मृत्यु क्या है और भी मृत्यु के संबंध में बहुत से प्रश्न पूछे गए हैं कि मृत्यु के बाद क्या बचता है कि मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती हैं कि कैसे जन्म लेती हैं
और भी मृत्यु के बारे में ढेरों सवाल है और सुनाओ है तो तरह फिक्स की मृत्यु होते हैं कि एक मृत्यु जिससे आप जानते हैं है रोज मरते हुए थे कि उन्हें लोगों को जिनसे आप रोज मिलते हैं एक दिन चले जाते हैं के बड़े-बड़े दावे करते हैं हुआ है तो बहुत कुछ है में बड़े विचार प्रकट करते हैं में बड़ी-बड़ी किताबे रहते हैं लिखते हैं ए नोबल हो जाते हैं है और सिर्फ एक दिन मर जाते हैं कि मेरी दृष्टि में कि आपने इसी मृत्यु के बारे में पूछा होगा अ है क्योंकि और दूसरी मृत्यु के बारे में में है तो पूछने जैसी मुझे कि भाषण नजर नहीं आई है श्री कृष्ण के दृष्टि में ई वास आंत से जिलेटिन यथा विहाय कि नवानि गृह्णाति नरोपराणि है तथा शरीराणि विहाय जीर्णा अनन्वय संयाति नवानि देही दूसरे दिन अधिक कि भगवान कृष्ण ने की मृत्यु के बारे में बोला है अब से वासांसि जीर्णानि यथा विहाय जैसे हम व्यक्ति मैं नहा कर को वस्त्र बदल देता है पुराने वस्त्र उतार देता है को नए वस्त्र डाल लेता है कि भगवान कृष्ण कहते हैं कि मृतयु अब बस ऐसे ही है ई वास एंड सित जीर्णानि यथा विहाय है कि नवानि गृह्णाति नरोपराणि तथा श्री रानी विहाय जीर्णा अनन्या आणि है वो हिरण हिरण शरीर को कि शो छोड़कर आत्मा नया शरीर ग्रहण कर लेती है संयाति नवानि देही है है जैसे मनुष्य स्नान करके अपने पुराने वस्त्रों को उतार दिया करता है नए डाल लिया करता है भगवान कृष्ण की दृष्टि में मृत्यु इससे ज्यादा खुशी मीडिया की हां मुझे पता है आपने यह सवाल क्यों किया है कि के मृत्यु एक ऐसा विषय है कि जो के रहस्य पूर्ण है है जिसे आप जानते हैं है जिससे आपका कभी आमना-सामना नहीं होता है है जिससे आप परिचित नहीं में बहुत बड़े-बड़े ज्ञानी भी जो अपने आपको ज्ञानी होने का दंभ कहते हैं कि वह भी मृत्यु के बारे में नहीं जानते हैं और तू छोड़ो कि चोटी मृत्यु निद्रा उसके बारे में भी बहुत से ज्ञानी नहीं जानता है कि नींद के बारे में भी नहीं जानते हैं मृत्यु यह तो बहुत बड़ी बात है सिर नेत्र और की मृत्यु क्या है श्री कृष्ण भगवान के शब्दों में तो बड़ी सरल चाहिए है लेकिन हमारी पौराणिक दृष्टि से जो हमारे संत महात्माओं की दृष्टि में हां जी बहुत अच्छा का दर्द में दुख से भरी हुई एक घटना है कि जब मृत्यु आएगी तो हमारे पुराणों में लिखा है है कि जैसे लाखों बिच्छू एकदम से डरते हैं मैं उस दिन तुम्हें पीड़ा होंगे अ हैं और किसी भी जानवर के डसने से इतनी पीड़ा नहीं होती जितनी पीड़ा बिच्छू के डंक से होती है
ए रेयर कम चढ़ता है पीड़ा अधिक होते हैं इतनी पीड़ा होती है असहनीय अपना होते बिच्छू के तरफ से एक बिच्छू के दंश से है और शास्त्र कहते हैं कि के लाखों भिक्षु दर्शन इतना दर्द होता है तू मरने की अवस्था में जो व्यक्ति मर जाता है तो इतना दर्द होता है कि हमारे पुरातन दृश्यों को है या तो अनुभव नहीं था अ हैं या उन्हें बताने का सलीका नहीं था तो उनमें से कुछ पाते हैं कि प्रत्येक बात को है वह भय मिल-बैठकर बोल दिया करते थे या लाल मिर्च मिल ऊ कि पता नहीं क्या मजा आता है कि मैंने बहुत शास्त्र वेद पुरान सभी धार्मिक तक पढ़े हो हैं उनमें कि कुछ क्षेत्रों को छोड़कर जैसे अपनी स्थित है है उसमें की बहुत कम मात्रा में रह गया है है लेकिन पुराणों ने तो बिल्कुल ही करते हैं परंतु से इसीलिए हम बहुत अटकते हैं कि अनादिकाल से हमारे अचेतन मन में यह बैठा दिया गया है कि जब बहुत आएगी तब पता नहीं क्या हो शिकायत मैं इतना दुख होगा है एक तो पीड़ा और दूसरा कि हम ऋतु से तोड़ते हैं कि हम अपने आपको शरीर मानते हैं वो मानते हैं जानते नहीं तो सही संत पुरुष तुम्हें सदा ही जय का या तो तुम जानो कि तुम हो को मन वक्त तो जानोगे तो सारे भ्रम बैक में क्लेश दुख को कष्ट निवृत्त हो जाएंगे और और फिर अगर वास्तव में भरते वक्त विशेषता है तो किया भी क्या जा सकता है तो फिर कोई उपाय ढूंढ लेंगे अगर ऐसा है तो कि अगर मृत्यु काल में है कि बिच्छू के डसने जितना दर्द होता है लाखों भिक्षुओं के जिसने जितना दर्द होता है है तो फिर देखेंगे से पहले मृत्यु में प्रवेश तो करो फोन है लेकिन हम इतनी बुरी तरह डर जाती हैं या समझो के इन शास्त्रज्ञों ने या शास्त्रों में इन धातुओं महा मूर्खों ने है अ जिनको हम महात्मा कहते हैं आप तो जानते कुछ नहीं जिन्होंने भी माना ही माना है सदा को शास्त्र पर लिया किसी गुरु से पूछ लिया किसी गुरु से सीख लिया और तुमको आगे बता दिया है कि खुद का अनुभव नहीं होता है और मृत्यु क्या है और कृष्ण के दृष्टि में अपने कपड़े बदलने से ज्यादा बच्चों को छूते हैं कि अ अ कृष्ण ठीक करते हैं ऐसा क्यों है क्योंकि कृष्ण देखकर बोलते हैं किसी को पढ़कर ने व्रत है है और जो भी देखे बोलेगा कि वह यही शब्द का यह है और जो पढ़कर भोले का यह वही शब्द कहेगा है कि मरते वक्त लाखों भिक्षुओं के जिसने जितना दर्द होता है तो चलो फिर हम का प्रयोग भी कर ले ए साइंटिफिक बुद्धि का इस्तेमाल करना सबसे बढ़िया ठंड है किसी भी वस्तु को जांचने का किसी भी क्रियाओं को देखने का का वैज्ञानिक तरीका सबसे बढ़िया तरीका है है इसलिए साइंस ने इतनी तरक्की कर ली क्योंकि साइंस बड़ी इमानदार है थे साइंस में बेईमानी के लिए कोई जगह नहीं है में शास्त्र में बेईमानी के लिए सारी जगह जिला है जहां हो गई निकट रहो में शास्त्र और राजनीतिज्ञ इन दोनों में कि बेईमानी के लिए पर्याप्त जगह है बीमारियों के प्रति और बेईमानी के लिए पर्याप्त जगह है कि अगर तुम रहमान हो झूठ बोल सकते हो अच्छी तरह झूठ बोल सकते हो शो मोर का स्वदर्शन नहीं करना चाहते संसार देखना चाहते हो है तो दो काम कर रहा हूं है बाबा बजाओ कि को डेरा खोलो कि कोई समाप्त तो बना लो है या की पार्टी बनाने को कि राजनीतिक पार्टी है हुआ है कि मुझे से चलेंगे अ है क्योंकि हैं इनकी बुनियादी क्वालिफिकेशन है झूठ और कितना झूठ बोल सकोगे जितनी अच्छी तरह से झूठ बोल सकोगे उतने कामयाब राज नेता अ हैं और उतने कामयाब कि अध्यात्म झाल के नेता अ के आध्यात्मिक नेता कि हमने देखा है कि आज क्या कुछ हो रहा है के करोड़ों लोगों को सन्मार्ग दिखाने वाले हैं कि जेल में सड़ रहे हैं कि मैं सभी आध्यात्मिक नेताओं के लिए यह बात नहीं बोल रहा हूं मैं इसको गुस्सा आता है उसके लिए बोल रहा हूं एक बड़ी फुटपाथ लेकर किया आपको है क्योंकि कि अपराधी को ही गुस्सा आता है पापी को ही गुस्सा आता है एक सच्चे को के सांचे को पांच नहीं एक सच्चे को तकलीफ नहीं सकते हैं कि एक राजा की कहानी कि हम सदा ही बचपन में सुना सुना करते थे और मैं एक राजा के पास कि एक मामला आया कि चोरी हो गई थी कहीं पर उन्होंने चोर खोज जनम में को शक के दायरे में बहुत से आदमी थे पहचान नहीं हो रही थी अ ए राजा बड़ा सुनीता अर्थ है ए राजा समझदार ही हो तो देश वजह करता है जो समझदार और सचेतन 16 राजा इस देश को सुला दिया करता है खैर नेतराम है मैं जागा हुआ के नेता होना चाहिए राजनेता सोया हुआ नहीं होना चाहिए को समझदार होना चाहिए कि राजनेता मूर्ख नहीं होना चाहिए है जिसके हाथ में आपने अपनी जिंदगी तक दे दी है कि वह मूर्ख होना चाहिए मैं नहीं आ कि उस वक्त व्यक्ति होना चाहिए मूर्छित होना चाहिए मैं लोगों को सजग होना चाहिए झाला कि जागृति से भरपूर होना चाहिए जागृत होना चाहिए कि हर तरफ की बराबर उसे ने कहा कि मेरे का भूभाग में मेरे देश में प्रदेश में क्या हो रहा है कि कौन क्या कर रहा है ए राजा के पास अगर अधिकार है तो राजा का कर्त्तव्य भी है अगर राजा सिर्फ अपना अधिकार ही बताने लग जाए और कर्तव्य पालन न करे तो चाणक्य कहते हैं कि ऐसे राजा को गद्दी से उतार देना चाहिए है कर्तव्य और अधिकार साथ-साथ चला करते हैं दो पत्नियां हैं जैसे रेड गाड़ी नहीं सकते दो बराबर बैरल बढ़ रही होती एक बडे के ऊपर रेल गाड़ी नहीं चलती बराबर की तो बिलकुल बराबर स्टेट ओं है जितना अधिकार चलेगा उतना ही कर्तव्य भी चलेगा आ हुआ है कि विक्रमादित्य के राज्य में एक बड़ा अजूबा केसा आया सुबह-सुबह दो औरतें हैं ए रो रहे हैं बीच में एक बच्चा खराब दांत पकड़कर लेकर आ आज तक बाद उसने पूछा क्या मामला है वो कहती है दो स्त्रियां हैं एक बच्चा है इसे एक बच्चे पर दोनों इस्त्री अपना अधिकार जता रहेंगे एक कहती है मेरा बच्चा है दूसरी कहती हैं मेरा बच्चा है कि फैसला कीजिए है एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है के वीर विक्रमादित्य ये कैसा लगा में भारत ने कि इक्का दुग्गी ओर देखा होगा और ए राजा ऐसे ही होना चाहिए वीर विक्रमादित्य राजा के नाम पर विक्रमी संवत वादा पूरा संबंधित जैसे इस घटना पर इस विषमता है कि ऐसे लोग सदा के लिए अमर हो जाए करते हम ऐसे हुआ जाता है में भर्ती में कैप्सूलों को दबाकर अमर नहीं हुआ जा सकता है के वीर विक्रमादित्य का हुआ था कि मैं अभी पैसा रखेगा तो कि एक स्त्री से पूछा बेटा तुम्हारा है पत्तियां जो मेरा तुमने जन्म दिया जो मैंने जन्म दिया मेरा बेटा है दूसरी स्त्री से पूछा बेटा तुम्हारा है यह मेरा है कि तुमने से जन्म दिया मैंने से जन्म दिया है कि मेरा बेटा है अच्छा ठीक है हैं और सब कोई निशानी पीना सी कौन-कौन पैसे लग रहे हैं यह किसका बेटा है कोई मॉनिटरिंग कि कोई मेजरमेंट में कि उपलक्ष में कि किसी माता के साथ उसका चेहरा नहीं मिल रहा ए प्री मुश्किल पैदा हुई लेकिन विक्रमादित्य के लिए मुकर नहीं कर रहे कि यहां कोर्ट-कचहरी में केस चलता मैं तुम्हारा बाप मर जाते हैं कि फैसला ना होता तो तो उसने कहा ठीक है कि सैनिक शिकार मेरी लंबी तलवार ले कर दो हैं तीखी तेज धार वाली तलवार है के बेटे को बीच में बैठा लिया है है कि तक ठीक कर देवियों कि तुम दोनों का बेटा है अब मैं इसको बीच में से चीर देता हूं तो आधा आधा बांट लेना है और सुनाओ है और तलवार सिपाही ने लाकर दे दी है कि जब उसने हाथ में तलवार लिए तो एक औरत 16 पटेल राइट रूक जाओ अब मैं इसको मत काटो है यह बच्चा है मेरा नहीं उसको दे दो कि उसका बच्चा है कि विक्रमादित्य हरण है 16 विरादरी हैरान हुए दूसरे शिव हरण कि विक्रमादित्य ने कि जिस औरत ने कहा था अपने सिर ते हुए बच्चे को देखकर कि राजा यह मेरा बच्चा नहीं है उसको दे दो बच्चा उसी को देती है चलाई थी अजय को मैं हैरान मां ने पूछा कि राजा इससे ज्यादा भी कोई आवश्यकता होगी प्रमाणित कि जब स्त्री खुद कह रही है कि मेरा बच्चा ने इसको दे दो निकाल दें इससे ज्यादा प्रमाण की मुझे आवश्यकता भी नहीं है मैं तलवार देखकर जिसका दिल धड़का वहीं मां हो सकती है बेबीस शुक्र सिर ते हुए बच्चे को देखकर जिसका दिल धड़का वह मां का दिल ही हो सकता है कि उसने झूठ बोल देते हुए हैं हां मैं जानता हूं मैं तेरा बच्चा देखुं कि मैं तुझे दंडित कर लूंगा मैं यदि कोई स्त्री राजा के चरणों में जुट गए अपना अपराध मान लिया बिल्कुल ठीक है राजा आपने सही फैसला किया यह मेरा बच्चन है 15 मिनट में फैसला हो गया है 250 को देती है अगर जो मां रोई थी हुआ है है जिसका हृदय चीत्कार कर उठता कि बच्चे को कार्टून मत उसको दे दो कम से कम याद तो रहेगा ना है उसको दंडित किया गया है कि जिस माता ने है का विवाद खड़ा किया है कि यह होते हैं न्याय और न्याय के लिए ज्यादा वक्त की आवश्यकता नहीं होती हैं को ज्यादा तरीके डालने की आवश्यकता न्याय देने के लिए आ हुआ है कि नीयत होनी चाहिए कि नियत हो कि न्यायिक पृथक्करण हो जाता है कितनी देर सकते हैं यह जितने मसले उड़ जाते हो फिर तुम्हारी नीयत में खराबी के कारण जाते हैं थे फर्नीचर को इतने मसले नहीं होते लंबे-चौड़े यह देखिए वीर विक्रमादित्य ने 5 मिनट में न्याय कर दिया था कि आप की न्यायप्रणाली 50 साल में यह चीज पैदा ना कर सकते जो विक्रमादित्य हैं 5 मिनट में पैदा कर दिया हाल कर दिया पसंद है ए राजा के नीचे लुट है तो कभी फैसला नहीं होता है ए राजा की नियत हो तो फैसला क्षणों को लाइक करता है लेकिन नीयत के साथ संभोग अगर समझाना तो कितनी है है इसलिए राजा को समझदार भी होना चाहिए और अवेयर भी होना चाहिए यह नीति की साफ-साफ में जाग्रति है और समझदारी यह चीजें मिल कर और न्यायकारी राजा बनाया करती हैं कि यह सूत्र समझे ना पड़े काम आएंगे है ऐसे ही हरेक व्यक्ति को अपने जीवन की शक्ति और अपने जीवन के की सारी पूंजी उठाकर मत दिया करो ने अपना सारा जीवन किसी के हाथ में दे देना बिना सोचे समझे और उसका परिणाम भोगने के लिए फिर तैयार पी रहा करो ना फिर क्यों रोते हो और फिर होना ठीक नहीं है तुम्हारा तुम्हारा रोना रखता है रोना था तो पहले रोना था सोचना था है कि कौन ठीक रहेगा शब्द सुनकर किसी को राजा बना देना तो कोई गलत भी हो सकता है आज तू कैसा है आज भगवान राम का ढूंढ कि यह कहानियों में भगवान ग्राम आज कहानियों में है जीवन के ज्वलंत विषय में नहीं कि जीवन में नहीं है आज भगवान का आज कहानियों में कि आप समझे बैठे हो जीवन में है जीवन में नहीं है कि आज किस्सों में है कौन सी मैं एक बहुत होती है शरीर की मौत कि उसे कृषि में दूसरे अध्याय के भाई समेत रूप में साफ कर दिया वह आसान सी जिन यथा विहाय है है जैसे जीर्ण-शीर्ण वस्त्रों को में शरीर त्याग देता है कि ऐसे ही जेल शैंपू शरीर को आत्महत्या देते बादशाह यह नान यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोपराणि जैसे न आम आदमी नहीं बस अड्डा स्थित है प्राणों को त्याग कर है है तथा शरीराणि वैसे ही दूर है कि वे हाय गिरना अनन्या ने यह निशान शरीर को त्याग कर दो कि संयाति नवानि देही है एक नई दिल्ली को ग्रहण कर लेता है MP3 बस इतना ही नंबर है यह पसंद है ए डेस्टिनेशन की थी कि हमारे कि भाजपा में 240 में दर्द खटखटाएं तो मैंने कहा दो ही फार्मूले थे इन लोगों के पास है का दान करवाना है तो लोग दिखा दो मैं यहां शरीफ नहीं प्रयोग शराब नहीं पियोगे यहां दांत करोगे तो कि स्वर्ग भोगों के आगे जाकर कि यहां शराब नहीं पियोगे करके झड़ने कि वहां पी लेना है तो यहां पर हम नहीं चेहरे का पालन करोगे स्वर्ग में अप्सराएं पूरे मिलेंगे मैं जन्नत में हूं हैं यह लोग में कोई शक नहीं होता है कि कोई हुए नहीं होता कि को इस वर्ग में चढ़ावों के अ कि कश्मीर नहीं आते हैं कि स्वर्गीय श्री नहीं होता स्वर्ग कोई भौगोलिक क्षेत्र का नाम स्वर्ग स्वर्ग नाम है तुम्हारी मेंटल स्टेट ऑफ कि जब तुम खुशी के लम्हों में होते है प्यार के लम्हों में होते हुए का आनंद के लम्हों में होते हो खुशी से डिलीट करते हो को पछाड़ बहुत है मैं दुखी पुरुष को में चोटिल व्यक्ति को चोट ग्रस्त व्यक्ति को बीमार को तुम दबा देते हो में जख्मी को तुम मरहम पट्टी करते हो में दर्द युक्त शरीर को तुम दर्द मुक्त करते हो दवा देकर और अशक्त ग्रह व्यक्ति को तुम अपनी शक्ति से उठाते हो चलाते हो अंधे को सड़क पर रहते हैं अजय को मैं जब भी तुम ऐसे कर्म करते हैं है तो देखना है थे उसी वक्त झांक कर देखना है कि कोई बरसों बाद तुम्हें शेष का स्वर्ग मिलेगा कि उस वक्त तुम्हारे मन की शांति ओम मैं तुम्हें फल मिल गया सुकून नाम का जो फल है मैं तो तुम्हारी सेवा का परिणाम है मैं इसे कट समझ लेना है और सुप्रिम मैं आ रहा हूं को सुकून नाम का फल तुम्हारी सेवा का परिणाम होगा करता है किसी के पांव यह देखो कितना सोता है मैं किसी के साथ दुश्मनी है का हृदय चल चल उठता है कि उसका चेहरा देखने का मन नहीं करता दूर से बिदक जाता है वह व्यक्ति वो तो तुम रास्ता पर रहने दिखाओ कि उसके सामने जाकर उसके चरणों के हाथ लगाओ सिर रख दो उसको निर्णय यह देखो जलता हुआ और गए शांत हो जाएगा कि यह कसूर के बाद में एक रहा हूं कि कसूर किसका है यह कर्म के बाद में कर रहा हूं जो कर्म क्या किया है को दूर से देखकर मैं तो तुम्हारे माथे पर सिलवटें पड़ गई हृदय जलने लग गया आग की लपटें तरंगें उठने लगे हैं है लेकिन एक बार मन को माकपा कि उसके चरणों में लोट जाना है मां के कदमों से कोई अपराध हो क्या हो तो क्षमा कर दो देखना है है तो लेते कि पुजवा राण शांत हो जाएंगे अ को सुकून मिल जाएगा और थे स्टेट ऑफ माइंड इसे कहते हैं स्वर्ग है कि स्वर्ग कोई भौगोलिक क्षेत्र नहीं है जिसको आप मरने के बाद निवास करोगे क्यों नहीं जीते जी जो भोग आ जाए वह स्वर्ग प्रेम के लमहे मे सुख के नाचने के का संगीत के कुछ लम्हे अ कि यह होता है सर कि सर्ग और कुछ नहीं 144 कर दो झाला नहीं कि कि कोई दूर कुंभीपाक नर्क नहीं है हां यही तो कुंभीपाक नर्क है मैं तुम्हारे दिमाग में कि जिस व्यक्ति ने कोई कसूर नहीं किया है और लोगों के कहने से तुम्हारे कान भरने से तुम्हारे भीतर है कि कुंभीपाक पाते कि है तुम थोड़ा हो जाता उसके भीतर 15 कि जब आप श्री राधे किसको कहते थे प्रेशर जिसको कहते तुम्हारे दिमाग में कुंभीपाक नर्क अपनी और क्षेत्र नहीं तत्व इसके परिणाम मिल जाए तो है पुराणों में कितनी दूर है कितने योजन कि यहां सेक्टर 23 है लेकिन कोई नर्क नहीं होता कोई नर्क मे जितने भी गलत हैं उनमें से कोई भी लड़की नहीं है कि कुंभीपाक नर्क तुम्हारे दिमाग में होता है मैं तुम्हारे हृदय में होता है तो वह जलने की अवस्था आ कि उसने कसूर किया है या नहीं किया है मैं इस बात में नहीं आता है तो मैंने कहा कि तुम्हारी जलने की वह अवस्था कि तुम क्यों जोड़ रहे हो कि अपराधी किसी ने किया है कि यह होगा आप रात निश्चित मैं यह नहीं करता कि अपराधी किया होगा मैंने कहा कि अपराध किसी ने किया है तो तुम क्यों जाग रहे हो कि तुम अपने आप को कुंभीपाक नर्क में खूब चलाए जा रहे हो लुट कि शेक्सपियर विलियम शेक्सपियर ने एक शब्द कहा था कि चीन के हान हूं मैं आदमी पर है है कि किशोर तो कोई और करता है है और कसूर न करने वाला कि उस कसूर का दंड खुद भोगता है कि किसी के कसूर की दी को दंड तुम दुख देकर अपने आपको अपने आप को अग्नि में जलाकर तुम भोगते-भोगते उसे चाहिए जिसने कसूर क्या है को प्रभावित न भूख से तुमने क्या लेना है है जिसने कसूर किया है को भिगोते या नमक से तुमने नहीं किया तुम शांत हो कि यह स्टेटमेंट आ कि अगर चलोगे तो नर्क में हो कि अगर नाचोगे तो स्वर्ग में हो है और देखिए एक ही बात के लिए में एक ही कर्म के लिए तुम स्वर्ग विमान सकते हो तुम नरक भी मान सकते हैं अजय को थे बुद्ध के मुंह पर किस ने छोड़ दिया था कि कुछ नहीं विचार मिले होंगे और अब मत भेज रहे थे होगा और मैं अज्ञानी होगा देखिए ज्ञानेंद्र विक्रम ऊपर नहीं चूकता है इस समय से आने एक मरता है एक मूर्ख अपनों अपने जिसने वह देख लिया है कि जिस तरफ देख लिया जान तसद्दूक कर दी है कि चाहे पश्चिम में देख लिया चाय उत्तर में देख लिया जाए पूर्व में देख लिया चाहे दक्षिण में देख रही है इस तरफ देख लिया जान तत्व कर दी मैं तो मोहताज नहीं काव्य पुस्तक खाने का मुद्दा था खूब दिखाना था मंदिर था या मस्जिद था कि मुझे क्या मतलब है कि जिस तरफ देख लिया है है जहां मुझे आनंद आ गया है ए हवा का शीतल झोंका आया है कि अगर किसी से क्षमा मांगने से हवा का क्षेत्र चौंका तुम्हारे मन को शांत और सुकून दे जाता है वह तो संघ है और स्वर्ग को नरक शिकायत मैं और तुम्हारे मूर्ख कि शास्त्र गणित तुम्हें सदा यही सिखाया है को सुकून कि अगर तुम गलत हो और अगर तुम ठीक हो इसका फैसला सृष्टि कर्तव्य छोड़ दो और जो ईश्वर को नहीं मानते वह सृष्टि पर छोड़ दो वह कानून पर छोड़ दो वह मीडियम पर छोड़ हो जाएगा फैसला है मैं तुमको चलते हो कि तुम अगर उसके चरण पकड़ लेते अगर मेरी गलती है मैंने कसूर है तो मुझे क्षमा कर दो कहीं कि मैं हंसी के क्षणों में हो गया होगा अ हां हो गया होगा मुझे क्षमा कर जान-बूझकर मैंने नहीं किया था ए पर्सनैलिटी इसके बाद सुकून मिल जाता है कि जिस तरफ देख लिया जान तसद्दूक करती निछावर करती त संतोख न्योछावर करती कुर्बान करते थे कि मैं तो मोहताज नहीं काव्य-बोध खाने का मौका था जब तक खाना था कि मुझे नहीं पता था हूं महात्मा बुद्ध दो कि एक चांदनी रात में पूर्णिमा है कि चांदनी रात में वृक्ष के तले बैठे ध्यान मग्न थे है का अध्ययन-मनन आंखें मूंद कर बैठे हुए थे का रसपान के जा रहे थे कि उसे तक है अपने पैरों की आहट हुई कैसे कोई भागा जा रहा हुं कि उसने थोड़ी आंख खोल कर देख कोई जा रहा है मैं किसी की छाया बन रहे हैं मैं भागा जा रहा है कि आखिर बंद कर रहे हो है तो 4 मिनट बीते होंगे 257 आदमी है उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति वृक्ष के नीचे बैठा है कि हो गए बुद्ध के पास कि पुडा कुछ है इन हिंदी यहां से कोई थे महात्मा मैं यहां से कोई कि औरत नग्न व्रत दो-चार मिनट पहले ही में निकली यह वाक्य तुमने देखे हैं है तो 4 मिनट पहले यहां से कोई नग्न व्रत बांध के निकले तुमने देखिए हैं पूर्णिमा की रात को आप बहुत बड़े शांत स्वर में अ को खोलें जी हां कि किसी के पैरों की आहट तो मैंने सुनी है है लेकिन कि वह स्त्री फीणी या पुरुष कि यह मैंने नहीं देखा ना इस कॉर्नर मेह की व्यवस्था हो गए थे ना कि यह मैंने नहीं देखा था कि मैंने मेरे कानून ने अ से हट सोनी भागते हुए व्यक्ति नहीं जानता वह कौन था इस कानून ने सुनी आवाज बिल्कुल भागता हुआ कोई मुजरा को खोजने देखा है लेकिन कोई नहीं जानता तो वह इस त्रीणि या आदमी नगमे ही व्यस्त रहते हैं हुआ है मैं तुम्हारी मन की तृष्णा बताती हैं है कि स्त्री है या औरत आदमी है मैं तुम्हारी मन की तृष्णा बताती है मैं और तुम्हारे मन की में काफी राणा हरकत मैं भी तो भरी हरकत बताती है कि हिंदू है या मुसलमान है तो पहले मन में पढ़ाता है कि ऐसा दृष्टि तथा सृष्टि पहले दृष्टि में बदलाव आएगा सृष्टि वैसे ही दिखेगी जैसा चश्मा आंखों पर होगा तथा दृष्ट तथा सबसे पहले मन में शैतानियत व और फिर दिखेगा तय स्त्री है या पुरुष है फिर दिखेगा नगर है या वस्त्र पहने हो है लेकिन भक्तों के मन में शैतानियत नहीं होते हैं थे बुद्ध दुश्मन से पार होते हैं जिसमें शैतानियत आते और देखिए शैतानियत ही नहीं एक साधु साधु जाती है को अभिशप्त आप उठाएंगे और के साथ जूता और शैतानियत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं है और पता नहीं कब साधु और शैतान हो जाए कब शैतान साधु हो जाए यहां पता नहीं सकता कभी रत्नाकर डाकू वाल्मीकि है ए पगली मार संत बन गया कुछ पता नहीं था है और कब कौन है मैं सतीश कि मुझे क्वेश्चन अलग कोई है कि कोई ज्यादा देर नहीं लगा करते हैं कुछ क्षण भंगुर संसार में शनि ही लगा करते हैं मैं ज्यादा देर नहीं लगा कर 3 बदलते हुए हैं कि कोई ज्यादा वक्त नहीं लगा करता है कब साधु और शैतान हो जाए कब शैतान सा दूर हो जाए क्योंकि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं मैं यहां से समझ लेना मेरी बात को है इसलिए साधु और शैतान को में दो नहीं मानता एक सिक्का मानता हूं यह जो ऊपर है वह देखता है जो नीचे है वह क्षण इन दोनों जो पॉवर है उसको मुनि गहता मन से 19th है जो उन्हें अवस्था में पहुंच गया है कि वह जाकर अ कुछ नशा जूता होती है ना शैतानियत होते हैं वो बुध के लिए विभाग गया था उसके लिए ना कुछ साधु था है ना कोई अपराधी था ना कुछ शैतान था तो उसके लिए ना कोई आदमी था ना कोई स्त्री सी है है इसलिए कोई गुजरात हों कानून जाण सुनी कि से भागते हुए व्यक्ति आदमी था और थिक नहीं पता था को वस्त्र पहने था न था नहीं पता था कि शैतानियत पहले दिमाग में आती है फिर शैतानियत की कल्पनाएं हैं लिए योजनाएं बनती हैं कि यह जो योजनाएं हैं को बनाने से पहले योजनाएं बाद में बनती है शैतानियत पहले आती है इस दान की कि अभिलाषा पहले आती है दान की अभिव्यक्ति बाद में होते हैं मैं पहले मन चढ़ता है कि अपराध होता है बाद में अ है इसलिए जो यह अपराधी हैं चाहे वह गद्दीनशीन हो चाहे वह गतिविधि ही कि अगर शरारत करते हैं तो शरार से पहले दिमाग चढ़ता है उनका चढ़ाते बाद में करते हैं की गद्दी नशीन भी कि गधी वैकुंठ है कि राज्य नेता शरारत करता है तो उसकी भी बराबर पलानिंग पहले बनती है आपको पता है कि आप सोए होता है कि आप अपने घरों में कैद होते हो के बाहर योजनाएं बनीं बनती हैं मैं आपको पता नहीं होता है झाल शरारते दिमाग में पहले आती है उनकी अभिव्यक्ति बाद में होते हैं और कि योजना में बंध घ्रुव वह शैतानियत पैदा करने वाला और वह को दानवीर बनाने वाला मन दोनों एक ही हैं आप इनको पूरा ट्रैक्टर चलेगा सिक्का यह है कि अ एक पहलू दो है न जाने कब इधर से उधर हो जाए कि पुरूष इधर से इधर हो जाए इसलिए कभी किसी शैतान को पक्का शक्ल मत समझ लेना है कि यहां पता नहीं चलता कि थोड़े से झटके में में बदल जाता है सब कुछ है लेकिन एक और भी पहलू है यहां पर बुध बैठें लुट भावना शैतानियत है कि इंसानियत ह कि मैं साधू होता है क्यों नहीं उपद्रव है है ना डाकू बैठा है नादानी बैठा है उन सबसे बड़े हैं उन सब का निरीक्षण उन सबका कि भ्रष्ट आ आ 16 द्रष्टा हो ने उस क्षेत्र में में थे बुद्ध पहुंचे हुए हैं है और जो वहां पहुंच जाता है उसके लिए कृष्ण के यह वचन और कृष्ण के यह वचन उस स्थिति से आते हैं जिससे स्थिति का जिक्र किया कि बहुत से कैसी वह स्थिति जहां ना आदमी दिखें मैं इस तरह देखें ना लगे इतना वस्त्रधारी शरीर प और भूमिहीन आम आदमी और दूसरी का अभिनंदन है और न गिनता का है कि वैट समाप्त हो जाए है इसलिए भगवान महावीर नगर हो गए थे की बुनियाद मानते नहीं कुछ मुनियों का समूह तक कविनगर नहीं हुए तो श्वेतांबर बन गए ये सब कुछ मुनि मानते हैं कबीर नगर हुए उन्होंने बरस त्याग दिए वह बेगम पर होगा बस इतनी सी पेज के कारण मैं जो बात महावीर ने सिखानी चाहिए थी इतने सीवरेज के कारण वह बरकरार रख दी है कि महावीर कहते थे उस भेज से पार हो जाओ है लेकिन बे डिफिकल्ट है मानो मन बड़ा फैक्टर है बड़ा शरारती है फोटो भेज मैदा कश्तियां वह कहता के वस्त्र पहने हुए हों कि नहीं नहीं तो मैं इस वक्त के लिए सारी उम्र में जी हां गिरने कोशिश की उनके शिष्यों ने दिगंबर और श्वेतांबर बनाकर वह चीज यथावत रखने से है यानी दोनों उसके प्रदेशों पर नहीं उतरे ने की बात वस्त्रों की कहां है और बात नर्तकी कहां है वो मुतमइन वस्त्र पहने रखते हैं कि कबीर ने फटे-पुराने पहुंच पहले दिए कि कृष्ण ने हैं मोर मुकुट पर लगाकर स्वर्ण वोट अलग मुकुट लगा लिया और राजसी वस्त्र पहन लीजिए अ है लेकिन भीतर के अ कि उस तत्व को कोई फर्क नहीं पड़ा है जी हां रत्नजटित सिंहासन पर बैठा हुआ कृष्ण हुआ था मैं अपने जुलाहे की खड्डी पर कि चादर भगत हुआ कबीर और कि उसके भीतर जो बैठा है कि वह मुनि मन से परे कि दोनों अवस्थाओं से करें प् कि नग्नपुर अलग है मैं उन दोनों से पहले अ ए दोस्त और साधु उन दोनों से पर है जो बैठा है है उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है जो तु चाहे कपड़ा दोनों चाहिए राज करो ने पूछा है कि मृत्यु के बाद क्या होता है कि शरीर की मृत्यु के बाद क्या होता है कि यह शरीर जो आप समझे हो अपना पूर्ण अभी तक मैं जवाब तो दे रहा हूं [संगीत] है लेकिन ध्यान रखना मैं यह भी जानता हूं है कि एक जवाब देने का मुझे कोई आवश्यकता नहीं था है और मुझे यह भी पता है कि के आपको इसका कुछ फायदा नहीं होगा को क्यों क्योंकि आप सिर्फ यह कि पूरी करने के लिए अपनी यह जरूरतें दिमाग व इकट्ठी हो ये सूचनाएं आपके लिए यह सूचनाएं मात्राएं दूसरों पर रोब जमाने के लिए कि मेरे शब्दों का इस्तेमाल भी आप सूचनाओं के संग्रहित करके दूसरों पर दबाव डालने की कारण के लिए इस्तेमाल करोगे यह मैं जानता हूं क्या होता है जानोगे उन्हें कुछ नहीं जाना तो जिसने उसने ही जाना है कि तुम तो सिर्फ अपना थोबड़ा भर लोगे बस सूचनाएं एकत्र करके अपने कपड़े को लोग तुम्हें फायदा कुछ नहीं होने वाला है हैं इन सूचनाओं के होने के कारण आप दूसरा क्वेश्चन प्रयोग ऐसा नहीं है और अच्छी तरह से जनता है है क्योंकि मैंने यह बकवास मैं 35 साल से करनी शुरू कर रखी है है और कोई गिनती सुनते के व्यक्ति ही बदले हैं पहुंचे हैं बदले मैं सिर्फ पतलू कर दो है तो फिर अगर आप यह समझो कि मुझे मूर्ख बनाकर आप अपने शब्दों का अपने प्रश्नों का उत्तर नहीं लोगे तो मैं मूर्ख बनने वाला सुनने हैं है लेकिन करुणावश बोलूंगा जरूर अ यह मेरी मजबूरी है की कोशिश करोगे क्या मैं जब घर इतनी वर्क जाएं कि उसमें ओर आप पानी घर आओ तो वह क्रैक आया पर्स मेरे जवाब उस गिरने की तरह मेरी घ घर के काम की नहीं मेरी गाकर तो भरी हरी ही रहेगी चित्र ऊपर से जो पानी और गिर रहा है उसका क्या करूं मैं कि वह इस काम आएगा इसलिए मैं तुम्हारी प्रश्न मांगता हूं है कि मुझे प्रश्न तो मैं तुम्हारा उद्धार हो जाए कि जरूरी नहीं शायद हो जाए इस दिशा में चल पड़े हैं है लेकिन मेरी तो यह मजबूरी है मेरी यह मजबूरी मजबूरी है कि गिरेगी गई ऊपर से जो और आनंद की वर्षा होगी और आनंद हो गए इस ग्राफ में अंधाधुंध है के बाहर छलके बिके कि मैं लाचार है इसलिए उस व्यक्ति पर सिमट बोलता हूं वैसे बोलता बोलता नहीं पड़ता है में पड़ता है बोल आपका प्रश्न आया है तो मैं बोला है में निहित है का कारण बन गया है मैं आपको अपने प्रश्नों का जवाब मिल गया इसको आप से लाभ मिले ना मिले है अरे से कुछ लेना-देना नहीं है का वीडियो और मृत्यु क्या है कृष्ण के शब्दों में शरीर जैसे पुराने वस्त्रों को त्यागकर नए ग्रहण कर लेता है वैसे ही जीवात्मा इस शरीर को छोड़कर नया शरीर धारण कर देती है कृष्ण नहीं बोलिए कृष्ण के शब्द में बोल रहा हूं तो फिर मैं बोल रहा हूं इसका अर्थ यह नहीं कृष्ण की गीता कुछ पढ़ कर बोल रहा हूं कृष्ण तो सिर्फ एक माध्यम बना ली है मैंने है हां बोल तो मैं ही रहा मेरे शब्द बोल रहा हूं कृष्ण को शेयर करके बोल रहा हूं कि मेरा अनुभव है इसी लिए कृष्ण को साक्षी कर लिया अनुभव न होता तो कृष्ण को साक्षर करने का कोई प्रयोजन नहीं है में बहुत वर्षों की बात है 2017 जनता बड़ा सा डेरा है अभी वो मुझसे बोली जगह है कि मेरी पुरानी आदत वो मुझसे कहने लगी कि आप कि जब बोलते हो तो जो कि लोगों के मन को ठेस लगती है उसका बाप नहीं सकता है एक बड़ा सुंदर प्रश्न था अ एक बड़ा सुंदर प्रेशर बनता है है लेकिन उसकी दृष्टि में कि मेरी दृष्टि में तुझे रख लूं कि मेरी दृष्टि में तो यह नाली में बहने वाला गंदा था मैं इसको अभी इतना ही नहीं पता है कि जो वक्तव्य जो किसी लालच के बिना दिया जाता है कि तुम श्रेष्ठ हो जाओ तुम्हारा भ्रम टूट जाए उसे पाप नहीं लगा करता है यह देखिए तुम अंधे हो मैं तुम्हें दिखाई नहीं पड़ता और आंखों वाला व्यक्ति अगर तुम्हें गए कि तुम गलत दिशा में जाएगा क्योंकि आंखों वाले को तो पता है ना कि तुम और एवं देखो नहीं पता होता कि तुम देव है इसलिए उसकी तो मजबूरी है कि वह आपको यह भी नहीं बता सकता कि तुम अंधे हो और वह आपको यह भी नहीं बता सकता कि तुम्हारा रास्ता गलत है यार ठीक है है अब इसको एक एक शब्द को आप एरो प्रोग्रेशन लेना फिर आपको सारी बात समझ में आ जाए एक अंधे को यह भी नहीं पता होता कि सामने वाला व्यक्ति अंधा है अंदर तो यह भी नहीं पता होता कि सामने वाला व्यक्ति सही दिशा में जा रहा है या गलत है है लेकिन आंखों बालों को पता होता है कि सामने वाला अंधा है या आंख वाला है सामने वाला सही दिशा में जा रहा है या गलत दिशा में जा रहा है हैं तो मैंने उस व्यक्ति से पूछा कि एक प्रश्न के बदले मैं प्रश्न कर लूं कत्थक कर लूं तो मैंने कहा आपके आंखें नहीं है कि आप जा रहे हो और जिस सीध में आप स्ट्रेट लाइन में जा रहे हो मैं देख रहा हूं मैं देख सकता हूं है कि थोड़े मीटर की दूरी पर 250 मीटर की दूरी पर एक कुएं खोदना है में कूड़ा भरा हुआ फूल हूं कि उसकी बिल्कुल स्ट्रैट लाइन में आप जा रहे हो आपके आंखें नहीं है यहां पर मैं आपसे कह दूं कि रूक जाओ यहां पर तुम्हारा रास्ता गलत है अगर तुम सिर्फ है इस रास्ते पर चलें तो कुएं में गिर पड़ोगे तू कि आगे कुमार है है और तुम्हारी भावनाओं को ठेस लग जाए तो मैंने पुण्य किया है क्या पाप किया है तो बस मुझे इस बात का जवाब देना सारी उम्र तुम्हें सोचने के लिए मैंने घी तो सारी उम्र सोचते रहना मुझे इस प्रश्न का जवाब देना जिसने भी आपको पता चल जाए इस प्रश्न में नहीं करती है प्रश्न आपने भी कर दिया कि किसी के भावनाओं को तोड़ना आपको पाप नहीं लगता है क्या कि अश्लील मेरे भी कर दिया कि अगर आप अंधे हैं मुझे दिख रहा है कि आप जा रहे हैं आगे कुआं है कुएं में गिरे दिशा गति से चलने कि मैंने आपको बता दिया तो यह आपको बताना मैंने आपसे पूछ लिया आपने मुझसे पूछ लिया अब देखो कि मैं तो आपकी बात का जवाब न दे सका यह दे दिया मैंने तो एक तरफ से मैं आपका जवाब आना बाकी है कि वह व्यक्ति मेरे पास कभी नहीं आया उससे पास आएगा बी मुझे पता है कि संत पड़ेगा ऐ मैं बोला उसकी मजबूरी है यह देखिए क्या कसूर क्या है उसका कि इंसानी अगर कह दिया कि मैं ईश्वर का प्रिय पुत्र हूं और तुमने उसको सूली पर टांग दिया है है तो फिर आज कि दुख क्यों बना रहे हो भाई जी कि उस वक्त फैसला करने वाला जगत जाना है हां तभी तो दो हज़ार साल से इस आयत प्रश्न है और रो रही है कि हमने बिल्कुल सही आदमी को इतना तड़पा कर मारा था को पता आज लगा है आपको कि उसने मुझको नहीं पता लगा जिसने सुकृत्य कि मुझे पाप लगता है कि नहीं लगता है इसका आप फिकर मत करो तो कि आप अपने फीट कराओ कि अगर आपको बात जैसी स्थिति है तो अपना रुख नहीं यह स्थिति है तो इतना पात में नहीं करूंगा कि आपसे कहूं कि आप जजाऊ ही मेरी बात को कि यह पावा आज मैं आपको फोर्स नहीं करूंगा कि आप मेरी बात को मान हिल कि मैं तू चल करूंगा अ कि मेरी घर पर गई छलकेगी मेरी मजबूरी बोल वह आनंद वाटना डा है वह अलग गिरे कि मेरी मजबूरी मैं घर आता भी नहीं है और वह जल गिरे तो मेरी एक छोटी सी इच्छा वश है कि यह बेकार हो जाए इससे अच्छा आपके सूखे हुए कंठ को गिराकर जाए तो अच्छा नहीं होगा कि आपका सूखा हुआ आंवला रेगिस्तान में चल जा रही हो गला सूख गया है प्यास लगी है अगर वह अमृत पानी आप फील तो मेरे लिए तो यह है ही हाथ के लिए यह सौगात है ये क्रिस्पी ना चाहो तो पी लोग नहीं करना चाहिए तो छोड़ दो कि मेरी गगरियां तो छलकेगी हल्के रुकने वाली नहीं है कि तुम पियोगे ना पिएं ओं तुम्हारी सोच मैं तुम्हारे ऊपर कौन सी कोई धारा लगी है संविधान कितने मानना ही पड़ेगा नहीं ऐसा नहीं होता संत कभी तुम्हारे ऊपर दरारें दिया सब्सक्राइब करता है मानना ना मानना इसकी भी कोई शक नहीं होता है है जैसे इश्वर तुम्हें बेश्या जन्म देता है कि बेशक आक्सीजन देता है बेशर्म शरीर के सारे अंग देता है बेशर्म तुम्हें पानी देता है बेशर्म तत्व आनंद देता है बेशर्म तुम्हें जीवन देता है बेशर्म तुम्हारे जीने के लिए सब्सक्राइब करें हमारे चैनल को सबस्क्राइब को सारे दिन सारे स्वास्थ्य है में कोई शक नहीं लगता कि तुम ऐसा करोगे तो ही मैं तुम्हारी फेफड़ों को सांस लेने की इजाजत दूंगा एंटर को धड़कने की जा सकती कोई भी तुम्हारे ऊपर शर्त या पाबंदी नहीं लगता है बस ईश्वर की तरह संत बिल्कुल ऐसा ही ब्रिटिश अर्थ है क्यों कोई शक है मैं यह लास्ट अपडेटेड ओं मैं तुम्हारे ऊपर प्रतिबंध इसी चीज कर दो यहां पर जो प्रतिबंध लगाते हैं वह प्रीमियर हुआ पी नहीं करते ध्यान रख लेना है जो किसी के मोजे में मौजूद न माने तो क्या आखिरी में होगा अ कि मैं हूं एक प्रेमी तुम्हें उलझन में डाल कर खुश नहीं है तुम्हारी आंखें खोलकर खुश हो गई तो ज्यादा अच्छा नहीं खुल गई तो मित्रों इस गांव में खुशी अगर तुम मिलते हैं कि जब शरीर आत्मा को छोड़ देता है पाउने जीर्णानि यथा विहाय है एक नया शरीर धारण कर लेता है तो यह पूछा है कि प्रकृति के अनुसार वह धारण करता है या अपनी इच्छा के अनुसार करता है या कि वह कुछ देर भटक सकता है है या वह जब चाहे एप्स जितनी देर चाहे भ्रमण करता रह सकता है या वह अपनी इच्छा अनुसार चुन सकता है गर्भवती देखिए यह सवाल आपको तो अलग अलग दिखते हैं लेकिन एक है थे प्रोग्रेस आफ कॉन्शसनेस कि आपके कांग्रेस ने कितनी तरक्की की है ए फोटो तू कितनी बड़ी है आपकी चेतना आ है अब एक तो इतना चेतन होता है तो वह बकरे के सिर के ऊपर गर्दन के ऊपर आज तक हुआ फेंक देता है डर से अलग हो जाते हैं है और एक जैन मुनि भी है कि वह पांव भी भिंचकर उठाता है है कि कहीं अनजाने में भी पांव में नीचे दब के कोई जानवर प्राणधारी मर ना जाए मैं तो दोनों की सिचुएशन कि एक होगी क्या है इन दोनों की ए सेंसेशन बिल्कुल अलग हो गई हां सही कहा जाए तो उसे ढूंढो कि उसके कि इच्छा है कि मार दूं किसी को लुटने की इच्छा है जल्लाद की चाहे मार दो यहां पर मनी के चाहे कि जितना हो सके बचा है कि यह कौन स्नैक्स के लेवल है कि आपके भी तक या जिस आत्मा ने उस शरीर को छोटा है कि एप्स फ्री छोड़ेगी मैं तो अपना सारा सामान सम्मान किसे कहते हैं अपने की हुए कर्म अपने संस्कार यह साथ लेकर को शरीर से बाहर हो जाए उसके बाद कौन स्लैम बनाता है अगर तुम्हारा कौन असली व उस जल लाख जैसा है कि इसने बकरे के शक्तियों पर स्टार्ट हुआ हमारा और सिर धड़ से अलग हो गया और उसकी आत्मा को कोई तकलीफ अपनी पूंछ उसके मन को कोई दुख नहीं पूछा तो फिर तुम बिल्कुल भी हो फिर प्रकृति आपको जैसा घर दिखाएगी वैसा ही आप गर्भ ले लोगे तुम्हारी चाहत भी है मैं तुम्हारी आईडेंटिफिकेशन भी शरीर के साथ है तो मैं चार्ट से उससे भी में प्रवेश हो जाओगे जैसा भी आपको प्रकृति प्रदान करेगी आपके वश में नहीं थोड़ी सी कौन से देश में है कि अगर आपकी चेतना थोड़ी जागृत हो गई है थोड़ी ज्यादा जागृत होंगे और थोड़ी ज्यादा जागृत हो गई मैं ऐसे धीरे-धीरे आपको लेबल्स बताता हूं उसी दृष्टि से प्रकृति अपना काम कम करेगी तुम्हारी इच्छा बीच में सम्मिलित हो जाएगी अब इसको आप समझाने की चेष्टा करना है है इधर आपने को सबसे पहले जो मैंने एग्जांपल दी वह दी जल्लाद की है कि चेतना भी ही नकुल सुनने क्षेत्र में इसको कर देते हैं कि चेतनता है ही नहीं इसमें कौन सी स्लैब इसका जो है मैं इसमें संवेदन हीनता है कोई मरे मरे हम 1 लाख यौन संबंध नहीं कहते हैं फोन पर एक होते संवेदनशीलता है थे कि रास्ते में कोई वाहन टक्कर बीमार या किसी को निर्दोष को तो अगर किसी काम आप जा रहे हो तो उस काम को भूल जाओगे कि उस जख्मी व्यक्ति को उठाओगे है और उसको आप यथास्थिति पहुंचाओगे जहां जाना चाहिए हॉस्पिटल लेकर जाओ अब कि वहां जितनी सहायता होगी करोगे और उसकी सेटिस्फेक्ट्री कंडीशन देखकर आप अपने काम को फरियाद करोगे केमिकल चला कि यह संवेदनशील है की संवेदनहीनता से शुरू की मैंने बात जल्लाद से संवेदनशील तक मृगा पूर्ण संवेदनशीलता तक पूर्ण तो नहीं कि आप अभी बने होंगे जब पहुंचोगे तब बुद्ध की स्थिति आज मुनियों की स्थिति आ जाएगी भी रखोगे तो के मन में आप अवेयरनेस वे रखोगे क्या ऐसा ना हो कि बेचारा कोई कम भार वाला प्राणी मेरे ज्यादा भार के निखिल आखिर दब जाए मरते हैं संवेदनशील जरा की संवेदनहीनता भी मैंने आपको पता है कि कोई मरे मरे कोई ढूंढ तुमने क्या लेना है वह कि ऐसा नहीं है कि अगर जल्द ही किसी का सिर काटे थे है तो वह अपराधी होता है नहीं अगर तुम्हारे कारण किसी क सिर कट जाएगी किसी की जान चली जाए अगर तुम कारण उसमें अ वो तो तुम जल्लाद ही हो समझो है संयम का अर्थ यह जरूरी नहीं होता टांग उठाकर किसी का सर काटा जाए अगर तुम्हारे हाथ में कोई फर्ज दे दिया और तुम घर जाकर सो गए तुमने वह कामना किया तुमने वह फर्ज अदा नहीं किया तो तुम उसे जल्लाद के बराबर ही उनका है हुआ है कि अगर तुमने अपने कर्तव्यों की पूर्ति ना कि हैं जो कि आप के ऊपर विश्वास करके किसी ने आपको कर्तव्यों पर थे अपने अधिकारों का प्रयोग सब जगह किया अपने कर्तव्यों का पालन बिल्कुल ही नहीं किया तो आपको मैं एक शब्द दूंगा क्या जलालत कि आपने जान-बूझकर उस आदमी के हत्या कर दी जो मर गया मर गया या तकलीफ व्यक्ति जो उसका नुकसान नुकसान कवि की जिंदगी का तो सिर्फ होता ही नहीं और भी बहुत नुकसान होते हैं कि कोई अपाहिज हो गया मैं किसी का कोई अंग विकृत हो गया मैं किसी का कोई पैसा इतना ज्यादा चला जा कर उसने सब कुछ पेश किया कंगाल हो गया जमीन सड़क पर आंख नुकसान बहुत-बहुत तरह की हो सकती है तुम्हारी लापरवाही के कारण कि आप अगर अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते आप सिर्फ अपने दिए हुए अधिकारों का ही इस्तेमाल करते हो सब जवाब और वह अधिकार तो आप पूरे इस्तेमाल कर लेते हो और कभी-कभी तो अपने अधिकारों से भी ज्यादा अधिकार इस्तेमाल कर दिया करते हो कोई बात नहीं है है लेकिन अगर आप अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते जो कि आपको अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्य करने की दिशा दी गई थी दिशा-निर्देश अधिकार और कर्तव्य साथ सकते हैं मैंने पहले भी बताएं दो पत्नियां समान अधिकार आपने व्रत दिए है लेकिन कर्तव्य आपने नहीं बर्थडे कर्तव्यों का पालन नहीं किया तो आप गुना कार को है तो आप मुलाकात है और कर्तव्यों का पालन न करना संवेदनहीनता है के अधिकारों का प्रयोग करना सिर्फ मात्र संवेदनहीनता है मैं सिर्फ अधिकारों का उपयोग करता है अपने कर्तव्यों का पालन करने के बिना अ कि आत्मा शरीर छोड़ा आत्मा का कर्तव्य है मैं अपने सारे किए हुए कर्मों को साथ लेकर चलेंगे कर्तव्य उसको मानना पड़ेगा कि क्योंकि उसके ऊपर एक व्यवस्था है निगरानी रखने वाली जिसे हम इस प्रकार प्रकृति कह लो या कुछ सुपर पावर सुसंस्कारों जो भी आप नाम देना चाहिए यह कह रही हो कि आप अपने कर्मों को साथ लेकर जो भी आपने पिए होने से उन सारे इकट्ठे करोगे है उसकी आप गठड़ी बांध हो गए में चलोगे चलना पड़ेगा शरीर से बाहर हो जाओगे तो फिर कौन सी स्नैक्स लेवल के अनुसार आप जैसी भी आपके भीतर आपने प्रज्ञा जगाई है कि उन्हें करके पारखे जैसे-जैसे दान करोगे का दान मैं वैसे वैसे तुम्हारी सेंसटिविटी बढ़ेगी कि जैसे-जैसे आप चोरी करोगे डाका मारोगे ना एक दुष्ट कर्म करोगे तुम्हारी संवेदनशीलता घटेगी तुम संवेदनहीन होते जाओगे तुम रुषेणु ढुगों कू कि डाकू यानि दिन दहाड़े आपकी जेब में से दो आपका दृष्टिकोण कि आपके क्वेश्चसं लेवल के अनुसार प्रकृति काम करेगी और आपके कौन से स्ट्रेस लेवल का मिश्रण काम करेगा कि जितने भी हो [संगीत] कि उस लेवल पर तो प्रकृति काम करें कि अगर बिल्कुल भी वह तो 100% प्रकृति काम करें कि अगर आप दस प्रतिशत होश में हो तो 90% प्रकृति करेगी और दस प्रतिशत आप यूज करें अगर आधे जागृत हो 50% है मैं कभी गलत देख ली अमावस्या की रात में जा रहे हो कभी बिजली चमकी आपको रास्ता दिखाया कभी ऋतिक क्या आपको कभी आनंदित किया प्रेम देख क्या कि खुशी दी गई है तो उसको मैं जाग्रति करता था कि इतने आप चाय करता हूं कि अगर आप 50% तक जागृत हों कि एक क्षण आया वह खुशी का आ कि वह दर्शन हुआ आपको आनंद का प्यार का दर्शन हुआ लेकिन फिर सो गए तो आप जागृत हो 50% जाकर तो 50% अभी सोए हो अभी पूरी तरह से जाएंगे इन पूरी तरह से पता नहीं लगाया कभी-कभी झलक मिलती है कि मैं शरीर हूं मैं शरीर नहीं हां कभी कभी कोई जाती है है बस जागो मिट्टी के अंदर काम चलता है तो जितनी परसेंटेज में आप जागृत हो में उतरे प्रतिशत में आप काम करोगे इतने प्रतिशत में आप पर हो कितने प्रतिशत में प्रकृति काम करेगी अब आप इस व्यवस्था को ठीक से समझ गए होंगे मेरी दृष्टि से कि प्रकृति कितनी काम करेगी आप कितना काम करेंगे आप उतरा काम करेंगे जितना ध्यान रखो कि प्रकृति की तरह काम करेगी जिसने आप सोए हुए हो कि इससे जो 100% व होते हैं कि वह पूर्ण झांकती अपनी इच्छा से जब चाहे जैसा चाहे हम लेंगे इस भी घर में इसमें हम लेंगे दो है और जो बिल्कुल जल्लाद है उसको तो प्रकृति जहां चाहेगी वहां पर फैंक दें कि चलो भाई तुम तो तुम्हारा मुसलमान है और बहुत सी ऐसी भी हो सकती हैं जैसे हिटलर को आजमाता नसीब नहीं हो रही है कि यह मैं अपने अनुभव से बोलता हूं आपको स्पेस कर किया अभी तक अ कि के लिए आप अपनी शक्ति व्यय न करें [संगीत] कि हिटलर कुमार गर्भ मैया नहीं हो रहा है क्यों क्योंकि वह पर में सुप्त कि आत्मा है बहुत सोई हुई इस व्यक्ति ने दोनों कुंडली बेरहमी से ढूंढ में तनिक भी दर्द ना आया हो मैं तेरे की दर्द ना आया हो को बनाने के लिए कहा था बाबर ने कितनी जरुरी हो चुकी है है तो बाबा न निकलने का एक व्यक्ति पीर कई कोर्टाने अ इस तरह की तरफ बनाया कि कितनी पीड़ा हुई कितना दुख बांटा तुमने मैं तुम्हारी राजशाही के कारण एक व्यक्ति पर कुजणि कुलानि है यह तय है कि दर्द ना आया तुझे दर्द नहीं आया को रोते रहे चलाते रहेंगे रखते रहे दर्द होता रहा कराहते रहे है लेकिन तुझे तेरे मन में जरा भी पर प्लाट नहीं हुई देखी दर्द ना आया है उसको दर्द नहीं हुआ गैस चैंबरों में उसने आदमी ढूंढ है तो अब है प्रकृति प्रकृति के पास सारा कंप्यूटराइज काम है है कि जो आज हैं उसके हिसाब में सब कुछ फील्डिंग है कि वह जो फीड किया हुआ है प्रकृति को उसके हिसाब का घर पर ही नहीं मिलता है तो कुछ कर ही नहीं सकता उसके तक चलेंगी चीनी मिलें तो उसका हिसाब से सब्सक्राइब प्रति इतना ही सबस्क्राइब और यह को हिटलर जैसा घर मिल गया 9 महीने इतना कष्ट होगा उसको जी के व्याख्यान नहीं किया जा सकता इसीलिए इतनी दुष्टा का व्रत है कि नहीं ए लिटरल के मरने के बाद इतनी दुष्टा औरत अभी तक हुई नहीं तरह तीर वो संभाल ले ले है और इतनी करना वाहन औरत भी नहीं हुई जो बुध जैसा कॉल करना वन गर्भ संभाल ली है कि किस लीजिए दोनों को ग्राफ प्रकृति मैया नहीं करा सके उसको तो गर्भ मैया कराना प्रकृति का काम है कि हिटलर को लेकिन बुद्ध को प्रकृति का काम नहीं है वह अपनी इच्छा से जोड़ेंगे और वह अपनी इच्छा और अपनी कौन सी सब्सक्राइब करें कि ग्राफ में है उनकी समरसता के अनुसार नहीं मिल रहा है इस रिबन शराब पीना शुरू करती है इसलिए ने से पूर्व सभी मापदंडों को अच्छा छोड़ दिया है कि जब तक बजाइए है है इसलिए बुद्ध जन्म नहीं ले पा रहे हैं यह सिर्फ आपकी जानकारी के लिए मैंने बताया था हैं उसे ऐड आपको बता दिया कि कौन कैसे इतने मिलेगा शरीर छोड़ दिया धर्मसाय संस्कार साथ आए आगे कैसा जन्म मिलेगा जिसकी इच्छा से मिलेगा वह आपको सारा कुछ आपके प्रश्नों के जवाब आ रहे हैं यदि आपने हिस्सों में बांटे लेकिन मैंने आपको सारा इकट्ठा करके वह समझा दिया कि तुम्हारे कौन स्लैब के हिसाब से तो मैं तुम्हारा इच्छा काम करेगा अनक्वेश्चनेबल से प्रकृति की इच्छा कम करें बस उसी ढंग से आप समझा दो कि आपके चाहे या न चाहे से इसमें कुछ नहीं होता यह प्रकृति की व्यवस्था है आपके पीठ को फेंक दो और फिर इच्छा करो कि यह धरती भी नागरिक नहीं ऐसा नहीं होगा धरती पर गिरेगी जो आपकी इच्छा से कुछ नहीं होने वाला है जो आपकी इच्छा से सिर्फ इतना होने वाला है कि आप किसी चीज को घर आए ही ना और फिर इच्छा करो कि कुछ नीचे न करें कि आप देख रहे हैं तो फिर नीचे गिरेगा भी कुछ नहीं कि आपकी इससे क्या होगा नहीं होगा मैंने आपको सारा सुझाव दिया कि कैसे अगला जन्म मिलेगा में क्या-क्या चीजें काम आवेंगी कौन से इस लेवल कहां तक काम करेगा आपकी मूर्छा कहां तक काम करेगी मैंने सारा कुछ समझा दू क्या है कि मेरी दृष्टि में कि यह आप सारी बात समझ गए होंगे उसके बाद क्या होता है नए घर के अंदर आ कि यह स्वाद के ऊपर बड़े अ में दो विधान है कि कुछ संतुष्ट कहते हैं कि जो आत्मा है वह गांव के ठहरने के 10 20 30 40 जैसे युद्ध समझाया किसने बताया कि शुरुआत में प्रवेश करते हैं कि जिस वक्त माता-पिता एक कपल ने में अपनी अंतरंग क्षणों में होता है कि गर्भ व थे उसी वक्त कि आत्मा उस ग्रुप में ठहरे थे 8th सेम में है कि उस पर गिर साथ एक ही गर्भ करता है आत्म प्रवेश करती है पहले चैंप्स ऐसा कोई एप्स ईंधन नहीं कोई अतिशयोक्ति नहीं कोई वैक्सीन नहीं उठा रहा है तो बिल्कुल लैटर से पक अगर तुम तुम्हारे पुराने जन्मों में बबलेश करना शुरू करो फिर से जम्मू में है तो पाओगे है कि तुम्हारा जन्म जब हो रहा था तब हमारे माता-पिता अंतरंग क्षणों में थे मैं और तुम गर में उतर आए हैं ए फैक्ट कि का दृष्टांत से देखी हुई बातें होंगी मैं प्रमाणित होती है तहसील क्षेत्र में लिखी हुई बातों से पढ़कर बोलना गलत होता है मेरी आत्मा आत्मा की देखरेख में द्वारा निर्मित होता है है कि आपका दिमाग कैसा होगा आपका नाक कैसा होगा आपका मूड कैसे होगा आप भूल कैसे पाएंगे आपका चालू आप कैसा होगा दांत कैसे आप खुद बनाओगे भीतर बैठे प्रकृति के कर्मों के हिसाब से सुकर्म बनवाएंगे सर्च आपका होना जरूरी है वर्क कि रामदेव वेरी बेगिनिंग पहले दिन से ही जब नीम खुद जाएगी तो आप नुस्खों दे वक्त भी वहां पर हो गई पैरा टक लगेगा जब नीम का तो आप वहां पर होगी आपके मौजूदगी जरूरी है कि ऐसे होगा आपका जन्म है अब इसके बाद मेरे पास आपके सारे प्रश्न का समय आप मुझे इजाजत दीजिए में अनुवाद हो
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