अजय को कि हमारे शास्त्रों में में कि काम क्रोध लोभ मोह अहंकार है कि इन पांचों को विकार कहा गया है 25 विकार अजय को है और यह इन्हें विकार कहना ठीक नहीं है है क्योंकि वास्तव में [संगीत] यदि किसी व्यक्ति को हम गलत कहीं किसी भी व्यक्ति को हम गलत करें मैं तो सच में वह सिर्फ गलत ही नहीं होता है कि वह कहीं ठीक भी होता है कहीं दर्द होता है कल सु काम क्रोध लोभ मोह अहंकार हां यह बात सही नहीं है कि यह विकार नहीं कि हर क्षेत्र भाषा में इन्हें सिंबॉलिक
रूप से बोला जाए कंटेंस करके बोला जाए तो इन्हें हम एक शब्द दे सकते हैं ऊर्जा एनर्जी है ये दिखिए कि मृतक होता है दो आदमी मर जाता है हैं उसमें यह पांचों ओं के लक्षण नहीं मिलते आपको कर दो का मुद्दा कांग्रेस नहीं हो सकता क्रोध ग्रसित नहीं हो सकता तो नहीं कर सकता नहीं कर सकता था है और अहंकार नहीं कर सकता है क्यों क्यों नहीं कर सकता था है क्योंकि मुर्दे में एक चीज का अभाव होता है लुट चुका हूं कि मुर्दा पूजा विधान हो गया है कि मुर्दे में पूजा समाप्त हो गई है है तो इसको आप ऐसा समझिए है कि के ऊर्जा के ही सभी रूप में
है तो कि ऊर्जा के दिन ना काम क्रोध लोभ मोह अहंकार यह विकार कहते हो तुम किसी भी बेकार में नहीं जा सकते हैं कि शास्त्रों के हिसाब से किसी भी बेकार में यानी के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़े हैं कि अब यहां से बात को आप ठीक से समझ पाओगे ओ कि क्रोध की ऊर्जा का ही एक रूप है के लिए पावर एक है इलेक्ट्रिसिटी रेट है मैं इसी में चली जाए तो ठंड पैदा करती है सेंटर में चली जाए तो गर्मी पैदा करती है कि फ्रिज में चली जाए तो बर्फ पैदा कर देती है है और बल्ब में चिड़ी जाए तो अपने चली जाए तो रोशनी पैदा कर सकते हैं तो पूर्व या एक ही है
है उसको प्रयोग में करने के यंत्रों के कारण वह अपना स्वभाव बदल देती है कि बनर्जी एक ही है [संगीत] कि यंत्रों के बदलने के कारण तो पूर्व या का स्वभाव भी बदला जा सकता है कि इस बात को अच्छी तरह से ध्यान में रख ले आ हुआ है कि अगर हम लीटर की जगह में उसी ऊर्जा को मैं इसी में लगाएंगे एयर कंडीशनर में लगाएंगे तो 9th ठंडी हो जाएगी है उसी को हम बाद में लगाएंगे प्रकाश स्थिति इस बीच में रेफ्रिजरेटर में लगाएंगे तो बर्फ पैदा करते हैं [संगीत] कर दो को सुचारु अगर बहुत आता है काम अगर बहुत आता है कि लोभ मोह अहंकार [संगीत]
से ज्यादा आते हैं हैं तो एक बात समझ लेना कि ऊर्जा के ही स्वरूप है कर दो थे सुपरेशन यह मत पूछिए कि क्रोध कैसे ना हो यह देखिए जब तक ऊर्जा है कि क्रोध भी आएगा आ वो काम भी आएगा कि लोभ मोह अहंकार यह सभी खुश आएगा अब तुम यह मत पूछिए कि यह कैसे 9th कि यह पूछिए के इनसे विपरीत दशा कैसे उपलब्ध की जाएंगी कि क्रोध की जगह ओम शांति उत्पन्न हो कि क्रोध से दूसरे को दुख पहुंचता है [संगीत] है क्रोध अच्छा नहीं है है इसीलिए ही तो आप क्रोध करके प्रेषित करते हैं कि अगर क्रोध अच्छा हो है तो फिर प्रयाश्चित क्यों करते हो
को परिभाषित करते ही आप इसे लिए हैं कि क्रोध अच्छा नहीं कि उक्त दूसरे को दुख देता है एक दूसरे को हानि पहुंचाता है है और बात नहीं आप कहते हो है कि मैं बड़ा प्रयास कर रहा हूं मुझे पछतावा [प्रशंसा] आज दिनांक पश्चताप हो गए हैं थे तभी आपने शांति कर के पश्चात किया कि आपने कभी शांत अवस्था में बैठकर के बाद में कभी किसी से कहा कि बहुत पश्चाताप हो रहा है कितनी शांति चला गया क्यों नहीं ना क्यों है क्योंकि शांति आप बहुत अच्छी हैं आप बुरी नहीं कि यह पूछिए के विरुद्ध को शांति में कैसे तब्दील किया जाए इस काम को आनंद जैन
में कैसे तब्दील किया जाए कि लोभ को दान व्यक्ति ने कि फॉर्मों को वैराग्य है है और अहंकार को चमक तो जोकर ने हुए दो कि खुद को के नीचे करने में कि वो कि डाउनलोड कि कैसे किया जाए सवाल असली यह है है लेकिन हम मजबूर हैं को जन्मों-जन्मों से हमें सिखाया गया है तो यह शत्रु है कि इन का नाश करो कि वो खुद मूर है तो इन्हें शत्रुओं कहते हैं एक मूर्ख है क्योंकि उन्हें पता नहीं यह सब और जाकर रूप है [संगीत] की पूजा जब खत्म हो जाएगी तुझे तुम फिक्र कहते वह कहां रहते हैं [संगीत] है आप की नीति बदलने की बात पूछ कि क्रोध क्यों कैसे तस्वीर करें
है और इन सब्जियों आधिकार कहते हैं 5 इन्हें कैसे तब्दील करें उल्टी दिशा में [संगीत] का काम वासना की बजाएं यह प्रश्न लेते हुए हैं तो आनंद-स्वरूप फैन कि आपका मस्तिष्क शांति ग्रसित हो जाए यह क्या कह जाए उसके लिए कि अहंकार करने की वजह को पकड़कर खड़ा होने की वजह कैसे जुड़ जाएंगे कि चरण [संगीत] के विपरीत व्यवस्थाएं कैसे पैदा किए यह देखिए यह अवस्थाएं भी ऊर्जा की ही अवस्था हैं और वह अवस्थाएं जो इनके विपरीत हैं आनंद की शांति कि वह भी ऊर्जा की ही अवस्था पर कुछ नहीं की पूजा के बिना ना क्रोध कर पाओगे नाप क्षमा मांगता हूं
कि नाक शांति ग्रहों की पूजा का होना तो आवश्यक है कर दो है लेकिन हां मैं जानता हूं आपने जिस दृष्टि से पूछा है है उसका एक बार कि मैं जवाब देता हूं का विरोध के क्षण [संगीत] कि जब तुम होते हो मैं तो तुम्हारा विवेक नष्ट हो जाता है थे फिफ्थ ही हो तो क्रोध ना आए कि प्रज्ञा ही हो कि जागृति हो है तो कोई भी विकार है कि साक्षित्व हो है तो क्रोध नहीं का यह माय शांति है लेकिन अगर कोई ऐसी अवस्था अचानक धन पर अच्छा काम मैं आपको पता भी ना और अचानक ऐसी व्यवस्था की जाए कि कोई आपको क्रोध दिलाते हैं अजय को है तो आप एक छोटी सी विक्रम दत्त अक्षर ए
और याद रखे हैं कि वह यार ऑन करें बहुत बढ़िया है है कि आप अपने गहने नाक के नथुनिया को थे राइट हैंड साइड वाला डाइनर की रचना है कि नॉस्ट्रिल हमारे ना का दाहिना हिस्सा है है उसको दबा रही है कि डायना को दबा ली को हल्के से के नाक से को स्वच्छ बनाए बहने नाक से श्वास अनार हैं और अपनी दृष्टि को मैं मन ही मन कि दोनों आंखों के बीच में जो हम तीसरा नेत्र की जगह ने करते हैं त्रिनेत्र तो तीसरा नेता है कि उसकी जो हम स्थिति गिनते हैं वहां पर अपने ध्यान को लगा लें कि डायना को दबा लें अ है और ध्यान को तीसरे नेत्र पर लगा दो
कि वीर्य आप पाएंगे बस यही 5 मिनट्स बहुत जाता है 2012 में कि आपका क्रोध शांत हो गया कि यह सहज अवस्था है लेकिन तात्कालिक करने वाली कहीं आप कुछ ऐसा कबाड़ा न क बैठोगे कि जिस कपड़े के कारण आपको जीवन भर पछताना पड़े के विरोध में और ऐसा कोई भी कदम उठाया जा सकता है कि कुछ भी उठाया कर सकते हैं जिसके परिणाम दूरगामी ही नहीं हैं बल्कि वे जीवन भर के लिए भी आपको मुक्ति देने पड़ सकते हैं है क्रोध बड़ी खतरनाक स्थिति है है इसीलिए यह बिल्कुल सहज हल्की सी प्रक्रिया मैंने बता दी है है कि अगर आपको अकस्मात ही क्रोध शांत पड़
गया मजबूरी है अब कुछ नहीं कर सकते हैं है तो आप गहने नाक को डालेंगे और बहन आपको दो आते ही आप पाएंगे कि आपका विचार बंद हो गया यह प्रक्रिया आप ज्यादा विचारों के में होने से भी कर सकते हैं में क्रोध की अवस्था के इलावा यह आपका मन ज्यादा भटक रहा हो [संगीत] से ज्यादा विचार आ रहे हैं हूं [संगीत] और ज्यादा परेशानी में हूं है और मन चारों दिशाओं में घूम रहा हो तो कुछ देर की शांति के लिए भी अ आपको यह तरफ बहुत मददगार सिद्ध होगी कि हुआ था बस उसके लिए सिर्फ अ इस समय की कमी या थोड़ा सा बढ़ाना कि आपको करना पड़ेगा ना
है यह आप देख सकते हैं कि विचार या ग्रोथ कब शांत होते हैं तब आप यह क्रिया करनी बंद कर दी ढील है लेकिन तभी तक आप चाहिए दो-चार मिनट आपको ज्यादा लग जाए लेकिन यह क्रिया तब तक करते रहें जब तक के क्रोध शांत नहीं हो जाता या मन के विचार शांत हो जाता है
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