सहस्रार चक्र को जल्दी जागृत कैसे करें? वीर्य और स्वप्नदोष के रहस्य जानें! Must Watch

 


बाबा जी प्रणाम दिसंबर के महीने में मैं आपसे दीक्षा लेने आया था जैसे ही आपने अंगूठा रखा आपने अंगूठा हटा लिया कहा कि आप वापस जाओ तुम अपनी काम शक्ति को ज्यादा गमा रहे हो इसको साधो फिर जाना मैं वास्तव में अपनी काम शक्ति को बहुत गवा रहा था रोज मास्टरबट करता था मैं बड़ा दुखी हुआ 15-20 मिनट तक आश्रम में बैठा दूसरे कमरे में रोता रहा फिर मैंने संकल्प किया कि अब मैं कभी भी अपनी शक्ति को जाया नहीं करूंगा आपसे प्रॉमिस किया मैसेज भेजा महीने तक का संकल्प लेता हूं कि मैं अपनी काम शक्ति को अपने हाथों से नहीं घुमाऊंगा और आज दो महीने हो गए हैं और मुझे आज खुशी है कि दो महीने से मैं अपने संकल्प से डिगा नहीं इन दो महीनों के अंतराल में दो बार स्वपन दोष हुआ है आप कुछ कहना चाहेंगे इसके बारे में मैं अपने प्रॉमिस पर पक्का हूं महीने तक जब मैं इस ऊर्जा को बचा लूंगा तो पुनः आपके पास दीक्षा लेने के लिए आऊंगा नाम गुप्त ही रखना अच्छा होता है फिर लोग कह देते हैं बताना मत बाबा मैं तो निरंकारी धर्म से हूं मैं तो जैन से हूं मैं तो बी के सीके से हूं क्या करू चलिए प्रश्न का जवाब देते हैं वीरी के भीतर जो रासायनिक संरचना डॉक्टर बताते हैं सिर्फ वही नहीं होता आसानी तरंगों से भरा हुआ स्फूर्ति दायक चेतना से भरा हुआ कुछ और भी होता है जिसको डॉक्टर की लैब पकड़ नहीं पाती अभी तक ऐसी मशीने ईजाद नहीं हुई जो इन आसानी तरंगों को और और जो सब कुछ कॉन्शियस निस का है उसको पकड़ ले ऐसा कुछ हुआ नहीं खुशी का हार्मोन पैदा करना सेरोटोनिन बगैर इन्होंने खोज लिए हैं लेकिन पूर्णत यह कभी खोज भी नहीं पाएंगे ईश्वर की सृष्टि का रहस्य सदा रहस्य ही रह जाएगा और विज्ञान सदा सोचता है कि हम सब खोज लेंगे लेकिन असफल हो जाएगा सब खोजा नहीं जाएगा अब आपको समझा आप कभी जूस निकालने वाली दुकान पर गए हो जो फलों का जूस निकालता है अनार सेब संतरा गाजर वगैरह वगैरह अवश्य गए होंगे या आते जाते देखा होगा तो जब जूस निकालते हैं चाहे हाथ से चाहे मशीन से तो एक तरफ जूस निकलता है लिक्विड फर्म दूसरी तरफ उसका जिसे आप वेस्ट प्रोडक्ट कहते हैं फलदा वह निकलता है अब इस बात को समझ लेना आदमी और स्त्री की काम शक्ति में कुछ और भी है कुछ तो जूस जैसा है और कुछ फलदेसाई से मिलकर संग्रहित हुआ है वीर्य और रज में भौतिक पदार्थों के अलावा चेतना के अंश भी होते हैं अगर चेतना के अंश ना होते तो यह स्पर्म्स इतनी तेजी से भागते नहीं थे इनमें मोर्टालिटी आती ही चेतना के कारण है जो इतनी तेजी से भागते हैं जो खोजा वैज्ञानिकों ने अभी तक अधूरा है और आसानी तरंगे चेतना की खुशबू बहुत चीजों से मिलकर बना है रिप्रोडक्टिव प्रोडक्ट्स आदमी और स्त्री दोनों का इनका खो जाना आपको आध्यात्मिक उन्नति से रोक देगा मूर्ख नहीं थे हमारे ऋषि सभी ने सभी ने एक स्वर में बोला ब्रह्मचर्य के बिना बात ना बनेगी लेकिन क्या कर ऐसे आदमियों का क्या करें जो पढ़ाई लिखाई अच्छे किए हैं बोलने में दक्ष हैं ब्रह्मचर्य के अर्थ बदल दिए अर्थ तो वो भी होते हैं ब्रह्म जैसा आचरण लेकिन वह अंतिम स्वरूप में होता है जब व्यक्ति अस्तित्व में फैल जाता है तो ब्रह्म हो जाता है वह घोषणा करता है अहम ब्रह्म स्मा तो वह ब्रह्म जैसा आचरण करता लेकिन उससे पहले जब वह वीर्य और रज के फरम में होता है तो उसे तो बचाना होता है अब थोड़ा समझ ले यह जो स्वपन दोष में वीरस हरत होता है यह वो फलदा है रस तो निकल गया रस 10 दिनों में निकल जाता है अब इसको ठीक तरह से समझ लेना युवा पीढ़ी और युवा तो छोड़ो यहां तक के प्रो और वृद्ध भी इन्हीं भ्रांत धारण से युक्त जब वीर और राज इनका फॉर्मेशन होता है तो बनते ही इनमें आसानी तरंगे और चेतना की लहरें भी पैदा होते हैं अब वेव को मेजर नहीं कर सकते इनके इंस्ट्रूमेंट और आसानी तरंगों को भी मेजर नहीं कर सकते ऐसी कोई मशीन नहीं बनी अभी तक कल को बन भी सकती है अब इस बात को ध्यान से समझ लेना यह तुम्हारी समझने योग्य बात है इनको हो सके तो एक मिनट दो मिनट का वीडियो अलग से निकाल केर आप अपने मित्रों को प्रसारित कर सकते हैं मुझे लोग कह देते हैं बाबा पा साल हो गए आपको बोलते को आपने हमें बुलाया ही नहीं मैंने कहा मैंने आपको रोका भी नहीं यह उनका दायित्व बनता है जो मुझे सुनते हैं कि वह औरों तक भी जो बात उन्हें अच्छी लगती है वह पहुंचा जिन तक पहुंचाया उन्हें अच्छी नहीं लगेगी तो वह नहीं सुनेंगे छोड़ देंगे अच्छी लगेगी तो ग्रहण कर लेंगे ये मेरा कोई कसूर नहीं मैं अपने अनुभव बता सकता हूं सांझा कर सकता हूं मीडिया की तरह प्रवाहित नहीं कर सकता ब्रॉडकास्ट नहीं कर सकता सता तो रिप्रोडक्टिव प्रोडक्ट्स की यह दो बुनियादी हैं एक तो रस एक फलदा वीर और रज बनते सार ध्यान से सुनना इस बात को वीर्य और राज बनते सार उसके भीतर जो आसानी तरंगे और चेतना का जो प्रवाह है क्योंकि यह हमारे मूलाधार के पास है और वहीं से जाती है सुसुम नाड़ी और ब्रह्म रंद्र सहसरा तक पहुंचती है तीसरे नेत्र तक भी पहुंचती है तो यहां से बनते सार जो उसमें आनंद की तरंगे हैं वेव हैं जीवन की तरंगे हैं वह सारी वाष्प की तरह उड़नी शुरू हो जाती है उधर वीर्य और रज बनते जाते हैं इधर यह दोनों चीजें तरंगे वाष्प बनकर और आनंद वाष्प बनकर उड़ती हैं सुषुम्ना नाड़ी के जरिए सहस्रार में पहुंचती हैं मेरुदंड में से गुजर के यह पैसेज मैंने कल भी बताया था 10 दिनों के भीतर यह प्रोसेस पूरी हो जाती है इसलिए 10 दिनों के बाद अगर आपको कुछ लोगों में 20 दिन भी लग जाते हैं 15 भी लग सकते हैं एक महीना भी लग सकता है तो एक बात को ध्यान से समझ लेना यह दवाइयों वगैरह के चक्कर में मत पड़ना कि जो स्वपन दोष के लिए दवाई दे ते हैं इनके षड्यंत्र में मत आना यह षड्यंत्रकारी लोग हैं लोभ की भावना है इनके भीतर इनके खुद के स्वपन दोष रुकते नहीं रुकेंगे क्या यह बचाते ही नहीं हो ही जाते हैं क्योंकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है जैसे अगर आप खाना खाते हो तो आपको शौच आएगी पानी पीते हो आपको मूत्र आएगा यह स्वाभाविक प्रक्रिया है ऐसे ही स्वपन दोष का 10 दिनों के बाद हो जाना यह वही फलदर मटेरियल बाहर को निकाल दिया इससे घबराना नहीं है इट इज नेचुरल प्रोसेस आज ठग लोग इसका भय दिखाकर ये दो ही चीजें सी इन लोगों के पास धार्मिक हो या धनाढ्य हो दो ही चीजें थी इनके पास या भय दिखाओ या लोप दिखाओ तो भय दिखाते हैं आपको यह तो सोने से भी ज्यादा कीमती हीरे ज्वारा से भी ज्यादा कीमती इसको खोने मत देना और फिर यह खोता है 10 दिनों के बाद क्योंकि बनता है होता है तो आप कंप जाते हो इतना डरा रखा है इन्होंने इतना डरा रखा है फिर कहते दवाई हमारे पास है दवाई ले लो अंधा धूत खर्चा कर देते हो आप दवाइयों पर कोई सलूशन नहीं निकलता क्योंकि इट इज नेचुरल प्रोसेस अगर आप किसी दिन डरने लगे कि मुझे सोच जाती है तो फिर परमात्मा ही रक्षा करेगा आपकी 10 दिनों में जो वीर्य और रज रिप्रोडक्शन प्रोडक्ट बने उनके भीतर से जो कीमती चीज है जिसे रस कहता हूं मैं और रस कहते हैं शास्त्र उपनिषद में लिखा रसो वैसा वरस रस वाष्प बन के उठ जाता है सुषुम्ना नाड़ी के जरिए और सहस्रार में पहुंच जाता है ब्रह्मचर्य के द्वारा ऐसे एनलाइन होने में सहायता मिलती है यह है तकनीक बड़े शॉर्ट में समझा दिया मैंने जैसे जैसे बनता जाएगा वैसे वैसे इसके रस के तत्व वाष्प के रूप में सुसुम के जरिए एक ही मार्ग है सिर्फ सुमना आध्यात्मिक चीजों के लिए एक ही मार्ग है वाष्प बनकर सुसुम के जरिए आपके ब्रह्म रंद्र में सहसरा में पहुंच जाएंगे और आपको बड़ा आनंद आएगा इसलिए ब्रह्मचर्य में इतना आनंद है जब आप ब्रह्मचर्य को खो देते हो आपको नींद जाती है क्यों निचोड़ लिए गए आप शक्ति तो गई गई चेतना भी गई एनर्जी तो गई गई कॉन्शसनेस भी गई और एनर्जी तो चली भी जाए कोई बात नहीं लेकिन यह जो कॉन्शसनेस गई यह खतरनाक है अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हो या सार के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति उसको इस चेतना को बचाना होगा क्योंकि यह सफर चेतना की वृद्धि का है कॉन्शसनेस लगातार बड़ी पत्थर से बड़ी और मानव चेतना तक गई अब मानव चेतना से परमात्मा चेतना में जाएगी तुमने इसलिए ऋषियों ने कानून बनाए थे पहले आचरण करना सिखाया था कि इसको बचाना सीखो जैसे ही यह बनेगा वैसे ही वाष्प के जरिए इसके मुख्य मुख्य अंश जिसे रस रूप कहते हैं उपनिषद रसो वैसा वह वाष्प बनकर सुसु मना के जरिए आपके सहस्त्रार में ब्रह्मंद में पहुंच जाएंगे और बूंद बूंद करके बड़ी सहायता मिलेगी आपको ब्रह्मचर्य को साधने वाले का ग्लो ही कुछ और होता है वाणी का तेज कंठ की मधुरता बुद्धि की तीक्षण शरीर का बलिष्ठ होना सब कुछ दे जाता है अकेला एक वीर और राज्य जरा सोचो जो चीज एक नए जीवन का निर्माण कर सकती है वह आप को कांति नहीं दे सकते जो नए जीवन का निर्माण कर सकती है वह आपकी जीवन चेतना में वृद्धि नहीं कर सकती बस यही चीज आपको समझाई नहीं गई आपको डराया गया इसलिए आज से ही यह दवाइयां खानी बंद कर दो इन दवाइयों में सिर्फ बहकावे के अलावा और कुछ नहीं मेरे पास लोगों के फोन जाते हैं बाबा पहले ही धंधा मंदा है अब ऐसा मत किया करो मैंने कहा गला घूंट दूं इनका अगर नहीं बोला तो सत्य से वंचित हो जाएंगी आने वाली पढ़िया और क्या बचा पाएंगी कैसे जी पाएंगी मरे मरे से जीना भी कोई जीना होता है और प्रबल वेग में जब उफान पर होता है काम तो आप इसको डराते हैं और पश्चिम में तो हद ही करते और पश्चिम के अनुकरण करने वाले संतों ने तो बिल्कुल ही हद करते जब पश्चिम के शब्दों के ऊपर तथा कथित ऐसे संतों ने मोहर लगा दी कि संभोग से समाधि की तरफ जाया जा सकता है उसे यह नहीं पता था भीतर चाहे कुछ भी बोल दो कि आपके इस टाइटल से आधी दुनिया तो वैसे ही पागल हो जाएगी टाइटल तो देखकर ढूंढ के डालो आप इनको कृपा करनी चाहिए थी लेकिन नहीं की अध्यात्म को पाश्चात्य के पीछे लगा दिया यह बिल्कुल ऐसा था जैसे बबूल में से कोई आम का रस ढूंढे पश्चिम के अंदर उसकी धरती में ही आध्यात्मिकता नहीं है मेरे भाई बहन कहा करते हैं अमेरिका में जाकर खून सफेद हो जाता है इसमें कुछ हैरानी जनक विस्मय जनक कुछ भी नहीं डॉलर की चमक देख के खून सफेद हो ही जाना चाहिए हो ही जाता है इसलिए जो यहां से गए देर अर वह डॉलर वादी हो गए कुछ तो यहां से फके फके गए थे कुछ वहां जाकर फके हो गए उनकी फोक सामने गई कोई रूपांतरित नहीं कर पाया वर्ण स्वयं निष्कासित होकर वापस गए गए थे रूपांतरित करने पश्चिम को कहां पश्चिम रूपांतरित हो पाया पश्चिम के लोगों की धरती में खुशबू नहीं है आध्यात्मिकता की यह आध्यात्मिकता की खुशबू सिर्फ भारत भूमि में है या कुछ और धरति यां हैं जिनमें यह खुशबू है ईरान की धरती है पाकिस्तान की धरती है बांग्लादेश की धरती है यह तो कभी भारत रहा था नेपाल की धरती है इनमें अध्या ता की सुगंध है अफगानिस्तान की धरती है सरकारें बदलती रहती हैं निवासी बदलते रहते हैं तो आप उन लोगों के प्रति वैसे ही धारणा बना लेते हो लेकिन इन सब में विचरे हमारे संत जन और जहां जहां चरण पड़े उनके वहां वहां खुशबू के फूल खिल गए पश्चिम से क्या निकालो रोटी चाहिए तो पश्चिम में जाओ तृप्ति चाहिए तो पूर्व दोनों में से एक चुनना होगा पहले यह देखना होगा व्हाट यू वांट एंटायस की मंशा क्या है तुम चाहते क्या हो धन दौलत चाहिए पश्चिम में जाओ कैसे भी जाओ अनवेल्ड प्रोसेस से वह भी नहीं घुसने देंगे रिड प्रोसेस से जाओ लेकिन आध्यात्मिकता चाहिए जो कि सबको चाहिए आज नहीं कल अमेरिका हिंदुस्तान में आएगा कब्जा करने के लिए नहीं नतमस्तक होने के लिए आएगा क्योंकि वह ढूंढ लेंगे चैन नहीं वो ढूंढ लेंगे यहां जलन है यहां शांति नहीं यहां फूलों की सुगंध नहीं हम प्यार में जलने वालों को चैन कहां है आराम कहां हम प्यार में जलने वालों [संगीत] डॉलर की चमक में चैन नहीं और सब है करर नहीं तृप्ति नहीं और सब है ऐश आराम की सब सुविधाएं हैं लेकिन चैन के बिना सब बेकार कबीर ने कहा है जब आवे संतोख धन सब धन समान जैसे ही तृप्ति का धन मिल जाता है व्यक्ति को सही धन वह है बाकी धन धूड़ हो जाते हैं तो दो ही रास्ते हैं या तो तृप्ति का धन पहले पा लो तो बाकी धन धूड़ी हो जाएंगे आप ढूंढोगे नहीं उसको या फिर टक्कर मार लो पहले दूसरे धन में देख लो इसमें है या नहीं नहीं मिलेगा तो फिर इधर भागोगे आप इसलिए मैं कहता हूं आज नहीं कल अमेरिका जल्दी ही इधर मुड़ने वाला है क्योंकि वहां चैन नहीं है जल्दी ही हिंदुस्तान को वीजा बंद करना होगा क्योंकि वह लोग अतृप्त के मारे मार जलन को कब तक बर्दास्त करोगे जलन ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं होती आखिर उसका इलाज करना ही पड़ता है आज नहीं कल पश्चिम भागेगा पूर्व की तरफ क्योंकि चैन तो यही है और तुम्हारी अंतरात्मा की पुकार और अंतरात्मा की आवाज चैन मांगती है करार मांगती है संतोष मांगती है ठहराव मांगती है वहां ठहराव नहीं है वहां दौड़ है और धावकों की तरह ड़ है और यह दौड़ने का रोग हिंदुस्तान को भी लग गया रहने दो उसको एक नंबर का पूंजीपति इस धाव को की दौड़ में तुम हिंदुस्तान को क्यों शामिल करते हो यह सफिशिएंट नहीं है कि आप अपने नागरिकों को जरूरी वस्तुत महिया कराते भोजन चाहिए तन ढापना के लिए कपड़ा चाहिए सिर पर छत चाहिए और कुछ नहीं चाहिए और यह काफी है और हमारी भूमि यह सब कुछ पैदा कर सकती है हिंदुस्तान की भूमि कभी इतनी गरीब नहीं रही हिंदुस्तान की भूमि सदा ही सोने की चड़िया रही है लोगों ने लूटा बहुत लूटा लेकिन खुद लूट गए हैं हमें लूटते लूटते खुद लूट गए हमारा चैन नहीं लूट सके खुद का चैन लुट गया आज विश्व में कहीं चैन नजर नहीं आता भारत के सिवा और अब तो भारत से भी खोता चला जाता है धीरे-धीरे धीरे धीरे ऐसा लगता है जैसे लुप्त हुआ जाता है रोज प्रचारक प्रसारक बिना जाने प्रचार करने लग गए बिना देखे प्रसार करने लग गए तो ऐसा ही हशर होना है वीर्य और राज की रिप्रोडक्टिव प्रोडक्ट्स में केमिकल रासायनिक संरचना जो होती है वह तो होती है उसके अलावा चेतना की कुछ वाष्प भी होते हैं आसानी तरंगों से लभ लभ भरा होता है बाहर फेंक देते हो आप रोज बाहर फेंक देते हो और सारे दिन दुखी रहते हो ब्रह्मचारी कभी दुखी नहीं रहता उसको अपने वीर और रज की मस्ती ही बहुत होती है कोई वक्त था जब शंकर अपनी मस्ती में और गार्गी भी अपनी मस्ती में थी ऐसे नहीं कि गर्गी मस्ती में नहीं थी गार की भी मस्ती में थी विद्योत्तमा भी मस्ती में थी कालिदास भी मस्ती में था क्यों था हमारे ऋषियों ने हमें एक मुख्य सबक दे दिया था बेसिक फाउंडेशन ब्रह्मचर्य रिप्रोडक्टिव प्रोडक्ट्स की संरक्षण करो और अगर यह खो जाए 10 दिनों में इनका अर्क निकल जाता है 10 में 15 में 20 में जब भी अर्क निकले निकले तुहे कॉन्स्टिपेशन हो जाता है दो दिन तुम नंबर एक में नहीं जाते कोई बात नहीं आएगा जो खाया है और निष्कासित होगा तो घबराने की आवश्यकता नहीं जब वीर्य बनेगा रज बनेगा उसके भीतर तत्क्षण चेतना की वाष्प बनेगी आनंद की वाष्प जिस दिन वैज्ञानिकों ने ऐसी मशीनों का निर्माण कर लिया कि वह स्वपन दोष के जरिए निकले गए इस रिप्रोडक्टिव प्रोडक्ट की विश्लेषण कर सके तो एक चीज पाएंगे इनमें आसानी तरंगे नहीं है और इनमें जीवंत मात्रा नहीं है जीवन खो गया जो अपने आप स्वपन दोष में निकला उसकी बात करता हूं जो तुम निकाल देते हो उसमें तो होगा सब होगा वह तो तुमने जानबूझकर अपनी जिंदगी को विकृत किया आनंद की धारा इसमें बहती है और तुम बाहर निकाल देते हो फिर तुम कहते हो बाबा मैं दुखी हूं तो अगर मैंने हाथ उठा लिया तो ठीक किया यह बताओ क्या तुम नहीं मास्टरबेट करते थे रोज क्यों महीने की सुगंध खानी पड़ी अगर हाथ उठाया तो किसी कारण से उठाया हर किसी के तो हाथ में उठाता भी नहीं और ध्यान रखना जब मेरे पास तुम दीक्षा लेने आओ तो परिपूर्ण शुद्धता से आना यह एक अजूबी घटना घटने जा रही है यह कोई मामूली डिग्री होल्डर की बात नहीं है कि आप कैसे भी चले जाओ सिर्फ काले वस्त्र पहनकर टोपी लगा के ऐसा कुछ नहीं होने को है यह आपकी जिंदगी का बहुत बड़ा एक मोड़ आने वाला है तो ध्यान से आइएगा ऐसे ही सोए सोए उठक नहीं जाएगा आंखें मलते मलते बहुत जागृति से आना पड़ेगा अन्यथा वापस लौटा दिए जाओगे लोग कह देते हैं बाबा सारे धर्म अपने प्रचार प्रसार में जुड़े आप बा मुश्किल दो तीन लोगों को दीक्षा देते हैं हजारों लाखों लोग हैं कतार में बुलाते हो 10 लोगों को और मैं सदा से कहता हूं बाबा ने मुझे यह कहा था टीचर को अध्यापक को उतने ही विद्यार्थी अपनी क्लास में रखने चाहिए कक्षा में रखने चाहिए जिनको वह पढ़ा सके इनके प्रश्नों का जवाब दे सके जिनकी पड़ाओ को हरण कर सके जिनका बोझा वो उठा सके जिनका दायित्व वह निभा सके करोड़ों लोगों की भीड़ तो कोई भी इकट्ठे कर ले भेड़ों की भीड़ को इकट्ठा करना कोई मुश्किल नहीं है बस एक रुद्राक्ष बाटूंगी इतने में ही करोड़ों लोग जाएंगे रुद्राक्ष की कीमत मुश्किल से एक दो रुपया होती है नेपाल में मिल जाते हैं नीचे पड़े मिल जाते हैं जितने चाहे ले लो उठा लो कोई ज्यादा कीमत नहीं हो लेकिन कीमत तो उसकी है जो चेतना उसमें प्रविश की गई मैंने लाल चंदन की माला कहा लोग कहते हैं बाबा 5000 100 हज 15000 बोलते हैं मैंने कहा मत लो जब आपको यहां से फ्री अवेलेबल है हम कोई पैसा नहीं मांगते आपसे आप अगर दे जाते हैं वह आपकी श्रद्धा है उसको हम लात नहीं मार सकते लेकिन उसके ऊपर कुछ एनर्जी फेंकी गई है कुछ नहीं बहुत सी फुल एनर्जेटिक है वो सुगंधिम पुष्टि वर्धन पूर्वा रुक में वंदना मृत्युर मक्ष मामता त्र्यंबकम यजामहे रुद्र मंत्र ओम नमो भगवते रुद्राय इनकी सबकी तरंगे उनमें समाहित है यह वो नहीं जो आपको ऑनलाइन मिल जाएगा ऑनलाइन मंगवा सकते हो लेकिन कोई काम नहीं करेगी से समझना मैंने कहा आप चार्ज कर लेना खुद लेकिन मुझे लगता है कि चार्ज आपसे हो नहीं पाते इसलिए आप कृपा करिए अब यहां आश्रम से ही नि शुल्क ले जाइए हम आपसे कोई पैसा मांगते हैं हमारा सभी हमारी सेवा है हम मानवता को सुख में देखना चाहते हैं हम मानवता को मस्ती में देखना चाहते हैं आनंदित अवस्था में झूमते नाचते मीरा की तरह गाते नानक की तरह सुरति में गुम होते हुए कबीर की तरह देखना चाहते हैं हमारी यह मंशा है हम दुखी पीड़ित दरिद्र ये जलते हुए हृदय इनसे युक्त लोगों का अभाव चाहते हैं भारत भूमि से भारत से और विदेशों से मैं तो चाहता हूं वसु दैव कुटुंबकम वसु दायक परिवार की तरह रहे और पूर्ण संतुष्ट और खुशहाली में रहे तृप्त रहे कोई दुखी ना हो सभी सुखी रहे सर्वे भवंतु सुखी नाम हमारा तो मूल मंत्र ही यही था सर्वे संतु निरा माया सर्वे भद्राणि पसंत मा कश्चित दुख भागत हे प्रभु किसी को दुख मत देना सभी को सुख देना सभी को आनंद में रखना कोई भूखा ना सोए इस्लाम के भी एक पुजारी ने लिखा जहां भी जिस भी बस्ती में कोई भी भूखा सोता है वहां बस्ती ही बस्ती से खुदा नाराज होता है तुम्हारे कटोर दान में 10 रोटियां पड़ी होंगी लेकिन कोई भूखा अगर चार रोटियों के लिए मर गया तो दोष तुम्हारा है बस्ती ही बस्ती से खुदा नाराज होता है इसलिए सोते वक्त देख लेना तुम्हारे कटोर दान में कुछ रोटी पड़ी तो बाहर कोई जीव जंतु कोई भिखारी उसको दे देना या और नहीं तो अपनी पें पर बाहर रख देना कोई रात बरात आएगा खा जाएगा भूखा होगा यही मोहम्मद का उसूल था मोहम्मद जब रात को सोते तो उससे पहले पूछते फातिमा खदीजा कुछ बचा तो नहीं जी बचा है तो चलो बांटो बाहर बांट के आओ फौरन बटवा देते बाहर हमारे कठोर दान में पड़े किसी को जीवन नहीं दे सकते लेकिन किसी के पेट के भीतर गए उसको जीवन दे सके लो भी लोगों के द्वारा राज करने की चेष्टा से युक्त नफरत फैलाई जाती हैं राज करो बिल्कुल करो कौन रोकता है कोई नहीं रोकता लेकिन मनों को दूषित मत करो हमारे के द्वारा छेड़ी गई यह बातें महज लफा नहीं होनी चाहिए यह आत्मा की आवाज होनी चाहिए यह बटनी चाहिए और सब कुछ बटवा के जाते हैं कोई आज अगर मोहम्मद को गाली निकालेगा मोहम्मद का कुछ नहीं बगड़ेगा अपने ही खून की नालियों में विषदा करेगा अपनी ही खून की नालियों में कोर्टिसोल वगैरह पैदा करेगा एनलीन वगैरह मोहम्मद का क्या जाता है वह तो गए एक रात बीमार पड़ गए सोचा प्राण छोड़ दू कई दिनों से बीमार थे और फातिमा ने सोखा कि बीमार है सर्द रात है रात को अगर अब्बा जान को कोई तकलीफ हुई तो कोई वैद हकीम बुलाना पड़ेगा और इतनी सर्द रात में बिना पैसा दिए वह आएगा ना तो कोई पांच दीनार देगा था वोह संभाल के रख लिया अलग से छुपा लेकिन मोहम्मद है कि उनके प्राण नहीं निकलते मोहम्मद कहते हैं मेरे प्राण नहीं निकल रहे हैं क्या बात है खदीजा फातिमा तुमने कुछ छुपा तो नहीं लिया आज कुछ ऐसा तो नहीं कि तुमने बचा दिया हमारी परंपरा दूषित तो नहीं हो गई हमने कुछ रात्रि के लिए बजा तो नहीं लिया कुछ अल्लाह ताला पर भी छोड़ दो उसकी रहमत पर भी छोड़ दो उसकी नमतरा तो नहीं कि तुमने बचा लिया फातिमा कहती नहीं अब्बा कुछ नहीं बचाया तो फिर मेरे प्राण क्यों नहीं निकलते अवश्य ही कहीं खंडन हुआ है हम जो आज तक करते रहे कुछ है जो आज विकृत हुआ है जोब वो परंपरा दूषित हुई है आज क्या है सच बताओ मेरे प्राण नहीं निकल रहे बताओ क्या बात है जब ज्यादा तड़पे तो फातिमा ने पांव पकड़ लिए मैंने पांच दिनार कोई दिन में भगत देगा था वो रख लिया बचा के क्यों रख लि रात्रि को आप ज्यादा बीमार हो गए किसी हकीम को बुलाना पड़ेगा और हकीम इस सर्द रात में दिसंबर की सर्द रात में हकीम नहीं आएगा बिना फीस दिए लोभ दिखा पड़ेगा फिर आएगा मोहम्मद कहने लगे तुम गलती में हो बिटिया लोभ के कारण नहीं आएगा उसकी रहमत के कारण आएगा जो भी हकीम आएगा लोभ के कारण नहीं आएगा रहमत के कारण आएगा वह प्रवेश करेगा उस हकीम के भीतर तब वो आएगा नहीं तो नहीं आएगा जल्दी करो इसको देके आओ किसी को बाहर सर्द रात है फातिमा बोली इस वक्त कौन होगा चिड़ी परिंदा भी तो नहीं है मनुष्य कहां से आएगा इस वक्त उसने कहा अल्लाह ताला हमारी रक्षा करेगा तुम बाहर जाओ तो इतने वर्ष तक हम जो परंपरा निभाते रहे वह आज टूटने नहीं देगा मुझे पूरा विश्वास तुम जाओ तो बाहर और फातिमा बेमान से होगा तो नहीं ठंडी हवा चल रही है इतनी सर्द रात इस वक्त कौन आएगा मरने के लिए यह हवाएं तो मारने वाली हैं और संगली खो ली सांकल खोल के बाहर गई एक वृद्ध भिखारी हाथ कंपतेलुगू वसल्लम मोहम्मद कहने लगे फातिमा क्षमा करना खदीजा पहले परमधाम को चले गई थे खदीजा 13 वर्ष पहले चले गई थे शायद मेरी स्मृति अगर ठीक से काम कर रही हो तो ईसवी 632 में मोहम्मद ने प्राण त्याग जब खदीजा नहीं थी खदीजा तो पैगम तब प्राप्त होने के बाद रमजान में चली गई थी शायद 619 में और 632 में मोहम्मद तो 632 की बात है इस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मोहम्मद कहते हैं फातिमा से फातिमा जाओ बाहर यह पांच दिनार दे क्या आत्मा बाहर गई देखा एक बूढ़ा आदमी कंप हुआ हाथ कंप रहे हैं सारा शरीर कंप रहा है देखने में वृद्ध लगता झुरिया सारे शरीर पर कप हुआ बेटी कुछ खाने को मिलेगा कुछ चादर कंबल मिलेगा सर्दी बहुत है ठंडी रात फातिमा की आंखों में आंसू गए तब पाच दिनार बहुत होते थे करीब आज एक दिनार 80 के करीब है उस वक्त देख लो उसकी क्या कीमत पा दिनार आज 280 के करीब है कुवैती दीनार तो उसने झट से पाच दीनार उस भिक्षु को दिए जा बाबा कहीं आगे से खरीद ले आगे से कोई खाना खा ले कोई दुकान खुली होगी और जल्दी से सर्द हवाओं से बजती हुई भीतर गई फातिमा भागी मोहम्मद की चारपाई के पास जाकर देखा आराम से लेटे हुए थे चादर लिया हुए फातिमा ने हिलाया नहीं हिले चादर उठाई पंछी जा चुका था उठ चुका था तुम संप्रदायिकता से तुम तुम्हारे तथा कथित नकली धर्मों से कस लेते हो मानवता को लेकिन राजनीति समाज संप्रदाय यह पार्टियों के झंडे वंडे इनका धर्म से कोई संबंध नहीं धर्म बहुत भीतरी अस्तित्व की बात है वो सबका एक है भीतर से हम सब जुड़े हुए हैं सभी जीव जंतु सभी अस्तित्व पत्थर हो के भगवान हो सभी एक सूत्र में बंधे हुए हैं यही तो विलक्षणता है यही तो कृष्ण कहते हैं जीवन भी मैं हूं मृत्यु भी मैं हूं और तुम्हें समझ नहीं आता तुम जीवन और मृत्यु को विपरीत छोर समझते हो जैसे ही वीर्य पैदा होता है उसके भीतर से यह आसानी तरंग जो आपको खुशहाली से भर देती हैं आनंद से भर देती हैं वह उड़ने लग जाती हैं जैसे जैसे इसका निर्माण होता है वैसे वैसे यह आसानी तरंगे तुम्हारे ब्रमर या कह लो सहसरा में प्रवेश करती हैं तुम आनंदित होते जाते हो और जब तुम खो देते हो तो सभी यह बहार देने वाले खुशियां देने वाली तरंगे भी साथ में जाती हैं पूरा का पूरा फूल जाता है जो खिला हुआ है फूल उसको तुम तोड़ लेते हो मैंने देखा लोग अपने स्वागत में बड़े फूलों की हत्या करते हैं मैं इसे हत्या करते पहली बात तो ईश्वर ने उसे जीवन ही इतना छोटा दिया छोटे से जीवन में उसकी खलाव से आपने कुछ सीखना था फूल की तरह खेल जाओ लेकिन आपने उसी को तोड़ लिया और किसी भी राजनेता या किसी भी धार्मिक नेता के स्वागत के लिए आप बरसाने लगे फूल की हत्या करके किसी का स्वागत करना अपराध हो सकता है ईश्वर की सृष्टि में अपराध है ऋषि कनाद कच्चा गेहूं नहीं खाते थे पक के झड़ जाता गिर जाता फिर वो दाना खाते कहते नहीं कच्चे में जीवन है अभी जब जीवन से टूट गया फूल मुरझा जाए तुम उसको अर्पित कर देना लेकिन वह तो बेज्जती होगी फिर इनकी वह अपनी जिंदगी को जी ले फिर तुम उसे तोड़ लो खुद ही टूट जाएगा खुद ही गिर जाएगा लेकिन जीवंत यहां पर पुष्प लेकर जाते हैं मेरे पास लेकिन मुझे कोई खुशी नहीं होती सच पूछो तो मेरे भीतर दुख होता है इतने फूलों हत्या सिर्फ मेरे लिए की गई किसी ना किसी रूप में मैं इसका दोषी हूं उस फुलवाड़ी में लगे ज्यादा शोभा दे रहे थे खुद के होने का आनंद मान रहे थे खुशबू बखे रहे थे इनका क्या ले रहे थे लेकिन यह तोड़ लेते हैं या कोई बेचने वाला उससे खरीद लेते हैं बात तो एक ही है अगर आप मीट बेचने वाले की दुकान से मीट खरीदोगे इसका मतलब यह है कि अगले दिन वो ज्यादा लेकर आएगा खरीदना बंद कर दो आगे से वो लेकर नहीं आएगा ही गुलशन रोता होगा तुम जब फूल को तोड़ के आते हो एक गुल से तो नहीं एक गुल से तो उज जाते नहीं फूलों के बाग एक गुल से तो उजड़ जाते नहीं फूलों के बाग क्या हुआ तूने बुझा डाला मेरे घर का चेरा अल्लाह कम नहीं है रोशनी हरिश में तेरा नूर है सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है खुदा हर फैसला तेरा मुझे मंजूर है सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है अल्लाह [संगीत] एक गुल से तो उजड़ जाते नहीं फूलों के बाग बाग तो यही कहता गा क्या हुआ तूने भुज डाला मेरे घर का चिराग कम नहीं है रोशनी और भी बहुत है हर शय में तेरा नूर है हर फूल में तेरी इबादत करने की क्षमता है तुम इनके झांसे में मत आया करो अगर अपने भीतर उस आनंद का पान करना चाहते हो रस का तो इन लोभ लोगों के पीछे मत लगा करो भीतर का आनंद इतना प्यारा है इसको पीने के लिए बड़े-बड़े ऋषि मुनि पीर पैगंबर तरस गए एक बूंद ना मिले और जिसे मिली वह निहाल हो गया उसकी खोज करना उसकी तरफ पांव बढ़ाना और मौका है चूक मत जाना मुश्किल यह मौका आया कर में आवे कपड़ा नदर मोख दवार नदर हुई तो मुक्ति भी हो जाएगी उसकी रहमत हुई तो तने सर्वोच्च मानव शरीर मिला इस इसका तुम लाभ उठा सकते हो लेकिन लाभ उठाने के बजाय अगर तुम इसको जीर्ण शीर करने पर तुल गए हो तो यह तुम्हारा भाग्य हीनता का सबूत है तुम्हें जेलों में बंद नहीं होना चाहिए अगर गलती से जेलों में भी बंद हो गए हो तो अपने भीतर उतरना शुरू करो मैं इन पैरोकार से कहता हूं कि मेरे प्रवचनों को जेलों में जरूर सुनाया करें जेल सुधार नाम तो रख दिया आपने सुधारो कब ऐसे ही प्रवचनों से व्यक्ति सुधर जाता है कोई जन्म जात बदमाश नहीं पैदा हुआ करता तुम्हारा समाज तुम्हारे संस्कार इसे विकृत कर देते हैं तुम्हारी कु व्यवस्थाएं से विकृत कर देती हैं यह जन्म जात बदमाश नहीं पैदा हुआ था यह जन्म जात कातिल नहीं कुछ तो गड़बड़ है तुम्हारे समाज में तुम्हारी परंपराओं में तुम्हारी वितरण प्रणालियों में कहीं तो कुछ गड़बड़ है जो आज सारी तरफ अंधकार ही अंधकार है रोशनाई की आनंद की कोई बूंद दिखाई नहीं पड़ती तो स्वपन दोष से डरने वालो मत डरो यह खुद होगा जैसे मल मूत्र का त्याग होता है अगर कोई मूर्ख तुम्हें कहे मल मूत्र को बचा लो यह तो बड़ा कीमती है नहीं नहीं उसकी बात मत मानो कोई कुश्ते कोई नुक्से मत मानना छोड़ दो इनको यह लोभी लोग हैं यह ठग हैं वर के रज की एक बूंद बड़ी महता रखती है इसको बचा लो और जो खो जाए अपने आप उसकी परवाह ना करो फरन मटेरियल विजातीय द्रव्य है वह वह जाएगा जाएगा मल मूत्र की तरह जाएगा उसको त्याग दो उसका फिक्र मत करो वह प्रकृति जो सेंस था निकाल लिया और तुम्हारे ब्रमर में सहस में भेज दिया उसकी बिल्कुल चिंता मत करो उसके लिए दवाई वगैरह मत लो यह ठग लोग है यह दिन में जीनस बेचते हैं रात को गुप्त अंगों को बढ़ाने के लिए दवाई भेजते हैं इनको शर्म नहीं आती यह व्यापारी हैं और व्यापारी भी कुटिल व्यापारी दुष्ट व्यापारी जिन भीतर जरा भी परमात्मा की दयालुता नहीं है कुछ नहीं लेकर जाए बस धन रोज बढ़ता जाएगा इनका अहंकार भी बढ़ता जाएगा संग कुछ नहीं जाएगा किसी के कुछ नहीं जाता सिकंदर भी खाली हाथ चले जाते लुकमान भी खाली हाथ चले जाते हैं लेकिन मेरे पास जब आओ परिपूर्ण ब्रह्मचर्य को साध कराओ क्योंकि तुम जितने ब्रह्मचर्य से गुजर के मेरे पास आओगे उतने ही तुम रेंजेस को ज्यादा मात्रा में भी पाओगे एक नुक्सा बताया मैंने तुम परिपूर्ण ब्रह्मचर्य रखना पांच चार महीने कम से कम फिर मेरे पास दीक्षा लेने तुम पाओगे मेरे द्वारा प्रसारित की गई सभी तरंगों को तुम पूर्णत जजब कर लो और तुम्हारे वह शरीर का अभिन अंग बन जाएगा तुम्हारी आत्मा का अभिन अंग बन जाएगा तुम खुशहाल हो जाओगे नाचने लगोगे तुम्हें मस्त कर देंगे तुम्हारी आंखें मंद जाएंगी तुम मस्त हो गए यही मस्ती हमारी जरूरत है भीतरी आत्मा पुकार रही है इसको संतुष्ट करो शरीर को संतुष्ट करने के 100 बहाने तुम्हारे पास है 100 तरीके तुम्हारे पास है मन को भी तुम संतुष्ट कर देते हो लेकिन आत्मा संतुष्ट नहीं होते क्योंकि आत्मा को उसका भोजन नहीं मिलता आत्मा का भोजन है सत्संग संत के संग बैठ जाना जितने भी कथावाचक है कैसा भी है इनसे मैं कहूंगा कि जेलों में जाकर अवश्य प्रवचन किया करें तुम्हारे जाने से कुछ तो बदलेगा कहानियां झूठी मुठी ही सही लेकिन यहां जरूरत नहीं है वहां जरूरत है जो भटक गए हैं यहां तो सभी ठीक ठाक चल रहा है वहां जरूरत बहुत भारी है वहां जाकर अवश्य प्रचार किया करें बजाए इसके कि तुम खुद तिहाड़ जेल में बैठो तुम तिहाड़ जर के लोगों को बदलो ऐसे कु कृत मत करो जो कानून तुम्हें जेलों में धकेल दे सद कृत करो कि वहां बैठे हुए लोग सुधर जाएं और वाक ही यह जेल जिसे हम सुधार गृह कहते हैं यह वाकई ही सुधार गृह हो जाए श्री कृष्ण [संगीत] गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारा यन [संगीत] वासुदेव पितु मात स्वामी सखा हमार पितु मात स्वामी स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद [संगीत] हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा आहट जा गुठी आहते हम गई रासते हस [संगीत] दिए आहते जाग उठी रासते हस दि थाम कर दिल उठे हम किसी के लिए कई बार ऐसा भी धोखा हुआ है कई बार ऐसा भी धोखा हुआ है चले रहे हैं वो नज झुकाए जब याद आए बहुत याद [संगीत] आए जब याद आए बहुत याद गम जिंदगी के अंधेरों में हमने चिराग मोहबत जलाए बुझाए जब याद आए बहुत याद आए जब याद आए बहुत याद आए श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे [प्रशंसा] मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा पितु मात स्वामी सखा [संगीत] हमार पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव [संगीत] धन्यवाद


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