरंगों से जो नाच उत्पन्न होता है उसमें तल्लीन हो जाती
है पहली बात तो आप यह समझना कि बुद्धि रहस्य को गप कहती है इसलिए बुद्धि रहस्य की तरफ आकर्षित होती है बुद्धि अच्छी तरह से जानती है अगर मैंने रहस्य की यात्रा शुरू कर दी तो मैं समाप्त हो जाऊंगी रहस्य की यात्रा बुद्धि की मौत है बुद्धि का मरण रहस्य की यात्रा इसलिए बुद्धि कभी रहस्य की यात्रा पर निकलने नहीं देती बड़ी से बड़ी बाधा बुद्धि है तुम अपने बच्चे को बर्दाश्त कर सकते हो वैज्ञानिक ना बने आस ना करे आईटी ना करे आईम ना करे ना पढ़े कुछ ना करे लेकिन संत ना बने संत बने पड़ोसी का बच्चा संत बने पड़ोसी का बच्चा मेरा बच्चा
संत ना बने य माता-पिता की ख्वाहिश है क्योंकि संत बना तो हमारे काम से तो गया समाज के काम से गया और देखिए वह अपने आपके काम से भी गया संत अपने आप के काम से भी चला जाता है एक शिष्य किसी गुरु के पास गया था बड़ी सेवा करता था एक दिन सेवा करते करते बोला बाबा मेरा रोका हो गया है शादी के लिए अच्छा रोका हो गया है तो बेटा फिर तू हमारे लिए तो गया क्यों बाबा मैं आता रहूंगा सेवा करता रहूंगा कोई बात नहीं लेकिन हमारे लिए गया कुछ महीने भी गए उन दिनों में वर्षों बाद मुकलावे होते थे शादियां होती थी बस पक्की हो गई तो एक दिन आया
बाबा मेरी शादी की तारीख बंद गई पक्की हो गई कहता बेटा अब तू घर वालों की तरफ से ब गया अच्छा शादी की तारीख पकी तो घर वालों की तरफ से भी गया अब स्त्री की याद में खोएगा स्त्री पुरुष की याद में बस यही काम बाकी रह जाएगा हसा मत कर फिर वक्त बीत गया बाबा ब्याह हो गया तो बेटा ब्याह हो गया तो तू अपने काम से भी गया समझ नहीं आई बाबा क्या बोल रहे हैं तू अपने काम से ब गया फिर कहता बाबा एक दिन आया बाबा मेरे पुत्र हुआ है बेटा हुआ है बाबा बोले बेटा अब तू संसार के काम से गया अब तू किसी के काम के ना रहा ऐसा है संसार बुद्धि जब रहस्य तक
पहुंचती है तो किसी काम की नहीं रहती वो खुद के काम की भी नहीं रहती वह समाज के काम के भी नहीं रहते इसलिए तुम कहते हो कि भगत सिंह पैदा तो हो उधम सिंह पैदा तो हूं गांधी पैदा तो हूं लेकिन हो पड़ोसी के घर में सभास चत्र पैदा तो होने चाहिए लेकिन हमारे घर नहीं पड़ोसी के घर में यह बुद्धि एक पर्दा है और संतों ने ये गाया के इस पर्दे को हटा घुंघट के पट खोल तुझे रस मिलेगा रहस्य का बुद्धि रहस्य को एक गप समझती है कोई आश्चर्यजनक बात नहीं अगर बिना खोजे इंकार कर देते हैं परमात्मा के अस्तित्व पर मार्कस चार वाक कर्म थ पर विश्वास नहीं
करता चार बाक कहते हैं जहां कुछ लेना देना नहीं पड़ता मजे से खाओ पियो उदारी ले लो कर्जा सिर चढ़ा लो कर्जा सिर रख के मर जाओ यहां कोई हिसाब किताब नहीं होता क्योंकि जो मर जाता है वह फिर से उत्पन्न नहीं होता बिल्कुल ठीक है जिस अर्थों में यह कह रहा है उन अर्थों में ठीक है वही चेहरा मोहरा वही बातें वही आवाज नहीं आएगी लेकिन वो देही जरूर आएगा वह चेतना जरूर आएगी किसी और शरीर में आएगी किसी और रूप में आएगी आएगी तो चार वाक अपने ढंग से सही कहते हैं मार्कस अपने ढंग से सही कहते हैं लेकिन एक बात जो मैं सत्य बता रहा
हूं बुद्धि रहस्य को गपो कहती है रहस्य होता ही नहीं बस जो ये कहता होता नहीं तुम समझ लो उन्होंने खोजना क्योंकि अगर खोजो ग और देर अर पाही हो गए जिन खोजा न पाया लेकिन गहरे पैठ के गहरे पानी पैठ मैं वुरा बुढ डरा गयो किनारे बैठ तुम किनारे पर बैठे बैठे कभी नहीं पहुंचो राम राम करते रहो शिव हम करते रहो राधे राधे करते रहो लेकिन किनारे पर बैठे रहो और गहरे ना उतरो तो कबीर कहते नहीं पा सकोगे मैं पूरा भूदन डरा डरता रहा तल हड्डी में ना उतरा फिर कामना भी मत करना रहस के आनंद की पूर्व रहस्य में डूब गया पूर्व ने कहा इस रोज रोज की एक एक
बूंद को क्या पीना और वह भी पूरे दिन में एक बल आता है तो उसे पता चल गया जब एक ऐसा समुद्र है आनंद का जो अखंड ंड धारा बहती है नाम खुमारी नानका चढ़ी रहे दिन रात और उस अस्तित्व की खुमारी ऐसी कि दिन भर रात कभी नहीं उतरती 24 घंटे सदा दिवाली साध की और आठों पहर आनंद 2400 घंटे दिवाली है उसके लिए तुम्हारे लिए कभी कभी आती है तुम्हारे लिए राम एक दिन आते हैं अयोध्या में संत के लिए हर हर घड़ी हर परल राम आते हैं अयोध्या में यह अयोध्या नगरी राम का निवास यह अयोध्या नगरी राम का निवास तुम बाहर नकली घर बना देते हो उसका
बनाते रहो उससे हल कुछ नहीं होगा तुम 100 50 साल राज कर लोगे बस इतना लेकिन राज से कभी किसी को कुछ नहीं मिला आखिर तो राजाओं को भी जनकोविक की शरण में आना पड़ता है लेकिन तुम्हारे मन की तमन्ना तूफान मिट जानी चाहिए के राज करने में आनंद है जहां-जहां तुम्हारी चिपका हट है कि यहां से आनंद मिल सकता है खंगाल लेना सभी दरवाजों को अच्छी तरह से दिख लेना दरवाजों को तोड़ देना भीतर घुस जाना जाकर देखाना कुछ है अगर कुछ पाओ तो वही ठहर जाना लेकिन कुछ मिलेगा नहीं कबीर कहते हैं कहत कभी सुनो भाई साधो कहत कबी सुनो भाई साधु
साहब मिल ही सबूरी में सबर में मिलता है साहिब ठहराव में मिलता है भटकाव में नहीं मिलता लागो मेरो राम फकीर में फकीरी में बाहर कितने ही द्रव्य इकट्ठा कर ल और बाहर रह जाएगा यहां तक के शरीर भी यहीं पड़ा रह जाएगा तो कबीर कहते हैं फकीर हो जाओ फकीर इसके पास कुछ नहीं एक के सवा वो क्या है रहस्य आनंद है और उस आनंद से सबूरी मिलती है उस आनंद से ही तृप्ति मिलती है उस आनंद से ही तुम तृप्त होते हो डकार आती है तुम कहते हो आ मजा आया तो बूंद पीनी है तो पश्चिम की तरफ जाओ सागर पीना है तो पूर्व की तरफ आ जाओ लेकिन पूर्व में आके बुद्धि का पर्दा
उठाना पड़ेगा और उस रहस्य की तरफ जाना पड़ेगा उस रहस्य का स्वाद चकना होगा बस फिर तुम्हारे वस से बहर हो जाएगी बात फिर तो तुम्हें उसके भीतर विलीन होना ही पड़ेगा फिर आज नहीं कल तुम उसमें खुद ही समाहित हो जाओगे जैसे परवाना शमा में खाक हो जाता है श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव पितु मात स्वामी सखा हमारे पित मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायन वासुदेवा हे नाथ नारायण वासुदेवा वासा श चरणान यथा विहार नवान गृहण ती नरो परा तथा श्री राणी बिहार जीना नन्य आ स आति नवानी दे श्री कृष्ण गोविंद हरे
मुरारी हे नाथ नारायन वासुदेव श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सका हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासु देवा हो धन्यवाद
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