नागार्जुन का शून्यवाद क्या है कई प्रश्न हैं एक-एक प्रश्नों को हम खोलते जाएंगे नागार्जुन का शून्यवाद क्या है जब हम ध्यान में उतरते हैं तो शरीर शून्य क्यों हो जाता है कभी-कभी लुड़क जाने की नौबत भी आ जाती है राम प्रसाद शून्यवाद क्या है जब हम ध्यान में जाते हैं तो शरीर शन क्यों हो जाता है समझना शरीर तुम्हारी कारण जीवंत है तुम हो चेतन शरीर है पंच भौतिक तत्त्वों से बना जड़ तुम्हारे संपर्क में चेतन के संपर्क में शरीर जो जड़ है वह चेतन नजर आता है एक एक एक शब्द को ध्यान से समझना हृदय में उतार लेना यह सत्यता
है किसी धर्म से संबंधित नहीं यह जीवन का सत्य है तुम चेतन हो शरीर पंच भूतकून चेतन के बाहर निकलते ही शरीर अपनी यथार्थ स्थिति में आ जाता है वह जड़ है जड़ हो जाता है जैसे तुम्हारे घर में जो बिजली आती है पंखा चलता रोशनी होती है ये सारे इंस्ट्रूमेंट्स चलते हैं यह चलते हैं पावर के कारण एनर्जी के कारण और जब स्विच ऑफ कर दिया जाता है पावर हाउस का तो तुम्हारे सभी इंस्ट्रूमेंट्स ठहर जाते हैं शरीर शून्य क्यों होता है क्योंकि जब तुम अंदर जाओगे जब तुम अपनी चेत को अपने भीतर खींचो ग यही मतलब था कच्छप अवतार का कछुआ अपने अंगों को खोल में समेट लेता
है हाथ पांव और उस खोल में इकट्ठा हो जाता है ऐसे ही आपने अपने सारे अंगों को बाहर मुखी से अंतर्मुखी कर लेना है तो क्या होगा आपका कनेक्शन कट जाएगा पावर हाउस से और तुम्हारा शरीर जड़ हो जाएगा तुम अभी अपने आप को शरीर मानते हो लेकिन तुम्हें पता नहीं कि तुम्हारा शर जीवंत है इस चेतन का की शक्ति के कारण यह चेतन के साथ तुम्हारा संबंध टूटा और तुम यथा स्थिति में आ जाओगे जो हो वास्तव में तुम वही हो जाओगे और तुम हो पंच भौतिक शरीर के जड़ के बने हुए यह कारण है कि न में तुम अंतस में जाते हो धीरे-धीरे खसते हो अपने
भीतर और भीतर खिसकने का अर्थ है तन का भीतर जाना जैसे कछुआ अपने अंगों को अपने खोल में समेट है जैसे जैसे तुम अपने भीतर गहरे जाओगे तो एक वक्त ऐसा आ जाएगा जब तुम्हारी सारी चेनता जो बाहर बिखरी पड़ी है वह इकट्ठी हो जाएगी एक स्थान पर उसे ही समाधि कहते हैं सारी शक्ति का संग्रहित होकर एक स्थान पर एकत्रित हो जाना कंडेंस हो जाना तो तुम्हारा शरीर गिर पड़ेगा क्योंकि जिस चेतन के जिस शक्ति के प्रभाव में शरीर चेतन दिखता था वह शक्ति वापस खींच ली गई मुर्दे के साथ भी यही होता है समाधि स्थ व्यक्ति के साथ भी यही होता
है इसलिए शरीर शन हो जाता है अब यहीं एक प्रश्न और ले ले तुम्हारी ही शक्ति से यह मन भी चलता है जैसे शरीर से तुम अपनी शक्ति खींच लेते हो ऐसे ही अगर मन से अपनी शक्ति खींच लो तो यह मन भी ठहर जाएगा काम नहीं करेगा जैसे शरीर ठहर गया जड़ हो गया तुम रोज शिकायतें करते हो मन बड़ा भटकता है मन बड़ा तंग करता है मनी राम चहु दिस फरे यह तो सिमरण ना ठीक कहते हो तो इसका इंतजाम क्या है इलाज क्या है इसका इलाज है तुम्हारी शक्ति से मन चलता है तुम्हारी शक्ति से शरीर चलता है अगर शरीर को नहीं चलाना चाहते तो अपनी शक्ति को खींच लो रात को नींद में तुम
अपनी शक्ति को खींच लेते हो शरीर कहां चलता है तुम सो जाते हो ऐसे ही रात को तुम शक्ति मन से भी खींच लेते हो तो मन भी ठहर जाता है लेकिन तुम इस घटना से कोई सबक नहीं उठाता मैं लोगों से कहता हूं रात को तुम्हारा मन चलता है नहीं चलता बाबा तो जिस क्रिया के द्वारा रात को मन बंद हुआ था चलना उसे ही तुम अपना लो मन ठहर जाएगा कौन सी थी वह क्रिया जिससे रात को मन ठहरा था आपने अपनी शक्ति को अंतर्मुखी कर लिया था अगर दिन में भी आप अपनी शक्ति को अंतर्मुखी कर सको तो मन ठहर जाएगा शरीर भी ठहर जाएगा ध्यान में आप अपनी शक्ति को
अंतर्मुखी कर लेते हो तो शरीर सुन होने लगता है मन धीरे-धीरे ठहरने लगता है यह तुम्हारी ही चेतना भटी हुई जो मन को जाती है तो मन को प्रज्वलित कर जाती है शरीर को जाती है तो इंद्रियों को चला जाती है तुम अपनी ही शक्ति को वापस खींच लो तो यह जो वास्तव में है वह हो जाएंगे मन ठहर जाएगा शरीर भी ठहर जाएगा क्योंकि इनका वजूद तुम्हारे कारण है अगर तुम इनके साथ कनेक्शन में ना रहे तो ना शरीर चलेगा ना मन चलेगा शरीर भी जड़ हो जाता है मन भी जड़ हो जाता है मुर्दे का ना शरीर चलता है ना मन चलता है कहां मुर्दा बोलता है मुर्दा मौन हो
जाता है शरीर जड़ हो जाता है फिर उसको आग भी लगाओ तो वह नहीं कहता मुझे क्यों चला रहे हो लेकिन जीवंत व्यक्ति की तरफ आप लाल आंखें करके भी देखोगे तो व कहेगा ऐसे क्यों घूर रहे हो शरीर शून्य क्य हो जाता है आपकी शक्ति से शरीर चलायमान है मन भी चलायमान है आप ही चाहो तो इसको ठहरा सकते हो तुम खुद ही चिल्लाते हो इंद्रियां बड़ी तंग करती हैं मन बड़ा तंग करता है और खुद ही इनको शक्ति देते हो बस में तुम गए नहीं अगर तुम बेस में चले जाओ तो तुम्हें पता चलेगा कि यह जो पावर आती है यह पावर हाउस से आती है तो तुम अपनी शक्ति
को इंद्रियों तक जाना और मन तक जाना बंद कर दोगे स्विच ऑफ कर दोगे कल पूछा किसीने मुझे प्रश्न बाबा जब आपको ट्रेन का इंसीडेंट हुआ तब आप 20 साल के थे बिल्कुल ठीक 20 का नहीं था 18 का था 1970 की बात है उस उम्र में भरपूर जबानी छलांग मारते हैं आपने कैसे कंट्रोल किया इन सारे विकारों को हमने सुना है कि आप कॉलेज के वक्त भी बड़े शांत सहनशील हुआ करते थे और कभी आपकी कोई शिकायत नहीं आपने क्या किया मैंने कुछ नहीं किया ईश्वर की कृपा से शक्ति मेरे भीतर अपने आप अंतर्मुखी होने लगी तुम भी देखना जब कभी काम का वेग उठे तुम अपने मन को किसी और तरफ ले जाना
आपका मन काम से क्रस्त है क्रोध से ग्रस्त है अचानक आपको किसी ने संदेश दिया कि आपका बच्चा सड़क पर गिर गया चोट लगी जरा सोचो क्या उस घड़ी में काम का वेग आपको रोकना पड़ेगा काम कभ रुक जाएगा आप भागोगे तत्क्षण भागोगे अपने बच्चे के पास कहां गिरा है क्या हुआ यू हैव मोल्डेड योर एनर्जी काम से आप अपनी शक्ति को मोड़ दिए अपने बच्चे की तरफ गाम से ज्यादा प्रभावी ढंग अपनाना होगा गांधी जी लिखते हैं कि मेरे पिताजी कर्मचंद अंतिम अवस्था में स्वास गिन रहे थे ऑन द डेथ बेड एंड आई वास इन द बेडरूम विद कस्तूर ऐसे विलक्षण लोग बहुत कम होते
हैं छुपाने वाले लोग बहुत होते हैं वह तो मीडिया को भी ऑर्डर कर देते हैं देखो मुश्क बाहर नहीं निकलना चाहिए ऐसे दिलावर रो ऐसे साहसी व्यक्ति बहादुर व्यक्ति धरती पर खोजने से बहुत कम मिलेंगे कम मात्रा में कुछ एक लोग बुद्ध जैसे इस सायत में यह है कि अपने पापों को स्वीकार कर लो अभ सा तो कह गए लेकिन पता है कि अपने पापों को स्वीकार करना मुश्किल कितना है टूट जाता है सारा अहंकार तो फिर एक उपाय बना लिया गया कि पादरी सुनेगा आप बोलोगे और दोनों के बीच में एक मोटा पर्दा होगा वह देखेगा नहीं तुम कौन हो बस तुम अपने पापों को
बोलोगे इससे मन को शांति रही कि पता नहीं लगेगा उसे कौन अपने गुनाहों का प्रशित करके गया लेकिन यह तरकीब है जब पादरी को पता ही ना चला कि यह अपने पापों का बखान कर कौन गया वह आपको देख ना पाएगा तो आप तो छुपे के छुपे रह गए कन्फेशन का यह तरीका गलत कन्फेशन का तरीका हमारे ऋषियों ने खोजा था गुरु शिष्य सम्मुख बैठकर शिष्य बोले मैंने य अपराध कि समाज तुम्हारा जिसे अपराध मानता है आज तुम देखना 50 साल के बाद वही समाज मान्य करेगा उन चीजों को कोई वेला था जब कोई लड़की लड़के के साथ भाग जाती तो सारी शहर में ढंडोरा पट जाता
तब सामाजिक मान्यता य थी लेकिन आज सरेआम यह होता है कौन फिक्र करता है क्यों ऐसा हुआ समाज ने मान्यता दे दी यह स्वभाविक है लड़की लड़के के साथ नहीं भागेगी तो और किसके साथ भागेगी कंप्यूटर के साथ तो भाग नहीं सेर जीवंत लड़के के साथ और लड़का लड़की के साथ भागेगा पॉजिटिव नेगेटिव है तो समाज धीरे-धीरे समझदार होता चला जाता है वो बातें जो गुनाहा थी 50 साल पहले आज वही चीजें समाज में स्वीकृत हो गई वही समलैंगिकता जो समाज निषेध करता था हीन भावना से देखता था आज स्वीकृत हो गए वही गे आज स्वीकृत हो ग समाज बदलता रहता है इसलिए किसी भी व्यक्ति को सामाजिक
दृष्टिकोण से हे कर्मों को खुलने के डर से आत्महत्या नहीं करनी चाहिए समझना मेरी बात को फिर से समझ लेना बहुत से बच्चे इस अपराध बोध से ग्रसित है मेरे पास रोज इस तरह के मैसेज आते हैं बहुत से लोग तो ऐसे हैं जो ट पर मैसेज नहीं करते कि छपा रह जाएगा वह सिर्फ काल करते हैं रूबरू बात करते हैं समाज जिसे अपराध कहता है और समाज मापदंड नहीं है यह समझना समाज मूर्खों की एक जमात है फिर से बोलूंगा आप फिर से [संगीत] सुनना अज्ञानी हों की जमात है समाज और अज्ञानी मूर्ख होता है मूर्खों की जमात है समाज और बहुत से मूर्खों ने मिलके एक नियम
बना दिया जैसे बहुत से अंधे मिलक नियम बना दे कि हरा रंग देखना नहीं है यह पाप है अंधे ये तो जानते नहीं कि अंधा देख नहीं सकता व रंग हरा हो या सफेद हो या पीला हो या काला हो अंधों का समाज यह समाज अंधों का समाज ही है आंखों वाला तो कोई एक जन्मता है कभी कभी तो बेफिक्र होकर मैं बोल सकता हूं कि समाज मूर्खों का समाज है अ का समाज है अज्ञानी हों का समाज है इसमें कोई आंखों वाला जन्मे का तो आपको सही निर्देश देगा आज जो समाज कानून बनाए है वो अंधों के कानून हरा रंग देखना पाप है कोई अंधा यह नहीं कहेगा कि रंग तो हम
देख ही नहीं सकते ना हरा ना पीला ना काला ना लाल ना गुलाबी ना बैंगनी लेकिन वो कोई आंख वाला कहेगा अंत कभी प्रतिकार नहीं करेगा प्रतिकार करेगा आंखों वाला जब किसी को आंख आ जाएगी मिल जाएगी वह कहेगा भाई तुम क्यों नियम बनाते हो तुम्हें पता ही नहीं रंग हरा क्या है जामनी क्या है भगवा क्या है पीला क्या है लाल क्या है गुलाबी क्या है बेंग क्या है तुम्हें कुछ पता नहीं तब धीरे-धीरे मान्यताएं बदलेगी अंधे समाज की इसलिए एक शब्द बीच में ले लू मैं इसके अर्थ बड़े विस्तार गए विस्तृत गए बुद्ध ने कहा अपो भवा अपने दीपक स्वयं
बनो मतलब क्या है मतलब यह कि समाज को अपना दीपक ना बनने दो हम समाज से डरे हुए लोग डरते डरते जिंदगी जीते हैं और मर जाते हैं क्या हम इसीलिए पैदा हुए हैं क्या आपने इसलिए जन्म लिया है क्या आप डरते डरते जीवन को जियो और मर जाओ नहीं तो बुद्ध ने एक दिव्य संदेश दिया अप दीपो भवा समाज की बात मत मानो अपने दीपक स्वयं बनो अगर समाज को दीपक बनाओगे तो बड़ी मुश्किल पेश आएगी क्योंकि समाज अलग अलग तरह के प्राणियों से भरा हुआ है यहां दो पत्थर भी यक्षा नहीं दो मनुष्य यसा होंगे यह उम्मीद मत करो किसी एक आदमी का सिद्धांत दूसरे
व्यक्ति पर लागू नहीं होता क्योंकि दोनों अलग है सबके स्वभाव अलग है यहां किसी को कनक भी एलर्जी कर जाती है किसी व्यक्ति को कनक जीवन देती है गेहूं और किसी व्यक्ति को गेहूं एलर्जी कर जाती है फिर वह क्या करे वह गेहूं खाना शुरू रखे नहीं इसलिए बुध ने कहा अप दीपो भवा अपनी जिंदगी का जीवन का सलीका तरीका खुद तलाश समाज को अपना अग्रणी मत बनाओ बुद्ध से बड़ा क्रांतिकारी वक्तव्य कोई संत पुरुष दे नहीं सकता बुत ने बड़ा क्रांतिकारी शब्द कहा इसके मतलब नहीं समझे गए बात अलग है बुद्ध ने समाज से विद्रोह किया छोड़ दिया सब कुछ राज
महल तखत तास सब छोड़ दिया यह विद्रोह और बुद्ध फर सिद्धांत देते हैं अप दीपो भवा अपने दीपक स्वयं बनो समाज क्या कहता है समाज ने निर्धारण किया है क्या 10 कमांडमेंट्स के भी मत रहो तुम्हारा लक्ष्य है मुक्त और यह कमांडमेंट्स तुम्हें देते हैं बंधन समाज बंधन बनाता है यह मत करो वो मत करो यह मत करो वो मत करो गैर जाति में शादी मत करो गैर गोत्र में शादी करो सम गोत्र में शादी मत करो अभी कल ही मेरे पास एक मामला आया एक व्यक्ति ने सम गोत्र में शादी कर ली अब वह घर वाले उसको मारने को फिर रहे क्यों सम गोत्र में शद कर यह बात ठीक
है सम गोत्र में शादी करना क्रोमोसोम के हिसाब से कहीं करेक्टर को आपके बच्चों में ले आएगा यह बात अलग है लेकिन जहां प्रेम है वहां यह बातें महत्वहीन हो जाती हैं प्रेम सब चीजों को नकार देता है प्रेम ऐसी छुरी है जो काटता ही चला जाता है इन बातों को साइंटिफिक रूप से सिद्ध किया जा सकता है सिद्ध है सम गोत्र में शादी करोगे तो बच्चों में आपके क्रोमोसोम्स में विकार आ जाएंगे हरेट कक्ट से कह देते हैं आ जाएंगे तो आ जाने दो अब वह कहते कि हमने बच्चे नहीं पैदा करना तो मां बाप फिर रोते हैं क्यों नहीं करना हमें तो पोते चाहिए हमें तो पोतिया
चाहिए आप डिक्टेटर बन जाते हो बच्चों को श बच्चों को जन्म देके बच्चों को जन्म देने में बच्चों को कोई बच्चों की कोई रजामंदी नहीं होती कब कहा किसी बच्चे ने कि मुझे जन्म दो तुम बड़ी खुशी से बच्चे को जन्म देते हो और जब बच्चा जन्म जाता है तो उस पर तुम तानाशाही तोप देते हो तुम्हें पता है तुम्हारे बच्चे के कोमल दिमाग पर कितने बंधन अनचाहे तुम्हारा समाज बैठा देता है तुम्हारा घर बैठा देता है परिवार बैठा देता है कुल बठ देता है तुम इन चीजों से अनभिज्ञ हो तुम्हारी समाज के पहरे मान्यता तुम्हारी कुल के पहरे मान्यता यह सब बच्चे के अज्ञात बंधन बन
जाते हैं दिमाग में उनके न्यूरॉन को बांध लेते हैं और बुद्ध कहते हैं तुम्हारा लक्ष्य क्या है मुक्ति जन्म जात तुम बंधन फेंक देते हो बच्चे के दिमाग में य जाति का बंधन यह धर्म का [संगीत] बंधन अब किसी भी धर्म में जन्मा बच्चा मां-बाप यह अपेक्षा करेगा कि इस्लाम में जन्मा तो इस्लाम में मुसलमान हिंदू धर्म में जन्मा हिंदू धर्म का पालन करे सिख में जन्मा सिख करे ईसाइयत में जन्मा तो वहां ईसाइयत का पाल करे क्यों करें सभी की रास्ते हैं कोई एक्टिव रास्ता है कोई पैसिव रास्ता है कोई संकल्प है कोई समर्पण है और प्रत्येक व्यक्ति की
मनोदशा अलग-अलग है कोई पैसिव है कोई एक्टिव है लेकिन तुम कहते नहीं आपको नमाज ही पढ़नी पड़ेगी क्योंकि आप हमारे कुल में पैदा हुए हो अब बच्चा तो मैं पूछता नहीं कि मैंने कब कहा ऐसा मेरे साथ हुआ मेरे माता-पिता कहने लगे तुम्हें शादी करनी पड़ेगी मैंने कहा क्यों करनी पड़ेगी हमने तुम्हें जन्म दिया मैंने कब कहा तुम मुझे जन्म दो झगड़ा हुआ इस बात मां हंसने लगी बात तो ठीक है इसकी ये गैबी दिमाग कहां से पैदा हो गया ये नई बात ही कर दी इसने अरे भाई मेरे को भी पूछ लिया होता मैंने तो पूछा कमी बिना पूछे जाम दिया व अपनी तानाशाही तोप कि तो ब्याह कर
ली कौन नहीं करो आखिर में उने कहा कुए में पड़ा मत कर तुम बताओ तुम बच्चे को जन्म देते हो पूछ के देते हो यह बात अलग है बच्चा जब जन्मता है हमारी हिंदू यूनाइटेड फैमिली हो उसके अनुसार आज की अदालतें ठीक फैसले नहीं करने मैं ये बोलता हूं छाती तान के बोलता क्योंकि उन्हें पता ही नहीं जो बच्चा जिस कुल में जन्म गया वह उसका उत्तराधिकारी है संपत्ति का आपकी सुप्रीम कोर्ट आपका हाई कोर्ट कुछ भी निर्णय दे क्योंकि उस बच्चे को पूछ के जन्म नहीं दिया गया उस बच्चे की इच्छा के बगैर जन्म देते हो तुम इतना तो उसका अधिकार है कि वो अपना
जीवन तो जी सके जिसके पास नहीं है वह मजबूर है क्षमा योग्य है भाई है नहीं मेरे पास जो है वो ले लो प्रयोग कर लो जिसके पास है वो भी चौकड़ी मार के बैठ जाते हैं शर्तें थोप देते हैं डिक्टेटर की तरह मेरे ही संपर्क में एक बच्चा है जिसका बाप और मां कहती कि मेरे बड़े भाई के पाव के हाथ लगाओ चूमो उसको जाके फिर हमें तुम हम तुम्हें संपत्ति में हिस्सा देंगे अन्यथा नहीं यह घोर अनर्थ और पाप है इन चीजों के फल फिर तुम कहते हो हमने तो कोई पाप नहीं किया इससे बड़ा पाप और क्या होगा भाई तुमने जीते जी बच्चों को मार दिया बच्चे को जन्म देना एक
मूक एक मूक कंप्रोमाइज होता है लिखित एग्रीमेंट नहीं होता बस मौखिक एग्रीमेंट होता है बच्चे को उसकी रजामंदी के बगैर जन्म देना एक मौखिक एग्रीमेंट है कि मेरे पास जो है पदार्थ संपत्ति वह तुम्हें मिलेगी बराबर के हिस्से की फिर तुम शर्तें लगा देते हो जो मेरा कहा मानता उसे ज्यादा जो मेरा कहा नहीं मानता उसे कम और नयाल में व जीत हार जाते हैं लेकिन न्यालय तो खुद बुद्ध है ब छोड़ो मैंने तो पहले कह दिया मूर्ख लोग बैठे हैं गियों पर और मूर्ख लोग बैठे हैं जस्टिफिकेशन उन्हें बेसिक चीज का कोई पता व ऐसे ही फैसले करते
रहेंगे मानवता को कभी नहीं देखेंगे वह कभी नहीं देखेंगे कि बच्चे बेकसूर होते हैं देखो बच्चे के हाथ में जन्म लेना नहीं होता तुम्हारे हाथ में जन्म देना होता है फिर जब तुम्हारे हाथ में जन्म नहीं देना है तो तुमने क्यों उस बच्चे को पैदा किया और फिर अगर तुम्हारे पास नहीं है कुछ तो तुम क्षमा योग्य हो सब कुछ होते सोते तुम डिक्टेटरशिप दिखाते हो हिटलर बाज यह गलत और बच्चा ठीक ता है ठीक चलाता है और तुम उसको दुख पर दुख देते चले जाते हो मैं नहीं समझता यह कोई बात शल्य है या यह को कोई ममत्व है लोग कहते हैं मात को मात न होत पूत
कपूत तो होत है गलत यहां पूत सपूत है मात कु मात है पिता कुपिता है तो मैंने माता से कहा मां मैंने कब कहा मुझे मैंने पीले चावल बेज तो मां हस ी बात तो ठीक है तेरे बेटा ये कहां से नई फिलोसोफी तू उठा रहा है चलो ठीक है तुम मत करा तो ठीक है नहीं करा मेरी जब इच्छा होगी करे मैं स्वतंत्र हूं स्वतंत्र सत्ता के रूप में मैंने जन्म लिया और स्वतंत्र सत्ता के रूप में मेरे भी कुछ आदर्श है कुछ एम्स है जब वो पूरे हुए उसके बाद मैं कराऊं या ना कराऊं यह शादी कराना ना कराना मेरी निजी व्यवस्था है तुम्हें कोई अधिकार नहीं बस तुमने बिना पूछे जन्म दे दिया तो
मैं क्षमा किया बड़ी मुश्किल बात आई बरादरी मज गई ताऊ चाच के पास ग या बच्चा ऐसे बोलता है लेकिन ताऊ चाचे जब मैं जाकर बहस की तो चुप हो गए बात तो ठीक है वो भी मुंह को ढकने लगे अंगोछा से आ गया न ही बात करता है बिल्कुल नहीं बात करता हूं यह जो कहते हैं ना तीन तीन बच्चे पैदा करो इनसे को कर देंगे भाई लेकि बच्चों का सारा जिम्मा पालन पोषण तक तुम आ करना मेड तुम बनना बच्चा रोए तो तुम उसको देखना क्या बात है पेट में दर्द है कि भूख है कहना बड़ा आसान होता है बच्चे को जन्म देना उसको पालना पोछना बड़ा करना और फिर बच्चा कह देता है तुमने
क्या किया मैं तो इतना ही बड़ा पैदा हु अरे तू इतना बड़ा पैदा हुआ भला इतने बड़े पैदा होते हैं बच्चे पागल जैसी बात करने में तुम्हारा कोई सानी नहीं तो बच्चे ठीक कहते हैं क्योंकि जब तुमने उनकी रजा बंदी से जन्म नहीं दिया तो वह इतने ही बड़े पैदा हुए थे ठीक कहते हैं तुम चेतन शरीर जड़ है तुम्हारे संपर्क में जैसे बल्लब पावर के संपर्क में आने से प्रकाशमान होता है ऐसे ही तुम्हारे संपर्क में आने से यह जड़ शरीर चेतन होता हुआ प्रतीत होता है अब यह ऊठ बोल रहे हैं कंठ से आवाज निकल रही है लंगस हवा को दे रहे हैं जीवा बोल रही
है मस्तिष्क के न्यूरॉन्स ऑर्डर दे रहे हैं सब स्टेबल है लेकिन है किसके कारण उस पावर के कारण और वोह पावर कौन है वो पावर तुम हो अगर तुम्हारा शरीर तुम्हें तंग करता है तुम्हारा मन तुम्हें तंग करता है तो शरीर और मन के गुलाम मत बनो रोज मुझे लोग कह देते हैं काम बड़ा तंग करता है तुमने कैसे निपटाया होगा जैसे भी निपटाया ऐसे निपटाया संधि छेद करके विच्छेद कर लो असूल सीधा अपनाओ ग तो तुम कोई चीज घोल के तो मैं नहीं पिला सकता मैं तुम्हें फॉर्मूलेशन दे सकता हूं एंड यू कैन अडॉप्ट दैट तुम्हारे शरीर में विकार पैदा होता
है तुम्हारे शरीर के साथ संपर्क में आने से जब शरीर गटर मस्ती करता है तो अपनी शक्ति को खींच लो देखो शांत हो जाएगा बिल्कुल ध्यान को दूसरी तरफ ले जाओ या ध्यान को काट लो दोनों में से कुछ भी कर दो विकार नहीं आएगा विकार आता है तुम्हारे प्रभाव में जब जड़ शरीर तुम्हारे प्रभाव में आता है तो तुम करते हो इशारा तुम देते हो कमांड यह शरीर वैसे ही चलता है बिल्कुल जैसा तुम चाहते हो उसके अतिरिक्त यह हाथ भी नहीं ला स रात को सिर्फ अनैच्छिक क्रियाए ही चलती हैं ऐच्छिक क्रियाए नहीं चलती और वह अनैच्छिक क्रियाए उस विराट के
हाथ में बस उ उसने इतनी कृपा कर दी तुम्हारे पर कि बड़ी बड़ी घटनाएं जिसके बिना जीवन खत्म हृदय का चलना लंग्स का सांस लेना भोजन का पचना सारी भीतर प्रोसेसिंग होनी लिवर का जूसस पैदा करना सभी ऑर्गन का अपने अपने कामों में लगे रहना यह उसकी कृपा से हो रहा है और देखो उसकी कृपा से जो जीवन पैदा होता है उसको जब तुम प्रयोग करते हो उसकी शक्ति लेके भोजन पचा शक्ति बनी तुमने भोजन पचाया नहीं तुमने मात्र खाने का स्वाद लिया जी बस भोजन पचा उसकी कृपा से शरीर में नक से शिखा तक सर्कुलेशन ऑफ ब्लड हुआ उसकी कृपा से शरीर में
अपने आप सर्कुलेट करते है ब्लड को तुम्हारा इसमें क्या योगदान है बताओ जरा गौर से देखना डॉक्टर से पूछ लेना किससे तुम्हारा कोई योगदान जब शक्ति उसकी कृपा से पैदा हुई तुमने तो सिर्फ खाने का स्वाद लिया व भीतर गई पाचन की प्रोसेस होके जो भी मेटाबोलिज्म वगैरह हुआ उससे शक्ति उत्पन्न हुई उस शक्ति को प्रयोग तुमने किया और तुमने लेवल क्या लगाया मैं करता तुम कैसे करते भाई जिस शक्ति से किया वह तुमने पैदा कि वह तो तुम्हारी र्गन ने पैदा किया जो तुम्हारी इच्छा से नहीं चलते उन ऑर्गन ने पैदा कीजिए शक्ति जो तुम्हारी इच्छा से नहीं
चलते ना हार्ट तुम्हारी इच्छा से धड़कता है नहीं तो तुम इसको बंद ही ना होने दो ना स्वास्थ तुम्हारी कृपा से आता है ना भोजन तुम्हारी कृपा से पचता है फिर इस शक्ति की प्रोडक्शन में तुम्हारा हाथ है कहां जब खर्च करने में तुम कह देते हो कि मैंने किया तो मैं पूछता हूं जिस शक्ति से तुमने किया वह शक्ति कहां से आई उसकी कृपा से आई सारी प्रोसेसिंग उसकी कृपा से ई तो फिर किया तुमने कैसे किया बस यही गड़बड़ पैदा हो जाती बाबा नानक कहते हैं कि उसी ने शक्ति बनाई और उसकी ही कृपा से सब काम होते हैं करता तो वो है लेकिन तुम ठप्पा लगा देते हो मैंने एक
चुटकला सुना चुटकला सुना है राष्ट्र भक्त नाराज ना होना एक कोई इन्वेंशन ई अमेरिका में तो साइंटिस्ट ने इन्वेंशन करके उसको आगे भेजा इंग्लैंड में इंग्लैंड वालो ने देखा उसको थोड़ी सी अमेंडमेंट कर दी थोड़ा सा और बढ़िया बना दिया उसको इंग्लैंड वालों ने भेज दिया फ्रेंस के पास फ्रांसी सियों ने देखा उसमें थोड़ा सा और अमेंडमेंट कर दिया ज्यादा बढ़िया बना दिया वहां से जर्मनी में गया थोड़ा सा और मॉडिफिकेशन फिर जपान सभी मुल्कों में घूम लिया इजराइल में गया सभी में घूम लिया और उसके बाद आया इंडिया में सबसे बाद इंडिया तब तक इतनी मॉडिफिकेशन हो चुकी
थी कि उसमें और कुछ किया ही नहीं जा सकता था चुटकुला है मैंने पहला ही क्षमा प्रार्थना कर दी तो इंडिया के साइंटिस्ट ने देखा इसमें किसी तरह का सुधार नहीं हो सकता लेकिन वहां एक बहुत बड़े धे के बैठे थे पॉलिटिकल व कहने ल हो सकता है क्या हो सकता है उन्होंने उठाई स्टेंप और लगा दिया मेड इन इंडिया इतना तो हम करही सकती है ना बस तुम इतना ही कर सकते हो तुम कहते हो मैंने किया यह स्टेंप लगाने का काम तुमने किया मेड इन इंडिया आत्म निर्भरता इसे कहते हो तुम कुछ नहीं कर सकते जब फरमाए तिव तेव पा जिस लिख्या तिस सरना चार शब्दों में जीवन का निचोड़ बता देते
हैं सृष्टि का निचोड़ बता देते हैं बाबा नानक और तुम रोज जप जी पढ़ते हो तुम इसके अर्थ नहीं समझ पाते और जीवन में उतार नहीं पाते तुम स्टेंप लगाने में बड़े दक्ष हो इसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता हुक्म है अंदर सबको मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है मेरा [संगीत] आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है उसकी कृपा से होता है जो कुछ होता है और जब तुम अपने अंतस में जाते हो इनर मोस्ट बॉटम बिल्कुल आखिरी अंतिम तल पर जब तुम पहुंचते हो
तो तुम जो सत्य देखते हो वह देखा बाबा नानक ने अंतिम सत्य इनर मोस्ट बॉटम वहां पहुंचकर जो सत्य दिखाई पड़ता है वो यह दिखाई पड़ता है कि जो करता है वही करता है यह कोई नियम सिद्धांत लिखा हुआ सिद्धांत नहीं है यह सिद्धांत नहीं है समझना बात को यह सत्य है और सत्य सिद्धांत नहीं होते बल्कि सिद्धांत सत्य होते हैं यह सिद्धांत सत्य है कि वह करता है और जो करता है व ठीक करता है यही लास ने कहा जो करता है वही करता है और वह जो करता है तुम्हारे भले के लिए करता है बुरे के लिए नहीं करता इस बात पर तुम्हारा मन तुम्हारा मस्तिष्क लाखों प्रश्न खड़े कर देता
है बड़े आक्रोश में आ जाते हो तुम बड़े क्रोधित हो जाते हो तु वह कैसे करता है मैं करता हूं मैं हूं तो मुमकिन नहीं तुम एक जरा भी नहीं बना सकता ना पानी का ना माटी का तुम सिर्फ कह सकते हो मैं करता हूं बस इसके सिवा कुछ नहीं अहंकार के सिवा तुम कुछ और हो ही नहीं कल मेरे पास एक कमेंट आ गया कितना ही कह लू या कमेंट करने वाले लोग ज्यादा पहुंचे होते हैं मेरे से ज्यादा पहुंचे होते हैं ऐसा म कर यह कमेंट कर ही देते हैं बाबा आपकी बातों में दोगलापन नजर आता समझ नहीं आया देखो मैं कितनी बार घोषणा कर चुका संसार समझा जा सकता
है परमात्मा समझा नहीं जा सकता संसार समझा जा सकता है क्योंकि संसार नियमों में आवत है और नियम समझे जा सकते हैं तुम रोज नियमों को समझते हो फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी जियोलॉजी सब समझते हो उसमें सब नियम है नियमों से पार संसार जाता नहीं संसार समझ में आ सकता है लेकिन वही आदत तुम्हें यहां पड़ गई है एक महीने पहले यह व्यक्ति मेरे चैनल पर आया सिर्फ महीने पहले और जितनी वीडियोस मैंने बोली करीब 2200 के करीब बोली लंबी लंबी वीडियो बोली मैं नहीं समझता कि एक महीने में कोई इतनी वीडियो सुन सकता है लेकिन प्रश्न करने में
बड़े होशियार है बाबा यह कुछ लिटी नजर आती है आपने तब तो यह कहा था कि व्यक्ति को कर्मों का भुगतान करना पड़ता है तो मैं तो अब भी कह रहा हूं और आज तुम कहते हो कि परमात्मा निर्धारण नहीं करता मैं तो आज भी कह रहा हूं कल भी यही कहता था आज भी यही कहता हूं कहीं तुम्हारी सबज में गड़बड़ है भाई व कहते मैं कंफ्यूजन में आ गया तो मेरे भक्त कौन सा कम है किसी ने वहां लिख दिया कि तुम खुद ही कंफ्यूजन हो और बात भी ठीक है तुम सभी कंफ्यूजन हो कंफ्यूजन में नहीं हो लिनर को पूछ बोल रहा हूं मैं जो मुझे सुन रहे हैं यू आर नॉट इन
कन्फ्यूजन यू योरसेल्फ जज कन्फ्यूजन मैं तुम्हे इंगित कर रहा हूं क्योंकि अहंकार खुद कन्फ्यूजन है अहंकार हट जाए यही तो कंफ्यूजन है यही तो इल्यूजन है इल्यूजन क्या है तुम्हें तुम क्यों तुम हो तो चेतन जड़ता के संपर्क में आके यह जड़ बोलने लग जाता है यह जड़ सोचने लग जाता है यह दिल धड़कने लगता है स्वास चलने लगती है भोजन पचने लगता है तुम इस पर ठप्पा लगा देते हो मैं का यह इल्यूजन है तुम्हें और तुम इस इल्यूजन को मैं को अपना होना समझते हो यही यही मार् आ जाते हो तु संत तुमहे यही समझाता है यू आर नॉट इन कन्फ्यूजन यू योरसेल्फ ज कन्फ्यूजन तुम ही
कंफ्यूजन हो इसलिए संत कहते हैं तुम्हे ही मरना पड़ेगा ये तु प्रेम मिलन की [संगीत] चा शीस तली धर घर मेरे [संगीत] आ शीश तली धर घर मेरे [संगीत] आओ घर मेरे आऊ त प्रेम मिलन कीचा तुम्हें खुद ही मिटना होगा क्यों य योरसेल्फ आर कन्फ्यूजन तुम इल्यूजन हो तुम कंफ्यूजन हो तुम कंफ्यूजन में नहीं हो यह गलती मत खाना फिर तुम दूसरे पर तोप दोगे कि कंफ्यूजन तो कोई और है कुछ हम कंफ्यूजन में हैं नहीं नहीं तुम ही कंफ्यूजन हो तुम ही इल्यूजन हो तुम्हें ही हटना होगा और तुम हटने से डरते हो मरने से डरते हो यही है कमजोरी तुम्हारी यही है कंपन तुम्हारा यही है
थ्रिलिंग तुम्हारी तुम मरने से डरते हो और मरना तो होगा ही जेतो प्रेम मिलन की चाह उस विराट अनंद को पाना चाहता है उस विराट प्रेम के सागर में डूबना चाहता है तो तुम इस शुद्र अहंकार की बलि देने ही होगी स्वतंत्रता से निर्णय कर लो कोई सिर पर तलवार थोड़ी रखी तुम मिटने को राजी हो तो मेरे घर आओ अन्यथा मत आओ तुम्हें किसने बुलाया मैं कोई शिवर थोड़ी लगाता यहां कोई एंट्री फीस थोड़ी होती है यहां कोई बलावा थोड़ा जाता है कोई पीले चावल नहीं जाते किसी को बिलाश मत आओ बिला शक मत सुनो मुझे कह देते आपने बाबा ये क्यों कहा मैंने कहा
आपने ये क्यों सुना सुना तुमने कसूर तुम्हारा पूछ रहे हो मुझसे मैं जवाबदेही नहीं रखता किसी चीज की मैं सिर्फ अपना अनुभव बोलना चाहता हूं बोल देता हूं तुम जवाब तलबी की उम्मीद कभी ना रखना तो मैंने श्रद्ध से कहा संसार समझाया जा सकता है विकास संसार कानूनों पर बना है और कानून खोपड़ी सम है नियम खोपड़ी में आ जाते हैं तुम बात करते हो परमात्मा की अब तुम आ गए दूसरी तरफ तुम्हारा डायमेंशन बदल गया संसार से हट के तुम परमात्मा में आ ग संसार है तर्क तर्क नियम बुद्धि से समझे जा सकते हैं लेकिन तुम अब मांगते हो प्रेम तुम मांगते हो
आनंद तुम मांगते हो परम खुशी अखंड खुशी जो टूटे ना और ध्यान रखो यह संसार नहीं है यह बिल्कुल विपरीत रा हैं एक दिशा जाती है संसार बिल्कुल उलट दिशा जाती है परमात्मा अब तुम अगर परमात्मा की तरफ उन्मुख हुए हो तो ध्यान रखो नियमों से परे आना पड़ेगा फिर तुम आगे से यह बात मत कहना कोई विजय पावा नाम का व्यक्ति मुझे ये कमेंट ना करे कि मुझे समझ नहीं आया मैं बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में तुम्हें कहता हूं कि वह समझाते ही नहीं ही नॉट ओनली अननोन बटाल सु अननोन एवल वह अवी है एक हफ्ते पहले इसका प्रश्न आया था मैंने जवाब दे दिया लाभ भी बहुत
की आपको पता है मैं छत्र तो नहीं मारता लेकिन कमी कोई छोड़ता नहीं फिर फिर कल यही आ गया अगर आप जैसा कोई भक्त इसको उड के पड़ता है और मैं झगड़ा देख नहीं सकता झगड़ा ही करना है घोल करना है तो मैदान जंग इस चैनल को क्यों बनाते हो बाहर झगड़ लो तो मैंने उठक ब्लॉक कर दिया चल आपको स्पष्ट बात समझा द तुम जिस राह पर चले हो वो समझ में आता नहीं और कृपा करके मेरी कर बध प्रार्थना है यह शब्द मुझसे कभी ना कहना के बाबा समझ नहीं आया क्योंकि समझ में वोह आया नहीं करता समझ में आता है संसार क्योंकि वह नियमों में अवध होता है परमात्मा समझ में
नहीं आता क्योंकि वह नियमों से पार यह तुम बिल्कुल ऐसी बात करते हो जैसे मैंने एथेंस के समुद्र तट की कहानी सुनाई एक छोटा बच्चा रो रहा है वहां एक लंबी सफेद दाढ़ी वाला आ जाता है व्यक्ति कहता बच्चे क्यों रो रहा है बाबा मैं रो रहा हूं कि मेरी स प्यारी मैं समुद्र समा नहीं सुबह का मैं समुद्र खाली करने की चेष्टा करता हूं यह समुद्र खाली नहीं हो रहा सुबह से लगा हूं भूखा प्यासा यह समुद्र है के डेला जाता ही नहीं तो सुकरा सा व सफेद दाढ़ी वाला था सक्रेस सक्रेट कहने लगा बेटे यही समस्या तो हमारी है जैसे समुद्र तुम्हारी छोटी सी प्याली में
आता नहीं वह परमात्मा हमारी छोटी सी बुद्धि में आता लेकिन आज आंख खुल गई पुत्रा तू छोटा सा बच्चा है लेकिन तुझे मेरी नादानी का एहसास करा दिया तू जिस चेष्टा में लगा है मुझ े समझाई कि मैं भी तो उसी चेष्टा में लगा हूं त समुद्र को खाली करने की चेष्टा में लगा है छोटी सी प्याली से और मैं छोटी सी बुद्धि से परमात्मा को खोजने में लगा हूं ये दोनों काम असंभव है पुत्र तो भूखा होगा खाना खाले यह असंभव है यह नहीं होगा उसने कहा ऐसा नहीं होगा छोटा बच्चा सामने वृद्ध व्यक्ति श्वेत दाढ़ी लंबी बड़ा ऊंचा सा माथा देखते देखते उस बच्चे ने उस प्याली
को समुद्र में फेंक दिया कहता कोई बात नहीं बाबा इस प्याली में समुद्र तो नहीं आता लेकिन प्याली समुद्र में खप तो सकती है ना प्याली तो समा सकती है समुद्र में और सक्रेटीज अपने संस्मरण में लिखते हैं कि मेरा सारा शरीर एक जन नाटक आ गया मुझे सूत्र मिल गया जीवन का कि वह तो नहीं खाली हो सकता वह तो बुद्धि में नहीं आ सकता बुद्धि तो उसमें कप सकती हैना बस यही हम कहते हैं वह समझ में नहीं आएगा तुम अपनी समझ को उसमें लीन कर दो तुम मौन हो जाओ कोई प्रश्न मत उठाओ जो उस छोटे बच्चे ने किया और सोक्रेट लिखते हैं कि वह बच्चा अंतरध्यान हो क्या
दिखा नहीं सोक्रेट लिखते हैं कि वह परमात्मा था ही वास अल्टीमेट पावर जो मुझे बताने के लिए आया था मैं बहुत वक्त से खोज रहा था मिला नहीं आज मिल गया सूत्र कि वह तो मेरी छोटी सी खोपड़ी में नहीं आएगा दूसरा मार्ग भी है इस बच्चे ने मुझे बता दिया कि मेरी छोटी सी प्यारी उस समुद्र में खपत हो सकती है बस यही मसला ऐसे ही हल होगा तुम उस पानी में बूंद की तरह समा जाओ तो वह तुम्हें अपना लेगा तुम समुद्र हो सकते हो समुद्र को बूंद में भर नहीं सकते यही मुश्किलात है आज मानवता के सामने बड़ी-बड़ी खोपड़ी वाले आ गए बड़ी-बड़ी खोपड़ी वाले नए नए सिद्धांत दे
गए गॉड पार्टिकल खोजने का दवा तक कर गए कहां खोजा गया खोजा जाएगा भी नहीं वह खोजा जा ही नहीं सकता क्योंकि वह जाना नहीं जा सकता ही अननो एबल और खोजे कीी तुम्हारी खोपड़ी जाने की भी तुम्हारी खोपड़ी और खोपड़ी की पकड़ में व आता नहीं क्योंकि ड़ी छोटी है तुम्हारा पात्र छोटा है समुद्र विराट है परमात्मा भी विराट है मेरी बातें सिर्फ तुम्हें मेरी बातों के साथ जो लिब ति बड़ के आता है रस बस उसे पी लेना मेरे शब्दों से बंद मत जाना मैंने आपको एक बात बताई थी जपनीज को जानने वाला व्यक्ति हिंदी नहीं जानता मेरे प्रवचन सुनने शुरू कर दि और वो
अंतस उस बॉटम पर पहुंच गया इनर मस्ट बॉटम जहां सत्य विराजमान है जहां स्थिति प्रता है जहां तुम स्वयं हो जहां से द्वार खुलता है विराट का वहां पहुंच गया मेरे पास खबर आई यह कैसे हो गया बाबा दूसरे शिष्य ने पूछा मैंने कहा शब्द जरूरी नहीं है शब्द माध्यम भी नहीं है जरूरी तो छोड़ो और यह संतों के आवाज के साथ जो वह रस भी बगा लिपट झपट के आता है वह जब तुम सुनते हो और तुम्हारे भीतर के घड़े में बूंद बूंद इकट्ठा होता है सुनते जाओ सुनते जाओ बूंद बूंद से घड़ा भर जाएगा यही तो मैं कहता हूं अनत नाद को सुनते जाओ सुनते
जाओ संत बोले तो उसकी लिब ड़ के आई हुई वाणी को सुनते जाओ यह दोनों एक ही तल से आती हैं संत की वाणी भी उसी तल से आती है और यह अनद नाथ का स्वर जिसे डॉक्टर टस कहते हैं यह भी वहीं से आता है लिड़ा ड़ा इसको सुनो सिर्फ सुनो सिर्फ सुनो और सुनने से तुम्हारे भीतर यह संगीत का कोमल रस मधुर भीतर के घड़े में भरता जाएगा और एक दिन ऐसा आएगा कि तुम्हारी तपस्या संपूर्ण हो जाएगी गड़ा भर जाएगा और तुम आनंद मगन मीरा की तरह नाचोगे फिर नाचोगे भी और मीठा मठा उसकी विरा का स्वाद भी आएगा हरी मैं तो प्रेम [संगीत] दीवानी मेरा दर्द ना
जाने [संगीत] को री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द ना जाने को गायल की गति घायल जान या जिन घायल हो या जिन घायल हो [संगीत] फरी मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द ना जाने कोई री में [संगीत] तो ऐसे आनंद को पीना महा भाग्यशाली महा भाग्यवान व्यक्ति हो तुम शब्दों को संग्रहित करने की फिराक में बैठे हो बिल्कुल वही प्रयास जो वह बच्चा इस छोटी सी प्याली से समुद्र को खाली करने में जुटा था यही प्रयास तुम्हारा है कभी सफल नहीं हो ग मेरी बात को रिकॉर्ड वैसे तो रिकॉर्ड हो ही गई है इस प्यारी में कभी सुंद्र नहीं खाली होगा
और सक्रेटीज की छोटी सी बुद्धि में परमात्मा आएगा नहीं मैं तुमसे करबद्ध प्रार्थना करता हूं प्रवचनों को सुनना कोई बात का खुलासा चाहिए हो तो ले लेना कोई बात अधूरी रह गई हो तो पूरी करवा लेना लेकिन यह कभी मत कहना कि समझ में नहीं आया समझ में वो कभी आता भी नहीं तुम इन शब्दों को सुनो इन बूंदों को पियो सुनिए दुख पाप का नाश बाबा ने कहा क्या सुनने से पापों का नाश हो जाता है या तो संतों की वाण संतों की वाणी संतों के पास बैठो वाणी नहीं तो उनकी तरंगों को पियो उनके पास बैठ जाओ आचार्य उपासना सचम स् आतम बिन ग्रहा आचार्य के पास बैठ
जाओ उसकी तरंगे तुम्हारे भीतर लिपट और अथ शीतलता का प्रवाह तुम्हारे भीतर रोम रोम में संचारित होगा या या इस रस को पियो जो अनद स्वर लगातार चलता है देखो 2400 घंटे चलता है कितनी सेवा कर रहा है परमात्मा तु यही बाबा कहता था यह कभी बंद ना हो जाए सबना जिया का एक दाता सो में विसर ना जाए य जिससे मैं सुन रहा हूं ज बंद ना हो जाए लेकिन बंद होता नहीं सबना जिया का एक दाता सो में विसर ना जाई वह मुझे बिसर ना जाए नहीं विसर वह विराट है बस अगर तुम यह समझते हो कि मैं कुछ कर सकता हूं तो तुमने उसकी विराट को ठीक से समझाने मैं बहुत कहता
हूं कि तुम परमात्मा को गाली भी निकाल लो शिकायत भी कर लो कोई बात नहीं लेकिन परमात्मा को गाली निकालने से पहले पानी की एक बूंद या रेत का एक जर्रा बनाने की सामर्थ्य है तुम में तो तुम जी भर के गाली निकालो उसने तो आवारा खंड हर पैदा कर दिया ये जो एस्ट्राइड घूम रहे हैं तुम और उन एस्टेरॉइड अवारा एस्टेरॉइड का एक कण मात्र जिस दिन तुम बनाने में सफल हो गए या छोड़ो बनाने में यह बना कैसे यह जानने में तुम समर्थ हो गए उस दिन तुम परमात्मा को गाली निकाल लेना यह बना कैसे यह भी तुम्हें अगर पता चल जाए तुम कह दोगे इसमें कार्बन है इसमें
सिलिकॉन है इसमें यह है पदार्थ इसमें यह है कंटेंट नहीं हैसा उस सिलिकॉन को बनाने में समर्थ हो जाओ या यह देखो कि यह सिलिकॉन बना कैसे यह सल्फर बना कैसे य कार्बन आया कहां से तो उस दिन तुम परमात्मा को गाली का जूते मार लेना कोई बात नहीं लेकिन काश यह वक्त आएगा तुम तो पानी के बुलबुले हो तुम्हें तो इतना भी नहीं पता कि तुम कब फूट जाओगे पानी केरा बुदबुदा अस मानस की जात देखत ही छिप जाएगा जू तारा प्रभात तुम बोलते हो तुम्हें यह भी नहीं पता कि अगले क्षण तुम बोल भी पाओगे या नहीं अगले क्षण यह शरीर सांस ले पाएगा अगले क्षण या हृदय पंप कर
पाएगा तुम इतना भी तो नहीं जानते और तुम चैलेंज करते हो उस विराट महाशक्ति को फिर जब समझ में नहीं आता तो इनके पास समझदार व्यक्तियों के पास एक शब्द है जिसे मार्कस भी दोहराते हैं जैसे आचार्य गण भी दोहराते हैं परमात्मा है नहीं तो फिर उनका क्या होगा जिन्होंने देखा किसको माना जाए जिसने नहीं देखा वह कहे कि ताजमहल नहीं है ही ऑथेंटिक पर्सन या जिसने देखा ताज महल है ताज महल की खूबसूरती निहारी और उसके गुणगान किए वह ऑथेंटिक है कि परमात्मा है ताज महल है या वह ऑथेंटिक है जिसने ताजमहल नहीं देखा परमात्मा नहीं देखा नहीं खोजा उस की बात
ऑथेंटिक है या जिसने देखा और वो बोला कि वो है कौन ऑथेंटिक लव से ऑथेंटिक है कबीर ऑथेंटिक है नानक ऑथेंटिक है मीरा ऑथेंटिक है या मार्कस ऑथेंटिक है पश्चिम कहता है मार्कस ऑथेंटिक है इसलिए दुखी है जहां मार्कस पैदा हुए वहां बम के गोले बरस रहे हैं आज साल से ज्यादा हो गया यह गोले रुक नहीं रहे और जहां बुद्ध पैदा हुए वो देश शांत है यह बुद्ध का देश है वो बुद्धि हों का देश है या कह लो कि वो बुद्धु का देश है जहां मार्कस पैदा हुए ये सब बुद्धु थे बुद्धिमान व्यक्ति बुद्धु ही हुआ करता है वह बुद्धि में सब समेटने की
चेष्टा में संलग्न रहता है और बुद्धि में वह कभी आता नहीं मैं तुम्हें यह कहता हूं परमात्मा की राह पर चले हो तो अगर तुमने परमात्मा की राह पर चलकर उस आनंद का एक बूंद नहीं पिया तो तुम हत भागी हो तुम निर्भाग हो जिसने उस राह पर चलके उसकी एक बूंद का स्वाद चख लिया उसे ही भाग्यवान कहते हैं और भाग्यवान को ही शर्ट में भगवान कहते हैं भगवान का शब्द भाग्यवान वो भाग्यवान जिस ने उस बूंद उस आनंद की बूंद का स्वाद चक लिया पी लिया गले से नीचे उतर गई वो घूंट तुम शास्त्रार्थ कब तक करते रहोगे यह कभी बंद भी करोगे कि नहीं तुम कब मोन में
उतरो या राधे राधे की बकवास ही करते रहोगे कभी मोन में भी उतर जाओ कभी मौन में जाकर देख लो तुम हो कौन इसलिए मैं रोज कहता हूं रिमेंबर योरसेल्फ रिकॉग्नाइज योरसेल्फ सभी संत कहते हैं और असंत कहते हैं रिपीट रामा रिपीट कृष्णा रिपीट राधा देखो किस चीज से शांति मिलती है तुम अपने जीवन में थोड़ा अपना के देखलो यह पीने की चीज है देखो मजा किसमें है अगर रिपीटेशन में मजा है तो रिपीट करो तुम स्वतंत्र हो तुम मालिक हो अगर पीने में मजा है रिकग्निशन में मजा है रिमेंबरिंग में मजा है तो रिमेंबर करो नो द लेकिन तुम्हें एक बात बता दूं स्वतंत्र तो
तुम हो तुम दुखी भी हो सकते हो तुम्हारी इच्छा है और तुम सुखी भी हो सकते हो और तुम आनंदित भी हो सकते हो ल इज इन योर हैंड्स सभी तुम्हारे हाथ में है होते तुम क्या हो जो तुम्हारा अपना निर्णय है अगर सराह पर चले हो अगर आध्यात्म में आ गए हो तो उस बूंद को कैसे पिए यह जानना उस बूंद को पीने के लिए लालायित रहना शब्दों को न्यूरोस में भरने के लिए लाला ना रहना शब्द तो इन सर लोगों के पास बहुत है और झगड़े भी इन सर लोगों के पास बहुत है तुम देख लेना यह सभी सर लोक एक दिन राजनीति में चले जाएंगे जो कि महा नर्क का कूड़ा
है वहां झगड़ा झूठ के अलावा और कुछ भी नहीं वहां कंपटीशन है झूठ का जो ज्यादा झूठ बोलेगा वह बड़ा राजनीतिक जो झूठ नहीं बोलेगा वह राजनीति में जाए ना जो शीश तली पे धर ना सके वह प्रेम गली में आए क्यों जो शीश तली पे धर ना सके वो प्रेम गली में आए [संगीत] क्यों अगर शीश तली पर नहीं रख सकते तो फिर राजनीति ज्ञों की कतार में शुमार हो जाओ वहां बड़े से बड़ा नर्क है वहां भय का दंड दंड डंडा या लोभ धन का दो चीजों से काम होता है या तो वैद खाओ या खरीद लो और काश इन्हें बै दिखा के या खरीद के वह आनंद की एक बूंद कभी मिल जाती
मिलेग वह आनंद बकाऊ नहीं है वह आनंद वैसे नहीं मिलता निर्भय हो के मिलता है इसलिए बाबा नानक ने कहा निर्प निर्वैर दंड दिखा के वैर से नहीं मिलता हूं अकाल मूरत अजूनी से पम गुर प्रसाद मैं तो खुद से ही मिलता है मैं गुरु प्रसाद से मिलता है जा पर कृपा राम की [संगीत] होई जा पर कृपा राम की होई ता पर कृपा करे सब कोई फिर सारा अस्तित्व उस पर कृपा लुटाता है पर राम की कृपा होती है बस राम को पहचानते हम गलती कर गए तुम पत्थरों वाले राम में उलझ गए जीवंत राम का तुम्हें कोई पता सता नहीं जिस न जीवंत राम में तुम्हारी रुचि
हो गई उस दिन तुम इन शब्दावली के चक्कर में उलझना बंद कर दोगे उस दिन तुम सूचनाओं को संग्रहित करना बंद कर दोगे जितना कूड़ा कबाड़ा है सब बाहर फेंक दोगे सब बेकार शास्त्रों का कूड़ा भी बेकार संतों का बोलना भी कूड़ा मैं जो आज बोलता हूं यह कूड़ा है ध्यान रखना यह सिर्फ एक कांटा है तुम्हारे पांव में कांटा चुभा और मैं इस कांटे से उस कांटे को निकाल लूगा और तुम इस कांटे को जिसने तुम्हारा कांटा निकाला फिर उस जखम में भीतर मत रख लेना नहीं तो वह दर्द बना ही रहेगा फिर तुम इनको सहेज लेते हो बड़ी मुश्किल बात है शब्दों को शब्दों
से समझाना अति मुश्किल असंभव है लेकिन क्या कर तुम्हारे बुझे हुए लटके हुए मायूस चेहरे सुख विहीन शांति विहीन तड़पते हुए भटकते हुए हमें देखकर गलानी होती है दुख होता है बोलने पर हम मजबूर हो जाते हैं बोलना पड़ता है बहुत प्रश्न रह गए वक्त फिर हुआ जाता है श्री कृष्ण [संगीत] गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ [संगीत] नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत] वासुदेवा अनन्या चिंत्य
तुम ये जनहा परू पाते तेशाम नित्या भक्तान योग क् मम [संगीत] वहम योग क्षेम योग [संगीत] क्षेम श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा सर्व [प्रशंसा] मामे कम शरणम ब्रज अहम त् सर्व पपयो मोक्ष श्याम श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी पितु मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण [संगीत]
वासुदेवा धन्यवाद
0 Comments