बाबा जी प्रणाम विशेष मुनि उज्जैन से पूछते हैं भगवान महावीर का संथारा शरीर को छोड़ देना क्या आत्महत्या की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा क्या हम उसे ऐसा नहीं कह सकते वर्धमान महावीर ने आत्महत्या की यह प्रश्न मैं जैनी हूं दिमाग में कमता ही रहता है और मुझे मेरे मार्ग दर्शक सही से जवाब नहीं दिए पाए हैं आप कृपा कीजिए बड़ा सुंदर और महत्त्वपूर्ण प्रश्न है मैं आपको तीन उदाहरण देता हूं एक सोक्रेट एथनस का वो महा ज्ञानी व्यक्ति सुकरात दूसरा महात्मा बुद्ध लालो या भगवान महावीर लगा लो और तीसरा आप जिन्होंने प्रश्न
पूछा सिर्फ समझाने के लिए कह रहा हूं आपका अहंकार चोट ना खा जाए और अगर खा भी जाएगा तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैंने अपनी बात समनी है समझा ही दूंगा विशेष मुनि जी यह तीन लोगों के बारे में आपको जिंदगी के जीने का ढंग सही समझा जाएगा अगर आपने मेरी बात को पूर्ण सुना और ध्यान से सुना कोलाहल हीन वातावरण में सुना और एकांत में प्रेम से सुना भागते भागते मेरे प्रवचन को मत सुना करो उससे अच्छा तो मत सुना करो क्योंकि शब्दों की गड़बड़ अगर उलझ गई आपके नरस में तो बड़ा तंग करेगी जैसे आपको यह बात तंग कर रही है अब हम शुरू
करें सक्रेटीज के ऊपर मुकदमा दर्ज हुआ मृत्यु दंड मिला इसको जहर का प्याला पिला दिया जाए सबसे विषैला सर्प वह जहर इसको दे दिया जाए बस यही इसकी सजा है वैसे मारना किसी प्राणी की सजा नहीं होती क्योंकि आप उसे मार तो सकते ही नहीं सुधारणा किसी व्यक्ति की सजा होती हो सकती है और बड़े मजे की बात है कि हमने अपनी जेलों के नाम सुधार ग्रह रखे हुए हैं जहां व्यक्ति सुधर जाए आख सबसे पहली उदाहरण मैंने सोक्रेट की थी सोक्रेट को सरकमस्टेंस आया मृत्यु दंड का आपके ऊपर भी आता है विपन्नता का निर्धनता का कोई महत रोग आपके हो
गया कोई कहीं दर्द उठा रातों की नींद हराम हो गई खा नहीं सकते सो नहीं सकते चल नहीं सकते आपके ऊपर परिस्थितियां मनो अनुकूल नहीं है परिस्थितियां सुकरात के भी मन अनुकूल नहीं है यह दो व्यक्ति मृत्यु नहीं चाहते आप भी मृत्यु नहीं चाहते और सुकरात भी मृत्यु नहीं चाहता लेकिन वक्त वक्त ऐसा होता है वक्त बड़ों बड़ों को दूल जटा देता है परमात्मा की बृहत सृष्टि को प्रणाम करना चाहिए क्यों क्योंकि उसका एक जर्रा भी तुम निर्मित नहीं कर सकते तुम गालियां निकाल सकते हो उस सर्जन हारे को शिकायत कर सकते हो शिकवा कर सकते हो लेकिन इस समग्र सृजना
का एक रेत का कण भी एक पानी की बूंद भी बना नहीं सकते तो तुम बिन बिना अपनी औकात देखे उस सर्जन हारे पर आरोप लगा देते हो गालिया निकालते हो गलतियां निकालते हो तुम ज्यादा स्याने समझते हो अपने आप को अपना ही बिगाड़ दे हो ईश्वर का कुछ बिगाड़ा नहीं जा सकता उसने जो बना दिया बना दिया सटीक बना दिया अपने ढंग से बना दिया और तीसरा महात्मा बुध या महावीर ये तीन उदाहरण मैंने आपके समक्ष रख तो हम आपसे शुरू कर ले आम इंसान संसार में रहने वाला उसे जीना नहीं आता अगर उसके ऊपर विपन्नता आ जाती है घबरा जाता है कर्ज हो जाता है सिर पर घबरा जाता है
बीमार हो जाता है हॉस्पिटल्स के चक्कर लगाता है वह सरकमस्टेंसस से लड़ता है इसको आप इन शब्दों को आप अपनी डायरी में नोट कर लेना आप सरकमस्टेंसस से लड़ते हो जो सरकमस्टेंस आपने पैदा नहीं किए जो पैदा हो गए दूसरा सरकमस्टेंस से लड़ना पहला यह सांसारिक व्यक्ति का काम है संकट को स्वी कर लेना यह दूसरे व्यक्ति का काम दूसरा व्यक्ति है सक्रत सोक्रेट और संकट को जानबूझ के पैदा करना उसे हम कहते हैं संत वह जानबूझकर पैदा करता है हमारी पंजाबी में कहावत है आ बला दुपहरा कट जा आप बैल मुझे मार यह तीन तरह के व्यक्ति पहले आप जिन पर संकट वेला आती
है और आप उससे लड़ने लग जाते हो कैसे इनको दूर करें दूसरा जो संकट आई उसे स्वीकार कर लेता है और रास्ता भी तो कोई नहीं है व सुकरात और तीसरा संकट कोई नहीं मजा है जिंदगी को जिए चले जाते हैं राज महल है जवानी भरपूर स्वस्थ शरीर सुंदर काया राज काज के मालिक होने वाले राजा सब है एक इशारा और सब मौजूद हो जाता है उसके इशारे से नाचती हैं [संगीत] हए उसके इशारे से आग धड़कती है उसके इशारे से गुरुस्थान खिलते हैं उसके सितारे से उसके इशारे से फिजाएं महकती है वह राजकुमार बुत कोई तकलीफ नहीं कुछ स्वीकार नहीं करना पड़ता सब चंगा
है लेकिन जानबूझ के पैदा करता है आओ अब इसके विस्तार में चले यह मानवता के जीने का रक्षण ढंग है जो शायद आपने जीवन में कभी सीखा ना हो चले आज सीख लो विपन्नता है संपन्नता है आप घबरा जाते हो संपन्नता भी अगर ज्यादा आए तो आपकी रिड की हड्डी सीधी हो जाती है फिर आपकी चाल देखते ही बनती है थोड़ी सी लॉटरी क्या लगी है आपका चलने का ढंग बदल जाता है मेरे प रो में गुरू बंधा दे के फिर मेरी चाल देख ले जो कल तक झुके झुके से चलते थे आज कमर सीधी है 90 डिग्री के परर बाहर का वातावरण बद बदला सरकमस्टेंस बदला तो आपकी चाल भी वैसे ही बदल जाती
है कभी मरे मरे से चलते हो कभी मस्तानी चाल चलते हो यह आपका ढंग है जीने का मतलब तुम अपनी इच्छा से नहीं चलते परिस्थितियां तुम्हें चलाती हैं सरकमस्टेंसस तुम्हें चलाते हैं और तुम सरकमस्टेंसस के अधीन हो बुरा वक्त है तुम घबरा जाते हो अच्छा वक्त आए तुम्हारी छाती 56 इंच की हो जाती है ऐसा मत कर थोड़ी सी संपन्नता भी तुहे ऐसा सीधा कर जाती है फिर आपकी चाल देखते बनती है और तुम मूर्ख हो क्यों क्योंकि यह धूप और छा के खेल है व्यक्ति मान करे अपने स्वय अर्जन का मान करें जो तुमने स्वय अर्जित किया जो दूसरों की दी हुई दूसरों ने कृपा करके
तुम्हें कोई पदवी दे दी उसका काहे मान होता है वह तो दूसरों की अमानत भर होती है लेकिन फिर भी तुम्हारी चाल बिगड़ जाती है यह पहले व्यक्ति के लक्षण है और यह नीच स्थ लक्षण है निमत संसार का प्रत्येक प्राणी प्रत्येक में इसलिए कहता हूं कि बाकी दूसरे या तीसरे नंबर के तो कोई कोई बरला ए आद ही मिलेगा इसलिए अगर मैं कह दूं प्रत्येक प्राणी तो कुछ गलत नहीं है ऐसे ही जिंदगी जीता है वो तुम हो दूसरा प्रण संकट वेला आ गया वह सुख रात कोई कसूर नहीं किया संत कसूर करते हुए कहां संतों का कसूर तुम बना देते हो बस टांगने का बहाना
चाहिए हमारे पंजाबी में कहावत है स्त्री कहने लगी आदमी से मैं तेरे नहीं बसती आदमी ने कहा क्यों ऐसी क्या गलती अब कोई बहाना तो चाहिए जेल में डालने का तो स्तरी कहने लगी तू जब खाता है ना तो दाढ़ी हिलती है मैं तो भाई जब बोलता हूं तो भी दाढ़ी हिलती है तो बहाना चाहिए बस ऐसे ही बहाने होते हैं लोगों के थोड़ा सा आपने पंप क्या भरा कि चाल बदल जाती है हाल बदल जाता है दूसरे तरह के लोग बड़े प्यारे लोग हैं उनके ऊपर विपत्ति आ गई बुध की तर विपत्ति नहीं आई बुद्ध तो मजे में है आपके ऊपर विपत्ति है लेकिन आप घबरा जाते हो
सरकमस्टेंसस से और फिर घबरा तो कोई भी जाता है अब सबक सीखना इन बातों से क्योंकि ऐसी कहानियां कभी-कभी कोई पूछता है कभी-कभी कोई इस मौन झील में कंकड़ी फेंकता है और कभी-कभी य लहरें उठती हैं और ऐसी शानदार लहरें रोज नहीं उठती तो इन्हें समाहित कर लेना जीवन का ढंग सीखना तो सभी चाहते हैं जीना तो इसी तरह सभी चाहते हैं लेकिन जी कहां पाते हैं सुकरात एनलाइन नहीं है अभी उन्हें ज्ञान नहीं हुआ अभी नहीं जाना कि मैं कौन हूं अभी आपकी ही तरह है तो ऐसा समझ लो कि जैसे आपको ऐसा हो जाए तो आप क्या करो रो रो के बुरा हाल हो
जाएगा घबरा जाओगे य किसी को हार्ट अटैक आ जाता है तो वह बाहर निकल के कहता है मैं चालू आजा भाई मिल ले गले मैं तो चाल ऐसा बुरा हाल तुम्हारा हो जाता है अरे भाई हार्ट अटैक हुआ 70 80 साल इसने साथ ने भाया उसका धन्यवाद कोई नहीं धन्यवाद तो तुम करना ही नहीं जानते दूसरों की लाशों को पौड़ियां बनाने वाले लोग धन्यवाद की कदर क्या जाने और जो धन्यवाद करना सीख गया जिसके हृदय से धन्यवाद निकला सिर्फ जुबान से नहीं जुबान से तो बेशक न भी निकले हृदय से धन्यवाद निकले तुम तो उस परमात्मा तो को भी धन्यवाद नहीं कर पाते शुकराना नहीं करते
उसका बस मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों चर्चों में जाकर माथा टेक लेते हो वह भी लोक दिखावा झुकते कहां हो रीढ की हड्डी तो झुकती है नमाज में तुम कहां झुकते हो तुम उस वृहत का जिसने सारी सर्जना रची उसको धन्यवाद नहीं करते वर्ण कुछ ऐसे कुछ ऐसे नाफरमान लोग हैं जो परमात्मा की होद को भी इंकार कर देते हैं क्योंकि अगर उसकी होद को माना तो ईश्वर के हिसाब से चलना होगा और ईश्वर के हिसाब से चलना नहीं चाहते और ईश्वर कोई ऐसी चीज तो है नहीं कि जो इंद्रियों से देखी जा सके इंद्रियां भी तो उसी ने दी हैं तुम्हें और वह बेहतर जानता है
कि इन आंखों से तुम्हें क्या दिखाई पड़ेगा इस इन आंखों से तुम्हें वह निर्माता दिखाई नहीं पड़ेगा जिसने यह आंखें बनाई देखिए कितनी गजब की बात मूर्ति कभी मूर्तिकार को नहीं देख सकती चित्र में यह क्षमता नहीं डालता मूर्तिकार कि चित्र देख ले मूर्तिकार को इसलिए मूर्ति का नहीं कह पाएगी चित्र कभी नहीं कह पाएगा मुझको बनाने वाला चित्रकार कोई है क्योंकि वह देख नहीं पाते यह तो अगर कुछ गिनती चुनती के लोग ना होते तो तुम उस अदृश्य शक्ति का धन्यवाद भी ना करते लेकिन तुम्हारा लोभ है जिस संसार में तुम भोगते हो खाते पीते
हो सांसारिक यात्रा पूरी करते हो लोभ तुम्हें ये है कि उसमें सुख नहीं मिलता और सुख मिलता है तो थोड़ा थोड़ा जैसे हवा का एक झक आया फिर गुम हो गया फिर कभी आया फिर गुम हो गया अखंड धारा नहीं बहती उस सुगंधी तो तुम्हारा लोभ हो जाता है कि कैसे इस अखंड धारा को मैं प्राप्त करलू प्यारी पड़ी है ये ठंडी हवाएं लहरा के आती हैं मदमस्त कर जाती हैं अपनी सुगंधी चारों तरफ बिखेर जाती है तुम इनका गुणगान करने के बजाय मूर्ख व्यक्ति अपना गुणगान करवाता है हिरण्य क शप की तरह मैं ही हूं भगवान प्रहलाद तुम मेरे पुत्र हो तुम नारायण नारायण मत
करो तुम हिरण्य कश्यप हिरण्य कश्यप करो मनुष्य इतना मूर्ख है शुक्र करो धन्यवाद करो उन लोगों का वैसे वह धन्यवाद आपसे मांगते क्योंकि वह इतने खुश नसीब हो गए हैं इसलिए हमने भगवान का नाम रखा भाग्यवान जो भाग्यवान हो गया फिटफुल वह इतना भाग्यवान हो गया उसका बीज इतना खिल गया कि कली ही नहीं फूल बन गया खुशबुओं को लहराता गया दूसरों के नासा फूटों को सुगंध मान करता रहा वह भाग्यवान है कुछ लोग उस तल पर पहुंचे उन्होंने तुम्हें सिर्फ सूचना दी के मूर्ख मत बनो मूर्ख बनोगे तो दुखी रहोगे संसार में उलझे उलझे चलोगे फिर सुख की कामना मत करो जो अखंड
धारा उस सुख की बहती है बहती है बस यह खबर देने वाले कोई ए आध लोग कभी-कभी बीच में आ जाते हैं वह तुम्हें अजूबे से लगते हैं और फिर तुहे लगता है यह किस लोक से आए हैं लोग कहां से बोलते हैं यह भाषा कौन सी प्रयोग करते हैं क्योंकि तुम तो किसी और के इंतजार में बैठे हो तुम इंतजार में बैठे हो उल्लू वाहनी लक्ष्मी का और जरा सी दरवाजे पर आहट होती है तो तुम दरवाजे के ऊपर पलट के देखते हो कि उल्लू बहानी आ गए जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो
नहीं कहीं ये वो तो नहीं य कहीं उल्लू वाहनी तो नहीं आ गई क्योंकि जिसकी अभिक्षा तुम्हारे प्राणों में है उसका ही तुम इंतजार करते वो जो सर्व सर्वदा के लिए तुम्हें दुखों से मुक्त कर जाता है पीड़ा से मुक्त कर जाता है उसकी तलाश तो तुम्हें अभी पता ही नहीं कि वह कुछ ऐसा होता है अभी कुछ मुट्ठी भर लोग नहीं कुछ गिनती भर लोग तुम्हें सूचना दे देते हैं और तुम उसे पागल समझते हो और तुम उनके जीवन के जीने का ढंग देखते नहीं क्यों ये एक स्थान पर बैठे हैं दसों सालों से क्या लकवा मार गया है क्यों नहीं यह स्वादिष्ट चीजों का सेवन
करते क्यों नहीं यह भागते ये पिक्चर हाउस क्यों नहीं जाते ये मेलों में क्यों नहीं जाते जश्न मनाने क्यों नहीं जाते यह क्यों नहीं जाते कोई फॉर्मेलिटी करने क्या कारण है यह लोग तुम्हारी समझ से परे हो जाते हैं तुम कारण कभी नहीं तलाशते इन गिनती भर लोगों को वह मिल गया है जिसके मिलने से सब दुखड़े दूर हो जाते हैं थाए शांत हो जाती हैं दर्दों की निवृत्ति होती है और 2400 घंटे सदा दिवाली साद की आठों पहर आनंद उस मस्ती के सरोवर में डूबे रहते हैं क्या हुआ इ तुम नहीं समझ पाओगे लेकिन अगर यह मुट्ठी भर लोग ना होते तो
मार्क्स जैसे लोग आपकी जिंदगी को आगे नहीं बढ़ने देते बस व पदार्थ की सीमत करके छोड़ देते इसलिए मैं मार्क्स को आध्यात्मिकता का घोर शत्रुता मार्कस कहता है धर्म अफीम का नशा है मैं कहता हूं मार्कस अध्यात्म का सबसे बड़ा शत्रु है जिसने अध्यात्म के बीच में सुमेरु पर्वत खड़ा कर दिया बुद्धि की इतनी दलील यह पेरियार जैसे लोग लेकिन इनको टोके भी तो कौन टोके वही टोके का जिसने उन उच्च आकाश में झूमते हुए उन कलश को देख लिया उन कलश पर जो सवार हो गए वही इनको टोक पाएगा उन्हें वो धरती के कीड़े लगेंगे यह रंगते हुए लोग मार्कस
जैसे कोई शांति नहीं कोई शीतल हवा का झका नहीं इनके भीतर इनका मन सदा बोलता है कभी चैन नहीं इन्हे कभी करार नहीं सारे दिन दौड़ता है भागता है तंग करता है और फिर ऐसे ही लोग विषाद में आकर आत्महत्या कर लेते हैं कसूर किसका कसूर इनका स्वयं का मन तुम्हारी शक्ति से चलता है ध्यान रखना मैंने बहुत बार कहा और कमाल की बात है तुम कहते हो कि मन हमें तंग करता है ना तुम्हारा गुलाम तुमसे खाना लेके तुम्हें तंग करे यह कहां का तर्क है सीधी सी बात है उसे खाना देना बंद कर दो शक्ति देना बंद करो मन क्यों तंग करेगा तुम्हें जो चलता तुम्हारी ताकत से है जो
चलता तुम्हारी एनर्जी से है तुम्हारे पास उपाय है लेकिन तुम करते नहीं तुम इंद्र हो रोज शिकायत करते हो कि हमारी इंद्रियां हमें तंग करते हैं बिल्कुल तंग करेंगे जब तुम उन्हें शक्ति देना शुरू रखोगे तो भला इनका क्या कसूर है फिर तुम निकल जाओगे इस देह से फिर ये चैन से बैठ जाएंगी इंद्रियां इंद्रियां सभी वही होती हैं मुर्दे को तलाश लेना मुर्दे में कोई इंद्रिया कम नहीं होती इंद्रिया सभी वही होते हैं बस तुम चले जाते हो अपना घर छोड़ ग तो ये गिनती भर लोग अगर ना होते तो मार्क्स जैसे दुख प्रवृत्ति के लोग दुख ही बिखरते
रहते हैं लेकिन उस परमात्मा का शुक्र है उसने बुद्ध जैसे लोग भी पैदा किए और बुद्ध जैसे लोग पैदा किए तो एक राज महल का राजकुमार भूखा रह के वह तत्व को छीन लेता है प्रकृति के हाथों से और गले के ले जाकर बांटता है और अगर बुद्ध ना होते तो मार्कस का कोई तोड़ नहीं था शुक्र करो इस धरा पर मार्कस का असर क्यों नहीं हुआ क्योंकि बुद्ध पहले आ चुके थे सिर्फ उन धरा पर मार्कस का असर हुआ जहां बुद्ध का पैगाम नहीं पहुंचा था यहां तो अनेकों बुद्धों की धर्म स्थली यह तो गर्भ है गर्भ गृह है बुद्धों का यहां मार्क्स का प्रवेश असम है मुश्किल
ही नहीं यहां मार्कस नहीं आ सकते दूसरी तरह का व्यक्ति है जिसके ऊपर सरकमस्टेंस तो तुम्हारी तरह आता है वैसे ही विपन्नता है वैसे ही कल कलेश है वैसे ही देह है उसकी वैसे ही उसके फोड़ा होता है वैसे ही दर्द होता है वैसे ही भूख प्यास लगती है वैसे ही कमियों से जूझता है वह और सुकरात सुकरात की घरवाली बड़ी निमन स्तर की औरत है लेकिन सुकरात इन सभी सरकमस्टेंसस में ऐसा गुजर करते हैं शानदार कि देखने वाले की आंखें ठहर जाती हैं इसके घर वाले इतना परेशान करते यह छोड़ क्यों नहीं देता लेकिन नहीं छोड़ता य बहुत पुरानी घटना की बात है 2500
वर्ष जब चाहे छोड़ सकता है व्यक्ति आज कोई न्यायालय नहीं है आज कोई संविधान नहीं है और एथेंस में कोई परंपरा भी नहीं ऐ कि सुकरात को उसकी घरवाली तंग करे और घर वाले को छोड़ ना सके अगर छोड़ना सके तो खुद तो जा सकता है घरबारी से दूर चला जाए लेकिन बीच में ही बैठा रहता है क्या हुआ इसके भीतर कोई शौकर आ गया शौक प्रूफ कितने भी शौक बाहर से लग जाए सरकमस्टेंसस के वो गरीबी के हो और बीमारी के हो व दर्दों के हो घबराहट के हो और लोगों के कमेंट्स के हो चले उसके ऊपर केस मुकदमे पेशियां भी हुई और ऊपर से उसकी घरवाली उसको बड़ा तंग
करते उबलता पानी लाकर उसके ऊपर फेंक देती बिना कारण के उसको तंग ही करते रहते खाना देना है नमक नहीं डाला बेवजह की परेशानी वक्त देखो कैसे परीक्षा लेता है किसी व्यक्ति की सुकरात इसलिए सुकरात को महान कहते हैं तुम साधारण त्या ऐसी तुम्हारे पास औरतें घरवाली होती हैं जो तुम्हें इतना तंग तो नहीं करते हैं वैसे तो औरतों को सदा ही शिकायत रहती है शिकायत आदमियों को भी यही रहती है वो तो चलते ही रहेगी तुम चाहे कोई जाल बैठा लो बाहर की व्यवस्थाएं बदलेगी शादी के बंधन के बजाय न में तुम रहने लग जाओगे लेकिन बात सुनो बंधन का कारण बाहर
नहीं यही तो चूक है औरत तुम्हें बांध ले तुम इतने कच्चे हो आदमी तुम में बांध ले तुम इतने कच्चे हो नहीं बंधन का कारण तुम्हारे भीतर है और उसे सुकरात कहते हैं अ बस तुम जानते नहीं जिस दिन जान लिया मैं कौन उसने यह बंधन बंधन नहीं है आचार्य जैसे लोग आपको समझाते रहेंगे और वो खुद पागल है खुद मूर्ख है कोई आईस करके समझदार हो गया यह गारंटी है क्या तुम्हें जीने का ढंग सिखाते हैं ये लोग लेकिन जीने का ढंग मैं कहता हूं यह एकाद लोग अगर ना होते तो या तो मार्कस जैसे लोग आपका जीना हराम कर देते हैं या फिर यह आचार्य जैसे
लोग आपको गलत मलत रह दे के गलत मलत व्याख्या करके आपका जीवन दोफर कर देते जिंदगी सुखी ना होते यह बात समझ लो मैंने देखा है एक व्यक्ति मेरे पास आ गया सभी गुरुओं के पास जाई चयन नहीं मिला बाबा आपकी बातें सुनकर टूट गए भ्रम मैंने कहा आचार्य के पास भी गई थी तो उसने नखरा बनाते हुए कहा उसके तो बात मत करो गौर सांसारिक व्यक्ति अध्यात्मिकता के प्रवचनों में संलग्न उसे जरा भी शर्म नहीं आती कि मैं कैसा समाज छोड़ के जाऊंगा बेरडा समाज जतु आर्कस की तरह जाओ एक तरफ तो है या बुद्ध की तरह हो जाओ एक तरफ तो है ये आचार्य र हैं ना इधर के ना उधर
के बस आप समझ गए होंगे ज्यादा फिर इज्जत नी अच्छी भी नहीं होती है दूसरे तरह के लोग हैं सरकमस्टेंस किसके बुरे नहीं होते गरीबी आती है लेकिन अमीरी भी आती है बुद्ध जैसे लोग उसको भी छोड़कर भाग जाते हैं यह क्या साबित करता है किस बात की सूचना है यह सुख तो गरीबी में भी नहीं विपन्नता में भी नहीं और संपन्नता में भी कहां सुख है बुद्ध तो संपन्न है महावीर तो संपन्न है राजपुत्र नहीं राजा है क्यों छोड़ देते हैं क्योंकि खुशहाली का राज भीतर है कितना ही ये सिखाते जाएं इनकी व्याख्या से पता चलता है इनकी मुड़ता का कितना ही यह अलग होके गीता का प्रवचन
कर रहे हैं लेकिन हवाओं के झोंके मेरे तक पहुंचते ही रहेंगे मुझे पता चलता ही रहेगा कौन से मेरे श्लोक की व्याख्या कैसे की गई मैंने पहले भी कहा था मेरी ही सृष्टि में अगर मुझे पता ना चले तो फिर किसको पता चलेगा तो मूर्ख मत बन और मूर्ख वत मनाओ ये ज्ञान यही धरा रह जाएगा कोई कदर नहीं करेगा देखिए इस बर ज्ञान को तो कोई कदर नहीं करेगा या मार्कस हो जाओ आधि दुनिया मार्कस के पीछे होले या बुद्ध हो जाओ आधी दुनिया बुद्ध के पीछे भी होली लेकिन ध्यान रखना तुम फसली कीड़े हो एक फसल प आए और फिर चले जाओगे कुछ नहीं देके जाओगे अपना वक्त
बर्बाद करोगे इससे अच्छा होता ऐसा वक्त कोई घर में बैठ के अपने आत्म संस्थान में खोज में गुजारते तो कुछ बला हो जाता दूसरी तरह के लोग सुकरात सुकरात के ऊपर आए सरकमस्टेंस मृत्यु दंड मिला पहला व्यक्ति घबरा जाएगा सिफारिश डालेगा भागने की कोशिश करेगा जेलों को तोड़ने की कोशिश करेगा वह उससे लड़ने की कोशिश करेगा बचने की कोशिश करेगा और यह यह कोशिश तुम जैसे लोगों की है तुम चाहते हो कैसे बचे क्या है इसका उपाय लेकिन सुकरात बचने की चेष्टा नहीं करता ये दूसरी तरह का व्यक्ति है जिसके ऊपर विपत्तियां तो आई सच में आई राज्य दंड भी इसको मिला मृत्यु दंड भी
इसको मिला तो जहर पिला दिया जाए इसको और इतना प्यारा व्यक्ति है जब जल्लाद उसको जहर का प्याला देने लगा तो जल्लाद के हाथ कंप रहे थे कांपते हुए हाथों से उसने सुकरात के हाथ में जहर का प्याला पिलाया सुकरात बोला तुम क्यों तुम क्यों कप रहे हो बोला जहांपना ऐसे प्यारे व्यक्ति को मृत्यु देने का फरमान मुझे ही हुआ लेकिन मैं क्या करूं मैं लाचार हूं मैंने बच्चे पालने और मेरे पास कोई और तरीका भी कल को इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें मेरा भी जिक्र होगा जहर देने वाले का और आपका भी जिक्र होगा जहर पीने वाले का कितनी खुशी खुशी जहर का प्याला पकड़ा
और हाथ में कंपन नहीं आया और जहर देने वाले के हाथ शरीर कांप रहा है पूरा और जहर का प्याला सुकरात को पिला के उसके पांव में लोटपोट हो गया क्षमा करते मैं हुक्म बजा रहा हूं सिर्फ और मजबूर सरकमस्टेंस उस व्यक्ति के ऊपर भी है सरकमस्टेंस सोक्रेट प है और मैंने कहा सुकरात अभी पहुंचा नहीं सुकरात को ज्ञान नहीं हुआ लेकिन ज्ञान से पहले कमिंग इवेंट्स का शड बिफोर आने वाली घटनाए अपनी परछाइयों को पहले गरा देते हैं बस आ ही जाएगा ज्ञान याय आने की छाया है आने के अनुभव है यह हवाएं हैं ठंडी जो बता देती हैं कि कहीं बारिश हुई
है कहीं मौसम ने करवट ली है कोई मौसम ब पांव में गर पड़ा मुझे क्षमा कर दो मैं मजबूर हूं मैंने बच्चे पालने मेरे पास कोई ऑप्शन भी नहीं गैर पढा लिखा कोई हुनर मेरे में है नहीं सुकरात कहते हैं तू घबरा मत तो बिल्कुल निश्चिंत हो जा तेरे ऊपर कोई आरोप नहीं मैं तुम्हें जाने से पहले आरोप मुक्त करता हूं क्योंकि तू सिर्फ हुकम बजा रहा है और हुकम बजाने वाला अपराधी नहीं हुआ करता अब थोड़ी सी पंक्ति ले ले य हुकम अंदर सबको बाहर हुक्म न कोय नानक हुक्म ज बुझ तहो में कहे ना कोई हुक्म बजाने वाला कभी अपराधी नहीं होता हुकम मानने वाला कभी
अपराधी नहीं होता हुकम देने वाला अपराधी होता है तो नन कहते हैं हुक्मी उसको मान लो क्योंकि वैसे भी हुकम के अंदर ही दुनिया चल रही है अज्ञानी जानते नहीं ज्ञानी जान जानते हैं जिनके पास आंखें हैं वह आंख खोल के देख लेते हैं कौन हुकम चला रहा है जो अंधे हैं वो देख ही नहीं पा बोलेंगे क्या हुक्म है अंदर सबको य एक सत्य है नानक कहते हैं यह सत्य है सब कुछ उसके हुकम में हो रहा है लेकिन तुम्हें मानने को बाद नहीं करते नानक क्योंकि मानने से कोई परिवर्तन नहीं होगा मेरे खाने से तुम्हारा पेट कहां भरेगा मेरे जल पीने से तुम्हारी प्यास
कहां बुझेगी हुक्म अंतर सबको बाहर हुक्म ना कोई अगर आप मुझे कहा है कल एक मेरे पास प्रश्न आया बाबा जैसे आपने विपत्ति काल में नमो अरिहंता नाम नमो सिद्धा नाम जैन में और बुध में बुद्धम शरणम गच्छा ऐसे कोई सिख धर्म में है हां बिल्कुल है दुख पर हर सुख कर ले जाए एक तो यह है विपत्ति काल में इसका स्मरण करो स्मरण ही करना है स्मरण ही करना है तो इसको याद करो दुख पर हर सुख कर ले जाए और दूसरा हुकम है अंदर सबको तेरी मर्जी बाहर हुक्म ना कोय नानक हुक्म ज बुझे त हो में कहे ना कोई फिर दुखी नहीं होता व्यक्ति अगर तुम हुकम ही बजा रहे
हो तो हुकम बजाने वाला कभी दुखी नहीं होता लेकिन यहां तो व्यवस्था ही ऐसी है जिसको जहर दे रहा है वह इतना बुरा है जस्ट इनोसेंट लाइक चाइल्ड बड़ा प्या वति हाथ कंप गए उसके शांत चेहरे की तरफ देखकर हाथ थे कि आगे नहीं बढ़ रहे लेकिन कर्तव्य था कि मजबूरी बनक आड़े आ गया कर्तव्य ने कहा जहर दो तुम्हारे बालकों की जिंदगी का सवाल है तो मुझे क्षमा कर देना ये अपराध मैं खुद से नहीं कर रहा दूसरे तरह के व्यक्ति है सुकरात ने वो जहर का बैला मु लगा लिया कहानी कहने को कुछ और होती है आंखों के दर्शन से अगर कोई चीज देख ली जाए तो वह बात कुछ और होती
है आसपास उसके शिष्य खड़े हुए फफ कर रोने लगे आंखों में आंसुओं की धार विदीर्ण हृदय से देख नहीं पाए स दृश्य को निर्दोष है कोई दोष होता तो मन को ठहरा लेते कहीं अब दोष भी कोई तो बाहर चले गए प्लेटो बाहर चले गए नहीं आत्मा सहार सकी इन दुखदाई क्षणों को सब बाहर चले गए सुकरात के बड़े प्यारे प्यारे शिशु हुए रस्तु भी उनमें से ही एक था वो इस दृश्य को ना देख सके कोई भी सेंसिटिव व्यक्ति होते हुए जुल्म को देख तो नहीं सकता बस मजबूरी वश देखना पड़ जाता है दूसरी तरह का व्यक्ति है जहर का प्याला मुंह को लगा लिया सारा घटक गटक फिर
गया प्याला नीचे रख दिया और वह जाते हुए अपने शिष्यों से बोल रहा है तुम बाहर जा रहे हो यही तो क्षण है अमूल्य मृत्यु के क्षण को मैं लाइव कमेंट्री की तरह बताऊंगा आपको क्या हो रहा है और तुम यह भागने की वेला नहीं है जागोगे तो पा जाओगे उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रन कहां जो सोत [संगीत] है उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहां जो सोवत है जो जागत है सो पावत है जो सो वत है सोख होवत है उठ जाग मुसाफिर बोर भई जागोगे तो आ जाओगे सोगे तो खो दोगे भागो मत सुकरात ने कहा रुक जाओ यही बेला है मैं जीवित टिप्पणी करूंगा अपनी मृत्यु
के ऊपर और तुम देखते रहना तुम सुनते रहना भागो मत यही तो बेला है सुबह हो गई मुसाफिर तू जा मत तू ठहर जा थोड़ी ही सी तो देर की बात है नो प्लेटो एंड एरिस्टोटल र द स्टूडेंट्स ऑफ सक्रेस कहता जाओ मतवा यही वेला है रुकने की और तुम जब वेला होती है रुकने की तो बाग जाते हो वही वेला जागने की होती है पस्तु ने कहा रोते हुए प्रभु आंखें इस दृश्य को निहार नहीं पाती प्लेटो ने कहा ह हृदय विदीर्ण हुआ जाता है कैसे रुके फिर भी सत्य के लिए रुक जाओ सोक्रेट ने कहा रुक जाओ टू नो व्ट द ट्रुथ और मैं तुम्हें करूंगा और अगर तुम
अब चूक गए तो फिर कब आओगे फिर मैं चला जाऊंगा आई विल हैव टू लीव दिस बॉडी फिर तुम आना या ना आना उसका कोई फायदा नहीं मैं शरीर को छोड़ दूंगा रुके किसी तरह आंखों में सब्र दिल को सबर देग दिलसा दिला के रुक जाओ गुरुदेव कहते हैं रुक जाओ सुख ने जहर पिया लेट गया मृत्यु की कहानी प्रारंभ हुई तो ध्यान रखना मैं आपको मृत्यु की सारी प्रोसेस यहां वर्णित करूंगा थोड़े से शब्दों में मृत्यु शुरू होती है पाव से सबसे पहले पाव सुन्न होते हैं तुम घबराना मत अगर पाव सुन्न हो जाए तो मृत्यु आ रही आ रही है लेकिन शरीर को आ रही
है बहुत से लोग घबरा जाते हैं अभी मैंने कहां कल के सहसरा से देही निकल सकता है तो तथा कत बहुत बहादुर लोग कांपने लगे और प्रभु कभी ऐसा तो नहीं कि मैं निकल जाऊंगा भाई निकल गए तो क्या धरती थोथ हो जाएगी निकलोगे ही एक दिन आज नहीं कल तुम ना निकलोगे धक्के से मृत्यु निकलवा लेग डरते यह डर के मरे जमाने हमारे जवान कैसे कैसे जमी खा गई आसमान कैसे कैसे जमाने ने [संगीत] मार जमा कैसे [संगीत] के जमी खा गए [संगीत] आमा कैसे कैसे ये डर का भय मृत्यु नहीं मृत्यु का डर भय इसने ना जाने कितने कितने जवानों को अड़प लिया मृत्यु अभी आती नहीं तुम डर के मारे
मर जाते हो तो अगर मर भी गए तो क्या हो जाएगा अगर ना मरे तो मृत्यु तो एक दिन मार ही देगी ट इ सर्टन वह तो आएगी बिना बताए आएगी तुम्हें कोई वह सूचना नहीं देगे तो टिके बैठे रहो तो सुकरात कहते हैं मेरे पाव सन हो रहे हैं ऐसा लगता है इनमें जीवन शेष बचा नहीं जहर ने अपना काम करना शुरू कर दिया पाव ठंडे हो गए और पाव हिलना बंद हो गए पाव ने आज्ञा माननी बंद कर दी यहां इंद्रियां अपनी गुलामी छोड़ देती हैं यहां इंद्रिया आपका कहा नहीं मानती यहां कनेक्शन ब्रेन के साथ टूट जाता है पाव शन हो गए अब ऊपर ऊपर सुन होता आ रहा है पाव से
थोड़ा ऊपर गिट्टो से थोड़ा ऊपर धीरे-धीरे सब जैसे इन में जीवन नहीं बचा जैसे ये जड़ हुए चले जा रहे हैं अपने जीवन की लाइव कमेंट्री इस धरती पर प्रथम बार और शायद आखिरी बार पहली बार बोली सोक्रेट ने शायद कभी इसके बाद कोई बोल भी ना पाया ऐसा नजारा तो तुम भी सुनना बाग मचाना तो ऊपर ऊपर आ रही है ये अनकॉन्शियस निस अब ये घुटनों तक आ गई घुटने नहीं हिल रहे मेरे जवाब दे गए हैं और फिर थोड़ा-थोड़ा ऊपर बेहोशी का आलम छाता गया मौत अपने पांव पसारी गई ज काली मा ने ढक लिया जागों तक और ऊपर चले जा रही है मृत्यु की छाया और गहरी हुई जा रही है और सुकरात कहते
हैं कि अब अब कमर भी हिल नहीं पा रही है और सुकरात और एरिस्टोटल मुंह में रमाल दिए रो रहे कभी मरते हुए गुरुदेव के मुंह में सि कान में सिसकी ना पड़ जाए मेरी रोने की कहीं इन्हें पता ना चले कि मेरे शिष्य तड़प रहे थे थे जब मैं विदा हो रहा था तो मुंह में रमाल ठोस लिया सबका बुरा हाल है और देखिए मर रहे हैं सोक्रेट जिंदगी के मरने की लाइफ कमेंट्री प्रथम बार किसी व्यक्ति ने बोली बथ है सोक्रेट अब अनकॉन्शियस जड़ता अचेतन का ऊपर ऊपर चली जा रही अब नाभी तक आ गए कुछ नहीं हिल रहा है स्पष्ट देख रहा हूं जड़ता और ऊपर ऊपर जा रही है और मैं
देखने वाला हूं लेकिन मैं तो अभी हूं चेतन का खो रही है लगातार निरंतर अचेतन ता अपने पांव पसा रही है धीरे-धीरे वक्ष स्थल पर आ गए हाथ सुन होने लगे उंगलियां सुन होने लगी बाजू और यहां तक कंधे यहां सारा सुन हो गया बस सुकरात कहता देखो अभी तक भी मैं तुम्हें बता सकता हूं कि क्या हो रहा है सारा शरीर जड़ हो गया मृत हो गया मृत वत नहीं मृत हो गया और मैं देख रहा हूं इस मृत शरीर को मैं देख रहा हूं प्रथम बार यह लाइव कमेंट्री आपको अवश्य सुननी चाहिए सुकरात मृत्यु की प्रत्यक्ष घटना और वह जो लोग जिन्होंने सुने वह ज्यादा देर तक संसार में उलझे
नहीं रह सके और थोड़े से वक्त में ही वह खुद भी एनलाइन हो गए ऐसे दृश्य देखने योग्य होते हैं लेकिन यह धरती पर एक मात्र दृश्य अब तक का कंधों तक सब गया गर्दन तक आ गई जड़ता और सुकरात कहते हैं देखिए नक से बाम के अंगूठे से और कंधों तक सब गुम हो गया है यूज अनकॉन्शसनेस इ देर विराट जड़ता का सभी जगह निवास है लेकिन मैं मैं चेतन मैं जागता हूं मैं जड़ नहीं हुआ हूं वह देखने वाला जड़ नहीं हुआ है अब मुझे समझाए एंड ही गट एलाइट इन दिस मोमेंट इस क्षण में वह ज्ञानी हुआ जब गर्दन के ऊपर तक विशुद्धि चक्र में तक पहुंच गया जड़ता का साम्राज्य तो सुकरात के
आखिरी शब्द के अब शायद इससे आगे मैं बोल भी ना पाऊ फिर आंखों से इशारा करूंगा और तुम मेरे इशारों को भी पकड़ लेना बस वहीं तक बोला जा सकता है मृत्यु के बारे में इससे आगे बोला नहीं जा सकता एंड ही गट एनलाइन इन दिस मोमेंट उन्हें ज्ञान हो गया सब मर गया लेकिन मैं हूं मैं इन्हें मरा मरा देख रहा हूं आज ज्ञान हुआ कि मृत्यु में जीवन का दर्शन कैसे होता है सुकरात बोले चले जा रहे हैं प्लेटो और एरिस्टोटल और बाकी के सभी शिष्य मौन खड़े हुए जैसे स्वास ठहर गई हो रुक रुक के स्वास आती है इनके कहीं स्वास के शोर में गुरुदेव की आवाज के पीछे का कोई भाव छुपा
ना रह जाए सब समेट ले क्योंकि यह घटना फिर दोहराई नहीं जाएगी कभी और सुकरात बोले अब थोड़ी सी देर में जब वोकल सेक्स के ऊपर जड़ता चली जाएगी तो मैं बोल भी ना पाऊंगा लेकिन मैं देख रहा हूं आज मुझे ज्ञान हुआ व्ट इज एनलाइन मेंट सुकरात कहते हैं मैं जान गया बस आज जान गया एक बिजली सी कोधी और और सब साफ हो गया पारदर्शी हो गया एवरीथिंग वास ट्रांसपेरेंट बिफोर माय आइज सभी कुछ अपारदर्शी था मेरी आंखों के सामने मैं उसे लगातार निहारता था बुद्धि की ना समझ में आने वाली ये घटना सिर्फ तभी समझ पाओगे जब तुम्हारे साथ यह बीत और काश काश वो कड़ी आए जब यह घटना
तुम्हारे साथ भीतर मरती हुई इस जड़ता को तुम उस चेतन से साक्षी बने बने निहारते रहो उस वक्त का इंतजार तुम उस वक्त में सो मत जाना तुम उस वक्त में रोने मत लग जाना तुम उस वक्त में छटपटा नहीं मत लगना तुम उस वक्त में आखिरी वक्त में लोग कहते हैं मेरी बेटी से मिला दो मेरे बेटे से मिला दो मेरे भाई से मिला दो ऐसा कुछ मत करना तुम जागना और जाग के देखना कोई इच्छा शेष ना रहे किससे मिलने की किसी की सूरत देखने की किसी से बात करने की यह देखना यह दिख रहा है यह तुम्हारी आंखों के सम्मुख प्रकट होती हुई घटना इसको गौर से निहारना पूरी चेतन को
प्रगड़ कर लेना यहां सेंटर करना अपनी कॉन्शसनेस को तुम जीवन में कभी कहीं सेंटर करते रहे कभी तीसरे नेत्र पर कभी कहीं कभी कहीं कभी कहीं अब यहां सेंट करना कंसंट्रेट कर लेना अपनी सारी चेतन होता को और तुम देखोगे सब मर गया तुम ना मरे मैं ना मरू मरे संसारा और जिस घड़ी में पता चल जाता है मैं नहीं मरता संसार मरता है शरीर मरा मैं कहां मरा मैं देखने वाला रह गया मोहे मिला जिला बन हारा मुझे व मिल गया जिसके कारण सब जीवित है जो कभी मरता नहीं नैनम छं शस्त्र नम पाव का चेनम केले दिन त्या नति मारुता मिल गया सब कुछ बस यह वह
घटना तुम सौभाग्यशाली हो ग तुम भाग्यशाली हो ग तुम भाग्यवान हो ग और तुम्हे भगवान कहा जाए तो कोई गलत नहीं सही शब्दावली है ऐसे लोगों के लिए भगवान जो भाग्यवान हो गए जान लिया सुकरात ने इस क्षण में जाना मैं हूं कौन सब मर गया देखिए देने वाले ने उसे दंड दिया था मौत का जानने वाले ने मौत में से भी अमृत चुग लिया हंस समुद्र में से मोती चुक लेता है पानी छोड़ देता है तुम शांत बने रहना कपाने वाला वक्त होगा रुवा रुवा हिल जाएगा तुम सूखे की कुत्ते की तरह कांपने लगोगे यहां तो थोड़ी सी चेतना चढ़ जाती है सहस में तो कहते हैं बाबा इस प्रश्न का
जवाब जल्दी दे देना अरे इतनी घबराहट करोगे तो छोड़ दो इस काम को ये इतना आसान मसला नहीं है जिस पर तुम चले हो अगर उस प्रेम की चाहत है राजा परजा जही रुचे शीस दे ले जा तुम तो थोड़ी सी कंसंट्रेशन चढ़ गई क्या सह सरार में तुम जल्दी से बाबा को पुकारने लगे और बाबा किसकिस का जवाब देगा उधर से उधर से उधर से सैकड़ों तरफ से फोन आ रहे हैं और इसी चीज के फोन है मृत्यु से घबराए हुए लोग किसी को कुछ दिख गया किसी को कुछ क्या बाबा इसका मतलब क्या है क्या मतलब है इसका एक ही मतलब है आखिर में तुम खाक हो जाओगे और खाक होना स्वीकार कर लो और क्या
मतलब क्यों भटकते हो इस मृत्यु से डरते फिरते हो आखिर में मृत्यु आ जाएग तो अभी स्वीकार कर लो ना जिस मरने से जग डरे मेरे मन आनंद तुम आनंद मनाओ जश्न मनाओ उसके मरने का यह मरे यह मरे तो इल्यूजन मरे यह तो बहुत बार मरा लेकिन तुम्हारा इल्यूजन ना मरा ज इल्यूजन मरे और सोक्रेट का इल्यूजन मरा आज सोक्रेट को पता चला मेरे सामने वो मर गया जिसे मैं मैं समझता था मैं जिसे मैं समझ रहा था अब तक वह मैं बिखर गया सही मैं आ गया हु एम आई इस आय की खोज करनी है एम आई क्यों परेशान होते हो नहीं शीश तली पर रख सकते तो मत आओ इस गली
में जो शीश तली पर धर ना सके वह प्रेम गली में आए क्यों अगर इतनी छोटी-छोटी बातों पर कपना है तो यह रास्ता तुम्हारे लिए नहीं है फिर संसार के तुच्छ पदार्थों में तुच्छ आनंद को लेते रहो और बने रहो बने रहो ये शब्द याद रखना ऐसे ही बने रहोगे दुखी तड़पते हुए दकते हुए यह अंगारे कभी बुझ ना सकेंगे और अगर इससे पीछा छुड़ाना चाहते हो तो एक बार मेरी शरण में आ जाओ अहम तोम सर्व पापे भ मोक्ष माश मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा सर्व धर्मा प्रत माम कम शरण प्र मत जाओ किसी धर्म की शरण में छोड़ दो हिंदू मुसलमान सिख जैन ईसाई
बुध ये सब तुम्हारे मुखोटे हैं कागजी मुखोटे रंगों से फते हुए थोड़ी सी बारिश इनके रंग उतर जाते क्यों झगड़ते हो आखिर में खाक होने वाला व्यक्ति अभी तो मौत है संसार में मौत बनाई है फिर तुम झगड़ते हो मौत का एक दिन मयन है गालिब कहते हैं नींद रात भर नहीं आती मौत का एक दिन मोयन है पक्का है कि मौत आए रात नींद क्यों रात भर नहीं आती फिर भी रात को नींद नहीं आती एक दिन चिर निद्रा में सो जाओगे पक्का है कोई बचा तुम्हारे बाप दादा सो पीढ़ियां गना देते हैं हरिद्वार वाले कोई बचा है नींद क्यों रात भर नहीं आती मौत का एक दिन
मयन है मृत्यु तो आएगी लेकिन फिर तुम सोते क्यों नहीं क्या छिन गया है तुमसे और फिर जरा सोचो एक दिन पूरा ही छिन जाएगा तब क्या होगा कैसे बर्दाश्त करोगे जनाब थोड़े-थोड़े टे नफ को बर्दाश्त नहीं कर पाते यह सारा ही छन जाएगा तो कैसे बर्दाश्त करोगे इस प्रेम गली में तभी पैर रखना जब मिटने की ख्वाहिश पक्की पक्की हो जाए अगर ऐसा थोड़ी सी तप से लगी के तुम भागे तो मत आना और थोड़ा सा जश्न मना लो अभी बाकी है अभी मन भरा नहीं अभी संसार को जकड़ में रखो अभी ना जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं अभी ना जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा
नहीं धन्यवाद
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