भगवान आपके कर्मों के परिणामों की गणना कैसे करते हैं, आप अपने कर्मों के साक्षी हैं! भगवान नहीं.



 इश्वर की सृष्टि में कर्मों का फैसला कैसे होता है कृपया इसके बारे में व्याख्या कीजिए।

 तुम्हें समझाया गया है कि हमारे शास्त्रों में [संगीत] कि हमारी धार्मिक पुस्तकों में कि हमारी दृश्यों ने हमारे मनीषियों ने यह समझाया है कि तुम्हारे हर कर्म का फल ईश्वर देता है तुम कर्म किसी भी रूप में करते हो मूर्छित मूर्छित जागृत कि स्वप्न अवस्था में या किसी अन्य मानसिक शारीरिक अवस्था में कि इन शब्दों को थोड़ा सा ध्यान से सुनोगे


तो भी समझा पाएंगे गहरे से गहरे कि शब्द हैं है बोलने में का करीब-करीब नहीं आते लेकिन जहां तक बोले जा सकते हैं कि वहां तक में बोलने का प्रयास कर रहा हूं वो कोई ईश्वर नहीं है मैं तुम्हें तुम्हारे कर्मों का कि दंड या पुरस्कार देने के लिए आ है क्योंकि अबाउट कि यह सत्य है तू है कौन फैसला करता है मैं तुम्हारे कर्मों का फैसला अ कि तुम जानकर हैरान हो गए ना कि चकित हो गए सो गए कि तुम ही करते हो कि तुम ही तुम्हारे कर्मों का फैसला करते हो तुम ही हो न्यायाधीश ए कि तुम ही जज हो मैं और तुम ही तुम्हारे कर्मों का फैसला


करते हो कि अगर उस कर्म के प्रति मैं तुम्हें पुरस्कार मिलना चाहिए तो तुम तुम्हारे को ही पुरस्कृत करते थे अगर उस कर्म के प्रति तुम्हें दंड मिलना चाहिए तो तुम तुम्हारे को ही दंडित करते थे बड़ी अजीब बात है किसी शास्त्र में अब तक नहीं कही गई होगी आपकी दृष्टि से परंतु बहुत से क्षेत्रों में यह बात कही गई है आपने न पड़ी हो पाता रखो हुआ है है क्योंकि सत्य को जानने वाले बहुत मनीषी हुए हैं कि कोई एक व्यक्ति सत्य को जानने वाला नहीं हुआ बहुत से व्यक्तियों ने उस परम दशा को उपलब्ध किया है और बहुत से व्यक्ति इस सत्य को जानते हैं कोई दूसरा है ही


नहीं जो तुम्हारे कर्मों का फैसला करते हैं के ज्ञान से मेरी बातों को को समझने की चेष्टा करें हुआ है मैं तुम्हारा कोई भी कर्म है तुमने कोई भी काम किया हां बेबी सी आबाषा अ कि उसका सही सही ज्ञान किसे होगा है है जो उसको सही से ही देख सकेगा है जिसने सही-सही उस कर्म होते हुए उस बाहर से भीतर से सभी दिशाओं से अ कि उस कर्म को होते हुए देखा होगा वह हुई उस कर्म का सही-सही कि फल निकाल सकेगा मैं और तुम्हारे कर्मों के सही-सही सुरक्षित मैं तुम्हारी अतिरिक्त कोई भी नहीं है जिसे तुम परमात्मा नाम की चीज कहते हो कि वह भी नहीं


कि मैं यह कहता हूं कि तुम ही तुम्हारे कर्मों के साक्षी हो का अंतर है को भीतर तक के साक्षी पूर्णतया सुरक्षित तुम्हें तुम्हारे कर्मों के हो और तुम्हारे अतिरिक्त और कोई उसका पूर्ण अश्लील नहीं है नहीं हो सकता है एक बड़ी अद्भुत पास लगी बड़ी आश्चर्यचकित करने में मदद मिलेगी कि मैं में एक सभा में चोटी से सभा में या प्रवचन कर रहा था हैं तो किसी व्यक्ति हैं मेरे प्रोडक्शन के बाद यह संदेश उठाया कि अगर हम हमारे कर्मों कि कि फैसले करते हैं तो हम तो वहीं मानी भी कर सकते हैं हम तो अपने आप को बचाने की सदा ही चेष्टा करते हैं यह जो दाल में नमक


और खड़े करते हैं हम सच्चे हो हम खड़े हैं इसलिए करते हैं है कि हम जीते हम सही हैं चाहे हम सही हैं चाहे नहीं है तो अगर हम ही हमारे कर्मों का फैसला न करते हैं तो हम तो सदा ही गलत करें क्योंकि हम तो हम यह करेंगे यहां पर गड़बड़ हो जाती है और यहां पर तुम्हें माफ कर दो ब्लुटूथ तुम्हारा अंतरतम इतना ईमानदार हैं क्योंकि तुम कभी अंतरतम में उतर हो तो यह पता चले कि तुम कभी अपने अंतस तक हैं कि अगर अंत कि बिल्कुल आखिरी छोर को तुमने छू लिया होता तो तुम्हें पता चल गया है कि के तुम परम ईमानदार कि भीतर से कि तुम इतने ईमानदार हो जितना हम कह सकते


हैं कि ईश्वर है मैं इश्वर शब्द ईमानदारी का पति है जिसे तुम ईश्वर कहते हो कि वह जितना इमानदार होगा उतने ही तुम ईमानदार पधानता लाख-लाख कि तुम जो फैसला करते हो उस समय तनिक भी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए कि अंतरिम फैसला तुम करते हो अंतिम फैसला तुम करते हो कि तुम ही हो तुम्हारे कर्मों का फल अलार्म सेट करने वाले कि तुम ही फैसला देते हो कि तुम्हारे इस कर्म का फल क्या होना चाहिए तो मैं इस कर्म के प्रति को दंडित किया जाना चाहिए या इस कर्म के प्रति मैं तुम्हें पुरस्कृत होना चाहिए कि अब यह बड़ी हैरानीजनक बात है तुम कहोगे


हमने तो किसी शास्त्र में नहीं हुआ कि यह तुम्हारा अलग से शास्त्र तुमने पैदा कर दिया नहीं मैंने कोई अर्थशास्त्र नहीं पैदा किया मैंने उसी गहरे-गहरे में अभियुक्त और सभी को यह बात मालूम है आप सभी इस बात का साक्षी तत्व दूंगी यह बात अलग है कि तुम्हारे मेरे शब्दों का फैसला देने वालों ने अंतरतम के उस छोर को शुद्ध न मैं क्षमा करना मैं बात तो कभी भूल गया हूं हां यह बात अलग है कि के उन लोगों ने अपने ही अंतर्मन के के अंतिम छोर को छुआ ने हूं यह बात तो हर है लेकिन यह हुआ कि फैसला वह लेकर आए हैं कि वह नैना लेकर आऊं और जो फैसला मैं लेकर


आया हूं वह ना लेकर आ के अंतिम छोर पर कि फैसले सभी के समान ही होते हैं हैं और हमारा अंत स्थल ही इस बात को फैसला करता है कि तुमने गीत है पुणे किया है या पाप किया है पिछला सॉन्ग फिर से इस तथ्य को समझने के पीछे अच्छा करें है कि कोई न्यायधीश आपको पूर्ण न्याय नहीं मिल सकता कि तुम ही तुम्हारे को सच्चा न्याय दे सकते हो कि के जिन्हें तुम न्यायाधीश करता मैं इन्हें यह न्यायधीश मेरी दृष्टि में नहीं सत्य की दृष्टि में यह नियति नहीं है ही नहीं कि यह न्याय नहीं सुनाते हैं कि तुम कहते हो कि न्याय हो गया मैं कहता


हूं कि न्याय नहीं होगा क्यों क्यों नहीं हुआ था क्योंकि यह जानते हैं को न्याय वही कर सकता है जिसने अपनी नग्न आंखों से भर फुफु संस्कृतिक होते हुए तमाम दिशाओं से देखा है और यह पूर्ण साक्षित्व में में मैं और तुम्हारे न्यायधीश का आखिरी जानते हैं 90 मेरी इस बात को न्यायधीश न्यायिक कभी नहीं करता न दूसरा फैसला सुना दो मैं तुम्हारे न्यायालयों में न्याय होता हो ना होता हो यह बात मेरे लिए विवाद का विषय है और आपको मैं यह कहना चाहता हूं कि न्यायधीश न्याय करे न करे वह सिर्फ फैसले सुना दो कि न्यायालयों में फैसलें हुआ करते हैं


न्याय वह इस बात की कोई गारंटी नहीं है है क्योंकि जो एडिशन आपको फैसला सुनाएगा उसकी निजी समस्याओं कि को बीच में अड़चन डालने का मौका मिलता है आप कैसे हैं कि मेक न्यायधीश के बारे में जानता मैं स्त्री होम पेज हैं जो उसकी न्यायालय में मुकदमा आता है कोई तलाक का से कोई छेड़छाड़ का कोई किस तरह के औरत के ऊपर किसी तरह की ज्यादती हो रही है है उसमें चाहे और ठीक है चाहे आदमी की है उस फैसला औरत के पक्ष में वृद्धि कि मैं बड़ा हैरान हुआ था एक मामला बिल्कुल मेरी आंखों के सामने साथ का पुल मामला न्यायालय में पहुंच गए हैं


कि मैं कंफर्म था इस बात के बारे में के न्याय आदमी के पक्ष में होगा है लेकिन जब न्याय आया तो फैसला आया और उसके सबसे बड़ा मुद्दा है कि मैं देखा कि अभियान में गया ज्ञान में या कि अब मैं आनंद की अवस्था में पहुंचने लगा तो मुझे साफ हो गई है कि उस असुर को उसके आदमी ने चल दिया था अ कि वह अपने पति के द्वारा प्रताड़ित थी और ना जाए जो प्रताड़ित उसका कसूर भी नहीं होता था और उसको प्रताड़ित किया जाता था शाम को कि आखिर तो वह मनुष्य है न कि मनुष्य जाति से संबंधित है है तो वह भी शादी शुदा है उसका घरवाला उसे प्रताड़ित करता रहता है वो ठीक हो चाहे तो


आप के न्यायधीश कि अगर तुम चुटकी बांधोगे तो उसको दर्द होगा कि नहीं होगा अ कि अगर तमाचा लगाओगे तो उसको दर्द होगा नहीं होगा उसके स्विच भोगे तो इसको दर्द होगा नहीं होगा वह भी तो मनुष्य कि सभी सेंसेशंस उसके भी तरह है तो जब उस स्त्री न्यायाधीश ने फैसला उग के पक्ष में दिया जो कि मैं जानता था कि सरासर गलत है है लेकिन उसने स्त्री के पक्ष में फैसला दे दिया आदमी के पक्ष में फैसला नहीं आदमी को दंडित किया है कि स्त्री को दंडित नहीं किया है कि दूसरे अर्थों में उसने उस स्त्री और आदमी के आप किस को देखा ही नहीं उसने अपने आपकी


डिश को देखा थे बुक खुद प्रताड़ित होती तत्व है यह उसके मन की भीतरी तहों में यह बात गई हुई थी कि आदमी को है कि वह सोच ही नहीं सकती थी के इस्त्री भी घनत्व सकते हैं इसी लिए एकतरफा फैसला उसने तेवतिया अक्सर ही नियमों में ऐसा होता तुम देखो कभी-कभी ऐसा होता है कि आदमी योग शिक्षकों को लड़के इधर से अपने झगड़ा घरवाली से या घर वाले व्यक्ति बच्चों को कि इनके पास जो रूल होता है इसे हम छठी कहते हैं कि वह निर्दोषों को पीटने के लिए ही होता है अक्षर बच्चे क्या करें अब कि बच्चे बेचारी क्या अपराध कर सकते हैं उछल कूद मचा देंगे जागरण सिटी प्लस


और इससे 14 क्या करेंगे मैं किसी के साथ मारधाड़ तू कर नहीं पाएंगे छुट सिर्फ बच्चे किसी का क्या बिगाड़ लेंगे है लेकिन जब शिक्षक घर से लड़की आएगा अपनी धर्मपत्नी से लड़कियां आएगा अपने बच्चों से लड़कियां का या किसी कारण से घर से दुखी होकर आएगा तो अपनी व्यथा का दर्द बच्चों पर निकाल देगा है उन बच्चों पर इनका कोई कसूर ऐसे ही न्यायधीशों मनुष्य शरीर व करते हैं कोहनी कि तुम घर से जब लड़कियां हैं तो उनका फैसला बिल्कुल और होगा कि जब वह सुंदर प्रकृति को घर से लेकर आए तो उनका फैसला बिल्कुल और होगा फैसले उनकी चित्र की व्यवस्थाओं पर भी निर्भर करते


हैं तुम्हारी अदालतों के न्यायाधीशों के फैसलें बहुत सी एनवायरनमेंटल की प्रस्तुतियों पर भी डिपेंड किया करते हैं कि मैं इसीलिए कहता हूं एक तो यह तुमने जो जज की कुर्सी पर बैठा रखे हैं कि वह सिर्फ फैसला देते हैं है जैसा उनकी समझ में आता है थे और उनकी खुद की समझ भी नहीं होती हैं को गौर से देखेंगे तो गुणों की बात सुनते हैं इधर से सुन लिया उधर से सुन ले ओ कि दोनों तरफ से सुन लिया और फिर वह देखते हैं दोनों के दोनों की बातों में से सही किसकी है जिसकी सही लगती है उसके ख्याल रखती हैं यह सही बात तो यह है कि कई वार जो बेगुनाह


व्यक्ति है उसके पास पैसे न होने के कारण वह ज्यादा दुष्ट स्वभाव का या ज्यादा तार्किक वकील मैं अपने लिए खरीदी नहीं सकता वकील खरीद जाते हैं है और क्या होता है यह जो फेस मांगते हैं इसका अर्थ क्या है खरीदने जाना है कि गरीब व्यक्ति उनको नहीं खरीद पाता इसलिए न्याय से सूख जाता है है क्योंकि जो व्यक्ति जिसकी फीस ज्यादा है जिसका मूल्य जाता है वह ज्यादातर की कह में ज्यादा ध्यान से तोड़ मरोड़ की कि चीज को प्रेस करें काया कि अब जैसे हम किसी को मामा जी कहते हैं और किसी को अपने बाप का साला गए थे यह बात तो सिम है ना


ओ मामा जी कहना और बातें और बाप का साला कहना और बात है तू जो ग्रीन व्यक्ति है वह बाप का साला कहने वाले वकील को खरीद लिया करते थे है और जो अमीर व्यक्ति हैं वह मां ही कहने वाले व्यक्तियों को नियुक्त करते हैं और निश्चित रूप से मामा जी करता है इस बात का साला के निवारण जाया करते क्योंकि उसकी बोलने की प्रक्रिया ही तो ठीक नहीं है और बोलने की प्रक्रियाओं से ही तो जाए फैसला लिया करते हैं और दूसरी बात दवा कि आप इस बात की बिल्कुल भी की कल्पना भी मत करना कि आपको हर जगह पर न्याय मिला है [प्रशंसा] है जिंदगी में


कि मैं इसी संसार में रह रहा हूं तो यह न किसी ग्रह पर मैं नहीं रहा हूं आज मैं आपको ज्यादा विस्तार से तो बात नहीं करूंगा है लेकिन मैं भी कि मुझे फिर न्यायलयों में जाने का अवसर मिला है और मुझे पता है जितना न्याय होता है और जितना न्याय मिला है हम जानते हैं से ज्यादा विस्तार से मैं आपको बताने के मूड में भी नहीं हूं है और बताना ठीक भी नहीं होगा क्योंकि यहां यह व्यवस्थाओं की धज्जियां अगर मैं बोलूंगा तो है क्योंकि मेरे पास न्याय व्यवस्था की धज्जियां उड़ीं ने खरीदे गए इनके प्रमाण साक्षात प्रमाण कर दो कि मैं वह पेश कर सकता हूं मैं वह देख


सकूं कि मैं सार्वजनिक रूप से आपको स्पष्ट कर सकता हूं कि यह देखिए है इसीलिए अगर मैं कुछ बोलूंगा तो बात बहुत आगे तक बढ़ जाएगी कि जो हो गया इसलिए मैं उसको न्याय ही समझ लिया जो तेज धूप न्याय तो नहीं ए न्यू सिस्टम जरिया इस समय इन बातों के ऊपर नहीं जाऊंगा न्याय व्यवस्था की बात करूंगा अ मैं कोई भगवान नहीं बैठा है कि कोई चित्रगुप्त के को दाएं-बाएं कंधों पर आपके पुण्य और पाप कर्म लिखने वाले व्यक्ति नहीं बैठे हैं हैं जैसे हमारे शास्त्रों में लिखा गया है सही बात तो यह है कि आपने कभी पंचतंत्र पड़ा है को लेकर आएगा था उसकी चार पुत्र से चारों


नालायक बुद्धू गौरव धूप की मूर्खता में पूर्ण उनके व्यवहार मूर्खतापूर्ण उनकी बुद्धाय कि उनमें से कोई भी व्यक्ति राज्य करने के योग्य नहीं था राजा का कोई भी पुत्र है तो राजा को लेकर बड़ी दुख हुआ मैं तुम्हें इतना समझदार है जहां मेरे चारों पुत्रों में से कोई भी व्यक्ति कि मेरा राज्य संग्रहालय के योग ही नहीं है कि कैसे संभालेंगे उड़द तुम तो बोला करते हैं कि उसने का बड़ी मुश्किल हुई बात कि इनको बोलने की धज्जियां कि यह राज्य कृषि कर पाएंगे तो को अधिकतम तोहरी बिदाई नहीं कर पाएंगे तो है तू सैनिक कहा कि चोर लुटेरा न था झाला


है उसे ढूंढो लुटवा दिया एक बड़ा विशाल साम्राज्य उसका ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो व्यक्ति मेरे बच्चों को राज्य में प्रवीण कर देगा राज को संभालने में बूंद को दक्ष करते हैं उसको आधार दूंगा उसने सारा चला जाएगा यह तो कोई भी नहीं है मैं तो ऐसा ही करके देखने शायद एक बार पागल हुई ठीक हो जाया करते हैं को पागलखाने में जाकर कि शायद कोई अच्छा डॉक्टर मिल जाएगा है तो उसने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया नगर बड़ा विशाल था बहुत बड़ा नगर तो उसने डिंडोरा पटवा दिया यह कहानी है पंचतंत्र की विष्णु कि दत्त नाम का भ्रमण ए राजा के दरबार में पहुंचा कि ताकि मैं


आपके बच्चों को राज्य कार्य करने में प्रवीण बना दूंगा यह कार्यकर्ता गांव सुचारू रूप से चला मैं आपके चारों बच्चों को उससे पहले भी बहुत किया लेकिन नाकामयाब रहे हैं कि उनमें से कोई व्यक्ति कामयाब नहीं हो सकता आखिर में जब विष्णुदत्त नाम ब्राह्मण सब्सक्राइब कर लें यहां से जब तक जिंदा हूं तब तक ठीक है और मैंने छोड़े इधर यह बच्चे कि इन बच्चों को भागना पड़ेगा ही राजघाट समाधि नहीं पाएंगे कोई नकुल से पति है या कोई ना कोई समझदार व्यक्ति मेरे ही दरबार में से इसको संभाल लेगा कि राज्य पलटा खा जाएगा बस और क्या होने


वाला है कुछ नहीं कि मेरे बच्चे इस राज को करने के योग्य नहीं है वह क्रीम मायूस हो चुका है है और आज को खोज चुका था मैं अपने उत्तराधिकारियों के लिए कि विश्व तक नाम का ब्राह्मण है मैं तुमसे निकालकर मैं आपके पीछे अपना दूंगा पहले भी बहुत से व्यक्तियों ने दावा किया है लेकिन सभी नाकामयाब रहे हैं यह बिल्कुल वित्त मंत्री पी अब मैं इनको राज करने के योग्य बना दूंगा कि आप इस बात को तो सही कीजिए अपने वायदे को कि के आप मुझे आधा राज्य दे देंगे ना आधे घंटे का बिल्कुल इसमें कैसेट कंपनी ने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की है कि जो


मेरे पुत्रों कृषि योग्य में बनाएगा उसको मैं आधा रचित दे दूंगा सार्वजनिक रूप से सारी जनता इस बात का प्रमाण है कि मैं तुम्हें और क्या प्रमाण है तो विष्णुकांत बिल्कुल ठीक है और तुम शुरू करता हूं कि उसने जो की व्यवस्था है कहीं सामान कि वह सब कर दी गई और उसने पढ़ाई शुरू कर दी है कि पूर्व एक पंचतंत्र नाम से एक किताब है जिसके भीतर उसने जो कहानियां सुना सुना कि अ कि पशुओं की पक्षियों की चिड़ियों की कि ऐसी ही कि बच्चों की कहानियां सुना दो कि उसने फेंक उनको राज करने में सक्षम बना दिया था कि वह बच्चे इतने प्रवीण हो गए थे


कि किस राजा के समान बुद्धिमान हो गए और राजकाज संभालने में दक्ष हो गए फिर तो उन चारों में से चुनना मुश्किल हो गया आप कि इन चारों में से ज्यादा योग्य कौन है क्योंकि चारों ओर चुके थे कि चारों ही मृत्यु के साथ राय मांगी है झाला और फिर तुम्हारे न्याय होते हैं संविधान की बुनियाद पर वह संविधान परिवर्तन है उसमें अमेंडमेंट सोते रहते हैं हैं उसमें आप शोध करते ही रहते हो बदलाव करते रहते हो समय अनुसार आप उसको को चेंज करते रहते हो अभी आपने देखा पीछे इतना हो-हल्ला मचा सीढी अब [संगीत] में क्या कुछ नहीं हुआ सीएटी कैट सबको पता


है में क्या कुछ दिन हुआ था कि यह बदलाव तो होती ही रहती थी है लेकिन उसका संविधान तो अपरिवर्तनीय है वह तो कभी नहीं बदलता वह तो जो एक बार है वह है और सत्य कभी परिवर्तन नहीं होता है है जो कर्म आपने कर दिया उसमें कैसी परिवर्तन लेकर आओगे तो जो कर्म हो गया उसका फल उस हुए कर्म को तो आप बदल नहीं सकते हैं है इसलिए उसका फल भी नहीं बदला जा सकता लेकिन यहां वकील अपना-अपना तर्क अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत करें उसी बात को कहने का ढंग से कि वह आगे जो फैसला करने वाला है उसका सुनने का डंका या यह न्यूज़ की बुद्धि की


आज मूड देखना होगा कि स्मूद में लायो घरवाली से जड़ा से जड़ा प्यार के इच्छुक साथ फैसला बहुत सी बातें बाहर के वातावरण से प्रभावित हों और परिस्थितियों से भी प्रभावित होगी भी हो सकता है कि आप उसको तनख्वाह ठीक ना दे रहे हो कि मैं कहीं जा रहा था कि वह एक छोटा सा टेंट लगा समिति की बैठक व्यक्ति अच्छे को खूब बढ़िया पोछा से हुआ था कि बढ़िया पगड़ीधारी पहुंचूंगी पगड़ी कई पैसे दूसरे से कि बिना पगड़ी के ए लुक्रेटिव आराम से बैठे कुछ नहीं कर रहे थे मैंने कहा यह क्या है बे तू बैठे हैं कुछ दिख तो रहा नहीं आपके बोल रहे हैं यह


आराम से बैठे हैं कैसे यह है कलम छोड़ हड़ताल है कि निकलेंगी कैसे यह काम नहीं करते बस कलम छोड़ देना है है मगर यह है क्या विकेट सरकारी मुलाजिमों में में है वैसे तो सरकारी मुलाजिम होते आपको पता ही है मैं क्या बताऊं दफ्तरों में बैठकर भी तो कहां कल मुक्ति हैं कि मैंने बहुत जगह थी देखिए जब चाय पी रही हूं चाय ही हैं कदम नहीं उठाया है है तो कलम छोड़ हड़ताल वैसे तो अक्सर होती है लेकिन वह तो पूर्ण नहीं कर्म छोड़ती थी वह तो ऑफिस ही छोड़ कर बाहर आते थे कि मैंने यह कार्यक्रम छोड़ता है कहते हुए धमकी मिल रही है


हां तुमने तो कमाल होगी अ है तू काम तो अपने हिसाब से करें थे और तनख्वाह भी अपने हिसाब से लेंगे और यहां से ऐसे परिस्थितियों सकते हैं के बाहर की प्रस्तुतियां भी हो सकते हैं है यह देखिए आप कि रोल्स आप भत्ते इधर-उधर करें ने अपने पत्ते बढ़ा देते हो हो जाते कहां से ऊपर से तो पड़ते हैं यह क्रीम बहुत ही इन जगहों से जाते हैं जिनके पास पहले ही रोटी जुटाने के लिए नहीं है कि कैसे कानून है आपकी और कैसा न्याय है आपका इसके ऊपर कोई जो बड़े पदों के ऊपर न्याय व्यवस्था में बैठ कर सके है कि हमारे देश के कितने बच्चे भूखे मरते


हैं हो गई आदेश जारी नहीं करते उनको रोटी क्यों नहीं सकते हैं क्यों क्या कारण है आप मुझे क्यों भरे थे कि नहीं उधर खाली नहीं करते कि उनका अधिकार कर न्यायिक प्रणाली उनके अधिकार क्षेत्र में आती है तो सभी जगह यौन चाहिए रोटी के लिए न्याय होना चाहिए रोजगार कि युद्ध चाहिए में रोजगार की दिशा में दिख रही हूं कि अब 60 पर सेंट वाला राज करेगा तो है और 99 पर सेंट वाला उसके नीचे काम करेगा चपरासी लगेगा 98 पर सेंट वाले का का आदेश मंगा 99% वाला है कि अब वो आदेश देने वाला 60 पर सेंट क्षमता रखता है मानसिक को में 99 पर सेंट वाला भूत नहीं क्षमता रखता


है अब जो आदेश वह देगा को 99% वाली को मानना पड़ेगा है और आदेश निश्चित रूप से उस से कमजोर होगा जो मैंने उस आदेश को उससे कमजोर ही होगा आदेश देने वाले का का आदेश ज्यादा बढ़िया 99 पर सेंट वाला ही दे सकता है का मानना चाहिए 60 मालिक बन रहा है 99 वाला देना चाहिए 99 वाले को आदेश दे रहा है 60 बढ़ा दो [संगीत] के प्रभाव को समाप्त करने पर तुले हैं कि यह न्यायकारी अ है इनको आप बोलते हैं को न्याय की बात तो अब थोड़ी देर हो कि मैं मैं अपने प्रसंग प्यार कि मैं कहता हूं कि न्याय कारी आप ही हूं है जो जीत जाता है हम कहते हैं कि देखा


न्याय की जीत हुई सत्यमेव जयते अरे भाई अगर इस जज ने किसी को भी ठुकरा दिया तो वह सत्य हो गया यह सुनने हैं कि वह गलती हुई तो खा सकता है यही करने वाला है मैं नहीं करने वाला आप के सर्वगुण संपन्न समिति हो क्या फर्क तो लिखते हो रूम मैंने इस टू हैव आदमी का पुतला है और आदमी नियुक्त कर सकता है ए फ़्यू मिनिट्स टो शेयर आम आदमी गलती कब्ज उतरा है और आदमी ही नियुक्त हों तो क्या गलती नहीं कर सकता कि अगर कर सकता है है तो फैसला सही कैसे हो गया गलत भी तो हो सकता है है लेकिन जो जीत गया हम कहते हैं सत्यमेव जयते सत्य की जीत हुई और आपसे एक बर्तन


में कि अब यह तो के नहीं कहना चाहूंगा कि इस सत्य की जीत कि आपके संसार में कम ही लोगों की हुआ करती है कि यहां अक्सर मनसूर के हाथ-पांव काट दिए जाते हैं है और बात नहीं अब सोच किया जाता है का हिस्सा को सूली देखकर 2000 साल से आज तक लोग प्रकाशित करें कि तुम लोगों ने न्याय किया था जिन लोगों ने ईसा को सूली पर चढ़ाया था ना है या अन्य किया था कि उन्होंने न्याय किया था उनकी दृष्टि में न्याय था यह सब को फांसी दे दी गई और दो हज़ार साल से इस साइड को इस आयत उस गलती के लिए नियुक्त मैं दुखी हो रही है काम ने एक निर्दोष


व्यक्ति को फांसी पर चढ़ा दिया सूली लगा दें इतनी बेरहमी से तड़पा-तड़पा कर मारा गया वह हाथों में किल्ली ठोक को उठाकर ले जाने पहाड़ी के ऊपर उसको फांसी लगा ली है तब तो वह न्यायधीश बिल्कुल ठीक थे लेकिन उसके पीछे करना युधिष्ठिर थे तो दो हज़ार साल से इस आयत को खुद को शर्मसार महसूस क्यों कर रहे हो मैं क्यों दुखी है तो इसका मतलब फैसला ठीक नहीं था तो कौन जाने आज जो न्यायालय फैसला किया है उसके ऊपर कल को आने वाला कल न करें कोई सकता कोई नहीं कि कैट उस वक्त भी नहीं सकता था अगर कोई कहने वाला होता तो इस साल की सॉलिटेयर


जाती है है लेकिन कोई कहने वाला नहीं था सब्स एक स्वर में बोले हां है उसको शोले मिलने चाहिए सोने के योग्य उसको सूद दी गई हैं और अब पछताए होत का क्या अर्थ है तू कि आपने वह क्राइम कर दिया जिसका कोई अर्थ ही नहीं कहां से पैदा करता है है इसलिए इस समय का करता हूं कि आपका चाहे कोई भी के क्राइम है जैसे आप रेयरेस्ट ऑफ रेयर के अ कि वह भी हो तब भी फांसी नहीं लगानी चाहिए कि उसकी कौन जाने कहां से सकते ने कराएं और फिर बाद मैं आपके पास कोई चारा नहीं बचेगा इसलिए फांसी की सजा नहीं हुई है यह अपने व्यक्ति की स्वतंत्रता छीन ली है


कि आपने जेलों में बंद करके अपने ढंग से उसे खाना पीना देते हो उसकी इच्छा से उसका खाना-पीना भी नहीं मिलता है कल सुबह खत्म हो गई थी अच्छा ठीक है उसने अपराध बहुत संगीन अपराध किया होगा निश्चित रूप से जिसे आप मानते हो लेकिन एक गलती श्याम में कहीं भी कभी भी हो सकती है फिर से आपके पास उसको लुटाने का ढूढ है यह तो ढ में एक छोटी सी कहानी में सुनी है बुद्ध के जीवनकाल कि उसका भाई सा देवव्रत में तीरंदाजी कर रहा था कि एक पक्षी जा रहा था उसने तीर मारा उसके वह मर गया के पढ़ाने लगा और वह मर गया कि हर क्या महात्मा बुद्ध शुरू से ही


करुणा पाए थे उन्होंने उसको उठाया था हुआ है और जो वृक्ष बोले तुमने ऐसा क्यों मारा मेरा अपराध प्राणी को तुमने क्यों मारा था कि मैं शिकारपुर और तिरंदाजी शिखर मैंने मार दिया बस ठीक है सा एक तिनका पक्षी तो है लेकिन जिंदगी छीन ली तुमने कि अगर उठा उसकी जिंदगी है अच्छा ठीक है तुमने तीरंदाजी सीधी तुम्हारा फिर बिल्कुल निशाने पर लगा और यह मर गया अब इसमें जिंदगी डाल जिंदगी तो मैं नहीं दे सकता फिर अगर तू जिंदगी नहीं सकते हैं [संगीत] में निश्चित रूप से आपको जिंदगी छीनने का अधिकार नहीं है और जिसको आपने सजा-ए-मौत


दी है उसने भी किसी की जिंदगी ली होगी इस मुद्दे उसने कुछ ऐसा ही अपराध खतरनाक रूप से किया लेकिन फिर भी है कि के गलती तो फिर भी कहीं न कहीं रह सकती है अगर वह व्यक्ति जिसे आप रेस्ट की श्रेणी में डालते क्राइम को तो मैं वह कहता हूं कि फैसला तो रेस्ट सकता है कि कहीं गलती रह भी तो सकती है सत्य नवगढ़ पाया पूरा क्लिप्स तो फिर क्या होगा फिर जीवन तो आपने सको तो है क्योंकि जीवन देना आपके बस की बात है कि एक ही चीज आप नहीं करते को जीवन दे नहीं सकते में या अपने करो का सुख है जो जीत जाता है है उसको सच्चा में पूर्ण रूप से मत समझ लेना


ए 1 कि गलती करने कर सकता है जो व्यक्ति उस व्यक्ति ने फैसला दिया जरा गौर से समझा मेरे को कि एक व्यक्ति जो गलती कर सकता है आदमी गलती कर सकता है घ्र कि रूस ने यह फैसला दिया है उस है यह ही वो गलतियां सिरप करो है जो गलती वूमन कर सकता है मुझे कर सकता है हो सकता है यह फैसला फिर आप क्या करोगे कि सत्यमेव विजयते यह सब तो बिल्कुल ठीक हैं लेकिन हर एक फैसले पर तो लागू नहीं होते और फिर जो फैसले लिए जाते हैं वह मैं कहता हूं कि आप की अदालत में लोगों के सिर्फ दिए जाते हैं यह मैंने देखा मेरी आंखों ने देखा जा सकेगा खरीदे जा सकते हैं मैंने


नियुक्त हुए है जैसे आप पैसे देकर वोट नहीं डलवा लेते हैं ए आह सिरप करो बेहोश और सुबह वोट आपको मिलेगी मेरे पैसे दे दो वोट खरीद लो में प्रकाशित रिपोर्ट में क्या है को पैसे देकर आप सत्ता विपरीत लेते हो वैसे देखिए आप सकते हैं क्रिएटिव लुट सभी तो मैं नहीं कह सकता न्यायधीश तो मिलते यह मैंने देखें हैं या फिर नहीं देखे मुकदमे चलते क्या के न्यायधीश श्री सूक्त नहीं लेता क्या अरे कोई तो लेता है सभी नहीं लेते हैं तो लेता है और फिर कि जो गया वह लेता है जो नहीं उबरा नहीं लेता है मैं इसको ऐसे बैक साइड क्यों नहीं कर लें


हम है कि जो उजड़ गया और रिश्वत लेता है तो नहीं लेता है कि आप ही हो सच्चे नायक कर दो ए वूमेन जो फैसला दिया जितना दंड दे दिया जो कुछ दे दिया वह ठीक है है लेकिन उसे अंतिम फैसला समझकर मत व्हाट्सएप में अंतिम फैसला होना बाकी है में हरेक कार्य का अंतिम फैसला होना बाकी रहता है आपके न्यायालयों के फैसलों के बाद जी को तिल-तिल कर देना होगा लिखा वह तिल तिल का लेखा देना होगा वह आपके चेहरे में होता है जिसकी मैं बात कर रहा हूं है और वह आप खुद देते हैं और खुद के लिए ही देते हैं देखिए बड़े मजे की बात है कि आप खुद के खिलाफ भी फैसला देते


[संगीत] है इसलिए एक शब्द में कभी-कभी बोला अपने प्रवचनों में के जब तुम कोई बुरा काम या अच्छा काम करने जाती हूं तो तुम्हारे भीतर से एक आवाज आती है बुद्धि शॉट छोटी सी हिम्मत करो इसे क्या कर दो एक बहुत अच्छा खुशी होती करने से पहले ही खुशी होती है कि वह आवाज है मैं तुम्हारी होती तुम्हारी खुद की जो तुम हो तुम अग्नि स्वरूप में जो हो तुम भीतर के असली स्वरूप में जो हो वह भीतर से बोला करता है कैसे मत करो इसे आपको ही भोगना पड़ेगा अगर करोगे तो फैसला आपके विपरीत जाएगा मैं सुनाने वाला हूं मैं हूं फैसला सुनाने वाला फैसला सुनाने वाले की आवाज को


देखो मैंने आपके विरुद्ध फैसला फैसला दे सकूं इसलिए आपको पहले अगवा करने वाले कर देता हूं यह चेतावनी मत करो है लेकिन आप फिर भी करते हो कि आप जब रिश्वत लेते हो जरा देखना वैसे तो आपकी आत्मा मर ही चुकी है क्योंकि महल इतना जन्म चुका है कि आपकी आत्मा बोलेगी कहां से बोलेगी भी तो आपने इतना कीचड़ जमा लिया है ऊपर से के उसकी रिफ्लेक्शन रेंज बाहर आती ही नहीं है तो क्रीम रिश्वत खाने वालों के आत्म संयम कहते हैं कि मर ही गई होती है तो नहीं होती आत्मा कभी मरती तो है ही नहीं फोन नंबर छिदंति शास्त्राणि नैनम दहति पावक कृष्ण के शब्द जैसे हो जाएंगे इसमें


भी गलत नहीं है कि कृष्ण ने भी बोले हो तो भी यह सकते हैं सब कि आत्मा नहीं मरती ऑन करो हुआ है है तो आत्मा जो बोलती है वह सकते बोलती है कि आत्मा ने फैसला करना होता है आपने आत्मा आत्मा आत्मा कसम तुम मैं को आत्ममंथन स्वेता मंत्र अपना मंथन करो लुट कि आत्मा आत्मा शब्द से बना है कि उसका अर्थ होता है कि जो तू वह कि वास्तु शास्त्र को आत्म चिंतन स्वयं तुम्हारा चिंता तो आत्मा शब्द आत्म धातु से बना है कि तुमने शायद ही कभी गौर किया हो को आत्म आकर्षित होता है जो तुम हो आत्म और जो तुम हो उसे आत्मा कहते शब्द से ही


तो प्रति सहज बनाने वाली हूं तो ठीक था लेकिन आपने अर्थ का अनर्थ नियुक्त किए जाएं लेकिन आत्मा तो आप ही हो कि आप भीतर से खुद को आवाज लगाते अपने मन को मत करो यह काम है को पूरा अगर वह पुण्य कर्म होगा जिससे दूसरों को शांति सुलभता तो आत्म पहले से ही खुश होते हैं एक बड़ी खुशी से आपको काम करो कि हम यह कर सकते को न्याय प्रणाली के बारे में आपने पूछा अब से कुछ व्याख्या कीजिए न्याय प्रणाली की यह सिर्फ व्याख्या है मैं आपको समझाने के लिए आज के अंतिम न्याय आपने करना होता है [संगीत] मैं हंस न्याय आपके भीतर के के अंतिम छोर से आता है यह आप देख रहें


हैं कि वहां से अंतिम न्याय आता है कि आप हो अंतिम निर्णय करने वालों है और आप ही अपने विरुद्ध भी फैसला देते हो और आप ही अपने हाथ में भी फैसला ढेरों इसलिए एक जगह भगवान कृष्ण ने कहा कि आत्मा ही आत्मा कछुए और आत्मा ही आत्मा का मित्र इसका यह अर्थ इस बात से लिया गया है कि इस श्लोक का यह अर्थ है है कि भगवान कृष्ण इस अर्थ से बोलते हैं कि तुम ही अपने हितैषी हो क्योंकि तुम अच्छे कामों को नियुक्त करते हो तुम सब्सक्राइब आत्मा क्षत्रुओं और आत्मा ही आत्मा परम मित्र भी है अगर आपने काम तो आप आत्मा आप मित्र अगर आपने बुरे शांति तो आप


आत्म आपके शत्रु बन जाएगी लेकिन याद रखना आत्मबल धूप में कि आत्मा जरा भी आपके यहां थी अब हक में बोलने वाली नहीं है कि आत्मा आपके विरुद्ध जरा भी फैसला नहीं देगी जरा भी झिझक नहीं होगा यह जो आपको तस्वीरें मिलती हैं कि न्याय प्रणाली की कि न्यायालयों में लगी होती हैं जी हां आंखों पर पट्टी श्री कुंवर हाथ में तक चढ़ी तराज़ू और पड़े बिलकुल बराबर हुई यह आपकी तस्वीर वो यह आप यह कर सकते हैं बिल्कुल फैसला अपने नियुक्त करते हैं हैं आपको शायद मेरी बातों पर यकीन ना आए तो स्वभाविक है है क्योंकि अगर आपको यह पता ही होता तो आप


मेरे से सवाल क्यों पूछते हो यह निश्चय ही आपको इस बात का पता नहीं है तो आपने मेरे सब्सक्राइबर पूछा है कि अगर पता होता तो आप मेरे से कब्ज साले को तो इसी मिट्टी मुझे कहते थे कि आपने कभी किसी से कुछ सवाल नहीं पूछा है को आत्म चिंतन के बारे में आत्मा खूबसूरत मैं तुम्हें चाहता हूं से जो आप देता हूं जो जानता है वह कभी पूछेगा कि कबीर ने कभी पूछा किसी से और जितने हमारे संत हुए हैं थे उन्हों ने बताया मुझे तो कभी नहीं जी हां आप की सांसारिक इंवेंशंस के रूप में हम पूछते हैं कि व्हाट्सएप कैसे होगा कि यह डिलीट कैसे होगा यह मैसेज कि युक्त


कि यह जानकारियां आप ने इंवेंशंस कि यह कैसे होता यह है है कि तुम पूछेंगे आपसे लेकिन स्वभाव के बारे में जो हमने अनुभव किया अपने भीतर जाकर उसके बारे में हम आपसे कभी कुछ नहीं पूछते हैं उसके बारे में बताने वाले हैं 104 तक आपने न्याय व्यवस्था की बात पूछनी थी को अंतिम रूप से आपको निचोड़कर रूप में बता दूं कि आप ही फैसला करोगे अंतिम कि न्यायालय कुछ भी फैसला देते समय कुछ करने को थे लेकिन अंतिम फैसला अपने संख्या में सदा आप ही करते रहो करते रहो करते रहो उस कि संविधान में कभी कोई अमेंडमेंट नहीं होता एक संविधान रहता है एक रस रहता है एक रूप


रहता है कभी बदलता नहीं नो चेंज इन ए तो कभी उसकी धाराएं आपको कभी नहीं बदलनी पड़ती वह शाश्वत सत्य सनातन है सदस्य सदस्य था रहेगा तो यही के आप ही फैसला लेते हो आप ही हो न्यायकारी खुद ही देखिए आप कहते थे कि खुद ही काम करता है और खुद ही पैसा लगता है यह काम करते हैं का काम करने वाला आपका मन है आप कर्तापन से काम करते हो काम करने वाला आपका मन अधीर मन झाले स्थिति आदि है उसको आप मानते हो लेकिन फैसला सुनाने वाले तो इधर देख रहा है आपके प्रतिक्षण प्रतिपल को प्रत्येक वीरवार परिपूर्ण सौ परसेंट सुक्तम है और जो 100% समग्रता में आपके कर्म का


शक्तियों सकता है वहीं 100% आपके कर्म का फल निर्धारित भी करेगा कर सकता है मेरी बात को फिर से समझ लेना अंतिम रूप से मिलने कि के जो आपके कर्म को 100% अश्लील रूप से देख सकें का यह आपके कर्म के फल को 100% रूप से शुद्ध रूप से नियुक्त किया फैसला पीछे खिसक आया और वही फैसला सही है है क्योंकि 100% देखने वाले ने देख लिया कि सत्य इसलिए सत्य से सो प्रतिशत सत्य फैसला उस मुद्दे की आवश्यकता नहीं है कि संदेह की गुंजाइश है कल सु अंतिम फैसला आप देते हो में अंतिम फैसला आप चाहिए अपने विपरीत हों कि चाहे आपके हक में हो फैसला आपने करते


हुए अपने कर्मों को उस ईश्वर आपके लिए फैसला देने को ऊपर नहीं बैठा आसन जमाए हैं हैं तो ध्यान से कर्म करना कि तुम कर्म करोगे कि तुम ही न्याय करोगे कि तुम ही फैसला करोगे तुम ही बोगी यह तीनों बातें आप खुद ही करो यह कर्म करने वाले आप खुद ने यह कर्म भोगने वाले आप खुद फैसला करने वाले आप कुछ कि यहां कोई दूसरा नहीं है जो आपको दंडित करें जो आपको पुश्त कि ने अनुवाद पु


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