प्रशन: स्वामी आनंद मूर्ति बाबा जी प्रणाम मन ठहर जाए तो स्वर्ग ही स्वर्ग है मन चलता ही जाए तो नर्क ही नर्क है बाबा जी किसी तरह इस मन से छुटकारा दिला दीजिए बड़ा परेशान करता है जिंदगी एक नासूर बन के रह गई है
सबसे पहली बात तो मैं आपको बताऊं क्या प्रश्न तो कर देते हो लेकिन अड़चन मुझे यह आती है इससे पहले मैं पिछली पुरानी वीडियोस में क्या बोला यह आपको कुछ मालूम नहीं होता आप अपना रोग बता देते हो मन ठहर जाए तो स्वर्ग ही स्वर्ग है मन चलता रहे तो नर्क ही नर्क है जिंदगी एक नासूर बन के रह गए कोई उपाय बताओ खैर वक्त वैसे भी कम होता है पुरानी वीडियोस आप सुनते नहीं कसूर भी नहीं क्योंकि आज ही पहुंची होगी आपके पास वीडियो और आज ही आपने प्रश्न कर दिया सभी व्यक्तियों को तो यह ज्ञात भी नहीं होगा कि मैं चार पाच साल से बोल रहा हूं और बहुत से भगत तो मुझे उलाना देते हैं बाबा इतनी देर क्यों लगा द आज पता चला है आप मैं क्या करूं भाई यह तो आप लोगों की मेहरबानी है अगर आप में जरा भी इंसानियत है जरा भी इस धरती के मर्म का कल्याण करना चाहते हो तो जो वीडियो आपको अच्छी लगे उसको अपने मित्रगण तक तो पहुंचा दिया करो किसी और का भला हो जाएगा यह धरती स्वर्ग हो जाएगी यही मेरी कामना है यही मेरा प्रयास है हम यहां से शुरू करें तो ज्यादा शुभ रहेगा तीन चीजें मैंने बताई तीन चीजों से आप सारी बात समझ जाओगे यह सतुल शरीर ये हमारे औजार हैं और इसके भीतर एक सूक्ष्म शरीर सूक्ष्म शरीर के भीतर सभी पुराने जन्म की स्मृतियां हमारे प्रारब्ध कर्म आतक है हमारी वासना हमारी इच्छाएं कामनाएं यह सब संग्रहित है और तीसरा वहत जिसकी आप डिमांड करते हो मन ठहर जाए तो स्वर्ग ही स्वर्ग है मन चलता तो नर्क ही नर्क है यह आपकी डिमांड है कैसे मन ठहर जाए बहुत बार बोला मन चलता कैसे है बहुत बार बोला हूं मन को चलने की शक्ति देता कौन है यह सभी बातों को मैं बड़े विस्तार से बता चुका हूं लेकिन स्वामी जी आज नहीं आए हैं क्या किया जाए यह तीन चीजें हैं स्थूल शरीर इसके भीतर सूक्ष्म शरीर और तीसरा वह तल जहां आप जाना चाहते हो जहां जाकर आपको तृप्ति मिलेगी मन ठहरेगा यहां एक बात ध्यान में रखने योग्य है मन वही ठहरता है जहां उसे आनंद मिलता है अब यहां थोड़ा फर्क समझ लेना सुख के मिलने से आप फर्क भी समझ जाओगे आनंद और सुख का फर्क है सुख के मिलने से आपका मन ठहरता नहीं वर्ण ज्यादा उत्तेजित हो जाता है आप नाचते हो कोई खुशखबरी मिल गई कोई लॉटरी निकल आई कोई ज्यादा मनाफ हो गया सुख के मिलने से आपकी उत्तेजना स्टिमुलेशन बढ़ती है यह है सुख की परिभाषा आनंद के मिलने से सभी स्टिमुलेशन सभी उत्तेजना समाप्त हो जाती हैं यह है आनंद की परिभाषा इसलिए मैं दोनों को अलग अलग कहता हूं आनंद में लहर जैसा कुछ भी नहीं है और सुख में ठहरा जैसा कुछ नहीं सुख में लहरें ही लहरें हैं जो तुम्हें नचाते हैं तुम हंसते हो खिलखिलाते हो गुनगुनाते हो लेकिन आनंद परम ठ हराब का नाम है और तुमने पूछा स्वामी जी कि मैं उस परम ठहरा तक मेरा मन कैसे ठहर जाए स्वर्ग ही स्वर्ग है मन अगर ठहर जाए हां स्वर्ग है बिला शक और मन का ठहरना पल भर की ही तो बात है क्या करे कोई जब कोई आपका मन थोड़ा ठहरने लगता है तो फिर आप उसमें गचो मार देते हो मन एक गंला पानी है यह ठहरेगा आपके ठहरने से जैसे मैंने गिलास की उदाहरण दी थी गंदला पानी गिलास में रख दो रात को सो जाओ आप भी और गिलास को भी एक तरफ रख दो सुबह उठकर पाओगे माटी माटी नीचे बैठ गई शुद्ध जल ऊपर रह गया लेकिन क्या किया जाए अगर फिर आप उसमें गजोल मार दो फिर फिर वह गंदला हो जाता है यद भी मन कभी गंदला होता नहीं मन शुद्ध चेतन स्वरूप है मन के भीतर की माटी गंदरी है व इसे गंदी बनाती है वह माटी क्या है चिप काट क्लिंग नेस इकृत हो जाना मोह जिसे कह देते हैं किसी दूसरी वस्तु को स्वयं मानने लग जाना कि मैं हूं इसको कहते हैं क्लिंग नेस तीन चीजें मैंने बताई आपको पहले स्थूल शरीर यह तो इंस्ट्रूमेंट है जब तक हमारा देही अब इन शब्दों को समझ लेना लेकिन समझ में आएगा नहीं बार-बार सुनोगे तो आपको एक कनेक्शन समझ में आ जाएगा देही देही सूक्ष्म शरीर को कहता हूं सूक्ष्म शरीर में बहुत सी भावनाएं तमन्ना इच्छाएं कल्पनाएं योजनाएं समृति यां ये सब भरी पड़ी है लबा लब भरा पड़ा है उसे अचेतन मन कहते हैं फ्राइड ने
इसके दो भाग कर दिए सबकॉन्शियस माइंड एंड अनकॉन्शियस माइंड अब चेतन मन और अचेतन मन लेकिन ऋषि गण इसको अचेतन मन ही कहते हैं ब जो थोड़ा सा उथला उथला होता है वह अवचेतन मन होता है और जो गहरा गहरा होता है वह अचेतन मन होता है कोई भारी चीज फेंक दी गई व अचेतन के गहरे तल में चली जाएगी तुम उसे कहो ये अचेतन बन गई जो हल्की चीज तैरती रही कैसे कागज है लकड़ी है प्लास्टिक है जो ऊपर तैरता रहा उसको तुम अवचेतन मन कह दोगे बस यह समझने का फर्क है परिभाषाएं दो कर दी गई अचेतन मन है तो एक ही तो तुम्हारे मन की अचेतन मन की भावनाएं
00:12:46 वासना अपने आप को पूर्ण करने में लगी हैं अचेतन मन की वा नाए कल्पनाएं योजनाएं अपने आप को पूर्ण करने में लगी हैं और यही रोग है आपको क्योंकि भरा पड़ा है अचेतन मन वासनाओं से कल्पनाओं से समृति हों से पुरानी यादाश्त से नए जीवन की संभावनाओं से तुम्हारा मन कभी दौड़ता है भविष्य में एक सुंदर सपना होगा महल होगा बड़ी कारें होंगी जहाज होंगे मैं उडंगा धन कमाऊ विशाल भंडार दास दासिया होंगी सेवक होंगे बड़े-बड़े धन के अंबार लगे होंगे मान सन्मान होगा बड़ी पदं के मालिक हो जाओगे यह मंत में समझाता है यही कुछ कूड़ा भरा पड़ा है मन
00:14:22 में और यह कूड़ा जब बाहर निकलता है चेतन मन में आ जाता है प्रत्येक अचेतन की बात गाहे बगाहे चेतन में आ जाती है और जब वो चेतन में आती है फर्ज करो आपकी एक वासना बड़ी कार खरीदने की है वह चेतन में आ गई तो आप ऑर्डर करोगे अपनी बुद्धि को मन को अपने शरीर को को वह परिश्रम करे पैसा कमाए और धन कमाकर इतना धन पैदा कर ले कि मैं यह चमचमाती बड़ी कार अब तुमने अपनी वासनाओं को पूर्ण करने का अभियान शुरू कर दिया आगाज यहां से हो गया और उसको पूरा करने में आप बड़ी तकलीफें उठाओगे यहां अकेले तुम नहीं हो जो बड़ी कारों को चाहते हो और भी बड़े
00:15:44 हैं ओहदा तो एक होता है सीएम पीएम का दावेदार हजारों होते हैं यही कठिनाई है वासनाओं से भरा भरा मन राज नीतिक की तरफ प्रेरित होता है क्योंकि मन बड़ा चालाक भी है और आलसी भी है मन चाहता है कि जल्दी से गुप्त तरीके से आसानी से बिना ज्यादा मशक्कत किए घना सारा धन कमा लू और बड़ी कार ले आऊ बड़ा ओहता बड़ा धन कमाल इसलिए जितने ओहदे कम होते हैं अब प्राइम मिनिस्टर एक है चीफ मिनिस्टर भी एक होता है स्टेट का दावेदार घने होते हैं तो वहां शरारत होती है बसात बचती है शतरंज की और तुम अपनी सारी जिंदगी इन दुष्ट कर्मों में गुजार देते हो मैंने
00:17:05 इन्हें दुष्ट कर्म क्यों कहा मैंने इन्हें दुष्ट कर्म इसलिए कहा कि इसमें तुम शक्ति भी निहित करते हो समय भी निहत करते हो और फिर पता नहीं मिलेगा कि नहीं मिलेगा नहीं मिलेगा तो तुम पछताओगे रोगे मिल जाएगा तो भी आप रोगे इसलिए मैं दुष्ट कहता हूं तुम कहोगे तुम्हें क्या पता पहली बात तो यह है अगर ईमानदार व्यक्ति कोई सीएम पीएम है उससे पूछ लो कि तुमने इतना बड़ा उदा पाया तुम्हें सुख मिला अगर वह ईमानदार होगा तो व कहेगा नहीं मिला अगर मिलता तो दूसरी बार फिर पीएम की पोस्ट में ना मांगता अगर दूसरी बार भी सुख मिल जाता तो
00:18:12 तीसरी बार ना तीसरी बार मिल जाता तो फिर चौथी बार मिलता ही नहीं इसलिए ता जिंदगी तानाशाह बन जाता है ऐसा व्यक्ति ऐसा व्यक्ति पु बन जाता है किम जंग जोंग बन जाता है जिनपिंग बन जाता है क्यों मिलता नहीं फिर वोह कहता बैठे तो हैं और इस बैठने के भीतर जो पाप हो जाते हैं बुरे कर्म हो जाते हैं किसी का धन छीन लिया किसी का गरगरा दिया किसी का बच्चा मरवा दिया साजिश के अधीन यह जो बुरे कर्म होते हैं पाप कर्म होते हैं निश्चित रूप से हो जाते हैं ईमानदारी से नहीं मिलते ईमानदार व्यक्ति राजनीति में टिक नहीं सकता इमान व्यक्ति को बेईमान लोग टिकने
00:19:31 नहीं देते क्योंकि बेईमान शतरंज की चाल को फैला के ईमानदार व्यक्ति को झूठा करार दे देंगे और आखिर वोट तो आपने डालना है और बेईमान व्यक्ति हर प्रयास कर लेगा सभी तरफ से कि मैं उद पर बना र अब पहली एक बार तो उसकी इच्छा थी दूसरी बार मन नहीं भरा तीसरी बार तीसरी बार मन भी मन तो चलो भर गया लेकिन जो व पाप कर्म किए हैं अगर तीसरी बार कोई और आ गया पाप कर्म उड़ेंगे इसलिए आपको एक मजेदार बात बताऊ अमेरिका में द्वितीय युद्ध के वक्त रूजवेल्ट नाम के राष्ट्रपति थे रूजवेल्ट चार बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने बेहद शानदार स्वभाव के
00:20:49 व्यक्ति और दूसरा विश्व युद्ध उनकी ही कमांड में लड़ा गया यह ओपन हाइमर वरग से एटम बम का विस्फोट करने वाले व्यक्ति उसी काल में हुए थे सर रूजवेल्ट के वक्त रूजवेल्ट चार बार प्रेसिडेंट ऑफ अमेरिका चुने गया तो अमेरिका के लोगों ने जब डी रोजवेल चौथी बार चुना गया और उसकी मृत्यु हो गई और बड़े समझदार लोग हैं अमेरिका हमसे आज 200 वर्ष आगे इतना ही चाइना भी आ गया उसका कारण लोगों में परिश्रम का अभाव नहीं है बल्कि हिंदुस्तानी ज्यादा परिश्रम करता है अभाव है हमें ठीक नेतृत्व नहीं मिला हमारा नेतृत्व सही नहीं मिला नेतृत्व बिगड़ता तिग
00:22:22 रहा चाइना क्यों कामयाब हो गया सिर्फ एक व्यक्ति के कारण चाइना कामयाब हो गया तुम हैरान होगे एक व्यक्ति की कुर्बानी मुल्कों को सोने की चिड़ियां बना देती है एक व्यक्ति की कुर्बानी यह आज हिंदुस्तान में भी हो सकता है एक व्यक्ति की कुर्बानी मेहनत ईमानदारी आज हिंदुस्तान को फिर से सोने की चिड़िया बना सकते वही है चाल बे ढंगी जो पहले थी वह अ भी है आज हमारी चाल बदली नहीं है व ढंग की हो बे ढंग की हो हम आज भी सोने की चिड़िया बन सकते हैं जरूरत क्या है सिर्फ एक ईमानदार मुल्क को संभालने के पुराणों को क्या हो गया है मैं आपको असली
00:23:32 रोग बताता हूं उसका हल भी बताऊंगा मेरी इस विषय के अंदर कई बार बात चलती है क्योंकि मेरे पास कुछ व्यक्तियों के प्रश्न आ जाते हैं बापू आप ही कुछ करो तो मैं हाथ जोड़ देता हूं कि देखो मेरा अंत ट्रांसफार्म हो गया है इच्छा तो तब भी नहीं थी जब गांधी के रूप में मैं था अन्यथा कहीं बैरिस्टर का सूट गया कहीं नहीं था और ट्रंक में से निकालता और डाल लेता और बैठ जाता लो भाई मैं प्राइम मिनिस्टर कौन रो कोई नहीं रोक सकता था गांधी को प्राइम मिनिस्टर की कुर्सी पर बैठने से कौन रोक सकता था लेकिन तमन्ना ही नहीं थी राज करने
00:24:42 की तमन्ना ही थी कि मुल्क किसी तरह गुलामी की चंगुल से बाहर निकल जाए जितनी मेहनत हो सकती थी हुई देखिए गलतियां जनान वालों से मैं यह बात कह दूं हाथ जोड़ के जो काम करेगा वह गलती भी करेगा जो चरण पकड़ेगा वह गलती नहीं करेगा दो शब्द मेरे याद रख जो काम करेगा वह गलती भी करेगा जो चरण पकड़ के बैठ जाएगा वह गलती नहीं करेगा और जितना महान काम करेगा मेरी बात को समझ लेना उतनी महान गलती करेगा और जितना महान चर रविंद का सेवक होगा उतनी ही गलती करने की उसकी कोई संभावना नहीं होगी क्योंकि अगर वह गलती करेगा भी तो जिसके चरणों में बैठा है वह उसे क्षमा कर
00:25:43 देगा तो गलतियां सबसे हुई होंगी निश्चित है और मैं गलतियां निकालने वालों से कहता हूं कि आप क्यों नहीं आए भाई आप आ जाते ना तो गांधी को शौक था भारत मां गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी हुई हजारों सालों से गुलाम करना कोई गुलाम गुलामी से मुक्त करना कोई अपराध तो था नहीं अगर कुछ गलत किया तो तुम आ जाते तुम अपने बाप दादों से पूछो जो पूछना चाहिए कि तुम क्या कर रहे थे जब आग लगी थी भारत माता गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी हुई थी बट यू वर बट यू आर गोइंग ऑन उस वक्त तुम तुम क्या कर रहे थे खैर मैं कहता हूं कि बीती ताही विसार दे आगे
00:27:04 की सुद ले मैं पहले भी बहुत बार कह चुका हूं जो इतिहास बना नहीं सकते वह इतिहास खंगाला करते हैं कमजोर व्यक्तियों की निशानी होती है इतिहास को खंगालना यह फरा के घर के नीचे मंदिर है के घर के नीचे मस्जिद है होगा भाई तुम्हारा कर्तव्य जो है वह क्यों नहीं करते तुम्हारा कर्तव्य है भारत के प्रत्येक वाशिंदे का पेट भरना यही तो काम होता है ना आप किस लिए डालते हो वोट भारत के प्रत्येक पेट को भरना प्रत्येक तन को कपड़ा देना और प्रत्येक सिर को छत देना प्रत्येक हाथ को रोजगार देना प्रत्येक के दिमाग का इस्तेमाल करना यह राजा का कर्तव्य होता
00:28:13 है तो रूजवेल्ट डी रूजवेल्ट चार बार राष्ट्रपति बन के देह त्याग कर ग वहां के लोग सदार है इंटेलेक्चुअलिटी के मामले में भी समझदार हैं और इसी कारण से वह प्रॉस्पर मुल्क हो गए हैं और आज नहीं कल चाइना भी प्रॉस्परस कंट्री में आ जाएगा हो ही गया है इसकी 18 ट्रिलियन की जीडीपी है वह हो ही गया समझ लो मैं आपसे कह रहा था कि वहां के लोगों ने सोचा कि चार बार और कितनी भी बार यह तो डिक्टेटरशिप की तरफ मार्ग हो गया फिर जो चार बार बन सकता है वह सदा के लिए भी बन सकता है क्योंकि मनुष्य की वासना असीमित है और अमे नहीं चाहता था कि
00:29:34 अमेरिका तानाशाही डेमोक्रेटिक तानाशाही वहां पर क्रिएट हो यह नहीं चाहता था लोकतंत्र हो इसलिए उन सबने बैठकर यह फैसला किया कि यह कानून पास कर दे कि कोई भी व्यक्ति जो अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ता है दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन पाएगा अब उसके बाद यही परंपरा चल रही है कोई तीसरी बार चाहे कितना भी समझदार है कितना भी समझदार है तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता अमेरिका में बड़े काम की बात उन्होंने चुन ली लेकिन हिंदुस्तान में आज ऐसी बात नहीं और जहां जहां तानाशाही है वहां वहां ऐसी बात नहीं एक व्यक्ति सदा के लिए राज करने का मतलब
00:30:32 यह है कि सृष्टि में इस धरती में यह संभावना खो गई कि कोई और व्यक्ति भी उसके बराबर का या उससे ऊपर का पैदा कर दे नहीं भारत माता की या धरती माता की इतनी बेज्जती मत करो यह रोज लाल पैदा करती है रोज सूर में पैदा करती है नए से नए दिमाग पैदा करती है नए से नए इन्वेंशन तभी तो रोज हो रहे हैं जो हमारे पुराने साइंटिस्ट नहीं कर सके रदरफोर्ड वह आने वाले आइंस्टीन ने कर दिया स्टीफन हॉकिंग ने कर दिया और आज और भी लगे हुए हैं दिन भर रात मेहनत करते हैं ऐसा नहीं है कि एक व्यक्ति है बस वही राज करने के योग्य है तो ठीक कानून पास किया
00:31:34 उन्होंने इस प्रसंग को मैं थोड़ा बाद में उठाऊंगा पहले उससे पहले वाले प्रसंग को उठा ले स्थूल शरीर सूक्ष्म शरीर और आपकी अस्तित्व की तल यह तीन चीजें मैंने बताई बीच वाला सूक्ष्म शरीर वासनाओं से भावनाओं से इच्छाओं से परा पड़ा है और संत कहते [संगीत] हैं यही है आपके रोग का असली कारण कि तुम इस सूक्ष्म शरीर की वासनाओं को पूर्ण करने में इतनी जिंदगियां खपा दी हैं [संगीत] तुमने और न जाने कितनी जिंदगियां और कपा दोगे और ऐसे वक्त गुजरता जाएगा और तुम कभी भी जान ना सकोगे कि मैं बंधन में हूं इन वास के कारण तुम बंधन में
00:33:04 हो मन के दौड़ने के कारण तुम बंधन में हो यही है एकमात्र कारण अगर इस कारण को सॉल्व कर लिया जाए तो तुम परम शांति में चले जाओगे और मैं रोज बोलता हूं ऊपर से दुखद स्थिति यह है के दौड़ते हुए मन को हमारे तथा कथित धार्मिक गुरु और दौड़ते हैं घोड़ा पहले से ही तेज दौड़ रहा है तुम्हारा मन बड़ा दौड़ता है तुम दिन भर रात तुम्हारा मन दौड़ते हुए देखते रहते हो और ऊपर से धर्म गुरु कहते हैं दौड़ो और दौड़ो यह पांच नाम जपो ये राम राम जपो ये तुम्हारे मन को और दौड़ते हैं दौड़ तो पहले से ही रहा था जैसे गंदला पानी में कोई फिर फिर से
00:34:11 हाथ फेरता रहे ब क्या होगा और ज्यादा गंला होता जाएगा बस ऐसे ही तुम्हारे धर्म गुरु कर रहे और संत बड़ी सरल बात कहते और सरल बात को तुम मानने को तैयार नहीं क्यों जैसे मैंने कहा था ईमानदार व्यक्ति राज नहीं कर सकता क्योंकि ईमानदार व्यक्ति में छल कपट नहीं होता निर्मल मन जन सोई मोही बावा मोही कपट छल छिद्र न बावा तो ईमानदार व्यक्ति राजनीति नहीं कर सकता उसको बेईमान लोग हटा ही देंगे आज नहीं कल और अगर वह नहीं हटेगा तो उसे मरवा देंगे क्योंकि बेईमान लोग ऐसे गुंडे होते हैं इसलिए मैं दुष्ट कहता हूं इन लोगों को हटाने की चेष्टा करेंगे वार्न करेंगे
00:35:22 ढंग से कहेंगे तू जा भाई तेरे काम का नहीं है तू तो पप्पू है बड़े बड़े नए नए अलंकार देने में समर्थ हैं यह लोग अब क्या किया जाए य दौड़ते हुए मन और राजनीति खेलते हैं और तीन चीजें मैंने बताई स्थूल शरीर के यंत्र तुम्हारी वासनाओं को पूर्ण करने में सहयोग करते हैं तुम्हारी वासना है के हेल स्टेशन देख स्विटजरलैंड के दर्शन कर लू कोई अच्छा सा टापू दिखाऊ कोई हरियाली वाली जगह दिखाऊ तो तुम्हारी देही ने े कामना प्रकट की शक्ति ली तुम भीतर के तल के साथ जहां एनर्जी का भंडार भरा पड़ा है यानी जो तुम हो तुम एनर्जी के
00:36:37 भंडार हो इसलिए तुम्हें ओमनिपोटेंट कहा गया सारी शक्ति तुम्हारी है तुम शक्ति देते हो इंद्रियों को तो तुम अपनी वासना पूरे करते हो घूमते हो हिल स्टेशन चले जाते हो मिनिस्टर बन जाते हो चीफ मिनिस्टर बन जाते हो तो मैंने कहा तुमने बड़ी मशक्कत से यह सब पाया तो भी निरर्थक हुआ क्यों निरर्थक हुआ क्योंकि सब कुछ पाके भी व्यक्ति पाता है कि खाली रह गया तुम पूछोगे कि आपको क्या पता पूछना जायज भी है क्योंकि मैंने कोई राज थोड़ी किया लेकिन मैंने राज किया है तो तब काम आते हैं हमारे पिछले जन्म ज उन तलों पर पहुंचा हु व्यक्ति अपने
00:37:43 पिछले जन्मों में जाता है तो कभी तुम भिखारी भी रहे हो कंगाल भी रहे हो नंग धड़ंग बदन से चलते थे पांव में जूता नहीं होता था रसों बर्सों तक नहाते नहीं थे पेट भूखा रहता था कृषण तनु रहते थे बीमार रहते थे और कभी ऐसे भी मौके आए कि तुम शहंशा रहे तुमने हुकम चलाया वहीं से उठाए जाते हैं अनुभव अब इन बातों को गौर से समझ लेना प्रबुद्ध लोग अनुभवों को उठाते हैं आप देखोगे प्रबुद्ध लोग बड़े ज्यादा अनुभवी होते हैं जबकि उन्होंने इतना कुछ किया नहीं होता सिर्फ वह बस बैठे होते हैं बुद्ध ने क्या किया पीपल के पेड़ तले बैठे
00:38:45 रहे लेकिन ज्ञान कितना है इस जन्म में तो ज्ञान है नहीं 29 वर्ष तक तो वो महल के भीतर ही करीब करीब कैद रहे जेल खाने की तरह बाहर गए ही नहीं 29 वर्ष के बाद भाग गए घर से फिर भी कोई ज्यादा चले नहीं बस जाकर थोड़ा सा पेड़ के नीचे बैठ गए तो यह अनुभव कहां से आया राजकुमार थे लेकिन राजा नहीं थे ध्यान रखना इतना अनुभव कहां से आता है बुद्ध पुरुषों के पास पिछले जन्मों के अनुभवों से वह सीख जाते हैं वह सीख जाते हैं कि विकारों में कुछ नहीं है कहां से सीखा पिछले जन्म के अनुभवों से सीखते हैं व इसी बल के ऊपर मैंने तुमसे यह कहा सब कुछ पा लोगे
00:40:04 संसार का फिर भी खाली रह जाओगे तुम्हारा पेट भर जाएगा जिसे कहते नियत नहीं भरेगी वह नियत इसी को कहते हैं तुम तृप्त नहीं होगे तृप्ति क्यों नहीं होती क्योंकि जिस चीज की जरूरत है वह नहीं तुम्हें मिलती और मैंने बहुत बार कहा है जरूरत है तुम्हें आनंद की उस रस की जिसको उपनिषदों ने रसो वैसा परमात्मा को रस रूप कहा है वह तुम्हें मिला नहीं और जब तक वह मिल नहीं जाएगा तब तक तुम्हें कुछ भी मिल जाए तृप्ति होने को नहीं है ठहरेगा नहीं मन तुम्हारा प्रश्न बड़ा अजूबा है और शानदार भी है लेकिन इसका जवाब मैं बहुत बार दे चुका
00:41:01 हूं चलो क्योंकि यह बुनियादी प्रश्न है तुम जितने बार भी पूछोगे मैं इसे बताऊंगा बताया है तुम समझे नहीं तो फिर पूछोगे मैं बखूबी जानता हूं कि इतना आसान नहीं है मसला जन्मों जन्मों का एक रोग तुम लिए फिर रहे हो वह इतनी जल्दी से टूटने वाला है नहीं टूटेगा धीरे-धीरे टूटेगा लेकिन टूट सकता है अगर तुम तोड़ना चाहो तो प्रक्रिया फिर से समझा दूं आराम से बैठ जाओ सुख आसन में बैठ जाओ कहीं भी बैठ जाओ अपने घर में शांत स्थल में बैठ जाओ शरीर को ढीले छोड़ दो सुख आसन में बैठ जाओ तुम दीवार के साथ पीठ लगा सकते हो कमजोर है शरीर तो आसपास सरह नहीं रख
00:42:27 सकते सपोर्ट रख सकते हो लेकिन आरामदायक मुद्रा में बैठना है शरीर को जरा भी तकलीफ ना हो शरीर बिल्कुल भी अच्छा ना करे तुम्हें शरीर में किसी प्रकार की हलचल ना हो क्योंकि शरीर की प्रत्येक हलचल तुम्हें पहुंचने में थोड़ी बाधा बनेगी फिर तो आराम से बैठ जाओ शरीर को मन को ढीले छोड़ दो रिलैक्स योर बॉडी एंड माइंड अक्सर लोग मुझे पूछते हैं बाबा हम यह करते हैं लेकिन जितने विचार पहले चलते थे चलते फिरते काम का करते उससे ज्यादा विचार चलते हैं बैठे बैठे एकदम से तेज हो जाते हैं विचार भावनाए भी तेज हो जाती हैं बड़े-बड़े पुराने किसे याद आते हैं
00:43:41 ईर्ष द्वेष नफरत प्रेम सब आता है मन और तेज चलता है विचार उतने ही चलते हैं जितने तुम चलते फिरते हुए विचार चलते थे हुआ क्या जब तुम बैठ जाते हो कुछ नहीं करते तो तुम्हारा ध्यान और किसी तरफ नहीं होता तुम तुम्हारा ध्यान सिर्फ विचारों की तरफ होता है तो वो तुम्हें लगते हैं कि ज्यादा चलने लग गए चलते तो उतने ही चलो उनको चलने दो आगे की प्रोसेस है उनको रोको मत दो बातें मैंने बताई ना तो दमन करो ना उसके संग जाओ उसको सुप्रेस भी ना करो उसके साथ एंटेंगल भी मत हो वासना आई विचार आया कुछ आया जब तुम बैठ जाओगे आराम से
00:44:46 शीतल छोड़ के अपने आप मन को भी छोड़ दोगे तो मन तेजी से घूमता हुआ नजर आएगा शोर मचाएगा कुछ भी आ सकता है वासना भी आ सकती हैं गाली भी आ सकती है राधे राधे भी आ सकता है जो तुमने भर लिया है ना भीतर वही बाहर आएगा याद रखना इस सूत्र को याद रख लेना जो तुमने राधे राधे किया है वह तुम्हारे अचेतन को भरेगा फिर लोगों को अक्सर यह महात्मा लोग गुमराह करते हैं कितना ज्यादा नाम जप लेते हैं व चाहे राम राम हो कृष्णा कृष्णा हो या कोई भी हो फिर वह कहते हैं कि अब तो भीतर से राधे राधे ही आना शुरू हो गया तो कहते हैं ये अनद नाद
00:45:48 है यह वह जाप है जिसे अजपा जाप कहते हैं यह तुम्हें जपना नहीं पड़ेगा अब वो शुरू हो गया तुम गलती में हो तुम्हारा अचेतन इतना भर गया है देखो तुम इतना खाते जाओ इतना खाते जाओ इतना खाते जाओ इतना खाते जाओ कि पेट उसको बर्दाश्त करना इंकार करते है तो क्या करेगा भीतर का ऑर्गन उसको बाहर उल्टी करेगा बस ये जिसे तुम अजपा जाप कहते हो इट इज जस्ट अ वोमिटिंग यह कोलिटी है अगर इतना तुम करोगे राधे राधे राम राम इसकी जरूरत तो को है नहीं इट फॉन मटेरियल यह विजातीय द्रव्य है तुम्हारे लिए इसकी जरूरत नहीं है तो यह बाहर निकलेगा तुम जहां जाओगे चलते फिरते बैठते
00:46:53 उठते भीतर से वही आएगा जो तुमने जपा है जो नाम चाहे पांच नाम है सिद्धि वगैरह कुछ नहीं है गलती में मत पढ़ना बहुत से लोग हमें भरमा हैं व मूर्ख होते हैं व तो तुम्हारे अजपा जाप शुरू हो गया कोई अजपा जाप नाम की कोई चीज नहीं होती आनद नाद होता है अजपा जाप कुछ नहीं होता अजपा जाप तो यह वो है जब तुम किसी पहाड़ों में गए होंगे वहां जाकर तुम आवाज देना यह परीक्षण करना एक ऊंचे से बोलना राम तो उससे टकरा के आवाज आएगी राम राम राम राम राम राम छ सात बार जितना तुमने भीतर फेंका है नाम य साइंटिफिक वे बता रहा हूं तु वह जब बाहर निकलेगा वह पहाड़ियों से
00:47:48 टकरा के वापस आती हुई आवाज जैसा होगा व कोई अजपा जाप नहीं है वो वोमिटिंग है ये उल्टी आ गई तुमको भीतर जपता तो है नहीं नाम को जपाने का कोई साधन नहीं है भीतर रोटी रोटी हजम हो सकती है नाम हजम नहीं होता यह कोई खाने की चीज थोड़ी है तो रोटी को बचाने के लिए हमारे सारे ऑर्गन हैं पाचन तंत्र है हमारा लिवर जूसेश पैदा करता है पैंक्रियाज है और भी इतना सब सिस्टम है हमारा गैस्ट्रिक जूस होता है सारी इंटेस्टाइन है समाल है लार्ज इंटेस्टाइन है यह सारी मशीनरी खाने को पचाने के लिए है इसलिए खाना तो पच जाएगा लेकिन खाना भी अगर तुम ओवरफ्लो खाते
00:48:50 ही रहोगे खाते ही रहोगे तो फिर वह क्या करेगी प्रकृति उसको बाहर फेंक देगी दैट इ वोमिटिंग तो यह जो तुम्हारे अजपा जाब शुरू होता है ना इस भ्रम में मत रहना यह गुरु लोग अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए तुम्हें नए नए नाम दे देते हैं क्योंकि इन्होंने ठगी मारनी होती है सीधा बोलता हूं देखो भाई यह कुछ ना कुछ ऐसा घड़ लेंगे जिससे तुम टिके रहो इनके डेर में इनके आश्रमों में अजपा जाप ना की कोई चीज होती नहीं वो वोमिटिंग होता है जैसे तुमने पहाड़ों से बोला टकरा के वापस आएगा जितना बोलोगे व सब बाहर आएगा जरूरी प्रक्रिया है ये जो तुमने भर लिया
00:49:43 अपने अचेतन मन में वह बाहर आएगा हर हालत में आएगा इसे ही कहते हैं प्रोसेस ऑफ एंपनेस तुमने अपने अचेतन को खाली करना है खाली कैसे होगा ठहरने से तुम ठहर जाओ आराम से बैठ जाओ कुछ नहीं करना करने ही से तो भरा है जी तुमने कोई काम किया कोई वासनाओं को पूरा किया कोई राधे राधे राम राम किया करने से ही भरा है यह अब न करने से विपरीत दिशा में न करने से यह खाली होगा और हमने खाली करना है हमारा लक्ष्य है यह चीजें तुम्हें भटका रही हैं और तुम्हें भटकन किस चीज की तुम कहते हो मन बोलता है यही तो बोलता है मन जो तुमने भर लिया वही
00:50:40 तो मन बोलता है पहाड़ थोड़ी बोलते हैं तुमने बोला पहाड़ों से टकराया वो छह सात बार फिर रिपीट होकर तुम्हें ही सुनाई पड़ता है कौन बोल रहा है तुमने नहीं बोला टकरा के रिपीटेशन होता है तुम्हारे पर ही बछर होती है उसकी तुम पर ही गिरता है वो यह एक्शन रिएक्शन का सिद्धांत भी है तो वह जो जिसे तुम कहते हो अजपा जाप अजपा जाप नहीं है परमात्मा की देन अजपा जाप नहीं है वह तो तुम्हारी देन है अनद नाद परमात्मा की देन उसमें तुम कुछ नहीं करते वोह सहसा जब शुरू होगा तो अपने भी से शुरू होगा उसकी बात तो हम बहुत कर चुके और जरूरत पड़ेगी तो और भी
00:51:36 करेंगे तुम बैठ जाओगे कुछ नहीं करोगे तो उस नहीं करने में भीतर जो भरा तुमने ही भरा वह बाहर आएगा कैथर सिस कह लो वोमिटिंग कह दो कैथस जस्ट लाइक ए वोमिटिंग जो तुमने जमा किया है उसको कैथस भी कह सकते हो आप उल्टी भी कह सकते हो तो सब उल्टी करनी पड़ेगी वह कूड़ा है उसको निकल जाने देना भीतर रख के क्या करोगे उसका यही तो आपको तंग करता है जब आपको उल्टी आने का होती है तो आप कहते ना जी मतला रहा है ऐसा ऐसा लगता है जैसे वोमिटिंग होगी बस यह तुमने ने जो इकट्ठा किया ना यही तुम्हें घबराहट देता है यही तुम्हें तंग करता है यह उल्टी जैसी प्रक्रिया
00:52:37 है जो तुमने भर ली है ऊट पटांग जो खा लिया है पचा है नहीं नाम कभी पचता नहीं याद रखना भोजन पच जाता है फिर सुन लो भोजन पच जाता है क्योंकि उसको पचाने के सारे ंत्र लगे हैं पैंक्रियाज है लीवर है पित्ता है स्टमक है और सारे इंटेस्टाइन वगैरह है सारे यंत्र हैं लेकिन नाम को पचाने के लिए कौन सा यंत्र है मुझे बताओ कोई यंत्र नहीं है वह उल्टी होगी वमन होगी तो इस कैथर सिस को मैं उल्टी कहता हूं बमन कहता हूं तुम अजपा अब कह सकते हो दिल के बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है हमने देखी है जन्नत की हकीकत लेकिन अब तुमने प्रश्न कर दिया देखो कल को
00:53:42 मेरे पास बहुत से कमेंट आएंगे और कमेंट इतने सड़े सड़े होंगे जिसका हिसाब कोई क्योंकि देखिए उल्टी में कभी खुशबू आई है उल्टी में बदबू होती है तो मैं समझ जाता हूं उल्टी करेंगे करने दो और टिंग में बदबू ही आएगी दुर्गंध ही आएगी तो आएगी तो ऐसा कुछ होगा क्योंकि इन्होंने इतना प्रयास किया है इनके हंकार को ठेस लगती है अरे 35 वर्ष यह तो बेकार कर दिए इस आदमी ने हां भाई बेकार कर दि इसलिए विकार कर दिए कि तुम सुपा सुपाच्य भोजन कर सको तुम ऐसा कुछ गरिष्ठ भोजन ना करो जो तुम्हारी प्रकृति के विपरीत पड़ता है नाम पचने का कोई साधन भीतर नहीं भोजन
00:54:44 पचने का है इसलिए मैं रोज कहता हूं नाम जाप मत करो कोई कितना ही बकवास करता रहे उनको खुद पता नहीं है खैर आगे चले आप बैठ जाओ जैसा निकलेगा बाहर इसको निकलने दो अब जैसे उल्टी होती है तुम ना तो उसका पीछा करते हो तुम बस वो कर देते हो कैथस अब यह जो विचार निकलेंगे ना तो इनको दबाना है दबाओगे तो अ ये दबे नहीं याद रखो उल्टी दबाने से कभी दब है नहीं दब वो फिर आएगी आधे घंटे के बाद फिर आ जाएगी और ना ही उसके पीछे लगने की चेष्टा करो उल्टी में ऐसा क्या होता है कि तुम पीछे लगो दुर्गंध होती है उसम उसको फिर से उठा के पियोगे क्या कहा तुम मजेदार काम कर रहे
00:55:47 हो लोगों ने तुम्हें समझाया क्या है ये ज्ञानी थे या अव्वल दर्जे के मूर्ख थे बस एक बात साफ है कि इन्होंने जाना नहीं था मैं इनके लिए और कुछ नहीं बोल सकता अज्ञानी थे जाना नहीं था यह क्षमा करने योग्य है अब तुम सही रास्ते पर आ जाओ और अगर तुमने उससे कुछ पा लिया है तो वहां डटे रहों मैं तुम्हारी आजादी को छीनने वाला कौन होता हूं सिर्फ मेरे भीतर तुम्हारे प्रति करुणा भाव है मैं तुमसे कुछ मांगता नहीं मेरा कुछ प्रयोजन नहीं मैं बाहर नहीं निकलता कि तुम पाम छु होगे मैं कोई फेरी नहीं लगाता कि तुम दर्शन करोगे मेरे मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे मेरे हाल
00:56:51 पर छोड़ दो मैं जैसा हूं बस प्रसन्न हूं बड़ा अनत में और मुझे इससे अतिरिक्त और कुछ चाहिए भी नहीं मुझे तुमसे कुछ भी ना [संगीत] चाहिए मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो मेरा दिल अगर कोई दिल नहीं उसे मेरे सामने तोड़ दो उसे मेरे सामने तोड़ दो मुझे तुम हमसे कुछ भी ना चाही मैं भरा पूरा आनंद का समुद्र मुझे कुछ नहीं चाहिए आई वांट नथिंग नथिंग किसी से भी कुछ नहीं चाहिए क्योंकि पर्याप्त है मैं अपने आप में पर्याप्त हूं सब तमन्ना सब अंका सभी वासना सभी दौड़ धूप सब मिट गई मजे में हूं मौज में हूं परम शांति में
00:58:39 हूं आनंद में चार बजे से पहले तो मैं गोगो बना रहता हूं मुझे बहुत लोग कहते हैं बाबा यह तो सुबह चार बजे उठ जाते हैं ब्रह्म मुहूर्त में आपका ब्रह्म मूर्त शाम को होता है मैंने कहा हां भाई मेरा तो जब ब्रह्म जागता है भीतर से वही ब्रह्म मूर्त होता है मैं तो उससे पहले आनंद में मगन होता हूं आपकी भाषा में मैं क्या मैं गुग्गू होता हूं उससे पहले उल्लू उलू का तो चार बजे से पहले आप मेरे पास मत आओ लोग सुबह सुबह फोन कर देते हैं बाबा ऐसे था ना वो मैं कर रहा था कुंडलिनी और जग गई देखना जरा आपके साथ यह मिलते हैं भाव के नहीं मिलते अरे भाई तुम
00:59:34 कौन हो कहां से आए हो जरा देख तो लो आगे कौन आदमी बैठा है तुम जखाई बकाई वाले आदमी सभी को समझते हो हम तो पैग पीने वाले आदमी है मस्ती का खजाना हम तो पीते ही रहते हैं तीन चार बजे से पहले हमें होश नहीं आता और तुम्हें भी चाहता हूं कि तुम ऐसे बन जाओ मैं भी तुम्हारी तरह तड़पता था इन वक्त के लिए इस इस पोजीशन के लिए आज जब मैंने यह स्थिति ग्रहण कर ली है अब मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिए मैं तुम्हें कुछ दे सकता हूं अगर तुम्हें चाहिए तो नहीं चाहिए अपने घर मस्त रहो अपने हाल पर मस्त रहो मैं कोई डिक्टेटर नहीं हूं मैं किसी की गर्दन पकड़ के नहीं बैठा
01:00:42 हूं तुम्हारे ऊपर कुछ थोप नहीं हूं नहीं नहीं तुम मेरे लिए तुम परम स्वतंत्र हो मेरे लिए तुम शुद्ध बुद्ध आनंद आत्मा तुम मस्त रहो तुम जो चाहो वही करो मेरी बात अच्छी लगती है सुन लो नहीं अच्छी लगती जिसकी अच्छी जिसकी आ जिसकी क्षमा करना हां सुन रहा हूं जिसकी शिक्षा में आपको दम लगता है उसके पास मलो थोड़ा प्रश्न है लेकिन गहर है यह इसके बात इसकी बात मैं बाद में करूंगा अगर मेरी बात अच्छी लगती है तो मान लो अगर इस किसी और की बात अच्छी लगती है तो उसे मान लो मैं तो जरा भी नहीं कहता वहां ना जाओ वहां ना जाओ मैं सिर्फ उनसे
01:01:48 कहता हूं वहां ना जाओ जो मुझे सुनते हैं जो मुझे नहीं सुनते मोज से ना सुने देखिए दुखी होने के लिए भी तो तुम स्वतंत्र हो ना बेड़ियां पहनने के लिए भी तो तुम स्वतंत्र हो ना और आजाद होने के लिए भी तुम स्वतंत्र हो अगर तुम चाहते हो कि मैं जेल में जाना चाहता हूं मैं तो पाप करूंगा तो कौन रोक सकता है तुम्हें तुम पाप करो चोरी करो डाका मारो कत्ल करो कुछ करो यह तुम्हारी सो स्त्रता है और इस स्वतंत्रता के ऊपर कोई तानाशाह ही आपत्ति कर सकता है कम से कम कोई संत तो नहीं करेगा मैं सिर्फ तुम्हें बुलाता हूं पुकारता हूं जो सुनने के इच्छुक हैं सुन
01:02:46 ले जिनको सुनने में कोई रस आया अच्छा है बैठ जाओ जिसको सुनने में कोई रस नहीं आए उसको जहां रस आता है वहां चला जाए कोई भी तो आपके ऊपर बंधन ना लगा सकता हूं ना कभी लगाता हूं मेरे कोई टट कमिटमेंट्स नहीं है तो जब आप बैठोगे विचार निकलते चले जाएंगे निकलते चले जाएंगे जो कूड़ा करकट भर लिया जब उल्टी पूरी हो जाती है तो आपको शांति पड़ जाती है अने जो गटर मटर खा लिया है चाओ मन चुंगे पिज्जा फिजा पता नहीं क्या कुछ चल पड़ा है हमारे जमाने में तो नूडल यह कुछ दर्ड लिया है तुमने निकलेगा सब बार तुम आराम से बैठे रहो तुम उस पानी की
01:03:59 तरह जैसे रात को सो गए थे वैसे तुम आराम से बैठे रहो दिन में भी उस पानी की एग्जांपल को याद रखना तुम गंदे पानी को कंच के गिलास में भर के एक तरफ रख दो रात भर पड़ा रहने दो सुबह पाओगे माटी नीचे बैठ गई शुद्ध जल ऊपर आ गया ऐसे ही दिन में ध्यान के वक्त ही बैठो तुम छेड़ा छेड़ी ना करो उस पानी के साथ नहीं तो फिर गंदला हो जाएगा फिर नीचे बैठ जाएगा ऊपर शुद्ध जल आ जाएगा तुम कहते हो तुम्हारा मन चलता है चलेगा साइकिल उतना चलेगा मैं उदाहरण दिया करता हूं तुमने साइकिल को चलाना बंद कर दिया जब तुम आराम से बैठ गए ना तो समझो
01:04:57 तुमने अपने मन को शक्ति देनी बंद कर दी लेकिन जब तुम साइकिल चलाना छोड़ देते हो पैडल मारना छोड़ देते हो तो भी साइकिल थोड़ी दूर तक चलता है वह काहे चलता है क्योंकि तुमने उसमें इन्वेस्टमेंट जोक रखी है थोड़ा सा बल तुमने झक रखा है और जितना बल झक रखा है उतनी दूर तक तो भी वह चलेगा लेकिन घबराना नहीं है धीरे-धीरे पक्का है तुम देख लो साइकिल के साथ प्रयोग कर लो धीरे-धीरे एक वक्त ऐसा आएगा रोल ढोल होके वो धीरा होता होता गिर जाएगा ऐसे ही तुम्हारा मन गिर जाएगा तो बराबर एग्जांपल दे रहा हूं हर चीज के ऐसे ही तुम्हारा मन गिर जाएगा और जो मन आपको
01:05:54 कल तक तंग करता था वो जब गिर गया तो फिर तंग कैसे करेगा यही दुखड़ा है ना तुम्हें तुम कहते हो कि अगर मन बोलता है तो नर्क है मन नहीं है यानी चुप है तो स्वर्ग है तो फिर तुम्हें स्वर्ग आ जाएगा छोटा सा सूत्र और तुम कहां उलझे हुए हो वेयर आर यू गोइंग ये हैवन का सपना दिखाने वाले तुम्हें हेल में दिगल देते हैं चलो करो राधे राधे तुम्हारा मन पहले ही चलता है तुम साइकिल को पहले ही दौड़ाई जा रहे हो ऊपर से कहते पैडल थोड़ा सा तेज भाई जितने तेज पैडल मारोगे यहां कोई जाना है क्या यहां को कोई मंजिल नहीं है ध्यान में रखना अष्टावक्र को उपनिषदों को पागल
01:07:04 कुत्ते ने नहीं काटा है जो कहते हैं कुछ नहीं करना तुम ही हो परमात्मा जो कबीर कहते हैं तुम्हारे भीतर ही है तुम ही हो कबीरा मन निर्मल भयो मल दौड़ कबीरा मन निर्मल भयो जो गंगा को नीर अगर तुम प्रयास विहीन हो जाते हो उसे निर्मल कहते हैं फिर क्या होगा जब तुम प्रयास को छोड़ दोगे फिर क्या होगा फिर नीचे माटी बैठती जाएगी उसे ही शांति कहते हैं बुद्ध जैसे लोगों की माटी नीचे बैठ गई है शुद्ध जल ऊपर आ गया पाछे पाछे हरी फिरे कहत कबीर कबीर आज तक तुम उसे बजते थे फिर वह तुम्हें भजता है अगर बाबा नानक भी कहते हैं ना सबना जिया का एक दाता सो
01:08:19 में विसर ना जाई वह तुम्हें याद करता है यह बात को कहने का ढंग है कबीर का अलग है बाबा नानक का अलग है कबीर कहते हैं कि निर्मल मन जब हो जाएगा यानी पुरुषार्थ विहीन हो जाएगा देखिए यह परमात्मा तक पहुंचने का रास्ता है ध्यान बहुत से आचार्य इसके ऊपर आपत्ति उठाएंगे यद्यपि खुद वो गीता का विवरण करते हैं खुद वो उपनिषद की व्याख्या करते हैं लेकिन मैं कहता हूं परमात्मा का रास्ता है संसार से बिल्कुल उलट है संसार मिलेगा प्रयास से धन तो बिना प्रयास के भाई नहीं कमाया जाता और गद्दिया भी नहीं मिलती बिना प्रयास के सन्मान भी नहीं मिलता नॉलेज भी
01:09:10 नहीं इकट्ठी होती यह सूचनाएं भी प्रयास से इकट्ठी होंगी यह सब जो बाहर का संसार है यह प्रयास के बिना इकट्ठा नहीं होता लेकिन वो जो अपने भीतर का अंतस है जिसे मैं आनंद कहता हूं वो अप प्रयास से मिलता है और कबीर यहां अप प्रयास की बात करते हैं कबीरा मन निर्मल भयो जो गंगा को नीर जब तुम प्रयास हीन अवस्था में हो जाते हो तो तुम निर्मल हो जाते हो तुमने पैडल मारने छोड़ दिए तुम सब वासना के से मुक्त हुए कोई वासना तुम्हारी पडल को नहीं मारती तुम्हें जीवन के लिए प्रेरित नहीं करती कोई वासना यह बनो वो बनो वो बनो नहीं कुछ
01:10:02 नहीं करती तुम आराम से बैठ जाते हो पाछे पाछे हरी फिरे उसका फल क्या निकलता है हरि तुम्हारे पीछे पीछे कहते हैं कहत कबीर कबीर हरि तुम्हें भजते हैं यही बाबा नानक कहते हैं सबना जिया का एक दाता सो में विसर ना जाई वह मुझे याद रखे वह मुझे भजता ही रहे ये दोनों एक ही बात है कहने के ढंग अलग है तुम तंग हो मन की दौड़ से कौन तंग नहीं लेकिन बात तो यह है कि सच्चा मार्गदर्शक मिले तो मन ठहरे अब मिल जाते हैं झूठे पाखंडी लालची लबा दे उड़े हुए क्या करे कोई हम माथा पीट लेते हैं यह लोग दर्शन देते हैं रात को डेढ़ डेढ़ बजे क्यों जगाते हो भाई मेरे पास रोज
01:11:18 लोग आते हैं बाबा नींद के लिए कोई दवा बता दो फिक्र के मारे लोग पहले ही नींद ठीक से नहीं आती आधा अमेरिका गोली खाकर सोता है और आधे को गोली के साथ भी नींद नहीं आती क्यों तुम मारने पर तुले हो मनुष्यता को मानवता को क्यों उसका चैन छीनने पर तुले हो अगर यह अज्ञानी है बेचारे तो तुम तो तरस खाओ कुछ लेकिन नहीं लोभी व्यक्ति कभी तरस नहीं खाता कामी लोभी क्रोधी अहंकारी यह तरस नहीं खाते लोग इनका अपना निहित स्वास्थ होता है यह कभी बाज नहीं आएंगे तुम्हें ही बाज आना पड़ेगा बाज आए इस मोहब्बत से उठा लो पान दन अपना तुम्हें ही कहना पड़ेगा एक
01:12:28 दिन यह है सारी प्रोसेस कुछ राजनीतिक बात चल रही थी तो मैं बता दूं कि राजनीति में वही व्यक्ति जाता है जो जल्दी से धन कमाना चाहता है पदवी कमाना चाहता है और कमा भी लेता है कोई कमा लेता है कोई छोटी पदवी कमा लेता है लेकिन छोटी पदवी कमाए बड़ी पदवी कमाए थोड़ा धन कमाए ज्यादा धन कमाए छोटी कार ले ले बड़ी कार ले ले संतुष्टि नहीं मिलती पेट भर जाता है तृप्ति नहीं मिलती और बात है मसला है तृप्ति का तुम जो कहते हो कि बाबा यह मन ठहरता नहीं मन ठहरेगा तृप्ति के बाद जिस क्षण तृप्ति हुई उसी क्षण मन पूर्ण रूप से ठहर जाएगा और फिर चलेगा
01:13:45 नहीं यह निशानी बताता हूं संत उसे कहते हैं जिसका मन एक बार ठहर गया और पक्का ठहर गया पॉइंट ऑफ नो रिटर्न व फिर उसी दशा में वापस नहीं आएगा एक बार ठहरा कि पक्का ही ठहर गया उसे संत कहते हैं और असंत उसे कहते हैं एक बार मन ठहर जाता है थोड़ी देर ठहर के फिर मन चलने लग जाता है तो रात को तुम ठहर ही जाते हो गौर निद्रा में सुबह उठकर फिर वही कूड़े कबाड़े चलो दफ्तर चलो भाई फिर कंप्यूटर के आगे मगज कपाई करो फिर बॉस की झड़ के खाओ और बॉस को ऊपर से ड़कते है वह भी तंग है आप भी तंग हो दुकानदार भी तंग है ग्राहक भी तंग है सारी दुनिया तंग
01:14:38 है भाग रही है भागने के कारण तंग है इस भागदौड़ को छोड़ो आराम से बैठ जाओ आराम से बैठ जाओ ये कूड़ा कचरा निकलेगा इसको निकलने दो उस क्षण तुम साक्षी बैठ बने रहो साक्षी का मतलब बस कुछ नहीं करना देखना भी नहीं है क्योंकि देखने का स्वभाव तुम दृष्टा हो कुछ लोग यह काम कर लेते हैं कि चलो दृष्टा ही बन जाओ साक्षी ही बन जाओ नहीं भाई नहीं नहीं फिर तुमने साक्षी स्व को भी काम बना लिया साक्षी तो भी पैदा नहीं करना है साक्षी तो तुम हो वो तुम्हारा स्वभाव है दृष्टा तुम्हारा स्वभाव है यू आर ऑब्जर्वर वो तुम्हें दिखेगा साक्षी भी नहीं बनना है वह भी
01:15:42 हल्का प्रयास है और जब तक देखे कांटा अगर थोड़ा सा भी चुप जाए रटक तो वो भी है सूर ज्यादा चुप जाए वो भी रड़के गी थोड़ी सी चुप जाए लड़के तो साक्षी भी बनना नहीं है दृष्टा भी बनना नहीं है बड़े विस्तार से बड़ी गहनता से बड़ी सूक्ष्मता से मैंने तुम्हारी बात का जवाब दिया है अगर तुम संसार में जाओगे सब कुछ कमा लोगे लेकिन फिर भी संतोष नहीं आएगा वहां तो ठहराव है नहीं इसलिए संसार में जाओ अगर तुम्हारी इच्छा है लेकिन जब वापस आओगे तो मेरे अनुभव को सत्य पाओगे वहां से नहीं मिलता जब तुम्हें आनंद मिलेगा अब आखरी शब्द मैंने कहा था जब सुख मिलता
01:16:42 है तो उत्तेजना घनी होती है और जब आनंद मिलता है तो उत्तेजना हीन की अवस्था आ जाती है स्टिमुलेशन उत्तेजना समाप्त हो जाती है यह निशानी है सुख और आनंद की मुझे लोग बहुत पूछ लेते हैं बाबा सुख और आनंद हमें तो य सा लगते हैं हम तो महत सुख को आनंद समझते हैं नहीं महत सुख महत स्टिमुलेशन है और आनंद स्टिमुलेशन नहीं है नॉन स्टिमुलेशन है फर्क बड़ा साफ कर दिया मैंने अब तुम धीरे-धीरे समझ जाओगे इस बात को नॉन स्टिमुलेशन पोजीशन के भीतर जब तुम आ जाओगे और तुम्हें रस लगेगा वह रस रस जब तुम चखो ग आज तक तुमने चखा नहीं मैं
01:17:45 पक्का कह सकता हूं क्योंकि जिसने कभी भी एक बूंद भी चख दी व फिर सुख बना नहीं करेगा रस उसके सारे सुख की तमन्नाओं को भस्म कर देगा वह सब आग लगा देगा सुख के साधनों को वोह होता है रस और उसे मैं कहता हूं आनंद उसे संत पुरुष आनंद का नाम देते हैं श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी [संगीत] हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा मात स्वामी सखा हमारे पितु मात स्वामी सखा हमारे हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी [संगीत] हरे [संगीत] मुरारी हे नाथ नारायन वासुदेव श्री कृष्ण
01:19:42 गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायन वासुदेव [संगीत] धन्यवाद
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